Quoteभारत और बांग्लादेश एक साथ मिलकर आगे बढ़ें, यह इस पूरे क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी है : प्रधानमंत्री मोदी
Quoteभारत और बांग्लादेश 21वीं सदी में अगले 25 वर्षों की यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमारी विरासत भी साझी है, हमारा विकास भी साझा है : प्रधानमंत्री मोदी
Quoteमेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था : प्रधानमंत्री मोदी

नोमोश्कार !

Excellencies,

बांग्लादेश के राष्ट्रपति
अब्दुल हामिद जी,

प्रधानमन्त्री
शेख हसीना जी,

कृषि मंत्री
डॉक्टर मोहम्मद अब्दुर रज्जाक जी,

मैडम शेख रेहाना जी,

अन्य गणमान्य अतिथिगण,

शोनार बांग्लादेशेर प्रियो बोंधुरा,


आप सभी का ये स्नेह मेरे जीवन के अनमोल पलों में से एक है। मुझे खुशी है कि बांग्लादेश की विकास यात्रा के इस अहम पड़ाव में, आपने मुझे भी शामिल किया। आज बांग्लादेश का राष्ट्रीय दिवस है तो शाधी-नौता की 50वीं वर्षगाँठ भी है। इसी साल ही भारत-बांग्लादेश मैत्री के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। जातिर पीता बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रॉहमान की जन्मशती का ये वर्ष दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत कर रहा है।

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Excellencies

राष्ट्रपति अब्दुल हामिद जी, प्रधानमन्त्री शेख हसीना जी और बांग्लादेश के नागरिकों का मैं आभार प्रकट करता हूं। आपने अपने इन गौरवशाली क्षणों में, इस उत्सव में भागीदार बनने के लिए भारत को सप्रेम निमंत्रण दिया। मैं सभी भारतीयों की तरफ से आप सभी को, बांग्लादेश के सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई देता हूँ। मैं बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रॉहमान जी को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने बांग्लादेश और यहाँ के लोगों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया। हम भारतवासियों के लिए गौरव की बात है कि हमें, शेख मुजिबूर रॉहमान जी को गांधी शांति सम्मान देने का अवसर मिला। मैं यहां अभी इस कार्यक्रम में भव्य प्रस्तुति देने वाले सभी कलाकारों की भी सराहना करता हूं।

बोन्धुगोन, मैं आज याद कर रहा हूं बांग्लादेश के उन लाखों बेटे बेटियों को जिन्होंने अपने देश, अपनी भाषा, अपनी संस्कृति के लिए अनगिनत अत्याचार सहे, अपना खून दिया, अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी। मैं आज याद कर रहा हूं मुक्तिजुद्धो के शूरवीरो को। मैं आज याद कर रहा हूं शहीद धीरेन्द्रोनाथ दत्तो को, शिक्षाविद रॉफिकुद्दीन अहमद को, भाषा-शहीद सलाम, रॉफ़ीक, बरकत, जब्बार और शफ़िऊर जी को!

मैं आज भारतीय सेना के उन वीर जवानों को भी नमन करता हूं जो मुक्तिजुद्धो में बांग्लादेश के भाई -बहनों के साथ खड़े हुये थे। जिन्होंने मुक्तिजुद्धो में अपना लहू दिया, अपना बलिदान दिया, और आज़ाद बांग्लादेश के सपने को साकार करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। फील्ड मार्शल सैम मानेकशा, जनरल अरोरा, जनरल जैकब, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, ग्रुप कैप्टेन चन्दन सिंह, कैप्टन मोहन नारायण राव सामंत, ऐसे अनगिनत कितने ही वीर हैं जिनके नेतृत्व और साहस की कथाएं हमें प्रेरित करती हैं। बांग्लादेश सरकार द्वारा इन वीरों की स्मृति में आशुगॉन्ज में War Memorial समर्पित किया गया है।

मैं इसके लिए आपका आभार व्यक्त करता हूँ। मुझे खुशी है कि मुक्तिजुद्धो में शामिल कई भारतीय सैनिक आज विशेषकर से इस कार्यक्रम में मेरे साथ उपस्थित भी हैं। बांग्लादेश के मेरे भाइयों और बहनों, यहां की नौजवान पीढ़ी को मैं एक और बात याद कराना चाहूंगा और बड़े गर्व के साथ याद दिलाना चाहता हूं। बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में उस संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था। मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था।

