प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानियों और 'ऑपरेशन विजय' से जुड़े सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों को सम्मानित किया
“गोवा के लोगों ने मुक्ति और स्वराज के आंदोलनों को थमने नहीं दिया; उन्होंने भारतीय इतिहास में सबसे लंबे समय तक आजादी की लौ को जलाए रखा”
"भारत एक ऐसा भाव है, जहाँ राष्ट्र 'स्व' से ऊपर होता है, सर्वोपरि होता है, जहां एक ही मंत्र होता है- राष्ट्र प्रथम; जहाँ एक ही संकल्प होता है- एक भारत, श्रेष्ठ भारत"
"अगर सरदार पटेल कुछ और वर्ष जीवित रहते, तो गोवा को अपनी मुक्ति के लिए इतना लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता"
“राज्य की नई पहचान शासन के हर क्षेत्र में अग्रणी रहने से जुड़ी है; बाकी जगह जब काम की शुरुआत होती है, या काम आगे बढ़ता है, गोवा उसे तब तक पूरा कर लेता है”
प्रधानमंत्री ने पोप फ्रांसिस से मुलाकात तथा भारत की विविधता एवं जीवंत लोकतंत्र के प्रति उनके स्नेह को याद किया
"देश ने मनोहर पर्रिकर में गोवा के चरित्र की ईमानदारी, प्रतिभा और परिश्रम का प्रतिबिंब देखा था"

भारत माता की जय, भारत माता की जय, समेस्त गोंयकार भावा-भयणींक, मायेमोगाचो येवकार ! इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में उपस्थित गोवा के राज्यपाल श्री पी.एस श्रीधरन पिल्लई जी, गोवा के ऊर्जावान मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत जी, उपमुख्यमंत्री चंद्रकांत कावलेकर जी, मनोहर अज़गांवकर जी, केन्द्रीय कैबिनेट में मेरे सहयोगी श्रीपद नायक जी, गोवा विधानसभा के स्पीकर राजेश पटनेकर जी, गोवा सरकार के सभी मंत्रीगण, जन-प्रतिनिधिगण, सभी अधिकारीगण और गोवा के मेरे भाइयों बहनों!

म्हज्या मोगाळ गोंयकारांनो, गोंय मुक्तीच्या, हिरक महोत्सवी वर्सा निमतान, तुमका सगळ्यांक,मना काळजासावन परबीं ! सैमान नटलेल्या, मोगाळ मनशांच्या, ह्या, भांगराळ्या गोंयांत,येवन म्हाका खूप खोस भोगता! गोवा की धरती को, गोवा की हवा को, गोवा के समंदर को, प्रकृति का अद्भुत वरदान मिला हुआ है। और आज सभी, गोवा के लोगों का ये जोश, गोवा की हवाओं में मुक्ति के गौरव को और बढ़ा रहा है। आज आपके चेहरों पर गोवा के गौरवशाली इतिहास का गर्व देखकर मैं भी आप जितना ही खुश हूं, आनंदित हूं। मुझे बताया गया कि ये जगह बहुत छोटी पड़ गयी। तो बगल में ऐसे ही दो बड़े पंडाल बनाये गये हैं और सारे लोग वहां पर बैठे हुए हैं।

साथियों,

आज गोवा न केवल अपनी मुक्ति की डायमंड जुबली मना रहा है, बल्कि 60 वर्षों की इस यात्रा की स्मृतियाँ भी हमारे सामने हैं। हमारे सामने आज हमारे संघर्ष और बलिदानों की गाथा भी है। हमारे सामने लाखों गोवावासियों के परिश्रम और लगन के वो परिणाम हैं जिनकी वजह से हमने कम समय में एक लंबी दूरी तय की है। और सामने जब इतना कुछ गर्व करने के लिए हो, तो भविष्य के लिए नए संकल्प खुद ही खुद बनने लग जाते हैं। नए सपने खुद आकार लेने लगते हैं। ये भी एक और सुखद संयोग है कि गोवा की आज़ादी की ये डायमंड जुबली आज़ादी के अमृत महोत्सव के साथ मन रही है। इसलिए, गोवा के सपने और गोवा के संकल्प आज देश को ऊर्जा दे रहे हैं।

