अटल टनल भारत के बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेगी: प्रधानमंत्री मोदी
अटल टनल विश्वस्तरीय बॉर्डर कनेक्टिविटी का उदाहरण है : प्रधानमंत्री मोदी
हमारे लिए देश की रक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है: प्रधानमंत्री मोदी

देश के रक्षामंत्री श्रीमान राजनाथ सिंह जी, हिमाचल प्रदेश के मुख्‍यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे साथी हिमाचल न छोकरोअनुराग ठाकुर, हिमाचल सरकार के मंत्रीगण, अन्‍य जनप्रतिनिधिगण, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफजनरल बिपिन रावत जी, आर्मी चीफ, रक्षा मंत्रालय बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन से जुड़े सभी साथी और हिमाचल प्रदेश के मेरे भाइयो और बहनों।

आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है। आज सिर्फ अटलजी का ही सपना नहीं पूरा हुआ है, आज हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का भी दशकों पुराना इंतजार खत्‍म हुआ है।

मेरा बहुत बड़ा सौभाग्‍य है कि आज मुझे अटल टनल के लोकार्पण का अवसर मिला है। और जैसा अभी राजनाथ जी ने बताया, मैं यहां संगठन का काम देखता था, यहां के पहाड़ों, यहां की वादियों में अपना बहुत ही उत्‍तम समय बिताता था और जब अटलजी मनाली में आकर रहते थे तो अक्‍सर उनके पास बैठना, गपशप करना। और मैं और धूमल जी एक दिन चाय पीते-पीते इस विषय को बड़े आग्रह से उनके सामने रख रहे थे। और जैसा अटलजी की विशेषता थी, वो बड़े आंखें खोल करके हमें गहराई से पढ़ रहे थे कि हम क्‍या कह रहे हैं। वो मुंडी हिला देते थे कि हां भई। लेकिन आखिरकार जिस बात को लेकर मैं और धूमल जी उनसे लगे रहते थेवो सुझाव अटलजी का सपना बन गया संकल्‍प बन गया और आज हम उसे एक सिद्धि के रूप में अपनी आंखों के सामने देख रहे हैं। इससे जीवन का कितना बड़ा संतोष हो सकता है, आप कल्‍पना कर सकते हैं।

अब ये कुछ मिनट पहले हम सबने एक मूवी भी देखी और मैंने वहां एक पिक्‍चर गैलरी भी देखी- The making of Atal Tunnel. अक्‍सर लोकार्पण की चकाचौंध में वो लोग कहीं पीछे रह जाते हैं जिनके परिश्रम से ये सब संभव हुआ है। अभेद्य पीर पांजाल उसको भेदकर एक बहुत कठिन संकल्‍प को आज पूरा किया गया है। इस महायज्ञ में अपना पसीना बहाने वाले, अपनी जान जोखिम में डालने वाले मेहनतकश जवानों को, इंजीनियरों को, सभी मजदूर भाई-बहनों को आज मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियो, अटल टनल हिमाचल प्रदेश के एक बड़े हिस्‍से के साथ-साथ नए केंद्रशासित प्रदेश लेह-लद्दाख की भी लाइफ लाइन बनने वाला है। अब सही मायनों में हिमाचल प्रदेश का ये बड़ा क्षेत्र और लेह-लद्दाख देश के बाकी हिस्‍सों से हमेशा जुड़े रहेंगे, प्रगति पथ पर तेजी से आगे बढ़ेंगे।

इस टनल से मनाली और केलॉन्ग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी।पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है।

साथियो, लेह-लद्दाख के किसानों, बागवानों, युवाओं के लिए भी अब देश की राजधानी दिल्‍ली और दूसरे बाजार तक उनकी पहुंच आसान हो जाएगी। उनका जोखिम भी कम हो जाएगा। यही नहीं, ये टनल देवधरा हिमाचल और बुद्ध परम्‍परा के उस जुड़ाव को भी सशक्‍त करने वाली है जो भारत से निकलकर आज पूरी दुनिया को नई राह, नई रोशनी दिखा रही है। इसके लिए हिमाचल और लेह-लद्दाख के सभी साथियों को बहुत-बहुत बधाई।

