"शिंजो आबे आने वाले वर्षों तक भारतीयों के दिलों में रहेंगे"
अरुण जेटली का व्यक्तित्व विविधता से भरा था और उनका स्वभाव सर्वमित्र था, हर कोई उसकी कमी महसूस करता है"
"सरकार के प्रमुख के रूप में 20 वर्षों के मेरे अनुभवों का सार यह है कि- समावेशिता के बिना, वास्तविक विकास और विकास के बिना समावेशिता का लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सकता है"
"पिछले 8 वर्षों में समावेश की गति और पैमाना अभूतपूर्व रहा है"
"आज का भारत 'मजबूरी से सुधार' की बजाय 'विश्वास से सुधार' के साथ अगले 25 वर्षों के लिए एक रोडमैप तैयार कर रहा है"
"हम सुधारों को एक कमी नहीं बल्कि एक जीत के विकल्प के रूप में देखते हैं"
"हमारा नीति-निर्माण लोगों के मनोभावों पर आधारित है"
"हमने नीति को लोकलुभावन आवेगों के दबाव में नहीं आने दिया"
"अब समय आ गया है कि सरकार को निजी क्षेत्र को एक भागीदार के रूप में प्रोत्साहित करना चाहिए और हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं"

नमस्कार !

आज का दिन मेरे लिए अपूर्णीय क्षति और असहनीय पीड़ा का दिन है। मेरे घनिष्ठ मित्र और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे अब हमारे बीच नहीं रहे हैं।आबे जी मेरे तो साथी थे ही, वो भारत के भी उतने ही विश्वसनीय दोस्त थे। उनके कार्यकाल में भारत जापान में उनके जो राजनीतिक संबंध थे हमारे उनको नई ऊंचाई तो मिली ही, हमने दोनों देशों की सांझी विरासत से जुड़े रिश्तों को भी खूब आगे बढ़ाया। आज भारत के विकास की जो गति है, जापान के सहयोग से हमारे यहां जो कार्य हो रहे हैं, इनके जरिए शिंजो आबे जी भारत के जन मन में सालों-साल तक बसे रहेंगे। मैं एक बार फिर दुःखी मन से मेरे दोस्त को श्रद्धांजलि देता हूं।

साथियों,

आज का ये आयोजन मेरे और एक घनिष्ठ मित्र अरुण जेटली जी को समर्पित है। बीते दिनों को याद करते हैं, तो उनकी बहुत सारी बातें, उनसे जुड़े बहुत से वाकये स्वाभाविक रूप से याद आते हैं, और यहां बहुत सारे उनके पुराने साथी मैं देख रहा हूं। उनकी oratory हम सब उसके कायल थे और उनके वन लाइनर वो लंबे अरसे तक हवा में गूंजते रहे थे। उनका व्यक्तित्व विविधता से भरा था और उनका स्वभाव सर्वमित्र वाला था। यह जितने भी लोग दिखते हैं, हर एक की अलग अलग दुनिया है लेकिन सब अरुण के मित्र थे। ये अरुण के सर्वमित्र की विशेषता थी और उनके व्यक्तित्व की इस खूबी को सभी आज भी याद करते हैं और हर कोई अरुण की कमी महसूस करता है।

मैं अरुण जेटली जी को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं।

साथियों,

अरुण जी की स्मृति में इस लेक्चर का जो विषय रखा गया है – Growth through inclusivity, inclusivity through growth, वो सरकार की डवलपमेंट पॉलिसी का मूल मंत्र है। मैं थर्मन जी का विशेषरूप से आभारी हूं कि उन्होंने हमारे निमंत्रण को स्वीकार किया और मैंने कई बार उनको सुना भी है, उनको मैं पढ़ता भी रहता हूं। उनकी बातों में, उनके अध्ययन में, वो सिर्फ भारत में ही बोलते हैं तब नहीं, दुनिया के अन्य देशों में भी जब जाते हैं तो काफी रिसर्च करते हैं, लोकल टच उनकी हर एकेडमिक थिंकिंग में, उनकी फिलोसॉफी मे बहुत सटीक तरीके से वो उसको neat करते हैं, आज भी हम सबने अनुभव किया। बहुत ही अच्छे ढंग से उन्होंने वैश्विक परिस्थिति से लेकर के हमारे देश के बच्चों तक हमें ले आए। मैं उनका बहुत आभारी हूं उन्होंने समय निकाला।

