प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात की तीन परियोजनाओं- किसान सूर्योदय योजना, गिरनार रोपवे और देश के बड़े और आधुनिक कार्डियाक हॉस्पिटल का उद्घाटन किया।
किसानों की आय दोगुनी करने, लागत कम करने और उनकी परेशानी कम करने के लिए हमें अपने प्रयास बढ़ाने ही होंगे : प्रधानमंत्री मोदी
बीते 6 सालों में देश सोलर उत्पादन के मामले में दुनिया में पांचवे स्थान पर पहुंच चुका है और लगातार आगे बढ़ रहा है : प्रधानमंत्री मोदी
आयुष्मान भारत योजना के तहत गुजरात के 21 लाख लोगों को मुफ्त इलाज मिला है। सस्ती दवाइयां देने वाले सवा 5 सौ से ज्यादा जनऔषधि केंद्र गुजरात में खुल चुके हैं: पीएम मोदी

नमस्कार!

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी जी, उपमुख्यमंत्री श्री नितिन पटेल जी, गुजरात भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद, श्री सी. आर. पाटिल जी, अन्य सभी मंत्रीगण, सांसदगण, विधायकगण, मेरे किसान साथियों, गुजरात के सभी भाइयों और बहनों !

मां अंबे के आशीर्वाद से आज गुजरात के विकास से जुड़े तीन अहम प्रोजेक्ट्स की शुरुआत हो रही है। आज किसान सूर्योदय योजना, गिरनार रोपवे और देश के बड़े और आधुनिक कार्डिएक हॉस्पिटल गुजरात को मिल रहे हैं। ये तीनों एक प्रकार से गुजरात की शक्ति, भक्ति और स्वास्थ्य के प्रतीक हैं। इन सभी के लिए गुजरात के लोगों को बहुत-बहुत बधाई !

भाइयों और बहनों, गुजरात हमेशा से असाधारण सामर्थ्य वाले लोगों की भूमि रही है। पूज्य बापू और सरदार पटेल से लेकर गुजरात के अनेक सपूतों ने देश को सामाजिक और आर्थिक नेतृत्व दिया है। मुझे खुशी है कि किसान सूर्योदय योजना के माध्यम से गुजरात फिर एक नई पहल के साथ सामने आया है। सुजलाम-सुफलाम और साउनी योजना के बाद अब सूर्योदय योजना गुजरात के किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

किसान सूर्योदय योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता गुजरात के किसानों की आवश्यकता को दी गई है। बिजली के क्षेत्र में बरसों से गुजरात में जो काम हो रहे थे, वो इस योजना का बहुत बड़ा आधार बने हैं। एक समय था जब गुजरात में बिजली की बहुत किल्लत रहती थी, 24 घंटे बिजली देना बहुत बड़ी चुनौती थी। बच्चों की पढ़ाई हो, किसानों के लिए सिंचाई हो, उद्योगों के लिए कमाई हो, ये सबकुछ प्रभावित होता था। ऐस में बिजली के उत्पादन से लेकर ट्रांसमिशन तक, हर प्रकार की कैपेसिटी तैयार करने के लिए मिशन मोड पर काम किया गया।

भाइयों और बहनों,

जो गांवों से नहीं जुड़े हैं, खेती से नहीं जुड़े हैं, उनमें से बहुत कम को ही पता होगा कि किसानों को सिंचाई के लिए ज्यादातर रात में ही बिजली मिलती है। ऐसे में खेत में सिंचाई के समय किसानों को रात-रात भर जागना पड़ता है। जूनागढ़ और गीर सोमनाथ जैसे इलाकों में, जहां से किसान सूर्योदय योजना शुरु हो रही है, वहां तो जंगली जानवरों का भी बहुत ज्यादा खतरा रहता है। इसलिए किसान सर्वोदय योजना, न सिर्फ राज्य के किसानों को सुरक्षा देगी बल्कि उनके जीवन में नया सवेरा भी लाएगी। किसानों को रात के बजाय जब सुबह सूर्योदय से लेकर रात नौ बजे के दौरान Three Phase बिजली मिलेगी, तो ये नया सवेरा ही तो है।

