प्रधानमंत्री ने प्रगति मैदान में नए प्रदर्शनी परिसर का भी उद्घाटन किया
"आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ अगले 25 वर्षों के लिए भारत की नींव रखी जा रही है"
"भारत के लोग, भारतीय उद्योग, भारतीय व्यवसाय, भारतीय विनिर्माता, भारतीय किसान गतिशक्ति के इस महाअभियान के केंद्र में हैं"
“हमने न सिर्फ परियोजनाओं को तय समयसीमा में पूरा करने की कार्य संस्कृति विकसित की है, बल्कि आज समय से पहले परियोजनाएं पूरी करने के प्रयास हो रहे हैं”
“अब सरकार के समग्र रुख के साथ, सरकार की सामूहिक शक्ति योजनाओं को पूरा करने में लग रही है”
“गतिशक्ति योजना सग्रम शासन का विस्तार है”

नमस्कार।

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री नितिन गडकरी जी, श्री पीयूष गोयल जी, श्री हरदीप सिंह पुरी जी, श्री सर्बानंद सोनोवाल जी, श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, श्री अश्विनी वैश्णव जी, श्री राज कुमार सिंह जी, अलग-अलग राज्य सरकारों के मुख्यमंत्री, लेफ्टिनेंट गवर्नर्स, राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, उद्योग जगत के साथी, अन्य महानुभाव और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

आज दुर्गा अष्टमी है। पूरे देश में आज शक्ति स्वरूपा का पूजन हो रहा है, कन्या पूजन हो रहा है। और शक्ति की उपासना के इस पुण्य अवसर पर देश की प्रगति की गति को भी शक्ति देने का शुभ-कार्य हो रहा है।

ये समय भारत की आजादी के 75 वर्ष का है, आज़ादी के अमृतकाल का है। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ हम, अगले 25 वर्षों के भारत की बुनियाद रच रहे हैं। पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान, भारत के इसी आत्मबल को, आत्मविश्वास को, आत्मनिर्भरता के संकल्प तक ले जाने वाला है। ये नेशनल मास्टरप्लान, 21वीं सदी के भारत को गति शक्ति देगा। नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर और मल्टीमोडल कनेक्टिविटी को इस नेशनल प्लान से गतिशक्ति मिलेगी। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी सरकारी नीतियों में प्लानिंग से लेकर एग्ज़ीक्यूशन तक को ये नेशनल प्लान गति शक्ति देगा।सरकार के प्रोजेक्ट्स तय समय-सीमा के भीतर पूरे हों, इसके लिए ये गति शक्ति नेशनल प्लान, सही जानकारी और सटीक मार्गदर्शन करेगा।

गतिशक्ति के इस महाअभियान के केंद्र में हैं भारत के लोग, भारत की इंडस्ट्री, भारत का व्यापार जगत, भारत के मैन्यूफैक्चरर्स, भारत के किसान भारत का गांव। ये भारत की वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को 21वीं सदी के भारत के निर्माण के लिए नई ऊर्जा देगा, उनके रास्ते के अवरोध समाप्त करेगा। ये मेरा सौभाग्य है कि आज के इस पावन दिन मैं पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान, इसका शुभारंभ करने का मुझे अवसर मिला है।

साथियों,

आज ही यहां प्रगति मैदान में बन रहे International Exhibition-cum-Convention Centreके 4 प्रदर्शनी हॉल का लोकार्पण भी हुआ है। दिल्ली में आधुनिक इंफ्रा से जुड़ा ये भी एक अहम कदम है। ये Exhibition Centres हमारे MSMEs, हमारे हैंडीक्राफ्ट, हमारे कुटीर उद्योग को अपने प्रोडक्ट्स, दुनियाभर के बाज़ारों के लिए शोकेस करने, ग्लोबल मार्केट तक अपनी पहुंच बढ़ाने में बहुत बड़ी मदद करेंगे। मैं दिल्ली के लोगों को, देश के लोगों कोबहुतबधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

