नमस्कार !
मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगू भाई पटेल जी, मुख्यमंत्री श्रीमान शिवराज सिंह चौहान जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्री हरदीप सिंह पुरी जी, डॉ वीरेन्द्र कुमार जी, कौशल किशोर जी, मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रिगण, सांसद-विधायकगण, इंदौर समेत मध्य प्रदेश के अनेक शहरों से जुड़े प्यारे भाइयों और बहनों, अन्य महानुभाव भी आज यहां मौजूद हैं।
हम जब छोटे थे, जब पढ़ते थे तो इंदौर का नाम आते ही सबसे पहले देवी अहिल्याबाई होल्कर, माहेश्वर, और उनके सेवाभाव का ध्यान जरूर आता था। समय के साथ इंदौर बदला, ज्यादा अच्छे के लिए बदला, लेकिन देवी अहिल्या जी की प्रेरणा को इंदौर ने कभी भी खोने नहीं दिया। देवी अहिल्या जी के साथ ही आज इंदौर का नाम आते ही मन में आता है- स्वच्छता। इंदौर का नाम आते ही मन में आता है- नागरिक कर्तव्य, जितने अच्छे इंदौर के लोग होते हैं, उतना ही अच्छा उन्होंने अपने शहर को बना दिया है। और आप सिर्फ सेब के ही शौकीन नहीं हैं, इंदौर के लोगों को अपने शहर की सेवा करनी भी आती है।
आज का दिन स्वच्छता के लिए इंदौर के अभियान को एक नई ताकत देने वाला है। इंदौर को आज गीले कचरे से बायो-सीएनजी बनाने का जो गोबरधन प्लांट मिला है, उसके लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। मैं शिवराज जी और उनकी टीम की विशेष प्रशंसा करूंगा जिसने इस कार्य को इतने कम समय में संभव बनाया है। मैं आज सुमित्रा ताई का भी आभार व्यक्त करूंगा जिन्होंने सांसद के तौर पर इंदौर की पहचान को नई ऊंचाई पर पहुंचाया। इंदौर के वर्तमान सांसद मेरे साथी भाई शंकर लालवानी जी भी उनके नक्शे-कदम पर उन्होंने जिस राह को तय किया उस राह पर इंदौर को आगे बढ़ाने के लिए उसे और बेहतर बनाने के लिए निरंतर काम कर रहे हैं।
और साथियों,
आज जब मैं इंदौर की इतनी प्रशंसा कर रहा हूं, तो अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी का भी जिक्र करूंगा। मुझे खुशी है कि काशी विश्वनाथ धाम में देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की बहुत ही सुंदर प्रतिमा रखी गई है। इंदौर के लोग जब बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने जाएंगे, तो उन्हें वहां देवी अहिल्याबाई जी की मूर्ति भी दर्शन करने के लिए मिलेगी। आपको अपने शहर पर और गर्व होगा।
साथियों,
अपने शहरों को प्रदूषण मुक्त रखने, और गीले कचरे के निस्तारण के लिए आज का ये प्रयास बहुत अहम है। शहर में घरों से निकला गीला कचरा हो, गांव में पशुओं-खेतों से मिला कचरा हो, ये सब एक तरह से गोबरधन ही है। शहर के कचरे और पशुधन से गोबरधन, फिर गोबरधन से स्वच्छ ईंधन, फिर स्वच्छ ईंधन से ऊर्जाधन, ये श्रृंखला जीवनधन का निर्माण करती है। इस श्रृंखला की हर कड़ी कैसे एक दूसरे से जुड़ी हुई है, उसके प्रत्यक्ष प्रमाण के तौर पर इंदौर का ये गोबरधन प्लांट अब दूसरे शहरों को भी प्रेरणा देगा।
मुझे खुशी है कि आने वाले दो वर्षों में देश के 75 बड़े नगर निकायों में इस प्रकार के गोबरधन बायो सीएनजी प्लांट बनाने पर काम किया जा रहा है। ये अभियान भारत के शहरों को स्वच्छ बनाने, प्रदूषण रहित बनाने, क्लीन एनर्जी की दिशा में बहुत मदद करेगा। और अब तो शहरों में ही नहीं, बल्कि देश के गांवों में भी हजारों की संख्या में गोबरधन बायोगैस प्लांट लगाए जा रहे हैं। इनसे हमारे पशुपालकों को गोबर से भी अतिरिक्त आय मिलनी शुरु हुई है। हमारे गांव-देहात में किसानों को बेसहारा जानवरों से जो दिक्कत होती है, वो भी इस तरह के गोबरधन प्लांट्स से कम होगी। ये सारे प्रयास, भारत के क्लाइमेट कमिटमेंट को भी पूरा करने में मदद करेंगे।
