"आपकी रिसर्च, आपकी टेक्नोलॉजी ने मुश्किल परिस्थितियों में खेती को आसान और सस्टेनेबल बनाया है"
"प्रो-प्लेनेट पीपल एक ऐसा मूवमेंट है जो सिर्फ बातों तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत सरकार के एक्शन्स में भी रिफ्लेक्ट होता है”
“भारत का फोकस, अपने किसानों को जलवायु चुनौती से सुरक्षा प्रदान करने के लिए ‘मौलिकता को फिर से अपनाने’ (बैक टू बेसिक) और ‘भविष्य की ओर बढ़ने’ (मार्च टू फ्यूचर) के तालमेल पर है”
"डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के लिए भारत के प्रयास लगातार बढ़ रहे हैं"
"अमृत काल के दौरान, भारत उच्च कृषि विकास के साथ समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है"
"देश के छोटे किसानों को हज़ारों एफपीओ में संगठित करके हम उन्हें एक जागरूक और बड़ी मार्केट फोर्स बनाना चाहते हैं"
"हम खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा पर फोकस कर रहे हैं। इसी विजन के साथ बीते 7 वर्षों में हमने अनेक बायो-फोर्टिफाइड किस्मों को विकसित किया है”

तेलंगाना की राज्यपाल डॉक्टर तमिलसाई सौंदरराजन जी, केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मेरे सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर जी, जी कृष्ण रेड्डी जी, ICRISAT की Director General, और ऑनलाइन माध्यम से देश-विदेश से, खासकर अफ्रीकी देशों से जुड़े महानुभाव, यहां उपस्थित देवियों और सज्जनों !

आज वसंत पंचमी का पावन पर्व है। आज हम ज्ञान की देवी, मां सरस्वती की पूजा करते हैं। आप सभी जिस क्षेत्र में हैं उसका आधार ज्ञान-विज्ञान, इनोवेशन-इन्वेन्शन ही है और इसलिए वसंत पंचमी के दिन इस आयोजन का एक विशेष महत्व हो जाता है। आप सभी को गोल्डन जुबली सेलिब्रेशन की बहुत-बहुत बधाई !

साथियों,

50 साल एक बहुत बड़ा समय होता है। और इस 50 साल की यात्रा में जब-जब जिस-जिस ने जो-जो योगदान दिया है वे सभी अभिनंनद के अधिकारी हैं। इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए जिन-जिन लोगों ने प्रयास किया है, मैं उनका भी आज अभिनंदन करता हूं। ये भी अद्भुत संयोग है कि आज जब भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष का पर्व मना रहा है, तो आपकी संस्था 50 साल के इस अहम पड़ाव पर है। जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा, तो आप 75वें वर्ष में होंगे। जैसे भारत ने अगले 25 वर्षों के लिए नए लक्ष्य बनाए हैं, उन पर काम करना शुरू कर दिया है, वैसे ही अगले 25 वर्ष इक्रीसैट के लिए भी उतने ही अहम हैं।

