10 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि अंतरित
प्रधानमंत्री ने लगभग 351 एफपीओ 14 करोड़ रुपये से अधिक का इक्विटी अनुदान भी जारी किया; इससे 1.24 लाख से अधिक किसान लाभान्वित होंगे
"देश के छोटे किसानों के बढ़ते हुए सामर्थ्य को संगठित रूप देने में हमारे किसान उत्पाद संगठनों- एफपीओ की बड़ी भूमिका है"
"देश के किसान का आत्मविश्वास देश का सबसे बड़ा सामर्थ्य है"
"बीते साल के अपने प्रयासों से प्रेरणा लेकर हमें नए संकल्पों की तरफ बढ़ना है"
“राष्ट्र के लिए निरंतर प्रयास ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ, आज हर भारतीय का मनोभाव बन रहा है और इसलिए ही, आज हमारे प्रयासों में एकजुटता है, हमारे संकल्पों में सिद्धि की अधीरता है। आज हमारी नीतियों में निरंतरता है, हमारे निर्णयों में दूरदर्शिता है"
“पीएम किसान सम्मान निधि भारत के किसानों के लिए एक बड़ा समर्थन है। आज जारी किस्त को भी शामिल कर लें तो 1.80 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर किए जा चुके हैं”

उपस्थित सभी आदरणीय महानुभाव, सबसे पहले तो मैं माता वैष्णो देवी परिसर में हुए दुखद हादसे पर शोक व्यक्त करता हूं। जिन लोगों ने भगदड़ में, अपनों को खोया है, जो लोग घायल हुए हैं, मेरी संवेदनाएं उनके साथ हैं। केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन के लगातार संपर्क में है। मेरी लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा जी से भी बात हुई है। राहत के काम का, घायलों के उपचार का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

भाइयों-बहनों,

इस कार्यक्रम में हमारे साथ जुड़े केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी गण, अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री गण, राज्यों के कृषि मंत्री, अन्य महानुभाव और देश के कोने-कोने से जुड़े मेरे करोड़ों किसान भाइयों और बहनों, भारत में रह रहे, भारत से बाहर रह रहे प्रत्येक भारतीय, भारत के प्रत्येक शुभचिंतक और विश्व समुदाय को वर्ष 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं।

साल की शुरुआत देश के करोड़ों अन्नदाताओं के साथ हो, साल के प्रारंभ में ही मुझे देश के कोने-कोने में हमारे किसानो के दर्शन करने का सौभाग्‍य मिले, ये अपने-आप में मेरे लिए बहुत बड़े प्रेरणा के पल हैं। आज देश के करोड़ों किसान परिवारों को, विशेषकर छोटे किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 10वीं किस्त मिली है। किसानों के बैंक खातों में 20 हजार करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। आज हमारे किसान उत्पाद संगठन- Farmers Produce Organisations, इससे जुड़े किसानों को आर्थिक सहायता भी भेजी गई है। सैकड़ों FPOs आज नई शुरुआत कर रहे हैं।

साथियों,

हमारे यहाँ कहते हैं- ''आमुखायाति कल्याणं कार्यसिद्धिं हि शंसति''।

अर्थात्, सफल शुरुआत कार्य सिद्धि की, संकल्पों की सिद्धि की पहले ही घोषणा कर देती है। एक राष्ट्र के रूप में हम 2021 के बीते साल को उसी रूप में देख सकते हैं। 2021, सौ साल में आई सबसे बड़ी महामारी से मुकाबला करते हुए कोटि-कोटि भारतीयों के सामूहिक सामर्थ्य, देश ने क्‍या करके दिखाया, इसके हम सब साक्षी हैं। आज जब हम नव वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, तब बीते साल के अपने प्रयासों से प्रेरणा लेकर हमें नए संकल्पों की तरफ बढ़ना है।

इस साल हम अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे करेंगे। ये समय देश के संकल्पों की एक नई जीवंत यात्रा शुरू करने का है, नए हौसले से आगे बढ़ने का है। 2021 में हम भारतीयों ने पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि जब हम ठान लेते हैं तो बड़े से बड़ा लक्ष्य, छोटा हो जाता है। कौन सोच सकता था कि इतने कम समय में भारत जैसा इतना विशाल देश, विविधताओं से भरा देश, 145 करोड़ वैक्सीन डोज दे पाएगा? कौन सोच सकता था कि भारत एक दिन में ढाई करोड़ वैक्सीन डोज का रिकॉर्ड बना सकता है? कौन सोच सकता था कि भारत एक साल में 2 करोड़ घरों को पाइप से पानी की सुविधा से जोड़ सकता है?

