बिहार में पिछले 15 सालों में किया गया अच्छा काम जारी रहना चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
बिहार को प्रगति की राह पर ले जाने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है: पीएम मोदी
पिछले 15 वर्षों में, बिहार ने दिखाया है कि विकास सही सरकार, निर्णय और नीतियों के साथ होता है, और सभी तक पहुंचता है: प्रधानमंत्री

कार्यक्रम के शुरूआत में मुझे एक दुखद खबर आपके साथ साझा करनी है। बिहार के दिग्‍गज नेता श्रीमान रघुवंश प्रसाद सिंह, वे अब हमारे बीच नहीं रहे हैं। मैं उनको नमन करता हूं। रघुवंश बाबू के जाने से बिहार और देश की राजनीति में शून्‍य पैदा हुआ। जमीन से जुड़ा व्‍यक्तित्‍व, गरीबी को समझने वाला व्‍यक्तित्‍व, पूरा जीवन बिहार के संघर्ष में बिताया। जिस विचारधारा में वो पले- बढ़े, जीवनभर उसको जीने का उन्‍होंने प्रयास किया।

मैं जब भारतीय जनता पार्टी के संगठन के कार्यकर्ता के रूप में कार्य करता था, उस काल में मेरा उनका निकट परिचय रहा। अनेक टीवी डिबेट में काफी वाद-विवाद, संघर्ष करते रहते थे हम लोग। बाद में वो केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल में थे यूपी में, मैं गुजरात के मुख्‍यमंत्री के नाते भी उनके साथ लगातार संपर्क में रहता था विकास के कामों को ले करके। अब पिछले तीन-चार दिन से वे चर्चा में भी थे। उनके स्वास्थ्य के लिए मैं भी चिन्‍ता करता था। लगातार जानकारियां लेता रहता था। और मुझे लगता था कि बहुत ही जल्‍द ठीक हो करके वो वापिस बिहार की सेवा में लग जाएंगे, लेकिन उनके भीतर एक मंथन भी चल रहा था।

जिन आदर्शों को ले करके चले थे, जिनके साथ चले थे, उनके साथ चलना अब उनके लिए संभव नहीं रहा था और मन पूरी तरह जद्दोजहद में था। और तीन- चार दिन पहले उन्‍होंने अपनी भावना को चिट्ठी लिखकर प्रकट भी किया था। लेकिन साथ-साथ भीतर अपने क्षेत्र के विकास के लिए भी उतनी चिन्‍ता थी तो उन्‍होंने बिहार के मुख्‍यमंत्री जी को अपनी एक विकास के कामों की सूची भेज दी। बिहार के लोगों की चिन्‍ता, बिहार के विकास की चिन्‍ता उस चिट्ठी में प्रकट होती है।

 

मैं नितीश जी से जरूर आग्रह करूंगा कि रघुवंश प्रसाद जी ने अपनी आखिरी चिट्ठी में जो भावनाएं प्रकट की हैं, उसको परिपूर्ण करने के लिए आप और हम मिल करके पूरा प्रयास करें क्यूंकि पूरी तरह विकास की ही बातें उन्‍होंने लिखी थीं, उसको जरूर करें। मैं फिर एक बार आज कार्यक्रम के प्रारंभ में ही श्रीमान रघुवंश सिंह प्रसाद जी को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं, उनको नमन करता हूं।

बिहार के गवर्नर श्री फागू चौहान जी, बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्री धर्मेंद्र प्रधान जी, रविशंकर प्रसाद जी, गिरिराज सिंह जी, आर के सिंह जी, अश्विनी कुमार चौबे जी, नित्यानंद राय जी, बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी जी, अन्य सांसद और विधायक गण और तकनीक के माध्यम से जुड़े मेरे प्यारे भाइयों और बहनों !

अपने सबके प्रणाम करै छीयै, आज के इ आयोजन शहीद अरू शूरवीर के धरती बांका में होय रहल छै। जे - जे योजना के लोकार्पण आज होलो छै , ओकरो लाभ बिहार के संगे- संगे पूर्वी भारत के बड़ हिस्सा के भी मिलतै । आज 900 करोड़ रुपया से बेसी के जे लोकार्पण अरू शिलान्यास कइलो गेल छै, ओकरा में LPG पाईपलाइन छै, दू टा बड़ा बॉटलिंग प्लांट भी छै। इ सब सुविधा लेली, विकास के ई सब प्रोजेक्टस ख़ातिर बिहार वासी लोगन के बहूत बहूत बधाई छै!

