डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने इस सेंटर के लिए सहयोग प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी को धन्यवाद दिया
डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के लिए विश्व के नेताओं ने भारत को धन्यवाद दिया
“ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में भारत के योगदान और क्षमता के सम्मान का प्रतीक है डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन”
"भारत इस साझेदारी को पूरी मानवता की सेवा की एक बड़ी जिम्मेदारी के रूप में लेता है"
“डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के साथ वेलनेस के क्षेत्र में जामनगर के योगदानों को वैश्विक पहचान मिलेगी”
"वन प्लानेट आवर हेल्थ” का नारा देकर डब्ल्यूएचओ ने 'एक धरती, एक स्वास्थ्य' के भारत के विजन को आगे बढ़ाया है"
"भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं है। यह जीवन का एक समग्र विज्ञान है"
नमस्कार!!

मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद कुमार जुगनाथ जी, World Health Organisation के डायरेक्टर जनरल, डॉक्टर टेड्रोस, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री सर्बानंद सोनोवाल जी, डॉक्टर मनसुख मंडाविया, श्री मुंजपारा महेंद्रभाई, यहां उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

आज हम सभी, पूरी दुनिया में हेल्थ एंड वेलनेस के लिए एक बहुत बड़े आयोजन के साक्षी बन रहे हैं। मैं W.HO. के डायरेक्टर जनरल, डॉक्टर टेड्रोस का विशेष रूप से आभारी हूं। अभी डॉक्टर टेड्रोस ने भारत की प्रशंसा में जो शब्द कहे, मैं प्रत्येक भारतीय की तरफ से उनका धन्यवाद करता हूं। और जिस प्रकार से उन्होंने गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी एक प्रकार से त्रिवेणी का एहसास कराया है और हर भारतीय के दिल को छू लिया है, उसके लिए भी मैं विशेष रूप से उनका अभिनंदन करता हूं। डॉ. टेड्रोस से मेरा परिचय पुराना है और जब भी हम मिले हैं। उन्होंने भारत के गुरुओं ने उसको कैसे शिक्षा दी, वो इतने गौरव से उसका उल्लेख करते हैं और इतना प्रसन्नचित्त अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं और उनका भारत के प्रति जो लगाव है, आज एक संस्‍थान के रूप में यहां प्रकट हो रहा है और वो मुझे कहते हैं कि मेरा child है, मैं आपको दे रहा हूं, अब आपकी जिम्मेदारी है कि आपको इसका पालन-पोषण करना है। मैं डॉ. टेड्रोस को विश्वास दिलाता हूं कि आपने जिस भरोसे से भारत को ये जिम्मेदारी दी है और जिस उत्साह और उमंग से हमारे यहां के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल ने इस पूरी जिम्मेदारी को अपने कंधे पर लिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि आपकी आशा और अपेक्षा के अनुसार हम खरे उतरेंगे।


मैं अपने अभिन्न मित्र और मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री जुगनाथ जी का भी आभार व्यक्त करता हूं। मेरा उनके परिवार से भी करीब तीन दशक पुराना संबंध रहा है। जब भी मॉरीशस गया, उनके घर जाना, उनके पिताजी से मिलना, उनके परिवार के सबसे संपर्क, तीन दशक का ये पुराना नाता और मुझे खुशी है कि आज मेरे निमंत्रण पर वो मेरे होम स्टेट गुजरात में आए। और उन्होंने भी गुजरात के साथ गुजराती भाषा के साथ अपना नाता जोड़कर के हम सबका दिल जीत लिया है। अभी हमने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री, भूटान के प्रधानमंत्री, और नेपाल के प्रधानमंत्री के भी विचार सुने। WHO- Global Centre for Traditional Medicine के लिए सभी ने अपनी शुभकामनाएं दी हैं। मैं सभी का आभारी हूं।

