सीवीसी का नया शिकायत प्रबंधन प्रणाली पोर्टल लॉन्च किया
"एक विकसित भारत के लिए, विश्वास और विश्वसनीयता महत्वपूर्ण है"
"पहले की सरकारों ने न केवल लोगों का विश्वास खोया, बल्कि वे लोगों पर भरोसा करने में भी विफल रहीं"
“हम बीते 8 वर्षों से अभाव और दबाव से बनी व्यवस्था को बदलने का प्रयास कर रहे हैं, डिमांड और सप्लाई के गैप को भरने की कोशिश कर रहे हैं”
"भ्रष्टाचार से निपटने के लिए हमने तीन रास्ते चुने हैं, एक आधुनिक टेक्नोलॉजी का रास्ता है, दूसरा मूल सुविधाओं के सैचुरेशन का लक्ष्य है और तीसरा आत्मनिर्भरता का रास्ता है”
"विकसित भारत के लिए हमें एक ऐसा एडमिनिस्ट्रेटिव इकोसिस्टम विकसित करना है, जो भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस रखता हो"
"भ्रष्टाचार के लंबित मामलों के आधार पर विभागों की रैंकिंग का एक तरीका तैयार करें और मासिक या त्रैमासिक आधार पर संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित करें"
"किसी भी भ्रष्ट व्यक्ति को राजनीतिक-सामाजिक समर्थन नहीं मिलना चाहिए"
“कई बार भ्रष्ट लोगों को भ्रष्ट साबित होने के बाद भी, जेल जाने के बाद भी महिमामंडित किया जाता है यह स्थिति भारतीय समाज के लिए अच्छी नहीं है"
"भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने वाले सीवीसी जैसे संगठनों को डिफेंसिव होने की जरूरत नहीं है"
"जब आप दृढ़ विश्वास के साथ कार्रवाई करते हैं, तो पूरा देश आपके साथ खड़ा होता है"


मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी डॉक्टर जितेंद्र सिंह जी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी डॉक्टर पी के मिश्रा, श्री राजीव गौबा, सीवीसी श्री सुरेश पटेल, अन्य सभी कमिशनर्स, देवियों और सज्जनों !

ये सतर्कता सप्ताह सरदार साहब की जन्म जयंती से शुरू हुआ है। सरदार साहब का पूरा जीवन ईमानदारी, पारदर्शिता और इससे प्रेरित पब्लिक सर्विस के निर्माण के लिए समर्पित रहा। और इसी कमिटमेंट के साथ आपने सतर्कता को लेकर जागृति का ये अभियान चलाया है। इस बार आप सभी ‘विकसित भारत के लिए भ्रष्टाचार मुक्त भारत’, इस संकल्प के साथ सतर्कता सप्ताह मना रहे हैं। ये संकल्प आज के समय की मांग है, प्रासंगिक है और देशवासियों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है।

साथियों,

विकसित भारत के लिए, विश्वास और विश्वसनीयता, ये दोनों बहुत आवश्यक है। सरकार के ऊपर जनता का बढ़ता हुआ विश्वास, जनता का भी आत्मविश्वास बढ़ाता है। हमारे यहां मुश्किल ये भी रही कि सरकारों ने जनता का विश्वास तो खोया ही, जनता पर भी विश्वास करने में पीछे रहीं। गुलामी के लंबे कालखंड से हमें भ्रष्टाचार की, शोषण की, संसाधनों पर कंट्रोल की जो legacy मिली, उसको दुर्भाग्य से आजादी के बाद और विस्तार मिला और इसका बहुत नुकसान देश की चार-चार पीढ़ी ने उठाया है।

लेकिन आजादी के इस अमृतकाल में हमें दशकों से चली आ रही इस परिपाटी को पूरी तरह बदल देना है। इस बार 15 अगस्त को लाल किले से भी मैंने कहा है कि बीते आठ वर्षों के श्रम, साधना, कुछ initiative, उसके बाद अब भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का समय आ गया है। इस संदेश को समझते हुए, इस मार्ग पर चलते हुए हम विकसित भारत की तरफ तेजी से जा पाएंगे।

