भारत को हम एक ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रयासरत हैं: प्रधानमंत्री मोदी
नई शिक्षा नीति में हमारे सही मायने में बिना दबाव के, बिना अभाव और बिना प्रभाव के सीखने के लोकतांत्रिक मूल्यों को हमारी शिक्षा व्वयस्था का हिस्सा बनाया गया है: पीएम मोदी
नई शिक्षा नीति, स्टडींग के बजाय लर्निंग पर फोकस करती है: प्रधानमंत्री

नमस्कार!

आदरणीय राष्ट्रपति जी, मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी रमेश पोखरियाल निशंक जी, संजय धोत्रे जी, इस सम्मलेन में भाग ले रहे सभी माननीय राज्यपाल, उप राज्यपाल, राज्यों के शिक्षामंत्री, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को आकार देने में मुख्य भूमिका निभाने वाले डॉक्टर कस्तूरीरंगन जी और उनकी टीम, अलग-अलग विश्विद्यालय के कुलपति, शिक्षाविद, देवियों और सज्जनों!

सर्वप्रथम, मैं माननीय राष्ट्रपति जी का आभार व्यक्त करता हूं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में, ये आयोजन बहुत ही प्रासंगिक है, बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षा जगत का सैकड़ों वर्षों का अनुभव, एक साथ यहां एकत्रित है। मैं सभी का स्वागत करता हूं, अभिनंदन करता हूं।

मान्‍यवर,

देश की aspirations को पूरा करने का बहुत महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था होती है। शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं। लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव, कम से कम होना चाहिए। शिक्षा नीति से जितना शिक्षक जुड़े होंगे, अभिभावक जुड़े होंगे, छात्र-छात्राएं जुड़े होंगे, उतना ही उसकी प्रासंगिकता और व्यापकता, दोनों ही बढ़ती है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चार-पांच साल पहले काम शुरू हुआ था। देश के लाखों-लाख लोगों ने, शहर में रहने वाले लोगों ने, गांव में रहने वाले लोगों ने, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े अनुभवी लोगों ने, इसके लिए अपना फीडबैक दिया था, अपने सुझाव दिए थे। शिक्षा नीति का जो ड्राफ्ट तैयार हुआ था, उसके अलग-अलग प्वाइंट्स पर भी 2 लाख से अधिक लोगों ने अपने सुझाव दिए थे। यानि अभिभावक, छात्र- छात्राएं, शिक्षाविद, शिक्षक, शिक्षा प्रबंधक, प्रोफेशनल्स, सभी ने इसके निर्माण में अपना योगदान दिया है। इतना गहरा, इतना व्‍यापक, इतना विविधताओं से भरा हुआ मंथन के बाद अब ये जो अमृत निकला है, इसलिए ही अब हर ओर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वागत हो रहा है।

गांव में कोई शिक्षक हो या फिर बड़े-बड़े शिक्षाविद, सबको राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अपनी शिक्षा शिक्षा नीति लग रही है। सभी के मन में एक भावना है कि पहले की शिक्षा नीति में यही सुधार तो मैं होते हुए देखना चाहता था। ये एक बहुत बड़ी वजह है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्वीकारता की, acceptance का मूल कारण यही है।

शिक्षा नीति क्या हो, कैसी हो, उसका स्वरूप क्या हो, ये तय करने के बाद अब देश एक Step और आगे बढ़ा है। अब पूरे देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर, उसके implementation को लेकर व्यापक विचार-विमर्श हो रहा है, संवाद हो रहा है। ये व्यापक विमर्श इसलिए ज़रूरी है क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-National Education Policy, सिर्फ पढ़ाई-लिखाई के तौर-तरीकों में ही बदलाव लाने के लिए नहीं है। ये पॉलिसी 21वीं सदी के भारत के सामाजिक और आर्थिक जीवन को नई दिशा देने वाली है।

ये पॉलिसी आत्मनिर्भर भारत के संकल्प और सामर्थ्य को आकार देने वाली है। ज़ाहिर है, इस बड़े संकल्प के लिए हमारी तैयारियां, हमारी जागरूकता भी उतनी ही बड़ी होनी चाहिए। आप में से अधिकांश महानुभाव, राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बारीकियों का अध्य्यन कर चुके हैं। लेकिन इतने बड़े रीफॉर्म की बारीकियों, उसके लक्ष्य पर निरंतर बात करना अभी उतना ही आवश्यक है। सारे संदेहों और सवालों को सुलझाते हुए ही देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सफलतापूर्वक लागू कर पाएगा।

मान्‍यवर,

आज दुनिया भविष्य में तेजी से बदलते jobs, nature of work को लेकर व्‍यापक रूप से चर्चा कर रही है। ये पॉलिसी देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक knowledge और skills, दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी। नई शिक्षा नीति, study के बजाय learning पर फोकस करती है और curriculum से और आगे बढ़कर critical thinking पर ज़ोर देती है। इस पॉलिसी में process से ज्यादा passion, practicality और performance पर बल दिया गया है। इसमें foundational learning और languages पर भी फोकस है। इसमें learning outcomes और teacher training पर भी फोकस है। इसमें access और assessment को लेकर भी व्यापक रिफॉर्म्स किए गए हैं। इसमें हर student को empower करने का रास्ता दिखाया गया है।