हमारे यहां दशकों तक सरकारी व्यवस्थाओं ने जिस तरह काम किया है, उस वजह से सरकारी शब्द आते ही लोगों के मन में आता था, खराब क्वालिटी, काम में बरसों की देरी, बेवजह की रुकावटें, जनता के पैसे का अपमान। मैं अपमान इसलिए कह रहा हूं क्योंकि जो टैक्स के रूप में देश की जनता, सरकार को देती है, उस पैसे का इस्तेमाल करते समय, सरकारों में ये भावना ही नहीं होती थी कि एक भी पैसा बर्बाद नहीं होना चाहिए।सब ऐसे ही चल रहा था। देशवासी भी अभ्यस्त हो गए थे कि देश ऐसे ही चलेगा। वो परेशान होते थे, दूसरे देशों की प्रगति देख उदास होते थे और इस भावना से भर गए थे कि कुछ बदल नहीं सकता। जैसा अभी हम वीडियो में भी देख रहे थे, हर जगह नजर आता था-Work In Progress.लेकिन वो काम कभी पूरा होगा भी या नहीं, समय पर पूरा होगा या नहीं, इसे लेकर कोई विश्वास जनता के मन में नहीं था।Work in Progressका बोर्ड, एक तरह से अविश्वास का प्रतीक बन गया था। ऐसी स्थिति में देश प्रगति कैसे करता? प्रगति भी तभी मानी जाएगी जब उसमें गति हो, गति के लिए एक अधीरता हो, गति के लिए सामूहिक प्रयास हो।

आज 21वीं सदी का भारत, सरकारी व्यवस्थाओं की उस पुरानी सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है। आज का मंत्र है-Will for Progress. Work for Progress.Wealth for Progress. Plan for progress. Preference for progress.हमने ना सिर्फ परियोजनाओं को तय समय- सीमा में पूरा करने काwork-cultureविकसित किया बल्कि आज समय से पहले प्रोजेक्टस पूरे करने का प्रयास हो रहा है। अगर आज भारत, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए ज्यादा से ज्यादा Investment करने के लिए प्रतिबद्ध है, तो वहीं आज का भारत हर वो कदम भी उठा रहा है जिससे प्रोजेक्ट्स में देरी ना हो, रुकावटें ना आएं, काम समय पर पूरा हो।

साथियों,

देश का सामान्य मानवी, एक छोटा सा भी घर बनाता है, तो उसके लिए बाकायदा प्लानिंग करता है। कोई बड़ी यूनिवर्सिटी बनती है, कोई कॉलेज बनाता हैतो भी पूरी प्लानिंग के साथ बनाया जाता है। समय-समय पर उसके विस्तार की गुंजाइश को भी पहलेसेही सोच लिया जाता है।और ये इसमें हर किसी का अनुभव है, हरेक का ये अनुभव से आप गुजरे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से, हम, भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट्स में Comprehensive Planning से जुड़ी अनेक कमियां रोजमर्रा अनुभव करते हैं। थोड़ा-बहुत जहां हुआ भी है, तो हमने देखा है कि रेलवे अपनी प्लानिंग कर रही है, रोड ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट अपनी प्लानिंग कर रहा है, टेलीकॉम डिपार्टमेंट की अपनी प्लानिंग होती है, गैस नेटवर्क का काम अलग प्लानिंग से हो रहा है। ऐसे ही तमाम डिपार्टमेंट अलग-अलग प्लान करते हैं।

हम सभी ने ये भी देखा है कि पहले कहीं सड़क बनती है, सड़क बिल्‍कुल तैयार हो जाती है। और फिर वो पानी वाला डिपार्टमेंट आएगा वो पानी की पाइप के लिए फिर खुदाई कर देता हैफिर पानी वाले पहुंचते हैं, इसी प्रकार काम होता रहा है। ये भी होता है कि रोड बनाने वाले डिवाइडर बना देते हैं और फिर ट्रैफिक पुलिस कहती है कि इससे तो जामलगा रहेगा, डिवाइडर हटाओ।कहीं चौराहे पर सर्किल बना दिया जाता है तो ट्रैफिक सुचारू रूप से चलने के बजाय वहां अव्यवस्था होने लगती है। और हमने देश भर में ऐसा होते हुए देखा है। इन परिस्थितियों के बीच, जब सारे प्रोजेक्ट्स को सिंक्रोनाइज करने की जरूरत पड़ती है, तो इसके लिए बहुत ज्यादा Effort करना पड़ता है।बिगड़ी हुई बात को ठीक करने में बहुत मेहनत लगती है।