साथियों,

जिस विषय पर यह चर्चा हो रही है, जिस विषय को लेकर के आज अरुण जेटली व्याख्यान का हमारा प्रारंभ हुआ है, अगर मैं इसी को सरल भाषा में कहूं तो एक प्रकार से ये थीम मेरी सीधी साधी भाषा में मैं कहूंगा, सबका साथ-सबका विकास। लेकिन इसके साथ ही, इस लेक्चर की थीम, आज के पॉलिसी मेकर्स के सामने आ रही चुनौतियां और दुविधाओं को भी Capture करती है।

मैं आप सभी से एक प्रश्न पूछना चाहता हूं। क्या बिना Inclusion के सही Growth संभव है? आप अपने आप को पूछिए।क्या बिना Growth के Inclusion के बारे में सोचा भी जा सकता है क्या? Head of the government के तौर पर मुझे 20 साल से भी अधिक समय से काम करने का अवसर मिला है और मेरे अनुभवों का सार यही है कि - बिना inclusion के real growth संभव ही नहीं है। और, बिना Growth के Inclusion का लक्ष्य भी पूरा नहीं किया जा सकता। और इसलिए, हमने Growth through inclusivity का रास्ता अपनाया, सबके समावेश का प्रयास किया। बीते 8 वर्षों में भारत ने Inclusion के लिए, जिस Speed के साथ काम किया है, जिस Scale पर काम किया है, वैसा उदाहरण आपको पूरी दुनिया में कभी भी नहीं मिलेगा। बीते आठ साल में भारत ने 9 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया है। ये संख्या, साउथ अप्रीका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, न्यूजीलैंड इसकी सारी आबादी को भी जोड़ दें, तो उससे भी ज्यादा होती है। यानी आप स्केल देखिए बीते आठ साल में भारत ने 10 करोड़ से ज्यादा Toilets बनाकर गरीबों को दिए हैं। थर्मन जी ने इसका बड़ा पैशन हो करके उल्लेख किया। ये संख्या साउथ कोरिया की कुल आबादी के दोगुने से भी ज्यादा है। बीते आठ साल में भारत ने 45 करोड़ से ज्यादा जनधन बैंक अकाउंट खोले हैं। ये संख्या भी जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली, मैक्सिको इनकी Total Population से भी करीब-करीब उसके बराबर है। बीते आठ साल में भारत ने गरीबों को 3 करोड़ पक्के घर बनाकर दिए हैं। और मुझे याद है एक बार आप ही के मंत्री परिषद के साथी ईश्वरन से मेरी बात हो रही थी, सिंगापुर के मिनिस्टर, जब मैं उनको यह स्केल बताता था, हां उसी का, तो ईश्वरन ने मुझे कहा तो आपको तो हर महीने एक नया सिंगापुर बनाना पड़ेगा।

मैं आपको Growth through inclusivity, inclusivity through growth का एक और उदाहरण देना चाहता हूं। भारत में कुछ साल पहले हमने आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी। जिसका उल्लेख थर्मन जी ने किया और आने वाले प्रमुख सेक्टर में उन्होंने हेल्थ सेक्टर की चर्चा भी को है। इस योजना की वजह से 50 करोड़ से ज्यादा गरीबों को अच्छे से अच्छे अस्पताल में और हिंदुस्तान में कहीं भी 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलना सुनिश्चित हुआ है। 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज। बीते चार साल में आयुष्मान भारत की वजह से देश के साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपना मुफ्त इलाज कराया है। हमने इस योजना में Inclusion पर फोकस किया, गरीब से गरीब जो हैं, आखिर की पंक्ति में बैठा हुआ है उसको भी आरोग्य के संबंध में अच्छी से अच्छी सुविधा मिले, और समय के साथ हमने देखा है वो पहलू तो इंक्लूजन का है लेकिन समय ने ये बताया है कि इससे ग्रोथक का रास्ता भी बनता चला गया। जो पहले Excluded थे, वो विकास की मुख्यधारा से जुड़े, तो डिमांड भी बढ़ी और Growth के लिए Opportunities का भी विस्तार हुआ। जब भारत की एक तिहाई आबादी, जो पहले बेहतर हेल्थकेयर की सुविधाओं से दूर थी, उसे इलाज की सुविधा मिली, तो इसका सीधा प्रभाव ये हुआ कि healthcare capacity को उसी हिसाब से खुद को मजबूत करना पड़ा। मैं आपको बताता हूं कि आयुष्मान भारत योजना ने कैसे पूरे हेल्थकेयर सेक्टर को Transform कर दिया है। 2014 से पहले हमारे देश का औसत था, एवरेज, 10 साल में करीब 50 मेडिकल कॉलेज बना करते थे। जबकि भारत में पिछले 7-8 साल में पहले के मुकाबले 4 गुना से ज्यादा, यानी करीब करीब 209 नए मेडिकल कॉलेज बनाए गए हैं। अब आप कल्पना कर सकते हैं कि कहां 50 और कहां 209, और आने वाले अभी 10 साल ये जब हिसाब लगाऊंगा तो वो और आगे बढ़ने वाला है, वो 400 तक पहुंचने वाला है। बीते 7-8 साल में भारत में Under Graduate Medical Seats में Seventy Five Percent की बढ़ोतरी हुई है। भारत में अब Annual Total Medical Seats की संख्या बढ़कर लगभग दोगुनी हो चुकी है। यानि अब देश को कहीं ज्यादा डॉक्टर मिल रहे हैं, देश में तेजी से आधुनिक मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है। Inclusiveness के लिए लाई गई एक योजना का जमीन पर ग्रोथ की दृष्टि से भी इतना बड़ा प्रभाव हम बिल्कुल देख सकते हैं। हम उसको आक सकते हैं। और मैं तो आपको ऐसी दर्जनों योजनाएं गिना सकता हूं।