साथियों,

आपके पास 5 दशकों का अनुभव है। इन 5 दशकों में आपने भारत सहित दुनिया के एक बड़े हिस्से में कृषि क्षेत्र की मदद की है। आपकी रिसर्च, आपकी टेक्नॉलॉजी ने मुश्किल परिस्थितियों में खेती को आसान और सस्टेनेबल बनाया है। अभी मैंने जो टेक्नोलॉजी डिस्प्ले देखा, उसमें इक्रीसैट के प्रयासों की सफलता नजर आती है। पानी और मिट्टी का मैनेजमेंट हो, क्रॉप वैराइटी और प्रोडक्शन प्रैक्टिसिस में सुधार हो, ऑन फार्म डायवर्सिटी में बढ़ोतरी हो, Livestock integration हो, और किसानों को मार्केट से जोड़ना हो, ये होलिस्टिक अप्रोच निश्चित रूप से एग्रीकल्चर को सस्टेनेबल बनाने में मदद करती है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में दालों, विशेष रूप से chick-pea को लेकर इस क्षेत्र में जो विस्तार हुआ है, उसमें आपका योगदान अहम रहा है। किसानों के साथ इक्रीसैट की यही collaborative approach खेती को औऱ सशक्त करेगी, समृद्ध करेगी। आज Climate Change Research Facility on Plant Protection और Rapid Generation Advancement Facility के रूप में नई फेसिलिटीज का उद्घाटन हुआ है। ये रिसर्च फेसिलिटीज, क्लाइमेट चेंज की चुनौती का सामना करने में कृषि जगत की बहुत मदद करेंगे। और आपको पता होगा, बदलते हुए climate में हमारी agriculture practices में क्‍या परिवर्तन लाने चाहिए, उसी प्रकार से भारत ने एक बहुत बड़ा initiative लिया है कि climate change के कारण जो परिस्‍थितियाँ पैदा हुई हैं natural calamities आती हैं, उसमें मानव मृत्‍यु की चर्चा तो सामने आती है। लेकिन infrastructure का जो नुकसान होता है, वो पूरी व्‍यवस्‍थाओं को चरमरा देता है। और इसलिए भारत सरकार ने climate resistance वाले infrastructure के लिए, उस पर चिंतन-मनन और योजनाएं बनाने के लिए global level के institute को जन्‍म दिया है। आज वैसा ही एक काम इस agriculture sector के लिए हो रहा है। आप सब अभिनंदन के अधिकारी हैं।

साथियों,

Climate change वैसे तो दुनिया की हर आबादी को प्रभावित करता है, लेकिन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित लोग वो होते हैं जो समाज के आखिरी पायदान पर होते हैं। जिनके पास resources की कमी है, जो विकास की सीढ़ी में ऊपर चढ़ने के लिए मेहनत कर रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में हमारे छोटे किसान हैं। और भारत में 80-85% किसान छोटे किसान हैं। हमारे छोटे किसान क्‍लाइमेट चेंंज की बात उनके लिए बहुत बड़ा संकट बन जाती है। इसलिए, भारत ने climate challenge से निपटने के लिए दुनिया से इस पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया है। भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो का टारगेट तो रखा ही है, हमने LIFE-Life Mission-Lifestyle for Environment इस Life Mission की ज़रूरत को भी हाईलाइट किया है। उसी प्रकार से Pro planet people एक ऐसा मूवमेंट है जो क्लाइमेट चैलेंज से निपटने के लिए हर community को, हर Individual को climate responsibility से जोड़ता है। ये सिर्फ बातों तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत सरकार के एक्शन्स में भी ये रिफ्लेक्ट होता है। बीते सालों के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए इस साल के बजट में क्लाइमेट एक्शन को बहुत अधिक प्राथमिकता दी गई है। ये बजट हर स्तर पर, हर सेक्टर में ग्रीन फ्यूचर के भारत के कमिटमेंट्स को प्रोत्साहित करने वाला है।

साथियों,

क्लाइमेट और दूसरे factors के कारण भारत की एग्रीकल्चर के सामने जो चुनौतियां हैं, उनसे निपटने में भारत के प्रयासों से आप सभी एक्‍सपर्ट्स, साइंटिस्‍ट्स, टैक्‍निशियंस भलीभांति परिचित हैं। आप में से ज्यादातर लोग ये भी जानते हैं कि भारत में 15 Agro-Climatic Zones हैं। हमारे यहां, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर, ये 6 ऋतुएं भी होती हैं। यानि हमारे पास एग्रीकल्चर से जुड़ा बहुत विविधता भरा और बहुत प्राचीन अनुभव है। इस अनुभव का लाभ विश्व के अन्य देशों को भी मिले, इसके लिए इक्रीसैट जैसी संस्थाओं को भी अपने प्रयास बढ़ाने होंगे। आज हम देश के करीब 170 डिस्ट्रिक्ट्स में drought-proofing के समाधान दे रहे हैं। क्लाइमेट चैलेंज से अपने किसानों को बचाने के लिए हमारा फोकस बैक टू बेसिक और मार्च टू फ्यूचर, दोनों के फ्यूजन पर है। हमारा फोकस देश के उन 80 प्रतिशत से अधिक छोटे किसानों पर है, जिनको हमारी सबसे अधिक ज़रूरत है। इस बजट में भी आपने नोट किया होगा कि natural farming और डिजिटल एग्रीकल्चर पर अभूतपूर्व बल दिया गया है। एक तरफ हम मिलेट्स-मोटे अनाज का दायरा बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं, कैमिकल फ्री खेती पर बल दे रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ solar pumps से लेकर किसान ड्रोन्स तक खेती में आधुनिक टेक्नॉलॉजी को प्रोत्साहित कर रहे हैं। आज़ादी के अमृतकाल यानि आने वाले 25 वर्ष के लिए एग्रीकल्चर ग्रोथ के लिए हमारे विजन का ये बहुत अहम हिस्सा है।

