'भव्य और गरिमामय स्मृतिवन अमेरिका के 9/11 या हिरोशिमा स्मारक से कम नहीं है'
'पोलैंड सरकार की मदद के पीछे कहीं न कहीं महाराजा दिग्विजय सिंह के दयालु स्वभाव ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई'
'जन शक्ति, ज्ञान शक्ति, जल शक्ति, ऊर्जा शक्ति और रक्षा शक्ति - इन पांच संकल्पों की बुनियाद पर गुजरात नई ऊंचाइयों को छू रहा है'
'सौनी योजना के तहत मां नर्मदा हर कोने तक पहुंच रही हैं'
'महामारी से पैदा हुए संकट से उबारने के लिए 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है'
'जामनगर मैन्युफैक्चरिंग (विनिर्माण) और तटीय विकास के केंद्र के तौर पर उभर रहा है'
‘करीब 33 हजार अनुपालन, नियमों को खत्म कर दिया गया है’

भारत माता की- जय,

भारत माता की- जय,

मंच पर विराजमान गुजरात के लोकप्रिय मृदू एवं मक्कम मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, 2019 के चुनाव में जिन्होंने पूरे हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा मार्जिन से विक्टरी की, वैसे गुजरात प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष और संसद में मेरे साथी श्रीमान सी.आर. पाटिल, गुजरात सरकार के मंत्रिपरिषद के सभी अन्य सदस्यगण, सांसदगण, विधायकगण और विशाल संख्या में पधारे हुए जामनगर के मेरे प्यारे भाईयों और बहनों,

साथियों,

भरूच से जामनगर तक, गुजरात की समृद्धि को, गुजरात के विकास को विस्तार देने का ये अनुभव वाकई अद्भुत है। आज यहां 8 प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। आप सभी को पानी, बिजली, कनेक्टिविटी, से जुड़े इन प्रोजेक्ट्स के लिए बहुत-बहुत बधाई। आज वाल्मीकि समाज के लिए विशेष कम्यूनिटी हॉल का भी लोकार्पण हुआ है। इससे हमारे भाइयों और बहनों को विभिन्न सामाजिक आयोजनों में बहुत मदद मिलेगी।

साथिेयों,

आज जामनगर ने तो कमाल कर दिया। मुझे एयरपोर्ट से यहां आने में देर इसलिए हो गई भाई, कि रास्ते में जो भव्य स्वागत और आर्शीवाद दिया, कभी ना भूल सके ऐसा उत्साह, उमंग और ज्यादा तो मेरे मन को संतोष इस बात का था, खूब बड़े पैमाने पर माताएं-बहनें उपस्थित थी। और बूढ़ी माताएं दुआएं दें, आर्शीवाद दें, उससे बड़ा काशी की धरती पर पुण्य कौन सा है भाई। छोटी काशी का आर्शीवाद और बडी काशी का सांसद। अभी ही नवरात्री गई है, और कोरोना के दो साल में सब ठंडा पड़ गया है। और इस बार तो मैंने देखा गुजरात के कोने-कोने में नवरात्री का आनंद था, और जामनगर ने भी भव्यातिभव्य नवरात्री मनाई। और यह नवरात्री पूरी हुई, दशहरा गया और अब दिवाली की तैयारी भी शुरु कर दी। आपको याद होगा लगभग दो दशक पहले यही समय था जब जामनगर, सौराष्ट्र, कच्छ सहित समग्र गुजरात को भूकंप ने हिला दिया था। ऐसा लग रहा था कि गुजरात मौत की चादर ओढकर सो रहा हो। और दुख के दिन इतने भयंकर थे, उस भूकंप के बाद की पहली नवरात्री, पहली दिवाली गुजरात के किसी भी घर में न तो नवरात्री मनाई गई, न तो दिवाली मनाई गई। भूकंप की त्रासदी इतनी सारी निराशा लेकर आई थी कि लगभग हमने मान लिया था, लोगों ने मान लिया था कि अब गुजरात कभी बैठेगा नहीं। लेकिन यह तो खमीरवंती प्रजा है, खमीरवंती प्रजा है। यहां तो खमीर का ही पढ़ा है ऐसी खमीरवंती प्रजा देखते ही देखते खड़ी हो गई। आत्मविश्वास, संकल्प शक्ति ने निराशा को झकझोर दिया और गुजरात खडा ही नहीं हुआ, देखते ही देखते गुजरात दोड़ने लगा और आज देश को गति देने की ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है। आप देखो, जो कच्छ मौत की चादर ओढ के सोया था, उस कच्छ के विकास को देखने के लिए, कच्छ की जाहोजलाली देखने के लिए, कच्छ की प्रकृति को देखने के लिए देश और दुनिया यहां कच्छ में आती है। और हमारी जामनगर की सेन्चुरी में पक्षी देखने आते है। आज जामनगर आया हूं तब मुझे जामनगरवासीयों से विनंती करनी है, अभी दो महीने पहले ही कच्छ के भुजीया डुंगर पर भूकंप में जिन लोगों को हमने गंवाया, उनकी याद में स्मृतिवन नाम का स्मारक बनाया है, अद्भुत स्मारक बना है। अमेरिका में 9-11 के बाद प्वाइ्ंट जीरो का जो काम हुआ है ना, या जापान में हिरोशीमा का जो काम हुआ है, उसके बाद जो स्मारक बना है उससे जरा भी कम नहीं। ऐसा गुजरात के भूकंप में जिन लोगों को गंवाया उनकी स्मृति में यह स्मृतिवन बना है। उसमें जामनगर में भी जिसने जान गंवाई उनकी याद भी वहां रखी गई है। इसलिए मेरी विनती है कि जिन परिवारो ने अपने स्वजन गंवाए थे, उन सबको एकबार स्मृतिवन जाना चाहिए, और आपके स्वजन का जहां नाम लिखा है, वहां फूल चढाकर आईएगा इतनी विनती है। और जामनगर के किसी भी भाई को कच्छ जाना हो तो भूज में इस स्मृतिवन जाना भूलना नहीं ऐसी मेरी विनती है।

