डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने इस सेंटर के लिए सहयोग प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी को धन्यवाद दिया
डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के लिए विश्व के नेताओं ने भारत को धन्यवाद दिया
“ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में भारत के योगदान और क्षमता के सम्मान का प्रतीक है डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन”
"भारत इस साझेदारी को पूरी मानवता की सेवा की एक बड़ी जिम्मेदारी के रूप में लेता है"
“डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के साथ वेलनेस के क्षेत्र में जामनगर के योगदानों को वैश्विक पहचान मिलेगी”
"वन प्लानेट आवर हेल्थ” का नारा देकर डब्ल्यूएचओ ने 'एक धरती, एक स्वास्थ्य' के भारत के विजन को आगे बढ़ाया है"
"भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं है। यह जीवन का एक समग्र विज्ञान है"
नमस्कार!!

मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद कुमार जुगनाथ जी, World Health Organisation के डायरेक्टर जनरल, डॉक्टर टेड्रोस, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री सर्बानंद सोनोवाल जी, डॉक्टर मनसुख मंडाविया, श्री मुंजपारा महेंद्रभाई, यहां उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

आज हम सभी, पूरी दुनिया में हेल्थ एंड वेलनेस के लिए एक बहुत बड़े आयोजन के साक्षी बन रहे हैं। मैं W.HO. के डायरेक्टर जनरल, डॉक्टर टेड्रोस का विशेष रूप से आभारी हूं। अभी डॉक्टर टेड्रोस ने भारत की प्रशंसा में जो शब्द कहे, मैं प्रत्येक भारतीय की तरफ से उनका धन्यवाद करता हूं। और जिस प्रकार से उन्होंने गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी एक प्रकार से त्रिवेणी का एहसास कराया है और हर भारतीय के दिल को छू लिया है, उसके लिए भी मैं विशेष रूप से उनका अभिनंदन करता हूं। डॉ. टेड्रोस से मेरा परिचय पुराना है और जब भी हम मिले हैं। उन्होंने भारत के गुरुओं ने उसको कैसे शिक्षा दी, वो इतने गौरव से उसका उल्लेख करते हैं और इतना प्रसन्नचित्त अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं और उनका भारत के प्रति जो लगाव है, आज एक संस्‍थान के रूप में यहां प्रकट हो रहा है और वो मुझे कहते हैं कि मेरा child है, मैं आपको दे रहा हूं, अब आपकी जिम्मेदारी है कि आपको इसका पालन-पोषण करना है। मैं डॉ. टेड्रोस को विश्वास दिलाता हूं कि आपने जिस भरोसे से भारत को ये जिम्मेदारी दी है और जिस उत्साह और उमंग से हमारे यहां के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल ने इस पूरी जिम्मेदारी को अपने कंधे पर लिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि आपकी आशा और अपेक्षा के अनुसार हम खरे उतरेंगे।


मैं अपने अभिन्न मित्र और मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री जुगनाथ जी का भी आभार व्यक्त करता हूं। मेरा उनके परिवार से भी करीब तीन दशक पुराना संबंध रहा है। जब भी मॉरीशस गया, उनके घर जाना, उनके पिताजी से मिलना, उनके परिवार के सबसे संपर्क, तीन दशक का ये पुराना नाता और मुझे खुशी है कि आज मेरे निमंत्रण पर वो मेरे होम स्टेट गुजरात में आए। और उन्होंने भी गुजरात के साथ गुजराती भाषा के साथ अपना नाता जोड़कर के हम सबका दिल जीत लिया है। अभी हमने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री, भूटान के प्रधानमंत्री, और नेपाल के प्रधानमंत्री के भी विचार सुने। WHO- Global Centre for Traditional Medicine के लिए सभी ने अपनी शुभकामनाएं दी हैं। मैं सभी का आभारी हूं।

साथियों,

W.HO. ने ट्रेडिशनल मेडिसिन के इस सेंटर के रूप में भारत के साथ एक नई पार्टनरशिप की है। ये ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में भारत के कंट्रीब्यूशन और भारत के पोटेंशियल, दोनों का सम्मान है। भारत इस पार्टनरशिप को, पूरी मानवता की सेवा के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी के रूप में ले रहा है। ये सेंटर, दुनिया भर में फैली पारंपरिक चिकित्सा से सहयोग से दुनिया के लोगों को बेहतर मेडिकल सॉल्यूशंस देने में मदद करेगा। और मैं ये भी कहना चाहूंगा कि जामनगर की धरती पर डॉ. टेड्रोस और प्रविंद जी की हाजरी में ये सिर्फ एक भवन का शिलान्यास नहीं हुआ है, ये सिर्फ एक संस्थान का शिलान्यास नहीं हुआ है, लेकिन मैं विश्व भर में प्राकृतिक चिकित्सा में विश्वास करने वाले परंपरागत चिकित्सा में विश्वास करने वाले, हर किसी को कहना चाहता हूं कि आज जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, उस कालखंड में ये जो शिलान्यास हुआ है, वो शिलान्यास आने वाले 25 साल के लिए विश्व भर में ट्रेडिशनल मेडिसिन के युग का आरंभ कर रहा है।