साथियों,

हमारे देश में भ्रष्टाचार की और देशवासियों को आगे बढ़ने से रोकने वाली दो बड़ी वजहें रही हैं- एक-सुविधाओं का अभाव और दूसरा-सरकार का अनावश्यक दबाव। लंबे समय तक हमारे यहां सुविधाओं का, अवसरों का अभाव बनाए रखा गया, एक गैप, एक खाई बढ़ने दी गई। इससे एक अस्वस्थ स्पर्धा शुरू हुई जिसमें किसी भी लाभ को, किसी भी सुविधा को दूसरे से पहले पाने की होड़ लग गई। इस होड़ ने भ्रष्टाचार का इकोसिस्टम बनाने के लिए एक प्रकार से खाद-पानी का काम किया। राशन की दुकान में लाइन, गैस कनेक्शन से लेकर सिलेंडर भरवाने में लाइन, बिल भरना हो, एडमिशन लेना हो, लाइसेंस लेना हो, कोई परमिशन लेनी हो, सब जगह लाइन। ये लाइन जितनी लंबी, भ्रष्टाचार की जमीन उतनी ही समृद्ध। और इस तरह के भ्रष्टाचार का सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी को उठाना पड़ता है, तो वो है देश का गरीब और देश का मध्यम वर्ग।

जब देश का गरीब और मध्यम वर्ग, अपनी ऊर्जा इन्हीं संसाधनों को जुटाने में लगा देगा तो फिर देश कैसे आगे बढ़ेगा, कैसे विकसित होगा? इसलिए हम बीते 8 वर्षों से अभाव और दबाव से बनी व्यवस्था को बदलने का प्रयास कर रहे हैं, डिमांड और सप्लाई के गैप को भरने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए हमने कई रास्ते चुने हैं।

तीन प्रमुख बातों की ओर मैं ध्‍यान आकर्षित करना चाहूंगा। एक आधुनिक टेक्नोलॉजी का रास्ता, दूसरा मूल सुविधाओं के सैचुरेशन का लक्ष्य, और तीसरा आत्मनिर्भरता का रास्ता। अब जैसे राशन को ही लीजिए। बीते 8 वर्षों में हमने पीडीएस को टेक्नॉलॉजी से जोड़ा, और करोड़ों फर्ज़ी लाभार्थियों को सिस्टम से बाहर कर दिया।

इसी प्रकार, डीबीटी से अब सरकार द्वारा दिया जाने वाला लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाया जा रहा है। इस एक कदम से ही अभी तक 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक गलत हाथों में जाने से बचा है। कैश आधारित अर्थव्यवस्था में घूसखोरी, काला धन, ये डिटेक्ट करना कितना मुश्किल है, ये हम सब जानते हैं।

अब डिजिटल व्यवस्था में लेन-देन का पूरा ब्योरा कहीं ज्यादा आसानी से उपलब्ध हो रहा है। गवर्नमेंट ई मार्केट प्लेस- GeM जैसी व्यवस्था से सरकारी खरीद में कितनी पारदर्शिता आई है, ये जो भी इसके साथ जुड़ रहे हैं, उसका महत्‍व समझ रहे हैं, अनुभव कर रहे हैं।

साथियों,

किसी भी सरकारी योजना के हर पात्र लाभार्थी तक पहुंचना, सैचुरेशन के लक्ष्यों को प्राप्त करना समाज में भेदभाव भी समाप्त करता है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश को भी खत्म कर देता है। जब सरकार और सरकार के विभिन्न विभाग, खुद ही आगे बढ़कर हर पात्र व्यक्ति को तलाश रहे हैं, उसके दरवाजे जाकर दस्‍तक दे रहे हैं, तो जो बिचौलिए बीच में बने रहते थे, उनकी भूमिका भी समाप्त हो जाती है। इसलिए हमारी सरकार द्वारा हर योजना में सैचुरेशन के सिद्धांत को अपनाया गया है। हर घर जल, हर गरीब को पक्की छत, हर गरीब को बिजली कनेक्शन, हर गरीब को गैस कनेक्शन, ये योजनाएं सरकार की इसी अप्रोच को दिखाती है।

साथियों,

विदेशों पर अत्याधिक निर्भरता भी भ्रष्टाचार का एक बड़ा कारण रही है। आप जानते हैं कि कैसे दशकों तक हमारे डिफेंस सेक्टर को विदेशों पर निर्भर रखा गया। इस वजह से कितने ही घोटाले हुए। आज हम डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता के लिए जो ज़ोर लगा रहे हैं, उससे भी इन घोटालों का स्कोप भी समाप्त हो गया है। राइफल से लेकर फाइटर जेट्स और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट तक आज भारत खुद बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। डिफेंस ही नहीं, बल्कि बाकी जरूरतों के लिए हमें विदेशों से खरीद, कम से कम उस पर निर्भर रहना पड़े, आत्मनिर्भरता के ऐसे प्रयासों को आज बढ़ावा दिया जा रहा है।