साथियो, अटल टनल भारत के बॉर्डर infrastructure को भी नई ताकत देने वाली है। ये विश्‍वस्‍तरीय बॉर्डर connectivity का जीता-जागता प्रमाण है। हिमालय का ये हिस्‍सा हो, पश्चिम भारत में रेगिस्‍तान का विस्‍तार हो या फिर दक्षिण और पूर्वी भारत का तटीय इलाका, ये देश की सुरक्षा और समृद्धि, दोनों के बहुत बड़े संसाधन हैं। हमेशा से इन क्षेत्रों के संतुलित और सम्‍पूर्ण विकास को लेकर यहां के infrastructureको बेहतर बनाने की मांग उठती रही है।लेकिन लंबे समय तक हमारे यहां बॉर्डर से जुड़े infrastructureके प्रोजेक्ट या तो प्लानिंग की स्टेज से बाहर ही नहीं निकल पाए या जो निकले वो अटक गए, लटक गए, भटक गए। अटल टनल के साथ भी कभी-कभी तो कुछ ऐसा महसूस भी हुआ है।

साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था।अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया।हालत ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर यानी डेढ़किलोमीटर से भी कम काम हो पाया था।

एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से अटल टनल का काम उस समय हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जा करके शायद पूरी होती। आप कल्‍पना करिए, आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिवस आता, उनका सपना पूरा होता।

जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, जब देश के लोगों के विकास की प्रबल इच्छा हो, तो रफ्तार बढ़ानी ही पड़ती है।अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई। बीआरओ के सामने आने वाली हर अड़चन को हल किया गया।

नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई।सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया।

साथियो, infrastructure के इतने अहम और बड़े प्रोजेक्‍ट के निर्माण में देरी से देश का हर तरह से नुकसान होता है। इससे लोगों को सुविधा मिलने में तो देरी होती ही है, इसका खामियाजा देश को आर्थिक स्‍तर पर उठाना पड़ता है।

साल 2005 में ये आकलन किया गया था, ये टनल लगभग साढ़े नौ सो करोड़ रूपए में तैयार हो जाएगी लेकिन लगातार होती देरी के कारण आज ये तीन गुना से भी ज्‍यादा यानी करीब-करीब 3200 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने के बाद पूरी हो पाई है। कल्‍पना कीजिए कि अगर 20 साल और लग जाते तब क्‍या स्थिति होती।

साथियो, connectivity का देश के विकास से सीधा संबंध होता है। ज्‍यादा से ज्‍यादा connectivity यानी उतना ही तेज विकास। खासकर बॉर्डर एरिया में तो connectivity सीधे-सीधे देश की रक्षा जरूरतों से जुड़ी होती है। लेकिन इस लेकर जिस तरह की गंभीरता थीऔर उसकी गंभीरता की आवश्‍यकता थी, जिस तरह की राजनीतिक इच्‍छाशक्ति की जरूरत थी, दुर्भाग्‍य से वैसी नहीं दिखाई गई।

अटल टनल की तरह ही अनेक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया।लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप 40-50 साल तक बंद रही।क्या मजबूरी थी, क्या दबाव था, मैं इसके विस्तार में जाना जाना चाहता। इसके बारे में बहुत कुछ कहा जा चुका है बहुत कुछ लिखा जा चुका है। लेकिन सच्‍चाई यही है कि दौलत बेग ओल्डी की एयर स्ट्रिप वायुसेना के अपने इरादों की वजह से शुरू हो पाई, उसमें राजनीतिक इच्‍छाशक्ति कहीं नजर नहीं आई।

साथियो, मैं ऐसे दर्जनों प्रोजेक्‍ट गिना सकता हूं जो सामरिक दृष्टि से और सुविधा की दृष्टि से भले ही कितने भी महत्‍वपूर्ण रहे हों, लेकिन वर्षों तक नजरअंदाज किए गए।