भाईयो-बहनों,

आज जब जामनगर की धरती पर आया हूं तब बहुत ही गौरव के साथ मुझे जाम साहब महाराजा दिग्विजयसिंह को शत-शत नमन करना है। महाराजा दिग्विजयसिंह ने उनके दयालु स्वभाव और खुद के काम से दूसरे विश्वयुद्ध के समय पोलेन्ड से जो लोगों के साथ संबंध बनाया, उनके नागरिकों को एक वात्सल्य मूर्ति बनकर बड़ा किया। उसका लाभ, उसका फायदा आज भी सारे हिन्दुस्तान को मिल रहा है। अभी युक्रेन में अपने भारत के विधार्थी फंसे थे, हजारों विद्यार्थियों को बम और गोले के बीच से बाहर लाना था। संकट बडा था, परंतु जो कोई हमने संबंध विकसित किए थे उसके कारण बाहर लाए। परंतु बाहर लाने के बाद पोलेन्ड की सरकार ने जो मदद की उसका कारण दिग्विजय सिंह जी का दयालु स्वभाव था। हमारा प्रयत्न है कि जाम साहब के शहर को विकास की नई-नई बुलंदियों पर ले जाना। और विकास कर जामनगर की जाहोजलाली बढाकर सही अर्थ में महाराजा दिग्विजय सिंह जी जाम साहब को सच्ची श्रद्धांजलि दें। और वर्तमान में जाम साहब खत्रुतुल्य सिंह जी उनके तो मेरे उपर बहुत आर्शिवाद रहे हैं। बीच में उनके दर्शन करके आर्शीवाद लेने गया था। हम सब उनके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु आयुष्य के लिए हंमेशा प्रार्थना करते रहे। और उनका मार्गदर्शन हमे मिलता रहे। साथीयों, जामनगर क्रिकेट की दुनिया में अपना झंडा गाड़ के रखा है़। जामनगर क्रिकेट कि दुनिया में आज भी भारत का तिरंगा गाड़ के बैठा है। जामनगर और सौराष्ट्र के खिलाड़ियों ने क्रिकेट में बडा दम दिखाया है। और ट्रॉफी जब लेते है ना तब गुजरात की आन-बान-शान का विचार आता है। इतनी सारी प्रतिभा से भरी, सेवा-भावना से धरती को नमन करके हंमेशा आनंद और खुशी होती है। और उसके साथ आपके हृदय की सेवा, निरंतर सेवा करने का जो मेरा प्रण है ना वह भी मजबूत होता है।

 