साथियों,

W.HO. ने ट्रेडिशनल मेडिसिन के इस सेंटर के रूप में भारत के साथ एक नई पार्टनरशिप की है। ये ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में भारत के कंट्रीब्यूशन और भारत के पोटेंशियल, दोनों का सम्मान है। भारत इस पार्टनरशिप को, पूरी मानवता की सेवा के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी के रूप में ले रहा है। ये सेंटर, दुनिया भर में फैली पारंपरिक चिकित्सा से सहयोग से दुनिया के लोगों को बेहतर मेडिकल सॉल्यूशंस देने में मदद करेगा। और मैं ये भी कहना चाहूंगा कि जामनगर की धरती पर डॉ. टेड्रोस और प्रविंद जी की हाजरी में ये सिर्फ एक भवन का शिलान्यास नहीं हुआ है, ये सिर्फ एक संस्थान का शिलान्यास नहीं हुआ है, लेकिन मैं विश्व भर में प्राकृतिक चिकित्सा में विश्वास करने वाले परंपरागत चिकित्सा में विश्वास करने वाले, हर किसी को कहना चाहता हूं कि आज जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, उस कालखंड में ये जो शिलान्यास हुआ है, वो शिलान्यास आने वाले 25 साल के लिए विश्व भर में ट्रेडिशनल मेडिसिन के युग का आरंभ कर रहा है।


मैं अपनी आंखों के सामने देख रहा हूं कि holistic healthcare के बढ़ते आकर्षण के कारण आने वाले 25 वर्ष में जब देश आजादी की शताब्‍दी मनाएगा तब ट्रेडिशनल मेडिसिन दुनिया के हर परिवार के लिए अति महत्व का केंद्र बना जाएगा, इसका ये शिलान्यास है। और आयुर्वेद में तो अमृत कलश का बड़ा महत्व है और अमृत काल में ये कार्यक्रम का आरंभ हो रहा है, इसलिए मैं एक नये विश्वास के साथ एक दूरगामी प्रभावों का असर देख रहा हूं और मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर ये बहुत सुखद है कि इस ग्लोबल सेंटर की स्थापना हमारे इस जामनगर में हो रही है। जामनगर का आयुर्वेद से एक विशेष रिश्ता रहा है। पांच दशक से भी ज्यादा पहले, जामनगर में विश्व की पहली आयुर्वेद यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी। यहां एक बेहतरीन आयुर्वेद संस्थान - Institute of Teaching and Research in Ayurveda है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन का ये ग्लोबल सेंटर, वेलनेस के क्षेत्र में जामनगर की पहचान को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाई देगा। Disease Free रहना, निरोगी रहना, जीवन के सफर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है, लेकिन Wellness ही अल्टीमेट Goal होना चाहिए।

साथियों,

वेलनेस का हमारे जीवन में क्या महत्व है, ये हमने covid pandemic के इस दौर में अनुभव किया है। इसलिए विश्व को आज health care delivery के नए आयाम की तलाश है। मुझे खुशी है कि इस साल के लिए “Our planet Our health” ये नारा देकर WHO ने भारत का ‘One Earth, One Health’ इस विजन को आगे बढ़ाया है।

साथियों,

हमारे यहां हज़ारों साल पहले रचित अथर्ववेद में कहा गया है- जीवेम् शरद: शतम्। यानी 100 वर्ष तक जीएं ! हमारी परंपरा में 100 वर्ष की आयु की कामना बहुत सहज रही है क्योंकि तब 100 वर्ष की आयु प्राप्त करना अचंभित नहीं करता था। और इसमें बहुत बड़ी भूमिका हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की होती थी। भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं रही हैं, बल्कि ये लाइफ की एक होलिस्टिक साइंस है। आप में से बहुत सारे लोग जानते हैं कि आयुर्वेद में Healing और ट्रीटमेंट के अलावा सोशल हेल्थ, मेंटल हेल्थ, Happiness, environmental health, करुणा, सहानुभूति, संवेदनशीलता और उत्पादकता सब कुछ इस अमृत कलश में शामिल है। इसलिए हमारे आयुर्वेद को जीवन के ज्ञान के रूप में समझा जाता है, और हमारे यहां जितनी प्रतिष्ठा चार वेदों की है वैसे ही आयुर्वेद को पांचवा वेद कहा जाता है।


