शिक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योजनाओं का शुभारम्भ किया
आजादी का अमृत महोत्सव के तहत शुरू किये गए कार्यक्रम शिक्षा क्षेत्र में क्रांति की शुरुआत करेंगे और भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करेंगे: पीएम
हम परिवर्तन के दौर में हैं, सौभाग्य से हमारे पास आधुनिक और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति है: पीएम
जनभागीदारी फिर से भारत की राष्ट्रीय विशेषता बनती जा रही है: पीएम
प्रधानमंत्री के अनुरोध के अनुरूप, प्रत्येक ओलंपिक और पैरालंपिक खिलाड़ी 75 स्कूलों का दौरा करेंगे
शिक्षा के क्षेत्र में नए बदलाव न केवल नीति-आधारित हैं, बल्कि भागीदारी-आधारित भी हैं: पीएम
देश के संकल्प,'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के साथ 'सबका प्रयास'के लिए,विद्यांजलि 2.0एक मंच की तरह है: पीएम
एन-डिअर सभी शैक्षणिक गतिविधियों के बीच एक सुपर कनेक्ट के रूप में कार्य करेगा: पीएम
निष्ठा 3.0 योग्यता आधारित शिक्षण, कला एकीकरण और रचनात्मक तथा आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करेगी: पीएम

नमस्कार !

शिक्षक पर्व के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में हमारे साथ जुड़ रहे कैबिनेट में मेरे सहयोगी श्री धर्मेंद्र प्रधान जी, श्रीमती अन्नपूर्णा देवी जी ,डॉ. सुभास सरकार जी, डॉ. राजकुमार रंजन सिंह जी, देश के अलग-अलग राज्यों के माननीय शिक्षा मंत्री गण, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप को तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष डॉ. कस्तूरी रंगन जी, उनकी टीम के सभी माननीय सम्मानित सदस्यगण, पूरे देश से हमारे साथ मौजूद सभी विद्वान प्राचार्यगण, शिक्षकगण और प्यारे विद्यार्थियों!

मैं सबसे पहले, राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले हमारे शिक्षकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। आप सभी ने कठिन समय में देश में शिक्षा के लिए, विद्यार्थियों के भविष्य के लिए जो एक निष्‍ठ प्रयास किया है, योगदान दिया है, वो अतुलनीय है, सराहनीय है। इस कार्यक्रम में हमारे जो विद्यार्थी उपस्थित हैं, मैं उनके भी चेहरे स्क्रीन पर देख रहा हूँ। डेढ़-दो सालों में पहली बार ये अलग सी चमक आपके चेहरों पर दिख रही है। ये चमक संभवत: स्कूल्स खुलने की लगती है। लंबे समय बाद स्कूल जाना, दोस्तों से मिलना, क्लास में पढ़ाई करना, इसका आनंद ही कुछ और होता है। लेकिन उत्साह के साथ-साथ कोरोना नियमों का पालन भी हम सबको, आपको भी पूरी कड़ाई से करना है।

साथियों,

आज शिक्षक पर्व के अवसर पर अनेक नई योजनाओं का प्रारंभ हुआ है। और अभी हमने एक छोटी सी फिल्‍म के द्वारा इन सभी योजनाओं के विषय में जानकारी प्राप्‍त की। ये initiative इसलिए भी अहम है क्योंकि देश अभी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आज़ादी के 100 वर्ष होने पर भारत कैसा होगा, इसके लिए आज भारत नए संकल्प ले रहा है।आज जो योजनाएं शुरू हुई हैं, वो भविष्य के भारत को आकार देने में अहम भूमिका निभाएंगी। आज विद्यांजलि-2.0, निष्ठा-3.0, talking books और UDL based ISL-Dictionary जैसे नए प्रोग्राम्स और व्यवस्थाएं launch की गई हैं। School Quality Assessment and Assurance Framework, यानी S.Q.A.A.F जैसी आधुनिक शुरुआत भी हुई है, मुझे पूरा भरोसा है कि ये न केवल हमारे education system को globally competitive बनाएँगी, बल्कि हमारे युवाओं को भी future ready बनाने में बहुत मदद करेंगी।

