प्रधानमंत्री ने 11 खंडों की पहली श्रृंखला जारी की
"पण्डित मदन मोहन मालवीय की संपूर्ण पुस्तक का लोकार्पण अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है"
"आधुनिक सोच और सनातन संस्कृति के संगम थे महामना"
"मालवीय जी के विचारों की खुशबू हमारी सरकार के कामकाज में महसूस की जा सकती है"
"महामना को भारत रत्न से सम्मानित करना हमारी सरकार का सौभाग्य"
"शिक्षा पर मालवीय जी के प्रयास देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी झलकते हैं"
"सुशासन का अर्थ सत्ता-केन्द्रित के बजाय सेवा-केन्द्रित होना है"
"भारत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के कई संस्थानों का निर्माता बन रहा है"

मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्री अनुराग ठाकुर जी, अर्जुन राम मेघवाल जी, महामना सम्पूर्ण वाङ्ग्मय के प्रधान संपादक मेरे बहुत पुराने मित्र राम बहादुर राय जी, महामना मालवीय मिशन के अध्यक्ष प्रभु नारायण श्रीवास्तव जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ साथी, देवियों और सज्जनों,

सर्वप्रथम आप सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएं। आज का दिन भारत और भारतीयता में आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों के लिए एक प्रेरणा पर्व की तरह होता है। आज महामना मदन मोहन मालवीय जी की जन्म जयंती है। आज अटल जी की भी जयंती है। मैं आज के इस पावन अवसर पर महामना मालवीय जी के श्री चरणों में प्रणाम करता हूँ। अटल जी को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं। अटल जी की जयंती के उपलक्ष्य में आज देश Good Governance Day - सुशासन दिवस के रूप में मना रहा है। मैं समस्त देशवासियों को सुशासन दिवस की भी बधाई देता हूं।

साथियों,

आज के इस पवित्र अवसर पर पण्डित मदनमोहन मालवीय सम्पूर्ण वाङ्ग्मय का लोकार्पण होना अपने आपमें बहुत महत्वपूर्ण है। ये सम्पूर्ण वाङ्ग्मय, महामना के विचारों से, आदर्शों से, उनके जीवन से, हमारी युवा पीढ़ी को और हमारी आने वाली पीढ़ी को परिचित कराने का एक सश्क्त माध्यम बनेगा। इसके जरिए, भारत के स्वतन्त्रता संग्राम और तत्कालीन इतिहास को जानने समझने का एक द्वार खुलेगा। खासकर, रिसर्च स्कॉलर्स के लिए, इतिहास और राजनीति विज्ञान के छात्रों के लिए, ये वाङ्ग्मय किसी बौद्धिक खजाने से कम नहीं है। BHU की स्थापना से जुड़े प्रसंग, कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ उनका संवाद, अंग्रेजी हुकूमत के प्रति उनका सख्त रवैया, भारत की प्राचीन विरासत का मान...इन पुस्तकों में क्या कुछ नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात कि इनमें से एक Volume जिसका राम बहादूर राय जी ने उल्लेख किया, महामना की निजी डायरी से जुड़ा है। महामना की डायरी समाज, राष्ट्र और आध्यात्म जैसे सभी आयामों में भारतीय जनमानस का पथप्रदर्शन कर सकती है।

साथियों, मुझे पता है इस काम के लिए मिशन की टीम और आप सब लोगों की कितने वर्षों की साधना लगी है। देश के कोने-कोने से मालवीय जी के हजारों पत्रों और दस्तावेजों की खोज करना, उन्हें कलेक्ट करना, कितने ही अभिलेखागारों में समुद्र की तरह गोते लगाकर एक-एक कागज को खोजकर लाना, राजा-महाराजाओं के पर्सनल कलेक्शन्स से पुराने कागजों को एकत्र करना, ये किसी भगीरथ कार्य से कम नहीं है। इस अगाध परिश्रम का ही परिणाम है कि महामना का विराट व्यक्तित्व 11 खंडों के इस सम्पूर्ण वाङ्ग्मय के रूप में हमारे सामने आया है। मैं इस महान कार्य के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को, महामना मालवीय मिशन को, और राम बहादुर राय जी को और उनकी टीम को हृदय से बधाई देता हूँ। इसमें कई पुस्तकालय के लोगों का, महामना से जुड़े रहे लोगों के परिवारों का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है। मैं उन सब साथियों का भी हृदय से अभिनंदन करता हूँ।

