"भारत में, प्रकृति और उसके तौर-तरीके शिक्षण के नियमित स्रोत रहे हैं"
"जलवायु कार्रवाई को 'अंत्योदय' का अनुपालन करना चाहिए जिसका अर्थ है समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान और विकास को सुनिश्चित करना"
"भारत ने वर्ष 2070 तक 'नेट ज़ीरो' अर्जित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है"
"प्रोजेक्ट टाइगर के परिणामस्वरूप आज विश्व के 70 प्रतिशत बाघ भारत में पाए जाते हैं"
"भारत की पहल लोगों की भागीदारी से ही संचालित होती हैं"
"एक वैश्विक जन आंदोलन के रूप में मिशन लाइफ पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा देगी"
"प्रकृति माँ 'वसुधैव कुटुंबकम' - एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" को प्राथमिकता देती है

महानुभावो,

देवियो और सज्जनो,

नमस्कार!

वणक्कम!

मैं इतिहास और संस्कृति से समृद्ध शहर चेन्नई में आप सभी का स्वागत करता हूँ! मुझे आशा है कि आप यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मामल्लपुरम को देखने के लिए कुछ समय निकालेंगे। शानदार पत्थर की नक्काशी और अद्भुत सुंदरता के साथ यह एक "दर्शनीय" गंतव्य है।

मित्रों,

मैं आज अपने संबोधन का शुभारंभ लगभग दो हजार वर्ष पूर्व लिखित तिरुक्कुरल के उद्धरण से करना चाहता हूं। महान संत तिरुवल्लुवर का कथन है- “नेडुंकडलुम तन्नीर मै कुंडृम तडिन्तेडिली तान नल्गा तागि विडिन। इसका अभिप्राय है, "यदि मेघ धरा से ग्रहण किए गए जल को बारिश के रूप में लौटाते नहीं है तो महासागर भी सूख जाएंगे।" भारत में प्रकृति और उसकी व्यवस्था से नियमित सीख मिलती है। इनका उल्लेख कई धर्मग्रंथों के साथ-साथ मौखिक परंपराओं में भी मिलता है। हमने अनुभव किया है: पिबन्ति नद्य: स्वयमेव नाम्भ:, स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षा:। नादन्ति सस्यं खलु वारिवाहा:, परोपकाराय सतां विभूतय:।।

अर्थात् “न तो नदियाँ अपना जल स्वयं ग्रहण करती हैं और न ही वृक्ष अपने फल स्वयं खाते हैं। बादल भी अपने जल से उत्पन्न होने वाले अन्न को नहीं खाते।” प्रकृति हमें सिर्फ प्रदान करती है। इसलिए हमें प्रकृति के प्रति भी अपना उत्तरदायित्व समझना चाहिए। धरती माँ की सुरक्षा और देखभाल हमारा मौलिक दायित्व है। आज "जलवायु परिवर्तन" के रूप में प्रकृति ने अपनी कार्रवाई करनी शुरू कर दी है क्योंकि इस कर्तव्य की बहुत लंबे समय से लोगों द्वारा उपेक्षा की जा रही है। भारत के पारंपरिक ज्ञान के आधार पर, मैं इस बात पर बल देना चाहूंगा कि जलवायु कार्रवाई को "अंत्योदय" का पालन करना चाहिए यानि हमें समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान और विकास को सुनिश्चित करना होगा। विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के देश जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय मुद्दों से प्रभावित हैं। हमें "संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन" और "पेरिस समझौते" के अंतर्गत निर्धारित प्रतिबद्धताओं के अनुरूप कार्रवाई की आवश्यकता है। यह वैश्विक दक्षिण को जलवायु अनुकूल तरीके से अपनी विकासात्मक आकांक्षाओं को पूर्ण करने में सहायता करने में महत्वपूर्ण होगा।

मित्रों,

मुझे यह कहते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है कि भारत अपने महत्वाकांक्षी "राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान" के माध्यम से आगे बढ़ रहा है। भारत ने 2030 के लिए निर्धारित लक्ष्य से नौ वर्ष पूर्व ही गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से अपनी स्थापित विद्युत क्षमता प्राप्त कर ली है और हमने अपने अद्यतन लक्ष्यों के माध्यम से मानकों को और भी ऊंचे स्तर पर स्थापित किया है। आज स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष 5 देशों में से एक है। हमने 2070 तक कार्बन उत्सर्जन का "नेट ज़ीरो" स्तर प्राप्त करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया है। हमारा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, सीडीआरआई और "उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह" सहित गठबंधनों के माध्यम से अपने सहयोगियों के साथ सहयोग जारी है।