साथियों,
गोबरधन योजना यानि कचरे से कंचन बनाने के हमारे अभियान का जो असर हो रहा है, उसकी जानकारी जितनी ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिले, वो उतना ही अच्छा है। गोबरधन बायो-सीएनजी प्लांट से इंदौर को प्रतिदिन 17 से 18 हज़ार किलो बायो-सीएनजी तो मिलेगी ही, इसके अलावा 100 टन जैविक खाद भी यहां से रोज़ाना निकलेगी। सीएनजी के कारण, प्रदूषण कम होगा और इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को जीवन जीने में सुविधा बढ़ेगी। इसी प्रकार से, यहां जो जैविक खाद बनेगी, उससे हमारी धरती मां को भी नया जीवन मिलेगा, हमारी धरती का कायाकल्प होगा।
एक अनुमान है कि इस प्लांट में जो सीएनजी बनेगी उससे इंदौर शहर में हर रोज करीब-करीब 400 बसें चलाई जा सकेंगीं। इस प्लांट से सैकड़ों युवाओं को किसी ना किसी रूप में रोज़गार भी मिलने वाला है, यानि ये ग्रीन जॉब्स को बढ़ाने में भी मददगार होगा।
भाइयों और बहनों,
किसी भी चुनौती से निपटने के दो तरीके होते हैं। पहला तरीका ये कि उस चुनौती का तात्कालिक समाधान कर दिया जाए। दूसरा ये होता है कि उस चुनौती से ऐसे निपटा जाए कि सभी को स्थाई समाधान मिले। बीते सात वर्षों में हमारी सरकार ने जो योजनाएं बनाई हैं, वो योजनायें स्थाई समाधान देने वाली होती हैं, एक साथ कई लक्ष्यों को साधने वाली होती हैं।
स्वच्छ भारत अभियान को ही लीजिए। इससे स्वच्छता के साथ-साथ बहनों की गरिमा, बीमारियों से बचाव, गांव-शहरों को सुंदर बनाने, और रोज़गार के अवसर तैयार करने जैसे अनेक काम एक साथ हुए हैं। अब हमारा फोकस घर से, गली से निकले कचरे के निस्तारण का है, शहरों को कूड़े के पहाड़ों से मुक्त करने का है। इनमें भी इंदौर एक बेहतरीन मॉडल बनकर उभरा है। आप भी जानते हैं कि ये नया प्लांट जहां लगा है, वहां पास ही देवगुडरिया में कूड़े का पहाड़ होता था। हर इंदौरवासी को इससे दिक्कत थी। लेकिन अब इंदौर नगर निगम ने 100 एकड़ की इस डंप साइट को ग्रीन ज़ोन में बदल दिया है।
साथियों,
आज देशभर के शहरों में लाखों टन कूड़ा, दशकों से ऐसी ही हजारों एकड़ ज़मीन घेरे हुए है। ये शहरों के लिए वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियों की भी बड़ी वजह है। इसलिए स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में इस समस्या से निपटने के लिए काम किया जा रहा है। लक्ष्य ये है कि आने वाले 2-3 वर्षों में कूड़े के इन पहाड़ों से हमारे शहरों को मुक्ति मिल सके, उन्हें ग्रीन ज़ोन्स में बदला जा सके।
इसके लिए राज्य सरकारों को हर संभव मदद दी जा रही है। ये भी अच्छी बात है कि साल 2014 की तुलना में अब देश में शहरी कूड़े के निस्तारण की क्षमता 4 गुना तक बढ़ चुकी है। देश को सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्ति दिलाने के लिए 1600 से अधिक निकायों में Material Recovery Facility भी तैयार की जा रही है। हमारा प्रयास है कि अगले कुछ वर्षों में देश के हर शहर में इस तरह की व्यवस्था का निर्माण हो। इस तरह की आधुनिक व्यवस्थाएं भारत के शहरों में सर्कुलर इकॉनॉमी को भी एक नई शक्ति दे रही हैं।
साथियों,