साथियों,

कुछ वर्ष पहले जब बिहार के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की गई थी, तो उसमें बहुत फोकस राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर पर था। मुझे खुशी है कि इसी से जुड़े एक महत्वपूर्ण गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट के दुर्गापुर-बांका सेक्शन का लोकार्पण का मुझे सौभाग्य मिला है। डेढ़ साल पहले इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास करने का भी अवसर मुझे ही मिला था। इस सेक्शन की लंबाई करीब-करीब 2 सौ किलोमीटर है। मुझे बताया गया है कि इस रूट पर पाइपलाइन बिछाकर काम पूरा करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण था। जिस रास्ते में 10 के करीब बड़ी नदियां हों, कई किलोमीटर के घने जंगल और चट्टानी रास्ते हों, वहां काम करना इतना आसान भी नहीं होता। नई इंजीनियरिंग तकनीक, राज्य सरकार के सक्रिय सहयोग, हमारे इंजीनियरों, श्रमिक साथियों के कठिन श्रम के कारण ये प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो पाया है। इसके लिए मैं इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी साथियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

बिहार के लिए जो प्रधानमंत्री पैकेज दिया गया था, उसमें पेट्रोलियम और गैस से जुड़े 10 बड़े प्रोजेक्ट थे। इन प्रोजेक्ट्स पर करीब-करीब 21 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाने थे। आज ये सातवां प्रोजेक्ट है जिसमें काम पूरा हो चुका है, जिसे बिहार के लोगों को समर्पित किया जा चुका है।

इससे पहले पटना LPG प्लांट के विस्तार और Storage Capacity बढ़ाने का काम हो, पूर्णिया के LGP प्लांट का विस्तार हो, मुजफ्फरपुर में नया LGP प्लांट हो, ये सारे प्रोजेक्ट पहले ही पूरे किए जा चुके हैं।

जगदीशपुर-हल्दिया पाइपलाइन प्रोजेक्ट का जो हिस्सा बिहार से गुजरता है, उस पर भी काम पिछले साल मार्च में ही समाप्त कर लिया गया है। मोतीहारी अमलेखगंज पाइपलाइन पर भी पाइपलनाइन से जुड़ा काम पूरा कर लिया गया है।

अब देश और बिहार, उस दौर से बाहर निकल रहा है जिसमें एक पीढ़ी काम शुरू होते देखती थी और दूसरी पीढ़ी उसे पूरा होते हुए। नए भारत, नए बिहार की इसी पहचान, इसी कार्यसंस्कृति को हमें और मजबूत करना है। और निश्चित तौर पर इसमें नीतीश जी की भी बहुत बड़ी भूमिका है।

मुझे विश्वास है कि ऐसे ही निरंतर काम करके हम बिहार और पूर्वी भारत को विकास पथ पर ले जा सकते हैं।

साथियों,

हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि - सामर्थ्य मूलं स्वातंत्र्यम्, श्रम मूलं वैभवम् ।

यानि सामर्थ्य स्वतंत्रता का स्रोत है और श्रम शक्ति किसी भी राष्ट्र की प्रगति का आधार होती है। बिहार सहित पूर्वी भारत में ना तो सामर्थ्य की कमी है और ना ही प्रकृति ने यहां संसाधनों की कमी रखी है। बावजूद इसके बिहार और पूर्वी भारत विकास के मामले में दशकों तक पीछे ही रहा। इसकी बहुत सारी वजहें राजनीतिक थी, आर्थिक थीं, प्राथमिकताओं की थीं।

इन स्थितियों की वजह से पूर्वी भारत या बिहार के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स हमेशा अंतहीन देरी का शिकार रहे। एक समय था जब रोड कनेक्टिविटी, रेल कनेक्टिविटी, एयर कनेक्टिविटी, इंटरनेट कनेक्टिविटी, ये सब प्राथमिकताओं में थे ही नहीं।… इतना ही नहीं, अगर रोड बनाने की बात करते तो ये पूछा जाता था, ये तो गाड़ीवालों के लिए बन रहा है, पैदल वालों के लिए क्या है यानी सोच में ही गड़बड़ थी।

ऐसे में गैस बेस्ड इंडस्ट्री और पेट्रो-कनेक्टिविटी की तो बिहार में पुराने ज़माने में कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। Landlocked स्टेट होने की वजह से बिहार में पेट्रोलियम और गैस से जुड़े वो साधन-संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाते थे जैसे समंदर से सटे राज्यों में होते हैं। इसलिए बिहार में गैस आधारित उद्योगों का विकास एक बड़ी चुनौती थी।

