Quoteवडोदरा मुंबई एक्सप्रेसवे के महत्वपूर्ण खंड राष्ट्र को समर्पित किए
Quoteकाकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन में दो नए दबावयुक्त भारी जल के रिएक्टर: केएपीएस-3 और केएपीएस-4 राष्ट्र को समर्पित किए
Quoteनवसारी में पीएम मित्र पार्क का निर्माण कार्य शुरू किया गया
Quoteसूरत नगर निगम, सूरत शहरी विकास प्राधिकरण और ड्रीम सिटी की कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी
Quoteसड़क, रेल शिक्षा और जल आपूर्ति परियोजनाओं की आधारशिला रखी
Quoteप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “नवसारी में रहना हमेशा एक अच्छा एहसास होता है। विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शुभारंभ गुजरात की विकास यात्रा को मजबूत करेगा”
Quote"मोदी की गारंटी वहां से शुरू होती है जहां दूसरों से आशा समाप्त हो जाती है"
Quote"चाहे गरीब हो या मध्यम वर्ग, ग्रामीण हो या शहरी, हमारी सरकार का प्रयास प्रत्येक नागरिक के जीवन स्तर में सुधार करना है"
Quote"आज देश के छोटे-छोटे शहरों में भी कनेक्टिविटी के शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है"
Quote"डिजिटल इंडिया को आज दुनिया स्वीकार कर रही है"

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, राज्य सरकार के मंत्रीगण, संसद में मेरे साथी इसी क्षेत्र के प्रतिनिधि और गुजरात प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष सी आर पाटिल, सांसद और विधायक गण, और मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों, कैसे हैं सभी।

गुजरात में आज का ये मेरा तीसरा कार्यक्रम है। आज सुबह ही मुझे अहमदाबाद में पूरे गुजरात के लाखों पशुपालक साथी, डेयरी उद्योग से जुड़े लोग, उनके दर्शन करने का अवसर मिला, उनसे बात करने का मौका मिला। उसके बाद मेहसाणा में वाड़ीनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन से जुड़ने का सौभाग्य मिला। और अब यहां नवसारी में आप सभी के बीच विकास के इस उत्सव में शामिल हो रहा हूं। आप एक काम करिए, जैसा भूपेंद्र भाई ने कहा कि शायद आजादी के बाद पहली एक ही बार में इतने सारे रुपये के विकास के काम हुए हों ऐसा पहली बार हुआ है। तो विकास के इतने बड़े उत्‍सव में एक काम करिए आप सब, करेंगे? आपका मोबाइल निकालकर उसकी फ्लैश लाइट चालू कीजिए, और विकास उत्‍सव में भागीदार बनिए। भारत माता की जय...ऐसा नहीं चलेगा ठंडा-ठंडा। भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। शाबाश। नवसारी में जैसे हीरा चमकता हो ऐसा लग रहा है आज। थोड़ी देर पहले वडोदरा, नवसारी, भरूच, सूरत और दूसरे क्षेत्रों को हजारों करोड़ रुपए के नए प्रोजेक्ट्स मिले हैं। टेक्सटाइल, बिजली और शहरी विकास से जुड़ी 40 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की इन परियोजनाओं के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।

|

साथियो,

आजकल पूरे देश में एक चर्चा बड़ी जोरों पर चल रही है, पार्लियामेंट में भी चलती है और गली-मोहल्‍ले में भी चल रही है। और वो चर्चा है मोदी की गारंटी। देश का बच्‍चा-बच्‍चा कह रहा है मोदी ने जो कह दिया, वो करके दिखाता है। देश के बाकी लोगों के लिए तो शायद ये बात नई है, लेकिन गुजरात के लोग तो बरसों से जानते हैं कि मोदी की गारंटी...यानी...गारंटी पूरा होने की गारंटी। आपको याद होगा, जब मैं गुजरात में था, तो मैं एक फाइव एफ की बात करता था। पांच एफ क्‍या था...इसका मतलब था- फार्म टू फाइबर, फाइबर टू फैक्ट्री, फैक्ट्री टू फैशन, फैशन टू फॉरेन। मैं तब फाइव एफ की बात करता था, यानी किसान कपास उगाएगा, कपास फैक्ट्री में जाएगी, फैक्ट्री में बने धागे से परिधान बनेंगे, यही परिधान विदेशों के लिए निर्यात होंगे।