भारत इस कोरोना काल में अनेकों महीनों से अपने 80 करोड़ नागरिकों को मुफ्त राशन सुनिश्चित कर रहा है। और मुफ्त राशन की सिर्फ इस योजना पर ही भारत 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर चुका है। मुफ्त अनाज की इस योजना का बहुत बड़ा लाभ गांव को, गरीब को, गांव में रहने वाले हमारे किसान साथियों को मिला है, खेत-मजदूरों को मिला है।

साथियों,

हमारे यहां ये भी कहा गया है- संघे शक्ति कलौ युगे।

यानि इस युग में संगठन से ही शक्ति होती है। संगठित शक्ति, यानि की सबका प्रयास, संकल्प को सिद्धि तक ले जाने का मार्ग। जब 130 करोड़ भारतीय मिलकर एक कदम आगे बढ़ते हैं, तो वो सिर्फ एक कदम भर नहीं होता, 130 करोड़ कदम होते हैं। हम भारतीयों का स्वभाव रहा है कि कुछ ना कुछ अच्छा करके हमें एक अलग सुकून मिलता है। लेकिन जब ये अच्छा करने वाले एकत्र होते हैं, बिखरे हए मोतियों की माला बनती है, तो भारत माता दैदिप्यमान हो जाती है। कितने ही लोग देश के लिए अपना जीवन खपा रहे हैं, देश को बना रहे हैं। ये काम पहले भी करते थे, लेकिन उन्‍हें पहचान देने का काम अभी हुआ है। हर भारतीय की शक्ति आज सामूहिक रूप में परिवर्तित होकर देश के विकास को नई गति और नई ऊर्जा दे रही है। जैसे इन दिनों जब हम पद्म पुरुस्कारों से सम्मानित लोगों के नाम देखते हैं, उनके चेहरे देखते हैं, तो आनंद से भर जाते हैं। सबके प्रयास से ही आज भारत कोरोना जैसी इतनी बड़ी महामारी का मुकाबला कर रहा है।

भाइयों और बहनों,

कोरोना के इस काल में, देश में हेल्थ सेक्टर को और मजबूत करने, हेल्थ इंफ्रा को और बढ़ाने पर भी निरंतर काम किया गया है। 2021 में देश में सैकड़ों नए ऑक्सीजन प्लांट्स बनाए गए हैं, हजारों नए वेंटिलेटर्स जोड़े गए हैं। 2021 में देश में अनेकों नए मेडिकल कॉलेज बने, दर्जनों मेडिकल कॉलेजों पर काम शुरू हुआ है। 2021 में देश में हजारों वेलनेस सेंटर्स का भी निर्माण किया गया है। आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन देश के जिले-जिले, ब्लॉक-ब्लॉक तक अच्छे अस्पतालों, अच्छी टेस्टिंग लैब का नेटवर्क सशक्त करेगा। डिजिटल इंडिया को नई ताकत देते हुए, आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन देश में स्वास्थ्य सुविधाओं को और सुलभ, और प्रभावी बनाएगा।

भाइयों और बहनों,

आज बहुत से इकॉनॉमिक इंडीकेटर्स उस समय से भी अच्छा कर रहे हैं, जब कोरोना हमारे बीच नहीं था। आज हमारी अर्थव्यवस्था की विकास दर 8 प्रतिशत से भी ज्यादा है। भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश आया है। हमारा विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है। GST कलेक्शन में भी पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। निर्यात और विशेषकर कृषि के मामले में भी हमने नए प्रतिमान स्थापित किए हैं।