भाईयों-बहनों,

अभी भूपेन्द्र भाई वर्णन कर रहे थे पंचशक्ति का। यह विकास के पांच संकल्प गुजरात ने अपने आपको मजबूत किया है, और पांच संकल्प हिमालय की ताकत की तरह आज गुजरात को आगे बढ़ा रहे है। पहला संकल्प जनशक्ति, ज्ञानशक्ति, जलशक्ति, उर्जाशक्ति और रक्षाशक्ति इन पांच संकल्पो के स्तंभ पर इस गुजरात की भव्य इमारत मजबूती, मक्कमता के साथ नई उंचाई सर कर रही है। और 20-25 वर्ष पहले हमारा क्या हाल था भाई, याद है कैसे हाल थे। गुजरात के जो 20-25 वर्ष के युवा है, जो बच्चे जन्म ले रहे हैं, वह सब तो भाग्यशाली है कि उन्होंने उनके बड़ों ने जो मुसीबतें देखी, वह मुसीबतें उनके नसीब में नहीं आने दी। हमने पूरे ताकत से इन मुसीबतों से मुक्ति के लिए अभियान चलाया। आच मैं रास्ते में देख रहा था, बहुत ही बड़ी संख्या में युवक-युवती खड़े थे। घर में आप पूछ लेना भाईयों 20-25 साल पहले जामनगर और काठीयावाड़ का क्या हाल था। यहां खेतों में पानी के लिए कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ता था, बच्चे प्यासे होते थे, तब मां को घड़े लेकर तीन-तीन किलोमीटर दूर पानी भरने जाना पड़ता था। ऐसे दिन हमने देखे हैं भाई। और आज स्थिति ऐसी बदली है कि दुख याद ना आए, घंटो तक टैंकर आएगा, नहीं आएगा, आएगा तो उसकी लाईन में खड़े रहना और उसमें कितनी बार टैंकर के पास पहुंचे तो बोले कि भाई पानी खत्म हो गया। पूरे काठीयावाड़ की यहीं दशा थी।

एक जमाना ऐसा था मुझे बराबर याद है, तब मैं राजनीति में नहीं था। तब मैंने अखबार में एक फोटो देखी थी, और फोटो जामनगर की थी। और फोटो कौन सी थी? गुजरात के उस समय के मुख्यमंत्री जामनगर आये थे। खास किसके लिए, एक पानी की टंकी की उदघाटन के लिए। और उस पानी की टंकी के उदघाटन का समाचार अखबार के पहले पन्ने पर छपा था। और आज मेरे एक प्रवास में भूतकाल में गुजरात का जो बजट था ना उससे ज्यादा मुल्य का प्रोजेक्ट का लोकार्पण और शिलान्यास कर रहा हुं भाईयों। इससे पता चलेगा कि गुजरात को अब किसी भी हाल में आगे जाने की गति को रुकनी नहीं देनी। अब हमें उंचाई पर छलांग लगानी है। और हमें सिर उठाकर निकलना है भाईयों।

 

जब मैंने पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारी ली तब जामनगर के आसपास के हमारे विधायक जब आते थे तब वह क्या लेकर आते थे पता है, सभी पार्टी के विधायक आते थे, ऐसी मांग आती थी कि साहब राहत काम जल्दी शुरु कर दो। हमारे यहां थोडी मिट्टी डालो तो रोड बन जाता था, कच्ची मिट्टी के रोड की मांग विधायक करते थे, आज मेरा विधायक कहता साहब अब तो पेवर रोड चाहिए, पेवर। साहब अब पट्टी नहीं फोरलेन चाहिए, एक जमाना था पानी कि बात आए तब विधायक कहता था साहब मेरे विस्तार में हेन्डपंप डाल दीजीए। और आज सौनी योजना से मां नर्मदा सारे गुजरात की परिक्रम करने निकली है। भाईयों एक जमाना था हम मां नर्मदा की परिक्रमा करके पुण्य कमाते थे, वह माता हम पर खुश हुई है और वह गुजरात के कोने-कोने में परिक्रमा कर लोगों को आर्शीवाद दे रही है। नवचेतना दे रही है, नवउर्जा दे रही है।

