"महाराष्ट्र में जगतगुरु श्री संत तुकाराम महाराज से लेकर बाबासाहेब आंबेडकर तक, समाज सुधारकों की बहुत समृद्ध विरासत है"
"स्वतंत्रता संघर्ष को कुछ घटनाओं तक सीमित रखने की एक प्रवृत्ति है, जबकि भारत की आजादी में अनगिनत लोगों की 'तपस्या' शामिल है"
"स्थानीय से वैश्विक स्तर तक स्वतंत्रता आंदोलन की भावना, हमारे आत्मानिर्भर भारत अभियान की मजबूती है"
"21वीं सदी में महाराष्ट्र के कई शहर देश के ग्रोथ सेंटर होने वाले हैं"

महाराष्ट्र के गवर्नर श्री भगत सिंह कोशियारी जी, मुख्यमंत्री श्री उद्ध्व ठाकरे जी, उप मुख्यमंत्री श्री अजित पवार जी, श्री अशोक जी, नेता विपक्ष श्री देवेंद्र फडणवीस जी, यहां उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों, आज वट पूर्णिमा भी है और संत कबीर की जयंती भी है। सभी देशवासियों को मैं अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

एका अतिशय चांगल्या कार्यक्रमासाठी, आपण आज सारे एकत्र आलो आहोत। स्वातंत्र्य-समरातिल, वीरांना समर्पित क्रांतिगाथा, ही वास्तु समर्पित करताना, मला, अतिशय आनंद होतो आहे।

साथियों,

महाराष्ट्र का ये राजभवन बीते दशकों में अनेक लोकतांत्रिक घटनाओं का साक्षी रहा है। ये उन संकल्पों का भी गवाह रहा है जो संविधान और राष्ट्र के हित में यहां शपथ के रूप में लिए गए। अब यहां जलभूषण भवन का और राजभवन में बनी क्रांतिवीरों की गैलरी का उद्घाटन हुआ है। मुझे राज्यपाल जी के आवास और कार्यालय के द्वार पूजन में भी हिस्सा लेने का अवसर मिला।

ये नया भवन महाराष्ट्र की समस्त जनता के लिए, महाराष्ट्र की गवर्नेंस के लिए नई ऊर्जा देने वाला हो, इसी तरह गर्वनर साहब ने कहा कि ये राजभवन नहीं लोकभवन है, वो सच्‍चे अर्थ में जनता-जनार्दन के लिए एक आशा की किरण बनके उभरेगा, ऐसा मेरा पूरा विश्‍वास है। और इस महत्‍वपूर्ण अवसर के लिए यहां के सभी बंधु बधाई के पात्र हैं। क्रांति गाथा के निर्माण से जुड़े इतिहासकार विक्रम संपथ जी और दूसरे सभी साथियों का भी मैं अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

मैं राजभवन में पहले भी अनेक बार आ चुका हूं। यहां कई बार रुकना भी हुआ है। मुझे खुशी है कि आपने इस भवन के इतने पुराने इतिहास को, इसके शिल्प को संजोते हुए, आधुनिकता का एक स्वरूप अपनाया है। इसमें महाराष्ट्र की महान परंपरा के अनुरूप शौर्य, आस्था, अध्यात्म और स्वतंत्रता आंदोलन में इस स्थान की भूमिका के भी दर्शन होते हैं। यहां से वो जगह ज्यादा दूर नहीं है, जहां से पूज्य बापू ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। इस भवन ने आज़ादी के समय गुलामी के प्रतीक को उतरते और तिरंगे को शान से फहराते हुए देखा है। अब जो ये नया निर्माण हुआ है, आज़ादी के हमारे क्रांतिवीरों को जो यहां स्थान मिला है, उससे राष्ट्रभक्ति के मूल्य और सशक्त होंगे।