साथियों,

अभी यहाँ आने से पहले मुझे आज़ाद मैदान में शहीद मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने का सौभाग्य भी मिला। शहीदों को नमन करने के बाद मैं मीरामर में सेल परेड और फ़्लाइ पास्ट का साक्षी भी बना। यहाँ आकर भी, ऑपरेशन विजय के वीरों को, veterans को देश की ओर से सम्मानित करने का अवसर मिला। इतने अवसर, अभिभूत करने वाले इतने अनुभव गोवा ने आज एक साथ दिये हैं। यही तो जिंदादिल, वाइब्रेंट गोवा का स्वभाव है। मैं इस स्नेह के लिए, इस अपनेपन के लिए गोवा के जन-जन का आभार प्रकट करता हूँ।

साथियों,

आज हम एक ओर गोवा liberation day को celebrate कर रहे हैं तो दूसरी ओर गोवा के विकास के लिए नए कदम भी बढ़ा रहे हैं। अभी यहाँ पर गोवा सरकार के अलग-अलग विभागों को, एजेंसियों को आत्मनिर्भर भारत और स्वयंपूर्ण गोवा के सफल implementation के लिए पुरस्कृत किया गया। शानदार काम करने वाली गोवा की पंचायतों, municipalities को भी अवार्ड दिये गए। साथ ही, आज पुनर्निर्मित किले - अगुआड़ा जेल संग्रहालय, मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक, दक्षिण गोवा जिला अस्पताल, और डावोरलिम के गैस इंसुलेटेड सब-स्टेशन का लोकार्पण भी हुआ है। गोवा मेडिकल कॉलेज और मोपा हवाई अड्डे पर विमानन कौशल विकास केंद्र की शुरुआत भी आज से हो गई है। मैं आप सभी को भी इन उपलब्धियों के लिए, इन विकास परियोजनाओं के लिए अनेक – अनेक बधाई देता हूँ।

साथियों,

अमृत महोत्सव में देश ने हर एक देशवासी से ‘सबका प्रयास’ का आवाहन किया है। गोवा का मुक्ति संग्राम इस मंत्र का एक बड़ा उदाहरण है। अभी मैं आज़ाद मैदान में शहीद मेमोरियल को देख रहा था। इसे चार हाथों की आकृतियों से आकार दिया गया है। ये इस बात का प्रतीक है कि कैसे गोवा की मुक्ति के लिए भारत के चारों कोनों से एक साथ हाथ उठे थे। आप देखिए, गोवा एक ऐसे समय में पुर्तगाल के अधीन गया था जब देश के दूसरे बड़े भूभाग में मुगलों की सल्तनत थी। उसके बाद कितने ही सियासी तूफान इस देश ने देखे, सत्ताओं की कितनी उठक पटक हुई। लेकिन समय और सत्ताओं की उठापटक के बीच सदियों की दूरियों के बाद भी न गोवा अपनी भारतीयता को भूला, न भारत अपने गोवा को कभी  भूला। ये एक ऐसा रिश्ता है जो समय के साथ और सशक्त ही हुआ है। गोवा मुक्ति का संग्राम, एक ऐसी अमर ज्योति है जो इतिहास के हजारों झंझावातों को झेलकर भी प्रदीप्त रही है, अटल रही है। कुंकलली संग्राम से लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी के नेतृत्व में वीर मराठाओं के संघर्ष तक, गोवा के लिए लगातार प्रयास हुए, हर किसी की तरफ से हुए।