जब मैंने सौनी योजना को लॉन्च किया था राजकोट के सभागृह के अंदर, उस समय विरोध करने वाले हो उन्हें मजा नहीं आया। शुरु हो गये चुनाव आ गया लगता है यह मोदी नया लेकर आ गए। यह सौनी योजना तो मुश्किल है, तब मैंने कहा भाई आप हेन्डपंप से आगे सोच ही नहीं सकते, मैं इतनी बड़ी पाईपलाईन लगाउंगा कि, उसमें से मारुति कार में बैठकर आप सैर कर सके, और आज पाईप लगी, और सौनी योजना जलाशय भर रहे हैं, खेत भर रहे हैं। और इस बार तो मेरे किसान भाईयों को कपास के भाव, मूंगफली के भाव दोनों हाथ में लड्डु है। पहले कभी भी ऐसे भाव नहीं मिले भाई, अब हमारे लालपुर में पानी पहुंचा है, लाखो हेक्टर धरती को पानी मिला है। पाईपलाईन के द्वारा जामनगर, दारिका, राजकोट, पोरबंदर के लाखों लोगों को शुद्ध पीने का पानी मिलेगा।

 

गुजरात में जल जीवन मिशन उसके लिए जो काम हो रहा है और जो गति के साथ काम हो रहा है उसके लिए भूपेन्द्र भाई और उनकी टीम को मेरा अभिनंदन है कि भारत सरकार की योजना को तेज गति गुजरात में लागू करने का काम आपकी सरकार ने किया है। हमारी माताओं-बहनों का आर्शीवाद मिला है क्योंकि पानी का पूरा बोझ माता-बहनों के ऊपर होता है। घर में मेहमान आने वाले हो और पानी की परेशानी हो तब सबसे बड़ी चिंता मेरी मां-बहनों को होती है। और यह मां-बहनों के सिर से घड़ा कौन उतारे यह पुत्र ही उतारेगा भाईयों। आज 100 प्रतिशत पाईप से पानी पहुंचाने का काम हम कर रहे हैं, हर घर जल अभियान इससे ताकत मिलने वाली है।

हमारी सरकार गरीबों के कल्याण के लिए लगातार काम कर रही है। इस कोरोना काल में हमने पहली चिंता देश के गरीबों की थी। हमने निर्णय लिया कि किसी गरीब के घर में चूल्हा न जले ऐसी स्थिति नहीं चाहिए, जिसके कारण गरीब के घर में मुफ्त में राशन पहुंचाकर इस देश के 80 करोड लोगों को एक भी टाईम भूखा नहीं रहने दिया। और अपने यहां तो अन्न का एक दाना खाया हो तो कोई आर्शीवाद देना भूलता नहीं, और मुझे देश के 80 करोड लोगों का आर्शीवाद मिल रहा है, कोटि-कोटि आर्शीवाद मिल रहा है। आप सबका आर्शीवाद मिल रहा है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना दिसम्बर तक चलने वाली है, किसी भी संकट के समय में गरीब के घर में चूल्हा नहीं बुझना चाहिए।

और दूसरा वन नेशन वन राशन कार्ड, अब हमारा जामनगर, पहले तो जामनगर की पहचान बहुत ही छोटी थी। जैसे छोटी काशी कहे वैसे ही जामनगर भी छोटा ही लगता था। आज तो गांव की भाषा में कहें तो हमारा जामनगर पंचरंगी हो गया है, पंचरंगी। और शहरी भाषा में कहें तो कॉस्मोपॉलिटन पूरा जिला कॉस्मोपॉलिटन हो गया है। देशभर के काम करने वाले लोग आज जामनगर जिले में रोजी-रोटी कमाते है। किसी को भूखा न रहना पड़े उसके लिए वन नेशन वन टेक्नोलोजी के द्वारा बिहार से आया हो, उत्तरप्रदेश आया हो, महाराष्ट्र से आया हो, आंध्रप्रदेश से आया हो, तेलंगाना से आया हो, कर्नाटक से आया हो, उसे राशन की दुकान में उसके गांव में कार्ड हो फिर भी उसे राशन मिलता रहे ऐसा काम हुआ है जिससे उसके घर का चुल्हा जलता रहना चाहिए, ऐसा काम हमने किया है। जामनगर का नाम तो ओईल रिफाईनरी, ओईल ईकोनॉमी कितना बड़ा उर्जा का क्षेत्र देश का 35 प्रतिशत क्रुड ऑयल यह मेरी जामनगर की धरती पर रिफाईन्ड होता है, कौन सा जामनगरवासी है जिसका सिर उंचा ना होता हो। जामनगर में औधोगिक विकास के लिए नरेन्द्र और भूपेन्द्र कि डबल इंजन सरकार बराबर काम में लग गई है। 20 वर्ष पहले अपने शहर में ट्रैफिक का क्या हाल था भाई। अब जामनगर में रोड चौड़े हो, उसकी व्यवस्था विकसित हो, ओवरब्रिज बने, ओवरपास बने, फ्लाईओवर बने बढ़ते शहर की समृद्धि के साथ सामान्य मानवी की सुविधा बढ़े उसके लिए भी काम कर रहे हैं और समुद्र किनारे गुजरात के पश्चिम छोर पर एक कोने में बैठा अकेला जामनगर आज के युग में हमें पाल रहा है।