स्वच्छ होते शहर से एक और नई संभावना जन्म लेती है। ये नई संभावना है पर्यटन की। हमारे देश में ऐसा कोई शहर नहीं जहां ऐतिहासिक स्थल ना हों, पवित्र स्थल ना हों। कमी जो रही है, वो है स्वच्छता की। जब शहर स्वच्छ होंगे तो दूसरी जगहों से लोगों को भी वहां आने का मन करेगा, लोग ज्यादा आएंगे। अब जैसे कितने ही लोग तो केवल ये देखने इंदौर आते हैं कि देखें, सफाई के लिए आपके यहां काम हुआ है, जरा जा करके देखें तो सही। जहां स्वच्छता होती है, पर्यटन होता है, वहां पूरी एक नई अर्थव्यवस्था चल पड़ती है।
साथियों,
हाल ही में इंदौर ने Water Plus होने की उपलब्धि भी हासिल की है। ये भी अन्य शहरों को दिशा दिखाने वाला काम हुआ है। जब किसी शहर के जलस्रोत साफ होते हैं, नाले का गंदा पानी उनमें नहीं गिरता, तो एक अलग ही जीवंत ऊर्जा उस शहर में आ जाती है। सरकार का प्रयास है कि भारत के ज्यादा से ज्यादा शहर Water Plus बनें। इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण पर जोर दिया जा रहा है। एक लाख से कम आबादी वाले जो नगर निकाय हैं, वहां गंदे पानी के ट्रीटमेंट की सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं।
भाइयों और बहनों,
समस्याओं को पहचानकर अगर ईमानदार प्रयास किए जाएं तो बदलाव संभव होता है। हमारे पास तेल के कुएं नहीं हैं, पेट्रोलियम के लिए हमें बाहर depended रहना पड़ता है, लेकिन हमारे पास बायोफ्यूल के, इथेनॉल बनाने के संसाधन बरसों से मौजूद रहे हैं। ये टेक्नॉलॉजी भी काफी पहले आ चुकी थी। ये हमारी ही सरकार है जिसने इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर बहुत ज्यादा जोर दिया। 7-8 साल पहले भारत में इथेनॉल ब्लेंडिंग मुश्किल से 1 पर्सेंट, डेढ़ पर्सेंट, 2 पर्सेंट, इससे आगे नहीं बढ़ रहा था। आज पेट्रोल में इथेनॉल ब्लेंडिंग का प्रतिशत, 8 परसेंट के आस-पास पहुंच रहा है। बीते सात वर्षों में ब्लेंडिंग के लिए इथेनॉल की सप्लाई को भी बहुत ज्यादा बढ़ाया गया है।
साल 2014 से पहले देश में करीब 40 करोड़ लीटर इथेनॉल, ब्लेंडिंग के लिए सप्लाई होता था। आज भारत में 300 करोड़ लीटर से ज्यादा इथेनॉल, ब्लेंडिंग के लिए सप्लाई हो रहा है। कहां 40 करोड़ लीटर और कहां 300 करोड़ लीटर! इससे हमारी चीनी मिलों की सेहत सुधरी है और गन्ना किसानों को भी बहुत ज्यादा मदद मिली है।
साथियों
एक और विषय है पराली का। पराली से हमारे किसान भी परेशान रहे हैं और शहरों में रहने वाले लोग भी। हमने इस बजट में पराली से जुड़ा एक अहम फैसला किया है। ये तय किया गया है कि कोयले से चलने वाले बिजली कारखानों में पराली का भी उपयोग किया जाएगा। इससे किसान की परेशानी तो दूर होगी ही, खेती के कचरे से किसान को अतिरिक्त आय भी मिलेगी।
ऐसे ही हमने ये भी देखा है कि पहले सौर ऊर्जा- सोलर पावर को लेकर कितनी उदासीनता थी। 2014 के बाद से हमारी सरकार ने पूरे देश में सोलर पावर का उत्पादन बढ़ाने के लिए अभियान चलाया हुआ है। इसी का परिणाम है कि आज भारत ने सोलर पावर से बिजली बनाने के मामले में दुनिया के टॉप-5 देशों में अपनी जगह बना ली है। इसी सोलर पावर की शक्ति से हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता के साथ ही ऊर्जादाता भी बना रही है, अन्नदाता ऊर्जादाता बने। देश भर के किसानों को लाखों सोलर पंप भी दिए जा रहे हैं।
भाइयों और बहनों,
आज भारत जो कुछ भी हासिल कर रहा है, उसमें टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के साथ ही भारतीयों के परिश्रम का भी बहुत बड़ा हाथ है। इसी वजह से आज भारत, ग्रीन और क्लीन फ्यूचर को लेकर बड़े लक्ष्य रख पा रहा है। हमारे युवाओं, हमारी बहनों, हमारे लाखों-लाख सफाई कर्मचारियों पर अटूट भरोसा करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। भारत के युवा नई टेक्नॉलॉजी, नए इनोवेशन के साथ-साथ जन-जागरण में भी बहुत अहम भूमिका निभा रहे हैं।
