महान तमिल कवि की 100वीं पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री ने बीएचयू, वाराणसी के कला संकाय में तमिल अध्ययन पर 'सुब्रमण्य भारती पीठ' स्‍थापित करने की घोषणा की
सरदार साहब जिस ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’का विजन लेकर चलते थे, वही दर्शन महाकवि भारती की तमिल लेखनी में पूरी दिव्यता से निखरता रहा है: प्रधानमंत्री
आज दुनिया यह महसूस कर रही है कि 9/11 जैसी त्रासदियों का स्थायी समाधान मानवता के इन्हीं मूल्यों से होगा: प्रधानमंत्री
महामारी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया, लेकिन नुकसान की तुलना में हमारी रिकवरी कहीं ज्‍यादा तेजी से हो रही है: प्रधानमंत्री
ऐसे समय में जब बड़े देश अपने आर्थि‍क हितों की सिर्फ रक्षा करने में जुटे हुए थे, भारत में सुधारों को लागू किया जा रहा था: प्रधानमंत्री

नमस्कार!

कार्यक्रम में हमारे साथ उपस्थित गुजरात के मुख्यमंत्री श्रीमान विजय भाईरुपानी जी, उपमुख्‍यमंत्री श्री नितिन भाई, केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी श्री परशोत्त्म रुपाला जी, श्री मनसुखभाई मानड्विया जी, बहन अनुप्रिया पटेल जी, लोक सभा में संसद में मेरे साथी और गुजरात प्रदेश जनता पार्टी के अध्‍यक्ष श्रीमानसी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार के सभी मंत्रीगण, यहाँ उपस्थित सभी सहयोगी सांसद साथी, गुजरात के विधायकगण, सरदार धाम के सभी ट्रस्‍टी, मेरे मित्र भाई श्रीगागजीभाई, ट्रस्ट के सभी सम्मानित सदस्यगण, इस पवित्र कार्य को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देने वाले सभी साथी, भाइयों और बहनों!

किसी भी शुभ काम से पहले हमारे यहाँ गणेश पूजन की परंपरा है। और सौभाग्य से सरदार धाम भवन का श्रीगणेश ही गणेश पूजन केपवित्र त्‍योहार केअवसर पर हो रहा है। कल श्रीगणेश चतुर्थी थी और अभी पूरा देश गणेशोत्सव मना रहा है। मैं आप सभी को गणेश चतुर्थी और गणेशोत्सव की हार्दिक बधाई देता हूँ। आज ऋषि पंचमी भी है। भारत तो ऋषि परंपरा का देश है, ऋषियों के ज्ञान, विज्ञान और दर्शन से हमारी पहचान रही है। हम उस विरासत को आगे बढ़ाएँ। हमारे वैज्ञानिक, हमारे चिंतक पूरी मानवता का मार्गदर्शन करें, इसी भावना में हम पले-बढ़े हैं। इसी भावना के साथ ऋषि पंचमी की भी आपको हार्दिक शुभकामनाएँ।

ऋषि-मुनियों की परंपरा हमें बेहतर मनुष्य़ बनने की ऊर्जा देती है। इसी भावना के साथ पर्यूषण पर्व के बाद जैन परंपरा में हम क्षमावाणी दिवस मनाते हैं, 'मिच्छामि दुक्कड़म्' करते हैं। मेरी तरफ से आपको, देश के सभी नागरिकों को 'मिच्छामि दुक्कड़म्'। ये ऐसा पर्व है, ऐसी परम्‍परा है, अपनी गलतियों को स्वीकार करना, उनका शोधन करना, और बेहतर करने का संकल्प लेना, ये हमारे जीवन का हिस्सा होना चाहिए। मैं सभी देशवासियों को और सभी भाइयों-बहनों को इस पवित्र पर्व की भी अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देता हूँ, और भगवान् महावीर के श्रीचरणों में नमन करता हूँ।

मैं, हमारे प्रेरणा स्रोत लौहपुरुष सरदार साहब के चरणों में भी प्रणाम करता हूँ, उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। मैं सरदार धाम ट्रस्ट से जुड़े सभी सदस्यों को भी बधाई देता हूँ, जिन्होंने अपने समर्पण से सेवा के इस अद्भुत प्रकल्प को आकार दिया है। आप सभी का समर्पण, आपका सेवा-संकल्प अपने आप में एक उदाहरण है। आपके प्रयासों से आज सरदार धाम के इस भव्य भवन के लोकार्पण के साथ ही फेज़-2 कन्या छात्रालय का भूमिपूजन भी हुआ है।

