"यह वास्‍तव में एक महाकुंभ है, जो अभूतपूर्व ऊर्जा और जीवंतता का निर्माण कर रहा है"
"स्टार्ट-अप महाकुंभ में आने वाला कोई भी भारतीय भविष्य के यूनिकॉर्न और डेकाकॉर्न का साक्षी बनेगा"
"स्टार्टअप एक सामाजिक संस्कृति बन गया है और कोई भी सामाजिक संस्कृति को रोक नहीं सकता है"
"देश में 45 प्रतिशत से अधिक स्टार्ट-अप महिलाओं के नेतृत्व वाले हैं"
"मुझे विश्वास है कि वैश्विक अनुप्रयोगों के लिए भारतीय समाधान विश्‍व के कई देशों के लिए मददगार बनेंगे"

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान पीयूष गोयल जी, अनुप्रिया पटेल जी, सोम प्रकाश जी, अन्य महानुभाव और देश भर से हमारे साथ जुड़े हुए स्टार्ट अप इकोसिस्टम के सभी साथी, आप सबको स्टार्ट-अप महाकुंभ की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

स्टार्टअप लॉन्च तो बहुत लोग करते हैं और पॉलिटिक्स में तो ज्यादा, और बार-बार लॉन्च करना पड़ता है। आप में उनमें फर्क ये है कि आप लोग प्रयोगशील होते हैं, एक अगर लॉन्च नहीं हुआ तो तुरंत दूसरे पर चले जाते हैं। अब पीछे देर हो गई।

साथियों,

आज जब देश, 2047 के विकसित भारत के रोडमैप पर काम कर रहा है, ऐसे समय मुझे लगता है कि ये स्टार्ट अप महाकुंभ का बहुत महत्व है। बीते दशकों में हमने देखा है कि भारत ने कैसे IT और Software सेक्टर में अपनी छाप छोड़ी है। अब हम भारत में Innovation और Startup Culture का Trend लगातार बढ़ते हुए देख रहे हैं। और इसलिए, स्टार्टअप की दुनिया के आप सभी साथियों का इस महाकुंभ में होना बहुत मायने रखता है। और मैं बैठे-बैठे सोच रहा था कि ये स्टार्ट अप वाले सफल कैसे होते हैं, क्यों होते हैं, वो कौन सी उनके अंदर एक genius element है जिसके कारण ये सफल हो जाते हैं। तो मुझे एक विचार आया आप लोग तय करना मैं सही हूं कि गलत हूं। जो आपकी टीम है जिसने इसको आर्गेनाइज किया है। क्योंकि आम तौर पर सार्वजनिक जीवन में उद्योग जगत, व्यापार जगत में कोई भी निर्णय होता है तो उसका संबंध सरकार से होता ही है। और जब सरकार से होता है तो फिर थोड़ा 5 साल का टाइम टेबल रहता है। धीरे-धीरे पहुंच रही है इधर से शुरू हुई है। और इसलिए आमतौर पर जो व्यापारी मन होता है, वो सोचता है यार चुनाव का वर्ष है, अभी रहने दो, एक बार चुनाव हो जाए, नई सरकार बनेगी तब देखेंगे। ऐसा ही होता है ना? लेकिन आप लोग election declare हो चुका है। उसके बावजूद भी इतना बड़ा कार्यक्रम कर रहे हैं। इसका मतलब ये है कि आपको पता है अगले पांच साल क्या होने वाला है। और मैं समझता हूं आपके अंदर ये जो genius चीज पड़ी है ना वो ही स्टार्ट अप को सफल बनाती होगी।

यहां Investors, Incubators, Academicians, Researchers, Industry Members, यानि एक प्रकार से सच्चे अर्थ में ये महाकुंभ है। यहां Young Entrepreneurs भी हैं और Future Entrepreneurs भी हैं। और जैसे आपमें genius talent है ना मेरे में भी है। और इसे मैं पहचान सकता हूं इसमे Future Entrepreneurs मुझे दिखते हैं, मैं देख सकता हूं। ऐसे में ये Energy, ये Vibe, वाकई अद्भुत है। जब मैं Pods और Exhibition Stalls से गुजर रहा था, तो ये Vibe मैं फील कर रहा था। और दूर कुछ लोग नारे भी लगा रहे थे। और हर कोई अपने इनोवेशन को बड़े गर्व के साथ दिखा रहा था। और यहां आकर किसी भी भारतीय को लगेगा कि वो आज के स्टार्टअप को नहीं बल्कि कल के यूनिकॉर्न और डेकाकॉर्न को देख रहे हैं।

