Quoteप्रधानमंत्री ने छठी इंडिया मोबाइल कांग्रेस का उद्घाटन किया
Quote“5जी, देश के द्वार पर नए दौर की दस्तक है। 5जी, अवसरों के अनंत आकाश की शुरुआत है”
Quote"नया भारत, टेक्नॉलजी का सिर्फ कंज्यूमर बनकर नहीं रहेगा, बल्कि भारत उस टेक्नॉलजी के विकास में, उसके इंप्लीमेंटेशन में एक्टिव भूमिका निभाएगा"
Quote"5जी के साथ भारत पहली बार टेलीकॉम टेक्नॉलजी में ग्लोबल स्टैंडर्ड तय कर रहा है"
Quote“2014 में जीरो मोबाइल फोन निर्यात करने से लेकर आज हम हजारों करोड़ के मोबाइल फोन निर्यात करने वाले देश बन चुके हैं”
Quote"मुझे देश के सामान्य मानवी की समझ पर, उसके विवेक पर, उसके जिज्ञासु मन पर हमेशा भरोसा रहा है"
Quote"आज हमारे छोटे व्यापारी हों, छोटे उद्यमी हों, लोकल कलाकार और कारीगर हों, डिजिटल इंडिया ने सबको मंच दिया है, बाजार दिया है"
Quote"5जी टेक्नॉलजी तेज इंटरनेट एक्सेस तक सीमित नहीं होगी, बल्कि इसमें जीवन बदलने की क्षमता है"

इस ऐतिहासिक अवसर पर उपस्थित मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगीगण, देश के उद्योगजगत के प्रतिनिधिगण, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों,

ये समिट तो ग्लोबल है लेकिन आवाज लोकल है। इतना ही नहीं आगाज भी लोकल है। आज 21वीं सदी के विकसित होते भारत के सामर्थ्य का, उस सामर्थ्य को देखने का, उसके प्रदर्शन का एक विशेष दिवस है। आजादी के अमृत महोत्सव के इस ऐतिहासिक कालखंड में एक अक्टूबर 2022, ये तारीख इतिहास में दर्ज होने वाली है। दूसरा ये नवरात्र का पर्व चल रहा है। शक्ति उपासना का पर्व होता है और 21वीं सदी की जो सबसे बड़ी शक्ति है उस शक्ति को नई ऊंचाई पर ले जाने का आज भी आरंभ हो रहा है। आज देश की ओर से, देश की टेलीकॉम इंडस्ट्री की ओर से, 130 करोड़ भारतवासियों को 5G के तौर पर एक शानदार उपहार मिल रहा है। 5G, देश के द्वार पर नए दौर की दस्तक लेके आया है। 5G, अवसरों के अनंत आकाश की शुरुआत है। मैं प्रत्येक भारतवासी को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

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साथियों,

मैं गौरव से भरे इन क्षणों के साथ ही, मुझे खुशी इस बात की भी है कि 5G की शुरुआत में ग्रामीण स्कूलों के बच्चे भी हमारे साथ सहभागी हैं, गाँव भी सहभागी हैं, मजदूर-गरीब भी सहभागी हैं। अभी मैं यूपी के एक ग्रामीण स्कूल की बेटी 5G होलोग्राम टेक्नालजी के जरिए रूबरू हो रहा था। जब मैं 2012 के चुनाव में होलोग्राम लेकर के चुनाव प्रसार कर रहा था तो दुनिया के लिए अजूबा था। आज वो घर-घर पहुंच रहा है। मैंने महसूस किया कि नई तकनीक उनके लिए किस तरह पढ़ाई के मायने बदलते जा रही है। इसी तरह, गुजरात, महाराष्ट्र और ओड़िशा के गाँवों के सुदूर स्कूल तक, 5G के जरिए बच्चे बड़े-बड़े विशेषज्ञों के साथ क्लास में नई-नई चीजें सीख रहे हैं। उनके साथ नए दौर की क्लास का हिस्सा बनना, ये वाकई बहुत रोमांचित करने वाला अनुभव है।

साथियों,

5G को लेकर भारत के प्रयासों का एक और संदेश है। नया भारत, टेक्नॉलजी का सिर्फ़ consumer बनकर नहीं रहेगा बल्कि भारत उस टेक्नॉलजी के विकास में, उसके implementation में बहुत बड़ी active भूमिका निभाएगा। भविष्य की wireless टेक्नॉलजी को design करने में, उस से जुड़ी manufacturing में भारत की बड़ी भूमिका होगी। 2G, 3G, 4G के समय भारत टेक्नॉलजी के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहा। लेकिन 5G के साथ भारत ने नया इतिहास रच दिया है। 5G के साथ भारत पहली बार टेलीकॉम टेक्नॉलजी में global standard तय कर रहा है। भारत लीड कर रहा है। आज इन्टरनेट का इस्तेमाल करने वाला हर व्यक्ति इस बात को समझ रहा है कि 5G, Internet का पूरा आर्किटेक्चर बदल कर रख देगा। इसलिए भारत के युवाओं के लिए आज 5G बहुत बड़ी opportunity लेकर आया है। मुझे खुशी है कि विकसित भारत का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा हमारा देश, दुनिया के अन्य देशों के साथ किस तरह कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। ये भारत की बहुत बड़ी सफलता है, डिजिटल इंडिया अभियान की बहुत बड़ी सफलता है।

साथियों,

जब हम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं तो कुछ लोग समझते हैं कि ये सिर्फ एक सरकारी योजना है। लेकिन डिजिटल इंडिया सिर्फ एक नाम नहीं है, ये देश के विकास का बहुत बड़ा विजन है। इस विजन का लक्ष्य है उस टेक्नॉलजी को आम लोगों तक पहुंचाना, जो लोगों के लिए काम करे और लोगों के साथ जुड़कर काम करे। मुझे याद है, जब मोबाइल सेक्टर से जुड़े इस विजन के लिए strategy बनाई जा रही थी, तो मैंने कहा था कि हमारी अप्रोच टुकड़ों-टुकड़ों में नहीं होनी चाहिए, बल्कि holistic होनी चाहिए। डिजिटल इंडिया की सफलता के लिए जरूरी था कि वो इस सेक्टर के सभी आयामों को एक साथ कवर करे। इसलिए हमने 4 Pillars पर और चार दिशाओं में एक साथ फोकस किया। पहला - डिवाइस की कीमत, दूसरा - डिजिटल कनेक्टिविटी, तीसरा - डेटा की कीमत, चौथा और जो सबसे जरूरी है - ‘digital first’ की सोच।