भारत के डिजिटल इंडिया अभियान ने, जिसका उल्लेख अभी थर्मन जी ने किया, लगभग 5 लाख कॉमन सर्विस सेंटर्स ने, गांव में रहने वाले गरीब तक भी इंटरनेट की ताकत को पहुंचाया है। भारत के भीम-UPI ने करोड़ों गरीबों को डिजिटल पेमेंट की सुविधा से जोड़ा है। भारत की स्वनिधि योजना ने रेहड़ी-पटरी वाले साथियों को बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ने का अवसर दिया है जो हमारे यहां नगर पालिका में, महानगर पालिका में जो रेहड़ी पटरी वाले होते हैं जिनके साथ हमारा रोज का नाता होता है। बैंक मैनेजर होगा, उसके घर में रोज रेहड़ी पटरी वाला माल देता होगा लेकिन उसको बैंक में जगह नहीं होगी, ये हाल था, आज हमने इसको जोड़ दिया है। उसी प्रकार से भारत ने एक बहुत बड़ा काम किया है, दुनिया उस पर काफी कुछ इन दिनों जो अर्थशास्त्री लोग हैं, वो लिख भी रहे हैं, बड़ी बड़ी एजेंसियां उसका रेटिंग भी कर रहे हैं।

भारत का एक इनिशिएटिव है Aspirational District Programme, देश के 100 से ज्यादा जिलों में रहने वाले करोड़ों साथियों को Uplift कर रहा है। और ये एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक की कल्पना ये है कि हिंदुस्तान के और जिलों की तुलना में जो पीछे रह गए हैं, उनकी आकांक्षाओं को हम एड्रेस करें। उनको उस राज्य की टॉप पोजीशन की बराबरी तक ले आएं और फिर, धीरे धीरे उसको नेशनल टॉप की बराबरी तक ले आएं।

साथियों,

इसका इतना बड़ा पॉजिटिव इंपैक्ट हुआ है, और एक प्रकार से इन 100 डिस्ट्रिक का इंक्लूजन हो रहा है डेवलपमेंट की दुनिया में। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति और ये बहुत बड़ा पैराडिग्म शिफ्ट है और शिक्षा पर भी थर्मन जी ने काफी बाल दिया अपनी बातचीत में, भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाषा में, Mother Tongue में पढ़ाई पर जोर दे रही है। जो अंग्रेजी नहीं जानता है, जो Excluded है, उसे अब मातृभाषा में पढ़कर आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। भारत की उड़ान योजना, इसने देश के हमने कई हवाई पट्टियों को जीवंत कर दिया, नए एयरपोर्ट बनाए, दूर दूर टियर 2 टियर 3 सिटी में भी हम चले गए। और उड़ान योजना लाए fix amount में हवाई जहाज में सफर की एक रचना की। भारत की उड़ान योजना ने देश के अलग-अलग कोनों को हवाई मार्ग से जोड़ा है, गरीब को भी हवाई जहाज में उड़ने का हौसला दिया है। और मैं कहता था हवाई चप्पल पहनने वाला भी अब हवाई जहाज में बैठेगा। यानी इंक्लूजन भी हो रहा है, ग्रोथ भी हो रहा है, उसी का परिणाम है। आज भारत में एविएशन सेक्टर का इतना ग्रोथ हो रहा है, एक हजार से ज्यादा नए एयरक्राफ्ट बुक हुए हैं भारत के लिए। इस देश में एक हजार से ज्यादा नए एयरक्राफ्ट खरीदना क्योंकि पैसेंजर वाला इंक्लूजन का जो हमारा अप्रोच रहा, उसी का परिणाम है।