साथियों,

भारत आज अगर Global Startup Space के लिए नई उम्मीद, नई ताकत बनकर उभरा है, तो इसके पीछे एक सोचा-समझा विजन रहा है। भारत ने सही समय पर सही निर्णय लिए, सही समय पर स्टार्ट अप्स को लेकर काम शुरू किया। अब ये समिट तो आप लोगों ने बहुत बड़ी मात्रा में आर्गेनाइज की है। लेकिन जब ये शब्द का भी स्टार्ट अप नहीं हुआ था। उस समय मैंने एक समिट की थी। विज्ञान भवन में बड़ी मुश्किल से आधा सभागृह भरा था। पीछे भी जैसे सरकार करती है जगह हमने भर दी थी। ये अंदर की बात है, बाहर मत बताना। और उसमें देश में जो नए-नए कुछ नौजवान और मैंने स्टार्ट अप इंडिया, स्टैन्ड अप इंडिया इसको लॉन्च करने की इस दिशा में मेरा प्रयास था। और मैं चाहता था कि उसमें मैं एक आकर्षण पैदा करूं, यूथ में एक मेसेजिंग का, तो कुछ लोगों ने जो initiative लिए थे, उनको खोजा देश भर में। भई कोई कोने में कुछ कोई करता है तो जरा देखो। और मैंने 5-7 लोगों को बुलाया था कि जरा भई आप भी वहां भाषण कीजिए मेरी कोई सुनेगा नहीं। अब सुनते हैं। मैं उस समय की बात कर रहा हूं। तो मुझे बराबर याद है उस फंक्शन में एक बेटी ने अपना अनुभव सुनाया। शायद यहां बैठी भी हो मुझे मालूम नहीं है और उसने वो मूल बंगाली है और मां बाप ने काफी पढ़ा लिखा कर के उसको तैयार किया। उसने अपना अनुभव बताया। उसने कहा मैं, उसके माता-पिता भी पढ़े लिखे हैं। तो बोली मैं घर गई तो मेरी मां ने पूछा क्या कर रहे हो बेटा? काफी पढ़ लिख कर आई थी। तो उसने कहा कि मैं स्टार्ट अप शुरू करने जा रही हूं। तो उसकी मां ने कहा वो बंगाली थे- सर्वनाश, बोले सर्वनाश। यानि स्टार्ट अप यानि सर्वनाश। वहां से शुरू हुई ये यात्रा इसका एक सैंपल यहां नजर आ रहा है। देश ने Startup India अभियान के तहत Innovative Ideas को एक प्लेटफॉर्म दिया, उनको फंडिंग के सोर्स से कनेक्ट किया। एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में Incubators स्थापित करने का अभियान भी चलाया। हमने बिल्कुल उसका बाल वाटिका शुरू की अटल टैंकरिंग लैब। जैसे education में सबसे शुरू होता है ना केजी का। वैसे ही हमने शुरू किया और इससे फिर स्टेज आगे गया, Incubators centers बनते गए। टीयर-2, टीयर-3, शहरों के नौजवानों के लिए भी अपने Ideas को Incubate करने की सुविधा मिलने लगी। आज पूरा देश गर्व से कह सकता है कि हमारा startup ecosystem सिर्फ बड़े मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं है। और अभी छोटी सी फिल्म में भी दिखाया गया। ये देश के 600 से अधिक जिलों तक पहुंच चुका है। इसका मतलब है ये एक सामाजिक कल्चर बन गया है। और जब कोई सामाजिक कल्चर बन जाए तो फिर उसको रूकने का कोई कारण ही नहीं होता है। वो नई-नई ऊंचाईयों को प्राप्त करता ही जाता है। भारत की स्टार्ट अप क्रांति का नेतृत्व आज देश के छोटे शहरों के युवा कर रहे हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि हमारे स्टार्ट अप्स सिर्फ Tech Space तक ही सीमित हैं। लेकिन मुझे खुशी है कि आज एग्रीकल्चर, टेक्सटाइल, मेडिसिन, ट्रांसपोर्ट, स्पेस even मैंने देखा है योगा में स्टार्ट अप शुरू हुए हैं। आयुर्वेद में स्टार्ट अप शुरू हुआ है। और एक दो नहीं मैं थोड़ा मैं रूचि लेता हूं तो देखता रहता हूं 300-300, 400-400 की संख्या में है। और हरेक में एक से बढ़कर एक कुछ कुछ नया है जी। कभी तो मुझे भी सोचना पड़ता है कि मैं योगा कर रहा हूं वो ठीक है कि स्टार्ट अप वाला कह रहा है वो योगा ठीक है।