साथियों,

देश तो गोवा से पहले आज़ाद हुआ था। देश के अधिकांश लोगों को अपने अधिकार मिल चुके थे। अब उनके पास अपने सपनों को जीने का समय था। उनके पास विकल्प था कि वो शासन सत्ता के लिए संघर्ष कर सकते थे, पद प्रतिष्ठा ले सकते थे। लेकिन कितने ही सेनानियों ने वो सब छोड़कर गोवा की आज़ादी के लिए संघर्ष और बलिदान का रास्ता चुना। गोवा के लोगों ने भी मुक्ति और स्वराज के लिए आंदोलनों को कभी थमने नहीं दिया। उन्होंने भारत के इतिहास में सबसे लम्बे समय तक आज़ादी की लौ को जलाकर रखा। ऐसा इसलिए क्योंकि, भारत सिर्फ एक राजनीतिक सत्ता भर नहीं है। भारत मानवता के हितों की रक्षा करने वाला एक विचार है, एक परिवार है। भारत एक ऐसा भाव है जहां राष्ट्र ‘स्व’ से ऊपर होता है, सर्वोपरि होता है। जहां एक ही मंत्र होता है- राष्ट्र प्रथम। Nation First. जहां एक ही संकल्प होता है- एक भारत, श्रेष्ठ भारत। आप देखिए,लुईस दी मिनेझीस ब्रागांझा, त्रिस्ताव ब्रागांझा द कुन्हा, ज्युलिओ मिनेझीस जैसे नाम हों, पुरुषोत्तम काकोडकर, लक्ष्मीकान्त भेंबरे जैसे सेनानी हों, या फिर बाला राया मापारी जैसे युवाओं के बलिदान, हमारे कितने ही सेनानियों ने आज़ादी के बाद भी आंदोलन किए, पीड़ाएँ झेलीं, बलिदान दिया, लेकिन इस मूवमेंट को रुकने नहीं दिया। आज़ादी के ठीक पहले राममनोहर लोहिया जी से लेकर आज़ादी के बाद जनसंघ के कितने ही नेताओं तक, ये मुक्ति आंदोलन लगातार चला था। याद करिए, मोहन रानाडे जी को, जिन्हें गोवा की मुक्ति के लिए आंदोलन करने पर जेल भेज दिया था। उन्हें सालों तक जेल में यातना झेलनी पड़ी। गोवा की आज़ादी के बाद भी उन्हें कई साल तक जेल में ही रहना पड़ा। तब रानाडे जी जैसे क्रांतिकारी के लिए अटल जी ने देश की संसद में आवाज़ उठाई थी। आज़ाद गोमान्तक दल से जुड़े कितने ही नेताओं ने भी गोवा आंदोलन के लिए अपना सर्वस्व अर्पण किया था। प्रभाकर त्रिविक्रम वैद्य, विश्वनाथ लवांडे, जगन्नाथराव जोशी, नाना काजरेकर, सुधीर फड़के, ऐसे कितने ही सेनानी थे जिन्होंने गोवा, दमन, दीव, दादरा और नगर हवेली की आज़ादी के लिए संघर्ष किया, इस आंदोलन को दिशा दी, ऊर्जा दी।

साथियों,

गोवा मुक्ति विमोचन समिति के सत्याग्रह में 31 सत्याग्रहियों को अपने प्राण गँवाने पड़े थे।

आप सोचिए, इन बलिदानियों के बारे में, पंजाब के वीर करनैल सिंह बेनीपाल जैसे वीरों के बारे में, इनके भीतर एक छटपटाहट थी क्योंकि उस समय देश का एक हिस्सा तब भी पराधीन था, कुछ देशवासियों को तब भी आज़ादी नहीं मिली थी। और आज मैं इस अवसर पर ये भी कहूंगा कि अगर सरदार वललभ भाई पटेल, कुछ वर्ष और जीवित रहते, तो गोवा को अपनी मुक्ति के लिए इतना इंतजार नहीं करना पड़ता।

साथियों,

गोवा का इतिहास स्वराज के लिए भारत के संकल्प का ही प्रतीक नहीं है। ये भारत की एकता और एकजुटता का भी जीता जागता दस्तावेज़ है। गोवा ने शांति के साथ हर विचार को फलने फूलने की जगह दी। कैसे एक साथ हर मत-मजहब- संप्रदाय ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ में रंग भरते हैं, गोवा ने ये करके दिखाया है। गोवा वो स्थान है जिसने जॉर्जिया की सेंट क्वीन केटेवान के होली रेलिक को सदियों तक सहेज कर रखा। अभी कुछ महीने पहले ही भारत ने सेंट क्वीन केटेवान के होली रेलिक को जॉर्जिया सरकार को सौंपा है। सेंट क्वीन केटेवान के ये पवित्र अवशेष 2005 में यहां के सेंट ऑगस्टीन चर्च से ही मिले थे। 

साथियों,

जब गोवा की आज़ादी के लिए संघर्ष हुआ, तो सब मिलकर एक साथ लड़े, एक साथ संघर्ष किया था। विदेशी हुकूमत के खिलाफ pintos क्रांति को तो यहाँ के नेटिव क्रिश्चियन्स ने ही लीड किया था। यही भारत की पहचान है। यहाँ मत मतांतर सबका एक ही मतलब है- मानवता की सेवा। मानव मात्र की सेवा। भारत की इस एकता, इस मिली-जुली पहचान की तारीफ पूरी दुनिया करती है। अभी मैं कुछ समय पहले इटली और वैटिकन सिटी गया था। वहाँ मुझे पोप फ्रांसिस जी से मुलाक़ात का अवसर भी मिला। भारत के प्रति उनका भाव भी वैसा ही अभिभूत करने वाला था। मैंने उन्हें भारत आने के लिए आमंत्रित भी किया। और मैं आपको जरूर बताना चाहता हूं, जो उन्होंने मेरे निमंत्रण के बाद कहा था- पोप फ्रांसिस ने कहा था- “This is the greatest gift you have given me” ये भारत की विविधता, हमारी vibrant डेमोक्रेसी के प्रति उनका स्नेह है।