साथियों,

गैस बेस्ड इंडस्ट्री और पेट्रो-कनेक्टिविटी, ये सुनने में बड़े टेक्नीकल से टर्म लगते हैं लेकिन इनका सीधा असर लोगों के जीवन पर पड़ता है, जीवन स्तर पर पड़ता है। गैस बेस्ड इंडस्ट्री और पेट्रो-कनेक्टिविटी रोजगार के भी लाखों नए अवसर बनाती है।

आज जब देश के अनेकों शहरों में CNG पहुंच रही है, PNG पहुंच रही है, तो बिहार के लोगों को, पूर्वी भारत के लोगों को भी ये सुविधाएं उतनी ही आसानी से मिलनी चाहिए। इसी संकल्प के साथ हम आगे बढ़े।

प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा योजना के तहत पूर्वी भारत को पूर्वी समुद्री तट के पारादीप और पश्चिमी समुद्री तट के कांडला से, जोड़ने का भागीरथ प्रयास शुरु हुआ। करीब 3 हज़ार किलोमीटर लंबी इस पाइपलाइन से 7 राज्यों को जोड़ा जा रहा है जिसमें बिहार का भी प्रमुख स्थान है। पारादीप-हल्दिया से आने वाली लाइन अभी बांका तक पूरी हो चुकी है। इसको आगे पटना, मुज़फ्फरपुर तक विस्तार दिया जा रहा है। कांडला से आने वाली पाइपलाइन जो गोरखपुर तक पहुंच चुकी है, उसको भी इससे जोड़ा जा रहा है। जब ये पूरा प्रोजेक्ट तैयार हो जाएगा तो ये विश्व की सबसे लंबी पाइपलाइन परियोजनाओं में से एक हो जाएगी।

साथियों,

इसी गैस पाइपलाइन की वजह से अब बिहार में ही सिलेंडर भरने के बड़े-बड़े प्लांट्स लग पा रहे हैं। बांका और चंपारण में ऐसे ही 2 नए bottling plants का आज लोकार्पण किया गया है। इन दोनों प्लांट्स में हर साल सवा करोड़ से ज्यादा सिलेंडर भरने की क्षमता है। इन प्लांट्स से आपके बिहार के बांका, भागलपुर, जमुई, अररिया, किशनगंज, कटिहार, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, मुज़फ़्फ़रपुर, सिवान, गोपालगंज और सीतामढ़ी जिलों को सुविधा मिलेगी।

वहीं झारखंड के गोड्डा, देवघर, दुमका, साहिबगंज, पाकुड़ जिलों और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों की LPG से जुड़ी ज़रूरतों को ये प्लांट पूरा करेंगे। इस गैस पाइपलाइन को बिछाने से लेकर इससे जो नए उद्योगों को ऊर्जा मिल रही है, उससे बिहार में हज़ारों नए रोज़गार बन रहे हैं और आगे भी अनेक रोज़गारों के लिए संभावना बन रही है।

साथियों,

बरौनी का जो खाद कारखाना बंद हो गया था, वो भी इस गैस पाइपलाइन के बनने से अब बहुत जल्द काम करना शुरु कर देगा। गैस कनेक्टिविटी से जहां एक तरफ फर्टिलाइज़र, पावर और स्टील इंडस्ट्री की ऊर्जा बढ़ेगी, वहीं दूसरी तरफ CNG आधारित स्वच्छ यातायात और पाइप से सस्ती गैस और आसानी से लोगों के किचन तक पहुंचेगी।

इसी कड़ी में आज बिहार और झारखंड के अनेक जिलों में पाइप से सस्ती गैस देने की शुरुआत हुई है। ये देश के हर परिवार को साफ-सुथरे ईंधन, धुआं रहित किचन से जोड़ने के आंदोलन को और गति देगा।

साथियों,

उज्जवला योजना की वजह से आज देश के 8 करोड़ गरीब परिवारों के पास भी गैस कनेक्शन मौजूद है। इस योजना से गरीब के जीवन में क्या परिवर्तन आया है, ये कोरोना के दौरान हम सभी ने फिर महसूस किया है। आप कल्पना कीजिए, जब घर में रहना ज़रूरी था, तब अगर इन 8 करोड़ परिवारों के साथियों को, हमारी बहनों को, लकड़ी या दूसरा ईंधन जुटाने के लिए बाहर निकलना पड़ता तो क्या स्थिति होती?

