उत्तर भारत समेत देश के विभिन्न हिस्सों से आए भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता, जो कि इन दिनों जिला परिषदों के या जिला पंचायतों के अध्यक्ष के रूप में दायित्व संभाल रहे हैं, उपाध्यक्ष के रूप में दायित्व संभाल रहे हैं, और आज हमारे ये विशेष तो जम्मू-कश्मीर से आए डीडीसी के अध्यक्ष भी हमारे बीच मौजूद हैं, उपाध्यक्ष भी मौजूद हैं। उसी प्रकार से लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल के अध्यक्ष भी, उपाध्यक्ष भी। ऐसे अनेक प्रकार के दायित्व और व्यवस्थाओं को संभालने वाले अनेक प्रमुख व्यक्ति आज इस दो दिवसीय वर्कशॉप में है।
साथियो,
आज देश अमृतकाल के संकल्पों की सिद्धि के लिए, विकसित भारत के निर्माण के लिए पूरे उत्साह से एकजुट होकर के, संकल्पबद्ध होकर के आगे बढ़ रहा है। और विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुंचने का रास्ता हमारे टीयर-टू, टीयर-थ्री शहर हों या आधुनिक हो रहे हमारे गांव हों, आज ग्रामीण भारत में, छोटे-छोटे कस्बों वाले हिन्दुस्तान में एक नया उमंग, नया जोश दिखता है। जिला पंचायतें किसी भी सेक्टर में बड़े परिवर्तन लाने की अपार शक्ति रखती हैं। ऐसे में भाजपा के प्रतिनिधि के तौर पर आप सभी की भूमिका बहुत ही बड़ी हो जाती है।
साथियो,
अमृतकाल की 25 वर्षों की यात्रा में हमें बीते दशकों के अनुभवों को भी ध्यान में रखना होगा। आजादी के बाद 4 दशक तक कांग्रेस को ये समझ ही नहीं आया था कि गांवों में पंचायती राज व्यवस्था लागू करना कितना आवश्यक है। इसके बाद जो जिला पंचायत व्यवस्था बनी भी, उसे कांग्रेस शासन में उसे अपने नसीब पर छोड़ दिया था, अपने हाल पर छोड़ दिया था। यानी गांव में बसने वाली देश की दो तिहाई आबादी के लिए अपनी सड़क, बिजली, पानी, बैंक, घर, ऐसी छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए, जीवन की प्राथमिक सुविधाओं के लिए तरसना यही उनकी नियति बन गई थी। यही वजह है कि आजादी के सात दशक बाद भी देश के 18 हजार गांवों तक बिजली नहीं पहुंच सकी थी।
यही वजह है कि देश के 16 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण घरों को कांग्रेस और उसके जैसी सोच वाले दलों ने अपने भ्रष्टाचार और भ्रष्ट नेताओं के एडजस्टमेंट का अड्डा बना दिया था। कांग्रेस के राज में पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त करने के ठोस प्रयास कभी नहीं किए। ज्यादातर कार्रवाई आंकड़ों में और कागजों में ही सीमित रही। और जम्मू-कश्मीर तो इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। 2019 में आर्टिकल 370 हटने के बाद वहां पहली बार ग्राम पंचायत से लेकर जिला स्तर तक के चुनाव हुए। इनमें अब वहां 33 हजार से ज्यादा स्थानीय जनप्रतिनिधि निर्वाचित हुए। पहली बार वहां जमीनी स्तर पर लोकतंत्र स्थापित हुआ है। अब बताइए आजादी के इतने सालों के बाद...।
साथियो,
आप ये भी जानते हैं कि 2014 के बाद से भाजपा सरकार ने जिला परिषद और स्थानीय स्वराज को मजबूत करने के लिए कितना काम किया है। पंचायती राज संस्थाओं के लिए 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रावधान किया गया है। ये पिछली सरकार के मुकाबले 3 गुना ज्यादा है। पिछले 9 वषों में देश में 30 हजार से ज्यादा नए पंचायत घरों का निर्माण हुआ है। इसके अलावा अनेक क्षेत्रों में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल और ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के लिए नए ऑफिसों का भी निर्माण किया गया है।
साथियो,
विकसित भारत के लिए आपके जिले का विकसित होना भी उतना ही जरूरी है। और इसलिए जब भाजपा के जिला परिषद के नेता यहां बैठे हैं। आप सबको ये दो दिन में कई विषय चर्चा में आएंगे। लेकिन आप आपस में भी बातचीत कीजिए कि 2047 में हमारा जिला भी विकसित होना चाहिए। देश के किसी भी पैरामीटर में पीछे नहीं होना चाहिए। इसके लिए हम कैसे काम करेंगे? कौन क्या काम करेगा? कब काम किया जाएगा? आप अपना पांच साल का नक्शा तैयार कर लीजिए। वैसे पांच-पांच साल की योजना बनाकर 2047 तक और इसके लिए आपके जिले में कौन-कौन सी योजनाएं जरूरी हैं? आपको इस पर दिमाग खपाना चाहिए। सरकारी अफसरों को लेकर के बैठकर चर्चा करनी चाहिए। कई जिले ऐसे होते हैं, जहां एक योजना जरूरी नहीं होती है, लेकिन दूसरी बहुत जरूरी होती है। अब आप तय कर सकते हैं क्या? आज जब दुनिया में भारत का नाम हो रहा है। आपके जिले के वो कौन से उत्पाद है, किसानों की वो कौन सी पैदावार है, कारखानों में से बनी हुई वो कौन सी चीज है, जो दुनिया के बाजार में पहुंचेगी। जिले से एक्सपोर्ट होगा। क्या कभी आप लोगों की मीटिंग बुलाई कि भाई बताइए कौन सी चीज विदेश जा सकती है?