साथियों,

बदलते हुए भारत का एक महत्वपूर्ण पक्ष है- डिजिटल एग्रीकल्चर। ये हमारा फ्यूचर है और इसमें भारत के टेलेंटेड युवा, बहुत बेहतरीन काम कर सकते हैं। डिजिटल टेक्नॉलॉजी से कैसे हम किसान को empower कर सकते हैं, इसके लिए भारत में प्रयास निरंतर बढ़ रहे हैं। क्रॉप असेसमेंट हो, लैंड रिकॉर्ड्स का डिजिटाइजेशन हो, ड्रोन के माध्यम से insecticides और nutrients की स्प्रेइंग हो, ऐसी अनेक सर्विसेस में टेक्नॉलॉजी का उपयोग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। किसानों को सस्ती और हाईटेक सर्विस देने के लिए, एग्रीकल्चर रिसर्च से जुड़े इकोसिस्टम और प्राइवेट एग्री-टेक प्लेयर्स के साथ मिलकर काम हो रहा है। सिंचाई के अभाव वाले इलाकों में किसानों को बेहतर बीज, ज्यादा पैदावार, पानी के मैनेजमेंट को लेकर ICAR और इक्रीसैट की पार्टनरशिप सफल रही है। इस success को डिजिटल एग्रीकल्चर में भी विस्तार दिया जा सकता है।

साथियों,

आजादी के अमृतकाल में हम higher agriculture growth पर फोकस के साथ ही inclusive growth को भी प्राथमिकता दे रहे हैं। आप सब जानते हैं कि कृषि के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बहुत अहम है। उन्हें सब प्रकार की मदद देने के लिए स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से भी प्रयास किया जा रहा है। खेती में देश की एक बहुत बड़ी आबादी को गरीबी से बाहर निकालकर बेहतर लाइफ स्टाइल की तरफ ले जाने का पोटेंशियल है। ये अमृतकाल, कठिन भौगोलिक परिस्थतियों में खेती करने वाले किसानों को कठिनाइयों से बाहर निकालने के नए माध्यम भी मुहैया कराएगा। हमने देखा है, सिंचाई के अभाव में देश का एक बहुत बड़ा हिस्सा ग्रीन रेवोल्यूशन का हिस्सा नहीं बन पाया था। अब हम दोहरी रणनीति पर काम कर रहे हैं। एक तरफ हम water conservation के माध्यम से, नदियों को जोड़कर, एक बड़े क्षेत्र को irrigation के दायरे में ला रहे हैं, और अभी जब मैं प्रारंभ में यहां के सारे achievements को देख रहा था, तो उसमें बुंदेलखंड में किस प्रकार से पानी के प्रबंधन को और ‘Per Drop More Crop’ के मिशन को सफल करने के लिए कैसे सफलता पायी है, उसका विस्‍तार से वर्णन मेरे सामने scientist कर रहे थे। वहीं दूसरी तरफ, हम कम सिंचित क्षेत्रों में Water use Efficiency बढ़ाने के लिए माइक्रो इरिगेशन पर जोर दे रहे हैं। जिन फसलों को पानी की जरूरत कम होती है, और जो पानी की कमी से प्रभावित नहीं होतीं उन्हें भी आधुनिक वैरायटी के विकास से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के लिए जो नेशनल मिशन हमने शुरु किया है, वो भी हमारी नई अप्रोच को दिखाता है। आने वाले 5 सालों में हमारा लक्ष्य पाम ऑयल एरिया में साढ़े 6 लाख हेक्टेयर की वृद्धि करने का है। इसके लिए भारत सरकार किसानों को हर स्तर पर मदद दे रही है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के किसानों के लिए भी ये मिशन बहुत लाभकारी होगा। मुझे बताया गया है, तेलंगाना के किसानों ने पाम ऑयल की प्लांटेशन से जुड़े बड़े लक्ष्य रखे हैं। उनको सपोर्ट करने के लिए केंद्र सरकार हर संभव सहायता देगी।