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साथियों,

जब हम पहले पिलर की बात करते हैं, डिवाइस की कीमत की बात करते हैं, तो एक बात बहुत स्पष्ट है। डिवाइस की कीमत तभी कम हो सकती है जब हम आत्मनिर्भर हों, और आपको याद होगा बहुत लोगों ने आत्मनिर्भर की मेरी बात की मजाक उड़ाई थी। 2014 तक, हम करीब 100 प्रतिशत मोबाइल फोन आयात करते थे, विदेशों से इम्पोर्ट करते थे, और इसलिए, हमने तय किया कि हम इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेंगे। हमने mobile manufacturing units को बढ़ाया। 2014 में जहां देश में सिर्फ 2 mobile manufacturing units थी, 8 साल पहले 2, अब उनकी संख्या 200 के ऊपर है। हमने भारत में मोबाइल फोन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए incentive दिए, प्राइवेट सेक्टर को प्रोत्साहित किया। आज इसी योजना का विस्तार आप PLI scheme में भी देख रहे हैं। इन प्रयासों का नतीजा बहुत पॉजिटिव रहा। आज भारत, मोबाइल फोन उत्पादन करने में दुनिया में नंबर 2 पर हैं। इतना ही नहीं जो कल तक हम मोबाइल इम्पोर्ट करते थे। आज हम मोबाइल एक्सपोर्ट कर रहे हैं। दुनिया को भेज रहे हैं। जरा सोचिए, 2014 में जीरो मोबाइल फोन निर्यात करने से लेकर आज हम हजारों करोड़ के मोबाइल फोन निर्यात करने वाले देश बन गये हैं, एक्सपोर्ट करने वाले देश बन चुके हैं। स्वाभाविक है इन सारे प्रयासों का प्रभाव डिवाइस की कीमत पर पड़ा है। अब कम कीमत पर हमें ज्यादा फीचर्स भी मिलने लगे हैं।

साथियों,

डिवाइस Cost के बाद जो दूसरे पिलर पर हमने काम किया, वो है डिजिटल कनेक्टिविटी का। आप भी जानते हैं कि कम्युनिकेशन सेक्टर की असली ताकत कनेक्टिविटी में है। जितने ज्यादा लोग कनेक्ट होंगे, इस सेक्टर के लिए उतना अच्छा है। अगर हम ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की बात करें, तो 2014 में 6 करोड़ यूजर्स थे। आज इनकी संख्या बढ़कर 80 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। अगर हम इंटरनेट कनेक्शन की संख्या की बात करें, तो 2014 में जहां 25 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन थे, वहीं आज इसकी संख्या करीब-करीब 85 करोड़ पहुंच रही है। ये बात भी नोट करने वाली है कि आज शहरों में इंटरनेट यूजर्स की संख्या के मुकाबले हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। और इसकी एक खास वजह है। 2014 में जहां देश में 100 से भी कम पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर पहुंचा था, आज एक लाख 70 हजार से भी ज्यादा पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर पहुंच चुका है। अब कहां 100, कहां एक लाख 70 हजार। जैसे सरकार ने घर-घर बिजली पहुंचाने की मुहिम शुरू की, जैसे हर घर जल अभियान के जरिए हर किसी तक साफ पानी पहुंचाने के मिशन पर काम किया, जैसे उज्जवला योजना के जरिए गरीब से गरीब आदमी के घर में भी गैस सिलेंडर पहुंचाया, जैसे हमने करोड़ों की तादाद में लोग बैंक अकाउंट से वंचित थे। करोड़ों लोग जो बैंक से नहीं जुड़े थे। आजादी के इतने साल के बाद जनधन एकाउंट के द्वारा हिन्दुस्तान के नागरिकों को बैंक के साथ जोड़ दिया। वैसे ही हमारी सरकार, Internet for all के लक्ष्य पर काम कर रही है।

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साथियों,

Digital connectivity बढ़ने के साथ ही डेटा की कीमत भी उतनी ही अहम हो जाती है। ये डिजिटल इंडिया का तीसरा पिलर था, जिस पर हमने पूरी शक्ति से काम किया। हमने टेलीकॉम सेक्टर के रास्ते में आने वाली तमाम अड़चनों को हटाया। पहले विजन की कमी और पारदर्शिता के अभाव में टेलीकॉम सेक्टर को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। आप परिचित हैं कि कैसे हमने 4G तकनीक के विस्तार के लिए policy support दिया। इससे डेटा की कीमत में भारी कमी आई और देश में डेटा क्रांति का जन्म हुआ। देखते ही देखते ये तीनों फैक्टर, डिवाइस की कीमत, डिजिटल कनेक्टिविटी और डेटा की कीमत – इसका Multiplier Effect हर तरफ नजर आने लगा।

लेकिन साथियों,

इन सबके साथ एक और महत्वपूर्ण काम हुआ। देश में ‘digital first’ की सोच विकसित हुई। एक वक्त था जब बड़े-बड़े विद्वान इलीट क्लास, उसके कुछ मुट्ठी भर लोग, सदन के कुछ भाषण देख लेना, कैसे-कैसे भाषण हमारे नेता लोग करते हैं। वे मजाक उड़ाते थे। उनको लगता था कि गरीब लोगों में क्षमता ही नहीं है, ये डिजिटल समझ ही नहीं सकते, संदेह करते थे। उन्हें शक था कि गरीब लोग डिजिटल का मतलब भी नहीं समझ पाएंगे। लेकिन मुझे देश के सामान्य मानवी की समझ पर, उसके विवेक पर, उसके जिज्ञासु मन पर हमेशा भरोसा रहा है। मैंने देखा है कि भारत का गरीब से गरीब व्यक्ति भी नई तकनीकों को अपनाने में आगे रहता है और मैं एक छोटा अनुभव बताता हूं। शायद ये 2007-08 का कालखंड होगा या 2009-10 का मुझे याद नहीं है। मैं गुजरात में मुख्यमंत्री रहा लेकिन एक क्षेत्र ऐसा रहा जहां मैं कभी गया नहीं और बहुत ही Tribal इलाके में, बहुत ही पिछड़ा, मैं हमारे सरकार के अधिकारियों ने भी मुझे एक बार वहां कार्यक्रम करना ही करना है, मुझे जाना है। तो वो इलाका ऐसा था कोई-कोई बड़ा प्रोजेक्ट की संभावना नहीं थी, फॉरेस्ट लेंड थी, कोई संभावना रही थी। तो आखिर में एक चिलिंग सेंटर, दूध का चिलिंग सेंटर वो भी 25 लाख रुपये का। मैनें कहा भले वो 25 लाख का होगा, 25 हजार का होगा मैं खुद उद्धघाटन करूंगा। अब लोगों को लगता है ना भई चीफ मिनिस्टर को इससे नीचे तो करना नहीं चाहिए। लेकिन मुझे ऐसा कुछ होता नहीं है। तो मैं उस गांव में गया और जब वहां मैं एक पब्लिक मीटिंग करने के लिए भी जगह नहीं थी तो वहां से 4 किलोमीटर दूर स्कूल का छोटा सा मैदान था। वहां पब्लिक मीटिंग आर्गेनाइज की गई।