आपके जिले में जीएसटी कलेक्शन, क्या कभी जिले का हिसाब लगाया कि पहले की तुलना में कितना जीएसटी कलेक्शन बढ़ा है ? चोरी तो नहीं हो रही है? कोई गड़बड़ तो नहीं हो रही है? जितना ज्यादा जीएसटी कलेक्शन होगा, उतना विकास के लिए धन उपलब्ध होगा। आपके जिले से ऐसी कौन सी विशेष उत्पाद है, जिसको जीआई टैग मिले। और आजकल दुनिया में जीआई टैग वाली चीजों की मांग बढ़ गई है। अब आपको ढूंढ़ना चाहिए। ऐसा काम करने वालों लोगों का, आपको पता होगा मेरे यहां बनारस का पान जो है न, वो भी जीआई टैग है। ऐसी बहुत सी चीजें आपके यहां भी हो सकती हैं। आपके जिले में ज्यादा से ज्यादा घरों में रूफटॉप सोलर पैनल, ये अभियान कैसे चले? क्या जिले में ऐसे पांच गांव बना सकते हैं, जो पूरी तरह सोलर एनर्जी से चलते हों? अभी आपको पता होगा यूनाइटेड नेशन के महासचिव देखने के लिए गए थे मोढेरा, जो देश का पहला सोलर विलेज बना है। आपने सोचा है कि आप जिले में क्या करेंगे? क्या आपने सोचा है कि आपके जिले की जितनी सारी स्ट्रीट लाइट्स है, एक भी स्ट्रीट लाइट ऐसा न हो, जहां का बल्ब LED बल्ब न हो। डेली पूछा जाए। उसके कारण बिजली का पैसा बचेगा, वो और काम में आएगा। आप ये तय कीजिए। जैसे पूरे देश में चला है- वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट।
आपके जिले में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना, उसको कैसे मजबूत किया जाए? उसको कैसे विस्तार किया जाए? और जो ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ की पहचान बन रही है, आपके जिले को पूरा राज्य और पूरा देश इस प्रोडक्ट के नाते जाना जाए। ऐसा कैसे हो सकता है ? उसी प्रकार से एग्रिकल्चर का भी हो सकता है। आपके जिले में कौन सी ऐसी फसल है, जिसके कारण आपका जिला पहचाना जाए। ये ताकत देता है। उसी प्रकार से देश के नौजवान बहुत तेजी से खेल-कूद की दुनिया में आगे आ रहे हैं। आप तय कीजिए। आपके जिलें में खेल-कूद की सबसे ज्यादा महारत है। ऐसे एक या दो या तीन खेल कौन से है। पूरी ताकत दो या तीन खेलों पर लगाइए और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार किए जाए। खेल-कूद के मैदान तैयार किए जाए। आपका जिला खेल-कूद में भी राज्य में पहले नंबर पर कैसे आए, देश में पहले नंबर पर कैसे आए, ये नेतृत्व आपको देना होगा। ज्यादा से ज्यादा खेल-कूद की स्पर्धाएं होनी चाहिए। खेल के मैदान भरे हुए होने चाहिए। अभी मैं मध्य प्रदेश गया था। शहडोल आदिवासी क्षेत्र हैं। एक छोटा सा इलाका। एक हाजार से ज्यादा वहां फुटबॉल की टीमें हैं। एक हजार से ज्यादा फुटबॉल क्लब है। और उसका परिणाम ये आया है कि उस इलाके में नशे वगैरह जैसी बुरी-बुरी चीजें प्रवेश नहीं कर पाई हैं। साथियों ऐसे अनेक विषय है, जिस पर आप लोग चर्चा कर सकते हैं। टार्गेट तय कर सकते हैं। हर महीना उसका रिपोर्टिंग ले सकते हैं।
और साथियो,
जनता जनार्दन ईश्वर का रूप होती है। हमको कहीं पर भी काम करने का जनता ने अवसर दिया। मतलब जी-जान से जुटना ही है। परमात्मा की सेवा करने जैसा काम है।
साथियो,
आपके पास एक जिला पंचायत डेवलपमेंट प्लान भी होना चाहिए। इसमें आप तय समय में अपने लक्ष्यों को हासिल करने का रोडमैप बना सकते हैं।
साथियो,