साथियों,

स्पेस जैसे सेक्टर्स में जोकि हमनें अभी कुछ ही समय पहले ओपन अप किया। पहले तो सरकार में जैसे स्वभाव रहता है जंजीरे बांध देना और मेरी पूरी ताकत जंजीरे तोड़ने में लगी रहती है। स्पेस में 50 से अधिक सेक्टर्स में भारत के स्टार्ट-अप्स बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। और already हमारे start up space satellite launch करने लगे हैं जी इतने कम समय में।

साथियों,

भारत की युवा शक्ति का सामर्थ्य आज पूरी दुनिया देख रही है। इसी सामर्थ्य पर भरोसा करते हुए देश ने Startup Ecosystem निर्माण करने की तरफ अनेक कदम उठाए हैं। शुरुआत में इस प्रयास पर भरोसा करने वाले बहुत कम थे, जैसा मैंने प्रारंभ में कहा। हमारे यहां पढ़ाई का मतलब नौकरी और नौकरी का मतलब सिर्फ सरकारी नौकरी, यही सब था। मैं बड़ौदा में रहता था पहले और वहां महाराष्ट्रियन परिवारों से मेरा नाता जरा ज्यादा था तो एक गायकवाड स्टेट है। तो हमारे कुछ साथी बड़े मजाकिया स्वभाव से कहते थे। अगर बेटी बड़ी हुई, शादी तय करनी है तो घर में चर्चा क्या होती है? मुलगा फार छान आहे, यानि बेटा बहुत अच्छा है। फिर क्या सरकारी नौकरी आहे बस। तो बेटी शादी होने के लिए योग्य हो गया। आज पूरी सोच बदल गई है। कोई बिजनेस की बात करता था- तो पहले आइडिया की नहीं, दिमाग यहीं यार करना तो है लेकिन पैसे कहां से लाऊं। शुरूआत की चिंता उसकी पैसों से रहती थी। जिसके पास पैसा है, वही बिजनेस कर सकता है, ये हमारे यहाँ धारणा बन चुकी थी। ये startup ecosystem ने उस सायकी को तोड़ दिया है जी। और देश में जो revolution आता है ना ऐसी चीजों से आता है। देश के नौजवानों ने Job Seeker से ज्यादा Job Creator बनने का रास्ता चुना है। फिर जब देश ने Startup India अभियान शुरु किया है, तो देश के युवाओं ने दिखा दिया कि वो क्या कुछ कर सकते हैं। आज भारत, दुनिया का तीसरा बड़ा स्टार्ट अप इकोसिस्टम है। 2014 में जहां देश में कुछ सौ स्टार्ट अप्स भी नहीं थे, आज भारत में करीब सवा लाख रजिस्टर्ड स्टार्ट अप्स हैं। और इनसे करीब 12 लाख नौजवान सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। हमारे पास 110 से ज्यादा यूनिकॉर्न्स हैं। हमारे स्टार्ट अप्स ने लगभग 12 हज़ार पेटेंट्स फाइल किए हैं। और बहुत सारे स्टार्ट अप्स ऐसे हैं जो अभी तक वो पेटेंट के महत्व नहीं समझे हैं। मैं अभी भी मिलकर आया, मैंने पहला ही पूछा मैंने कहा पैटेंट हुआ क्या? नहीं बोले प्रोसेस में है। मेरा आप सबसे आग्रह है उस काम को साथ साथ चालू ही कर दीजिए। क्योंकि आज दुनिया इतनी तेजी से बदल रही है पता नहीं कौन कहां हाथ मार ले। और देश ने कैसे इनकी हैंड होल्डिंग की है, उसका एक और उदाहरण है Gem पोर्टल। यहां पर उसकी भी व्यवस्था है आप देख सकते हैं। आज ये स्टार्ट अप्स सिर्फ Gem Portal पर ही करीब 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार कर चुके हैं। यानि