मुझे याद है मैं करीब दो साल पहले अटलजी के जन्‍म दिन के अवसर पर असम में था। वहां पर भारत के सबसे लंबे रेल रोड ब्रिज ‘बॉगीबील पुल’को देश को समर्पित करने का अवसर मुझे मिला था। ये पुल आज नॉ‍र्थ-ईस्‍ट और अरुणाचल प्रदेश से connectivity का बहुत बड़ा माध्‍यम है। बॉगीबील ब्रिज पर भी अटलजी की सरकार के समय ही काम शुरू हुआ था, लेकिन उनकी सरकार जाने के बाद फिर इस पुल का काम सुस्‍त हो गया। साल 2014 के बाद भी इस काम ने भी गति पकड़ी और चार साल के भीतर-भीतर इस पुल का काम पूरा कर दिया गया।

अटल जी के साथ ही एक और पुल का नाम जुड़ा है- कोसी महासेतु का।बिहार में मिथिलांचल के दो हिस्सों को जोड़ने वाले कोसी महासेतु का शिलान्यास भी अटल जी ने ही किया था।लेकिन इसका काम भी उलझा रहा, अटका रहा।

2014 में हमें सरकार में आने के बाद कोसी महासेतु का काम भी हमने तेज करवाया।अब से कुछ दिन पहले ही कोसी महासेतु का भी लोकार्पण किया जा चुका है।

साथियों, देश के करीब-करीब हर हिस्से में connectivity के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स का यही हाल रहा है।लेकिन अब ये स्थिति बदल रही है और बहुत तेजी के साथ बदल रही है।बीते 6 वर्षों में इस दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किया गया है।विशेष रूप से Border Infrastructure के विकास के लिए पूरी ताकत लगा दी गई है।

हिमालय क्षेत्र में, चाहे वो हिमाचल हो, जम्मू कश्मीर हो, कारगिल-लेह-लद्दाख हो, उत्तराखंड हो, सिक्किम हो, अरुणाचल प्रदेश हो, दर्जनों प्रोजेक्ट पूरे किए जा चुके हैं और अनेकों प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम चल रहा है।सड़क बनाने का काम हो, पुल बनाने का काम हो, सुरंग बनाने का काम हो, इतने बड़े स्तर पर देश में इन क्षेत्रों में पहले कभी काम नहीं हुआ।

इसका बहुत बड़ा लाभ सामान्य जनों के साथ ही हमारे फौजी भाई-बहनों को भी हो रहा है।सर्दी के मौसम में उन तक रसद पहुंचाना हो, उनकी रक्षा से जुड़ा साजो-सामान हो, वो आसानी से पेट्रोलिंग कर सकें, इसके लिए सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है।

साथियों, देश की रक्षा जरूरतों, देश की रक्षा करने वालों की जरूरतों का ध्यान रखना, उनके हितों का ध्यान रखना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।

हिमाचल प्रदेश के हमारे भाई-बहनों को आज भी याद है कि वन रैंक वन पेंशन को लेकर पहले की सरकारों का क्या बर्ताव था।चार दशकों तक हमारे पूर्व फौजी भाइयों को सिर्फ वायदे ही किए गए।कागजों में सिर्फ 500 करोड़ रुपए दिखाकर ये लोग कहते थे कि वन रैंक वन पेंशन लागू करेंगे।लेकिन किया फिर भी नहीं।आज वन रैंक-वन पेंशन का लाभ देश के लाखों पूर्व फौजियों को मिल रहा है।सिर्फ एरियर के तौर पर ही केंद्र सरकार ने लगभग 11 हजार करोड़ रुपए पूर्व फौजियों को दिए हैं।

