नमस्कार !खुलुमाखा !जय माँ त्रिपुरसुंदरी।
कार्यक्रम में हमारे साथ जुड़ रहे त्रिपुरा के मुख्यमंत्री श्रीमान् बिप्लव देव जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्री गिरिराज सिंह जी, श्रीमती प्रतिमा भौमिक जी, त्रिपुरा के उप-मुख्यमंत्री श्री जिष्णु देव वर्मा जी, सभी सांसद गण, विधायकगणऔरस्थानीय निकायों के साथ, पंचायतों के सदस्य और त्रिपुरा केमेरे उत्साही, परिश्रमी, सभी मेरे प्यारे भाई-बहनों, मेरे नौजवान साथियों।
त्रिपुरा के साथियों से बात करके, मेरा विश्वास और बढ़ गया है।आज जिन-जिन लोगों से मुझे बात करने का मौका मिला, अच्छा लगा।विकास की ये चमक, अपने घर और सम्मानपूर्ण जीवन का ये आत्मविश्वास त्रिपुरा को और समूचे पूर्वोत्तर को बहुत ऊंचाइयों तक ले जाएगा। नई सोच के साथ आगे बढ़ता त्रिपुरा आने वाले दिनों में कैसा होगा, इसका अंदाजा भीहम लगा सकते हैं।
साथियों,
हमारे जीवन में कोई बड़ा बदलाव आए, कोई बड़ी सफलता मिले, इससे हमें स्वाभाविक रूप सेउत्साह, उमंग, एक नई ऊर्जामिल जातीहै। लेकिन ये सफलता, उम्मीद की नई किरण अगर लंबे इंतज़ार के बाद प्रकट हो, जिंदगी भर अंधेरा ही अंधेरा, अंधेरा ही अंधेरा और उसमें एक किरण नजर आ जाएतो उसकी चमक कई गुनाज्यादा होतीहै। जब से बिप्लव देव जी की सरकार बनी है, जब से दिल्ली में हमें और बिप्लव देव जी को साथ में काम करने का मौका मिला है, लगातार ये चमक बढ़ती चली जा रही है।आज हमारा त्रिपुरा और समूचा पूर्वोत्तर ऐसे ही बदलाव का साक्षी बन रहा है।
आज प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दी गई पहली किश्त ने त्रिपुरा के सपनों को भी नया हौसला दिया है। मैं पहली किश्त का लाभ पाने वाले करीब-करीब डेढ़ लाख परिवारों को, सभी त्रिपुरा-वासियों को हृदय से बधाई देता हूँ। मैं मुख्यमंत्री बिप्लव देब जी और उनकी सरकार का भी अभिनंदन करता हूँ कि उन्होंने इतने कम समय में सरकारी कल्चर को, पुरानेकाम करने के ढंग को पुरानेरवैये को बदला है। जिस युवा जोश के साथ बिप्लव देव जी काम कर रहे हैं, वही युवा जोश, वही ऊर्जा पूरे त्रिपुरा में दिखाई दे रही है।
साथियों,
मुझे याद है, चार-पांच साल पहले तक लोग कहते थे कि त्रिपुरा में दशकों से एक ही सिस्टम चल रहा है, यहां बदलाव संभव ही नहीं है। लेकिन जब त्रिपुरा ने बदलाव करने की ठानी, तो त्रिपुरा का विकास रोकने वाली पुरानी सोच को पूरी तरह बदल डाला। अब त्रिपुरा को गरीब बनाए रखने वाली, त्रिपुरा के लोगों को सुख-सुविधाओं से दूर रखने वालीउससोच की त्रिपुरा में कोई जगह नहीं है।
अब यहां डबल इंजन की सरकार पूरी ताकत से, पूरी ईमानदारी से राज्य के विकास में जुटी है। अब अगरतला और दिल्ली दोनों एक साथ मिलकर त्रिपुरा के विकास के लिए नीतियाँ बनाते हैं, मेहनत करते हैं, और परिणाम लेकर आते हैं। आप देखिए, बीते चार वर्षों में, त्रिपुरा के गाँवों में करीब 50 हजार परिवारों को पीएम आवास योजना के तहत पक्के घर बनाकर दिए जा चुके हैं। अब करीब 1 लाख 60 हजार नए घरों की स्वीकृति दी गई है। एक साथ, एक ही बार में जो घर स्वीकृत हुये, उनमें से करीब डेढ़ लाख परिवारों को आज पहली किस्त भी जारी हो गई है।और वो भीएक साथ, एक ही बार मेंएक बटन दबाकर!