सरकार ने एक प्लेटफार्म बनाया आप वहां पहुंचे और इतने कम समय में 20-22 साल की आयु के नौजवान 20 हजार करोड़ का कारोबार कर लें एक प्लेटफॉर्म पर ये बहुत बड़ी बात है जी। आप सभी इस बात के गवाह हैं कि आज का युवा अब, डॉक्टर, इंजीनियर के साथ-साथ, एक Innovator बनने का सपना, अपने स्टार्ट-अप का सपना भी देखने लगा है। ये मैं समझता हूं उसके पास जो टैलेंट है या जो उसकी ट्रेनिंग है स्टार्ट अप के माध्यम से वो एक नए क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है। आज मैं देखता हूं कैसे युवा अपने स्टार्ट अप के दम पर अलग-अलग सेक्टर्स में छाए हुए हैं और मुझे तो पक्का विश्वास है कि 2029 का जब चुनाव आएगा ना। उस समय कम से कम 1000 स्टार्ट अप्स ऐसे होंगे जिसकी सेवाएं political पार्टियां लेती होंगी। वो ऐसे ऐसे चीजें लेकर के आएंगे और उसको भी लगेगा की हां यार इस तरीके से पहुंचना अच्छा है, ये सरल रास्ता है। यानि कहने का मेरा तात्पर्य है कि हर क्षेत्र में चाहे वो सेवा का क्षेत्र हो, communication का क्षेत्र हो, नौजवान नए ideas लेकर के आते हैं। कम से कम requirement के साथ वो परफार्म करने लग जाते हैं। और मैं मानता हूं इसी ने इसकी ताकत बहुत बढ़ाई है। मैंने देखा आज जो traditional खानपान की चीजें हैं। उसमें बिजनेस में आगे बढ़ रहा है, कोई मेडिकल के equipment इस प्रकार से बना रहे हैं कि बड़े आसानी से आप अपना देख सकते हैं। यानि कोई सोशल मीडिया के Global Giants से मुकाबला करने की तैयारी कर रहा है। यही सपने हैं, यही स्पिरिट है, यही शक्ति है, इसलिए लोग कहते हैं मैं इसे करूंगा। एक तरह से मैं कह सकता हूं कि कुछ वर्ष पहले देश ने पॉलिसी प्लेटफॉर्म पर जो स्टार्ट अप लॉन्च किया था, वो सफलता की नई ऊंचाईयों को छू रहा है।

साथियों,

स्टार्ट अप्स को, देश के डिजिटल इंडिया अभियान से जो मदद मिली है, और मैं मानता हूं कि यूनिवसिर्टिज को इसे केस स्टडी के रूप में स्टडी करना चाहिए। वो अपने आप में एक बहुत बड़ी inspiration है। हमारे फिन-टेक स्टार्ट-अप्स को UPI से बड़ी मदद मिली है। भारत में ऐसे Innovative Products और Services तैयार हुई हैं, जिससे देश के हर कोने में डिजिटल सुविधाओं का विस्तार हुआ है। और साथियों आपको अंदाजा नहीं है कि हम जहां हैं, हम रोजमर्रा की जिंदगी है तो हमें पता नहीं चलता है। लेकिन मैं जी-20 समिट के समय देखता था हमने यहां एक बूथ लगाया था, जहां पर अभी आपका exhibition लगा है वहां जी-20 समिट में। और वहां यूपीआई कैसे काम करता है। हम एक एक हजार रुपया देते थे ताकि उनको ट्रायल रंग करने के लिए काम आए। हरेक एंबेसी अपने टॉप मोस्ट लीडर को वहां ले जाने का आग्रह रखती थी कि जरा वहां देखिए एक बार। यानि वहां लाइन लगी रहती थी बड़े-बड़े नेताओं की कि यूपीआई है क्या? काम कैसे करता है? और उनके लिए बड़ा अजूबा था। हमारे यहां गांव में सब्जी वाला भी बड़े आराम से कर लेता है।