साथियों,

ये जितनी भी दिक्कतें हैं, उसका मूल कारण ये है किMacro Planning और Micro-Implementation में जमीन आसमान का अंतर होता है। अलग-अलग विभागों को पता ही नहीं होता कि कौन सा विभाग कौन सा प्रोजेक्ट कहां शुरू करने की तैयारी कर रहा है। राज्यों के पास भी इस तरह की जानकारी advance में नहीं होती। इस तरह के silos के कारण, निर्णय प्रक्रिया भी प्रभावित होती है और बजट की भी बर्बादी होती है। सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि शक्ति जुड़ने के बजाय, शक्तिmultiplyहोने के बजाय, शक्ति विभाजित हो जाती है। जो हमारे प्राइवेट प्लेयर्स हैं, उन्हें भी ये ठीक-ठीक पता नहीं होता कि भविष्य में यहां से सड़क गुजरने वाली है, यायहांसेकैनाल बनने वाली है, यायहांकोईपावर स्टेशनलगने वाला है। इस वजह से वो भी किसी क्षेत्र को लेकर, किसी सेक्टर को लेकर बेहतर प्लान नहीं कर पाते हैं। इन सारी दिक्कतों का हल, पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान, इससेही निकलेगा। जब हम मास्टर प्लान को आधार बनाकर चलेंगे, तो हमारे Resources का भी Optimum Utilisation होगा।

साथियों,

हमारे देश में इंफ्रास्ट्रक्चर का विषय ज्यादातर राजनीतिक दलों की प्राथमिकता से दूर रहा है। ये उनके घोषणापत्र में भी नजर नहीं आताहै। अब तो ये स्थिति आ गई है कि कुछ राजनीतिक दल, देश के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर आलोचना करने लगे हैं। जबकि दुनिया में ये स्वीकृत बात है किSustainable Developmentके लिएQualityइंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण एक ऐसा रास्ता है, जो अनेक आर्थिक गतिविधियों को जन्म देता है, बहुत बड़े पैमाने पर रोजगार का निर्माण करता है। जैसे Skilled Manpower के बिना हम किसी क्षेत्र में आवश्यक परिणाम नहीं प्राप्त कर सकते, वैसे ही बेहतर और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के बिना हम चौतरफा विकास नहीं कर सकते।

साथियों,

राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के साथ ही, देश के इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया सरकारी विभागों के बीच आपसी तालमेल की कमी ने, आपसी खींचतान ने। राज्यों में भी हमने राज्य सरकारों औरस्थानीय निकायों के बीच इस विषय पर तनाव होते देखा है। इस वजह से जो प्रोजेक्ट्स देश की economic growth को बढ़ाने में मददगार होने चाहिए थे, वही प्रोजेक्ट्स देश के विकास के सामने एक दीवार बन जाते हैं। समय के साथ, बरसों से लटके हुए ये प्रोजेक्ट, अपनी प्रासंगिकता, अपनी जरूरत भी खो देते हैं। मैं जब 2014 में यहां दिल्लीएक नई जिम्‍मेदारी के साथआया, तो भी ऐसे सैकड़ों प्रोजेक्ट्स थे, जो दशकों से अटके हुए थे। लाखों करोड़ रुपए के ऐसे सैकड़ों प्रोजेक्ट्स की मैंने खुद समीक्षा की, सरकार के सारे विभागों, सारे मंत्रालयों को एक प्लेटफॉर्म पर लाकर खड़ा कर दिया, सारी रुकावटों को दूर करने का प्रयास किया। मुझे संतोष है कि अब सबका ध्यान इस ओर गया है कि आपसी तालमेल की कमी की वजह से परियोजनाओं में देरी ना हो। अबwhole of government approach के साथ, सरकार की सामूहिक शक्ति योजनाओं को पूरा करने में लग रही है।इसी वजह से अब दशकों से अधूरी बहुत सारी परियोजनाएं पूरी हो रही हैं।