साथियों,

गोवा की प्राकृतिक सुंदरता, हमेशा से उसकी पहचान रही है। लेकिन अब यहां जो सरकार है, वो गोवा की एक और पहचान सशक्त कर रही है। ये नई पहचान है- हर काम में अव्वल रहने वाले, टॉप करने वाले राज्य की पहचान। बाकी जगह जब काम की शुरुआत होती है, या काम आगे बढ़ता है, गोवा उसे तब पूरा भी कर लेता है। टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर लोगों की पसंद तो गोवा रहा ही है, लेकिन अब गुड गवर्नेंस का सवाल हो, तो गोवा टॉप पर है। पर कैपिटा इनकम हो, तो भी गोवा टॉप पर! Open defecation free स्टेट के तौर पर- गोवा का काम 100 परसेंट! लड़कियों के लिए स्कूलों में अलग टॉइलेट की सुविधा हो- गोवा 100 परसेंट, फुल मार्क्स! डोर टु डोर कचरे का कलेक्शन हो, यहाँ भी गोवा सेंट परसेंट! ‘हर घर जल’ के लिए नल connection हों- इसमें भी गोवा 100 परसेंट! आधार एनरोलमेंट में भी गोवा का काम शत प्रतिशत पूरा। फूड सेक्युरिटी के मामले में भी गोवा अव्वल! प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ऑल वेदर रोड connectivity हो- गोवा का काम 100 परसेंट! बर्थ रजिस्ट्रेशन हो तो भी गोवा का रेकॉर्ड 100 परसेंट। ये लिस्ट इतनी लंबी है कि गिनाते गिनाते शायद समय कम पड़ जाए। प्रमोद जी आपको और आपकी पूरी टीम को मेरी तरफ से बधाई। गोवा ने जो कुछ हासिल किया है, वो अभूतपूर्व है। गोवा के लोगों ने जो करके दिखाया है, वो वाकई काबिले तारीफ है। अभी आपकी एक नई उपलब्धि के लिए मैं गोवा सरकार का, और सभी गोवा-वासियों का विशेष रूप से अभिनंदन करना चाहता हूँ, ये उपलब्धि है, 100 परसेंट वैक्सीनेशन की! गोवा में सभी eligible लोगों ने वैक्सीन लगवा ली है। दूसरी डोज़ का भी अभियान तेजी से चल रहा है। ये कमाल करने वाले आप देश के पहले राज्यों में से हैं। मैं इसके लिए गोवा के लोगों को बधाई देता हूँ।

भाइयों और बहनों,

गोवा की इन उपलब्धियों को, इस नई पहचान को जब मैं मजबूत होते देखता हूँ तो मुझे मेरे अभिन्न साथी मनोहर परिकर जी की भी याद आती है। उन्होंने न केवल गोवा को विकास की नई ऊंचाई तक पहुंचाया, बल्कि गोवा की क्षमता का भी विस्तार किया। गोवा के लोग कितने ईमानदार होते हैं, कितने प्रतिभावान और मेहनती होते हैं, देश गोवा के चरित्र को मनोहर जी के भीतर देखता था। आखिरी सांस तक कोई कैसे अपने राज्य, अपने लोगों के लिए लगा रह सकता है, उनके जीवन में हमने ये साक्षात देखा था। मैं इस अवसर पर अपने परम मित्र और गोवा के महान सपूत मनोहर जी को भी नमन करता हूँ।