मेरा लक्ष्य था कि टेक्सटाइल सेक्टर की एक पूरी सप्लाई और वैल्यू चेन हमारे पास होनी चाहिए। होना चाहिए ना...होना चाहिए ना? आज आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए हम ऐसी ही व्यवस्थाओं का निर्माण कर रहे हैं। पीएम मित्र पार्क, ये पीएम मित्र पार्क भी इसी अभियान का हिस्सा है। नवसारी में आज जिस पीएम मित्र पार्क का काम शुरू हो रहा है, वो टेक्सटाइल सेक्टर के लिए देश का ऐसा पहला पार्क है। इससे कपड़ा उद्योग को बल मिलेगा, कपड़ा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी। आप कल्पना कर सकते हैं...सूरत का डायमंड और नवसारी का परिधान, दुनिया के फैशन बाज़ार में गुजरात का कितना बड़ा, गुजरात की चारों तरफ जय-जयकार होगी कि नहीं ? गुजरात की गूंजें सुनाई देंगी कि नहीं ?

साथियों,

आज एक प्रकार से सूरत सिल्क सिटी का विस्तार नवसारी तक हो रहा है। आज इस सेक्टर में दुनिया के सबसे बड़े उत्पादकों और निर्यातकों को भारत टक्कर देने लगा है। और इसमें गुजरात की टेक्सटाइल इंडस्ट्री का बहुत बड़ा योगदान है। बीते वर्षों में सूरत के कपड़े की अपनी एक अच्छी पहचान बन गई है। यहां जब ये पीएम मित्र पार्क तैयार हो जाएगा तो, इस पूरे क्षेत्र की तस्वीर बदल जाएगी। इस पार्क के निर्माण में ही 3 हज़ार करोड़ रुपए का निवेश होगा। यहां पर कताई, बुनाई, जिनिंग, गारमेंट, टेक्निकल टेक्सटाइल और टेक्सटाइल मशीनरी, ऐसे हर काम के लिए वैल्यू चेन का इकोसिस्टम बनेगा। यानी ऐसे हज़ारों कारीगर, श्रमिक यहां पर काम कर पाएंगे। इसी पार्क में मजदूरों के लिए आवास, लॉजिस्टिक्स पार्क, वेयरहाउसिंग, स्वास्थ्य सुविधाएं, ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट की सुविधा भी होगी। यानी ये पार्क यहां आसपास के गांवों में भी रोजगार-स्वरोजगार के अवसर लेकर आएगा।

साथियों,

आज सूरत के लोगो के लिए एक और अहम् प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो रहा है। 800 करोड़ रूपए से ज्यादा राशि से बनने वाले तापी रिवर बैराज का आज शिलान्यास हुआ है। तापी रिवर बैराज बनने से सूरत में आने वाले कई वर्षो तक सूरत में वाटर सप्लाई की चुनौती...उसका समाधान हो जायेगा। इससे बाढ़ जैसे खतरों से निपटने में भी मदद मिलेगी।

|

साथियो,

गुजरात, समाज जीवन में, औद्योगिक विकास में बिजली का महत्व बराबर जानता है। 20-25 साल पहले का एक समय ऐसा था जब गुजरात में घंटों-घंटों तक बिजली की कटौती हुआ करती थी। आज जो 25-30 साल के लोग हैं ना उनको पता भी नहीं होगा कि हम उस जमाने में अंधेरे में जिंदगी गुजारते थे। जब मैं सीएम बना तो लोग मेरे पास आकर गुहार लगाते थे कि किसी तरह शाम के भोजन के समय बिजली का इंतजाम हो जाए। आप विचार करो, पहले लोग कहते थे साहब कम से कम शाम में भोजन के वक्‍त तो जरा बिजली दीजिए, ऐसा स्थिति हुआ करती थी। ऐसे हाल थे। बिजली उत्पादन में तब यहां अनेक मुश्किलें थीं। कोयला चाहिए था, तो वो हमें दूर से लाना पड़ता था या फिर विदेश से मंगाना पड़ता था। गैस से बिजली बनाते तो वो भी इंपोर्ट करनी पड़ती थी। पानी से बिजली बनाने की संभावना बहुत कम थी। इन संकटों के साथ गुजरात का विकास असंभव था। लेकिन असंभव को संभव करने के लिए तो मोदी है। इसलिए हमने गुजरात को बिजली के संकट से निकालने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना शुरू किया। हमने सौर ऊर्जा पर बल दिया, हमने पवन ऊर्जा पर बल दिया। आज गुजरात में सौर और पवन ऊर्जा से बहुत बड़े पैमाने पर बिजली बनाई जा रही है।