साथियों,

पीएम गति-शक्ति, अब ये सुनिश्चित करेगी कि 21वीं सदी का भारत इंफ्रा प्रोजेक्ट्स में कॉ-ऑर्डिनेशन में कमी की वजह से ना पैसे का नुकसान उठाए औऱ ना ही समय गंवाए।पीएम गति-शक्ति नेशनल मास्टर प्लानके तहत, रोड से लेकर रेलवे तक, एविएशन से लेकर एग्रीकल्चर तक, विभिन्न मंत्रालयों को, विभागों को, इससे जोड़ा जा रहा है। हर बड़े प्रोजेक्ट को, हर डिपार्टमेंट को सही जानकारी, सटीक जानकारी, समय पर मिले, इसके लिए टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म भी तैयार किया गया है। आज यहां कई राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यों के अन्य प्रतिनिधि भी जुड़े हैं। मेरा सभी से आग्रह है कि जल्द से जल्द आपके राज्य भी पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान से जुड़कर अपने राज्य की योजनाओं को गति दें। इससे राज्य के लोगों का भी बहुत लाभ होगा।

साथियों,

पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान सरकारी प्रोसेस और उससे जुड़े अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स को तो एक साथ लाता ही है, ये ट्रांसपोर्टेशन के अलग-अलग मोड्स को, आपस में जोड़ने में भी मदद करता है। ये होलिस्टिक गवर्नेंस का विस्तार है। अब जैसे गरीबों के घर से जुड़ी योजना में सिर्फ चारदीवारी नहीं बनाई जाती बल्कि उसमें टॉयलेट, बिजली, पानी, गैस कनेक्शन भी साथ ही आता है, ठीक वैसा ही विजन इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी है। अतीत में हमने देखा है कि उद्योगों के लिए स्पेशल ज़ोन का ऐलान तो किया जाता था लेकिन वहां तक कनेक्टिविटी या फिर बिजली-पानी-टेलीकॉम पहुंचाने में गंभीरता नहीं दिखाई जाती थी।

साथियों,

ये भी बहुत सामान्य बात थी कि जहां सबसे ज्यादा माइनिंग का काम होता है, वहां रेल कनेक्टिविटी नहीं होती थी। हम सभी ने ये भी देखा है कि कहीं पोर्ट होते थे, तो पोर्ट को शहर से कनेक्ट के लिए रेल या रोड की सुविधाओं का अभाव होता था। ऐसी ही वजहों से भारत में प्रॉडक्शन कॉस्ट बढ़ती रही है, हमारे Exports की Cost बढ़ती रही है, हमारा लॉजिस्टिक कॉस्ट बहुत ज्यादा रहा है। निश्चित तौर पर ये आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में बहुत बड़ी रुकावट है।

एक स्टडी है कि भारत में लॉजिस्टिक कॉस्ट, GDPका करीब-करीब 13 प्रतिशत है। दुनिया के बड़े-बड़े देशों में ऐसी स्थिति नहीं है। ज्यादा लॉजिस्टिक कॉस्ट की वजह से भारत केExportsकी कंपटीटिवनेस बहुत कम हो जाती है। जहां प्रॉडक्शन हो रहा है, वहां से पोर्ट तक पहुंचाने का जो खर्च है, उस पर ही भारत के एक्सपोर्टर्स को लाखों करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इस वजह से उनके Product की कीमत भी बेतहाशा बढ़ जाती है। उनका Product दूसरे देशों के मुकाबले बहुत महंगा हो जाता है। एग्रीकल्चर के क्षेत्र में भी इस वजह से हमारे किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए आज समय की मांग है कि भारत में सीमलेस कनेक्टिविटी बढ़े, लास्ट माइल कनेक्टिविटी और मजबूत हो। इसलिए ये पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान बहुत बड़ा और बहुत ही महत्‍वपूर्ण कदम है। इस दिशा में आगे जाने बढ़ने पर, हर प्रकार का इंफ्रास्ट्रक्चर, दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर को सपोर्ट करेगा, उसका पूरक बनेगा। औऱ मैं समझता हूं, हर कारण, हर स्टेकहोल्डर को भी औऱ ज्यादा उत्साह से इससे जुड़ने की प्रेरणा मिलेगी।