बांग्लादेश की आजादी के समर्थन में तब मैंने गिरफ्तारी भी दी थी और जेल जाने का अवसर भी आया था। यानि बांग्लादेश की आजादी के लिए जितनी तड़प इधर थी, उतनी ही तड़प उधर भी थी। यहां पाकिस्तान की सेना ने जो जघन्य अपराध और अत्याचार किए वो तस्वीरें विचलित करती थीं, कई-कई दिन तक सोने नहीं देती थीं।

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गोबिंदो हालदर जी ने कहा था-

‘एक शागोर रोक्तेर बिनिमोये,
बांग्लार शाधीनोता आन्ले जारा,
आमरा तोमादेर भूलबो ना,
आमरा तोमादेर भूलबो ना’,

यानि, जिन्होंने अपने रक्त के सागर से बांग्लादेश को आज़ादी दिलाई, हम उन्हें भूलेंगे नहीं। हम उन्हें भूलेंगे नहीं। बोन्धुगोन, एक निरंकुश सरकार अपने ही नागरिकों का जनसंहार कर रही थी।

उनकी भाषा, उनकी आवाज़, उनकी पहचान को कुचल रही थी। Operation Search-light’ की उस क्रूरता, दमन और अत्याचार के बारे में विश्व में उतनी चर्चा नहीं की है, जितनी उसकी चर्चा होनी चाइये थी। बोन्धुगोन, इन सबके बीच यहां के लोगों और हम भारतीयों के लिए आशा की किरण थे - बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रॉहमान ।

बॉन्गोबौन्धु के हौसले ने, उनके नेतृत्व ने ये तय कर दिया था कि कोई भी ताकत बांग्लादेश को ग़ुलाम नहीं रख सकती।

बॉन्गोबौन्धु ने ऐलान किया था-

एबारेर शोंग्राम आमादेर मुक्तीर शोंग्राम,
एबारेर शोंग्राम शाधिनोतार शोंग्राम।

इस बार संग्राम मुक्ति के लिए है, इस बार संग्राम आजादी के लिए है। उनके नेतृत्व में यहां के सामान्य मानवी, पुरुष हो या स्त्री हो, किसान, नौजवान, शिक्षक, कामगार सब एक साथ आकर मुक्तिवाहिनी बन गए।

और इसलिए आज का ये अवसर, मुजिब बोर्षे, बॉन्गोबौन्धु के vision, उनके आदर्शों, और उनके साहस को याद करने का भी दिन है। ये समय "चिरो बिद्रोहि” को, मुक्तिजुदधो की भावना को फिर से याद करने का समय है। बोन्धुगोन, बांग्लादेश के स्वाधीनता संग्राम को भारत के कोने-कोने से, हर पार्टी से, समाज के हर वर्ग से समर्थन प्राप्त था।

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तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सर्वविदित है। उसी दौर में, 6 दिसंबर, 1971 को अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था- "हम न केवल मुक्ति संग्राम में अपने जीवन की आहूति देने वालों के साथ लड़ रहे हैं, लेकिन हम इतिहास को एक नई दिशा देने का भी प्रयत्न कर रहे हैं। आज बांग्लादेश में अपनी आजादी के लिए लड़ने वालों और भारतीय जवानों का रक्त साथ-साथ बह रहा है।

यह रक्त ऐसे संबंधों का निर्माण करेगा जो किसी भी दबाव से टूटेंगे नहीं, जो किसी भी कूटनीति का शिकार नहीं बनेंगे”। हमारे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी प्रणब दा ने कहा था बॉन्गोबौन्धु को उन्होंने एक tireless (टायरलेस) statesman कहा था। उन्होंने कहा था कि शेख मुजिबूर रॉहमान का जीवन, धैर्य, प्रतिबद्धता और आत्म-संयम का प्रतीक है।

बोन्धुगोन, ये एक सुखद संयोग है कि बांग्लादेश के आजादी के 50 वर्ष और भारत की आजादी के 75 वर्ष का पड़ाव, एक साथ ही आया है। हम दोनों ही देशों के लिए, 21वीं सदी में अगले 25 वर्षों की यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमारी विरासत भी साझी है, हमारा विकास भी साझा है।