लेकिन जब वो चिलिंग सेंटर पर गया मैं तो आदिवासी माताएं-बहनें दूध भरने के लिए कतार में खड़ी थीं। तो दूध का अपना बर्तन नीचे रखकर के जब हम लोग गए और उसकी उद्धघाटन की विधि कर रहे थे तो मोबाइल से फोटो ले रही थीं। मैं हैरान था इतने दूर-दराज के क्षेत्र में मोबाइल से फोटो ले रही है तो मैं उनके पास गया। मैंने कहा ये फोटो लेकर क्या करोगी? तो बोली डाउनलोड करेंगे। ये शब्द सुनकर के मैं सचमुच में surprise हुआ था। कि ये ताकत है हमारे देश के गांव में। आदिवासी क्षेत्र की गरीब माताएं-बहनें जो दूध भरने आई थीं वो मोबाइल फोन से अपनी फोटो ले रही थीं और उनको ये मालुम था कि इसमें तो नहीं अब डाउनलोड करवा देंगे और डाउनलोड शब्द उनके मुह से निकलना ये उनकी समझ शक्ति और नई चीजों को स्वीकारने के स्वभाव का परिचय देती है। मैं कल गुजरात में था तो मैं अम्बा जी तीर्थ क्षेत्र पर जा रहा था तो रास्ते में छोटे-छोटे गांव थे। आधे से अधिक लोग ऐसे होंगे जो मोबाइल से वीडियो उतार रहे थे। आधे से अधिक, यानि हमारे देश की जो ये ताकत है इस ताकत को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते और सिर्फ देश के इलीट क्लास के कुछ लोगों को ही हमारे गरीब भाई-बहनों पर यकीन नहीं था। आखिरकार हम ‘digital first’ के अप्रोच के साथ आगे बढ़ने में कामयाब हुए।

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सरकार ने खुद आगे बढ़कर digital payments का रास्ता आसान बनाया। सरकार ने खुद ऐप के जरिए citizen-centric delivery service को बढ़ावा दिया हैं। बात चाहे किसानों की हो, या छोटे दुकानदारों की, हमने उन्हें ऐप के जरिए रोज की जरूरतें पूरी करने का रास्ता दिया। इसका नतीजा आज आप देख सकते हैं। आज टेक्नॉलजी सही मायने में democratic हो गई है, लोकतांत्रिक हो गई है। आपने भी देखा है कि ‘digital first’ की हमारी अप्रोच ने कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में देश के लोगों की कितनी मदद की। दुनिया के बड़े-बड़े विकसित देश जब अपने नागरिकों की मदद करने में संघर्ष कर रहे थे। खजाने में रुपये पड़े थे, डॉलर थे, पाउंड थे, सब था, यूरो था और देने का तय भी किया था। लेकिन पहुंचाने का रास्ता नहीं था। भारत एक क्लिक पर हजारों करोड़ रुपए मेरे देश के नागरिकों के खाते में ट्रांसफर कर रहा था। ये डिजिटल इंडिया की ही ताकत थी कि जब दुनिया थमी हुई थी, तो भी हमारे बच्चे ऑनलाइन क्लासेस ले रहे थे, पढ़ाई कर रहे थे। अस्पतालों के सामने असाधारण चुनौती थी, लेकिन डॉक्टर्स अपने मरीजों का इलाज टेली-मेडिसिन के जरिए भी कर रहे थे। ऑफिसेस बंद थे, लेकिन ‘work from home’ चल रहा था। आज हमारे छोटे व्यापारी हों, छोटे उद्यमी हों, लोकल कलाकार हों, कारीगर हों, डिजिटल इंडिया ने सबको मंच दिया है, बाजार दिया है। आज आप किसी लोकल मार्केट में आप सब्जी मंडी में जाकर देखिए, रेहड़ी-पटरी वाला छोटा दुकानदार भी आपसे कहेगा, कैश नहीं है ‘UPI’ कर दीजिए। मैंने तो बीच में एक वीडियो देखा कोई भिक्षुक भी digitally payment लेता है। Transparency देखिए, ये बदलाव बताता है कि जब सुविधा सुलभ होती है तो सोच किस तरह सशक्त हो जाती है।

साथियों,

आज टेलीकॉम सेक्टर में जो क्रांति देश देख रहा है, वो इस बात का सबूत है कि अगर सरकार सही नीयत से काम करे, तो नागरिकों की नियत बदलने में देर नहीं लगती है। 2जी की नीयत और 5जी की नियत में यही फर्क है। देर आए दुरुस्त आए। भारत आज दुनिया के उन देशों में है जहां डेटा इतना सस्ता है। पहले 1GB डेटा की कीमत जहां 300 रुपए के करीब होती थीं, वहीं आज 1GB डेटा का खर्च केवल 10 रुपए तक आ गया है। आज भारत में महीने भर में एक व्यक्ति मोबाइल पर करीब-करीब एवरेज 14 GB डेटा इस्तेमाल कर रहा है। 2014 में इस 14 GB डेटा की कीमत होती थी करीब–करीब 4200 रुपए प्रति महीना। आज इतना ही डेटा वो सौ रुपए, या ज्यादा से ज्यादा डेढ़ सौ रुपए, सवा सौ या डेढ़ सौ रुपये में मिल जाता है। यानि आज गरीब के, मध्यम वर्ग के मोबाइल डेटा के करीब करीब 4 हजार रुपए हर महीने बच रहा है उसकी जेब में। हमारी सरकार के इतने सारे प्रयासों से भारत में डेटा की कीमत बहुत कम बनी हुई है। ये बात अलग है 4000 रुपया बचना कोई छोटी बात नहीं है हर महीना लेकिन जब मैं बता रहा हूं तब आपको ध्यान में आया क्योंकि हमने इसका हो-हल्ला नहीं किया, विज्ञापन नहीं दिए, झूठे-झूठे बड़े गपगोले नहीं चलाए, हमने फोकस किया कि देश के लोगों की सहूलियत बढ़े, Ease of Living बढ़े।