साथियों,

पीएम गतिशक्ति- नेशनल मास्टर प्लान देश की पॉलिसी मेकिंग से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स को, इन्वेस्टर्स को एक एनालिटिकल और डिसिजन मेकिंग टूल भी देगा। इससे सरकारों को प्रभावी प्लानिंग और पॉलिसी बनाने में मदद मिलेगी, सरकार का अनावश्यक खर्च बचेगा और उद्यमियों को भी किसी प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी मिलती रहेगी। इससे राज्य सरकारों को भी अपनी प्राथमिकताएं तय करने में मदद मिलेगी। जब ऐसा डेटा बेस्ड मैकेनिज्म देश में होगा तो हर राज्य सरकार, निवेशकों के लिए टाइम बाउंड कमिटमेंट्स दे पाएंगी। इससे इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में भारत की बढ़ती साख को नई बुलंदी मिलेगी, नया आयाम मिलेगा। इससे देशवासियों को कम कीमत में बेहतरीन क्वालिटी मिलेगी, युवाओं को रोज़गार के अनेक नए अवसर मिलेंगे।

साथियों,

देश के विकास के लिए ये बहुत जरूरी है कि सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े सभी विभाग एक दूसरे के साथ बैठें, एक दूसरे की collective power का इस्तेमाल करें। बीते वर्षो में इसी अप्रोच ने भारत को अभूतपूर्व गति दी है। पिछले 70 वर्षों की तुलना में, आज भारत, पहले से कहीं ज्यादा Speed और Scale पर काम कर रहा है।

साथियों,

भारत में पहली इंटरस्टेट नैचुरल गैस पाइपलाइन साल 1987 में कमीशन हुई थी। इसके बाद साल 2014 तक, यानि 27 साल में देश में 15 हजार किलोमीटर नैचुरल गैस पाइपलाइन बनी। आज देशभर में, 16 हजार किलोमीटर से ज्यादानईगैस पाइपलाइन पर काम चल रहा है। ये काम अगले 5-6 वर्षों में पूरा होने का लक्ष्य है। यानि जितना काम 27 वर्षों में हुआ, हम उससे ज्यादा काम, उसके आधे समय में करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। काम करने की यही रफ्तार आज भारत की पहचान बन रही है। 2014 के पहले के 5 सालों में सिर्फ 1900 किलोमीटर रेल लाइनों का दोहरीकरण हुआ था। बीते 7 वर्षों में हमने 9 हजार किलोमीटर से ज्यादा रेल लाइनों की डबलिंग की है।कहां 19 सौ और कहां 7 हजार। 2014 से पहले के 5 सालों में सिर्फ 3000 किलोमीटर रेलवे का बिजलीकरण हुआ था। बीते 7 वर्षों में हमने 24 हजार किलोमीटर से भी अधिक रेलवे ट्रैक का बिजलीकरण किया है।कहां तीन हजार कहां 24 हजार। 2014 के पहले लगभग 250 किलोमीटर ट्रैक पर ही मेट्रो चल रही थी, आज 7 सौ किलोमीटर तक मेट्रो का विस्तार हो चुका है औऱ एक हजार किलोमीटर नए मेट्रो रूट पर काम चल रहा है। 2014 के पहले के 5 सालों में सिर्फ 60 पंचायतों को ही ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जा सका था। बीते 7 वर्षों में हमने डेढ़ लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से कनेक्ट कर दिया है। कनेक्टिविटी के पारंपरिक माध्यमों के विस्तार के साथ-साथ inland waterways और seaplanes नया इंफ्रास्ट्रक्चर भी देश को मिल रहा है। 2014 तक देश में सिर्फ 5 वॉटरवेज़ थे। आज देश में 13 वॉटरवेज़ काम कर रहे हैं। 2014 से पहले हमारे पोर्ट्स पर vessel turnaround time 41 घंटे से भी ज्यादा था। अब ये घटकर 27 घंटे रह गया है। इसे और कम करने का प्रयासभीकिया जा रहा है।