जामनगर हिन्दुस्तान के कोने-कोने से जुड़ा हुआ होना चाहिए, और इसलिए 26 हजार करोड के खर्च से अमृतसर, भटींडा, जामनगर यह कोरीडोर का निर्माण हो रहा है। यह कोरीडोर जामनगर के पूरे भारत के उत्तर भारत में मजबूती दिलाने का काम करने वाला है। यहां की ताकत, यहां का उत्पादन, यहां के छोटे-बड़े उधोग धंधे जो है उन सबकी पहचान समग्र उत्तर भारत में यह एक रेलवे ट्रेक द्वारा ताकत प्राप्त करने वाली है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश हो, उत्तराखंड हो, हिमाचल हो यानि एक कोरीडोर के द्वारा गुजरात के व्यापार-धंधे और यहां के उत्पादन कम से कम खर्च में, इतना ही नहीं यहां की सब्जियां और फल भी उत्तर भारत तक पहुंचने वाली है। अपने गुजरातियों की एक खूबी है, कि जो बिना काम की चीजें है उसका भी सदुपयोग करने में हम मास्टर है। आम रस खाया हो तो गुठली में से मुखवास बनायें, कुछ भी बिगड़ने नहीं देते। अपने हईपर में 40 मेगावॉट का सोलर पावर प्रोजेक्ट इसका उत्तम उदाहरण है। जो जमीन वेस्टलेन्ड गिनी जाती थी ऐसी जमीन पर यह करतब करके दिखाया है भाई। यानि कि नदी-नाले किनारे की जो जगह हो, जिसका उपयोग नहीं होता, उसको भी हमने उपयोग में ले लिया।

साथियों,

बात चाहे किसानों के कल्याण की हो, कि गरीबों के जीवन को बेहतर बनाना हो, उधोगो का विकास हो, या फिर ईन्फ्रास्ट्रक्चर की सुविधा बढ़ाना हो। हर क्षेत्र में गुजरात ने विकास की नई मिसाल हासिल की है। और जामनगर ने तो वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। जामनगर में WHO, कोरोना के कारण लोग WHO को पहचानने लगे है, इस WHO का सेन्टर फॉर ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडीसीन अपने जामनगर में है। जामनगर में आयुर्वेद युनिवर्सिटी थी उसके ऊपर यह नया मुकु़ट चढ गया है भाई। आज जामनगर की आयुर्वेद युनिवर्सिटी को राष्ट्रीय युनिवर्सिटी का स्थान मिल गया है। हमारा जामनगर यानि छोटी काशी तो है परंतु हमारा जामनगर सौभाग्य नगर के रूप में भी पहचाना जाता है। हमारे जामनगर में सिंदुर, चुडी, बिंदी, बांधनी यह सब हमारे सौभाग्यनगर की पहचान है। और हमारी सरकार ने तो गुजरात की बांधनी कला का विकास करने के लिए कई नय़े इन्सेन्टीव दिए हैं। हस्तकला सेतु योजना के द्वारा, जामनगर की ब्रास इन्डस्ट्री सरकार की अनेक योजनाएं से फले-फूले, मुझे याद है मैं नया-नया प्रधानमंत्री बना, उस समय जामनगर में चिंता का समाचार आता, सारे भाई मुझे मिलने आते थे। तब ब्रास उधोग को चिंता में से बाहर निकालकर हम आगे बढे है।

भाईयो-बहनों,

हमारा जामनगर हो, राजकोट हो, यह मेरे काठीयावाड़ के इंजीनियरिंग उधोग की ताकत है ना वह छोटी पिन भी बनाते और एरक्राफ्ट के स्पेयर पार्टस भी यहां से बनकर जाते है यह ताकत हमने यहां खड़ी की है।