'स्टेट ऑफ आर्ट बिल्डिंग', आधुनिक संसाधनों से युक्त कन्या छात्रालय, आधुनिक library, ये सभी व्यवस्थाएं अनेकों युवाओं को सशक्त करेंगी। एक ओर आप Entrepreneur development centre के जरिए गुजरात की समृद्ध व्यापारिक पहचान को मजबूत कर रहे हैं, तो वहीं Civil Service Centre के जरिए उन युवाओं को नई दिशा मिल रही है जो सिविल सर्विसेस में या डिफेंस और Judicial सर्विसेस में जाना चाहते हैं।

पाटीदार समाज के युवाओं के साथ-साथ गरीबों और विशेषकर महिलाओं के सशक्तिकरण पर आपका जो ज़ोर है, वो वाकई सराहनीय है। होस्टल की सुविधा भी कितनी ही बेटियों को आगे आने में मदद करेगी।

मुझे पूरा भरोसा है कि सरदार धाम न केवल देश के भविष्य निर्माण का एक अधिष्ठान बनेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को सरदार साहब के आदर्शों को जीने की प्रेरणा भी देगा।और एक बात भी कहना चाहूंगा आज हम आजादी का ‘अमृत महोत्‍सव’ मना रहे हैं। आजादी के 75 साल, ऐसे अवसर पर हम लोग आज देश की आजादी की जंग को याद करते हुए प्रेरित हो रहे हैं। लेकिन इस छात्रावास में जो बेटे-बेटियां पढ़ने वाले हैं और आज जो 18, 20, 25 साल की उम्र के हमारे नौजवान हैं...2047, जब देश की आजादी के सौ साल होंगे, तब ये सारे लोग देश की निर्णयाक भूमिका में होंगे। आज आप जो संकल्‍प करेंगे, 2047 में जब आजादी के सौ साल होंगे तब हिन्‍दुस्‍तान कैसा होगा, इसके संस्‍कार ऐसी पवित्र धरती पर होने वाले हैं।

साथियों,

सरदार धाम का आज जिस तारीख को लोकार्पण हो रहा है, वो तारीख जितनी अहम है, उतना ही बड़ा उससे जुड़ा संदेश है। आज 11 सितंबर यानी 9/11 है! दुनिया के इतिहास की एक ऐसी तारीख जिसे मानवता पर प्रहार के लिए भीजाना जाता है। लेकिन इसी तारीख ने पूरे विश्व को काफी कुछ सिखाया भी!

एक सदी पहले ये 11 सितंबर 1893 का ही दिन था जब शिकागो में विश्व धर्म संसद का आयोजन हुआ था। आज के ही दिन स्वामी विवेकानंद ने उस वैश्विक मंच पर खड़े होकर दुनिया को भारत के मानवीय मूल्यों से परिचित कराया था। आज दुनिया ये महसूस कर रही है कि 9/11 जैसी वो त्रासदी भी जिसे कि 20 साल हुए हैं...सदियों का स्थायी समाधान, मानवता केउन्‍हींमूल्यों से ही होगा। एक ओर हमें इन आतंकी घटनाओं के सबक को याद रखना होगा, तो साथ ही मानवीय मूल्यों के लिए पूरी आस्था के साथ प्रयास भी करते रहना होगा।

साथियों,

आज 11 सितंबर को एक और बड़ा अवसर है। आज भारत के महान विद्वान, दार्शनिक और स्वातंत्र सेनानी'सुब्रमण्य भारती'जी की 100वीं पुण्यतिथि है। सरदार साहब जिस एक भारत-श्रेष्ठ भारत का विजन लेकर चलते थे, वही दर्शन महाकवि भारती की तमिल लेखनी में पूरी दिव्यता से निखरता रहा है। जब वो कहते थे कि हिमालय हमारा है…तमिलनाडु में रहते थे और सोचकैसी...और वो कहते थेहिमालय हमारा है, जब वो कहते थे कि गंगा की ऐसी धारा और कहां मिलेगी, जब वो उपनिषदों की महिमा का वर्णन करते थे, तो भारत की एकता को, भारत की श्रेष्ठता को और भव्यता देते थे। सुब्रमण्य भारती ने स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा पाई, श्री अरबिन्दो से प्रभावित हुए और काशी में रहते हुए अपने विचारों को नई ऊर्जा दी, नई दिशा दी।

साथियों,

आज इस अवसर पर मैं एक महत्वपूर्ण घोषणा भी कर रहा हूं। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में सुब्रमण्य भारती जी के नाम से एक Chair स्थापित करने का निर्णय किया गया है।Tamil Studies…तमिल भाषा समृद्ध भाषा है, विश्‍व की सबसे पुरातन भाषा है...और ये हम सब हिन्‍दुस्‍तानियों के लिए गर्व की बात है I Tamil Studies पर 'सुब्रमण्य भारती चेयर' BHU के फेकल्टी ऑफ आर्ट्स में स्थापित होगी। ये विद्यार्थियों को, Research Fellows को उस भव्य भारत के निर्माण में जुटे रहने की निरंतर प्रेरणा देगी, जिसका सपना भारती जी ने देखा था।