मित्रों,

भारत एक विशाल विविधता वाला देश है। हम जैव विविधता संरक्षण, सुरक्षा, पुनर्स्थापन और संवर्धन पर कार्रवाई करने में निरंतर अग्रणी रहे हैं। मुझे प्रसन्नता है कि "गांधीनगर कार्यान्वयन प्रारूप और प्लेटफ़ॉर्म" के माध्यम से, हम वन में लगने वाली आग और खनन से प्रभावित होने वाले प्राथमिक परिदृश्यों में सुधार के उपायों की पहचान कर रहे हैं। भारत ने हाल ही में हमारी पृथ्वी की सात बिग कैट के संरक्षण के लिए "इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस" का शुभारंभ किया है। यह एक अग्रणी संरक्षण पहल है और यह प्रोजेक्ट टाइगर से मिले हमारे अनुभव पर आधारित है। प्रोजेक्ट टाइगर के परिणामस्वरूप, आज दुनिया के 70 प्रतिशत बाघ भारत में हैं। हम प्रोजेक्ट लायन और प्रोजेक्ट डॉल्फिन पर भी काम कर रहे हैं।

मित्रों,

भारत की पहल लोगों की भागीदारी से संचालित होती है। "मिशन अमृत सरोवर" एक अनूठी जल संरक्षण पहल है। इस मिशन के अंतर्गत लगभग एक वर्ष में ही तिरसठ हजार से अधिक जलस्रोतों का विकास किया जा चुका है। यह मिशन पूरी तरह से सामुदायिक भागीदारी के माध्यम और प्रौद्योगिकी की सहायता से कार्यान्वित किया गया है। हमारे "कैच द रेन" अभियान के भी उत्कृष्ट परिणाम आये हैं। इस अभियान के माध्यम से जल संरक्षण के लिए दो लाख अस्सी हजार से अधिक जल संचयन सरोवरों का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, लगभग ढाई हजार पुन: उपयोग और पुनर्भरण सरोवरों का भी निर्माण किया गया है। यह सब लोगों की भागीदारी और स्थानीय मिट्टी एवं जल की स्थिति को ध्यान में रख कर किया गया था। हमने गंगा नदी की स्वच्छता के लिए "नमामि गंगे मिशन" में सामुदायिक भागीदारी का भी प्रभावी रूप से उपयोग किया है। इससे नदी के कई हिस्सों में गंगा डॉल्फिन के फिर से प्रकट होने की एक बड़ी उपलब्धि भी हासिल हुई है। आर्द्रभूमि संरक्षण में हमारे प्रयास भी सफल हुए हैं। रामसर स्थलों के रूप में नामित पिचहत्तर आर्द्रभूमियों के साथ, एशिया में भारत रामसर स्थलों का सबसे बड़ा नेटवर्क है।

मित्रों,

हमारे महासागर दुनिया भर में तीन अरब से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करते हैं। विशेष रूप से "छोटे द्वीप राष्ट्रों" के लिए ये एक महत्वपूर्ण आर्थिक संसाधन हैं, जिन्हें मैं "बड़े महासागरीय राष्ट्र" कहता हूँ। वे व्यापक जैव विविधता का घर भी हैं। इसलिए, समुद्री संसाधनों का ज़िम्मेदारीपूर्ण उपयोग और प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। मैं "दीर्घकालिक और नम्य नीली एवं महासागर-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जी20 उच्च स्तरीय सिद्धांतों" को अपनाने के लिए आशान्वित हूं। इस संदर्भ में, मैं जी20 से आह्वान करता हूं कि प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक प्रभावी अंतरराष्ट्रीय कानूनी-बाध्यकारी साधन पर भी कार्य करें ।

मित्रों,

पिछले वर्ष, संयुक्त राष्ट्र महासचिव के साथ, मैंने मिशन लाइफ - पर्यावरण के लिए जीवन शैली का शुभारंभ किया था। मिशन लाइफ, एक वैश्विक जन आंदोलन के रूप में, पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई को प्रेरणा देगा। भारत में, किसी भी व्यक्ति, कंपनी या स्थानीय निकाय द्वारा किए जा रहे पर्यावरण-अनुकूल कार्यों पर निगरानी को लेकर पूर्ण सजगता है। वे अब हाल ही में घोषित "ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम" के तहत ग्रीन क्रेडिट अर्जित कर सकते हैं। इसका अभिप्राय यह होगा कि वृक्षारोपण, जल संरक्षण और दीर्घकालिक कृषि जैसी गतिविधियाँ अब व्यक्तियों, स्थानीय निकायों और अन्य लोगों के लिए राजस्व सृजन कर सकती हैं।

मित्रों,

अपने संबोधन का समापन करते हुए मैं दोहराना चाहता हूं कि हमें प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए। प्रकृति के प्रति सार्थक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। वह "वसुधैव कुटुंबकम" अर्थात एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य को प्राथमिकता देती हैं। मैं आप सभी की सार्थक और सफल बैठक की कामना करता हूं। धन्यवाद।

नमस्कार

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PM Modi congratulates hockey team for winning Women's Asian Champions Trophy
November 21, 2024

The Prime Minister Shri Narendra Modi today congratulated the Indian Hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy.

Shri Modi said that their win will motivate upcoming athletes.

The Prime Minister posted on X:

"A phenomenal accomplishment!

Congratulations to our hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy. They played exceptionally well through the tournament. Their success will motivate many upcoming athletes."