साथियों,

इस कोरोनाकाल में आप सभी दिखा चुके हैं कि हमारी शिक्षा व्यवस्था का सामर्थ्य कितना ज्यादा है। चुनौतियाँ अनेक थीं, लेकिन आप सभी ने उन चुनौतियों का तेजी से समाधान भी किया। ऑनलाइन क्लासेस, ग्रुप वीडियो कॉल, ऑनलाइन प्रोजेक्ट्स, ऑनलाइन एक्जाम्स, पहले ऐसे शब्द भी बहुत लोगों ने सुने ही नहीं थे। लेकिन हमारे टीचर्स ने, पैरेंट्स ने, हमारे युवाओं ने इन्हें सहजता से दैनिक जीवन का हिस्सा बना दिया!

साथियों,

अब समय है कि हम अपनी इन क्षमताओं को आगे बढ़ाएँ। हमने इस मुश्किल समय में जो कुछ सीखा है उसे एक नई दिशा दें। सौभाग्य से, आज एक ओर देश के पास बदलाव का वातावरण है तो साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी आधुनिक और futuristic policy भी है। इसीलिए, पिछले कुछ समय से देश लगातार education sector में एक के बाद एक नए निर्णय ले रहा है, एक transformation होते देख रहा है। और इसके पीछे जो सबसे बड़ी शक्ति है, उस ओर मैं आप सभी विद्वानों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। ये अभियान केवल policy based नहीं है, बल्कि participation based है। NEP के formulation से लेकर implementation तक, हर स्तर पर academicians का, experts का, teachers का, सबका योगदान रहा है। आप सभी इसके लिए प्रशंसा के पात्र हैं। अब हमें इस भागीदारी को एक नए स्तर तक लेकर जाना है, हमें इसमें समाज को भी जोड़ना है।

साथियों,

हमारे यहां कहा गया है-

व्यये कृते वर्धते एव नित्यम् विद्याधनम् सर्वधन प्रधानम् ॥

अर्थात्, विद्या सभी संपदाओं में, सभी संपत्तियों में सबसे बड़ी संपत्ति है। क्योंकि विद्या ही ऐसा धन है जो दूसरों को देने से, दान करने से बढ़ती है। विद्या का दान, शिक्षा देने वाले के जीवन में भी बहुत बड़ा परिवर्तन लाता है। इस कार्यक्रम में जुड़े आप सभी शिक्षकों ने भी हृदय से ये महसूस किया होगा। किसी को कुछ नया सिखा देने का जो सुख और संतोष होता है, वो अलग ही होता है। 'विद्यांजलि 2.0, इसी पुरातन परंपरा को अब एक नए कलेवर में मजबूत करेगी। देश ने 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के साथ 'सबका प्रयास' का जो संकल्प लिया है, 'विद्यांजलि 2.0' उसके लिए एक बहुत ही जीवन्‍त platform की तरह है। Vibrant Platform की तरह है। इसमें हमारे समाज को, हमारे प्राइवेट सेक्टर को आगे आना है और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में अपना योगदान देना है।

साथियों,

अनादि काल से भारत में समाज की सामूहिक शक्ति पर भरोसा किया गया है। ये अरसे तक हमारी सामाजिक परंपरा का हिस्सा रहा है। जब समाज मिलकर कुछ करता है, तो इच्छित परिणाम अवश्य मिलते हैं। और आपने ये देखा होगा, और देखा है कि बीते कुछ वर्षों में जन-भागीदारी अब फिर भारत का नेशनल कैरेक्टर बनता जा रहा है। पिछले 6-7 वर्षों में जन-भागीदारी की ताकत से भारत में ऐसे-ऐसे कार्य हुए हैं, जिनकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। चाहे स्वच्छता आंदोलन हो, Give it Up की स्पिरिट से हर गरीब के घर में गैस का कनेक्शन पहुंचाना हो, गरीबों को डिजिटल लेन-देन सिखाना हो, हर क्षेत्र में भारत की प्रगति ने, जन-भागीदारी से ऊर्जा पाई है। अब 'विद्यांजलि' भी इसी कड़ी में एक सुनहरा अध्याय बनने जा रही है। 'विद्यांजलि' देश के हर नागरिक के लिए आह्वान है कि वो इसमें भागीदार बने, देश के भविष्य को गढ़ने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाए! दो कदम आगे आएं। आप एक इंजीनियर हो सकते हैं, एक डॉक्टर हो सकते हैं, एक रिसर्च साइंटिस्ट हो सकते हैं, आप कहीं IAS ऑफिसर बनकर के कहीं कलैक्‍टर के रूप में कहीं काम करते हों। फिर भी आप किसी स्कूल में जाकर बच्चों को कितना कुछ सिखा सकते हैं!