साथियों,

सीवीसी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सबके प्रयास को प्रोत्साहित करने वाला संगठन है। अब पिछली बार मैंने आप सभी से प्रिवेंटिव विजिलेंस पर ध्यान देने का आग्रह किया था। मुझे बताया गया है कि आपने इस दिशा में अनेक कदम उठाए हैं। इसके लिए जो 3 महीने का अभियान चलाया गया है, वो भी प्रशंसनीय है, मैं आपको और आपकी पूरी टीम को बधाई देता हूं। और इसके लिए ऑडिट का, इंस्पेक्शन का एक पारंपरिक तरीका आप अपना रहे हैं। लेकिन इसको और आधुनिक, अधिक टेक्नोलॉजी ड्रिवन कैसे बनाएं, इसको लेकर भी आप ज़रूर सोचते रहे हैं और सोचना भी चाहिए।

साथियों,

भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार जो इच्छा शक्ति दिखा रही है, वैसी ही इच्छाशक्ति सभी विभागों में भी दिखनी आवश्यक है। विकसित भारत के लिए हमें एक ऐसा administrative ecosystem विकसित करना है, जो भ्रष्टाचार पर zero tolerance रखता हो। ये आज सरकार की नीति में, सरकार की इच्छाशक्ति में, सरकार के फैसलों में, आप हर जगह पर देखते होंगे। लेकिन यही भाव हमारी प्रशासनिक व्यवस्था के DNA में भी मजबूती से बनना चाहिए। एक भावना ये है कि जो भ्रष्ट अफसर होते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई, चाहे वो आपराधिक हो या फिर विभागीय, बरसों तक चलती रहती है। क्या हम भ्रष्टाचार से संबंधित disciplinary proceedings को मिशन मोड में, एक अवधि तय करके पूरा कर सकते हैं? क्‍योंकि लटकती तलवार उसको भी परेशान करती है। अगर वो निर्दोष है, और इस चक्र में आ गया तो उसको इस बात का बड़ा जीवन भर दुख रहता है कि मैंने प्रमाणिकता से जिंदगी जी और मुझे कैसा फंसा दिया और फिर निर्णय नहीं कर रहे हैं। जिसने बुरा किया है, उसका नुकसान अलग से ही है, लेकिन जिसने नहीं किया वो इस लटकती तलवार के कारण सरकार के लिए और जीवन के लिए हर प्रकार से बोझ बन जाता है। अपने ही साथियों को इस प्रकार से लंबे-लंबे समय तक लटकाए रखने का क्‍या फायदा है।

साथियों,

इस तरह के आरोपों पर जितनी जल्दी फैसला होगा, उतनी ही प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी, उसकी शक्ति बढ़ेगी। जो criminal cases हैं, उनमें भी तेजी से कार्रवाई किए जाने, उनकी लगातार मॉनिटरिंग किए जाने की आवश्यकता है। एक और काम जो किया जा सकता है, वो है pending corruption cases के आधार पर डिपार्टमेंट्स की रैकिंग। अब उसमें भी स्वच्छता के लिए जैसे हम कम्‍पीटीशन करते हैं, इसमें भी करें। देखें तो कौन डिपार्टमेंट इसमें बड़ा उदासीन है, क्‍या कारण है। और कौन डिपार्टमेंट है जो बहुत तेजी से इस समस्या को गंभीरता से ले करके आगे बढ़ रहा है। और इससे जुड़ी रिपोर्ट्स का मासिक या तिमाही पब्लिकेशन, अलग-अलग विभागों को भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे केसों को तेजी से निपटाने के लिए प्रेरित करेगा।

हमें टेक्नोलॉजी के माध्यम से एक और काम करना चाहिए। अक्सर देखा गया है कि vigilance clearance में काफी समय लग जाता है। इस प्रक्रिया को भी टेक्नोलॉजी की मदद से streamline किया जा सकता है। एक विषय और जो मैं आपके सामने रखना चाहता हूं, वो है public grievance के डेटा का। सरकार के विभिन्न विभागों में सामान्य मानवी द्वारा शिकायतें भेजी जाती हैं, उनके निपटारे का भी एक सिस्टम बना हुआ है।