साथियों,

इससे Financial Inclusion को बल मिला है, Rural और Urban Divide को देश कम कर पाया है। और दुनिया में शुरू में इसकी चिंता थी! जब digital progress होने लगा तो haves and have not वाली theory इसके साथ जुड़ गई थी। सोशल डिवाइड की बात हो रही थी। भारत ने technology को democritised कर दिया है। और इसलिए haves and have not वाली theory मेरे यहां चल नहीं सकती है। मेरे यहां सबके लिए सब कुछ है। आज एग्रीकल्चर हो, एजुकेशन हो, हेल्थ हो, इनमें स्टार्टअप्स के लिए नई संभावनाएं बन रही हैं। मुझे इस बात की भी खुशी है कि हमारे 45 परसेंट से ज्यादा स्टार्टअप्स, इसका नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं, नारीशक्ति कर रही है। इस स्टार्ट अप का कोई अंदाजा नहीं लगा सकता जी। ये पूरा additional benefit है देश को। हमारी बेटियां, Cutting-Edge Innovation से देश को समृद्धि की ओर ले जा रही हैं।

साथियों,

Innovation का ये Culture, विकसित भारत के निर्माण के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के बेहतर भविष्य के लिए भी बहुत जरूरी है। और मैं बहुत जिम्मेदारी के साथ कहता हूं, विश्व के बेहतर भविष्य की बात मैं कर रहा हूं। और मेरी ताकत पर नहीं आपके सामर्थ्य पर मेरा भरोसा है। भारत ने अपना ये विजन अपनी G-20 Presidency के दौरान भी स्पष्ट किया है। इसी premises में जी-20 समिट हुई। विश्व के सभी बड़े नेता कोविड के बाहर दुनिया को कहां ले जाना इसके लिए बैठे थे। और इसी मंडप में मेरे देश का यंग माइंड बैठा है, जो 2047 तक जाने का रास्ता तय करने वाला है। भारत ने Startup-20 के तहत, दुनिया भर के स्टार्ट अप इकोसिस्टम को एक साथ लाने का प्रयास किया है। इसी भारत मंडपम् में G20 के Delhi Declaration में पहली बार Startups को न सिर्फ Include किया गया, बल्कि उन्हें "Natural Engines Of Growth" भी माना गया। मैं जरूर कहूंगा की आप जी-20 का ये document जरूर देखें। यानि किस लेवल पर हम चीज को ले गए हैं। अब हम AI Technology से जुड़े एक नए युग में हैं। और आज दुनिया इस बात को मानकर चलती है कि एआई मतलब इंडिया का अपरहैंड रहने वाला है। ये दुनिया मान कर चल रही है। अब हमारा काम है मौका नहीं छोड़ना है। और मैं काफी मदद ले रहा हूं, एआई की आजकल। क्योंकि मुझे मालूम है मुझे election campaign में language की सीमाएं आती हैं तो मैं एआई की मदद तमिल में भी मेरी बात पहुंचा रहा हूं, तेलुगू में पहुंचा रहा हूं, उड़िया में पहुंचा रहा हूं। तो आप जैसे नौजवान ये काम करते हैं तो मेरा भी काम हो जाता है। पहले मैं देख रहा था कोई मुझे मिला था तो एक जमाना था, पहले ऑटोग्राफ मांगते थे, धीरे-धीरे फोटोग्राफ मांगने लगे, अब सेल्‍फी मांगने लगे हैं। अब तीनों मांग रहे हैं- सेल्‍फी चाहिए, ऑटोग्राफ चाहिए, फोटोग्राफ चाहिए। अब करें क्‍या। तो मैंने एआई वाली मदद ले ली, मैंने अपने नमो ऐप पर एक व्‍यवस्‍था खड़ी कर दी, अगर मैं यहां से गुजर रहा हूं और कहीं पर एक कोने पर आपका आधा चेहरा भी आ गया तो ये एआई की मदद से आप निकाल सकते हैं, मोदी के साथ मैं खड़ा हूं। आप लोग नमो ऐप पर जाएंगे तो फोटो बूथ है वहां से फोटो मिल जाएगी आपकी। जरूर आया होगा मैं यहां से गुजरा हूं तो।