साथियों,

गोवा के विकास के लिए, गोवा में पर्यटन की अपार संभावनओं को बढ़ाने के लिए जो अभियान परिकर जी ने शुरू किया था, वो आज भी उतने ही जोश से जारी है। कोरोना की इतनी बड़ी वैश्विक महामारी से भी गोवा जिस तेजी से उबर रहा है, उसमें इसके दर्शन होते हैं। केंद्र सरकार द्वारा भी पर्यटन उद्योगों को एक नई ऊंचाई देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। वीजा के नियमों को सरल करना हो, ई वीजा वाले देशों की संख्या को बढ़ाना हो, हर तरफ से टूरिज्म इंडस्ट्री को सपोर्ट करने का काम हुआ हो। अभी हाल ही में जो फिल्म फेस्टिवल हुआ, उसकी सफलता भी बताती है कि गोवा में टूरिज्म किस तरह बढ़ रहा है।

साथियों,

जिस तरह गोवा सरकार ने यहाँ अच्छी सड़कें बनवाईं, इनफ्रास्ट्रक्चर और सर्विसेस को मजबूत किया, तो उससे यहाँ पर्यटकों की सुविधा बढ़ी, वैसे ही, आज देश भर में हाइवेज, एक्स्प्रेसवेज, और हाइटेक इनफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाया जा रहा है, आज रेलवे का कायाकल्प हो रहा है, देश के तमाम शहरों में एयरपोर्ट बन रहे हैं, इससे लोगों की यात्रा आसान होती है। वो अगर गोवा आने की सोचते हैं, तो रास्ते की चिंता करके उन्हें प्लान ड्रॉप नहीं करना पड़ता। इस मिशन को अब और गति देने के लिए, शक्ति देने के लिए, पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान पर भी काम शुरू किया है। आने वाले सालों में ये मिशन गतिशक्ति देश में इन्फ्रा और टूरिज़्म के एक नए युग का सूत्रपात करेगा।

साथियों,

गोवा में अगर एक ओर ये अनंत समंदर है, तो दूसरी ओर यहाँ के युवाओं के समंदर जैसे ही व्यापक सपने हैं। इन सपनों को पूरा करने के लिए वैसा ही व्यापक विज़न भी चाहिए। मैं ये कह सकता हूँ कि प्रमोद सावंत जी ऐसे ही बड़े विज़न के साथ आज काम कर रहे हैं। आज गोवा में स्कूल्स में बच्चों को फ्युचर रेडी एजुकेशन के लिए कोडिंग और रोबोटिक्स को प्रमोट किया जा रहा है, टेक्निकल एजुकेशन को subsidize किया जा रहा है, हायर एजुकेशन के लिए सरकार 50 प्रतिशत फी वेवर भी दे रही है। आज यहाँ जिस एविएशन स्किल डेव्लपमेंट सेंटर का लोकार्पण हुआ है, वो भी अब युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसरों को पैदा करेगा। इसी तरह, आज अगर देश ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ का संकल्प लेकर अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है, तो गोवा ‘स्वयंपूर्ण गोवा’ मिशन से देश को ताकत दे रहा है। मुझे इस मिशन के ‘स्वयंपूर्ण मित्रों’ से भी बात करने का एक वर्चुली बात करने का मौका मिला था। आप सब मिलकर जिस तरह गोवा को आत्मनिर्भर बनाने की ओर आगे बढ़ रहे हैं, जिस तरह वर्तमान सरकार खुद चलकर डोर टु डोर जा रही है, सरकारी सेवाएँ जिस तरह ऑनलाइन होकर नागरिकों के हाथ में आ रही हैं, जितनी तेजी से भ्रष्टाचार के लिए सभी दरवाजे गोवा में बंद हो रहे हैं, यही तो ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’ का वो संकल्प है, जिसे गोवा आज पूरा होता देख रहा है।

साथियों,

आज जैसे आज़ादी के अमृत महोत्सव में देश आज़ादी के 100 साल के लिए नए संकल्प ले रहा है, वैसे ही मैं आवाहन करता हूँ, कि गोवा अपनी मुक्ति के 75 साल होने पर कहां पहुंचेगा, इसके लिए नए संकल्प ले, नए लक्ष्य तय करे। इसके लिए, जो निरंतरता अभी तक गोवा में दिखी है, वही आगे भी रहनी चाहिए। हमें रुकना नहीं है, अपनी स्पीड को कम नहीं होने देना है। गोंय आनी गोंयकारांची, तोखणाय करीत, तितकी थोडीच! तुमकां सगळ्यांक, परत एक फावट, गोंय मुक्तीदिसाचीं, परबीं दिवन, सगळ्यांखातीर, बरी भलायकी आनी यश मागतां! बहुत बहुत धन्यवाद ! भारत माता की जय ! भारत माता की जय ! भारत माता की जय ! धन्यवाद। 

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