विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए 'पीएम विश्वकर्मा' लॉन्च किया
पीएम विश्वकर्मा लोगो, टैगलाइन 'सम्मान सामर्थ्य समृद्धि' और पोर्टल लॉन्च किया
कस्टमाइज्ड स्टाम्प शीट और टूलकिट पुस्तिका का विमोचन किया
18 लाभार्थियों को विश्वकर्मा प्रमाण-पत्र वितरित
“मैं यशोभूमि देश के हर श्रमिक को, हर विश्वकर्मा को समर्पित करता हूं”
"यह समय की मांग है कि विश्वकर्मा को मान्यता और सहायता दी जाए"
"आउटसोर्स का काम हमारे विश्वकर्मा मित्रों को मिलना चाहिए और उन्हें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनना चाहिए"
"इस बदलते समय में, विश्वकर्मा मित्रों के लिए प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और उपकरण महत्वपूर्ण हैं"
"मोदी उन लोगों के साथ खड़ा है, जिनकी परवाह करने के लिए कोई उनके साथ नहीं है"
"वोकल फॉर लोकल पूरे देश की जिम्मेदारी है"
"आज का विकसित भारत हर सेक्टर में अपनी एक नई पहचान बना रहा है"
'यशोभूमि का संदेश जोरदार और स्पष्ट है, यहां आयोजित होने वाला कोई भी कार्यक्रम सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त करेगा
"भारत मंडपम और यशोभूमि सेंटर दिल्ली को सम्मेलन पर्यटन का सबसे बड़ा केंद्र बनाएंगे"
"भारत मंडपम और यशोभूमि दोनों भारतीय संस्कृति और अत्याधुनिक सुविधाओं का संगम हैं, और ये भव्य प्रतिष्ठान विश्व के सामने भारत की गाथा व्यक्त करते हैं"
"हमारे विश्वकर्मा साथी मेक इन इंडिया के गौरव हैं और यह अंतराष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र विश्व के समक्ष इस गौरव को प्रदर्शित करने का एक माध्यम बनेगा"


भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सभी साथीगण, देश के कोने-कोने से यहां इस भव्य भवन में पधारे मेरे प्यारे भाई-बहन, देश के 70 से ज्यादा शहरों से जुड़े मेरे सभी साथी, अन्य महानुभाव, और मेरे परिवारजनों।

आज भगवान विश्वकर्मा की जयंती है। ये दिन हमारे पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को समर्पित है। मैं समस्त देशवासियों को विश्वकर्मा जयंती की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। मुझे खुशी है कि आज के दिन मुझे देशभर के लाखों विश्वकर्मा साथियों से जुड़ने का अवसर मिला है। अब से कुछ देर पहले मेरी अनेकों विश्वकर्मा भाई-बहनों से बात भी हुई है। और मुझे यहां आने में विलंब भी इसलिए हुआ कि मैं उनसे जरा बातें करने में लग गया और नीचे जो एक्जीबिशन बना है वह भी इतना शानदार है कि निकलने का मन नहीं करता था और मेरा आप सबसे भी आग्रह है कि आप जरूर इसको देखें। और मुझे बताया गया है कि अभी 2-3 दिन और चलने वाला है, तो खासकर के दिल्लीवासियों से मैं जरूर कहूंगा कि वो जरूर देखें।

साथियों,

भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से, आज प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का आरंभ हो रहा है। हाथ के हुनर से, औज़ारों से, परंपरागत रूप से काम करने वाले लाखों परिवारों के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना, उम्मीद की एक नई किरण बनकर आ रही है।

मेरे परिवारजनों,

इस योजना के साथ ही आज देश को इंटरनेशनल एक्जीबिशन सेंटर-यशोभूमि भी मिला है। जिस प्रकार का काम यहां हुआ है, उसमें मेरे श्रमिक भाइयों और बहनों का, मेरे विश्वकर्मा भाइयों-बहनों का तप नजर आता है, तपस्या नजर आती है। मैं आज यशोभूमि को देश के हर श्रमिक को समर्पित करता हूं, हर विश्वकर्मा साथी को समर्पित करता हूं। बड़ी संख्या में हमारे विश्वकर्मा साथी भी यशोभूमि के लाभार्थी होने वाले हैं। आज इस कार्यक्रम में जो हजारों विश्वकर्मा साथी हमारे साथ वीडियो के माध्यम से जुड़े हुए हैं, उन्हें मैं विशेष तौर पर ये बताना चाहता हूं। गांव-गांव में आप जो सामान बनाते हैं, जो शिल्प, जिस आर्ट का सृजन करते हैं, उसको दुनिया तक पहुंचाने का ये बहुत बड़ा Vibrant Center, सशक्त माध्यम बनने वाला है। ये आपकी कला, आपके कौशल, आपकी आर्ट को दुनिया के सामने शोकेस करेगा। ये भारत के लोकल प्रॉडक्ट को ग्लोबल बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा।