साथियों,

आज का ये आयोजन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश अपनी आजादी के 75 वर्ष, आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। ये वो समय है जब देश की आज़ादी, देश के उत्थान में योगदान देने वाले हर वीर-वीरांगना, हर सेनानी, हर महान व्यक्तित्व, उनको याद करने का ये वक्‍त है। महाराष्ट्र ने तो अनेक क्षेत्रों में देश को प्रेरित किया है। अगर हम सामाजिक क्रांतियों की बात करें तो जगतगुरू श्री संत तुकाराम महाराज से लेकर बाबा साहेब आंबेडकर तक समाज सुधारकों की एक बहुत समृद्ध विरासत है।

यहां आने से पहले मैं देहू में था जहां संत तुकाराम शिला मंदिर के लोकार्पण का सौभाग्य मुझे मिला। महाराष्ट्र में संत ज्ञानेश्वर, संत नामदेव, समर्थ रामदास, संत चोखामेला जैसे संतों ने देश को ऊर्जा दी है। अगर स्वराज्य की बात करें तो छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति सांभाजी महाराज का जीवन आज भी हर भारतीय में राष्ट्रभक्ति की भावना को और प्रबल कर देता है। जब आज़ादी की बात आती है तो महाराष्ट्र ने तो ऐसे अनगिनत वीर सेनानी दिए, जिन्होंने अपना सब कुछ आज़ादी के यज्ञ में आहूत कर दिया। आज दरबार हॉल से मुझे ये समंदर का विस्तार दिख रहा है, तो हमें स्वातंत्रय वीर विनायक दामोदर सावरकर जी की वीरता का स्मरण आता है। उन्होंने कैसे हर यातना को आज़ादी की चेतना में बदला वो हर पीढ़ी को प्रेरित करने वाला है।

साथियों,

जब हम भारत की आज़ादी की बात करते हैं, तो जाने-अनजाने उसे कुछ घटनाओं तक सीमित कर देते हैं। जबकि भारत की आजादी में अनगिनत लोगों का तप और उनकी तपस्या शामिल रही है। स्थानीय स्तर पर हुई अनेकों घटनाओं का सामूहिक प्रभाव राष्ट्रीय था। साधन अलग थे लेकिन संकल्प एक था। लोकमान्य तिलक ने अपने साधनों से, तो उन्हीं की प्रेरणा पाने वाले चापेकर बंधुओं ने अपने तरीके से आज़ादी की राह को प्रशस्त किया।

वासुदेव बलबंत फडके ने अपनी नौकरी छोड़कर सशस्त्र क्रांति का रास्ता अपनाया, तो वहीं मैडम भीखाजी कामा ने संपन्नता भरे अपने जीवन का त्याग कर आज़ादी की अलख जलाई। हमारे आज के तिरंगे की प्रेरणा का जो स्रोत है, उस झंडे की प्रेरणा मैडम कामा और श्यामजी कृष्ण वर्मा जैसे सेनानी ही थे। सामाजिक, परिवारिक, वैचारिक भूमिकाएं चाहे कोई भी रही हों, आंदोलन का स्थान चाहे देश-विदेश में कहीं भी रहा हो, लक्ष्य एक था - भारत की संपूर्ण आज़ादी।

साथियों,

आज़ादी का जो हमारा आंदोलन था, उसका स्वरूप लोकल भी था और ग्लोबल भी था। जैसे गदर पार्टी, दिल से राष्ट्रीय भी थी, लेकिन स्केल में ग्लोबल थी। श्यामजी कृष्ण वर्मा का इंडिया हाउस, लंदन में भारतीयों का जमावड़ा था, लेकिन मिशन भारत की आज़ादी था। नेता जी के नेतृत्व में आज़ाद हिंद सरकार भारतीय हितों के लिए समर्पित थी, लेकिन उसका दायरा ग्लोबल था। यही कारण है कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन ने दुनिया के अनेक देशों की आज़ादी के आंदोलनों को प्रेरित किया।