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साथियों,

अक्सर ये कहा जाता है कि भारत पहली तीन औद्योगिक क्रांतियों का लाभ नहीं उठा पाया। लेकिन मेरा विश्वास है कि भारत ना सिर्फ चौथी औद्योगिक क्रांति का पूरा लाभ उठाएगा बल्कि उसका नेतृत्व भी करेगा और विद्वान लोग तो कहने भी लगे हैं कि भारत का दशक नहीं ये भारति की शताब्दी है। ये decade नहीं century है। भारत ने किस तरह 4G आने के बाद टेक्नॉलजी की दुनिया में ऊंचाई छलांग लगाई है, इसके हम सभी साक्षी हैं। भारत के नागरिकों को जब टेक्नॉलजी के समान अवसर मिल जाते हैं, तो दुनिया में उन्हें कोई पछाड़ नहीं सकता। इसलिए आज जब भारत में 5जी का लॉन्च हो रहा है, तो मैं बहुत विश्वास से भरा हुआ हूं दोस्तों। मैं दूर का देख पा रहा हूं और जो सपने हमारे दिल दिमाग मे चल रहे हैं। उसको अपनी आंखों के सामने हम साकार होते देखेंगे। हमारे बाद वाली पीढ़ी ये देखेगी ऐसा काम होने वाला नहीं है हम ही हमारे आखों के सामने देखने वाले हैं। ये एक सुखद संयोग है कि कुछ सप्ताह पहले ही भारत विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। और इसलिए, ये अवसर है हमारे युवाओं के लिए, जो 5 जी टेक्नॉलजी की मदद से दुनिया भर का ध्यान खींचने वाले Innovations कर सकते हैं। ये अवसर है हमारे entrepreneurs के लिए जो 5 जी टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करते हुए अपना विस्तार कर सकते हैं। ये अवसर है भारत के सामान्य मानवी के लिए जो इस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करते हुए अपनी skill को सुधार सकता है, up skill कर सकता है, Re-skill कर सकता है, अपने ideas को सच्चाई में बदल सकता है।

साथियों,

आज का ये ऐतिहासिक अवसर एक राष्ट्र के तौर पर, भारत के एक नागरिक के तौर पर हमारे लिए नई प्रेरणा लेकर आया है। क्यों ना हम इस 5जी टेक्नॉलजी का उपयोग करके भारत के विकास को अभूतपूर्व गति दें? क्यों ना हम इस 5 जी टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करके अपनी अर्थव्यवस्था को बहुत तेजी से विस्तार दें? क्यों ना हम इस 5 जी टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करके अपनी Productivity में रिकॉर्ड वृद्धि करें?

साथियों,

इन सवालों में हर भारतीय के लिए एक अवसर है, एक चुनौती है, एक सपना है और एक संकल्प भी है। मुझे पता है कि आज 5G की इस launching को जो वर्ग सबसे ज्यादा उत्साह से देख रहा है, वो मेरा युवा साथी है, मेरे देश की युवा पीढ़ी है। हमारी टेलीकॉम इंडस्ट्री के लिए भी कितने ही बड़े अवसर इंतज़ार कर रहे हैं, रोजगार के कितने ही नए अवसर बनने जा रहे हैं। मुझे विश्वास है, हमारी इंडस्ट्री, हमारे इंस्टीट्यूट्स और हमारे युवा मिलकर इस दिशा में निरंतर काम करेंगे और अभी जब मैं काफी समय पूरा जो exhibition लगा है तो समझने का प्रयास करता था। मैं कोई टेक्नोलॉजी का विद्यार्थी तो नहीं हूं। लेकिन समझने की कोशिश कर रहा था। ये देखकर के मुझे लगा है कि मैं सरकार में तो सूचना करने वाला हूं। कि हमारी सरकार के सभी विभाग, उसके सारे अधिकारी जरा देखें कहां कहां इसका उपयोग हो सकता है। ताकि सरकार की नीतियों में भी इसका असर नजर आना चाहिए। मैं देश के स्टूडेंट्स को भी चाहुंगा कि पांच दिन तक ये exhibition चलने वाला है। मैं खासकर के टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टूडेंट्स से आग्रह करूंगा कि आप आइये, इसे देखिए, समझिए और कैसे दुनिया बदल रही है और आप एक बार देखेंगे तो अनेक चीजें नई आपके भी ध्यान में आएंगी। आप उसमे जोड़ सकते हैं और मैं इस टेलिकॉम सेक्टर के लोगों से भी कहना चाहुंगा मुझे खुशी होती थी, जिस-जिस स्टॉल में मैं गया हर कोई कहता था ये Indigenous है, आत्मनिर्भर है, ये हमने बनाया है।

सब बड़ गर्व से कहते थे। मुझे आनंद हुआ लेकिन मेरा दिमाग कुछ और चल रहा था मैं ये सोच रहा था जैसे कई प्रकार की कार आती हैं। हरेक की अपनी एक ब्रांड होती है। हरेक की अपनी विशेषता भी होती है। लेकिन उसमें जो स्पेयर पार्ट पहुंचाने वाले होते हैं। वो एमएसएमई सेक्टर के होते हैं और एक ही एमएसएमई के ये फैक्ट्री वाला छह प्रकार की गाड़ियों के स्पेयर पार्ट बनाता है, छोटे-मोटे जो भी सुधार करने करे वो देता है। मैं चाहता हूं कि आज हार्डवेयर भी आप लगा रहे ऐसा लगा मुझे आपकी बातों से। क्या एमएसएमई सेक्टर को इसके लिए जो हार्डवेयर की जरूरत है उसके छोटे-छोटे पूर्जे बनाने के लिए उनको काम दिया जाए। बहुत बड़ा इकोसिस्टम बनाया जाए। एक दम से मैं व्यापारी तो नहीं हूं। मुझे रुपयों पैसों से लेना देना नहीं है लेकिन मैं इतना समझता हूं कि कोस्ट एक दम कम हो जाएगी, एक दम कम हो जाएगी। हमारे एमएसएमई सेक्टर की ये ताकत है और वो सप्लाई आपको सिर्फ अपने यूनिकनेस के साथ उसमे सॉफ्टवेयर वगैरह जोड़कर के सर्विस देनी है और इसलिए मैं समझता हूं कि आप सब मिलकर के एक नया और मिलकर के करना पड़ेगा और तभी जाकर के इसकी कोस्ट हम नीचे ला सकते हैं। बहुत से काम हैं हम मिलकर के करते ही हैं।

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तो मैं जरूर इस क्षेत्र के लोगों से भी कहुंगा। मैंने ये भी देखा है कि स्टार्टअप में जिन बच्चों ने काम किया है, जिन नौजवानों ने काम किया है। ज्यादातर इस क्षेत्र में उन्हीं स्टार्टप को ऑन कर करके उसको स्किलअप किया गया है। मैं स्टार्टअप वाले साथियों को भी कहता हूं। कि आपके लिए भी इस क्षेत्र में कितनी सेवाएं अधिकतम आप दे सकते हैं। कितनी user friendly व्यवस्थाओं को विकसित कर सकते हैं। आखिरकार इसका फायदा यही है। लेकिन एक और चीज मैं चाहुंगा। ये भी आपका जो एसोशिएसन है वो मिलकर के एक मूवमेंट चला सकता है क्या? Atleast हिन्दुस्तान के सभी district headquarter में ये 5जी जीवन में कैसे उपयोगी हो सकता है। उसके लोगों को एजुकेट करने वाले exhibition उसकी व्यवस्था हो सकती है क्या? मेरा अनुभव है छोटा सा उदाहरण बताता हूं। हमारे देश में 24 घंटे बिजली ये सपना था। मैं गुजरात में जब था तो मैंने एक योजना बनाई ज्योतिग्राम योजना और मेरा सपना था कि मैं गुजरात के हर घर में 24x7 बिजली दूंगा। अब मेरे सारे अफसर कहते थे शायद संभव ही नहीं है, ये तो हम कर ही नहीं सकते हैं। तो मैंने एक सिम्पल से सॉल्यूशन दिया था। मैंने कहा हम agriculture feeder अलग करते हैं, domestic feeder अलग करते हैं और फिर उस काम को किया और एक-एक जिले को पकड़कर के काम पूरा करता था। बाकि जगह पर चलता था लेकिन एक काम पूरा था।