हिमाचल प्रदेश के भी करीब-करीब एक लाख फौजी साथियों को इसका लाभ मिला है।हमारी सरकार के फैसले साक्षी हैं कि हमने जो फैसले किए वो हम लागू करके दिखाते हैं। देश हित से बड़ा, देश की रक्षा से बड़ा हमारे लिए और कुछ नहीं। लेकिन देश ने लंबे समय तक वो दौर भी देखा है जब देश के रक्षा हितों के साथ समझौता किया गया।देश की वायुसेना आधुनिक फाइटर प्लेन मांगती रही। वो लोग फाइल पर फाइल, फाइल पर फाइल, कभी फाइल खोलते थे, कभी फाइल से खेलते थे।

गोला बारूद हो, आधुनिक रायफलें हों, बुलेटप्रूफ जैकेट्स हों, कड़ाके की ठंड में काम आने वाले उपकरण और अन्य सामान हों, सब कुछ ताक पर रख दिया गया था।एक समय था जब हमारी ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों की ताकत, अच्छे अच्छों के होश उड़ा देती थी।लेकिन देश की आर्डिनेंस फैक्ट्रियों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया।

देश में स्वदेशी लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों के लिए HAL जैसी विश्वस्तरीय संस्था बनाई गई, लेकिन उसे भी मजबूत करने पर उतना ध्यान नहीं दिया गया।बरसों तक सत्ता में बैठे लोगों के स्वार्थ ने हमारी सैन्य क्षमताओं को मजबूत होने से रोका है, उसका नुकसान किया है।

जिस तेजस लड़ाकू विमान पर आज देश को गर्व है, उसे भी इन लोगों ने डिब्बे में बंद करने की तैयारी कर ली थी।ये थी इन लोगों की सच्चाई, ये है इन लोगों की सच्चाई।

साथियों, अब आज देश में ये स्थिति बदल रही है।देश में ही आधुनिक अस्त्र-शस्त्र बने, Make In India हथियार बनें, इसके लिए बड़े reforms किए गए हैं। लंबे इंतज़ार के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की व्यवस्था अब हमारे सिस्टम का हिस्सा है।

इससे देश की सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार Procurement और Production दोनों में बेहतर समन्वय स्थापित हुआ है।अब अनेक ऐसे साजो-सामान हैं, जिनको विदेश से मंगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।वो सामान अब सिर्फ भारत के उद्योगों से ही खरीदना ज़रूरी कर दिया गया है।

साथियों,भारत में डिफेंस इंडस्ट्री में विदेशी निवेश और विदेशी तकनीक आ सके इसके लिए अब भारतीय संस्थानों को अनेक प्रकार के प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।जैसे-जैसे भारत की वैश्विक भूमिका बदल रही है, हमें उसी तेज़ी से, उसी रफ्तार से अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को, अपने आर्थिक और सामरिक सामर्थ्य को भी बढ़ाना है।

आत्मनिर्भर भारत का आत्मविश्वास आज जनमानस की सोच का हिस्सा बन चुका है।अटल टनल इसी आत्मविश्वास का प्रतीक है।

एक बार फिर मैं आप सभी को, हिमाचल प्रदेश को और लेह-लद्दाख के लाखों साथियों को बहुत-बहुत बधाई और बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

हिमाचल पर मेरा कितना अधिकार है ये तो मैं नहीं कह सकता हूं लेकिन हिमाचल का मुझ पर बहुत अधिकार है। आज के इस कार्यक्रम में समय बहुत कम होने के बावजूद भी हमारे हिमाचल के प्‍यार ने मुझ पर इतना दबाव डाल दिया, तीन कार्यक्रम बना दिए। इसके बाद मुझे और दो कार्यक्रम में बहुत ही कम समय में बोलना है। और इसलिए मैं यहां विस्‍तार से न बोलते हुए कुछ बातें दो और कार्यक्रम में भी बोलने वाला हूं।