हमारे लक्ष्य भी साझे हैं, हमारी चुनौतियाँ भी साझी हैं। हमें याद रखना है कि व्यापार और उद्योग में जहां हमारे लिए एक जैसी संभावनाएं हैं, तो आतंकवाद जैसे समान खतरे भी हैं। जो सोच और शक्तियां इस प्रकार की अमानवीय घटनाओं को अंजाम देती हैं, वो अब भी सक्रिय हैं।

हमें उनसे सावधान भी रहना चाहिए और उनसे मुकाबला करने के लिए संगठित भी रहना होगा। हम दोनों ही देशों के पास लोकतन्त्र की ताकत है, आगे बढ़ने का स्पष्ट विज़न है। भारत और बांग्लादेश एक साथ मिलकर आगे बढ़ें, ये इस पूरे क्षेत्र के विकास के लिए उतना ही जरूरी है।

और इसलिए, आज भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों की सरकारें इस संवेदनशीलता को समझकर, इस दिशा में सार्थक प्रयास कर रही हैं। हमने दिखा दिया है कि आपसी विश्वास और सहयोग से हर एक समाधान हो सकता है। हमारा Land Boundary Agreement भी इसी का गवाह है। कोरोना के इस कालखंड में भी दोनों देशों के बीच बेहतरीन तालमेल रहा है।

हमने SAARC Covid Fund की स्थापना में सहयोग किया, अपने ह्यूमन रिसोर्स की ट्रेनिंग में सहयोग किया। भारत को इस बात की बहुत खुशी है कि Made in India vaccines बांग्लादेश के हमारे बहनों और भाइयों के काम आ रही हैं। मुझे याद हैं वो तस्वीरें जब इस साल 26 जनवरी को, भारत के गणतंत्र दिवस पर Bangladesh Armed Forces के Tri-Service Contingent ने शोनो एक्टि मुजीबोरेर थेके की धुन पर परेड की थी।

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भारत और बांग्लादेश का भविष्य, सद्भाव भरे, आपसी विश्वास भरे ऐसे ही अनगिनत पलों का इंतजार कर रहा है। साथियों, भारत-बांग्लादेश के संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों ही देशों के youth में बेहतर connect की भी उतना ही आवश्यक है। भारत-बांग्लादेश संबंधों के 50 वर्ष के अवसर पर मैं बांग्लादेश के 50 entrepreneurs को भारत आमंत्रित करना चाहूँगा।

ये भारत आयें, हमारे start-up और इनोवेशन eco-system से जुड़े, venture capitalists से मुलाकात करें। हम भी उनसे सीखेंगे, उन्हें भी सीखने का अवसर मिलेगा। मैं इसके साथ- साथ, बांग्लादेश के युवाओं के लिए शुबर्नौ जॉयंती Scholarships की घोषणा भी कर रहा हूं।

साथियों, बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रॉहमान जी ने कहा था-

"बांग्लादेश इतिहाशे, शाधिन राष्ट्रो, हिशेबे टीके थाकबे बांग्लाके दाबिए राख्ते पारे, एमौन कोनो शोक़्ति नेइ” बांग्लादेश स्वाधीन होकर रहेगा।

किसी में इतनी शक्ति नहीं है कि बांग्लादेश को दबाकरके रख सके। बॉन्गोबौन्धु का ये उद्घोष बांग्लादेश के अस्तित्व का विरोध करने वालों को चेतावनी भी थी, और बांग्लादेश के सामर्थ्य पर विश्वास भी था। मुझे खुशी है कि शेख हसीना जी के नेतृत्व में बांग्लादेश दुनिया में अपना दमखम दिखा रहा है। जिन लोगों को बांग्लादेश के निर्माण पर ऐतराज था, जिन लोगों को बांग्लादेश के अस्तित्व पर आशंका थी, उन्हें बांग्लादेश ने गलत साबित किया है।

साथियों,

हमारे साथ काज़ी नॉजरुल इस्लाम और गुरुदेव रॉबिन्द्रोनाथ ठाकूर की समान विरासत की प्रेरणा है।

गुरुदेव ने कहा था-

काल नाइ,
आमादेर हाते;

काराकारी कोरे ताई,
शबे मिले;

देरी कारो नाही,
शहे, कोभू


यानि, हमारे पास गंवाने के लिए समय नहीं है, हमे बदलाव के लिए आगे बढ़ना ही होगा, अब हम और देर नहीं कर सकते। ये बात भारत और बांग्लादेश, दोनों पर समान रूप से लागू होती है।