मैं गुजरात सरकार को इस बात के लिए भी बधाई दूंगा कि बाकी व्यवस्थाओं को प्रभावित किए बिना, ट्रांसमिशन की बिल्कुल नई कैपेसिटी तैयार करके ये काम किया जा रहा है। इस योजना के तहत अगले 2-3 वर्षों में लगभग साढ़े 3 हज़ार सर्किट किलोमीटर नई ट्रांसमिशन लाइनों को बिछाने का काम किया जाएगा। मुझे बताया गया है कि आने वाले कुछ दिनों तक हज़ार से ज्यादा गांवों में ये योजना लागू भी हो जाएगी। इनमें भी ज्यादा गांव आदिवासी बाहुल्य इलाकों में हैं। जब इस योजना का पूरे गुजरात में विस्तार हो जाएगा, तो ये लाखों किसानों के जीवन को, उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को पूरी तरह बदल देगी।

साथियों,

किसान की आय दोगुनी करने के लिए, लागत कम करने के लिए, उनकी परेशानी कम करने के लिए बदलते समय के साथ हमें अपने प्रयास बढ़ाने ही होंगे। किसानों को कहीं पर भी अपनी उपज बेचने की आजादी देना हो या फिर हजारों किसान उत्पादक संघों का निर्माण, सिंचाई की अटकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने का काम हो या फिर फसल बीमा योजना में सुधार, यूरिया की 100 प्रतिशत नीम कोटिंग हो या फिर देश भर के करोड़ों किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड, इसका लक्ष्य यही है कि देश का एग्रीकल्चर सेक्टर मजबूत हो, किसान को खेती करने में मुश्किल न हो। इसके लिए निरंतर नई-नई पहल की जा रही है।

देश में आज अन्नदाता को ऊर्जादाता भी बनाने के लिए काम किया जा रहा है। कुसुम योजना के तहत किसानों, किसान उत्पादक संघ- FPOs, Co-operatives, पंचायतों, ऐसे हर संस्थानों को बंजर ज़मीन पर छोटे-छोटे सोलर प्लांट लगाने में सहायता दी जा रही है। देशभर के लाखो किसानों के सोलर पंपों को भी ग्रिड से जोड़ा जा रहा है। इससे जो बिजली पैदा होगी उसको किसान ज़रूरत के हिसाब से अपनी सिंचाई के लिए उपयोग कर पाएंगे और अतिरिक्त बिजली को बेच भी पाएंगे। देशभर में करीब साढ़े 17 लाख किसान परिवारों को सोलर पंप लगाने में मदद की जा रही है। इससे किसानों को सिंचाई की सहूलियत भी मिलेगी और उन्हें अतिरिक्त आय भी हो जाएगी।

साथियों,

गुजरात ने तो बिजली के साथ-साथ सिंचाई और पीने के पानी के क्षेत्र में भी शानदार काम किया है। इस कार्यक्रम में जुड़े हम सभी जानते हैं कि गुजरात में पानी की क्या स्थिति थी। बजट का बहुत बड़ा खर्चा सालों तक पानी के पीछे ही खर्चना पड़ा है। यह बहुत लोगो को अंदाज़ नहीं होगा कि गुजरात पर पानी के पीछे आर्थिक बोज बहुत बड़ा रहता था। बीते दो दशकों के प्रयासों से आज गुजरात के उन जिलों, उन गांवों तक भी पानी पहुंच गया है, जहां कोई पहले सोच भी नहीं सकता था।

आज जब हम सरदार सरोवर को देखते हैं, नर्मदा जी के जल को गुजरात के सूखाग्रस्त क्षेत्रों तक पहुंचा रही नहरों के नेटवर्क को देखते हैं, वॉटर ग्रिड्स को देखते हैं तो गुजरात के लोगों के प्रयासों पर गर्व होता है। गुजरात के करीब 80 प्रतिशत घरों में आज नल से जल पहुंच चुका है। बहुत जल्द गुजरात देश के उन राज्यों में होगा जिसके हर घर में पाइप से जल पहुंचेगा। ऐसे में जब आज गुजरात में किसान सर्वोदय योजना शुरू हो रही है तो सभी को अपना एक प्रण, एक मंत्र फिर दोहराना है। ये मंत्र है- Per Drop, More Crop का। जब किसानों को दिन में बिजली मिलेगी, तो हमें ज्यादा से ज्यादा पानी बचाने पर भी उतना ही जोर देना है। वरना ऐसा न हो चलो कि भाई बिजली आ रही है, पानी बह रहा है हम आराम से भैठे हैं फिर तो गुजरात बर्बाद हो जायेगा, पानी ख़तम हो जायेगा, ज़िन्दगी मुष्किल हो जाएगी। दिन में बिजली मिलने की वजह से किसानों के लिए भी माइक्रो-इरिगेशन की व्यवस्थाएं करना आसान होगा। गुजरात ने माइक्रो-इरिगेशन के क्षेत्र में काफी प्रगति की है- टपक सिंचाई हो या स्प्रिंकलर हो, किसान सर्वोदय योजना से इसके और विस्तार में मदद मिलेगी।