अभी थर्मन जी ने जिसकी बात की जो मैंने गुजरात में जिसको बहुत मुख्यता से काम किया था जल जीवन मिशन, देश के हर घर को Piped Water Supply से जोड़ रहा है। नल से जल और सिर्फ वह पानी मिलता है नहीं, वह उसका समय बचाता है कठिनाइयां बचाता है, हल्दी कंडीशन के लिए Water की बहुत बड़ी भूमिका रहती है। उन सारी दृष्टि से यह मिशन बहुत बड़ा सामाजिक जीवन और जिन्होंने बच्चों के न्यूट्रीशन का विषय किया उसका संबंध पानी से भी है। शुद्ध पानी, पीने का शुद्ध पानी ये भी न्यूट्रीशन के लिए बच्चों के लिए महत्वपूर्ण विषय है और हमारा नल से जल अभियान उस इश्यू को भी एड्रेस करने का एक बड़ा महा अभियान का एक हिस्सा है। सिर्फ तीन साल में ही इस मिशन ने 6 करोड़ से ज्यादा घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा है। भारत में मोटे तौर पर हिसाब लगाएं तो 25 से 27 करोड़ घर हैं, उसमें से 6 करोड़ घरों को पानी पहुंचा दिया है जी। ये Inclusiveness, आज देश के सामान्य मानवी का जीवन आसान कर रही है, उसे आगे बढ़ने का हौसला दे रही है। और किसी भी देश के विकास में इसका कितना महत्व है, ये आप अर्थ जगत के लोग जो यहां बैठे हैं वो भली-भांति इस बात को जानते हैं।

मैं आपको एक और उदाहरण दूंगा। आप भी जानते हैं और ये तो मैंने देखा है की UN में भी इसकी चर्चा होती है। SDG में भी उसकी डेवलपमेंट गोल के उन मुद्दों पर भी चर्चा होती है और वो क्या है दुनिया में दशकों से अनेक देशों में Property Rights, ये बहुत बड़ा issue बना हुआ है। और जब प्रॉपर्टी राइट्स की बात करते हैं तब समझ के जो आखिरी लोग होते हैं वो सबसे ज्यादा वल्नरेबल होते हैं। उनके पास कोई दस्तावेज नहीं होता है। सबसे ज्यादा मुसीबतें उनको झेलनी पड़ती हैं। लेकिन आपको जानकर के खुशी होगी की भारत ने इस दिशा में जिस तेजी से काम किया है, वो अभूतपूर्व है। और मैं मानता हूं दुनिया के academician, दुनिया के इकोनॉमिस्ट इस विषय को अध्ययन करेंगे और दुनिया के सामने इस विषय को प्रस्तुत करेंगे कि स्वामित्व योजना के माध्यम से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में घरों और इमारतों की मैपिंग का काम बड़े पैमाने पर चल रहा है। अभी तक भारत के डेढ़ लाख गांवों में ये काम हम ड्रोन की मदद से करते हैं। ड्रोन से सर्वे होता है और टेक्नोलॉजी का भरपूर प्रयोग होता है और पूरा गांव वहां मौजूद रहता है यह सारी प्रोसेस होती है तब, और डेढ़ लाख से अधिक गांव में ड्रोन से यह सर्वे पूरा किया जा चुका है। और 37 हजार स्कैवेयर किलोमीटर जमीन की मैपिंग का काम हो जा चुका है मतलब उन घरों से जुड़ी हुई जमीन वाला और 80 लाख से ज्यादा लोगों के लिए Property Card बनाए जा चुके हैं और यह भी जो मालिक है उसकी सहमति से होता है। उसके साथ विचार-विमर्श होता है उसके अड़ोस पड़ोस के लोगों के साथ विचार-विमर्श होता है एक लंबी प्रक्रिया है और इसका मतलब यह हुआ कि इससे गांव के लोगों को बैंक लोन मिलना आसान हुआ है, उनकी जमीन अब कानूनी विवादों से भी बच रही है।