मैं अपनी आंखों के सामने देख रहा हूं कि holistic healthcare के बढ़ते आकर्षण के कारण आने वाले 25 वर्ष में जब देश आजादी की शताब्‍दी मनाएगा तब ट्रेडिशनल मेडिसिन दुनिया के हर परिवार के लिए अति महत्व का केंद्र बना जाएगा, इसका ये शिलान्यास है। और आयुर्वेद में तो अमृत कलश का बड़ा महत्व है और अमृत काल में ये कार्यक्रम का आरंभ हो रहा है, इसलिए मैं एक नये विश्वास के साथ एक दूरगामी प्रभावों का असर देख रहा हूं और मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर ये बहुत सुखद है कि इस ग्लोबल सेंटर की स्थापना हमारे इस जामनगर में हो रही है। जामनगर का आयुर्वेद से एक विशेष रिश्ता रहा है। पांच दशक से भी ज्यादा पहले, जामनगर में विश्व की पहली आयुर्वेद यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी। यहां एक बेहतरीन आयुर्वेद संस्थान - Institute of Teaching and Research in Ayurveda है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन का ये ग्लोबल सेंटर, वेलनेस के क्षेत्र में जामनगर की पहचान को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाई देगा। Disease Free रहना, निरोगी रहना, जीवन के सफर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है, लेकिन Wellness ही अल्टीमेट Goal होना चाहिए।

साथियों,

वेलनेस का हमारे जीवन में क्या महत्व है, ये हमने covid pandemic के इस दौर में अनुभव किया है। इसलिए विश्व को आज health care delivery के नए आयाम की तलाश है। मुझे खुशी है कि इस साल के लिए “Our planet Our health” ये नारा देकर WHO ने भारत का ‘One Earth, One Health’ इस विजन को आगे बढ़ाया है।

साथियों,

हमारे यहां हज़ारों साल पहले रचित अथर्ववेद में कहा गया है- जीवेम् शरद: शतम्। यानी 100 वर्ष तक जीएं ! हमारी परंपरा में 100 वर्ष की आयु की कामना बहुत सहज रही है क्योंकि तब 100 वर्ष की आयु प्राप्त करना अचंभित नहीं करता था। और इसमें बहुत बड़ी भूमिका हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की होती थी। भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं रही हैं, बल्कि ये लाइफ की एक होलिस्टिक साइंस है। आप में से बहुत सारे लोग जानते हैं कि आयुर्वेद में Healing और ट्रीटमेंट के अलावा सोशल हेल्थ, मेंटल हेल्थ, Happiness, environmental health, करुणा, सहानुभूति, संवेदनशीलता और उत्पादकता सब कुछ इस अमृत कलश में शामिल है। इसलिए हमारे आयुर्वेद को जीवन के ज्ञान के रूप में समझा जाता है, और हमारे यहां जितनी प्रतिष्ठा चार वेदों की है वैसे ही आयुर्वेद को पांचवा वेद कहा जाता है।


साथियों,

आज आधुनिक दुनिया की जो लाइफ स्टाइल है, जो नई-नई बीमारियों हम देख रहे हैं, उससे पार पाने के लिए हमारी ट्रेडिशनल नॉलेज बहुत महत्वपूर्ण है। जैसे अच्छी हेल्थ का एक सीधा संबंध balanced diet से है। हमारे पूर्वज यह मानते थे कि किसी भी रोग का आधा उपचार balanced diet में छिपा होता है। हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां इन जानकारियों से भरी हुई हैं कि किस मौसम में क्या खाना चाहिए, क्या नहीं खाना चाहिए। और इन जानकारियों का आधार, सैकड़ों वर्षों का अनुभव है, सैकड़ों वर्षों के अनुभव का संकलन है। जैसे हमारे यहां भारत में एक समय था जब विशेष रूप से मोटे अनाज, मिलेट्स के उपयोग पर हमारे बुजुर्ग बहुत बल देते थे। समय के साथ हमने इसका उपयोग कम होते हुए भी देखा और आजकल फिर से मिलेट्स की चर्चा बढ़ते हुए भी देख रहे हैं। मुझे इस बात का भी संतोष है कि मिलेट्स के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत का प्रस्ताव, United Nations ने स्वीकार किया है। वर्ष 2023 को International Millet Year घोषित करना मानवता के लिए बहुत हितकारी कदम है।

Excellencies, अभी कुछ समय पहले भारत में जो ‘नेशनल न्यूट्रिशन मिशन’ शुरु हुआ है, उसमें भी हमारी प्राचीन और पारंपरिक विद्या को ध्यान में रखा गया है। कोविड-19 महामारी के दौरान भी हमने आयुष प्रणाली का व्यापक रूप से उपयोग किया। “आयुष काढ़ा” इस नाम से आयुर्वेद आधारित काढ़ा खूब प्रचलित हुआ। आयुर्वेद, सिद्ध, युनानी formulations की globally भी बहुत डिमांड देखने को मिल रही है। दुनिया के अनेक देश आज पेंडेमिक से बचाव के लिए ट्रेडिशनल हर्बल सिस्टम्स के उपयोग पर बल दे रहे हैं।