त्रिपुरा का ये मिज़ाज औरत्रिपुरा की येस्पीड कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई में भी देखने को मिली। 45 साल से ऊपर की उम्र के लोगों में पूरा शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन करने का रिकॉर्ड सबसे पहले त्रिपुरा ने ही बनाया था। और अब, त्रिपुरा 18 साल से ऊपर की पूरी आबादी के भी शत-प्रतिशत टीककरण के करीब है।
साथियों,
पहले देश के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों से हमारी नदियां तो पूरब आती थीं, लेकिन विकास की गंगा यहाँ पहुँचने से पहले ही सिमट जाती थी। देश के समग्र विकास को टुकड़ों में देखा जाता था, सियासी चश्मे से देखा जाता था। इसलिए, हमारा पूर्वोत्तर खुद को उपेक्षित महसूस करता था। लेकिन आज देश के विकास को 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना से देखा जाता है। विकास को अब देश की एकता-अखंडता का पर्याय माना जाता है।
पहले नीतियाँ दिल्ली के बंद कमरों में बनती थीं, और पूर्वोत्तर को उनमें फिट करने की नाकाम कोशिश होती थी। जमीन से ये कटाव ही अलगाव को जन्म देता है। इसीलिए, पिछले सात सालों में देश ने एक नई सोच, नई अप्रोच तय की है। अब दिल्ली के हिसाब से ही नहीं, बल्कि यहाँ की जरूरतों के हिसाब से नीतियाँ बनती हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना को ही लीजिये। पक्के मकान को लेकर कुछ नियम, त्रिपुरा के लाखों परिवारों के सामने बाधा बन रहे थे। लेकिन सरकार ने त्रिपुरा की भौगोलिक परिस्थितियों को समझा, उसके हिसाब से नियम बदले, आवश्यकनीतियाँ बनाईं। और उसके करण आज हजारों नए परिवारों को इस योजना का लाभ मिल पा रहा है। विकास के लिए यही संवेदनशीलताबहुतजरूरी है। इतना ही नहीं, हमने इस ओर भी ध्यान दिया कि यहाँ के वातावरण और रहन-सहन के हिसाब से घर कैसे होने चाहिए। हमने घरों का साइज भी बढ़ाया और उन्हें नई सुविधाओं से भी जोड़ा।
साथियों,
पीएम आवास योजना की जो एक बहुत बड़ी ताकत है, उसके बारे में मैं देश को बार-बार बताता हूं। और जिस स्थान को त्रिपुर सुंदरी का विशेष आशीर्वाद मिला हो, वहां तो मैं इस बात का जिक्र जरूर करूंगा। सदियों तक हमारे यहां जो सोच रही, उसमें महिलाओं के नाम पर घर नहीं होता था, महिलाओं के नाम पर संपत्ति नहीं होती थी। पीएम आवास योजना ने इस सोच को भी बदलने का काम किया है। इस योजना के तहत जो घर बनते हैं, उनका मालिकाना हक ज्यादा से ज्यादा हमारी बहनों-बेटियों को मिल रहा है, माताओं को मिल रहा है। अब वो घर के कागज पर भी घर की मालकिन बन रही हैं। इतना ही नहीं, पीएम आवास योजना से मिले घरों में, जो गैस का कनेक्शन मिल रहा है, बिजली कनेक्शन मिल रहा है, पानी का कनेक्शन मिल रहा है, उन सबका लाभ भी हमारी बहनों-बेटियों को ही सबसे ज्यादा हो रहा है।
साथियों,