अपने करोड़ों लोगों के लिए, उनके भविष्य के लिए, गरीबी के खिलाफ हमारे युद्ध के लिए, आतंक के खिलाफ लड़ाई के लिए, हमारे लक्ष्य एक हैं, इसलिए हमारे प्रयास भी इसी तरह एकजुट होने चाहिए। मुझे विश्वास है भारत-बांग्लादेश मिलकर तेज गति से प्रगति करेंगे।

मैं एक बार फिर इस पावन पर्व पर बांग्लादेश के सभी नागरिको को अनेक अनेक शुभकामनाए देता हूँ और हृदय से आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद् करता हूं।

भारोत बांग्लादेश मोईत्री चिरोजीबि होख।

इन्हीं शुभकामनाओं के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।

जॉय बांग्ला !
जॉय हिन्द !

  • krishangopal sharma Bjp December 21, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • krishangopal sharma Bjp December 21, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • krishangopal sharma Bjp December 21, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • Brijesh varshney October 16, 2024

    🎈🎈जय श्री राम 🎈🎈 🎈🎈अति सुन्दर 🎈🎈 🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈
  • Manoj Kumar July 10, 2024

    मोदी जी की जय हो योगी जी की जय हो बीजेपी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं की जय हो जय जय श्री राम मोदी जी योगी जी बीजेपी पार्टी मिलकर बनाएगी विश्व के भारत के बिगड़े काम जय-जय श्री राम
  • MLA Devyani Pharande February 17, 2024

    जय हो
  • Mangala Shinde January 15, 2024

    विश्व गुरु आदरणीय प्रधानमंत्री मोदींजी आपको प्रणाम आपका भाषण अभ्यास पुर्वक रहेता है 👌👍
  • Mahendra singh Solanki Loksabha Sansad Dewas Shajapur mp October 31, 2023

    Jay shree Ram
  • s Dhavamani June 30, 2023

    Prime Minister's visit to the Heliopolis War Memorial https://nm-4.com/pARYnF via NaMo App
  • Chowkidar Margang Tapo September 15, 2022

    Jai jai shree ram ♈♈
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स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप से निकलने वाले लीडर, हर क्षेत्र में अपना परचम लहराएंगे: पीएम
February 21, 2025
QuoteThe School of Ultimate Leadership (SOUL) will shape leaders who excel nationally and globally: PM
QuoteToday, India is emerging as a global powerhouse: PM
QuoteLeaders must set trends: PM
QuoteIn future leadership, SOUL's objective should be to instill both the Steel and Spirit in every sector to build Viksit Bharat: PM
QuoteIndia needs leaders who can develop new institutions of global excellence: PM
QuoteThe bond forged by a shared purpose is stronger than blood: PM

His Excellency,

भूटान के प्रधानमंत्री, मेरे Brother दाशो शेरिंग तोबगे जी, सोल बोर्ड के चेयरमैन सुधीर मेहता, वाइस चेयरमैन हंसमुख अढ़िया, उद्योग जगत के दिग्गज, जो अपने जीवन में, अपने-अपने क्षेत्र में लीडरशिप देने में सफल रहे हैं, ऐसे अनेक महानुभावों को मैं यहां देख रहा हूं, और भविष्य जिनका इंतजार कर रहा है, ऐसे मेरे युवा साथियों को भी यहां देख रहा हूं।

साथियों,

कुछ आयोजन ऐसे होते हैं, जो हृदय के बहुत करीब होते हैं, और आज का ये कार्यक्रम भी ऐसा ही है। नेशन बिल्डिंग के लिए, बेहतर सिटिजन्स का डेवलपमेंट ज़रूरी है। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, जन से जगत, जन से जग, ये किसी भी ऊंचाई को प्राप्त करना है, विशालता को पाना है, तो आरंभ जन से ही शुरू होता है। हर क्षेत्र में बेहतरीन लीडर्स का डेवलपमेंट बहुत जरूरी है, और समय की मांग है। और इसलिए The School of Ultimate Leadership की स्थापना, विकसित भारत की विकास यात्रा में एक बहुत महत्वपूर्ण और बहुत बड़ा कदम है। इस संस्थान के नाम में ही ‘सोल’ है, ऐसा नहीं है, ये भारत की सोशल लाइफ की soul बनने वाला है, और हम लोग जिससे भली-भांति परिचित हैं, बार-बार सुनने को मिलता है- आत्मा, अगर इस सोल को उस भाव से देखें, तो ये आत्मा की अनुभूति कराता है। मैं इस मिशन से जुड़े सभी साथियों का, इस संस्थान से जुड़े सभी महानुभावों का हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। बहुत जल्द ही गिफ्ट सिटी के पास The School of Ultimate Leadership का एक विशाल कैंपस भी बनकर तैयार होने वाला है। और अभी जब मैं आपके बीच आ रहा था, तो चेयरमैन श्री ने मुझे उसका पूरा मॉडल दिखाया, प्लान दिखाया, वाकई मुझे लगता है कि आर्किटेक्चर की दृष्टि से भी ये लीडरशिप लेगा।