एक तरह से देखें तो ये one size fits all की approach से हमारी शिक्षा व्यवस्था को बाहर निकालने का एक मजबूत प्रयास है। और आप सभी, जो दिग्गज भी ये महसूस करते हैं कि ये प्रयास, असामान्‍य है, सामान्य नहीं है। बीते दशकों से हमारे education system में जो भी कमियां हमें दिखती थीं, जो भी समस्याएं हमको लगती थीं, उनको दूर करने के लिए विस्तार से इस पॉलिसी में चर्चा की गई है। अब जैसे, लंबे समय से ये बातें उठती रही हैं कि हमारे बच्चे बैग और बोर्ड एग्ज़ाम के बोझ तले, परिवार और समाज के दबाव तले दिनोंदिन दबे जा रहे हैं। इस पॉलिसी में इस समस्या को प्रभावी तरीके से address किया गया है। हमारे यहां तो कहा भी जाता है कि, सा विद्या या विमुक्तये। यानि knowledge वही है जो हमारे mind को liberate करे।

जब foundational stage पर ही बच्चों को उनके कल्चर, भाषा, परंपरा से जोड़ा जाएगा तो शिक्षा अपने-आप ही प्रभावी होगी, सहज होगी और बालमन उससे खुद को जुड़ा हुआ पाएगा। National Education Policy में हमारे सही मायने में बिना दबाव के, बिना अभाव के और बिना प्रभाव के सीखने के लोकतांत्रिक मूल्यों को हमारी शिक्षा व्‍यवस्‍था का हिस्सा बनाया गया है। जैसे streams को लेकर जो बच्चों पर दबाव रहता था, वो अब हटा दिया गया है।

अब हमारे युवा अपने Interest, अपने aptitude के हिसाब से पढ़ाई कर सकेंगे। वरना पहले होता ये था कि दबाव के कारण विद्यार्थी अपनी क्षमता के बाहर की कोई और ही स्ट्रीम चुन लेते थे और जब तक उनको realize होता था तब तक बहुत देर हो जाती थी। परिणाम ये होता था कि या तो विद्यार्थी थक हारकर ड्रॉप कर लेता था या फिर जैसे-तैसे वो डिग्री पूरी करता था। इससे किस प्रकार की समस्याएं हमारे देश में पैदा होती रही हैं, ये कितनी समस्याओं की जड़ है, मैं समझता हूं मुझसे ज्‍यादा आप लोग जानते हैं, भलीभांति जानते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में, ऐसी समस्याओं का समाधान तो है ही, academic bank of credit से भी छात्रों को बहुत लाभ होगा।

मान्‍यवर,

आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए युवाओं का skillful होना बहुत ही ज़रूरी है। छोटी उम्र से ही vocational exposure मिलने से हमारा youth भविष्य के लिए बेहतर तरीके से तैयार होगा। practical learning से हमारे युवा साथियों की employability देश में तो बढ़ेगी ही, global Job market में भी हमारी हिस्सेदारी ज्यादा होगी। हमारे यहां कहा गया है कि- आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः। यानि अच्छे विचार जिस दिशा से भी आएं उनको ग्रहण करना चाहिए। भारत तो प्राचीन काल से knowledge का एक global center रहा है। 21वीं सदी में भी भारत को हम एक knowledge economy बनाने के लिए प्रयासरत हैं। नई शिक्षा नीति इस संकल्प को सिद्ध करने की दिशा में बड़ा कदम है।

नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति ने brain drain को tackle करने के लिए और सामान्य से सामान्य परिवारों के युवाओं के लिए भी best international institutions के campus भारत में स्थापित करने का रास्ता खोला है। जब देश में ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर के top campus आएंगे तो पढ़ाई के लिए बाहर जाने की प्रवृत्ति भी कम होगी और हमारे अपने यूनिवर्सिटी, कॉलेज भी ज्यादा competitive हो पाएंगे। इसका एक और पहलू online education भी है, जिससे पढ़ाई-लिखाई के लिए local हो या international, हर प्रकार की सीमाएं समाप्त हो जाती हैं।

माननीय,

जब किसी भी सिस्टम में इतने व्यापक बदलाव होते हैं, जब एक नई व्यवस्था बनाने की तरफ हम बढ़ते हैं, तो कुछ शंकाएं-आशंकाएं स्वाभाविक ही हैं। माता-पिता को लगता होगा कि अगर इतनी आज़ादी बच्चों को मिलेगी, अगर stream खत्म हो जाएंगी तो आगे कॉलेज में उनको दाखिला कैसे मिलेगा, उनके बच्चों को करियर का क्या होगा? प्रोफेसर्स, टीचर्स के मन में सवाल होंगे कि वो खुद को इस बदलाव के लिए तैयार कैसे कर पाएंगे? इस प्रकार का पाठयक्रम कैसे मैनेज हो पाएगा?