साथियों,

आज हमारा देश, अपनी विविधता और विशालता के अनुरूप ही, हर क्षेत्र में विकास के भी विशाल कार्तिमान बना रहा है। 2021 में भारत ने करीब-करीब 70 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन सिर्फ UPI से किया है, डिजिटल ट्रांजेक्‍शन किया है। आज भारत में 50 हजार से ज्यादा स्टार्ट-अप्स काम कर रहे हैं। इनमें से 10 हजार से ज्यादा स्टार्ट्स अप्स तो पिछले 6 महीने में बने हैं। 2021 में भारत के नौजवानों ने कोरोना के इस कालखंड में भी 42 यूनिकॉर्न बनाकर, एक नया इतिहास रच दिया है। मैं अपने किसान भाई-बहनों को बताना चाहता हूं कि ये एक-एक यूनिकॉर्न, ये करीब सात हजार करोड़ रुपए से भी अधिक मूल्य का स्टार्ट अप है। इतने कम समय में इतनी प्रगति, आज भारत के नौजवानों की सफलता की नई गाथा लिख रही है।

और साथियों,

आज जहां भारत एक ओर अपना स्टार्ट अप इकोसिस्टम मजबूत कर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर अपनी संस्कृति को भी उतने ही गर्व से सशक्त कर रहा है। काशी विश्वनाथ धाम सुंदरीकरण परियोजना से लेकर केदारनाथ धाम की विकास परियोजनाओं तक, आदि शंकराचार्य की समाधि के पुनर्निमाण से लेकर मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा समेत भारत से चोरी हुई सैकड़ों मूर्तियों को वापस लाने तक, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से लेकर धोलावीरा और दुर्गा पूजा उत्सव को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा मिलने तक, भारत के पास इतना कुछ है। देश के प्रति पूरी दुनिया का आकर्षण है। और अब जब हम अपनी इन धरोहरों को मजबूत करने में लगे हैं तो निश्चित तौर पर टूरिज्म भी बढ़ेगा और तीर्थाटन भी बढ़ेगा।

साथियों,

भारत अपने युवाओं के लिए, अपने देश की महिलाओं के लिए आज अभूतपूर्व कदम उठा रहा है। 2021 में भारत ने अपने सैनिक स्कूलों को बेटियों के लिए खोल दिया। 2021 में भारत ने नेशनल डिफेंस एकेडमी के द्वार भी महिलाओं के लिए खोल दिए हैं। 2021 में भारत ने बेटियों की शादी की उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल यानि बेटों के बराबर करने का भी प्रयास शुरू किया। आज भारत में पहली बार पीएम आवास योजना की वजह से करीब-करीब 2 करोड़ महिलाओं को घर पर उनका मालिकाना हक भी मिला है। हमारे किसान भाई-बहन, हमारे गांव के साथी समझ सकते हैं कि ये कितना बड़ा काम हुआ है।

साथियों,

2021 में हमने भारतीय खिलाड़ियों में एक नया आत्मविश्वास भी देखा है। भारत में खेलों के प्रति आकर्षण बढ़ा है, एक नए युग की शुरुआत हुई है। हम में से हर कोई खुश था जब भारत ने टोक्यो ओलंपिक्स में इतने मेडल जीते। हम में हर कोई गर्व से भरा था, जब हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों ने पैरालंपिक में इतिहास रच दिया। पैरालंपिक के इतिहास में भारत ने अब तक जितने मेडल जीते थे, उससे ज्यादा मेडल हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों ने पिछले पैरालंपिक में जीतकर दिखाए हैं। भारत आज अपने स्पोर्ट्स पर्सन्स और स्पोर्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर जितना निवेश कर रहा है, उतना पहले कभी नहीं किया गया। कल ही मैं मेरठ में एक और स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी का शिलान्यास करने जा रहा हूं।