साथियों,

21वीं सदी के भारत में बिजली पैदा करने में हमारे परमाणु घरों की भूमिका और बढ़ने जा रही है। आज ही तापी के काकरापार परमाणु ऊर्जा प्लांट में दो नए रिएक्टर, राष्ट्र को समर्पित किए गए हैं। ये दोनों रिएक्टर मेड इन इंडिया टेक्नॉलॉजी से तैयार किए गए हैं। एक बार भारत माता की जय बोल करके ये आत्मनिर्भर की स्थिति के लिए गर्व से हाथ ऊपर कीजिए, भारत माता की जय। ये दिखाता है कि आज भारत कैसे हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है। अब इस प्लांट से गुजरात को अधिक बिजली मिल पाएगी, यहां के औद्योगिक विकास में और मदद मिलेगी।

सा‍थियो,

नवसारी हो, वलसाड हो, दक्षिण गुजरात का ये क्षेत्र आज अभूतपूर्व विकास के दौर से गुज़र रहा है। यहां का इंफ्रास्ट्रक्चर लगातार आधुनिक हो रहा है। और जब मैं सोलार एनर्जी की बात करता हूं- जब अपने गुजरात की बात करें तो अपने गुजराती तो पाई-पाई का हिसाब रखने वाले लोग, सही है कि नहीं। हिसाब-किताब में पक्के। अभी मोदी ने दूसरी गारंटी दी है, आपके लिए तो एकदम लाभदायी ही है, 300 यूनिट तक फ्री बिजली का कार्यक्रम और वह कार्यक्रम है पीएम सूर्यघर। पीएम सूर्यघर 300 यूनिट बिजली मुफ्त। लगभग मध्‍यमवर्गीय परिवार हो, एसी हो, पंखा हो, फ्रिज हो, वाशिंग मशीन हो, यह सभी उसमें आ जाएं। और जिस तरह, तो घर के ऊपर सोलार पैनल लगाने के लिए भी सरकार पैसा देगी, बैंक से लोन देगी। और तीसरा आप 300 यूनिट से ज्‍यादा बिजली पैदा करनी हो, और आपको जरूरत से ज्‍यादा बिजली बेचनी हो तो वह बिजली सरकार खरीद लेगी। आपको उसमें से भी पैसा मिलेगा, बोलो मुनाफा है कि नहीं। गुजरात में तो घर-घर, घर के ऊपर सोलार बिजली, सूर्य बिजली और बिजली मुफ्तवाले काम में जुड़ जाओ। यह मोदी की गारंटी है। इस क्षेत्र से देश की पहली बुलेट ट्रेन भी गुज़रने जा रही है। ये क्षेत्र देश के बड़े आर्थिक केंद्रों, मुंबई और सूरत को जोड़ने जा रहा है।

साथियों,

अब नवसारी की पहचान औद्योगिक विकास के लिए होने लगी है, लेकिन नवसारी सहित ये पूरा दक्षिण गुजरात, खेती में भी बहुत आगे है। भाजपा सरकार ने जब यहां किसानों को सुविधाएं देनी शुरू कीं, तो फलों की खेती का चलन बढ़ा। यहां का हाफुस आम, वलसाड़ी आम, नवसारी का चीकू, ये तो पूरी दुनिया में इतना मशहूर है, मैं जहां भी जाता हूं लोग ये सुनाते हैं मुझे। डबल इंजन सरकार आज हर कदम पर किसानों को मदद दे रही है। नवसारी के किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि से भी 350 करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद मिली है।

|

साथियों,

मोदी ने देश के गरीब, किसान, युवा और महिला, सभी को सशक्त करने की गारंटी दी है। और ये गारंटी, सिर्फ योजनाएं बनाने की नहीं है, बल्कि जो हकदार हैं, उन तक योजनाओं का पूरा लाभ पहुंचाने की भी गारंटी है। मोदी की गारंटी, इस बात के लिए है कि देश का कोई भी परिवार अभाव में न रहे, उसे गरीबी में जीना न पड़े। इसलिए सरकार अपनी तरफ से लाभार्थियों के पास आ रही है, लाभार्थियों को जा-जा करके खोज रही है, उन्हें योजनाओं से जोड़ रही है।

साथियों,

कांग्रेस ने लंबे समय तक देश में और गुजरात में सरकारें चलाई हैं। लेकिन कभी आदिवासी क्षेत्रों की, समंदर के तट पर बसे गांवों की सुध नहीं ली। यहां गुजरात में भाजपा सरकार ने उमरगाम से लेकर अंबाजी तक, पूरे आदिवासी पट्टे में हर मूल सुविधा पहुंचाने के लिए अविरत काम किया है। लेकिन देश के स्तर पर ऐसा नहीं हुआ। 2014 तक देश में 100 से अधिक जिले विकास में अंतिम छोर पर थे, कोई पूछने वाला नहीं था। इनमें से अधिकतर, आदिवासी बाहुल्य जिले थे। पिछले 10 वर्षों में हमने इन जिलों को तेज विकास के लिए आकांक्षी बनाया। आज आकांक्षी जिला अभियान उसकी वजह से देश के ये 100 जिले, विकास में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