साथियों,

आज का भारत Reforms by compulsion के बजाय Reforms by conviction से आने वाले 25 साल का रोडमैप तैयार कर रहा है। देश आजादी के 100 साल मनाए तब देश कहां होगा इस लक्ष्य को लेकर के हम आज रोड मैप तैयार करके आगे बढ़ रहे हैं। दशकों पहले देश ने ये देखा था कि जब कोई रिफॉर्म मजबूरी में होता है तो उसके institutionalise होने की उम्मीद कम ही रहती है।

जैसे ही मजबूरी खत्म होती है, वैसे ही रिफॉर्म भी भुला दिया जाता है। रिफॉर्म जितने ज़रूरी होते हैं, उतना ही ज़रूरी वो environment होता है, motivation होता है। पहले भारत में बड़े रिफ़ॉर्म्स तभी हुए जब पहले की सरकारों के पास कोई और रास्ता नहीं बचता था। हम reforms को necessary evil के रूप में नहीं बल्कि एक win-win choice के रूप में मानते हैं, जिसमें राष्ट्रहित भी है, जनहित भी है। इसलिए बीते 8 सालों में हमने जो भी रिफ़ॉर्म किए, उन्होंने नए रिफॉर्म्स के लिए रास्ता तैयार किए हैं।

अरुण जी आज जहां भी होंगे, वो संतुष्ट होंगे कि वो जिस मिशन में भागीदार रहे, उसका लाभ आज देश को मिल रहा है। GST हो या IBC, इनको लेकर सालों तक चर्चा हुई, आज इनकी सफलता हमारे सामने है। Companies Act को decriminalize करना हो, corporate taxes को competitive, बनाना हो, space, coal mining और atomic sectors को खोलना हो, ऐसे अनेक रिफॉर्म आज 21वीं सदी के भारत की सच्चाई हैं।

साथियों,

हमारी पॉलिसी मेकिंग pulse of the people पर आधारित है। हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुनते हैं, उनकी आवश्यकता, उनकी आकांक्षा को समझते हैं। इसलिए हमने Policy को populist impulses के दबाव में नहीं आने दिया। People’s pulse के अनुसार फैसले लेना और populism के सामने हथियार डाल देने में क्या फर्क होता है, ये कोविड काल में हिंदुस्तान ने देखा है, और देखा ही नहीं दुनिया को दिखाया है। बड़े बड़े अर्थशास्त्री क्या कह रहे थे पैंडेमिक के समय, जब pandemic आई तो पूरी दुनिया में बड़े bail out packages के लिए, demand driven recovery के लिए, एक populist impulse था हम पर भी दबाव था और हमारी आलोचना होती थी। ये कुछ कर नहीं रहे हैं, कुछ देख नही रहे हैं, पता नही क्या कुछ हमारे लिए कहा गया। ये भी कहा गया कि लोग ये चाहते हैं, एक्सपर्ट ये चाहते हैं, बड़े बड़े विद्वान ये चाहते हैं। लेकिन भारत दबाव में नहीं आया, उसने एक अलग अप्रोच अपनाई और बहुत समझदारी के साथ शांत मन से अपनाई। हमने people first approach के साथ गरीब को सुरक्षा दी, महिलाओं, किसानों, MSMEs पर ध्यान दिया। हम दुनिया से अलग इसलिए कर पाए क्योंकि हमें People’s pulse यानि जनता क्या चाहती है, उसकी क्या चिंता है, इसका ऐहसास है। इसलिए भारत की रिकवरी और बाकी दुनिया की रिकवरी में जो फर्क है, वो हम साफ देख सकते हैं।