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साथियों,

आज जब The School of Ultimate Leadership- सोल, अपने सफर का पहला बड़ा कदम उठा रहा है, तब आपको ये याद रखना है कि आपकी दिशा क्या है, आपका लक्ष्य क्या है? स्वामी विवेकानंद ने कहा था- “Give me a hundred energetic young men and women and I shall transform India.” स्वामी विवेकानंद जी, भारत को गुलामी से बाहर निकालकर भारत को ट्रांसफॉर्म करना चाहते थे। और उनका विश्वास था कि अगर 100 लीडर्स उनके पास हों, तो वो भारत को आज़ाद ही नहीं बल्कि दुनिया का नंबर वन देश बना सकते हैं। इसी इच्छा-शक्ति के साथ, इसी मंत्र को लेकर हम सबको और विशेषकर आपको आगे बढ़ना है। आज हर भारतीय 21वीं सदी के विकसित भारत के लिए दिन-रात काम कर रहा है। ऐसे में 140 करोड़ के देश में भी हर सेक्टर में, हर वर्टिकल में, जीवन के हर पहलू में, हमें उत्तम से उत्तम लीडरशिप की जरूरत है। सिर्फ पॉलीटिकल लीडरशिप नहीं, जीवन के हर क्षेत्र में School of Ultimate Leadership के पास भी 21st सेंचुरी की लीडरशिप तैयार करने का बहुत बड़ा स्कोप है। मुझे विश्वास है, School of Ultimate Leadership से ऐसे लीडर निकलेंगे, जो देश ही नहीं बल्कि दुनिया की संस्थाओं में, हर क्षेत्र में अपना परचम लहराएंगे। और हो सकता है, यहां से ट्रेनिंग लेकर निकला कोई युवा, शायद पॉलिटिक्स में नया मुकाम हासिल करे।

साथियों,

कोई भी देश जब तरक्की करता है, तो नेचुरल रिसोर्सेज की अपनी भूमिका होती ही है, लेकिन उससे भी ज्यादा ह्यूमेन रिसोर्स की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे याद है, जब महाराष्ट्र और गुजरात के अलग होने का आंदोलन चल रहा था, तब तो हम बहुत बच्चे थे, लेकिन उस समय एक चर्चा ये भी होती थी, कि गुजरात अलग होकर के क्या करेगा? उसके पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं है, कोई खदान नहीं है, ना कोयला है, कुछ नहीं है, ये करेगा क्या? पानी भी नहीं है, रेगिस्तान है और उधर पाकिस्तान है, ये करेगा क्या? और ज्यादा से ज्यादा इन गुजरात वालों के पास नमक है, और है क्या? लेकिन लीडरशिप की ताकत देखिए, आज वही गुजरात सब कुछ है। वहां के जन सामान्य में ये जो सामर्थ्य था, रोते नहीं बैठें, कि ये नहीं है, वो नहीं है, ढ़िकना नहीं, फलाना नहीं, अरे जो है सो वो। गुजरात में डायमंड की एक भी खदान नहीं है, लेकिन दुनिया में 10 में से 9 डायमंड वो है, जो किसी न किसी गुजराती का हाथ लगा हुआ होता है। मेरे कहने का तात्पर्य ये है कि सिर्फ संसाधन ही नहीं, सबसे बड़ा सामर्थ्य होता है- ह्यूमन रिसोर्स में, मानवीय सामर्थ्य में, जनशक्ति में और जिसको आपकी भाषा में लीडरशिप कहा जाता है।