साथियों,

पिछले कुछ वर्षों में भारत में पोस्ट-हार्वेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूत किया गया है। हाल के वर्षों में 35 मिलियन टन की कोल्ड चेन स्टोरेज कपैसिटी तैयार की गई है। सरकार ने जो एक लाख करोड़ रुपए का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया है, उसकी वजह से भी पोस्ट-हार्वेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास हुआ है। आज भारत में हम FPOs और एग्रीकल्चर वैल्यू चेन के निर्माण पर भी बहुत फोकस कर रहे हैं। देश के छोटे किसानों को हज़ारों FPOs में संगठित करके हम उन्हें एक जागरूक और बड़ी मार्केट फोर्स बनाना चाहते हैं।

साथियों,

भारत के सेमी एरिड क्षेत्रों में काम करने का इक्रीसैट के पास एक rich experience है। इसलिए सेमी एरिड क्षेत्रों के लिए हमें मिलकर, किसानों को जोड़कर sustainable और diversified production systems का निर्माण करना होगा। अपने अनुभवों को ईस्ट और साउथ अफ्रीका के देशों के साथ शेयर करने के लिए exchange programmes भी शुरु किए जा सकते हैं। हमारा लक्ष्य सिर्फ अनाज का प्रोडक्शन बढ़ाना ही नहीं है। आज भारत के पास सरप्लस फूडग्रेन है, जिसके दम पर हम दुनिया का इतना बड़ा food security program चला रहे हैं। अब हम food security के साथ-साथ nutrition security पर फोकस कर रहे हैं। इसी विजन के साथ बीते 7 सालों में हमने अनेक bio-fortified varieties का विकास किया है। अब अपनी खेती को डायवर्सिफाइ करने के लिए, अपने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में अधिक उत्पादन के लिए, बीमारियों और कीटों से अधिक सुरक्षा देने वाली रिजिलियंट वैरायटीज पर हमें ज्यादा से ज्यादा काम करना है।

साथियों,

इक्रीसैट, ICAR और एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज़ के साथ मिलकर एक और initiative पर काम कर सकता है। ये क्षेत्र है बायोफ्यूल का। आप तो Sweet Sorghum (सॉरघम) पर काम करते रहे हैं। आप ऐसे बीज तैयार कर सकते हैं जिससे सूखा प्रभावित किसान, या कम ज़मीन वाले किसान अधिक बायोफ्यूल देने वाली फसलें उगा सकें। बीजों की प्रभावी डिलिवरी कैसे हो, उनके प्रति विश्वास कैसे पैदा हो, इसको लेकर भी मिलकर हम सब को साथ मिलकर के काम करने की ज़रूरत है।

साथियों,

मेरा विश्वास है कि आप जैसे इनोवेटिव माइंड्स की मदद से, पीपल्स पार्टिसिपेशन से, और सोसायटी के कमिटमेंट से हम एग्रीकल्चर से जुड़ी तमाम चुनौतियों पर विजय प्राप्त कर पाएंगे। भारत और दुनिया के किसानों का जीवन बेहतर बनाने में आप ज्यादा समर्थ हों, बेहतर से बेहतर technological solutions देते रहें, इसी कामना के साथ एक बार फिर इक्रीसैट को इस महत्‍वपूर्ण पणाव पर, उनके भव्‍य भूतकाल का अभिनंदन करते हुए, उज्‍जवल भविष्‍य की कामना करते हुए, देश के किसानों की आन-बान-शान के रूप में आपका ये पुरुषार्थ काम आए, इसीलिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। बहुत-बहुत बधाई!

धन्यवाद!

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
India’s Biz Activity Surges To 3-month High In Nov: Report

Media Coverage

India’s Biz Activity Surges To 3-month High In Nov: Report
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!