साथियों,

देश में व्यापार-कारोबार करना आसान बना है। परेशानी कम से कम आए, सरकार की दखल कम हो यहीं मेरा सबसे बड़ा मकसद है। छोटे-छोटे उधोग हैं उसमे सरकार की दखल कम से कम हो वही मेरी प्राथमिकता है। पहले तो सरकार में यह काम मांगो तो फिर से एक फोर्म भरो, दूसरा काम मांगो तो यह फोर्म भरो इतने फोर्म भरो कि कारखाना मे कारकून रखो तो भी खत्म ना हो। वह सिर्फ फोर्म ही भरा करे, परंतु आपको जानकर आनंद होगा, विशेषकर छोटे-छोटे उधोगकारों को आनंद होगा कि 33 हजार छोटे-छोटे compliance मांगती थी जो सरकार उसे मैंने रद्द कर दिया। और इसका सबसे बडा लाभ हमारे MSME सेक्टर को हुआ। इसके सिवाय कायदे-कानून। पहले की सरकार क्या करती थी उससे भगवान बचायें। अपने यहां एैसे कायदे थे कि आपके यहां कारखाने हो और उसमें टॉयलेट-बाथरुम हो, परंतु उसमें हर छह महीने में चूना ना किया हो, और सरकार को कुछ गलत लगा तो छह महीने की सजा बोलो।

एैसे तो कितने सारे नियम थे, अंग्रेजो के जमाने के कायदे चलते थे। मुझे मेरे देश के व्यापारी आलम को जेल में नहीं धकेलना, दो हजार जितने कायदे तो मैंने खत्म किया है। और यहां बैठे व्यापारी मित्रों के ध्यान में और कोई कानून हो तो मुझे बताना मैंने नक्की किया है। बात-बात में जेल में बंद कर दो, यह गुलामी की मानसिकता में से खडी हुई बातें है, उसमें से मुझे मुक्ति दिलाने का मैंने अभियान चलाया है। और यह अभियान चालू रहने वाला है। ‘ईज ओफ डुईंग बिजनेस’ यह मेरी सरकार जितना भार देती है ना, उसकी पहले गिनती ही नही थी। क्योंकि हर एक को टांग अड़ाने को इस टेबल पर जाओ, उस टेबल पर जाओ। यहां आरती करो, वहां पूजा करो, वहां प्रसाद चढ़ाओ यही चलता था। ईज ओफ डुईंग में कायदे में रहकर नियम बदले जिसके कारण दुनियाभर में जो अपनी रैंकिंग थी ना उसमें जबरदस्त उछाल आया। पहले जब में 2014 में आया, प्रधानमंत्री के रूप में आपने सेवा करने भेजा, तब भारत 142 क्रमांक पर था, पांच-छ वर्ष मेहनत करके अभी हम दोड़ते-दोड़ते 63वें नंबर पर पहुंच गये है। और अभी भी जोर लगायेंगे तो 50 से नीचे भी जा सकते है भाई। इतना बडा सुधार यह मात्र कागज पर नहीं, छोटे-बड़े व्यापारी को इसका लाभ मिले धरती पर उसका लाभ मिले ऐसा काम हुआ है।

भारत की स्थिति दुनिया में देखिए साहब, कितने लोगों की सुबह की चाय बिगड़ जाती होगी। दुनिया भर के लोग लिखते है, वर्ल्ड बैंक लिखे, आई.एम.एफ लिखे, बडे-बडे अर्थव्यक्ता लिखते हैं कि भारत जब पूरी दुनिया डूब रही है, इग्लेंड में बीते 50 वर्ष में देखी नहीं ऐसी मंहगाई, अमेरिका में बीते 45 वर्ष में देखी नहीं ऐसी मंहगाई। विकास दर बैठ गया है, ब्याज दर बढ़ गये हैं। पूरी दुनिया में आर्थिक क्षेत्र में उथल-पाथल मच गई है। उसमें एकमात्र भारत है भाई तेज गति से मक्कमता से डग आगे रख रहा है। 2014 पहले भारत दुनिया में अर्थव्यवस्था में 10वें नंबर पर था, और इतने छोटे समय में 10 से छलांग लगाकर 5 वें नंबर पर पहुंच गये । दुनिया की पहली पांच इकोनॉमी में अपना नंबर आ गया है। छह पर से पांच उपर गये तो पूरा देश एक उर्जा से भर गया, कारण क्या था पता है मोदी प्रधानमंत्री है इसलिए नहीं, बात यह है कि पहले यह पांच नंबर पर वह लोग थे जिन्होंने 250 वर्ष अपने ऊपर राज किया था, अपने को गुलाम बनाया था, आज भारत ने उसे पीछे छोड़कर आगे बढ गया है। और इन सब में मात्र सरकार की पीठ थपथपाई नहीं, हम तो खुले दिल के मानवी है और उसके लिए मेरा मजदूर भाई हो, किसान भाई हो, रेहड़ी वाला हो, व्यापार-कारोबार करने वाला हो इन सभी को इसका क्रेडिट जाता है। इन सबके कारण देश आगे बढ़ रहा है, और इस कारण मैं उन्हें सौ-सौ सलाम करता हूं।