साथियों,

आज आधुनिक दुनिया की जो लाइफ स्टाइल है, जो नई-नई बीमारियों हम देख रहे हैं, उससे पार पाने के लिए हमारी ट्रेडिशनल नॉलेज बहुत महत्वपूर्ण है। जैसे अच्छी हेल्थ का एक सीधा संबंध balanced diet से है। हमारे पूर्वज यह मानते थे कि किसी भी रोग का आधा उपचार balanced diet में छिपा होता है। हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां इन जानकारियों से भरी हुई हैं कि किस मौसम में क्या खाना चाहिए, क्या नहीं खाना चाहिए। और इन जानकारियों का आधार, सैकड़ों वर्षों का अनुभव है, सैकड़ों वर्षों के अनुभव का संकलन है। जैसे हमारे यहां भारत में एक समय था जब विशेष रूप से मोटे अनाज, मिलेट्स के उपयोग पर हमारे बुजुर्ग बहुत बल देते थे। समय के साथ हमने इसका उपयोग कम होते हुए भी देखा और आजकल फिर से मिलेट्स की चर्चा बढ़ते हुए भी देख रहे हैं। मुझे इस बात का भी संतोष है कि मिलेट्स के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत का प्रस्ताव, United Nations ने स्वीकार किया है। वर्ष 2023 को International Millet Year घोषित करना मानवता के लिए बहुत हितकारी कदम है।

Excellencies, अभी कुछ समय पहले भारत में जो ‘नेशनल न्यूट्रिशन मिशन’ शुरु हुआ है, उसमें भी हमारी प्राचीन और पारंपरिक विद्या को ध्यान में रखा गया है। कोविड-19 महामारी के दौरान भी हमने आयुष प्रणाली का व्यापक रूप से उपयोग किया। “आयुष काढ़ा” इस नाम से आयुर्वेद आधारित काढ़ा खूब प्रचलित हुआ। आयुर्वेद, सिद्ध, युनानी formulations की globally भी बहुत डिमांड देखने को मिल रही है। दुनिया के अनेक देश आज पेंडेमिक से बचाव के लिए ट्रेडिशनल हर्बल सिस्टम्स के उपयोग पर बल दे रहे हैं।

साथियों,

आयुर्वेद और integrative medicine के क्षेत्र में भारत के जो अनुभव हैं, उनको दुनिया के साथ साझा करना भारत अपना दायित्व समझता है। Diabetes, Obesity, depression, जैसी अनेक बीमारियों से लड़ने में भारत की योग परंपरा दुनिया के बहुत काम आ रही है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से योग प्रचलित हो रहा है, और दुनिया भर में लोगों को मानसिक तनाव कम करने में, मन-शरीर-चेतना में संतुलन कायम करने में, योग मदद कर रहा है। योग के दायरे का विस्तार करने में भी ये नया संस्थान अहम भूमिका निभाए, ये बहुत आवश्यक है।


Excellencies, आज इस अवसर पर मैं इस ग्लोबल सेंटर के लिए पांच लक्ष्य भी रखना चाहता हूं। पहला लक्ष्य- टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए ट्रेडिशनल विद्याओं के संकलन का है, उनका डेटाबेस बनाने का है। अलग-अलग देशों में ट्रेडिशनल मेडिसिन की अलग-अलग परंपराएं रही हैं। इस केंद्र में इन परंपराओं का संकलन करते हुए एक वैश्विक संग्रह या रिपॉजिटरी बनानी चाहिए। ये केंद्र इन परंपराओं के जानकारों, मूल पद्धतियों के स्रोतों का अध्ययन करके भी उनका एक संकलन कर सकता है। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है ताकि अलग-अलग देशों में मौजूद पारंपरिक चिकित्सा की महत्वपूर्ण जानकारी, आने वाली पीढ़ियों को मदद करती रहे।