भारत के विकास में, आत्मविश्वास से भरी हुई भारत की महिला शक्तिकाभारत को आगे बढ़ाने में एकबहुत बड़ा योगदान है। इस महिला शक्ति का बहुत बड़ा प्रतीक, हमारे महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप भी हैं। हमने सेल्फ हेल्प ग्रुप में काम करने वाली बहनों को जनधन खातों के माध्यम से बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा है। उन्हें बिना गारंटी ऋण में भी काफी बढ़ोतरी की गई है। हर सेल्फ हेल्प ग्रुप को पहले जहां 10 लाख रुपए तक का बिना गारंटी का ऋण मिलता था, अब ये राशि बढ़ाकर दोगुनी यानि 20 लाख कर दी गई है।
मुझे खुशी है कि त्रिपुरा सरकारकीभी महिलाओं को सशक्त करने में पूरी शक्ति से कामकरने की उनकी नीतियां रही हैं।यहां पहले जो सरकार थी…बिप्लव देव जीके आने से पहले की बात कर रहा हूं…उसके पांच साल में त्रिपुरा में सिर्फ 4 हजार महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप बने थे। जबकि यहां 2018 में डबल इंजन की सरकार बनने के बाद, 26 हजार से ज्यादा, नए महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप बने हैं। इनसेजो महिलाएंजुड़ीहैं, एग्रीकल्चर प्रॉडक्ट्स बना रही हैं, बैंबू से जुड़े प्रॉडक्ट बना रही हैं, हथकरघा के काम में जुटी हैं। त्रिपुरा सरकार इन्हें आर्थिक मदद दे रही है, इन्हें निरंतर सशक्त कर रही है।
साथियों,
कैसे कम समय में बड़े बदलाव हो सकते हैं, सीमित समय में नई व्यवस्थाएं खड़ी की जा सकती हैं, आज मैं त्रिपुरा को बधाई देता हूं कित्रिपुरा नेयेकरके दिखाया है। पहले यहाँ कमीशन और करप्शन के बिना बातहीनहीं होती थी, लेकिन आज सरकारी योजनाओं का लाभ DBT के जरिए सीधे आपके खातों में पहुँच रहा है। पहले अपने एक-एक काम के लिए सामान्य मानवी को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन अब तमाम सेवा और सुविधाएं देने के लिए सरकार खुद आपके पास आती है।
पहले सरकारी कर्मचारी, समय पर सैलरी मिल जाए इसके लिए परेशान रहते थे, अब उन्हें सातवें वेतन आयोग का लाभ मिल रहा है। पहले यहाँ किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए परेशान होना पड़ता था, लेकिन अब त्रिपुरा में पहली बार किसानों से MSP पर फसल की खरीद की गई है। यही त्रिपुरा, यही लोग, यही सामर्थ्य, लेकिन पहले स्ट्राइक कल्चर के कारण इंडस्ट्री यहाँ आने से डरती थीं, वहीं अब त्रिपुरा का निर्यात करीब पाँच गुना बढ़ गया है।
साथियों,
त्रिपुरा में डबल इंजन की सरकार से जिन्हें लाभ हो रहा है, उनमें से अधिकांश गरीब, दलित, पिछड़े औरविशेषकर हमारेआदिवासी समाजके भाई-बहनहैं। हमारा पूर्वोत्तर तो देश की सबसे पुरानी और समृद्ध आदिवासी संस्कृतियों का भी केंद्र है। आज़ादी के इतिहास में हमारे पूर्वोत्तर के आदिवासी सेनानियों नेऔर देश के भी हमारे आदिवासी सेनानियों नेदेश के लिए अपना बलिदान दिया है। इस परंपरा को सम्मान देने के लिए, इस विरासत को आगे बढ़ाने के लिए देश लगातार काम कर रहा है।