साथियों,

इसलिए भारत के यंग इन्‍वेस्‍टर्स के लिए और ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स के लिए एआई एक ऐसा क्षेत्र अनगिनत नए अवसर लेकर आया है। नेशनल क्‍वांटम मिशन, इंडिया एआई मिशन, और सेमिकंडक्‍टर मिशन; ये सारे अभियान भारत के युवाओं के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोलेंगे। अभी कुछ महीने पहले मुझे अमेरिका की संसद को संबोधित करने के लिए उन्‍होंने बुलाया था, तो मैंने वहां एआई की चर्चा की। तो मैंने कहा, एआई दुनिया का भविष्‍य तय करने के लिए सामर्थ्‍यवान बनता जा रहा है। तो जितनी वहां समझ थी उतने हिसाब से तालियां बजीं। फिर मैंने कहा कि मेरा एआई का मतलब है अमेरिका-इंडिया तो पूरा सभागृह खड़ा हो गया।

साथियो,

लेकिन ये तो मैंने वहां पॉलिटिकल संदर्भ में कहा, लेकिन आज मैं जरूर मानता हूं कि एआई का सामर्थ्‍य, इसका नेतृत्‍व भारत के हाथ में ही रहेगा और रहना भी चाहिए। इंडियन सॉल्‍यूशंस फॉर ग्‍लोबल एप्‍लीकेशसं की भावना मुझे पक्‍का विश्‍वास है, बहुत बड़ी मदद करेगी। भारत के युवा इनोवेटर जिन प्रॉब्लम्‍स का सॉल्‍यूशन ढूंढेंगे, वो दुनिया के अनेक देशों की मदद करेगा। मैं पिछले दिनों कुछ एक प्रयोग करता रहता हूं। मैं दुनिया के कई देशों के साथ हमारे देश के बच्‍चों के हेकेथॉन करवाता हूं। तीस-चालीस घंटे ये बच्‍चे ऑनलाइन जुड़ करके हेकेथॉन करते हैं, मिक्‍स टीम बनती है, जैसे मानो सिंगापुर-इंडिया है तो सिंगापुर के बच्‍चे, इंडिया के बच्‍चे साथ में प्रॉब्‍लम सॉल्‍व करते हैं। मैंने देखा है कि भारत के बच्‍चों के साथ हेकेथॉन करने के लिए दुनिया में बहुत बड़ा आकर्षण पैदा हुआ है। फिर मैं उनको कहता हूँ कि यार तुम जमोगे नहीं उनके साथ, बोले साहब जमेंगे नहीं तो सीखेंगे तो। दरअसल, भारत में जो इनोवेश Tried और Tested होगा वो दुनिया की हर ज्‍योग्राफी और डेमाग्राफी में सक्‍सेसफुल होगा, क्‍योंकि हमारे यहां सब नमूने हैं। यहां रेगिस्‍तान भी मिलेगा, यहाँ बाढ़ वाला इलाका भी मिलेगा, यहां पर मीडियम पानी वाला भी है, यानी हर प्रकार की चीज आपको एक ही जगह पर सब मौजूद है। और इसलिए यहां जो सक्‍सेस हुआ, वो दुनिया में कहीं पर भी सक्‍सेस हो सकता है।