साथियों,

GCTM को पारंपरिक औषधियों की टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन के लिए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड भी बनाने चाहिए। ये आपकी संस्था का दूसरा लक्ष्य हो सकता है। इससे हर देश में लोगों का भरोसा इन औषधियों पर और बढ़ेगा। हम देखते हैं कि भारत की कई पारंपरिक दवाइयां, विदेशियों को भी बहुत प्रभावी लगती है। लेकिन वैश्विक स्टैंडर्ड ना होने की वजह से उनका नियमित व्यापार सीमित रहता है। इसलिए उनकी उपलब्धता भी कम रहती है। मुझे लगता है कि कई दूसरे देशों को भी इसी तरह की मुश्किल आती होगी। इस ग्लोबल सेंटर को इसके समाधान के लिए भी काम करना चाहिए। WHO ने भी हाल में आयुर्वेद, पंचकर्म और यूनानी के लिए Benchmark Documents तैयार किये हैं। इसका विस्तार किया जाना भी ज़रूरी है।

साथियों,

GCTM एक ऐसा प्लेटफार्म बनना चाहिए जहां विश्व की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के एक्सपर्ट्स एक साथ आएं, एक साथ जुटें, अपने अनुभव साझा करें। इन प्रयासों को ये ग्लोबल सेंटर अपना तीसरा लक्ष्य बना सकता है। क्या ये संस्थान, एक सालाना समारोह कर सकता है, कोई Annual ट्रेडिशनल मेडिसिन फेस्टिवल कर सकता है जिसमें दुनिया के ज्यादा से ज्यादा देशों के एक्सपर्ट्स चिंतन करें, अपनी पद्धतियों को साझा करें।

साथियों,

मैं समझता हूं, इस सेंटर का चौथा लक्ष्य, रिसर्च में निवेश से जुड़ा होना चाहिए। GCTM को ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में रिसर्च के लिए फंडिंग को मोबिलाइज करना चाहिए। हम देखते हैं कि आधुनिक फार्मा कंपनियों के लिए रिसर्च क्षेत्र में अरबों-खबरों डॉलर्स उपलब्ध रहते हैं। हमें उसी तरह के रिसोर्सेस, ट्रेडिशनल मेडिसिन में रिसर्च के लिए भी तैयार करने चाहिए। पांचवा लक्ष्य ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से जुड़ा है। क्या GCTM कुछ स्पेसिफिक बीमारियों के लिए होलिस्टिक ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल विकसित कर सकता है जिसमें मरीज को मॉर्डर्न और ट्रेडिशनल मेडिसिन, दोनों का फायदा मिले। अपने Healthcare systems में इन प्राचीन विद्याओं के effective integration से अनेक बीमारियों से लड़ने में मदद मिल सकती है।


साथियों,

हम भारतीय वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे संतु निरामय: इस भावना से जीने वाले लोग हैं। पूरी दुनिया एक ही परिवार है और ये पूरा परिवार हमेशा निरोगी रहे, ये हमारा दर्शन रहा है। आज WHO-GCTM की स्थापना से भारत की ये परंपरा और समृद्ध हो रही है। WHO का यह केंद्र, विश्व भर में लोगों का स्वास्थ्य बेहतर बनाएगा, इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। और मैं अब दोनों ही मेहमानों का समय निकालने के लिए, इस समारोह को ऊंचाई देने के लिए, इसका महात्म्य बढ़ाने के लिए, हृदय से उनका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। एक बार फिर आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, नमस्कार !
Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
सोशल मीडिया कॉर्नर 21 नवंबर 2024
November 21, 2024

PM Modi's International Accolades: A Reflection of India's Growing Influence on the World Stage