साथियों,

कनेक्टिविटी के अलावा ज़रूरी दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को भी नई रफ्तार दी गई है। बिजली की प्रोडक्शन से लेकर ट्रांसमिशन के पूरे नेटवर्क को ट्रांसफॉर्म किया गया है, वन नेशन वन पावर ग्रिड का संकल्प सिद्ध हो चुका है। 2014 तक देश में जहां 3 लाख सर्किट किलोमीटर पावर ट्रांसमिशन लाइन्स थीं वहीं आज ये बढ़कर सवा चार लाख सर्किट किलोमीटर से भी ज्यादा हो चुकी है। न्यू एंड रिन्युएबल एनर्जी के मामले में जहां हम बहुत ही मार्जिनल प्लेयर थे, वहीं आज हम दुनिया के टॉप-5 देशों में पहुंच चुके हैं। 2014 की इंस्टॉल्ड कैपेसिटी से करीब-करीब तीन गुना कपैसिटी, यानि 100 गीगावॉट से ज्यादा भारत हासिल कर चुका है।

साथियों,

आज देश में एविएशन का आधुनिक इकोसिस्टम विकसित करने पर तेजी से काम हो रहा है। एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए देश में नए एयरपोर्ट्स के निर्माण के साथ ही हमने एयरस्पेस को भी और ज्यादा खोल दिया है। बीते एक दो वर्षों में ही 100 से ज्यादा एयररूट्स की समीक्षा करके उनकी दूरी घटाई गई है। जिन क्षेत्रों के ऊपर से पैसेंजर फ्लाइट्स के उड़ने पर पाबंदी थी, उसे भी हटाया गया है। इस एक फैसले से बहुत से शहरों के बीच एयरटाइम कम हुआ है, उड़ान का समय कम हुआ है। एविएशन सेक्टर को मजबूती देने के लिए नई MRO पॉलिसी बनाना हो, GST का काम पूराकरना हो, पायलट्स की ट्रेनिंगकी बातहो, इन सभी पर काम किया गया है।

साथियों,

ऐसे ही प्रयासों से देश को विश्वास हुआ है कि हम तेज गति से काम कर सकते हैं, बड़े लक्ष्य, बड़े सपने भी पूरे हो सकते हैं। अब देश की अपेक्षा और आकांक्षा, दोनों बढ़ गई हैं। इसलिए, आने वाले 3-4 वर्षों के लिए हमारे संकल्प भी बहुत बड़े हो गए हैं। अब देश का लक्ष्य है, लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को कम से कम करना, रेलवे की कार्गो क्षमता बढ़ाना, पोर्ट कार्गो कैपेसिटी बढ़ाना, टर्न अराउंड और कम करना। आने वाले 4-5 साल में देश में कुल मिलाकर 200 से ज्यादा एयरपोर्ट, हेलीपैड और वॉटर एअरोडोम बनकर तैयार होने जा रहे हैं। अभी जो 19 हज़ार किलोमीटर के करीब का हमारा गैस पाइपलाइन नेटवर्क है, उसे भी बढ़ाकर लगभग दोगुना किया जाएगा।

साथियों,

देश के किसानों और मछुआरों की आय बढ़ाने के लिए प्रोसेसिंग से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को भी तेजी से विस्तार दिया जा रहा है। 2014 में देश में सिर्फ 2 मेगा फूड पार्क्स थे। आज देश में 19 मेगा फूड पार्क्स काम कर रहे हैं। अब इनकी संख्या 40 से अधिक तक पहुंचाने का लक्ष्य है। बीते 7 सालों में फिशिंग क्लस्टर्स, फिशिंग हार्बर और लैंडिंग सेंटर्स की संख्या 40 से बढ़कर 100 से अधिक तक पहुंच चुकी है। इसमें दो गुना से ज्यादा की वृद्धि करने का लक्ष्य लेकर हम चल रहे हैं।