लोकल से ग्लोबल की यही भावना हमारे आत्मनिर्भर भारत अभियान की भी ताकत है। भारत के लोकल को आत्मनिर्भर अभियान से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पहचान दी जा रही है। मुझे विश्वास है, क्रांतिवीरों की गैलरी से, यहां आने वालों को राष्ट्रीय संकल्पों को सिद्ध करने की नई प्रेरणा मिलेगी, देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना बढ़ेगी।

साथियों,

बीते 7 दशकों में महाराष्ट्र ने राष्ट्र के विकास में हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुंबई तो सपनों का शहर है ही, महाराष्ट्र के ऐसे अनेक शहर हैं, जो 21वीं सदी में देश के ग्रोथ सेंटर होने वाले हैं। इसी सोच के साथ एक तरफ मुंबई के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाया जा रहा है तो साथ ही बाकी शहरों में भी आधुनिक सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं।

आज जब हम मुंबई लोकल में होते अभूतपूर्व सुधार को देखते हैं, जब अनेक शहरों में मेट्रो नेटवर्क के विस्तार को देखते हैं, जब महाराष्ट्र के कोने-कोने को आधुनिक नेशनल हाईवे से जुड़ते हुए देखते हैं, तो विकास की सकारात्मकता का एहसास होता है। हम सभी ये भी देख रहे हैं कि विकास की यात्रा में पीछे रह गए आदिवासी जिलों में भी आज विकास की नई आकांक्षा जागृत हुई है।

साथियों,

आजादी के इस अमृतकाल में हम सभी को ये सुनिश्चित करना है कि हम जो भी काम कर रहे हैं, जो भी हमारी भूमिका है, वो हमारे राष्ट्रीय संकल्पों को मजबूत करे। यही भारत के तेज़ विकास का रास्ता है। इसलिए राष्ट्र के विकास में सबका प्रयास के आह्वान को मैं फिर दोहराना चाहता हूं। हमें एक राष्ट्र के रूप में परस्पर सहयोग और सहकार की भावना के साथ आगे बढ़ना है, एक-दूसरे को बल देना है। इसी भावना के साथ एक बार फिर जलभूषण भवन का और क्रांतिवीरों की गैलरी के लिए भी मैं सबको बधाई देता हूं।

और अब देखें शायद दुनिया के लोग हमारा मजाक करेंगे कि राजभवन, 75 साल से यहां गतिविधि चल रही है लेकिन नीचे बंकर है वो सात दशक तक किसी को पता नहीं चला। यानी हम कितने उदासीन हैं, हमारी अपनी विरासत के लिए कितने उदासीन हैं। खोज-खोज कर हमारे इतिहास के पन्‍नों को समझना, देश को इस दिशा में आजादी का अमृत महोत्‍सव एक कारण बने।

मुझे याद है अभी हमने भी शामजी कृष्‍ण वर्मा के चित्र में भी देखा, आप हैरान होंगे हमने किस प्रकार से देश में निर्णय किए हैं। शामजी कृष्‍ण वर्मा को लोकमान्‍य तिल‍क जी ने चिट्ठी लिखी थी। और उनको कहा था कि मैं स्‍वातंत्रय वीर सावरकर जैसे एक होनहार नौजवान को भेज रहा हूं। उसके रहने-पढ़ने के प्रबंध में आप जरा मदद कीजिए। शामजी कृष्‍ण वर्मा वो व्‍यक्तित्‍व थे।

स्‍वामी विवेकानंद जी उनके साथ सत्‍संग जाया करते थे। और उन्‍होंने लंदन में इंडिया हाउस जो क्रांतिकारियों की एक प्रकार से तीर्थ भूमि बन गया था, और अंग्रेजों की नाक के नीचे इंडिया हाउस में क्रांतिकारियों की गतिविधि होती थी। शामजी कृष्‍ण वर्मा जी का देहावसान 1930 में हुआ। 1930 में उनका स्‍वर्गवास हुआ और उन्‍होंने इच्‍छा व्‍यक्‍त की थी कि मेरी अस्थि संभाल कर रखी जाएं और जब हिन्‍दुस्‍तान आजाद हो तो आजाद हिन्‍दुस्‍तान की उस धरती पर मेरी अस्थि ले जाई जाएं।