भाजपा के प्रतिनिधि के तौर पर, आपको पंचायत व्यवस्था का लाभ समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाना है। मैं आप जिला के नेताओं से आग्रह करूंगा। आप सप्ताह में दो रात अपने क्षेत्र के किसी न किसी छोटे स्थान पर जाकर रात को रूकना चाहिए। वहां के लोगों के साथ बैठना चाहिए। सप्ताह में दो दिन बहुत मुश्किल काम नहीं है। आप ये कर सकते हैं। कहीं गांव गए रात को वापस आ गए ऐसा नहीं। वहां रूकना मतलब रूकना है। आप देखिए रूकने से ही फर्क शुरू हो जाएगा। आप जानते हैं कि आज केंद्र सरकार हर योजना को शत प्रतिशत सैचुरेशन का लक्ष्य लेकर चल रही है। और ये तभी संभव है जब गांव-गांव में हम इस लक्ष्य को हासिल करें। और जब हम शत प्रतिशत सभी हितकारी को शत प्रतिशत लाभ पहुंचाने में सफल होते हैं तो जातिवाद भी नहीं रहता है। परिवारवाद भी नहीं रहता है। मेरा-तेरा भी नहीं रहता है। भ्रष्टाचार के लिए भी जगह नहीं रहती है। सचे अर्थ में सामाजिक न्याय होता है। सचे अर्थ में सेकुलरिज्म होता है। और इसलिए शत प्रतिशत हमारा लक्ष्य रहना चाहिए।
पिछले 9 वर्षों में किसानों के लिए बीज से बाजार तक ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया गया है, जिससे खेती की लागत कम हो और आय बढ़े। और प्राकृतिक खेती, जिस पर बड़ा बल दिया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत ये आंकड़ा भी बहुत बड़ा है, और ये मोदी की गारंटी है। देखिए कैसे काम होता है। 2019 में जब मैंने शुरू किया, तो लोग कहते थे कि चुनाव है इसलिए कर रहे हैं। मोदी की गारंटी चुनावी वादे नहीं होती है। मोदी जब गारंटी देता है तो उसे जमीन पर उतार कर रहता है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत दो लाख साठ हजार करोड़ रुपए किसानों के खाते में सीधे जमा कराए जा चुके हैं। ये आंकड़ा याद रखना दो लाख साठ हजार करोड़...।
आप कल्पना कर सकते हैं, हमारे किसानों को जो यूरिया 300 रुपए से कम में मिल रही है। लेकिन आपको पता है। दरअसल उसकी कीमत क्या है? सारा खर्च सरकार अपने कंधों पर उठाती है। किसान के कंधे पर नहीं जाने देती है। आज दुनिया के कई देश है, जहां यूरिया का एक बोरी हम बेचते हैं न 300 से भी कम, दुनिया में 3 हजार में बिकती है। इतना पैसा सरकार बोझ उठाती है, ताकि किसान पर बोझ न पड़े। नैनो यूरिया के द्वारा भी किसानों का ट्रांसपोर्टेशन पर होने वाला खर्च कम होने वाला है। फसल बीमा योजना के जरिए भी किसानों को 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का मुआवजा मिला है। अब 1 लाख 30 हजार करोड़ पहले के जमाने में किसानों का पूरा बजट भी नहीं होता था। अभी कुछ दिन पहले ही मैंने किसानों के लिए वन स्टॉप सेंटर के रूप में सवा लाख, पूरे देश में 1 लाख 25 हजार प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र देश को समर्पित किए हैं। आपके जिले में भी सैकड़ों ऐसे केंद्र बने हैं। कभी जाइए वहां। उस केंद्र में जाकर आधा घंटा बैठिए। इन केंद्रों पर एक ही जगह खाद, बीज, कृषि औजार, नयी वैज्ञानिक पद्धति और सरकारी योजनाओं की जानकारी ये सब कुछ एक ही जगह पर मिल रहा है। केंद्र सरकार के ये सारे प्रयास किसानों का जीवन आसान बनाने, उनकी आय बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हो रहे हैं। आपको भी अपने क्षेत्र में इन सारी योजनाओं को किसानों के पास खेत तक पहुंचाना है। सरकारी दफ्तरों में योजनाएं नहीं रहनी चाहिए। किसान के खेत तक पहुंचनी चाहिए। किसान के घर तक पहुंचना चाहिए। लक्ष्य यही रखना है कि आपके क्षेत्र का एक भी किसान, केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभ से वंचित ना रहे।
साथियो,
हमारी कई योजनाओं का सकारात्मक प्रभाव ग्रामीण महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर भी दिख रहा है। पिछले 9 वर्षों में जनधन योजना के तहत करीब 50 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोले गए है। इस योजना की ज्यादातर लाभार्थी हमारी माताएं और बहनें ही हैं।