21st सेंचुरी में तो ऐसे रिसोर्स की ज़रूरत है, जो इनोवेशन को लीड कर सकें, जो स्किल को चैनेलाइज कर सकें। आज हम देखते हैं कि हर क्षेत्र में स्किल का कितना बड़ा महत्व है। इसलिए जो लीडरशिप डेवलपमेंट का क्षेत्र है, उसे भी नई स्किल्स चाहिए। हमें बहुत साइंटिफिक तरीके से लीडरशिप डेवलपमेंट के इस काम को तेज गति से आगे बढ़ाना है। इस दिशा में सोल की, आपके संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि आपने इसके लिए काम भी शुरु कर दिया है। विधिवत भले आज आपका ये पहला कार्यक्रम दिखता हो, मुझे बताया गया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के effective implementation के लिए, State Education Secretaries, State Project Directors और अन्य अधिकारियों के लिए वर्क-शॉप्स हुई हैं। गुजरात के चीफ मिनिस्टर ऑफिस के स्टाफ में लीडरशिप डेवलपमेंट के लिए चिंतन शिविर लगाया गया है। और मैं कह सकता हूं, ये तो अभी शुरुआत है। अभी तो सोल को दुनिया का सबसे बेहतरीन लीडरशिप डेवलपमेंट संस्थान बनते देखना है। और इसके लिए परिश्रम करके दिखाना भी है।

साथियों,

आज भारत एक ग्लोबल पावर हाउस के रूप में Emerge हो रहा है। ये Momentum, ये Speed और तेज हो, हर क्षेत्र में हो, इसके लिए हमें वर्ल्ड क्लास लीडर्स की, इंटरनेशनल लीडरशिप की जरूरत है। SOUL जैसे Leadership Institutions, इसमें Game Changer साबित हो सकते हैं। ऐसे International Institutions हमारी Choice ही नहीं, हमारी Necessity हैं। आज भारत को हर सेक्टर में Energetic Leaders की भी जरूरत है, जो Global Complexities का, Global Needs का Solution ढूंढ पाएं। जो Problems को Solve करते समय, देश के Interest को Global Stage पर सबसे आगे रखें। जिनकी अप्रोच ग्लोबल हो, लेकिन सोच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा Local भी हो। हमें ऐसे Individuals तैयार करने होंगे, जो Indian Mind के साथ, International Mind-set को समझते हुए आगे बढ़ें। जो Strategic Decision Making, Crisis Management और Futuristic Thinking के लिए हर पल तैयार हों। अगर हमें International Markets में, Global Institutions में Compete करना है, तो हमें ऐसे Leaders चाहिए जो International Business Dynamics की समझ रखते हों। SOUL का काम यही है, आपकी स्केल बड़ी है, स्कोप बड़ा है, और आपसे उम्मीद भी उतनी ही ज्यादा हैं।

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साथियों,

आप सभी को एक बात हमेशा- हमेशा उपयोगी होगी, आने वाले समय में Leadership सिर्फ Power तक सीमित नहीं होगी। Leadership के Roles में वही होगा, जिसमें Innovation और Impact की Capabilities हों। देश के Individuals को इस Need के हिसाब से Emerge होना पड़ेगा। SOUL इन Individuals में Critical Thinking, Risk Taking और Solution Driven Mindset develop करने वाला Institution होगा। आने वाले समय में, इस संस्थान से ऐसे लीडर्स निकलेंगे, जो Disruptive Changes के बीच काम करने को तैयार होंगे।

साथियों,

हमें ऐसे लीडर्स बनाने होंगे, जो ट्रेंड बनाने में नहीं, ट्रेंड सेट करने के लिए काम करने वाले हों। आने वाले समय में जब हम Diplomacy से Tech Innovation तक, एक नई लीडरशिप को आगे बढ़ाएंगे। तो इन सारे Sectors में भारत का Influence और impact, दोनों कई गुणा बढ़ेंगे। यानि एक तरह से भारत का पूरा विजन, पूरा फ्यूचर एक Strong Leadership Generation पर निर्भर होगा। इसलिए हमें Global Thinking और Local Upbringing के साथ आगे बढ़ना है। हमारी Governance को, हमारी Policy Making को हमने World Class बनाना होगा। ये तभी हो पाएगा, जब हमारे Policy Makers, Bureaucrats, Entrepreneurs, अपनी पॉलिसीज़ को Global Best Practices के साथ जोड़कर Frame कर पाएंगे। और इसमें सोल जैसे संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका होगी।

साथियों,

मैंने पहले भी कहा कि अगर हमें विकसित भारत बनाना है, तो हमें हर क्षेत्र में तेज गति से आगे बढ़ना होगा। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-