साथियों,

डिफेंस सेक्टर में भी पहली बार व्यापक प्रयास हो रहा है। अभी तमिलनाडु और यूपी में 2 डिफेंस कॉरिडोर पर काम चल रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मैन्युफेक्चरिंग में आज हम तेज़ी से अग्रणी देशों में शामिल हो रहे हैं। एक समय हमारे यहां 5 मैन्यूफैक्चरिंग क्ल्स्टर थे। आज 15 मैन्युफेक्चरिंग क्लस्टर हम तैयार कर चुके हैं। और इसे भी दोगुना तक वृद्धि का टारगेट है। बीते सालों में 4 इंडस्ट्रियल कॉरीडोर शुरू हो चुके हैं और अब ऐसे कॉरिडोर्स की संख्या को एक दर्जन तक बढ़ाया जा रहा है।

साथियों,

आज सरकार जिस अप्रोच के साथ काम कर रही है, उसका एक उदाहरण प्लग एंड प्ले इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी है। अब देश की इंडस्ट्री को ऐसी सुविधाएं देने का प्रयास है जो प्लग एंड प्ले इंफ्रास्ट्रक्चर से युक्त हो। यानि देश और दुनिया के निवेशकों को सिर्फ अपना सिस्टम लगाना है और काम शुरु करना है। जैसे ग्रेटर नोएडा के दादरी में ऐसी ही इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप तैयार हो रही है। इसको पूर्वी और पश्चिमी भारत के पोर्ट्स से डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए यहां मल्टीमोडल लॉजिस्टिक्स हब बनाया जाएगा। इसी के बगल में मल्टीमोडल ट्रांसपोर्ट हब बनेगा। जिसमें स्टेट ऑफ द आर्ट रेलवे टर्मिनस होगा, जिसको इंटर और इंट्रा स्टेट बस टर्मिनस मिलेगा, मास रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम और दूसरी सुविधाओं से सपोर्ट किया जाएगा। देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसी ही सुविधाओं के निर्माण से भारत, दुनिया की Business Capital बनने का सपना साकार कर सकता है।

साथियों,

ये जितने भी लक्ष्य मैंने गिनाए हैं, ये लक्ष्य सामान्य नहीं हैं। इसलिए इनको हासिल करने के प्रयास भी अभूतपूर्व होंगे, इसके तरीके भी अभूतपूर्व होंगे। और इन्हें सबसे ज्यादा ताकत पीएम गतिशक्ति- नेशनल मास्टर प्लानसे ही मिलेगी। जिस प्रकार JAM त्रिनिटी यानि जनधन-आधार-मोबाइल की शक्ति से देश में सरकारी सुविधाओं को तेज़ी से सही लाभार्थी तक पहुंचाने में हम सफल हुए हैं, पीएम गतिशक्ति इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में वैसा ही काम करने वाला है। ये पूरे देश के इंफ्रास्ट्रक्चर की प्लानिंग से लेकर एग्ज़ीक्यूशन तकएक होलिस्टिक विजन लेकर आ रहा है। एक बार फिर मैं सभी राज्य सरकारों को इससे जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं, आग्रह भी करता हूं। ये समय जुट जाने का है, आजादी के इस 75वें वर्ष में देश के लिए कुछ कर दिखाने का है। इस कार्यक्रम से जुड़े हर व्यक्ति से मेरा यही आग्रह है, मेरी यही उम्मीद है।

आप सभी कोइस महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम में पधारने के लिए मैं आपका धन्‍यवाद देता हूं और मुझे विश्‍वास है कि प्रधानमंत्री गति शक्ति मास्‍टर प्‍लान, प्राइवेट पार्टी भी उसको बहुत बारीकी से देखेगी। वे भी इससे जुड़ करके अपनी भावी रणनीति तय कर सकती है। विकास के नए आयाम को छू सकती है। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। देशवासियों को आज नवरात्रि के पावन पर्व पर शक्ति की इस उपासना के समय, शक्ति के इस भगीरथ कार्य के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद !

 

शुभकामनाएं

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