साथियों,

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से लेकर स्थानीय निकायों तक में भारत ने अपनी नीतियों और निर्णयों से अपना सामर्थ्य सिद्ध किया है। भारत ने 2016 में ये लक्ष्य रखा था कि वो साल 2030 तक, अपनी installed electricity capacity का 40 प्रतिशत, Non-Fossil Energy Sources से पूरा करेगा। भारत ने अपना ये लक्ष्य, 2030 का जो लक्ष्‍य था, वो नवंबर 2021 में ही प्राप्त कर लिया। क्लाइमेट चेंज के खिलाफ विश्व का नेतृत्व करते हुए भारत ने 2070 तक नेट जीरो कार्बन एमिशन का भी लक्ष्य दुनिया के सामने रखा है। आज भारत हाइड्रोजन मिशन पर काम कर रहा है, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर Lead ले रहा है। देश में करोड़ों Led बल्ब वितरित करने से, हर साल गरीबों के, मध्यम वर्ग के करीब-करीब 20 हजार करोड़ रुपए, बिजली बिल में कम आए हैं। देशभर के शहरों में स्थानीय निकायों द्वारा स्ट्रीट लाइट्स को भी LED से बदलने का अभियान चलाया जा रहा है। और मेरे किसान भाई हमारे अन्नदाता, ऊर्जादाता बनें, इसके लिए भी भारत बहुत बड़ा अभियान चला रहा है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत किसान खेतों के किनारे सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा पैदा कर सकें इसके लिए भी उन्हें मदद दी जा रही है। लाखों किसानों को सरकार द्वारा सोलर पंप भी दिए गए हैं। इससे पैसे की भी बचत हो रही है और पर्यावरण की भी रक्षा हो रही है।

साथियों,

2021 का वर्ष कोरोना के खिलाफ देश की मजबूत लड़ाई की वजह से याद रखा जाएगा, तो इस दौरान भारत ने जो Reforms किए उनकी भी चर्चा अवश्य होगी। बीते साल भारत ने आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और रिफॉर्म की प्रक्रिया को और तेज गति से आगे बढ़ाया है। सरकार का दखल कम हो, हर भारतीय का सामर्थ्य निखरे, और सबके प्रयास से राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति हो, इसी प्रतिबद्धता से उसी को सशक्त किया जा रहा है। व्यापार-कारोबार को आसान बनाने के लिए बीते साल भी अनेक निर्णय लिए गए।

पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान देश में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण की गति को नई धार देने वाला है। मेक इन इंडिया को नए आयाम देते हुए देश ने चिप निर्माण, सेमीकंडक्टर जैसे नए सेक्टर के लिए महत्वकांक्षी योजनाएं लागू की है। बीते साल ही रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए देश को 7 रक्षा कंपनियां मिली हैं। हमने पहली प्रोग्रेसिव ड्रोन पॉलिसी भी लागू की है। अंतरिक्ष में देश की आकांक्षाओं को नई उड़ान देते हुए, Indian space association का गठन किया गया है।

साथियों,

डिजिटल इंडिया अभियान भारत में हो रहे विकास को गांव-गांव तक ले जाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। 2021 में हजारों नए गांवों को ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ा गया है। इसका बहुत लाभ हमारे किसान साथियों, उनके परिवारों, उनके बच्चों को भी हुआ है। 2021 में ही e-RUPI जैसा नया डिजिटल पेमेंट समाधान भी शुरू किया गया है। एक देश, एक राशन कार्ड, भी देशभर में लागू हो चुका है। आज देश के असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को ई-श्रमकार्ड दिए जा रहे हैं, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक आसानी से पहुंच पाएं।

भाइयों और बहनों

वर्ष 2022 में हमें अपनी गति को और तेज करना है। कोरोना की चुनौतियां हैं, लेकिन कोरोना भारत की रफ्तार नहीं रोक सकता। भारत, पूरी सावधानी रखते हुए, पूरी सतर्कता के साथ कोरोना से भी लड़ेगा और अपने राष्ट्रीय हितों को भी पूरा करेगा। हमारे यहां कहा गया है,