मुद्रा लोन ने, स्वयं सहायता समूहों को बढ़ाई गई आर्थिक मदद ने गांव की महिलाओं को स्वरोजगार का एक नया माध्यम दिया है। आपको गांव की प्रत्येक बहन-बेटी तक पहुंचना है, उन्हें सरकार की योजनाओं से परिचित कराना है। सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देशव्यापी अभियान भी चलाया हुआ है। जहां भाजपा के लोग सत्ता में है। क्या भाजपा का हर जिला पंचायत अध्यक्ष, काउंसिल अध्यक्ष सुनिश्चि करें कि आपके जिले में कम से कम पांच गांव ऐसे हो जहां एक भी खेत में एक ग्राम भी केमिकल का उपयोग नहीं होगा? केमिकल फ्री फार्मिंग, ना केमिकल फर्टिलाइजर होगा, ना केमिकल दवाइयां होंगी। प्राकृतिक खेती, पांच गांव कर के देखिए आप। इसके लिए आप लगातार किसानों से मिलें, उन्हें जो मदद चाहिए, वो उपलब्ध कराएं, प्रशासन से भी सहयोग लें।
साथियो,
पीएम स्वामित्व योजना के जरिए, देश की ग्रामीण आबादी को प्रॉपर्टी के दस्तावेज देने का अभियान तेजी से चल रहा है। मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने जहां भाजपा की सरकार है, वहां इस पर अच्छा काम किया। पीएम स्वामित्व योजना को और गति देने के लिए भी आपका सहयोग आवश्यक है। जिन-जिन गांवों में प्रॉपर्टी कार्ड का काम पूरा हो रहा है वहां स्थानीय स्तर पर इसे सेलिब्रेट करें। प्रॉपर्टी कार्ड पाने वाले को अगर लोन की जरुरत है तो उसकी भी मदद करें।
साथियो,
डिजिटल इंडिया अभियान ने भारत के ग्रामीण क्षेत्र में एक नई डिजिटल क्रांति को जन्म दिया है। 2014 के पहले हमारे देश में 100 से भी कम ग्राम पंचायतें ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ी हुई थीं। आज भारत नेट के जरिए दो लाख ग्राम पंचायतें आप्टिकल फाइबर से जुड़ चुकी हैं। गांव-गांव में खोले गए 5 लाख से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर रोजगार के भी और गांव-मोहल्लों की सेवा के लिए भी एक बहुत विश्वस्त माध्यम बन रहे हैं। लोगों को अनेक सुविधाओं के लिए अब सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। हमारे पंचायत भवनों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी का लाभ क्षेत्र के ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिले, ये भी आप सब साथियों को सुनिश्चित करना चाहिए।
साथियो,
आप ये भी जानते हैं, देश में 50 करोड़ से ज्यादा लोग आय़ुष्मान भारत योजना से जुड़ चुके हैं। इस योजना के ज्यादातर लाभार्थी देश के ग्रामीण इलाकों में ही हैं। मेरा आपसे आग्रह है। आप दिवाली के पहले तय कीजिए कि पांच-पांच, दस-दस गांवों का समूह वहां आय़ुष्मान भारत कार्ड जिनको मिला है। जिन्होंने आय़ुष्मान भारत कार्ड का बेनिफिट लिया है, उनके सम्मेलन कीजिए। और वो खुद बताएं कि कैसे उसको मदद मिली है। कैसे उसकी जिंदगी बच गई है। और आगे ये देखिए कि जो लोग छूट गए हैं, जो हितकारी है, अधिकारी है इसके लेकिन छूट गए है, उनको पहुंचाकर के सैचुरेशन का काम पूरा करना चाहिए। बहुत बड़ा मानवता का काम है। आपके क्षेत्र में जो हेल्थ और वेलनेस सेंटर बन रहे हैं, उन्हें भी सुचारू रूप से चलाने में प्रशासन का सहयोग करें।
इसी तरह आपको अपने जिलों में टेलीमेडिसिन केंद्र स्थापित करने में भी सक्रियता से काम करना चाहिए। पिछले दो साल में भारत सरकार की ई-संजीवनी योजना की मदद से 14 करोड़ से ज्यादा बार लोग डॉक्टरों से कंसल्ट कर चुके हैं। भाजपा के हर जिला पंचायत सदस्य को अभियान चलाकर अपने क्षेत्र के हर गांव, गांव के हर घर तक ई-संजीवनी योजना की जानकारी पहुंचानी चाहिए। ताकि उसे अच्छे से अच्छे डॉक्टर से सलाह मिल सके। आप कैंप लगाएं, आपके क्षेत्र में जो मेले होते हैं, बड़े पर्वों का आयोजन होता है, उसमें भी ई-संजीवनी योजना का प्रचार प्रसार करें।