फिर उस जिले का बड़ा समिट करता था। ढाई-तीन लाख लोग आते थे क्योंकि 24 घंटे बिजली मिलना एक बड़ा आनंद उत्सव का समय था वो 2003-04-05 का कालखंड था। लेकिन उसमें मैंने देखा, मैंने देशभर में बिजली से होने वाले काम, बिजली से चलने वाले यंत्र उनकी एक बहुत बड़ी प्रदर्शनी लगाई थी। जब लोगों ने, वरना लोगों को क्या लगता है। बिजली आई यानि रात को खाना खाने समय बिजली मिलेगी। बिजली आई मतलब टीवी देखने के लिए काम आ जायेगा। इसका कई प्रकार से उपयोग हो सकता है, उसका एजुकेशन भी जरूरी था। मैं ये 2003-04-05 की बात कर रहा हूं और जब वो सारा exhibition लगाया तो लोग टेलर भी सोचने लगा, मैं इलेक्ट्रिक मेरा equipment ,ऐसे लुंगा। कुम्हार भी सोचने लगा कि मैं ऐसे इलेक्ट्रिक व्हीकल लुंगा।

माताएं-बहनें भी लगी किचन में हमारे इलेक्ट्रिक वाले इतनी इतनी चीजें आ सकती हैं। यानि एक बहुत बड़ा मार्केट खड़ा हुआ और बिजली का multiple utility जीवन के सामान्य जीवन में 5जी भी उतना जल्दी लोगों को लगेगा हां यार अब तो वीडियो बहुत जल्दी डाउनलोड हो जाता है। रील देखना है तो बहुत इंतजार नही करता है। फोन कट नहीं होता है। साफ-सुथरी वीडियों कांन्फ्रेंस हो सकती है। फोन कॉल हो सकता है। इतने से सीमित नहीं है। ये जीवन को बदलने वाली व्यवस्था के रूप में आ रहा है और इसलिए मैं इस उद्योग जगत के मित्रों के association को कहुंगा कि आप स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और हिन्दुस्तान के हर डिस्ट्रिक में जाकर के इसके कितने पहलु हैं और आप देखिए कि वो लोग उसमें value addition करेंगे।

तो एक आपके लिए सेवा का काम भी हो जायेगा और मैं चाहुंगा कि इस टेक्नोलॉजी जीवन में सिर्फ बातचीत करने के लिए या कोई वीडियो देखने के लिए सीमित नहीं रहनी चाहिए। ये पूरी तरह एक क्रांति लाने के लिए उपयोग होना चाहिए और हमें 130 करोड़ दिशवासियों तक एक बार पहुंचना है बाद में तो वो पहुंचा देगा आप देख लीजिए, आपकों टाईम नहीं लगेगा। अभी मैंने ड्रोन पॉलिसी अभी-अभी लाया था। आज कई क्षेत्रों में मैं देख रहा हूं। वो ड्रोन से अपना दवाईयां छिड़काव का काम शुरू कर दिया उन्होंने। ड्रोन चलाना सिख लिया है और इसलिए मैं समझता हूं कि हमें इन व्यवस्थाओं की तरफ जाना चाहिए।

और साथियों,

आने वाले समय में देश निरंतर ऐसी technologies का नेतृत्व करेगा, जो भारत में जन्मेंगी, जो भारत को ग्लोबल लीडर बनाएँगी। इसी विश्वास के साथ, आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं! एक बार फिर सभी देशवासियों को शक्ति उपासना के पावन पर्व पर शक्ति का एक बहुत बड़ा माध्यम 5 जी लॉन्च होने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है: TV9 समिट में पीएम मोदी
March 28, 2025
QuoteToday, the world's eyes are on India: PM
QuoteIndia's youth is rapidly becoming skilled and driving innovation forward: PM
Quote"India First" has become the mantra of India's foreign policy: PM
QuoteToday, India is not just participating in the world order but also contributing to shaping and securing the future: PM
QuoteIndia has given Priority to humanity over monopoly: PM
QuoteToday, India is not just a Nation of Dreams but also a Nation That Delivers: PM

श्रीमान रामेश्वर गारु जी, रामू जी, बरुन दास जी, TV9 की पूरी टीम, मैं आपके नेटवर्क के सभी दर्शकों का, यहां उपस्थित सभी महानुभावों का अभिनंदन करता हूं, इस समिट के लिए बधाई देता हूं।

TV9 नेटवर्क का विशाल रीजनल ऑडियंस है। और अब तो TV9 का एक ग्लोबल ऑडियंस भी तैयार हो रहा है। इस समिट में अनेक देशों से इंडियन डायस्पोरा के लोग विशेष तौर पर लाइव जुड़े हुए हैं। कई देशों के लोगों को मैं यहां से देख भी रहा हूं, वे लोग वहां से वेव कर रहे हैं, हो सकता है, मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मैं यहां नीचे स्क्रीन पर हिंदुस्तान के अनेक शहरों में बैठे हुए सब दर्शकों को भी उतने ही उत्साह, उमंग से देख रहा हूं, मेरी तरफ से उनका भी स्वागत है।