साथियों,

सुब्रमण्य भारती जी हमेशा भारत की एकता पर, मानव मात्र की एकता पर विशेष बल देते थे। उनका ये आदर्श भारत के विचार और दर्शन का अभिन्न हिस्सा हैं। हमारे यहाँ पौराणिक काल के दधीच और कर्ण जैसे दानवीर हों, या मध्यकाल में महाराज हर्षवर्धन जैसे महापुरुष, सेवा के लिए सर्वस्व अर्पण करने की इस परंपरा से भारत आज भी प्रेरणा लेता है। ये एक तरह से एक ऐसा जीवनमंत्र है जो हमें सिखाता है कि हम जितना जहां से लें, उससे कई गुना वापस कर दें। हमने जो कुछ भी पाया है वो इसी धरती से पाया है। हमने जो भी प्रगति की है वो इसी समाज के बीच की है, समाज की वजह से की है। इसलिए, जो हमें मिला है वो केवल हमारा नहीं है, वो हमारे समाज का भी है, हमारे देश का भी है। जो समाज का है वो हम समाज को लौटाते हैं, और समाज उसे कई गुना करके फिर हमें और हमारी अगली पीढ़ियों को वापस दे देता है। ये एक ऐसा ऊर्जा चक्र है, ऐसा energy cycle है जो हर एक प्रयास के साथ तेज होता जाता है। आज आप इसी ऊर्जा चक्र को और गति दे रहे हैं।

साथियों,

जब हम समाज के लिए कोई संकल्प लेते हैं, तो उसकी सिद्धि के लिए समाज ही हमें सामर्थ्य देता है। इसीलिए, आज एक ऐसे कालखंड में, जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो देश ने'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास'के साथ-साथ'सबका प्रयास'का मंत्र दिया है। गुजरात तो अतीत से लेकर आज तक साझा प्रयासों की ही धरती रही है। आजादी की लड़ाई में गांधी जी ने यहीं से दांडी यात्रा की शुरुआत की थी, जो आज भी आज़ादी के लिए देश के एकजुट प्रयासों कावोप्रतीक है, प्रेरणा है।

इसी तरह, खेड़ा आंदोलन में सरदार पटेल के नेतृत्व में किसान, नौजवान, गरीब एकजुटता ने अंग्रेजी हुकूमत को झुकने पर मजबूर कर दिया था। वो प्रेरणा, वो ऊर्जा आज भी गुजरात की धरती पर सरदार साहब की गगनचुंबी प्रतिमा, 'स्टेचू ऑफ यूनिटी' के रूप में हमारे सामने खड़ी है। कौन भूल सकता है कि जब स्टेचू ऑफ यूनिटी का विचार गुजरात ने सामने रखा था, तो किस तरह पूरा देश इस प्रयास का हिस्सा बन गया था। तब देश के कोने-कोने से किसानों ने लोहा भेजा था। ये प्रतिमा आज पूरे देश की एकजुटता की, एकजुट प्रयासों की एकप्रेरणास्‍थली है, प्रतीक है।

भाइयों बहनों,

'सहकार से सफलता' की जो रूपरेखा गुजरात ने पेश की, उसमें देश साझीदार भी बना, और आज देश को उसका लाभ भी मिल रहा है। मुझे ख़ुशी है कि सरदार धाम ट्रस्ट ने भी सामूहिक प्रयासों से अपने लिए अगले पाँच और दस सालों के लक्ष्य तय किए हैं। आज देश भी अपनी आज़ादी के सौ सालों के सपनों को पूरा करने के लिए ऐसे ही लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है।

सरकार में अब एक अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन भी किया गया है। किसानों-नौजवानों को सहकार की शक्ति का पूरा पूरा लाभ मिल सके, इसके लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। समाज के जो वर्ग, जो लोग पीछे छूट गए हैं, उन्हें आगे लाने के लिए सतत प्रयास हो रहे हैं। आज एक ओर दलितों पिछड़ों के अधिकारों के लिएजिम्‍मेदारी के साथ अनेक काम हो रहे हैं, तो वहीं आर्थिक आधार पर पिछड़ गएसवाना-समाज केलोगों को भी 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इन नीतियों का ही परिणाम है कि आज समाज में एक नया आत्मविश्वास पैदा हो रहा है।