आप सभी के पास भी अनेक सवाल होंगे, जिन पर आप चर्चा भी कर रहे हैं। ये सवाल implementation से जुड़े ज्यादा हैं। जैसे इसमें curriculum design कैसे हो पाएगा? स्थानीय भाषाओं में syllabus और content कैसे तैयार हो पाएगा? libraries को लेकर, डिजिटल और ऑनलाइन कंटेंट और पढ़ाई को लेकर जो बातें इसमें रखी गई हैं, उन पर कैसे काम होगा? कहीं साधन-संसाधन के अभाव में हम अपने लक्ष्यों से चूक तो नहीं जांएगे? administration को लेकर भी अनेक प्रकार के सवाल आप सभी के मन में स्वभाविक रूप से होंगे। ये सभी सवाल महत्वपूर्ण भी हैं।

हर सवाल के समाधान के लिए हम सब मिलकर काम कर रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय की तरफ से भी लगातार संवाद जारी है। राज्यों में भी हर स्टेकहोल्डर की पूरी बात, हर राय को, फीडबैक को, खुले मन से सुना जा रहा है। आखिर हम सभी को मिलकर ही तो तमाम शंकाओं और आशंकाओं का समाधान करना है। जिस प्रकार की flexibility का विजन लेकर ये policy आई है, उसी प्रकार maximum flexibility हम सभी को भी Implementation को लेकर भी दिखानी होगी।

ये शिक्षा नीति, सरकार की शिक्षा नीति नहीं है। ये देश की शिक्षा नीति है। जैसे विदेश नीति किसी सरकार की नहीं, देश की विदेश नीति होती है, रक्षा नीति किसी सरकार की नहीं, देश की रक्षा नीति होती है, वैसे ही शिक्षा नीति भी कौन सरकार है, किसकी सरकार है, कौन बैठा है, कौन नहीं बैठा है, उसके आधार पर नहीं चलती है, शिक्षा नीति देश की ही नीति है। और इसलिए 30 साल के बाद, इसमें कई सरकारें आईं क्‍योंकि ये सरकारों के बंधनों में बंधी हुई नहीं है, ये देश के aspiration से जुड़ी हुई है।

माननीय,

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तेजी से बदलते हुए समय को देखते हुए, भविष्य को ध्यान में रखते हुए व्यापक प्रावधान किए गए हैं। जैसे-जैसे टेक्‍नोलॉजी का विस्तार गांव-गांव तक हो रहा है, देश के गरीब से गरीब को, हर वंचित, पिछड़े, आदिवासी तक आधुनिक टेक्‍नोलॉजी पहुंचती जा रही है, वैसे-वैसे information और knowledge तक उसका access भी बढ़ रहा है।

आज मैं देखता हूं कि video blogs के माध्यम से, video streaming sites पर अनेक युवा साथी ऐसे-ऐसे चैनल्स चला रहे हैं, हर विषय की ऐसी बेहतरीन कोचिंग उपलब्ध करा रहे हैं, जिसके बारे में पहले गरीब घर का बालक या बालिका सोच भी नहीं सकते थे। टेक्‍नोलॉजी तक होने वाली इस पहुंच से क्षेत्रीय और सामाजिक असंतुलन की एक बहुत बड़ी समस्या तेज़ी से कम होती जा रही है। हमारी जिम्मेदारी ये है कि हम हर यूनिवर्सिटी, हर कॉलेज में technological solutions को ज्यादा promote करें।

मान्‍यवर,

कोई भी system, उतना ही effective और inclusive हो सकता है, जितना बेहतर उसका गवर्नेंस मॉडल होता है। यही सोच education से जुड़ी गवर्नेंस को लेकर भी ये पॉलिसी रिफ्लेक्ट करती है। कोशिश ये की जा रही है कि higher education के हर पहलू, चाहे वो academic हो, technical हो, vocational हो, हर प्रकार की शिक्षा को silos से बाहर निकाला जाए। administrative layers को कम से कम रखा जाए, उनमें अधिक समन्वय हो, ये प्रयास भी इस पॉलिसी के माध्यम से किया गया है। higher education के regulation को भी इस पॉलिसी के जरिए, और simplify, और streamline किया जाएगा।

graded autonomy के concept के पीछे भी कोशिश यही है कि हर कॉलेज, हर यूनिवर्सिटी के बीच healthy competition को encourage किया जाए और जो संस्थान बेहतर perform करते हैं उनको Reward किया जाए। अब हम सभी का ये सामूहिक दायित्व है कि National Education Policy (NEP-2020) की इस भावना को हम letter and spirit में लागू कर सकें। मेरा आप सभी से विशेष आग्रह है कि 25 सितंबर से पहले अपने राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों की universities में ज्यादा से ज्यादा इस प्रकार के virtual conference आयोजित किए जाएं। प्रयास यही है कि National Education Policy को लेकर समझ निरंतर हम समझते चलें, हमारी समझ बेहतर हो सके, इसके लिए प्रयास हो। एक बार फिर आप सभी को अपना समय निकालने के लिए बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

मैं आदरणीय राष्ट्रपति जी का पुन: आभार व्यक्त करता हूं। आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद !!!

 

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait

Media Coverage

Snacks, Laughter And More, PM Modi's Candid Moments With Indian Workers In Kuwait
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।