साथियों,

आज विश्व की दृष्टि भारत पर है, हमारे देश पर है। दुनिया में आप किसी भी देश में जाएं, वहां के लोग भारत को लेकर एक नई जिज्ञासा से भरे हुए हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो देश 70 साल में ग्यारहवें नंबर की इकोनॉमी बना, वो महज 7-8 साल में पांचवे नंबर की इकोनॉमी बन गया? अभी IMF के नए आंकड़े सामने आए हैं। वो आंकड़े कहते हैं कि भारत, दुनिया की एकमात्र मेजर इकोनॉमी है, जिसने 10 वर्षों में अपने GDP को डबल किया है। बीते दशक में भारत ने दो लाख करोड़ डॉलर, अपनी इकोनॉमी में जोड़े हैं। GDP का डबल होना सिर्फ आंकड़ों का बदलना मात्र नहीं है। इसका impact देखिए, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, और ये 25 करोड़ लोग एक नियो मिडिल क्लास का हिस्सा बने हैं। ये नियो मिडिल क्लास, एक प्रकार से नई ज़िंदगी शुरु कर रहा है। ये नए सपनों के साथ आगे बढ़ रहा है, हमारी इकोनॉमी में कंट्रीब्यूट कर रहा है, और उसको वाइब्रेंट बना रहा है। आज दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी हमारे भारत में है। ये युवा, तेज़ी से स्किल्ड हो रहा है, इनोवेशन को गति दे रहा है। और इन सबके बीच, भारत की फॉरेन पॉलिसी का मंत्र बन गया है- India First, एक जमाने में भारत की पॉलिसी थी, सबसे समान रूप से दूरी बनाकर चलो, Equi-Distance की पॉलिसी, आज के भारत की पॉलिसी है, सबके समान रूप से करीब होकर चलो, Equi-Closeness की पॉलिसी। दुनिया के देश भारत की ओपिनियन को, भारत के इनोवेशन को, भारत के एफर्ट्स को, जैसा महत्व आज दे रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। आज दुनिया की नजर भारत पर है, आज दुनिया जानना चाहती है, What India Thinks Today.

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साथियों,

भारत आज, वर्ल्ड ऑर्डर में सिर्फ पार्टिसिपेट ही नहीं कर रहा, बल्कि फ्यूचर को शेप और सेक्योर करने में योगदान दे रहा है। दुनिया ने ये कोरोना काल में अच्छे से अनुभव किया है। दुनिया को लगता था कि हर भारतीय तक वैक्सीन पहुंचने में ही, कई-कई साल लग जाएंगे। लेकिन भारत ने हर आशंका को गलत साबित किया। हमने अपनी वैक्सीन बनाई, हमने अपने नागरिकों का तेज़ी से वैक्सीनेशन कराया, और दुनिया के 150 से अधिक देशों तक दवाएं और वैक्सीन्स भी पहुंचाईं। आज दुनिया, और जब दुनिया संकट में थी, तब भारत की ये भावना दुनिया के कोने-कोने तक पहुंची कि हमारे संस्कार क्या हैं, हमारा तौर-तरीका क्या है।

साथियों,

अतीत में दुनिया ने देखा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब भी कोई वैश्विक संगठन बना, उसमें कुछ देशों की ही मोनोपोली रही। भारत ने मोनोपोली नहीं बल्कि मानवता को सर्वोपरि रखा। भारत ने, 21वीं सदी के ग्लोबल इंस्टीट्यूशन्स के गठन का रास्ता बनाया, और हमने ये ध्यान रखा कि सबकी भागीदारी हो, सबका योगदान हो। जैसे प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती है। देश कोई भी हो, इन आपदाओं से इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान होता है। आज ही म्यांमार में जो भूकंप आया है, आप टीवी पर देखें तो बहुत बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वस्त हो रही हैं, ब्रिज टूट रहे हैं। और इसलिए भारत ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure - CDRI नाम से एक वैश्विक नया संगठन बनाने की पहल की। ये सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार करने का संकल्प है। भारत का प्रयास है, प्राकृतिक आपदा से, पुल, सड़कें, बिल्डिंग्स, पावर ग्रिड, ऐसा हर इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित रहे, सुरक्षित निर्माण हो।

साथियों,

भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हर देश का मिलकर काम करना बहुत जरूरी है। ऐसी ही एक चुनौती है, हमारे एनर्जी रिसोर्सेस की। इसलिए पूरी दुनिया की चिंता करते हुए भारत ने International Solar Alliance (ISA) का समाधान दिया है। ताकि छोटे से छोटा देश भी सस्टेनबल एनर्जी का लाभ उठा सके। इससे क्लाइमेट पर तो पॉजिटिव असर होगा ही, ये ग्लोबल साउथ के देशों की एनर्जी नीड्स को भी सिक्योर करेगा। और आप सबको ये जानकर गर्व होगा कि भारत के इस प्रयास के साथ, आज दुनिया के सौ से अधिक देश जुड़ चुके हैं।

साथियों,

बीते कुछ समय से दुनिया, ग्लोबल ट्रेड में असंतुलन और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी challenges का सामना कर रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत ने दुनिया के साथ मिलकर नए प्रयास शुरु किए हैं। India–Middle East–Europe Economic Corridor (IMEC), ऐसा ही एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। ये प्रोजेक्ट, कॉमर्स और कनेक्टिविटी के माध्यम से एशिया, यूरोप और मिडिल ईस्ट को जोड़ेगा। इससे आर्थिक संभावनाएं तो बढ़ेंगी ही, दुनिया को अल्टरनेटिव ट्रेड रूट्स भी मिलेंगे। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन भी और मजबूत होगी।

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साथियों,

ग्लोबल सिस्टम्स को, अधिक पार्टिसिपेटिव, अधिक डेमोक्रेटिक बनाने के लिए भी भारत ने अनेक कदम उठाए हैं। और यहीं, यहीं पर ही भारत मंडपम में जी-20 समिट हुई थी। उसमें अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का परमानेंट मेंबर बनाया गया है। ये बहुत बड़ा ऐतिहासिक कदम था। इसकी मांग लंबे समय से हो रही थी, जो भारत की प्रेसीडेंसी में पूरी हुई। आज ग्लोबल डिसीजन मेकिंग इंस्टीट्यूशन्स में भारत, ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज़ बन रहा है। International Yoga Day, WHO का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क, ऐसे कितने ही क्षेत्रों में भारत के प्रयासों ने नए वर्ल्ड ऑर्डर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, और ये तो अभी शुरूआत है, ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर भारत का सामर्थ्य नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है।

साथियों,

21वीं सदी के 25 साल बीत चुके हैं। इन 25 सालों में 11 साल हमारी सरकार ने देश की सेवा की है। और जब हम What India Thinks Today उससे जुड़ा सवाल उठाते हैं, तो हमें ये भी देखना होगा कि Past में क्या सवाल थे, क्या जवाब थे। इससे TV9 के विशाल दर्शक समूह को भी अंदाजा होगा कि कैसे हम, निर्भरता से आत्मनिर्भरता तक, Aspirations से Achievement तक, Desperation से Development तक पहुंचे हैं। आप याद करिए, एक दशक पहले, गांव में जब टॉयलेट का सवाल आता था, तो माताओं-बहनों के पास रात ढलने के बाद और भोर होने से पहले का ही जवाब होता था। आज उसी सवाल का जवाब स्वच्छ भारत मिशन से मिलता है। 2013 में जब कोई इलाज की बात करता था, तो महंगे इलाज की चर्चा होती थी। आज उसी सवाल का समाधान आयुष्मान भारत में नजर आता है। 2013 में किसी गरीब की रसोई की बात होती थी, तो धुएं की तस्वीर सामने आती थी। आज उसी समस्या का समाधान उज्ज्वला योजना में दिखता है। 2013 में महिलाओं से बैंक खाते के बारे में पूछा जाता था, तो वो चुप्पी साध लेती थीं। आज जनधन योजना के कारण, 30 करोड़ से ज्यादा बहनों का अपना बैंक अकाउंट है। 2013 में पीने के पानी के लिए कुएं और तालाबों तक जाने की मजबूरी थी। आज उसी मजबूरी का हल हर घर नल से जल योजना में मिल रहा है। यानि सिर्फ दशक नहीं बदला, बल्कि लोगों की ज़िंदगी बदली है। और दुनिया भी इस बात को नोट कर रही है, भारत के डेवलपमेंट मॉडल को स्वीकार रही है। आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है।