यत् यत् आचरति श्रेष्ठः, तत् तत् एव इतरः जनः।।

यानि श्रेष्ठ मनुष्य जैसा आचरण करता है, सामान्य लोग उसे ही फॉलो करते हैं। इसलिए, ऐसी लीडरशिप ज़रूरी है, जो हर aspect में वैसी हो, जो भारत के नेशनल विजन को रिफ्लेक्ट करे, उसके हिसाब से conduct करे। फ्यूचर लीडरशिप में, विकसित भारत के निर्माण के लिए ज़रूरी स्टील और ज़रूरी स्पिरिट, दोनों पैदा करना है, SOUL का उद्देश्य वही होना चाहिए। उसके बाद जरूरी change और रिफॉर्म अपने आप आते रहेंगे।

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साथियों,

ये स्टील और स्पिरिट, हमें पब्लिक पॉलिसी और सोशल सेक्टर्स में भी पैदा करनी है। हमें Deep-Tech, Space, Biotech, Renewable Energy जैसे अनेक Emerging Sectors के लिए लीडरशिप तैयार करनी है। Sports, Agriculture, Manufacturing और Social Service जैसे Conventional Sectors के लिए भी नेतृत्व बनाना है। हमें हर सेक्टर्स में excellence को aspire ही नहीं, अचीव भी करना है। इसलिए, भारत को ऐसे लीडर्स की जरूरत होगी, जो Global Excellence के नए Institutions को डेवलप करें। हमारा इतिहास तो ऐसे Institutions की Glorious Stories से भरा पड़ा है। हमें उस Spirit को revive करना है और ये मुश्किल भी नहीं है। दुनिया में ऐसे अनेक देशों के उदाहरण हैं, जिन्होंने ये करके दिखाया है। मैं समझता हूं, यहां इस हॉल में बैठे साथी और बाहर जो हमें सुन रहे हैं, देख रहे हैं, ऐसे लाखों-लाख साथी हैं, सब के सब सामर्थ्यवान हैं। ये इंस्टीट्यूट, आपके सपनों, आपके विजन की भी प्रयोगशाला होनी चाहिए। ताकि आज से 25-50 साल बाद की पीढ़ी आपको गर्व के साथ याद करें। आप आज जो ये नींव रख रहे हैं, उसका गौरवगान कर सके।

साथियों,

एक institute के रूप में आपके सामने करोड़ों भारतीयों का संकल्प और सपना, दोनों एकदम स्पष्ट होना चाहिए। आपके सामने वो सेक्टर्स और फैक्टर्स भी स्पष्ट होने चाहिए, जो हमारे लिए चैलेंज भी हैं और opportunity भी हैं। जब हम एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हैं, मिलकर प्रयास करते हैं, तो नतीजे भी अद्भुत मिलते हैं। The bond forged by a shared purpose is stronger than blood. ये माइंड्स को unite करता है, ये passion को fuel करता है और ये समय की कसौटी पर खरा उतरता है। जब Common goal बड़ा होता है, जब आपका purpose बड़ा होता है, ऐसे में leadership भी विकसित होती है, Team spirit भी विकसित होती है, लोग खुद को अपने Goals के लिए dedicate कर देते हैं। जब Common goal होता है, एक shared purpose होता है, तो हर individual की best capacity भी बाहर आती है। और इतना ही नहीं, वो बड़े संकल्प के अनुसार अपनी capabilities बढ़ाता भी है। और इस process में एक लीडर डेवलप होता है। उसमें जो क्षमता नहीं है, उसे वो acquire करने की कोशिश करता है, ताकि औऱ ऊपर पहुंच सकें।

साथियों,

जब shared purpose होता है तो team spirit की अभूतपूर्व भावना हमें गाइड करती है। जब सारे लोग एक shared purpose के co-traveller के तौर पर एक साथ चलते हैं, तो एक bonding विकसित होती है। ये team building का प्रोसेस भी leadership को जन्म देता है। हमारी आज़ादी की लड़ाई से बेहतर Shared purpose का क्या उदाहरण हो सकता है? हमारे freedom struggle से सिर्फ पॉलिटिक्स ही नहीं, दूसरे सेक्टर्स में भी लीडर्स बने। आज हमें आज़ादी के आंदोलन के उसी भाव को वापस जीना है। उसी से प्रेरणा लेते हुए, आगे बढ़ना है।