भाइयों और बहनों,

मोदी की गारंटी वहां से शुरू होती है, जहां दूसरों से उम्मीद खत्म होती है। देश के गरीब को पहली बार ये भरोसा हुआ है कि उसे पक्का घर मिलेगा- क्योंकि मोदी की गारंटी है। गरीब से गरीब को पहली बार ये भरोसा हुआ है कि उसे भूखा नहीं सोना पड़ेगा, उसे दर्द नहीं सहना पड़ेगा- क्योंकि मोदी की गारंटी है। दूर-सुदूर के गांव में रहने वाली बहन को भी भरोसा है कि उसके घर बिजली आएगी, नल से जल आएगा- क्योंकि मोदी की गारंटी है। गरीब, किसान, दुकानदार, मजदूर, इन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि इनके लिए भी बीमा और पेंशन की योजनाएं बनेंगी। लेकिन आज ये हुआ है- क्योंकि मोदी की गारंटी है। दोनों हाथ उठाइए – क्‍योंकि मोदी की गारंटी है।

|

साथियों,

आदिवासी क्षेत्रों में सिकल सेल अनीमिया एक बहुत बड़ी चुनौती रही है। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए, हमने इसके लिए अनेक कदम उठाए। लेकिन इस बीमारी को दूर करने के लिए देश के स्तर पर प्रयास होना ज़रूरी था। अब हमने सिकल सेल अनीमिया से मुक्ति दिलाने के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरू किया है। इसके तहत देशभऱ के आदिवासी क्षेत्रों में सिकल सेल अनीमिया की जांच की जा रही है। विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान भी लाखों लोगों की जांच हुई है। अब तो यहां मेडिकल कॉलेज भी बन रहा है। आदिवासी बाहुल जिलों में मेडिकल कॉलेज बनना पहले कितनी बड़ी बात होती थी। आज अनेक आदिवासी जिलों में मेडिकल कॉलेज बन चुके हैं।

साथियों,

गरीब हो या मध्यम वर्ग, गांव हो या शहर, हमारी सरकार का प्रयास है कि हर देशवासी का जीवन स्तर और सुधरे। अपने दशकों के शासन में कांग्रेस, भारत को 11वें नंबर की इकोनॉमी ही बना पाई। इकोनॉमी में पीछे रहने का मतलब ये था कि देश के पास पैसे भी कम ही रहते थे। इसलिए तब न तो गांव का अच्छे से विकास हो पाया और न ही छोटे शहरों में विकास हो पाया। भाजपा सरकार ने अपने 10 साल के शासन में ही भारत को 10 नंबर से 5 नंबर की इकोनॉमी बना दिया है। इसका मतलब ये है कि आज भारत के पास देशवासियों के पास खर्च करने के लिए कहीं ज्यादा पैसा है और इसलिए भारत ये खर्च कर भी रहा है। इसलिए, आज देश के छोटे शहरों में भी कनेक्टिविटी का शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है। कोई सोच भी नहीं सकता था कि छोटे शहरों से भी हवाई यात्रा इतनी सहज होगी। आज देश के अनेक छोटे शहरों में लोग हवाई यात्रा का लाभ ले पा रहे हैं। कांग्रेस के दशकों के शासन ने, शहरों को झुग्गियां दीं। हम झुग्गियों की जगह गरीबों को पक्के घर दे रहे हैं। बीते 10 साल में हमने गरीबों को 4 करोड़ से ज्यादा पक्के घर बनाकर दिए हैं...4 करोड़, आप सोचिए।

|

साथियों,

आज दुनिया डिजिटल इंडिया को पहचानती है। ये वही डिजिटल इंडिया अभियान है, जिसका कभी कांग्रेस के लोग मजाक उड़ाया करते थे। आज डिजिटल इंडिया ने छोटे शहरों को ट्रांसफॉर्म कर दिया है। इन छोटे शहरों में नए स्टार्ट अप्स बन रहे हैं, स्पोर्ट्स के क्षेत्र में नए युवा सामने आ रहे हैं। हम गुजरात में भी छोटे शहरों का विस्तार होते देख रहे हैं। इन छोटे शहरों में एक निओ मिडिल क्लास का उभार होते देख रहे हैं। यही निओ मिडिल क्लास भारत को तीसरे नंबर की आर्थिक ताकत बनाएगा।