साथियों,

मैं अक्सर Minimum Government और Maximum Governance का आग्रह करता रहा हूं। हमारी सरकार ने ऐसे डेढ़ हजार कानूनों को खत्म कर दिया है, जो लोगों के जीवन में अनावश्यक रूप से दखल दे रहे थे। और मुझे याद है 2013 में जब भारतीय जनता पार्टी ने मुझे पीएम कैंडिडेट बनाया था 2014 में चुनाव होना था यही दिल्ली में ही व्यापार जगत के लोगों ने मुझे कार्यक्रम के लिए बुलाया था और वो बड़े थोड़े गरम मिजाज का वातावरण था। क्या करोगे कितना करोगे फलाना करोगे यह सब पूछ रहे थे यह कानून बनाओगे नहीं कानून बनाओगे, ऐसा बड़ा दबाव था, कैंडिडेट था, चुनाव का दिन था तो हम भी जरा। मैंने कहा देखिए आप कानून बनाना चाहते हैं मैं आपसे एक वादा करता हूं मैं हर दिन एक कानून खत्म करूंगा, नए बनाने की गारंटी नहीं देता हूं, खत्म करूंगा। और पहले 5 साल में डेढ़ हजार कानून खत्म करने का काम कर दिया साथियों जो जनता सामान्य पर बोझ बन गए।

साथियों,

आपको जानकर के खुशी होगी, हमारी सरकार ने 30 हजार से ज्यादा यानी आंकड़ा पर भी आप चौंक जाएंगे जी, 30 हजार से ज्यादा ऐसे Compliances को भी कम कर दिया है, जो Ease of Doing Business और ease of living में बाधा बने हुए थे। 30,000 कंप्लायंसेज खत्म कर देना यानी जनता जनार्दन पर कितना अभूतपूर्व विश्वास का युग आया है उसका नतीजा होता है कि हम कंप्लायंसेज के बोझ से जनता को मुक्त कर रहे हैं। और मैंने लाल किले पर से कहा था कि मैं चाहता हूं सरकार लोगों की जिंदगी से जितनी बाहर चली जाए हमें निकलनी है। लोगों की जिंदगी में से सरकार सरकार सरकार, सरकार का प्रभाव कम से कम हो लेकिन जिसको सरकार की जरूरत है उसको सरकार का अभाव न हो ये दोनों विषयों को लेकर के हमने चलने का प्रयास किया है। आज मुझे आपको ये बताते हुए बहुत संतोष है कि Minimum Government की अप्रोच Maximum Outputs और Outcomes भी दे रही है। हम बहुत तेजी के साथ अपनी Capacity का विस्तार कर रहे हैं और इसके नतीजे आपके सामने हैं। COVID Vaccines का ही उदाहरण लें। हमारे देश के Private Players ने बहुत ही अच्छा काम किया है। लेकिन उनके पीछे Partner in Progress के रूप में सरकार की पूरी ताकत से खड़ी रही थी। Virus Isolation से लेकर Speedy Trial तक, Funding से लेकर Rapid Roll Out तक, जो कंपनियां Vaccine का निर्माण कर रही थीं, उन्हें सरकार का भरपूर सहयोग मिला। एक और उदाहरण हमारे Space Ecosystem का है। आज भारत पूरी दुनिया में सबसे विश्वसनीय और अत्याधुनिक Space Service Providers में से एक है। इस क्षेत्र में भी हमारा Private Sector Ecosystem बहुत ही बेहतरीन काम कर रहा है। लेकिन उनके पीछे भी Partner in Progress के रूप में सरकार की पूरी शक्ति है, जो उन्हें हर सुविधा और जानकारी उपलब्ध कराने में मदद कर रही है। जब हम भारत के Digital Payments Ecosystem का उदाहरण लेते हैं, तो हमारे यहां Fintech के साथ ही Digital Payments से जुड़े कई बड़े players हैं। लेकिन यहां भी देखें तो इनके पीछे Jam Trinity, Rupay, UPI और Supportive Policies का मजबूत आधार है। यहां मैंने केवल कुछ उदाहरण आपके सामने रखे हैं। लेकिन मैं इन्हें दुनिया के लिए एक रिसर्च का विषय मानता हूं, एकेडमिक वर्ल्ड को गहराई के जाने के लिए बाल देता हूं, दुनियाभर के इकोनॉमिस्ट को मैं निमंत्रण करता हूं, आइए इसकी बारीकियों को देखिए। इस विशाल देश अनेक विविध आवश्यकताएं उन सबके बावजूद भी हम किस प्रकार से आगे बढ़ रहे हैं। एक प्रकार से देखें तो अब सिर्फ प्राइवेट सेक्टर या सरकारी वर्चस्व वाले Extreme Models की बातें पुरानी हो चुकी हैं। अब समय है कि सरकार Private sector को Partner in Progress मानकर उन्हें प्रोत्साहित करे और हम इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