आपके जरिए उन बच्चों को जो सीखने को मिलेगा, उससे उनके सपनों को नई दिशा मिल सकती है। आप और हम ऐसे कितने ही लोगों के बारे में जानते हैं, जो ऐसा कर भी रहे हैं। कोई बैंक का रिटायर्ड मैनेजर है लेकिन उत्तराखंड में दूर-दराज पहाड़ी क्षेत्रों के स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहा है निवृत्‍ति के बाद।कोई मेडिकल फील्ड से जुड़ा है लेकिन गरीब बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस दे रहा है, उनके लिए संसाधन उपलब्ध करवा रहा है। यानी, आप चाहे समाज में किसी भी भूमिका में हों, सफलता की किसी भी सीढ़ी पर हों, युवाओं के भविष्य निर्माण में आपकी भूमिका भी है, और भागीदारी भी है! अभी हाल ही में संपन्न हुए टोक्यो ओलम्पिक और पैरा-ओलम्पिक में हमारे खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया है। हमारे युवा इनसे कितना प्रेरित हुए हैं। मैंने अपने खिलाड़ियों से अनुरोध किया है कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर हर खिलाड़ी कम से कम 75 स्कूलों में जाये। मुझे खुशी है कि इन खिलाड़ियों ने मेरी बात को स्वीकार किया है। और मैं सभी माननीय शिक्षकगण से कहूंगा, आचार्यगण से कहूंगा कि आप अपने इलाके में इन खिलाड़ियों से संपर्क कीजिए। उनको अपने स्‍कूल में बुलाइये। बच्‍चों के साथ उनका संवाद करवाइये। देखिए इससे हमारे स्टूडेंट्स को कितनी प्रेरणा मिलेगी, कितने प्रतिभावान स्टूडेंट्स को खेलों में आगे जाने का हौसला मिलेगा।

साथियों,

आज एक और महत्वपूर्ण शुरुआत School Quality Assessment and Assurance Framework यानी S.Q.A.A.F के माध्यम से भी हो रही है। अभी तक देश में हमारे स्कूलों के लिए, education के लिए कोई एक common scientific framework ही नहीं था। कॉमन फ्रेमवर्क के बिना शिक्षा के सभी पहलुओं जैसे कि- Curriculum, Pedagogy, Assessment, Infrastructure, Inclusive Practices और Governance Process, इन सभी के लिए स्टैंडर्ड बनना मुश्किल होता था। इससे देश के अलग अलग हिस्सों में, अलग अलग स्कूलों में स्टूडेंट्स को शिक्षा में असमानता का शिकार होना पड़ता है। लेकिन S.Q.A.A.F अब इस खाई को पाटने का काम करेगा। इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि इस फ्रेमवर्क में अपनी जरूरत के हिसाब से बदलाव करने की flexibility भी राज्यों के पास होगी। स्कूल्स भी इसके आधार पर अपना मूल्यांकन खुद ही कर सकेंगे। इसके आधार पर स्कूलों को एक Transformational Change के लिए प्रोत्साहित भी किया जा सकेगा।