1930 की घटना, 100 साल होने को आए हैं, सुन करके आपके भी रोंगटे खड़े हो रहे हैं। लेकिन मेरे देश का दुर्भाग्‍य देखिए, 1930 में देश के लिए मर-मिटने वाले व्‍यक्ति, जिसकी एकमात्र इच्‍छा थी कि आजाद भारत की धरती पर मेरी अस्थि जाएं, ताकि आजादी का जो मेरा सपना है मैं नहीं मेरी अस्थि अनुभव कर लें, और कोई अपेक्षा नहीं थी। 15 अगस्‍त, 1947 के दूसरे दिन ये काम होना चाहिए था कि नहीं होना चाहिए था? नहीं हुआ। और शायद ईश्‍वर का ही कोई संकेत होगा।

2003 में, 73 साल के बाद उन अस्थियों को हिन्‍दुस्‍तान लाने का सौभाग्‍य मुझे मिला। भारत मां के एक लाल की अस्थि इंतजार करती रहीं दोस्‍तों। जिसको कंधे पर उठा करके मुझे लाने का सौभाग्‍य मिला, और यहीं मुंबई के एयरपोर्ट पर मैं ला करके उतरा था यहां। और यहां से वीरांजलि यात्रा ले करके मैं गुजरात गया था। और कच्‍छ, मांडवी उनका जन्‍म स्‍थान, वहां आज वैसा ही इंडिया हाउस बनाया है जैसा लंदन में था। और हजारों की तादाद में स्‍टूडेंट्स वहां जाते हैं, क्रांतिवीरों की इस गाथा को अनुभव करते हैं।

मुझे विश्‍वास है कि आज जो बंकर किसी को पता तक नहीं था, जिस बंकर के अंदर वो सामान रखा गया था, जो कभी हिन्‍दुस्‍तान के क्रांतिकारियों की जान लेने के लिए काम आने वाला था, उसी बंकर में आज मेरे क्रांतिकारियों का नाम, ये जज्‍बा होना चाहिए देशवासियों में जी। और तभी जा करके देश की युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है। और इसलिए राजभवन का ये प्रयास बहुत ही अभिनंदनीय है।

मैं खास करके शिक्षा विभाग के लोगों से आग्रह करूंगा कि हमारे स्‍टूडेंट्स को हम वहां तो ले जाते हैं साल में एक बार दो बार टूर करेंगे तो कोई बड़े-बड़े पिकनिक प्‍लेस पर ले जाएंगे। थोड़ी आदत बना दें, कभी अंडमान-निकोबार जा करके उस जेल को देखें जहां वीर सावरकर ने अपनी जवानी खपाई थी। कभी इस बंकर में आ करके देखें कि कैसे-कैसे वीर पुरुषों ने देश के लिए अपना जीवन खपा दिया था। अनगिनत लोगों ने इस आजादी के लिए जंग किया है। और ये देश ऐसा है हजार-बारह सौ साल की गुलामी काल में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब हिन्‍दुस्‍तान के किसी न किसी कोने में आजादी की अलख न जगी हो जी। 1200 साल तक ये एक दिमाग, ये मिजाज इस देशवासियों का है। हमें उसे जानना है, पहचानना है और उसको जीने का फिर से एक बार प्रयास करना है और हम कर सकते हैं।

साथियो,

इसलिए आज का ये अवसर मैं अनेक रूप से महत्‍वपूर्ण मानता हूं। मैं चाहता हूं ये क्षेत्र सार्थक अर्थ में देश की युवा पीढ़ी की प्रेरणा का केंद्र बने। मैं इस प्रयास के लिए सबको बधाई देते हुए आप सबका धन्‍यवाद करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।