साथियों,

जब कोई देश, अपने नागरिकों की सुविधा और समय को महत्व देता है, तब उस देश का समय भी बदलता है। यही आज हम भारत में अनुभव कर रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। पहले पासपोर्ट बनवाना कितना बड़ा काम था, ये आप जानते हैं। लंबी वेटिंग, बहुत सारे कॉम्प्लेक्स डॉक्यूमेंटेशन का प्रोसेस, अक्सर राज्यों की राजधानी में ही पासपोर्ट केंद्र होते थे, छोटे शहरों के लोगों को पासपोर्ट बनवाना होता था, तो वो एक-दो दिन कहीं ठहरने का इंतजाम करके चलते थे, अब वो हालात पूरी तरह बदल गया है, एक आंकड़े पर आप ध्यान दीजिए, पहले देश में सिर्फ 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र थे, आज इनकी संख्या 550 से ज्यादा हो गई है। पहले पासपोर्ट बनवाने में, और मैं 2013 के पहले की बात कर रहा हूं, मैं पिछले शताब्दी की बात नहीं कर रहा हूं, पासपोर्ट बनवाने में जो वेटिंग टाइम 50 दिन तक होता था, वो अब 5-6 दिन तक सिमट गया है।

साथियों,

ऐसा ही ट्रांसफॉर्मेशन हमने बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी देखा है। हमारे देश में 50-60 साल पहले बैंकों का नेशनलाइजेशन किया गया, ये कहकर कि इससे लोगों को बैंकिंग सुविधा सुलभ होगी। इस दावे की सच्चाई हम जानते हैं। हालत ये थी कि लाखों गांवों में बैंकिंग की कोई सुविधा ही नहीं थी। हमने इस स्थिति को भी बदला है। ऑनलाइन बैंकिंग तो हर घर में पहुंचाई है, आज देश के हर 5 किलोमीटर के दायरे में कोई न कोई बैंकिंग टच प्वाइंट जरूर है। और हमने सिर्फ बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का ही दायरा नहीं बढ़ाया, बल्कि बैंकिंग सिस्टम को भी मजबूत किया। आज बैंकों का NPA बहुत कम हो गया है। आज बैंकों का प्रॉफिट, एक लाख 40 हज़ार करोड़ रुपए के नए रिकॉर्ड को पार कर चुका है। और इतना ही नहीं, जिन लोगों ने जनता को लूटा है, उनको भी अब लूटा हुआ धन लौटाना पड़ रहा है। जिस ED को दिन-रात गालियां दी जा रही है, ED ने 22 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक वसूले हैं। ये पैसा, कानूनी तरीके से उन पीड़ितों तक वापिस पहुंचाया जा रहा है, जिनसे ये पैसा लूटा गया था।

साथियों,

Efficiency से गवर्नमेंट Effective होती है। कम समय में ज्यादा काम हो, कम रिसोर्सेज़ में अधिक काम हो, फिजूलखर्ची ना हो, रेड टेप के बजाय रेड कार्पेट पर बल हो, जब कोई सरकार ये करती है, तो समझिए कि वो देश के संसाधनों को रिस्पेक्ट दे रही है। और पिछले 11 साल से ये हमारी सरकार की बड़ी प्राथमिकता रहा है। मैं कुछ उदाहरणों के साथ अपनी बात बताऊंगा।

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साथियों,

अतीत में हमने देखा है कि सरकारें कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिनिस्ट्रीज में accommodate करने की कोशिश करती थीं। लेकिन हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई मंत्रालयों का विलय कर दिया। आप सोचिए, Urban Development अलग मंत्रालय था और Housing and Urban Poverty Alleviation अलग मंत्रालय था, हमने दोनों को मर्ज करके Housing and Urban Affairs मंत्रालय बना दिया। इसी तरह, मिनिस्ट्री ऑफ ओवरसीज़ अफेयर्स अलग था, विदेश मंत्रालय अलग था, हमने इन दोनों को भी एक साथ जोड़ दिया, पहले जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय अलग था, और पेयजल मंत्रालय अलग था, हमने इन्हें भी जोड़कर जलशक्ति मंत्रालय बना दिया। हमने राजनीतिक मजबूरी के बजाय, देश की priorities और देश के resources को आगे रखा।

साथियों,

हमारी सरकार ने रूल्स और रेगुलेशन्स को भी कम किया, उन्हें आसान बनाया। करीब 1500 ऐसे कानून थे, जो समय के साथ अपना महत्व खो चुके थे। उनको हमारी सरकार ने खत्म किया। करीब 40 हज़ार, compliances को हटाया गया। ऐसे कदमों से दो फायदे हुए, एक तो जनता को harassment से मुक्ति मिली, और दूसरा, सरकारी मशीनरी की एनर्जी भी बची। एक और Example GST का है। 30 से ज्यादा टैक्सेज़ को मिलाकर एक टैक्स बना दिया गया है। इसको process के, documentation के हिसाब से देखें तो कितनी बड़ी बचत हुई है।

साथियों,

सरकारी खरीद में पहले कितनी फिजूलखर्ची होती थी, कितना करप्शन होता था, ये मीडिया के आप लोग आए दिन रिपोर्ट करते थे। हमने, GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म बनाया। अब सरकारी डिपार्टमेंट, इस प्लेटफॉर्म पर अपनी जरूरतें बताते हैं, इसी पर वेंडर बोली लगाते हैं और फिर ऑर्डर दिया जाता है। इसके कारण, भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हुई है, और सरकार को एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की बचत भी हुई है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर- DBT की जो व्यवस्था भारत ने बनाई है, उसकी तो दुनिया में चर्चा है। DBT की वजह से टैक्स पेयर्स के 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, गलत हाथों में जाने से बचे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा फर्ज़ी लाभार्थी, जिनका जन्म भी नहीं हुआ था, जो सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे, ऐसे फर्जी नामों को भी हमने कागजों से हटाया है।

साथियों,

 