मेरे परिवारजनों,

महामना जैसे व्यक्तित्व सदियों में एक बार जन्म लेते हैं। और आने वाली कई सदियाँ तक हर पल, हर समय उनसे प्रभावित होते हैं। भारत की कितनी ही पीढ़ियों पर महामना जी का ऋण है। वो शिक्षा और योग्यता में उस समय के बड़े से बड़े विद्वानों की बराबरी करते थे। वो आधुनिक सोच और सनातन संस्कारों के संगम थे! उन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम में जितनी बड़ी भूमिका निभाई, उतना ही सक्रिय योगदान देश की आध्यात्मिक आत्मा को जगाने में भी दिया! उनकी एक दृष्टि अगर वर्तमान की चुनौतियों पर थी तो दूसरी दृष्टि भविष्य निर्माण में लगी थी! महामना जिस भूमिका में रहे, उन्होंने ‘Nation First’ ‘राष्ट्र प्रथम’ के संकल्प को सर्वोपरि रखा। वो देश के लिए बड़ी से बड़ी ताकत से टकराए। मुश्किल से मुश्किल माहौल में भी उन्होंने देश के लिए संभावनाओं के नए बीज बोये। महामना के ऐसे कितने ही योगदान हैं, जो सम्पूर्ण वाङ्ग्मय के 11 खंडों के जरिए अब प्रामाणिक रूप से सामने आएंगे। इसे मैं अपनी सरकार का सौभाग्य समझता हूं कि हमने उन्हें भारत रत्न दिया। और मेरे लिए तो महामना एक और वजह से बहुत खास हैं। उनकी तरह मुझे भी ईश्वर ने काशी की सेवा का मौका दिया है। और मेरा ये भी सौभाग्य है कि 2014 में चुनाव लड़ने के लिए मैंने जो नामांकन भरा उसको प्रपोज करने वाले मालवीय जी के परिवार के सदस्य थे। महामना की काशी के प्रति अगाध आस्था थी। आज काशी विकास की नई ऊंचाइयों को छू रही है, अपनी विरासत के गौरव को पुनर्स्थापित कर रही है।

मेरे परिवारजनों,

आजादी के अमृतकाल में देश गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाकर, अपनी विरासत पर गर्व करते हुए आगे बढ़ रहा है। हमारी सरकारों के कार्यों में भी आपको कहीं ना कहीं मालवीय जी के विचारों की महक महसूस होगी। मालवीय जी ने हमें एक ऐसे राष्ट्र का विज़न दिया था, जिसके आधुनिक शरीर में उसकी प्राचीन आत्मा सुरक्षित रहे, संरक्षित रहे। जब अंग्रेजों के विरोध में देश में शिक्षा के बायकॉट की बात उठी, तो मालवीय जी उस विचार के खिलाफ खड़े हुए, वो उस विचार के खिलाफ थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के बायकॉट की जगह हमें भारतीय मूल्यों में रची स्वतंत्र शिक्षा व्यवस्था तैयार करने की दिशा में जाना चाहिए। और मजा देखिए, इसका जिम्मा भी उन्होंने खुद ही उठाया, और देश को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के रूप में एक गौरवशाली संस्थान दिया। उन्होंने ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसे संस्थानों में पढ़ रहे युवाओं को बीएचयू में आने के लिए प्रोत्साहित किया। महामना इंग्लिश के महान विद्वान होने के बावजूद भारतीय भाषाओं के प्रबल पक्षधर थे। एक समय था जब देश की व्यवस्था में, न्यायालयों में फारसी और अंग्रेजी भाषा ही हावी थी। मालवीय जी ने इसके खिलाफ भी आवाज़ उठाई थी। उनके प्रयासों से नागरी लिपि चलन में आई, भारतीय भाषाओं को सम्मान मिला। आज देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी, मालवीय जी के इन प्रयासों की झलक मिलती है। हमने भारतीय भाषाओं में हायर एजुकेशन की नई शुरुआत की है। सरकार आज कोर्ट में भी भारतीय भाषाओं में कामकाज को प्रोत्साहित कर रही है। दुख इस बात का है इस काम के लिए देश को 75 साल इंतजार करना पड़ा।