लेकिन अगर public grievance के डेटा का हम ऑडिट कर सकें, तो ये पता लगेगा कि कोई खास विभाग है कि वहां ज्‍यादा से ज्‍यादा शिकायतें आ रही हैं। कोई खास पर्सन है, उसी के यहां जा करके सारा मामला अटकता है। क्‍या कोई प्रोसेसिंग पद्धतियाँ जो हैं हमारी, उसी में कोई गड़बड़ी है, जिस कारण मुसीबतें आ रही हैं। मुझे लगता है ऐसा करके आप उस विभाग में भ्रष्टाचार की तह तक आसानी से पहुंच पाएंगे। हमें इन कम्प्लेंट्स को आइसोलेटेड नहीं देखना चाहिए। पूरी तरह कैनवास पर रख करके सारा analysis करना चाहिए। और इससे जनता का भी सरकार और प्रशासनिक विभागों पर विश्वास और बढ़ेगा।

साथियों,

करप्शन पर निगरानी के लिए हम समाज की भागीदारी, सामान्य नागरिक की भागीदारी को हम अधिक से अधिक कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं, इस पर भी काम होना चाहिए। इसलिए भ्रष्टाचारी चाहे कितना भी ताकतवर क्यों ना हो, वो किसी भी हाल में बचना नहीं चाहिए, ये आप जैसी संस्थाओं की जिम्मेदारी है।

किसी भ्रष्टाचारी को राजनीतिक-सामाजिक शरण ना मिले, हर भ्रष्टाचारी समाज द्वारा कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए, ये वातावरण बनाना भी आवश्यक है। हमने देखा है कि जेल की सजा होने के बावजूद भी, भ्रष्टाचार साबित होने के बावजूद भी कई बार भ्रष्टाचारियों का गौरवगान किया जाता है। मैं तो देख रहा हूं, ऐसे ईमानदारी का ठेका ले करके घूमने वाले लोग उनके साथ जा करके ऐसे हाथ पकड़कर फोटो निकालने में शर्म नहीं आती उनको।

ये स्थिति भारतीय समाज के लिए ठीक नहीं। आज भी कुछ लोग दोषी पाए जा चुके भ्रष्टाचारियों के पक्ष में भांति-भांति के तर्क देते हैं। अब तो भ्रष्‍टाचारियों को बड़े-बड़े सम्‍मान देने के लिए वकालत की जा रही है, ये कभी ऐसा सुना नहीं हमने देश में। ऐसे लोगों, ऐसी ताकतों को भी समाज द्वारा अपने कर्तव्य का बोध कराया जाना बहुत आवश्यक है। इसमें भी आपके विभाग द्वारा की गई ठोस कार्रवाई की बड़ी भूमिका है।

साथियों,

आज जब मैं आपके बीच आया हूं तो कुछ और बातें भी करने का मन स्वाभाविक करता है। भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने वाले सीवीसी जैसे सभी संगठनों को और यहां सभी आपकी एजेंसीज के लोग बैठे हैं, आपको डिफेंसिव होने की कोई ज़रूरत नहीं है। अगर देश की भलाई के लिए काम करते हैं, तो अपराधबोध में जीने की जरूरत नहीं हैं दोस्‍तों। हमें political agenda पर नहीं चलना है।

लेकिन देश के सामान्‍य मानवी को जो मुसीबतें आ रही हैं, उसे मुक्ति दिलाने का हमारा काम है, ये काम हमको करना है। और जिनके vested interest हैं वो चिल्‍लाएंगे, वो इंस्‍टीट्यूशन के गले रोंदने की कोशिश करेंगे। इस इंस्‍टीट्यूशन में बैठे हुए समर्पित लोगों को बदनाम करने का प्रयास किया जाएगा। ये सब होगा, मैं लंबे अर्से तक इस व्‍यवस्‍था से निकला हुआ हूं दोस्तों। लंबे अरसे तक हेड ऑफ द गवर्नमेंट के रूप में मुझे काम करने का अवसर मिला है। मैंने बहुत गालियां सुनी, बहुत आरोप सुने दोस्तों, कुछ बचा नहीं मेरे लिए।

लेकिन जनता-जनार्दन ईश्‍वर का रूप होती है, वो सत्‍य को परखती है, सत्‍य को जानती है और मौका आने पर सत्‍य के साथ खड़ी भी रहती है। मैं अपने अनुभव से कहता हूं दोस्‍तों। चल पड़िए ईमानदारी के लिए, चल पड़िए आपको जो ड्यूटी मिली है उसको ईमानदारी से निभाने के लिए। आप देखिए, ईश्‍वर आपके साथ चलेगा, जनता-जनार्दन आपके साथ चलेगी, कुछ लोग चिल्‍लाते रहेंगे, क्‍योंकि उनका निजी स्‍वार्थ होता है। उनके स्‍वयं के पैर गंदगी में पड़े हुए होते हैं।