हमारी सरकार टैक्स की पाई-पाई का ईमानदारी से उपयोग करती है, और टैक्सपेयर का भी सम्मान करती है, सरकार ने टैक्स सिस्टम को टैक्सपेयर फ्रेंडली बनाया है। आज ITR फाइलिंग का प्रोसेस पहले से कहीं ज्यादा सरल और तेज़ है। पहले सीए की मदद के बिना, ITR फाइल करना मुश्किल होता था। आज आप कुछ ही समय के भीतर खुद ही ऑनलाइन ITR फाइल कर पा रहे हैं। और रिटर्न फाइल करने के कुछ ही दिनों में रिफंड आपके अकाउंट में भी आ जाता है। फेसलेस असेसमेंट स्कीम भी टैक्सपेयर्स को परेशानियों से बचा रही है। गवर्नेंस में efficiency से जुड़े ऐसे अनेक रिफॉर्म्स ने दुनिया को एक नया गवर्नेंस मॉडल दिया है।

साथियों,

पिछले 10-11 साल में भारत हर सेक्टर में बदला है, हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है। और एक बड़ा बदलाव सोच का आया है। आज़ादी के बाद के अनेक दशकों तक, भारत में ऐसी सोच को बढ़ावा दिया गया, जिसमें सिर्फ विदेशी को ही बेहतर माना गया। दुकान में भी कुछ खरीदने जाओ, तो दुकानदार के पहले बोल यही होते थे – भाई साहब लीजिए ना, ये तो इंपोर्टेड है ! आज स्थिति बदल गई है। आज लोग सामने से पूछते हैं- भाई, मेड इन इंडिया है या नहीं है?

साथियों,

आज हम भारत की मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस का एक नया रूप देख रहे हैं। अभी 3-4 दिन पहले ही एक न्यूज आई है कि भारत ने अपनी पहली MRI मशीन बना ली है। अब सोचिए, इतने दशकों तक हमारे यहां स्वदेशी MRI मशीन ही नहीं थी। अब मेड इन इंडिया MRI मशीन होगी तो जांच की कीमत भी बहुत कम हो जाएगी।

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साथियों,

आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान ने, देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को एक नई ऊर्जा दी है। पहले दुनिया भारत को ग्लोबल मार्केट कहती थी, आज वही दुनिया, भारत को एक बड़े Manufacturing Hub के रूप में देख रही है। ये सक्सेस कितनी बड़ी है, इसके उदाहरण आपको हर सेक्टर में मिलेंगे। जैसे हमारी मोबाइल फोन इंडस्ट्री है। 2014-15 में हमारा एक्सपोर्ट, वन बिलियन डॉलर तक भी नहीं था। लेकिन एक दशक में, हम ट्वेंटी बिलियन डॉलर के फिगर से भी आगे निकल चुके हैं। आज भारत ग्लोबल टेलिकॉम और नेटवर्किंग इंडस्ट्री का एक पावर सेंटर बनता जा रहा है। Automotive Sector की Success से भी आप अच्छी तरह परिचित हैं। इससे जुड़े Components के एक्सपोर्ट में भी भारत एक नई पहचान बना रहा है। पहले हम बहुत बड़ी मात्रा में मोटर-साइकल पार्ट्स इंपोर्ट करते थे। लेकिन आज भारत में बने पार्ट्स UAE और जर्मनी जैसे अनेक देशों तक पहुंच रहे हैं। सोलर एनर्जी सेक्टर ने भी सफलता के नए आयाम गढ़े हैं। हमारे सोलर सेल्स, सोलर मॉड्यूल का इंपोर्ट कम हो रहा है और एक्सपोर्ट्स 23 गुना तक बढ़ गए हैं। बीते एक दशक में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट भी 21 गुना बढ़ा है। ये सारी अचीवमेंट्स, देश की मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी की ताकत को दिखाती है। ये दिखाती है कि भारत में कैसे हर सेक्टर में नई जॉब्स भी क्रिएट हो रही हैं।

साथियों,

TV9 की इस समिट में, विस्तार से चर्चा होगी, अनेक विषयों पर मंथन होगा। आज हम जो भी सोचेंगे, जिस भी विजन पर आगे बढ़ेंगे, वो हमारे आने वाले कल को, देश के भविष्य को डिजाइन करेगा। पिछली शताब्दी के इसी दशक में, भारत ने एक नई ऊर्जा के साथ आजादी के लिए नई यात्रा शुरू की थी। और हमने 1947 में आजादी हासिल करके भी दिखाई। अब इस दशक में हम विकसित भारत के लक्ष्य के लिए चल रहे हैं। और हमें 2047 तक विकसित भारत का सपना जरूर पूरा करना है। और जैसा मैंने लाल किले से कहा है, इसमें सबका प्रयास आवश्यक है। इस समिट का आयोजन कर, TV9 ने भी अपनी तरफ से एक positive initiative लिया है। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की सफलता के लिए मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं हैं।

मैं TV9 को विशेष रूप से बधाई दूंगा, क्योंकि पहले भी मीडिया हाउस समिट करते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर एक छोटे से फाइव स्टार होटल के कमरे में, वो समिट होती थी और बोलने वाले भी वही, सुनने वाले भी वही, कमरा भी वही। TV9 ने इस परंपरा को तोड़ा और ये जो मॉडल प्लेस किया है, 2 साल के भीतर-भीतर देख लेना, सभी मीडिया हाउस को यही करना पड़ेगा। यानी TV9 Thinks Today वो बाकियों के लिए रास्ता खोल देगा। मैं इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, आपकी पूरी टीम को, और सबसे बड़ी खुशी की बात है कि आपने इस इवेंट को एक मीडिया हाउस की भलाई के लिए नहीं, देश की भलाई के लिए आपने उसकी रचना की। 50,000 से ज्यादा नौजवानों के साथ एक मिशन मोड में बातचीत करना, उनको जोड़ना, उनको मिशन के साथ जोड़ना और उसमें से जो बच्चे सिलेक्ट होकर के आए, उनकी आगे की ट्रेनिंग की चिंता करना, ये अपने आप में बहुत अद्भुत काम है। मैं आपको बहुत बधाई देता हूं। जिन नौजवानों से मुझे यहां फोटो निकलवाने का मौका मिला है, मुझे भी खुशी हुई कि देश के होनहार लोगों के साथ, मैं अपनी फोटो निकलवा पाया। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं दोस्तों कि आपके साथ मेरी फोटो आज निकली है। और मुझे पक्का विश्वास है कि सारी युवा पीढ़ी, जो मुझे दिख रही है, 2047 में जब देश विकसित भारत बनेगा, सबसे ज्यादा बेनिफिशियरी आप लोग हैं, क्योंकि आप उम्र के उस पड़ाव पर होंगे, जब भारत विकसित होगा, आपके लिए मौज ही मौज है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।