साथियों,

आयुर्वेद और integrative medicine के क्षेत्र में भारत के जो अनुभव हैं, उनको दुनिया के साथ साझा करना भारत अपना दायित्व समझता है। Diabetes, Obesity, depression, जैसी अनेक बीमारियों से लड़ने में भारत की योग परंपरा दुनिया के बहुत काम आ रही है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से योग प्रचलित हो रहा है, और दुनिया भर में लोगों को मानसिक तनाव कम करने में, मन-शरीर-चेतना में संतुलन कायम करने में, योग मदद कर रहा है। योग के दायरे का विस्तार करने में भी ये नया संस्थान अहम भूमिका निभाए, ये बहुत आवश्यक है।


Excellencies, आज इस अवसर पर मैं इस ग्लोबल सेंटर के लिए पांच लक्ष्य भी रखना चाहता हूं। पहला लक्ष्य- टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए ट्रेडिशनल विद्याओं के संकलन का है, उनका डेटाबेस बनाने का है। अलग-अलग देशों में ट्रेडिशनल मेडिसिन की अलग-अलग परंपराएं रही हैं। इस केंद्र में इन परंपराओं का संकलन करते हुए एक वैश्विक संग्रह या रिपॉजिटरी बनानी चाहिए। ये केंद्र इन परंपराओं के जानकारों, मूल पद्धतियों के स्रोतों का अध्ययन करके भी उनका एक संकलन कर सकता है। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है ताकि अलग-अलग देशों में मौजूद पारंपरिक चिकित्सा की महत्वपूर्ण जानकारी, आने वाली पीढ़ियों को मदद करती रहे।

साथियों,

GCTM को पारंपरिक औषधियों की टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन के लिए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड भी बनाने चाहिए। ये आपकी संस्था का दूसरा लक्ष्य हो सकता है। इससे हर देश में लोगों का भरोसा इन औषधियों पर और बढ़ेगा। हम देखते हैं कि भारत की कई पारंपरिक दवाइयां, विदेशियों को भी बहुत प्रभावी लगती है। लेकिन वैश्विक स्टैंडर्ड ना होने की वजह से उनका नियमित व्यापार सीमित रहता है। इसलिए उनकी उपलब्धता भी कम रहती है। मुझे लगता है कि कई दूसरे देशों को भी इसी तरह की मुश्किल आती होगी। इस ग्लोबल सेंटर को इसके समाधान के लिए भी काम करना चाहिए। WHO ने भी हाल में आयुर्वेद, पंचकर्म और यूनानी के लिए Benchmark Documents तैयार किये हैं। इसका विस्तार किया जाना भी ज़रूरी है।

साथियों,

GCTM एक ऐसा प्लेटफार्म बनना चाहिए जहां विश्व की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के एक्सपर्ट्स एक साथ आएं, एक साथ जुटें, अपने अनुभव साझा करें। इन प्रयासों को ये ग्लोबल सेंटर अपना तीसरा लक्ष्य बना सकता है। क्या ये संस्थान, एक सालाना समारोह कर सकता है, कोई Annual ट्रेडिशनल मेडिसिन फेस्टिवल कर सकता है जिसमें दुनिया के ज्यादा से ज्यादा देशों के एक्सपर्ट्स चिंतन करें, अपनी पद्धतियों को साझा करें।

साथियों,

मैं समझता हूं, इस सेंटर का चौथा लक्ष्य, रिसर्च में निवेश से जुड़ा होना चाहिए। GCTM को ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में रिसर्च के लिए फंडिंग को मोबिलाइज करना चाहिए। हम देखते हैं कि आधुनिक फार्मा कंपनियों के लिए रिसर्च क्षेत्र में अरबों-खबरों डॉलर्स उपलब्ध रहते हैं। हमें उसी तरह के रिसोर्सेस, ट्रेडिशनल मेडिसिन में रिसर्च के लिए भी तैयार करने चाहिए। पांचवा लक्ष्य ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से जुड़ा है। क्या GCTM कुछ स्पेसिफिक बीमारियों के लिए होलिस्टिक ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल विकसित कर सकता है जिसमें मरीज को मॉर्डर्न और ट्रेडिशनल मेडिसिन, दोनों का फायदा मिले। अपने Healthcare systems में इन प्राचीन विद्याओं के effective integration से अनेक बीमारियों से लड़ने में मदद मिल सकती है।


साथियों,

हम भारतीय वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे संतु निरामय: इस भावना से जीने वाले लोग हैं। पूरी दुनिया एक ही परिवार है और ये पूरा परिवार हमेशा निरोगी रहे, ये हमारा दर्शन रहा है। आज WHO-GCTM की स्थापना से भारत की ये परंपरा और समृद्ध हो रही है। WHO का यह केंद्र, विश्व भर में लोगों का स्वास्थ्य बेहतर बनाएगा, इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। और मैं अब दोनों ही मेहमानों का समय निकालने के लिए, इस समारोह को ऊंचाई देने के लिए, इसका महात्म्य बढ़ाने के लिए, हृदय से उनका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। एक बार फिर आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, नमस्कार !
Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।