साथियों,

गुजरात सरकार ने एक हफ्ते पहले नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी जाहिर की थी, और चारोतरफ उसकी वाह वाही हुई। भूपेन्द्र और उनकी टीम को बहुत बहुत बधाई देता हूं कि ऐसी इंडस्ट्रियल पॉलिसी लाये हैं जो गुजरात को कहीं रुकने नहीं देने वाली। और उसमें नई उधोग नीति, नया स्टार्टअप और माईक्रो इंडस्ट्री उसके लिए भी बहुत ही फायदा कारक व्यवस्था की है। गुजरात के ज्यादा से ज्यादा युवाओं को लाखों की संख्या में रोजगार मिले, मैं चाहता हूं कि गुजरात के युवा इस नई औधोगिक पॉलिसी का लाभ उठाये, अभ्यास करे उनका हाथ पकड़ने के लिए मैं तैयार हूं।

अपने जामनगर के पोर्ट लाईन, अपना समुद्र् किनारा वैविध्यता से भरपूर है। सेंकडों प्रकार की जैव वैविधता और अब भारत ने प्रोजेक्ट डोल्फिन शुरु किया है। चिता का तो देश में जय-जयकार हो गया, अब हम डोल्फिन पर ध्यान देने वाले है, यहां जामनगर में डोल्फिन है, उसके संरक्षण और विकास के लिए योजनाएं बनी है। और उसके कारण जामनगर, दारिका, बेट दारिका पूरे समुद्री तट पर इको टूरिज्म बड़े क्षेत्र के रूप में विकास होना है। और भाईयो-बहनों भूपेन्द्र भाई को मैं मृदु और मक्कम कहता हुं ना उसका अनुभव गुजरात को बराबर हुआ है। समुद्र कि पट्टी पर गेरकायदेसर बांध काम जिन लोगों ने किया था, चुपचाप सफासट। और मजा देखो जब मक्कम मन का मानवी लीडरशीप करता है तब नीचे तक पता चल जाता है तब कोई भी विरोध बिना पोटली बांधकर भाई आपका है ले लीजिए। यह मक्कमता का परिणाम है, और इतना ही नहीं पूरे गुजरात के समुद्र किनारे पर सफाई करा रहे हैं भूपेन्द्र भाई। कानून-व्यवस्था के पालन में ही सबका भला है, और गुजरात ने बीते 20 सालों में शांति देखी है। उसके कारण समृद्धि के द्वार खुले है भाईयों, एकता के संकल्प के साथ कंधे से कंधा मिलाकर गुजरात चल रहा है। पहले तो रोज दंगे होते थे, जामनगर भी इसमें शामिल था आज उन सबमें से हम मुक्त हो गये हैं, आज गुजरात में नरेन्द्र-भूपेन्द्र की डबल इंजन सरकार, तमाम योजनाएं तेज गति से चल रही हैं। और यह गति बनाए रखनी है, और यह विकास योजनाएं जामनगर और सौराष्ट्र का स्तंभ बना है। मैं विश्वास करता हुं कि युवाओं, वृद्धों के जीवन में शांति आए, इसके लिए हम काम कर रहे है।

भाईयो-बहनों,

जामनगर के धरती को अभिनंदन, आप सभी को अभिनंदन। और फिर से एक पूरे रास्ते में माताएं-बहनें जो आर्शीवाद दे रही थीं, उनके दर्शन से जीवन धन्य हो जाए, आज मेरे लिए धन्यता का दिन है। इतना सारा आर्शीवाद, उनका भी मैं आभार मानता हूं, दोनो हाथ उपर कर मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की- जय, भारत माता की – जय।

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November 23, 2024
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जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।