साथियों,

शिक्षा में असमानता को खत्म करके उसे आधुनिक बनाने में National Digital Educational Architecture यानी, N-DEAR की भी बड़ी भूमिका होने वाली है। जैसे UPI इंटरफेस ने बैंकिंग सेक्टर को revolutionize कर दिया है, वैसे ही एन-डियर सभी academic activities के बीच एक सुपर कनेक्ट का काम करेगा। एक स्कूल से दूसरे स्कूल में जाना हो या हाइयर एजुकेशन में एड्मिशन, Multiple Entry-Exit की व्यवस्था हो, या अकैडमिक क्रेडिट बैंक और छात्रों की skills का रेकॉर्ड, सब कुछ एन-डियर के जरिए आसानी से उपलब्ध होगा। ये सभी transformations हमारे 'न्यू एज एजुकेशन' का चेहरा भी बनेंगे, और क्वालिटी एजुकेशन में भेदभाव को भी खत्म करेंगे।

साथियों,

आप सभी इस बात से परिचित हैं कि किसी भी देश की प्रगति के लिए education न केवल Inclusive होनी चाहिए बल्कि equitable भी होनी चाहिए। इसीलिए, आज देश Talking बुक्स और Audio बुक्स जैसी तकनीक को शिक्षा का हिस्सा बना रहा है। Universal Design of Learning यानी UDL पर आधारित 10 हजार शब्दों की इंडियन साइन लैंग्वेज डिक्शनरी को भी विकसित किया गया है। असम के बिहू से लेकर भरत नाट्यम तक, सांकेतिक भाषा हमारे यहाँ सदियों से कला और संस्कृति का हिस्सा रही है। अब देश पहली बार साइन लैंग्वेज को एक सब्जेक्ट के रूप में पाठ्यक्रम का हिस्सा बना रहा है, ताकि जिन मासूम बच्चों को इसकी विशेष जरूरत है, वो किसी से पीछे न रह जाएँ! ये तकनीक दिव्यांग युवाओं के लिए भी एक नई दुनिया का निर्माण करेगी। इसी तरह, निपुण भारत अभियान में तीन वर्ष से 8 साल तक के बच्चों के लिए Foundational Literacy and Numeracy Mission लांच किया गया है। 3 साल के उम्र से ही सभी बच्चे अनिवार्यतः प्री-स्कूल शिक्षा प्राप्त करे, इस दिशा में जरूरी कदम उठाए जाएंगे। इन सभी प्रयासों को हमें काफी आगे तक लेकर जाना है, और इसमें आप सभी की, विशेषकर के हमारे शिक्षक मित्रों की भूमिका बहुत बड़ी महत्‍वपूर्ण है।

साथियों,

हमारे शास्त्रों में कहा गया है-

"दृष्टान्तो नैव दृष्ट: त्रि-भुवन जठरे, सद्गुरोः ज्ञान दातुः"

अर्थात्, पूरे ब्रह्मांड में गुरु की कोई उपमा नहीं होती, कोई बराबरी नहीं होती। जो काम गुरु कर सकता है वो कोई नहीं कर सकता। इसीलिए, आज देश अपने युवाओं के लिए शिक्षा से जुड़े जो भी प्रयास कर रहा है, उसकी बागडोर हमारे इन शिक्षक भाई-बहनों के ही हाथों में है। लेकिन तेजी से बदलते इस दौर में हमारे शिक्षकों को भी नई व्यवस्थाओं और तकनीकों के बारे में तेजी से सीखना होता है। 'निष्ठा' ट्रेनिंग प्रोग्राम्स से इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का एक अच्‍छा सा निष्‍ठा आपके सामने अभी प्रस्‍तुत किया गया है। इस निष्‍ठा ट्रेनिंग प्रोग्राम के जरिए देश अपने टीचर्स को इन्हीं बदलावों के लिए तैयार कर रहा है। 'निष्ठा 3.0' अब इस दिशा में एक और अगला कदम है और में इसे बहुत महत्‍वपूर्ण कदम मानता हूं। हमारे टीचर्स जब Competency Based Teaching, Art-Integration, high-Order Thinking, और Creative and Critical Thinking जैसे नए तौर-तरीकों से परिचित होंगे तो वो भविष्य के लिए युवाओं को और सहजता से गढ़ पाएंगे।