भाइयों और बहनों,

भाजपा सरकार, जितना जोर विकास पर दे रही है, उतना ही ध्यान अपनी विरासत पर भी दे रही है। ये क्षेत्र तो हमारी आस्था और इतिहास का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। आज़ादी का आंदोलन हो या फिर राष्ट्र निर्माण का मिशन, इस क्षेत्र का योगदान बहुत अधिक है। लेकिन जब परिवारवाद, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार ही राजनीति का एकमात्र लक्ष्य बन जाए, तो विरासत पर ध्यान नहीं जाता। दुर्भाग्य से कांग्रेस ने दशकों तक देश के साथ लगातार ये अन्याय किया है। आज पूरी दुनिया में भारत की समृद्ध विरासत की गूंज सुनाई दे रही है। आप दुनिया में कहीं भी जाएंगे, तो पाएंगे कि लोग भारत आना चाहते हैं, भारत के बारे में जानना चाहते हैं। लेकिन कांग्रेस ने दशकों तक दुनिया को भारत की असली विरासत से दूर रखा। आज़ादी की लड़ाई में पूज्य बापू ने नमक और खादी को आजादी का प्रतीक बनाया। कांग्रेस ने खादी को भी बर्बाद कर दिया और नमक सत्याग्रह की इस भूमि को भी भुला दिया। दांडी नमक सत्याग्रह के स्थल पर दांडी स्मारक बनाने का सौभाग्य हमारी सरकार को मिला है। हमने सरदार पटेल जी के योगदान को समर्पित, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाई। लेकिन कांग्रेस का कोई भी शीर्ष का नेता आज तक वहां उन्हें श्रद्धांजलि देने नहीं गया है। गुजरात के प्रति इसी नफरत को कोई गुजराती कभी भूल नहीं सकता।

साथियों,

आपने देखा है कि कैसे कांग्रेस के ये लोग मोदी की जाति को भी गाली देते हैं। लेकिन कांग्रेस वाले भूल जाते हैं कि ये जितनी गाली देंगे- 400 पार का संकल्प उतना ही मजबूत होगा। ये जितना कीचड़ फेंकेंगे- 370 कमल उतनी ही शान से खिलेंगे।

|

भाइयों और बहनों,

कांग्रेस के पास आज मोदी को गाली देने के अलावा, देश के भविष्य के लिए कोई एजेंडा नहीं है। ये दिखाता है कि जब कोई पार्टी, परिवारवाद के शिकंजे में आ जाती है, तब उसे परिवार से ऊपर कोई नहीं दिखता। परिवारवादी मानसिकता, नई सोच की दुश्मन होती है। परिवारवादी मानसिकता, नई प्रतिभा की दुश्मन होती है। परिवारवादी मानसिकता, युवाओं की दुश्मन होती है। अपने परिवार की रक्षा के लिए वो वही पुरानी स्थिति बनाए रखना चाहते हैं। कांग्रेस के साथ आज यही हो रहा है। जबकि भाजपा, आने वाले 25 वर्ष, उसका एक रोडमैप बनाकर देश के सामने विकास के लक्ष्य को ले करके निकली है। इन 25 वर्षों में हम विकसित गुजरात बनाएंगे, विकसित भारत बनाएंगे।

साथियो,

आप इतनी बड़ी तादाद में आए। माताएं-बहनें बहुत बड़ी मात्रा में आई हैं। आप सबने हमें आशीर्वाद दिया, इसके लिए मैं हृदय से आपका आभार व्‍यक्‍त करता हूं। एक बार फिर से आप सभी को विकास कार्यों की बहुत-बहुत बधाई। मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की जय !

दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए-

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

बहुत-बहुत धन्यवाद !

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
‘India slashed GHG emissions by 7.93% in 2020’

Media Coverage

‘India slashed GHG emissions by 7.93% in 2020’
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
India is driving global growth today: PM Modi at Republic Plenary Summit
March 06, 2025
QuoteIndia's achievements and successes have sparked a new wave of hope across the globe: PM
QuoteIndia is driving global growth today: PM
QuoteToday's India thinks big, sets ambitious targets and delivers remarkable results: PM
QuoteWe launched the SVAMITVA Scheme to grant property rights to rural households in India: PM
QuoteYouth is the X-Factor of today's India, where X stands for Experimentation, Excellence, and Expansion: PM
QuoteIn the past decade, we have transformed impact-less administration into impactful governance: PM
QuoteEarlier, construction of houses was government-driven, but we have transformed it into an owner-driven approach: PM

नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

|

साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

|

साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

|

साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

|

साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

|

साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

|

साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!