भाइयों और बहनों,

गुजरात में आज "सर्वोदय" के साथ ही "आरोग्योदय" भी हो रहा है। यह "आरोग्योदय" अपने आप में एक नया नज़राना है। आज भारत के सबसे बड़े कार्डिएक अस्पताल के रूप में, यूएन मेहता इन्स्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रीसर्च सेन्टर का लोकार्पण किया गया है। ये देश के उन चुनिंदा अस्पतालों में से है जिसमें वर्ल्डक्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर भी है और उतनी ही आधुनिक हेल्थ फैसिलिटी भी। बदलती लाइफ स्टाइल के कारण हार्ट से जुड़ी समस्याएं हम देख रहे हैं, दिनों-दिन बढ़ती चली जा रही हैं, छोटे बच्चो में हो रही हैं। ऐसे में ये अस्पताल गुजरात ही नहीं, देशभर के लोगों के लिए बहुत बड़ी सुविधा है।

भाइयों और बहनों,

बीते दो दशकों में गुजरात ने आरोग्य के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व काम किया है। चाहे वो आधुनिक अस्पतालों का नेटवर्क हो, मेडिकल कॉलेज हों या हेल्थ सेंटर्स हों, गांव-गांव को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने का बहुत बड़ा काम किया गया है। बीते 6 सालों में देश में स्वास्थ सेवा से जुड़ी योजनाएं शुरू हुई हैं, उनका भी लाभ गुजरात को मिल रहा है। आयुष्मान भारत योजना के तहत गुजरात के 21 लाख लोगों को मुफ्त इलाज मिला है। सस्ती दवाइयां देने वाले सवा 5 सौ से ज्यादा जनऔषधि केंद्र गुजरात में खुल चुके हैं। इसमें से लगभग 100 करोड़ रुपए की बचत गुजरात के सामान्य मरीज़ों को हुई है।

भाइयों और बहनों,

आज गुजरात को जो तीसरा उपहार मिला है, उससे आस्था और पर्यटन दोनों ही आपस में जुड़े हुए हैं। गिरनार पर्वत पर मां अंबे भी विराजती हैं, गोरखनाथ शिखर भी है, गुरु दत्तात्रेय का शिखर है और जैन मंदिर भी है। यहां की हज़ारों सीढ़ियां चढ़कर जो शिखर पर पहुंचता है, वो अद्भुत शक्ति और शांति का अनुभव करता है। अब यहां विश्व स्तरीय रोप-वे बनने से सबको सुविधा मिलेगी, सबको दर्शनों का अवसर मिलेगा। अभी तक मंदिर तक जाने में जो 5-7 घंटों का समय लगता था वो दूरी अब रोपवे से 7-8 मिनट में ही तय हो जाएगी। रोपवे की सवारी एडवेंचर को भी बढ़ाएगी, उत्सुकता भी बढ़ाएगी। इस नई सुविधा के बाद यहां ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु आएंगे, ज्यादा पर्यटक आएंगे।

साथियों, आज जिस रोप-वे की शुरुआत हुई है, वो गुजरात का चौथा रोप-वे है। बनासकांठा में मां अंबा के दर्शन के लिए, पावागढ़ में, सतपूड़ा में तीन और रोप-वे पहले से काम कर रहे हैं। अगर गिरनार रोप-वे में रोड़े न अटकाए होते तो यह इतने वर्षों तक अटका नहीं होता, लोगों को, टूरिस्टों को इसका लाभ बहुत पहले ही मिलने लग गया होता। एक राष्ट्र के रूप में हमें भी सोचना होगा कि जब लोगों को इतनी बड़ी सुविधा पहुंचाने वाली व्यवस्थाओं का निर्माण, इतने लंबे समय तक अटका रहेगा, तो लोगों का कितना नुकसान होता है। देश का कितना नुकसान होता है। अब जब ये गिरनार रोप-वे शुरू हो रहा है, तो मुझे खुशी है कि यहां लोगों को तो सुविधा मिलेगी ही स्थानीय युवाओं को रोज़गार के भी अधिक अवसर मिलेंगे।