साथियों,

किसी भी राष्ट्र के सशक्त होने में उस राष्ट्र की संस्थाओं का भी उतना ही महत्व होता है। मालवीय जी ने अपने जीवन में ऐसी अनेक संस्थाएं बनाईं जहां राष्ट्रीय व्यक्तित्वों का निर्माण हुआ। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के बारे में तो सारी दुनिया जानती है। इसके साथ ही महामना ने और भी कई संस्थान बनाए। हरिद्वार में ऋषिकुल ब्रह्मचर्याश्रम हो, प्रयागराज में भारती भवन पुस्तकालय हो, या लाहौर में सनातन धर्म महाविद्यालय की स्थापना हो, मालवीय जी ने राष्ट्र निर्माण की अनेक संस्थाओं को देश को समर्पित किया। अगर हम उस दौर से तुलना करें, तो पाते हैं आज एक बार फिर भारत, राष्ट्र निर्माण की एक से बढ़कर एक संस्थाओं का सृजन कर रहा है। सहकारिता की शक्ति से देश के विकास को गति देने के लिए अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया गया है। भारतीय चिकित्सा पद्धति के विकास के लिए केंद्र सरकार ने अलग आयुष मंत्रालय की स्थापना की है। जामनगर में WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की आधारशिला भी रखी गई है। श्री अन्न यानि मिलेट्स पर शोध के लिए हमने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च का गठन किया है। ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक विषयों पर चिंतन के लिए भारत ने बीते दिनों ग्लोबल बायो फ्यूल अलायंस भी बनाया है। International Solar Alliance हो या Coalition for Disaster Resilient Infrastructure की बात हो, ग्लोबल साउथ के लिए DAKSHIN का गठन हो या फिर India-Middle East-Europe Economic Corridor, स्पेस सेक्टर के लिए In-space का निर्माण हो या फिर नौसेना के क्षेत्र में SAGAR Initiative हो, भारत आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की कई संस्थाओं का निर्माता बन रहा है। ये संस्थान, ये संस्थाएं 21वीं सदी के भारत ही नहीं बल्कि 21वीं सदी के विश्व को नई दिशा देने का काम करेंगे।

साथियों,

महामना और अटल जी, दोनों एक ही विचार प्रवाह से जुड़े थे। महामना के लिए अटल जी ने कहा था- ‘जब कोई व्यक्ति सरकारी मदद के बिना कुछ करने के लिए निकलेगा, तो महामना का व्यक्तित्व, उनका कृतित्व, एक दीपशिखा की तरह उसका मार्ग आलोकित करेगा’। आज देश उन सपनों को पूरा करने में जुटा है जिसका सपना मालवीय जी ने, अटल जी ने, देश के हर स्वतंत्रता सेनानी ने देखा था। इसका आधार हमने सुशासन को बनाया है, गुड गवर्नेंस को बनाया है। गुड गवर्नेंस का मतलब होता है जब शासन के केंद्र में सत्ता नहीं, सत्ताभाव नहीं सेवाभाव हो। जब साफ नीयत से, संवेदनशीलता के साथ नीतियों का निर्माण हो... और जब हर हकदार को बिना किसी भेदभाव के उसका पूरा हक मिले। गुड गवर्नेंस का यही सिद्धांत आज हमारी सरकार की पहचान बन चुका है।

हमारी सरकार का निरंतर प्रयास रहा है कि देश के नागरिक को मूल सुविधाओं के लिए यहां-वहां चक्कर काटने की जरूरत न पड़े। बल्कि सरकार, आज हर नागरिक के पास खुद जाकर उसे हर सुविधा दे रही है। और अब तो हमारी कोशिश है कि ऐसी हर सुविधा का सैचुरेशन हो, 100 पर्सेंट implement करें। इसके लिए, देशभर में विकसित भारत संकल्प यात्रा चलाई जा रही है। आपने भी देखा होगा, मोदी की गारंटी वाली गाड़ी, देश के गांवों और शहरों तक पहुंच रही है। लाभार्थियों को मौके पर ही अनेक योजनाओं का लाभ मिल रहा है। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। आज केंद्र सरकार, हर गरीब को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड देती है। बीते वर्षों में करोड़ों गरीबों को ये कार्ड दिए गए थे। लेकिन बावजूद इसके, कई क्षेत्रों में जागरूकता की कमी की वजह से गरीबों को ये आयुष्मान कार्ड पहुंच नहीं पाए थे। अब मोदी की गारंटी वाली गाड़ी ने सिर्फ 40 दिन के भीतर देश में एक करोड़ से अधिक नए आयुष्मान कार्ड बनाए हैं, उनको खोजा है, उनको दिया है। कोई भी छूटे नहीं...कोई भी पीछे रहे नहीं...सबका साथ हो, सबका विकास हो...यही तो सुशासन है, यही तो गुड गवर्नेंस है।