साथियों,

भारत लगातार इस विषय में फॉर्वर्ड प्लानिंग करते हुए चल रहा है। देश ने हज़ारों करोड़ रुपयों के नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाने का निर्णय लिया है। थोड़े समय पहले इसका निर्णय लिया गया आपने देखा होगा। और अंतरिम जो बजट हमने रखा था, हमारे देश में कुछ चीजों की चर्चा करने के लिए लोगों को फुरसत नहीं है क्‍योंकि फालतू चीजों में उनका टाइम बंट जाता है। इस अंतरिम बजट में, क्‍योंकि पूरा बजट तो अभी जब मैं दोबारा आऊंगा तब आएगा। इस अंतरिम बजट में बहुत बड़ा निर्णय हुआ है। मैं चाहता हूं कि देश के हर नौजवान को पता होना चाहिए। Research और innovation के लिए एक लाख करोड़ रुपए के फंड की घोषणा की गई है। इससे ‘sun-rise technology areas’ में लंबे समय तक चलने वाले रिसर्च प्रोजेक्ट्स में मदद मिलेगी। भारत ने डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन के लिए बेहतरीन कानून भी बनाया है। स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने के लिए जो भी कदम ज़रूरी है, वो सारे उठाए जा रहे हैं। अब देश फंडिंग का एक बेहतर मैकेनिज्म बनाने का भी प्रयास कर रहा है।

साथियों,

आज जो स्टार्ट-अप्स सफल हो रहे हैं, उन पर एक बड़ी जिम्मेदारी भी है। आपको ये तो ध्यान रखना है कि आपके आइडिया पर किसी ने भरोसा किया है तभी आप यहां पहुंचे हैं। इसलिए आपको भी एक नए आइडिया को सपोर्ट करना चाहिए। कोई तो था, जिसने आपका हा‍थ पकड़ा था, आप भी किसी का हाथ पकड़िए। क्या आप किसी Educational Institutions में युवाओं को प्रेरित करने के लिए Mentor के रूप में जा नहीं सकते? मान लीजिए आपने दस tinkering lab ले लिए। जाएंगे, उन बच्‍चों से बातें करेंगे, आपके आइडियाज, उनके आइडियाज, ये चर्चा करेंगे। Incubation centre पर जाएंगे। एक घंटा दीजिए, आधा घंटा दीजिए, मैं रुपये-पैसे देने की बात नहीं कर रहा हूं। देश की नई पीढ़ी से मिलिए दोस्‍तो, मजा आ जाएगा। आप कॉलेजों में, यूनिवर्सिटीज में Students से मिल करके उन्‍हें गाइड कर सकते हैं क्योंकि आपके पास कहने के लिए एक सक्‍सेस स्‍टोरी है। उसको सुनने के लिए युवा मन तैयार है। आपने खुद को साबित किया है, अब आपको दूसरे नौजवानों को दिशा दिखानी है। देश हर कदम पर आपके साथ है। मैं यहां दो और भी बात कहना चाहता हूं। ये जो मैं सरकार में काम करता हूं, थोड़ा अंदर की बात बताता हूं, मीडिया में नहीं जानी चाहिए। मैंने सरकार में एक बार कहा आ करके, नया-नया यहां आया था दिल्‍ली। यहां के कल्‍चर का ज्‍यादा पता नहीं था मुझे। मैं बाहर का व्‍यक्ति था। मैंने सरकार से कहा, ऐसा करो भाई तुम्‍हारे यहां ऐसे problem department में हैं जो लंबे समय से अटके पड़े हैं, लटके पड़े हैं। तुम लोग कोशिश कर रहे हो लेकिन solution नहीं आ रहा है। ऐसे identify करो। और मैं देश के नौजवानों को एक problem दूंगा, उनको कहूंगा हेकेथॉन करो और इसका मुझे solution दो। तो खैर, हमारे बाबू लोग तो बहुत पढ़े-लिखे रहते हैं, बोले साहब कोई जरूरत नहीं है, हमारा बीस-बीस साल का अनुभव है। अरे- मैंने कहा यार भई क्‍या जाता है। शुरू में मुझे बहुत resistance था क्‍योंकि कोई मानने के ही तैयार नहीं था कि हमारे यहां कोई अटका हुआ है, हमारे यहां कोई लटका हआ है, हमारे यहां रुका हुआ है; कोई मान ही नहीं रहा था; सब कह रहे थे साहब बहुत बढ़िया चल रहा है।