साथियो,
आज हजारों पैक्स के जरिए किसानों को, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ताकत देने के लिए सहकारी समितियों को मजबूत किया जा रहा है। अगले 5 साल में 2 लाख गांवों में Multipurpose Packs, Primary Fisheries Societies, Dairy Cooperatives ये बनने वाले हैं। इसमें आपकी भूमिका निर्णायक होगी। आप जानते हैं देश में भंडारण क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। आप अपने जिले में ज्यादा से ज्यादा कैशलेस गांव बनाने का भी लक्ष्य बनाइए। आपके अपने जिलों में बने अमृत सरोवरों को अब सूखने नहीं देना है। उसमें मिट्टी भर जाए, कूड़ा-कचरा भर जाए, इसे किसी भी हाल होने नहीं देना है। और ये अमृत सरोवर बनाते जाना है। ये प्रकृति की रक्षा के लिए पानी की ताकत बहुत काम आने वाली है। और ऐसे अमृत सरोवर को इतना विकसित किया जा सकता है कि वो छोटे-छोटे पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित हो सकते हैं। कैसे आप ग्रामीण पर्यटन, पार्कों का विकास, ऐतिहासिक स्मारकों का रखरखाव ये हम कैसे कर सकते हैं, इसके लिए स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम करें। मेरे लद्दाख के जो साथी इस बैठक में शामिल हुए हैं, उनके लिए ग्रामीण पर्यटन औऱ होम स्टे अभियान विशेष तौर पर बहुत लाभकारी है।
साथियो,
कल ही आपने ये भी देखा है कि देश में 500 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों को अमृत रेलवे स्टेशन के तौर पर विकसित करने की शुरुआत हुई है।
इस अभियान पर 25 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। आप भी अपने क्षेत्र में इस अभियान को गांव-गांव लेकर जाइए। आप अपने जिले में रेलवे स्टेशनों के स्थापना दिवस पर भी समारोह भी आयोजित कर सकते हैं। आप जानकारी लीजिए कौन सा रेलवे स्टेशन कब बना था। कब से ट्रेनें आने लगी हैं। उसको सेलिब्रेट करना चाहिए। उसके साफ-सफाई में गांव वाले भी जुड़ेंगे। आपके बस स्टेशन होंगे। वो भी साफ-सुथरे क्यों ना हो? ये जितना ज्यादा आप करोंगे, मैं समझता हूं बहुत ज्यादा लाभ होगा। इससे इतिहास और भविष्य, दोनों के साथ आपके क्षेत्र के लोगों का तालमेल बना रहेगा।
साथियो,
आज का दिन स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में काफी अहम दिन रहा है। आज ही स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। भाजपा के हर पंचायत सदस्य को, लोकल के लिए वोकल होना है, स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना है। GeM Portal आपको मालूम है। मैं चाहता हूं आपके जिला परिषद में हर चीज GeM Portal से ही खरीदी जाए। आप अफसरों को काम पर लगाइए। बहुत पैसा बचेगा, भ्रष्टाचार खत्म होगा और डिलीवरी तुरंत होगी। स्थानीय उत्पाद भी मिलेगा। जैसे आज नेशनल हेंडलूम डे है। अब देखिए आने वाले दिनों में रक्षाबंधन आएगा, गणेश उत्सव आएगा, दीपावली आएगी। इन पर्वों में हमें स्वदेशी के संकल्प को याद रखना है, भारत में बने उत्पादों को ही खरीदना है।
साथियो,
एक दिन बाद ही 9 अगस्त है और ये दिन Quit India Movement के लिए याद किया जाता है। गांधी जी के आह्वान पर Quit India Movement शुरू हुआ और पूरा देश अंग्रेजों को बाहर खदेड़ने के लिए उठ खड़ा हुआ। इसी तरह हमें भी इस 9 अगस्त को Quit India Movement को समर्पित आंदोलन चलाना है। पूरे देश में एक ही आवाज उठनी चाहिए...