साथियों,

कोरोना के इस दौर में उज्जवला योजना की लाभार्थी बहनों को करोड़ों सिलेंडर मुफ्त में दिए गए हैं। इसका लाभ बिहार की भी लाखों बहनों को हुआ है, लाखों गरीब परिवारों को हुआ है। मैं पेट्रोलियम और गैस से जुड़े विभाग और कंपनियों के साथ-साथ डिलिवरी से जुड़े उन लाखों साथियों को, उनको कोरोना वॉरियर्स की प्रशंसा करता हूं। ये वो साथी हैं, जिन्होंने इस संकट के दौरान भी लोगों के घरों में गैस की कमी नहीं होने दी और आज भी संक्रमण के खतरों के बावजूद सिलेंडर की सप्लाई को बनाए हुए हैं।

साथियों,

एक समय था जब पूरे देश में और बिहार में एलपीजी गैस कनेक्शन होना बड़े संपन्न लोगों की निशानी होता था। एक एक गैस कनेक्शन के लिए लोगों को सिफारिशें लगवानी पड़ती थीं।… MP साहब के घर के बहार कतार लग जाती थी। जिसके घर गैस होती थी, वो माना जाता था कि बहुत बड़े घर-परिवार से है। जो समाज में हाशिए पर थे, पीड़ित थे, वंचित थे, पिछड़े थे, अतिपिछड़े थे, उन्हें कोई पूछता नहीं था। उनके दुख, उनकी तकलीफों को देखकर भी नजरअंदाज कर दिया जाता था।

लेकिन बिहार में अब ये अवधारणा बदल चुकी है। उज्जवला योजना के माध्यम से ही बिहार के करीब-करीब सवा करोड़ गरीब परिवारों को गैस का मुफ्त कनेक्शन दिया गया है। घर में गैस कनेक्शन ने बिहार के करोड़ों गरीबों का जीवन बदल दिया है।अब वो अपनी शक्ति खाना बनाने के लिए लकड़ी के इंतजाम में नहीं, बल्कि खुद को आगे बढ़ाने में लगा रहे हैं।

साथियों,

जब मैं कहता हूँ कि बिहार देश की प्रतिभा का पावरहाउस है, ऊर्जाकेंद्र है तो ये कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। बिहार के युवाओं की, यहाँ की प्रतिभा का प्रभाव सब जगह है। भारत सरकार में भी बिहार के ऐसे कितने ही बेटे-बेटियां हैं जो देश की सेवा कर रहे हैं, दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं।

आप किसी भी IIT में चले जाइए, वहाँ भी बिहार की चमक दिखेगी। किसी और संस्थान में चले जाइए, आँखों में बड़े-बड़े सपने लिए, देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा लिए बिहार के बेटे और बेटियां सब जगह कुछ न कुछ हटकर कर रहे हैं।

बिहार की कला, यहाँ का संगीत, यहाँ का स्वादिष्ट खाना, इसकी तारीफ तो पूरे देश में होती ही है। आप किसी दूसरे राज्य में भी चले जाइए, बिहार की ताकत, बिहार के श्रम की छाप आपको हर राज्य के विकास में दिखेगी। बिहार का सहयोग सबके साथ है।

यही तो बिहार है, यही तो बिहार की अद्भुत क्षमता है। इसलिए, ये हमारा भी कर्तव्य है, और मैं तो कहूँगा कि कहीं न कहीं हमारे ऊपर बिहार का कर्ज है, कि हम बिहार की सेवा करें। हम बिहार में ऐसा सुशासन रखें, जो बिहार का अधिकार है।

साथियों,

पिछले 15 सालों में बिहार ने ये दिखाया भी है कि अगर सही सरकार हो, सही फैसले लिए जाएं, स्पष्ट नीति हो, तो विकास होता है और हर एक तक पहुंचता भी है। हम बिहार के हर एक सेक्टर के विकास को आगे बढ़ा रहे हैं, हर एक सेक्टर की समस्याओं के समाधान का प्रयास कर रहे हैं, ताकि बिहार विकास की नई उड़ान भरे। उतनी ऊंची उड़ान भरे जितना ऊंचा बिहार का सामर्थ्य है।

साथियों,

बिहार में कुछ लोग कभी ये कहते थे कि बिहार के नौजवानों को पढ़-लिखकर क्या करेंगे, उन्हें तो खेत में ही काम करना है। ऐसी सोच ने बिहार के प्रतिभाशाली युवाओं के साथ बहुत अन्नाय किया। इसी सोच की वजह से बिहार में बड़े शिक्षण संस्थानों को खोलने के लिए ज्यादा काम ही नहीं किया गया। नतीजा ये हुआ कि बिहार के नौजवान बाहर जाकर पढ़ाई करने के लिए, नौकरी करने के लिए मजबूर हो गए।