इसी कड़ी में, आजादी केअमृत महोत्सव के दौरान देश ने एक और बड़ा फैसला किया है। देश अब 15 नवंबर को हर साल, भगवान बिरसा मुंडा की जन्मजयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा। यानिकल जो 15 नवंबरआ रही है, कल का दिनपूरे हिन्दुस्तान के हर कोने मेंजनजातीय गौरव दिवसके रूप में मनाया जाएगा और हमेशा के लिए ये जनजातीय गौरव दिवस होगा।ये दिन न केवल हमारी आदिवासी विरासत को नमन करने का दिन होगा, बल्कि एक समरस समाज के लिए देश के संकल्प का प्रतीक भी बनेगा।और जब जनजातीय गौरव दिवस की मैं बात करता हूं, जैसे आजादी के पूरे आंदोलन में 15 अगस्त का एक विशेष मूल्य है, जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों की हमारी परिपाटी में 26 जनवरी का एक विशेष मूल्य है, जैसे हमारी सांस्कृतिक परम्पराओं में रामनवमी का महत्व है, जैसे हमारे जीवन में कृष्ण अष्टमी का महत्व है; वैसे ही 2 अक्तूबर महात्मा गांधी की जयंती अहिंसा दिवस के रूप में स्थान है, जैसे 31 अक्तूबर- सरदार वल्लभ भाई पटेल, उनकी जन्म-जयंती देश की एकता के संदेश के साथ जुड़ी हुई है, वैसे ही अब 15 नवम्बर हमारा देश जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाएगा और देश की जनजातियों ने देश के विकास के लिए, देश की समृद्धि के लिए जो कुछ भी किया है, जो भी करना चाहते हैं, इन सबको उमंग के साथ आगे बढ़ाया जाएगा।
साथियों,
आज़ादी का अमृत महोत्सव, देश का ये महोत्सव, पूर्वोत्तर के रंगों और यहाँ की संस्कृति के बिना पूरा नहीं हो सकताहै। इसीलिए, 2047 मेंजब देश कीआज़ादी के सौ सालहोंगे, 2047 में आजादी के सौ सालपूरे होने पर देश जिन ऊंचाइयों को हासिल करेगा, उसका नेतृत्व, उसमें बहुत बड़ा योगदान ये मेरेपूर्वोत्तर को करना है।
आज पूर्वोत्तर में विकास को हर दिशा में, हर आयाम में गति दी जा रही है। यहाँ प्रकृति और पर्यटन से जुड़ी इतनी अपार संभावनाएं हैं, दक्षिण एशिया से भारत को जोड़ने के रास्ते हैं, व्यापार के अपार अवसर हैं, ये सब संभावनाएं साकार होंगी जब यहाँ आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर होगा, बेहतर connectivity होगी।
पिछले दशकों में इस दिशा में जो कमी रह गई, उसे आज तेजी से पूरा किया जा रहा है। आज पूर्वोत्तर में रेल connectivity बन रही है, नए रेल मार्ग बन रहे हैं। इसी तरह, जिन इलाकों को पहले दुर्गम समझकर छोड़ दिया जाता था वहाँ नए-नए हाइवेज बन रहे हैं, चौड़ी सड़कें बन रही हैं, पुल बनाए जा रहे हैं। यहां त्रिपुरा में भी नई रेल लाइनों के लिए, नए नेशनल हाईवेज के लिए काफी काम हुआ है। ये आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर आने वाले सालों में पूर्वोत्तर की पहचान को, यहाँ की प्रगति को नए सिरे से गढ़ेगा।
मुझे पूरा भरोसा है कि हमारे ये संकल्प, पूर्वोत्तर में आ रहे ये बदलाव निकट भविष्य में देश को एक नई ऊंचाई पर लेकर जाएंगे।
फिर एक बार इतने बड़े महत्वपूर्ण काम, छोटे से राज्य में इतनी बड़ी महत्वपूर्ण छलांग मुझे भी गर्व देती है, आनंद देती है। आप सब लाभार्थियों को, त्रिपुरा के नागरिकों को, पूर्वोत्तर के सभी मेरे प्यारे भाइयों-बहनों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। आप सबको हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!