और इसलिए मैं बार-बार कहता हूं, देश के लिए, ईमानदारी के लिए, काम करते समय कुछ भी अगर इस प्रकार के विवाद खड़े होते हैं, अगर हम ईमानदारी के रास्‍ते पर चलेंगे, प्रामाणिकता से काम कर रहे हैं, डिफेंसिव होने की कोई जरूरत नहीं दोस्‍तों।

आप सभी साक्षी हैं कि जब आप conviction के साथ action लेते हैं, कई मौके आपके जीवन में भी आए होंगे, समाज आपके साथ खड़ा ही रहा होगा, दोस्‍तों। भ्रष्टाचार मुक्त देश और भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने के लिए सीवीसी जैसी संस्थाओं को निरंतर जागृत रहना वो एक विषय है, लेकिन उन्‍हें सारी व्‍यवस्‍थाओं को भी जागरूक रखना पड़ेगा, क्‍योंकिे अकेले तो क्‍या करेंगे, चार-छह लोग एक दफ्तर में बैठ करके क्‍या कर पाएंगे। पूरी व्‍यवस्‍था जब तक उनके साथ जुड़ती नहीं है, उस स्पिरिट को ले करके जीती नहीं है, तो व्‍यवस्‍थाएं भी कभी-कभी चरमरा जाती हैं।

साथियों,

आपका दायित्व बहुत बड़ा है। आपकी चुनौतियां भी बदलती रहती हैं। और इसलिए आपके तौर-तरीकों में, कार्यप्रणाली में भी निरंतर गतिशीलता आवश्यक है। मुझे विश्वास है कि आप अमृतकाल में एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी इकोसिस्टम के निर्माण में अहम भूमिका निभाते रहेंगे।

मुझे अच्‍छा लगा आज कुछ school students यहां बुलाए गए हैं। सबने Essay कम्‍पीटीशन में हिस्‍सा लिया। एक लगातार स्‍पीच कम्‍पीटीशन की भी परंपरा विकसित की जा सकती है। लेकिन एक बात की तरफ मेरा ध्‍यान गया, आपका भी ध्‍यान गया होगा। आपने भी उसको देखा होगा, बहुतों ने देखा होगा, बहुतों ने जो देखा उस पर सोचा होगा। मैंने भी देखा, मैंने भी सोचा। सिर्फ 20 प्रतिशत पुरुष भ्रष्‍टाचार के खिलाफ की लड़ाई में इनाम ले गए, 80 पर्सेंट बेटियां ले गईं। पांच में से चार बेटियां, मतलब ये 20 को 80 कैसे करें, क्‍योंकि डोर तो उनके हाथ में हैं। इन पुरुष में भी भ्रष्‍टाचार के खिलाफ वो ही ताकत पैदा हो, जो इन बेटियों के दिल-दिमाग में पड़ी है, उज्‍ज्‍वल भविष्‍य का रास्‍ता तभी वही बनेगा।

लेकिन आपका इस preventive इस दृष्टि से ये अभियान अच्‍छा है कि बच्‍चों के मन में भ्रष्‍टाचार के खिलाफ एक नफरत पैदा होनी चाहिए। जब तक गंदगी के खिलाफ नफरत पैदा नहीं होती, स्‍वच्‍छता का महत्‍व समझ में नहीं आता है। और भ्रष्‍टाचार को कम न आंकें, पूरी व्‍यवस्‍था को चरमरा देता है जी। और मैं जानता हूं, इस पर बार-बार सुनना पड़ेगा, बार-बार बोलना पड़ेगा, बार-बार सजग रहना पड़ेगा।

कुछ लोग अपनी शक्ति इसलिए भी लगाते हैं कि इतने कानूनों में से बाहर कैसे रह करके सब किया जाए, वो ज्ञान का उपयोग वो भी करते हैं, advise भी करते हैं इसके लिए, इस दायरे के बाहर करोगे कोई problem नहीं होगी। लेकिन अब दायरा बढ़ता ही चला जा रहा है। आज नहीं तो कल, कभी न कभी तो समस्‍या आनी ही है और बचना मुश्किल है जी। टेक्‍नोलॉजी कुछ न कुछ तो सबूत छोड़ रही है। जितना ज्‍यादा टेक्‍नोलॉजी की ताकत का उपयोग होगा, हम व्‍यवस्‍थाओं को बदल सकते हैं और बदली भी जा सकती हैं। हम कोशिश करें।

मेरी आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

धन्यवाद भाइयों !

 

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।