साथियों,

भारत के शिक्षकों में किसी भी ग्लोबल स्टैंडर्ड पर खरा उतरने की क्षमता तो है ही, साथ ही उनके पास अपनी विशेष पूंजी भी है। उनकी ये विशेष पूंजी, ये विशेष ताकत है उनके भीतर के भारतीय संस्कार। और मैं आपको मेरे दो अनुभव बताना चाहता हूं। मैं प्रधानमंत्री बनकर के जब पहली बार भूटान गया। तो वहां का राज परिवार हो, वहां के शासकीय व्‍यवस्‍था के लोग हों, बड़े गर्व से कहते थे कि पहले हमारे यहां करीब-करीब सभी टीचर्स भारत से आते थे और यहां के दूर-सुदूर इलाकों में पैदल जाकर के पढ़ाते थे। और जब ये शिक्षकों की बात करते थे। भूटान का राज परिवार हो या वहां के शासक, बड़ा गर्व अनुभव करते थे, उनकी आखों में चमक नजर आती थी। वैसे ही जब में साऊदी अरबीया गया और शायद साऊदी अरबीया के किंग से जब बात कर रहा था तो वो इतने गर्व से मुझे उल्‍लेख कर रहे थे। कि मुझे भारत के शिक्षक ने पढ़ाया है। मेरा शिक्षक भारत का था। अब देखिए शिक्षक के प्रति कोई भी व्‍यक्‍ति कहीं पर भी पहुंचे उनके मन में क्‍या भाव होता है।

साथियों,

हमारे शिक्षक अपने काम को केवल एक पेशा नहीं मानते, उनके लिए पढ़ाना एक मानवीय संवेदना है, एक पवित्र और नैतिक कर्तव्य है। इसीलिए, हमारे यहाँ शिक्षक और बच्चों के बीच professional रिश्ता नहीं होता, बल्कि एक पारिवारिक रिश्ता होता है। और ये रिश्ता, ये संबंध पूरे जीवन का होता है। इसीलिए, भारत के शिक्षक दुनिया में जहां भी कहीं जाते हैं, अपनी एक अलग छाप छोड़ते हैं। इस वजह से आज भारत के युवाओं के लिए दुनिया में अपार संभावनाएं भी हैं। हमें आधुनिक education eco-system के हिसाब से खुद तैयार करना है, और इन संभावनाओं को अवसरों में बदलना भी है। इसके लिए हमें लगातार इनोवेशन करते रहना होगा। हमें Teaching-Learning Process को लगातार Re-Define और Re-design करते रहना होगा। जो स्पिरिट आपने अभी तक दिखाई है, उसे हमें अब और ऊंचाई देनी होगी, और हौसला देना होगा। मुझे बताया गया है कि शिक्षक पर्व के इस अवसर पर आप आज से 17 सितंबर तक, 17 सितंबर हमारे देश मे विश्‍वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है। ये विश्‍वकर्मा अपने आप में निर्माता है, सृजनहार है, जो 7 तारीख से 17 तारीख तक अलग-अलग विषयों पर वर्कशॉप, सेमिनार आयोजित कर रहे हैं। ये अपने आपमें एक सराहनीय प्रयास है। देश भर के इतने टीचर्स, एक्स्पर्ट्स, और पॉलिसी मेकर्स जब एक साथ मंथन करेंगे तो इससे और आजादी के अमृत महोत्‍सव में इस अमृत की अहमियत और ज्‍यादा है। आपके इन सामूहिक मंथन से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सफलतापूर्वक लागू करने में भी काफी मदद मिलेगी। मैं चाहूँगा कि इसी तरह आप लोग अपने शहरों में, गाँवों में भी स्थानीय स्तर पर प्रयास करें। मुझे विश्वास है कि इस दिशा में 'सबके प्रयास' से देश के संकल्पों को नई गति मिलेगी। अमृत महोत्सव में देश ने जो लक्ष्य तय किए हैं, उन्हें हम सब मिलकर हासिल करेंगे। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद और बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

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November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।