साथियों,

दुनिया के बड़े-बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन, आस्था से जुड़े केंद्र इस बात को स्वीकार कर चलते हैं कि हमारे यहां ज्यादा लोग तभी आएंगे जब हम टूरिस्टों को आधुनिक सुविधाएं देंगे। आज जब टूरिस्ट जब कहीं जाता है, अपने परिवार के साथ जाता है, तो उसे Ease of Living भी चाहिए होती है और Ease of Travelling भी। गुजरात में अनेकों जगहें हैं जिनमें भारत ही नहीं दुनिया का बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है। अगर माता के ही मंदिरों की बात करें तो भक्तों के लिए गुजरात में पूरा सर्किट है। मैं सब माताओं के स्थानों का उल्लेख नहीं कर रहा हूँ... और गुजरात के सभी कोने में यह शक्ति रूपेण माताएं गुजरात को निरंतर आशीर्वाद देती हैं। अंबा जी हैं, पावागढ़ तो है हीं चोटिला चामुंडा माता जी हैं, उमिया माताजी हैं, कच्छ में माता नो मढ, कितने ही, यानि हम अनुभव कर सकते हैं कि गुजरात में एक प्रकार के शक्ति का वास है। कई प्रसिद्ध मंदिर हैं।

आस्था के स्थलों के अलावा भी गुजरात में अनेक जगहे हैं जिनकी क्षमताएं अद्भुत हैं। अभी आपने भी देखा है द्वारका के शिवराजपुर समुद्री बीच को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है, Blue Flag certification मिला है। ऐसे स्थलों को विकसित करने पर वहां ज्यादा से ज्यादा पर्यटक आएंगे और अपने साथ रोजगार के नए अवसर भी लाएंगे। आप देखिए, सरदार साहेब को समर्पित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा, अब कितना बड़ा टूरिस्ट अट्रेक्शन बन रही है।

जब ये कोरोना शुरू हुआ, उससे पहले ही करीब 45 लाख से ज्यादा लोग स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने जा चुके थे। इतने कम समय में 45 लाख लोग बहुत बड़ी बात होती है। अब स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को फिर से खोला गया है तो ये संख्या फिर तेजी से बढ़ रही है। इसी तरह छोटा सा उदाहरण देता हूँ मैं- अहमदाबाद की कांकरिया झील। एक ज़माना था वहां से कोई गुजरता नहीं था, दूसरा रास्ता लेता था। उसका थोड़ा सा रेनोवेशन किया, थोड़ा टूरिस्ट को ध्यान में रखकर व्यवस्थाएं खड़ी करी और आज स्तिथि क्या है- वहां पर पहुंचने वालों की संख्या अब सालाना 75 लाख तक पहुंच रही है। अकेले अहमदाबाद शहर के मध्य में 75 लाख, मध्यम वर्ग निम्न वर्ग के परिवारों के लिए यह जगह बहुत आकर्षण का कारण बन चुकी है और अनेक लोगो के रोटी-रोजी का कारण भी बनी है। ये सारे परिवर्तन टूरिस्टो की बढ़ती हुई संख्या और स्थानीय लोगों की आय बढ़ाने में भी बहुत मदद करती है। और टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ कम से कम पूंजी लगती है और ज़्यादा से ज़्यादा लोगो को रोज़गार मिलता है ।

हमारे जो गुजराती साथी...और मैं चाहूंगा विश्‍व भर में फैले हुए गुजराती बंधु-भगिनी को मैं आज आग्रह से कहना चाहता हूं, गुजरात के Brand Ambassador बनकर आज पूरी दुनिया में गुजरात के लोग छाए हुए हैं। जब गुजरात अपने यहां नए-नए आकर्षण का केंद्र बना रहा है, भविष्‍य में भी बनने वाला है तो दुनियाभर में फैले हुए हमारे गुज्‍जु बंधुओं से मैं कहूंगा, वो हमारे सभी साथी, उनकी बातों को पूरी दुनिया में अपने-आप ही ले करके चले जाएं, दुनिया को आकर्षित करें। गुजरात के टूरिस्ट डेस्टिनेशन से परिचित कराएं। हमें इसी को लेकर आगे चला है, आगे बढ़ना है।

एक बार फिर सभी गुजरात के मेरे भाइयों, बहनों को इन आधुनिक सुविधाओं के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मां अंबे के आशीर्वाद से गुजरात विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचे, मेरी यही प्रार्थना है। गुजरात स्वस्थ रहे, गुजरात सशक्त बने। इन्‍हीं शुभकामनाओं के साथ आपका आभार। बहुत-बहुत बधाई।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।