करप्शन- क्विट इंडिया
हर बच्चा-बच्चा एक ही बात बोले...
डाइनेस्टी क्विट इंडिया
माताएं, बहनें, बच्चे हों, बुजुर्ग हों, गांव हों, शहर हों, चारों तरफ अब एक ही बात चाहिए...
अपीजमेंट क्विट इंडिया
साथियो,
आपको याद होगा, पिछली बार 15 अगस्त पर पूरे देश ने हर घर तिरंगा अभियान चलाया था। इस बार भी हमें हर घर तिरंगा फहराना है। आपकी पंचायत में, आपके क्षेत्र में भी हर घर पर तिरंगा फहरे, इसके लिए आपको, आपकी टीम को, सरकार के सभी विभागों ने मिलजुल कर के आने वाले चार-छह दिन पूरी ताकत लगा देनी चाहिए।
साथियो,
आपको विनम्र रहकर संगठन के लोगों से, कार्यकर्ताओं से, समन्वय बनाकर रहने का क्या लाभ होता है ये भली-भांति पता है। और आप करते भी है। मुझे उपदेश देने की जरूरत नहीं है। आप यहां तक पहुंचे हैं, सफल हुए उसका कारण यही है। आपने संगठन का महत्व रखा है, आपने कार्यकर्ताओं की महत्ता समझी है। कार्यकर्ता और संगठन हमारी शक्ति है। हमारी योजनाओं को नीच तक ले जाने में काम आते हैं। नीच कुछ गड़बड़ चल रही है तो पता लगाने में काम आते हैं। और इसलिए ये हमारा जीवन संपर्क, नीचे तक जिसका संपर्क होता है, उसका लाभ आपने देखा है। आज देश में भाजपा की वो छवि बन गई है जिसमें गरीब को विश्वास है और आप भी अनुभव करते होंगे। और गरीब को विश्वास क्या है? आप देख लेना, आप अपने जिले में जाएंगे तो पता चलेगा। गरीब को ये पक्का विश्वास है-
जहां कमल का निशान है, वहां गरीब कल्याण है।
जहां कमल का निशान है, वहां गरीब की मदद है।
जहां कमल का निशान है, वहां हर इंसान की शान है।
जहां कमल का निशान है, वहां किसी गरीब को भटकना नहीं पड़ता है। आपको अपने कार्यालय की पहचान भी ऐसी ही बनानी है। सेवा भाव ही आपकी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। आपके प्रयास बढ़ेंगे तो किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल नहीं होगा। मुझे विश्वास है कि इस कार्यशाला के द्वारा हम विकसित भारत के निर्माण में जिला पंचायतों की भूमिका को नई दिशा दे सकेंगे। एक बार फिर मैं आप सबको अनेकानेक शुभकामनाएं देता हूं। मैं नड्डा जी का धन्यवाद करता हूं इस कार्यक्रम की योजना के लिए। और मुझे पक्का विश्वास है कि दो दिन के वर्कशॉप के बाद जब आप वापस आएंगे, तब अपने जिले में नई ऊर्जा, नई प्रेरणा तो होगी ही, लेकिन काम करने के नई चीजें भी लेकर के जाएंगे, जो आपके जिले के सामान्य से सामान्य नागरिक की भलाई करेगा। मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।
बहुत-बहुत धन्यवाद।