जैसे मुझे बताया गया है कि इंदौर की जागरूक बहनों ने कूड़े के प्रबंधन को एक अलग मुकाम पर पहुंचा दिया है। इंदौर के लोग कूड़े को 6 हिस्सों में अलग-अलग करते हैं, जिससे कूड़े की Processing और Recycling ठीक से हो सकती है। किसी भी शहर के लोगों की यही भावना, यही प्रयास, स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने में मददगार साबित होते हैं। स्वच्छता के साथ-साथ रिसाइक्लिंग के संस्कारों को भी सशक्त करना, अपने आप में देश की बड़ी सेवा है। यही तो LIFE यानि life style for environment का दर्शन है, जीवन जीने का तरीका है।
साथियों,
आज के इस कार्यक्रम में, मैं इंदौर के साथ ही, देशभर के लाखों सफाई कर्मियों का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं। सर्दी हो, गर्मी हो, आप सुबह-सुबह निकल पड़ते हैं अपने शहर को स्वच्छ बनाने के लिए। कोरोना के इस मुश्किल समय में भी आपने जो सेवाभाव दिखाया है, उसने कितने ही लोगों का जीवन बचाने में मदद की है। ये देश, अपने हर सफाईकर्मी भाई-बहन का अत्यंत ऋणी है। अपने शहरों को स्वच्छ रखकर, गंदगी ना फैलाकर, नियमों का पालन करके, हम उनकी मदद कर सकते हैं।
मुझे याद है, प्रयागराज में कुंभ के दौरान, आपने देखा होगा दुनिया में पहली बार भारत के कुंभ मेले की एक नई पहचान बनी। पहले तो भारत के कुंभ मेले की पहचान हमारे साधु-महात्मा, उन्हीं के आस-पास बातें चलती थीं। लेकिन पहली बार उत्तर प्रदेश में योगीजी के नेतृत्व में प्रयागराज में जो कुंभ हुआ, उसकी पहचान स्वच्छ कुंभ के रूप में हुई। पूरे विश्व में चर्चा हुई। दुनिया के अखबारों ने कुछ न कुछ उसके लिए लिखा। ये मेरे मन पर इसका बहुत बड़ा सकारात्मक प्रभाव है। तो मैं जब कुंभ के मेले में पवित्र स्नान के लिए गया था तो स्नान कर के आने के बाद मेरे मन में इन सफाई कर्मियों के लिए इतना अहोभाव उठा था कि मैंने इन सफाई कर्मियों के पांव धोए थे। उनका सम्मान किया था। उनसे मैंने आशीर्वाद लिए थे।
आज मैं दिल्ली से, इंदौर के अपने हर सफाईकर्मी भाई-बहन को आदरपूर्वक प्रणाम करता हूं। उनका नमन करता हूं। इस कोरोना काल में आप लोगों ने इस सफाई के अभियान को जारी न रखा होता तो न जाने हम कितनी नई-नई मुसीबतों को झेलते। आपने इस देश के सामान्य मानवी को बचाने में, डॉक्टर तक न जाना पड़े, इसके लिए जो चिंता की है ना, इसलिए मैं आपको प्रणाम करता हूं।
भाइयो, बहनों
इसके साथ ही मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं। एक बार फिर सभी इंदौरवासियों को, खास करके इंदौर की मेरी माताओं-बहनों को, क्योंकि उन्होंने ये काम में जो initiative लिया है, कूड़ा-कचरा बिल्कुल बाहर फेंकना नहीं, उसका segregation करना, ये मेरी माताएं-बहनें, अनेक-अनेक अभिनंदन की अधिकारी हैं और मेरी बाल-सेना जो घर में किसी को कूड़ा-कचरा फेंकने नहीं देती है। पूरे हिंदुस्तान में स्वच्छता अभियान को सफल करने में मेरी बाल सेना ने बहुत मेरी मदद की है। तीन-तीन, चार-चार साल के बच्चे अपने दादा को कहते हैं कूड़ा-कचरा यहां मत फेंको। चॉकलेट खाई है, ये यहां नहीं फेंकना है, कागज यहां नहीं फेंकना है। ये जो बाल-सेना ने काम किया है, ये भी हमारे भावी भारत की नींव को मजबूत करने वाली बात है। मैं इन सबको आज हृदय से अभिनंदन करते-करते आप सबको बायो-सीएनजी प्लांट के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं!
बहुत-बहुत धन्यवाद! नमस्कार!