अरे मैंने कहा, भई बढ़िया चल रहा है तभी तो value addition होगा। अगर नहीं होगा तो वो देखेगा कि क्‍या बढ़िया है, जाने दो ना बाहर। खैर, बड़ी मुश्किल से सब डिपार्टमेंट ने मुझे..मैं बहुत पीछे पड़ गया तो निकाल-निकाल करके दिया कि साहब ये एक समस्‍या है। तो टोटल लगाया तो कुल 400 निकलीं। अब वो तो शायद मुझे लगता है .1 पर्सेंट भी नहीं बताया होगा। मैंने देश के नौजवानों का हेकेथॉन किया और उनको ये समस्‍याएं दे दीं। मैंने कहा- इसका solution लेकर आओ। आप हैरान हो जाएंगे जी कि इतने बढ़िया solutions दिए उन्‍होंने, way out दिए उन्‍होंने और कई 70-80 पर्सेंट आइडियाज उन बच्‍चों के सरकार ने adopt कर लिए। फिर स्थिति ये बनी कि हमारे डिपार्टमेंट मुझे पूछने लगे, साहब इस साल हेकेथॉन कब होगा। उनको लगा कि भाई अब solution तो यहीं पर मिलेगा।

यानी कहने का तात्‍पर्य है कि इनके पास जो मिलते हैं बच्‍चे बैठते हैं, बहुत चीजें निकाल कर लाते हैं। और ये 18, 20, 22 साल के नौजवान हैं जी। मैं कहूंगा, ये जो हमारे बिजनेस के जो सीआईआई है, फिक्‍की है, एसोचैम है, मैं उनको कहता हूं कि वो अपनी-अपनी इंडस्‍ट्री की problem identify करें। Problem identify करके वे ये स्‍टार्टअप का हेकेथॉन करें। और उनको problem दें। मैं पक्‍का मानता हूं ये बहुत बढ़िया solution लाकर देंगे आपको। उसी प्रकार से मैं MSMEs के लोगों को कहूंगा कि आप अपने problems निकालिए, technical hurdles होंगे, समय बहुत ज्‍यादा होगा, smoothness नहीं होगी manufacturing में, defective production होता होगा, बहुत सी चीजें होंगी। आप देश के students के पास जाइए, उनका हेकेथॉन आप करिए। MSMEs के लोग खुद और सरकार को कहीं पर मत रखिए। हम ये दो एरिया में अगर मेहनत शुरू करें तो देश का young talent हमें बहुत सारी समस्‍याओं का समाधान देंगे और हमारी young talent को इसमें से आइडिया मिलेगा कि हां, ये भी क्षेत्र हैं जहां मैं काम कर सकता हूं। हमें इस स्थिति में जाना चाहिए और मैं मानता हूं कि र्स्‍टाटअप महाकुंभ में से कुछ actionable point निकलने चाहिए। उन actionable point को हम ले करके आगे चलें। और मैं आपको वादा करता हूं, अभी एक, डेढ़-दो महीने मैं जरा और काम में व्‍यस्‍त हूं, लेकिन इसके बाद मैं आपके लिए available हूं। मैं यही चाहूंगा कि आप आगे बढ़ें, नए स्टार्ट अप बनाएं, खुद की भी मदद करें, दूसरों की मदद करें। आप इनोवेशन जारी रखें, इनोवेटर्स को अपना सहयोग जारी रखें। आपकी Aspirations ही भारत की Aspirations हैं।

भारत को 11वें नंबर से 5वें नंबर की इकॉनॉमिक बना दिया और इसमें बहुत बड़ी भूमिका मेरे देश के नौजवान की है, आपकी है। अब भारत को, और मैंने दुनिया, हिन्‍दुस्‍तान को गारंटी दी है कि मेरे तीसरे टर्म में मैं देश को दुनिया की तीसरी बड़ी इकॉनॉमी बना करके रहूंगा। और ये जंप जो है उसमें स्टार्ट-अप्स की बड़ी भूमिका होगी, मैं देख सकता हूं ये।

साथियों,

मुझे अच्‍छा लगा, आप सबसे गप्‍पे-गोष्‍ठी करने का। आप सब नौजवानों से, आपका उत्‍साह, उमंग, मेरे में भी एक नई ऊर्जा भर देता है।

बहुत-बहुत शुभकामनाएं !

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।