साथियों,

सुशासन का एक और पहलू है, ईमानदारी और पारदर्शिता। हमारे देश में एक धारणा बन गई थी कि बड़े-बड़े घोटालों और घपलों के बिना सरकारें चल ही नहीं सकतीं। 2014 से पहले, हम लाखों करोड़ रुपए के घोटालोँ की चर्चाएं सुनते थे। लेकिन हमारी सरकार ने, उसके सुशासन ने आशंकाओं से भरी उन अवधारणाओं को भी तोड़ दिया है। आज लाखों करोड़ रुपए की गरीब कल्याण की योजनाओं की चर्चा होती है। गरीबों को मुफ्त राशन की योजना पर हम 4 लाख करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं। गरीबों को पक्के घर देने के लिए भी हमारी सरकार 4 लाख करोड़ रुपए खर्च कर रही है। हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए भी 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जा रहे हैं। ईमानदार टैक्सपेयर की पाई-पाई जनहित में, राष्ट्रहित में लगाई जाए...यही तो गुड गवर्नेंस है।

और साथियों,

जब इस तरह ईमानदारी से काम होता है, नीतियां बनती हैं तो उसका नतीजा भी मिलता है। इसी गुड गवर्नेंस का नतीजा है कि हमारी सरकार के सिर्फ 5 वर्षों में ही साढ़े 13 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।

साथियों,

संवेदनशीलता के बिना गुड गवर्नेंस की कल्पना नहीं कर सकते। हमारे यहां 110 से अधिक जिले ऐसे थे, जिन्हें पिछड़ा मानकर अपने हाल पर छोड़ दिया गया था। कहा जाता था क्योंकि ये 110 जिले पिछड़े हैं, इसलिए देश भी पिछड़ा रहेगा। जब किसी अफसर को पनिशमेंट पोस्टिंग देनी होती थी, तो इन जिलों में भेजा जाता था। मान लिया गया था कि इन 110 जिलों में कुछ नहीं बदल सकता। इस सोच के साथ ना ये जिले कभी आगे बढ़ पाते और ना ही देश विकास कर पाता। इसलिए हमारी सरकार ने इन 110 जिलों को आकांक्षी जिलों- Aspiration District की पहचान दी। हमने मिशन मोड पर इन जिलों के विकास पर फोकस किया। आज यहीं आकांक्षी जिले विकास के अनेक पैरामीटर्स पर दूसरे जिलों से कहीं बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी स्पिरिट को आगे बढ़ाते हुए आज हम आकांक्षी ब्लॉक्स प्रोग्राम पर काम कर रहे हैं।

साथियों,

जब सोच और अप्रोच बदलती है, तो परिणाम भी मिलते हैं। दशकों तक बॉर्डर के हमारे गांवों को आखिरी गांव माना गया। हमने उन्हें देश के पहले गांव होने का विश्वास दिया। हमने सीमावर्ती गांवों में वाइब्रेंट विलेज योजना शुरू की। आज सरकार के अधिकारी,मंत्री वहां जा रहे हैं, लोगों से मिल रहे हैं। मेरी केबिनेट के मंत्रियों को मैंने compulsory किया था, कि जिसको अब तक आखिरी गांव कहा गया था, जिसको मैं पहला गांव कहता हूं, वहां उनको रात्रि विश्राम करना है और गए। कोई तो 17 – 17 हजार फिट ऊंचाई पर गए।

आज सरकार की योजनाओं का लाभ और तेजी से वहां पहुंच रहा है। ये गुड गवर्नेंस नहीं तो और क्या है? आज देश में कोई भी दुखद हादसा हो, कोई आपदा हो, सरकार तेज़ गति से राहत और बचाव में जुट जाती है। ये हमने कोरोना काल में देखा है, ये हमने यूक्रेन युद्ध के समय देखा है। दुनिया में कहीं भी मुश्किल हो तो देश अपने नागरिकों को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर काम करता है। गुड गवर्नेंस के मैं ऐसे ही अनेक उदाहरण दे सकता हूं। शासन में आया ये बदलाव, अब समाज की सोच को भी बदल रहा है। इसलिए आज भारत में जनता और सरकार के बीच भरोसा ये नई बुलंदी पर है। यही भरोसा, देश के आत्मविश्वास में झलक रहा है। और यही आत्मविश्वास, आज़ादी के अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण की ऊर्जा बन रहा है।

साथियों,

आज़ादी के अमृतकाल में हमें महामना और अटल जी के विचारों को कसौटी मानकर विकसित भारत के सपने के लिए काम करना है। मुझे विश्वास है, देश का प्रत्येक नागरिक संकल्प से सिद्धि के इस मार्ग पर अपना पूरा योगदान देगा। इसी कामना के साथ, फिर एक बार महामना के श्री चरणों में प्रणाम करते हुए मैं मेरी वाणी को विराम देता हूं, बहुत-बहुत धन्यवाद!

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
Modi blends diplomacy with India’s cultural showcase

Media Coverage

Modi blends diplomacy with India’s cultural showcase
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।