साथियों,

हमारे यहाँ कहा जाता है-"सत् विद्या यदि का चिन्ता, वराकोदर पूरणे"।अर्थात्, जिसके पास विद्या है, ज्ञान और कौशल है उसे अपनी आजीविका के लिए, जीवन की प्रगति के लिए चिन्ता नहीं करनी पड़ती। सक्षम व्यक्ति अपनी प्रगति के लिए खुद ही रास्ते बनाता है। मुझे खुशी है कि सरदारधाम ट्रस्ट द्वारा शिक्षा और कौशल पर बहुत जोर दिया जा रहा है।

हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भी इस बात पर विशेष फोकस है कि हमारी शिक्षा, कौशल बढ़ाने वाली होनी चाहिए। भविष्य में मार्केट में कैसी स्किल की डिमांड होगी, future world में लीड करने के लिए हमारे युवाओं को क्या कुछ चाहिए होगा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्टूडेंट्स को शुरुआत से ही इन Global realities के लिए तैयार करेगी। आज 'स्किल इंडिया मिशन' भी देश की बड़ी प्राथमिकता है। इस मिशन के तहत लाखों युवाओं को अलगअलग स्किल सीखने का अवसर मिला है, वो आत्मनिर्भर बन रहे हैं। National Apprenticeship Promotion Scheme के तहत युवाओं को पढ़ाई के साथ साथ skill development का अवसर भी मिल रहा है, और उनकी आमदनी भी हो रही है।

'मानव कल्याण योजना' और ऐसी ही दूसरी अनेकों योजनाओं के जरिए गुजरात खुद भी इस दिशा में तेजी से प्रयास कर रहा है।और इसके लिए मैं गुजरात सरकार को बहुत-बहुत बधाई भी देता हूं।कई सालों के लगातार प्रयासों का परिणाम है कि गुजरात में आज जहां एक ओर स्कूल ड्रॉप आउट रेट 1 प्रतिशत से भी कम हो गया है, वहीं अलग-अलग योजनाओं में लाखों युवाओं को skill development के जरिए नया भविष्य मिल रहा है। गुजरात के युवाओं में entrepreneurship तो स्वाभाविक ही होती है। स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियान से आज गुजरात के युवाओं की इस प्रतिभा को एक नया eco-system मिल रहा है।

मुझे बताया गया है कि सरदार धाम ट्रस्ट भी हमारे युवाओं को ग्लोबल बिज़नसेस से जोड़ने के लिए कई प्रयास कर रहा है। Vibrant गुजरात समिट के जरिए जो शुरुआत कभी गुजरात ने की थी, ग्लोबल पाटीदार बिज़नेस समिट उन लक्ष्यों को आगे बढ़ाएगी। पाटीदार समाज की तो पहचान ही रही है, ये जहां कहीं भी जाते हैं वहाँ के व्यापार को नई पहचान दे देते हैं। आपका ये हुनर अब गुजरात और देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में पहचाना जाने लगा है। लेकिन पाटीदार समाज की एक और भी बड़ी खूबी है, ये कहीं भी रहें, भारत का हित आपके लिए सर्वोपरि रहता है। आपने देश की आर्थिक उन्नति में जो योगदान दिया है, वो अद्भुत है और प्रेरणादायी भी है।

साथियों,

कठिन से कठिन समय हो, जब अपने कर्तव्य को समझते हुए पूरे विश्वास के साथ काम किए जाते हैं, तो परिणाम भी मिलते हैं। कोरोना की महामारी आई, पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर आंच आई। भारत पर भी इसका काफी असर आया। लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था महामारी के कारण जितना ठहरी थी, उससे ज्यादा स्पीड से रिकवर कर रही है। जब बड़ी- ड़ी economies defenseमें थीं, तब हम reforms कर रहे थे। जब ग्लोबल सप्लाइ चेन्स disrupt हो रही थीं, तो हमने नए हालातों को भारत के पक्ष में मोड़ने के लिए PLI स्कीम शुरू की। अभी PLI scheme को टेक्सटाइल सेक्टर के लिए बढ़ाने का फैसला भी लिया गया है। इसका बहुत बड़ा लाभ देश के टेक्सटाइल सेक्टर को, सूरत जैसे शहरों को होगा।

साथियों,

21वीं सदी में भारत के पास अवसरों की कमी नहीं है। हमें खुद को ग्लोबल लीडर रूप में देखना है, अपना सर्वश्रेष्ठ देना है और सर्वश्रेष्ठ करना भीहै। मुझे पूरा भरोसा है कि देश की प्रगति में गुजरात का जो योगदान रहा है, उसे हम अब और सशक्त रूप में सामने लाएँगे। हमारे प्रयास न केवल हमारे समाज को नई ऊंचाई देंगे, बल्कि देश को भी विकास की बुलंदी पर लेकर जाएंगे।

इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, आप सभी का एक बार फिर

बहुत बहुत धन्यवाद!

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