''जहीहि भीतिम् भज भज शक्तिम्। विधेहि राष्ट्रे तथा अनुरक्तिम्॥

कुरु कुरु सततम् ध्येय-स्मरणम्। सदैव पुरतो निधेहि चरणम्''॥

यानी,

डर, भय आशंकाओं को छोड़कर हमें शक्ति और सामर्थ्य को याद करना है, देशप्रेम की भावना सर्वोपरि रखनी है। हमें अपने लक्ष्यों का याद रखते हुए लगातार लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाना है। 'राष्ट्र प्रथम' की भावना के साथ राष्ट्र के लिए निरंतर प्रयास, आज हर भारतीय का मनोभाव बन रहा है। और इसलिए ही, आज हमारे प्रयासों में एकजुटता है, हमारे संकल्पों में सिद्धि की अधीरता है। आज हमारी नीतियों में निरंतरता है, हमारे निर्णयों में दूरदर्शिता है। देश के अन्नदाता को समर्पित आज का ये कार्यक्रम इसी का एक उदाहरण है।

पीएम किसान सम्मान निधि, भारत के किसानों का बहुत बड़ा संबल बनी है। हर बार हर किस्त समय से, हर साल हजारों करोड़ रुपए का ट्रान्सफर, बिना किसी बिचौलिये के, बिना किसी कमीशन के, पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि भारत में ऐसा भी हो सकता है। आज की राशि को मिला दें, तो किसान सम्मान निधि के तहत किसानों के खाते में 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर हो चुके हैं। आज उनके छोटे-छोटे खर्चों के लिए ये किसान सम्मान निधि, बहुत काम आ रही है। छोटे किसान इस राशि में से अच्छी क्वालिटी के बीज खरीद रहे हैं, अच्छी खाद और उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

साथियों,

देश के छोटे किसानों के बढ़ते हुए सामर्थ्य को संगठित रूप देने में हमारे किसान उत्पाद संगठनों- FPO's की बड़ी भूमिका है। जो छोटा किसान पहले अलग-थलग रहता था, उसके पास अब FPO के रूप में पाँच बड़ी शक्तियाँ हैं। पहली शक्ति है- बेहतर बार्गेनिंग, यानी कि मोलभाव की शक्ति। आप सब जानते हैं, जब आप अकेले खेती करते हैं तो क्या होता है? आप बीज से लेकर खाद तक सब खरीदते तो फुटकर में हैं, लेकिन बेचते थोक में हैं। इससे लागत ज्यादा बढ़ती है, और मुनाफा कम होता है। लेकिन FPOs के जरिए ये अब तस्वीर बदल रही है। FPOs के माध्यम से अब खेती के लिए जरूरी चीजें किसान थोक में खरीदते हैं, और रिटेल में बेचते हैं।

FPOs से जो दूसरी शक्ति किसानों को मिली है, वो है- बड़े स्तर पर व्यापार की। एक FPO के रूप में किसान संगठित होकर काम करते हैं, लिहाजा उनके लिए संभावनाएं भी बड़ी होती हैं। तीसरी ताकत है- इनोवेशन की। एक साथ कई किसान मिलते हैं, तो उनके अनुभव भी साथ में जुड़ते हैं। जानकारी बढ़ती है। नए नए इनोवेशन्स के लिए रास्ता खुलता है। FPO में चौथी शक्ति है- रिस्क मैनेजमेंट की। एक साथ मिलकर आप चुनौतियों का बेहतर आकलन भी कर सकते हैं, उससे निपटने के रास्ते भी बना सकते हैं।

और पांचवीं शक्ति है- बाज़ार के हिसाब से बदलने की क्षमता। बाज़ार और बाज़ार की डिमांड तो लगातार बदलती रहती है। लेकिन छोटे किसानों को या तो उसकी जानकारी नहीं मिलती, या फिर वो बदलाव के लिए संसाधन नहीं जुटा पाता। कभी सारे लोग एक ही फसल बो देते हैं और बाद में पता चलता है कि अब उसकी डिमांड ही कम हो गई। लेकिन FPO में आप न केवल बाज़ार के हिसाब से तैयार रहते हैं बल्कि खुद बाज़ार में नए उत्पाद के लिए डिमांड पैदा करने की ताकत भी रखते हैं।