साथियों,

संस्कृत में एक बहुत ही सुंदर सुभाषित है:

अमन्त्रं अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधम्। अयोग्यः पुरुषो नास्ति, योजकाः तत्र दुर्लभः।।

यानि ऐसा कोई शब्द नहीं, जिसमें मंत्र ना बन सके। ऐसी कोई जड़ी-बूटी नहीं, जिससे औषधि ना बन सके। कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं, जो अयोग्य हो। लेकिन सभी को जरूरत सिर्फ ऐसे योजनाकार की है, जो उनका सही जगह इस्तेमाल करे, उन्हें सही दिशा दे। SOUL का रोल भी उस योजनाकार का ही है। आपको भी शब्दों को मंत्र में बदलना है, जड़ी-बूटी को औषधि में बदलना है। यहां भी कई लीडर्स बैठे हैं। आपने लीडरशिप के ये गुर सीखे हैं, तराशे हैं। मैंने कहीं पढ़ा था- If you develop yourself, you can experience personal success. If you develop a team, your organization can experience growth. If you develop leaders, your organization can achieve explosive growth. इन तीन वाक्यों से हमें हमेशा याद रहेगा कि हमें करना क्या है, हमें contribute करना है।

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साथियों,

आज देश में एक नई सामाजिक व्यवस्था बन रही है, जिसको वो युवा पीढी गढ़ रही है, जो 21वीं सदी में पैदा हुई है, जो बीते दशक में पैदा हुई है। ये सही मायने में विकसित भारत की पहली पीढ़ी होने जा रही है, अमृत पीढ़ी होने जा रही है। मुझे विश्वास है कि ये नया संस्थान, ऐसी इस अमृत पीढ़ी की लीडरशिप तैयार करने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एक बार फिर से आप सभी को मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

भूटान के राजा का आज जन्मदिन होना, और हमारे यहां यह अवसर होना, ये अपने आप में बहुत ही सुखद संयोग है। और भूटान के प्रधानमंत्री जी का इतने महत्वपूर्ण दिवस में यहां आना और भूटान के राजा का उनको यहां भेजने में बहुत बड़ा रोल है, तो मैं उनका भी हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

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साथियों,

ये दो दिन, अगर मेरे पास समय होता तो मैं ये दो दिन यहीं रह जाता, क्योंकि मैं कुछ समय पहले विकसित भारत का एक कार्यक्रम था आप में से कई नौजवान थे उसमें, तो लगभग पूरा दिन यहां रहा था, सबसे मिला, गप्पे मार रहा था, मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला, बहुत कुछ जानने को मिला, और आज तो मेरा सौभाग्य है, मैं देख रहा हूं कि फर्स्ट रो में सारे लीडर्स वो बैठे हैं जो अपने जीवन में सफलता की नई-नई ऊंचाइयां प्राप्त कर चुके हैं। ये आपके लिए बड़ा अवसर है, इन सबके साथ मिलना, बैठना, बातें करना। मुझे ये सौभाग्य नहीं मिलता है, क्योंकि मुझे जब ये मिलते हैं तब वो कुछ ना कुछ काम लेकर आते हैं। लेकिन आपको उनके अनुभवों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, जानने को मिलेगा। ये स्वयं में, अपने-अपने क्षेत्र में, बड़े अचीवर्स हैं। और उन्होंने इतना समय आप लोगों के लिए दिया है, इसी में मन लगता है कि इस सोल नाम की इंस्टीट्यूशन का मैं एक बहुत उज्ज्वल भविष्य देख रहा हूं, जब ऐसे सफल लोग बीज बोते हैं तो वो वट वृक्ष भी सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने वाले लीडर्स को पैदा करके रहेगा, ये पूरे विश्वास के साथ मैं फिर एक बार इस समय देने वाले, सामर्थ्य बढ़ाने वाले, शक्ति देने वाले हर किसी का आभार व्यक्त करते हुए, मेरे नौजवानों के लिए मेरे बहुत सपने हैं, मेरी बहुत उम्मीदें हैं और मैं हर पल, मैं मेरे देश के नौजवानों के लिए कुछ ना कुछ करता रहूं, ये भाव मेरे भीतर हमेशा पड़ा रहता है, मौका ढूंढता रहता हूँ और आज फिर एक बार वो अवसर मिला है, मेरी तरफ से नौजवानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।