लेकिन कुछ सुझाव मैं यहां जरूर देना चाहता हूं। मेरे ये सुझाव भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के लिए भी हैं, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के लिए भी हैं और BRO के लिए स्‍पेशल भी हैं- एक ये टनल का काम अपने-आप में इंजीनियरिंग की दृष्टि से, वर्क कल्‍चर की दृष्टि से यूनिक है। पिछले इतने वर्षों में जबसे इसका डिजाइनिंग का काम शुरू हुआ, कागज पर लिखना शुरू हुआ; तब से लेकर अब तक। अगर 1000-1500 जगहें ऐसी छांटें, मजदूर भी हो सकता है और टॉप व्‍यक्ति भी हो सकते हैं। उसने जो काम किया है, उसका अपना जो अनुभव है उसको वो अपनी भाषा में लिखें। एक 1500 लोग पूरी कोशिश को अगर लिखेंगे, कब क्‍या हुआ, कैसे हुआ, एक ऐसा documentation होगा जिसमें human touch होगा। जब हो रहा था तब वो क्‍या सोचता था कभी तकलीफ आई तो उसको क्‍या लगा। एक अच्‍छा documentation, मैं academic documentation नहीं कह रहा, ये वो documentationहै जिसमें human touch है। जिसमें मजदूर काम करता होगा, कुछ दिन खाना नहीं पहुंचा होगा, कैसे काम किया होगा, उस बात का भी बड़ा महत्‍व होता है। कभी कोई सामान पहुंचने वाला होगा, बर्फ के कारण पहुंचा नहीं होगा, कैसे काम किया होगा।

कभी कोई इंजीनियर चैलेंज आयाहोगा, कैसे किया होगा। मैं चाहूंगा कि कम से कम 1500 लोग, हर स्‍तर पर काम करने वाले 5 पेज, 6 पेज, 10 पेज, अपना अनुभव लिखें। किसी एक व्‍यक्ति को जिम्‍मेदारी दीजिए फिर उसको थोड़ा ठीकठाक करके लेंगवेज बेहतरकरके documentation करा दीजिए और छापने की जरूरत नहीं है डिजिटल ही बना देंगे तो भी चलेगा।

दूसरा मेरा शिक्षा मंत्रालय से आग्रह है कि हमारे देश में जितने भी technical और इंजीनियरिंग से जुड़ी Universities हैं उन Universities के बच्‍चों को केस स्‍टडी का काम दिया जाए। और हर वर्ष एक-एक University से आठ-दस बच्‍चों का बैच यहां आए, केस स्‍टडी की कैसे कल्‍पना हुई, कैसे बना, कैसे चुनौतियां आईं, कैसे रास्‍ते निकाले और दुनिया में सबसे ऊंची और सबसे लंबी जगह पर विश्‍व में नाम कमाने वाली इस टनल की Engineering knowledge हमारे देश के students को होनी ही चाहिए।

इतना ही नहीं, Globally भी मैं चाहूंगा MEA के लोग कुछ Universities को invite करें। वहां की Universities यहां केस स्‍टडी के लिए आएं। Project पर स्‍टडी करें। दुनिया के अंदर हमारी इस ताकत की पहचान होनी चाहिए। विश्‍व को हमारी ताकत का परिचय होना चाहिए। सीमित संसाधनों के बाद भी कैसे अद्भुत काम वर्तमान पीढ़ी के हमारे जवान कर सकते हैं इसका ज्ञान दुनिया को होना चाहिए।

और इसलिए मैं चाहूंगा कि रक्षा मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, MEA, BRO, सब मिल करके एक प्रकार से लगातार ये एजुकेशन का हिस्‍सा बन जाए, टनल काम का। हमारी एक पूरी नई पीढ़ी इससे तैयार हो जाएगी तो Tunnel Infrastructure बनेगा लेकिन मनुष्‍य निर्माण भी एक बहुत बड़ा काम होता है। हमारे उत्‍तम इंजीनियर बनाने का काम भी ये टनल कर सकती है और उस दिशा में भी हम काम करें।

मैं फिर एक बार आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं। और मैं उन जवानों का अभिनंदन करता हूं जिन्‍होंने इस काम को बखूबी निभाया है, बखू‍बी पूरा किया है और देश काम मान बढ़ाया है।

बहुत-बहुत धन्यवाद !!!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।