साथियों,

खेत में काम करना, खेती किसानी बहुत परिश्रम और गौरव का काम है, लेकिन युवाओं को दूसरे मौके न देना, न ऐसी व्यवस्थाएं बनाना, ये भी तो सही नहीं था। आज बिहार में शिक्षा के बड़े-बड़े केंद्र खुल रहे हैं। अब एग्रीकल्चर कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है। अब राज्य में IIT, IIM, IIIT, बिहार के नौजवानों के सपनों को ऊंची उड़ान देने में मदद कर रहे हैं।

नीतीश जी के शासन के दौरान ही बिहार में दो केंद्रीय विश्वविद्यालय, एक IIT, एक IIM, एक निफ्ट, एक नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट जैसे अनेकों बड़े संस्थान खुले हैं। नीतीश जी के प्रयासों के चलते आज बिहार में पॉलीटेक्निक संस्थानों की संख्या भी पहले के मुकाबले तीन गुना से ज्यादा हो गई है।

स्टार्ट अप इंडिया, मुद्रा योजना, ऐसी योजनाओं ने बिहार के नौजवानों को स्वरोजगार के लिए जरूरी राशि मुहैया कराई है। सरकार का प्रयास ये भी है कि जिला स्तर पर कौशल केंद्रों के माध्यम से बिहार के नौजवानों को स्किल बढ़ाने की ट्रेनिंग दी जा सके।

साथियों,

बिहार में बिजली की क्या स्थिति थी, ये भी जगजाहिर है। गांवों में दो-तीन घंटे बिजली आ गई तो भी बहुत माना जाता था। शहर में रहने वाले लोगों को भी 8-10 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं मिलती थी। आज बिहार के गांवों में, शहरों में बिजली की उपलब्धता पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा हुई है।

साथियों,

पावर, पेट्रोलियम और गैस से जुड़े सेक्टर में जो आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है, जो रिफॉर्म्स लाए जा रहे हैं, वो लोगों का जीवन आसान बनाने के साथ-साथ उद्योगों और अर्थव्यवस्था को भी गति दे रहे हैं। कोरोना के इस कालखंड में अब एक बार फिर पेट्रोलियम से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के कार्यों ने गति पकड़ ली है।

रिफाइनरी प्रोजेक्ट्स हों, Exploration या Production से जुड़े प्रोजेक्ट हों, pipelines हों, City Gas Distribution projects हों, ऐसे अनेकों प्रोजेक्ट्स या तो फिर से चालू हो चुके हैं या फिर नए शुरु किए गए हैं। इनकी संख्या कम नहीं है। ये 8 हजार से ज्यादा प्रोजेक्ट्स हैं, जिन पर आने वाले दिनों में 6 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में, बिहार में गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिए कितने बड़े पैमाने पर काम चल रहा है।

इतना ही नहीं, इन प्रोजेक्ट्स में जितने लोग पहले काम कर रहे थे, वो वापस तो लौटे ही हैं, इनकी वजह से रोजगार के नए अवसरों की भी संभावनाएं बनी हैं। साथियों, इतनी बड़ी वैश्विक महामारी देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए परेशानियां लेकर आई है। लेकिन इन परेशानियों के बाद भी देश रुका नहीं है, बिहार रुका नहीं है, थमा नहीं है।

100 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन प्रोजेक्ट से भी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में मदद मिलने वाली है। बिहार को, पूर्वी भारत को विकास का, आत्मविश्वास का अहम केंद्र बनाने के लिए हम सभी को तेजी से काम करते रहना है। इसी विश्वास के साथ सैकड़ों करोड़ की सुविधाओं के लिए फिर से पूरे बिहार को बहुत-बहुत बधाई। खासकर के, माताओं और बहनों का जीवन आसान होने वाला है इसलिए उनको अनेक अनेक बधाई देता हूँ ।

याद रखिएगा, कोरोना संक्रमण अभी भी हमारे बीच में मौजूद है। और इसलिए मैं बार बार कहता हूँ - जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं ! फिर से सुन लीजिये जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं।

इसलिए, दो गज़ की दूरी, साबुन से हाथ की नियमित सफाई, यहां वहां थूकने से मनाही और चेहरे पर मास्क, इन जरूरी बातों का हमें खुद भी पालन करना है और दूसरों को भी याद दिलाते रहना है।

आप सतर्क रहेंगे तो बिहार स्वस्थ रहेगा, देश स्वस्थ रहेगा। मैं फिर एक बार आप सबको इस अनेक भेंट सौगातो के साथ बिहार की विकास यात्रा में नयी ऊर्जा का यह अवसर… आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं ।

बहुत-बहुत धन्यवाद !

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।