साथियों,

FPO's की इसी शक्ति को समझते हुए आज हमारी सरकार उन्हें हर स्तर पर प्रोत्साहित कर रही है। इन FPO's को 15 लाख रुपए तक की मदद भी मिल रही है। इसी का नतीजा है कि आज देश में Organic FPO क्लस्टर्स, ऑयल सीड क्लस्टर्स, बैम्बू क्लस्टर्स और Honey FPOs जैसे क्लस्टर्स तेजी से बढ़ रहे हैं। हमारे किसान आज 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रॉडक्ट' जैसी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं, देश विदेश के बड़े बाज़ार उनके लिए खुल रहे हैं।

साथियों,

हमारे देश में आज भी ऐसी कई चीजों का विदेशों से आयात होता है, जिनकी जरूरत देश का किसान आसानी से पूरी कर सकता है। खाद्य तेल इसका बहुत बड़ा उदाहरण हैं। हम विदेशों से खाद्य तेल खरीदते हैं। देश को बहुत पैसा दूसरे देशों को देना पड़ता है। ये पैसा देश के किसानों को मिले, इसीलिए हमारी सरकार ने 11 हजार करोड़ के बजट के साथ नेशनल पाम ऑयल मिशन शुरू किया है।

साथियों,

बीते साल देश ने कृषि क्षेत्र में एक के बाद एक, अनेक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किए हैं। कोरोना की चुनौतियों के बाद भी आप सबने अपनी मेहनत से देश में अन्न उत्पादन को रिकॉर्ड स्तर पर ले जाकर दिखाया। बीते साल देश का अनाज उत्पादन 300 मिलियन टन तक पहुंचा है। हॉर्टिकल्चर-फ्लोरीकल्चर- बागवानी-फूल-फूल की खेती में अब उत्पादन 330 मिलियन टन से भी ऊपर पहुँच गया है। 6-7 वर्ष पहले की तुलना में देश में दूध उत्पादन भी लगभग 45 प्रतिशत बढ़ा है। यही नहीं, अगर किसान रिकॉर्ड उत्पादन कर रहा है तो देश MSP पर रिकॉर्ड खरीद भी कर रहा है। सिंचाई में भी, हम Per Drop-More Crop को बढ़ावा दे रहे हैं। बीते वर्षों में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के जरिए करीब 60 लाख हेक्टेयर जमीन को माइक्रो-इरिगेशन से टपक सिंचाई से जोड़ा गया है।

प्राकृतिक आपदा में किसानों को जो नुकसान होता था, जो दिक्कत होती थी, उसे कम करने का भी हमने प्रयास किया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को मिलने वाला मुआवजा 1 लाख करोड़ से भी ऊपर पहुँच गया है। ये आंकड़ा बहुत महत्वपूर्ण है। देशभर के किसानों ने करीब 21 हजार करोड़ रुपए ही प्रीमियम के तौर पर दिए लेकिन उन्हें मुआवजे के तौर पर एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा मिले। भाइयों और बहनों, फसलों के अवशेष हों, पराली हो, ऐसी हर चीज से भी किसान को पैसा मिले, इसके लिए प्रयास तेज़ किए गए हैं। कृषि अवशेषों से बायोफ्यूल बनाने के लिए देशभर में सैकड़ों नई यूनिट्स लगाई जा रही हैं। 7 साल पहले जहां देश में हर साल 40 करोड़ लीटर से भी कम इथेनॉल का उत्पादन होता था वो आज 340 करोड़ लीटर से भी अधिक हो चुका है।

साथियों,

आज देशभर में गोबरधन योजना चल रही है। इसके माध्यम से गांव में गोबर से बायोगैस बनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। बायोगैस का उपयोग बढ़े, इसके लिए भी देशभर में प्लांट लगाए जा रहे हैं। इन प्लांट्स से हर साल लाखों टन उत्तम ऑर्गेनिक खाद भी निकलेगी, जो किसानों को कम दाम पर उपलब्ध रहेगी। जब गोबर का भी पैसा मिलेगा तो ऐसे पशु भी बोझ नहीं लगेंगे, जो दूध नहीं देते या जिन्होंने दूध देना बंद कर दिया है। सब देश के काम आएं, कोई बेसहारा ना रहे, ये भी तो आत्मनिर्भरता ही है।