साथियों,

सबको साथ लेकर चलने, देश के पब्लिक और प्राइवेट, दोनों सेक्टर्स पर भरोसा करने की यही स्पिरिट है जिसके कारण आज भारत में growth के लिए अद्भुत उत्साह दिख रहा है। आज हमारा export नए रिकॉर्ड बना रहा है। सर्विस सेक्टर भी तेज़ी से ग्रोथ की तरफ बढ़ रहा है। PLI स्कीम्स का असर मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर पर दिखने लगा है। मोबाइल फोन सहित पूरे electronic manufacturing sector में कई गुना वृद्धि हुई है। आपको जानकर के आश्चर्य होगा जब मैं इस कोरोना कालखंड में टॉयज को लेकर मैंने समिट की थी, खिलौनों, तो कई लोगों को ये लगा होगा कि पीएम तो कभी झाड़ू की बात करता है, स्वच्छता की बात करता है, टॉयलेट की बात करता है और अब ये टॉयज की बात कर रहा है। कईयों को क्योंकि अब तक उन बड़ी बड़ी बातों में फंसे रहे हैं तो मेरी बातें उनके गले बैठती नहीं थी। सिर्फ खिलौनों पर मैंने ध्यान दिया खिलौने बनाने वालों पर मैंने ध्यान केंद्रित किया। टेक्नोलॉजी पर ध्यान दिया, इनोवेशन पर ध्यान दिया, फाइनेंशियल सेक्टर की तरफ ध्यान दिया, अभी तो 2 साल पूरे नहीं हुए हैं, मेरे देशवासी गर्व करेंगे के टॉयज का इंपोर्ट इतने कम समय में इतना घट गया, वरना हमारे घर घर में खिलौना विदेशी हुआ करता था। इतना इंपोर्ट कम हुआ है कि, इतना ही नहीं भारत के खिलौने भारत के टॉयज पहले जितना इंपोर्ट होता था उससे ज्यादा आज एक्सपोर्ट होने लग गए हैं। यानी कितना बड़ा पोटेंशियल untapped का, जैसे आपने कहा टूरिज्म, मैं सहमत हूं आपसे, भारत के टूरिज्म की संभावना इतनी अपार है लेकिन हम एक ही जगह पर अटक गए थे हिंदुस्तान के पूर्ण रूप में विश्व के सामने ले जाने का हमने, पता नहीं हमारी मानसिकता ही को चुकी थी और मैं तो विदेश के मेहमान जो भी आते हैं उन्हें हिंदुस्तान के किसी न किसी जगह पर जाने का आग्रह करता हूं, शायद मेरे टूरिज्म को, इस बार हमने योग का कार्यक्रम किया तो 75 आइकॉनिक स्थानों पर किया कि पता चले कि टूरिज्म के ऐसे ऐसे डेस्टिनेशन हैं हमारे यहां। टूरिज्म की संभावनाएं आपने सही फरमाया पूरे विश्व के लिए आकर्षण का बहुत बड़ा केंद्र बन सकता है भारत।

साथियों,

हमारी डिजिटल इकॉनॉमी भी तेज़ी से आगे बढ़ रही है। फिज़िकल और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर रिकॉर्ड निवेश हो रहा है। यानि हमारे ग्रोथ इंजन से जुड़ा हर सेक्टर आज पूरी क्षमता से चल रहा है।

साथियों,

आजादी का ये अमृतकाल, भारत के लिए अनगिनत नए अवसर लेकर आ रहा है। हमारा निश्चय पक्का है, हमारा इरादा अटल है। मुझे विश्वास है, हम अपने संकल्पों को सिद्ध करेंगे, 21वीं सदी में उस उंचाई को प्राप्त करेंगे, जिसका भारत हकदार है। और जैसा थर्मन जी कुछ चैलेंज के लिए बता रहे थे मैं मानता हूं चुनौतियां है लेकिन अगर चुनौतियां हैं तो 130 करोड़ सलूशन भी है, यह मेरा विश्वास है और उन विश्वास को लेकर के चुनौतियों को ही चुनौती देकर के आगे बढ़ने का संकल्प लेकर के चल रहे हैं और इसलिए हमने इंक्लूजन का रास्ता लिया है और उसी रास्ते से ग्रोथ को भी पाने का इरादा रखा है। एक बार फिर अरुण जी को याद करते हुए, मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं। थर्मन जी को विशेष रूप से बढ़ाई देता हूं। आप सब का भी ह्रदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

धन्यवाद !

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