साथियों,

पशुओं का घर पर ही इलाज हो, घर पर ही कृत्रिम गर्भाधान की व्यवस्था हो, इसके लिए आज अभियान चलाया जा रहा है। पशुओं में Foot and Mouth Disease- खुरपका-मुंहपका के नियंत्रण के लिए भी टीकाकरण मिशन चल रहा है। सरकार ने कामधेनु आयोग का भी गठन किया है, डेयरी सेक्टर के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए हज़ारों करोड़ रुपए का विशेष फंड बनाया है। ये हमारी ही सरकार है जिसने लाखों पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से भी जोड़ा है।

साथियों,

धरती हमारी माता है और हमने देखा है कि जहां धरती माता को बचाने का प्रयास नहीं हुआ, वो जमीन बंजर हो गई। हमारी धरती को बंजर होने के बचाने का एक बड़ा तरीका है- केमिकल मुक्त खेती। इसलिए बीते वर्ष में देश ने एक और दूरदर्शी प्रयास शुरू किया है। ये प्रयास है- नैचुरल फ़ार्मिंग यानि प्राकृतिक खेती का। और इसकी एक फिल्‍म अभी आपने देखी भी, और मैं तो चाहूंगा कि सोशल मीडिया में इस फिल्‍म को हर किसान तक पहुंचाइये।

नैचुरल फ़ार्मिंग से जुड़ा कितना कुछ हमने अपनी पुरानी पीढ़ियों से सीखा है। ये सही समय है जब हम अपने इस पारंपरिक ज्ञान को व्यवस्थित करें, आधुनिक तकनीक से जोड़ें। आज दुनिया में केमिकल फ्री अनाजों की भारी मांग है, और काफी ऊंचे दाम पर इसके खरीददार तैयार हैं। इसमें लागत कम है और उत्पादन भी बेहतर रहता है। जिनसे अधिक लाभ सुनिश्चित होता है केमिकल मुक्त होने से हमारी मिट्टी की सेहत, उपजाऊ शक्ति और खाने वालों का स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है। मैं आज आप सभी से आग्रह करूंगा कि प्राकृतिक खेती को भी अपनी खेती से जोड़ें, इस पर जोर दें।

भाइयों और बहनों,

नए साल का ये पहला दिन, नए संकल्पों का दिन है। ये संकल्प आज़ादी के अमृतकाल में देश को और समर्थ और सक्षम बनाने वाले हैं। यहां से हमें इनोवेशन का, कुछ नया करने का, संकल्प लेना है। खेती में तो ये नयापन आज समय की मांग है। नई फसलों, नए तौर-तरीकों को अपनाने से हमें हिचकिचाना नहीं है। साफ-सफाई का जो संकल्प है, उसे भी हमें भूलना नहीं है। गांव-गांव, खेत-खलिहान, हर जगह स्वच्छता की अलख जलती रहे, ये हमें सुनिश्चित करना है। सबसे बड़ा संकल्प है- आत्मनिर्भरता का, लोकल के लिए वोकल होने का। हमें भारत में बनी चीजों को वैश्विक पहचान देनी है। इसके लिए ज़रूरी है कि भारत में पैदा होने वाले, भारत में बनने वाले हर सामान, हर सर्विस को हम प्राथमिकता दें।

हमें याद रखना है कि हमारे आज के कार्य, अगले 25 वर्षों की हमारी विकास यात्रा की दिशा तय करेंगे। इस यात्रा में हम सभी का पसीना होगा, प्रत्येक देशवासी की मेहनत होगी। मुझे पूरा विश्वास है कि हम सभी भारत को उसकी गौरवशाली पहचान लौटाएँगे, और देश को एक नई ऊंचाई देंगे। आज नए वर्ष के पहले दिन देश के करोड़ों किसानों के बैंक खातों में 20 हजार करोड़ रुपए ट्रांसफर होना ऐसा ही एक प्रयास है।

आप सभी को एक बार फिर साल 2022, इस नववर्ष की बहुत-बहुत मंगल कामनाएँ।

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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