मेरे परिवारजनों,

हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है- 'यो विश्वं जगतं करोत्येसे स विश्वकर्मा' अर्थात जो समस्त संसार की रचना या उससे जुड़े निर्माण कार्य को करता है, उसे "विश्वकर्मा" कहते हैं। हज़ारों वर्षों से जो साथी भारत की समृद्धि के मूल में रहे हैं, वो हमारे विश्वकर्मा ही हैं। जैसे हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी की भूमिका होती है, वैसे ही समाज जीवन में इन विश्वकर्मा साथियों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमारे ये विश्वकर्मा साथी उस काम, उस हुनर से जुड़े हैं, जिनके बिना रोज़मर्रा की, जिंदगी की कल्पना भी मुश्किल है। आप देखिए, हमारी कृषि व्यवस्था में लोहार के बिना कुछ क्या संभव है? नहीं है। गांव-देहात में जूते बनाने वाले हों, बाल काटने वाले हों, कपड़े सिलने वाले दर्जी हों, इनकी अहमियत कभी खत्म नहीं हो सकती। फ्रिज के दौर में भी लोग आज मटके और सुराही का पानी पीना पसंद करते हैं। दुनिया कितनी भी आगे बढ़ जाए, टेक्नॉलॉजी कहीं भी पहुंच जाए, लेकिन इनकी भूमिका, इनका महत्व हमेशा रहेगा। और इसलिए आज समय की मांग है कि इन विश्वकर्मा साथियों को पहचाना जाए, उन्हें हर तरह से सपोर्ट किया जाए।

साथियों,

हमारी सरकार अपने विश्वकर्मा भाई-बहनों को और उनका सम्मान बढ़ाने का, उनका सामर्थ्य बढ़ाने और उनकी समृद्धि बढ़ाने के लिए आज सरकार एक सहयोगी बनकर के आपके पास आई है। अभी इस योजना में 18 अलग-अलग तरह का काम करने वाले विश्वकर्मा साथियों पर फोकस किया गया है। और शायद ही कोई गांव ऐसा होगा कि जहां इस 18 प्रकार के काम करने वाले लोग न हों। इनमें लकड़ी का काम करने वाले कारपेंटर, लकड़ी के खिलौने बनाने वाले कारीगर, लोहे का काम करने वाले लोहार, सोने के आभूषण बनाने वाले सुनार, मिट्टी का काम करने वाले कुम्हार, मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकार, जूते बनाने वाले भाई, राजमिस्त्री का काम करने वाले लोग, हेयर कटिंग करने वाले लोग, कपड़े धुलने वाले लोग, कपड़े सिलने वाले लोग, माला बनाने वाले, फिशिंग नेट बनाने वाले, नाव बनाने वाले, ऐसे अलग-अलग, तरह-तरह के काम करने वाले साथियों को शामिल किया गया है। पीएम विश्वकर्मा योजना पर सरकार अभी 13 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने वाली है।

मेरे परिवारजनों,

कुछ साल पहले यानी करीब 30-35 साल हो गए होंगे, मैं एक बार यूरोप में ब्रसल्स गया था। तो वहां कुछ समय था तो मुझे वहां के जो मेरे होस्ट थे वो एक जूलरी का एक्जीबिशन था वो देखने के लिए ले गए। तो मैं जिज्ञासा से जरा पूछ रहा था उनको कि भई यहां इन चीजों का मार्केट कैसा होता है, क्या होता है। तो मेरे लिए बड़ा सरप्राइज था, उन्होंने कहा साहब यहां जो मशीन से बनी हुई जूलरी है उसकी डिमांड कम से कम होती है, जो हाथ से बनी हुई जूलरी है लोग महंगे से महंगे पैसे देकर भी उसको खरीदना पसंद करते हैं। आप सभी हाथ से, अपने हुनर से जो बारीक काम करते हैं, दुनिया में उसकी डिमांड बढ़ रही है। आजकल हम देखते हैं कि बड़ी-बड़ी कंपनियां भी अपने प्रॉडक्ट बनाने के लिए अपना काम दूसरी छोटी-छोटी कंपनियों को देती हैं। ये पूरी दुनिया में एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री है। आउटसोर्सिंग का काम भी हमारे इन्हीं विश्वकर्मा साथियों के पास आए, आप बड़ी सप्लाई चेन का हिस्सा बनें, हम इसके लिए आपको तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हम दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां, आपके दरवाज़े पर आकर के खड़ी रहे, आपके दरवाज़े पर दस्तक दें, वो क्षमता आपके अंदर लाना चाहते हैं। इसलिए ये योजना विश्वकर्मा साथियों को आधुनिक युग में ले जाने का प्रयास है, उनका सामर्थ्य बढ़ाने का प्रयास है।

साथियों,

बदलते हुए इस समय में हमारे विश्वकर्मा भाई-बहनों के लिए ट्रेनिंग-टेक्नोलॉजी और टूल्स बहुत ही आवश्यक हैं। विश्वकर्मा योजना के जरिए आप सब साथियों को सरकार के द्वारा ट्रेनिंग देने पर बहुत जोर दिया गया है। ट्रेनिंग के दौरान भी क्योंकि आप रोजमर्रा की मेहनत करके कमाने-खाने वाले लोग हैं। इसलिए ट्रेनिंग दरमियान भी आपको हर रोज 500 रुपए भत्ता सरकार की तरफ से दिया जाएगा। आपको आधुनिक टूलकिट के लिए 15 हजार रुपये का टूलकिट वाउचर भी मिलेगा। आप जो सामान बनाएंगे, उसकी ब्रांडिंग और पैकेजिंग से लेकर मार्केटिंग में भी सरकार हर तरह से मदद करेगी। और बदले में सरकार आपसे ये चाहती है कि आप टूलकिट उसी दुकान से खरीदें जो GST रजिस्टर्ड है, कालाबाजारी नहीं चलेगी। और दूसरा मेरा आग्रह है ये टूल्स मेड इन इंडिया ही होने चाहिए।

मेरे परिवारजनों,

अगर आप अपना कारोबार बढ़ाना चाहतें हैं, तो शुरुआती पूंजी की दिक्कत ना आए इसका भी ध्यान सरकार ने रखा है। इस योजना के तहत विश्वकर्मा साथियों को बिना गारंटी मांगे, जब बैंक आपसे गारंटी नहीं मांगती है तो आपकी गारंटी मोदी देता है। बिना गारंटी मांगे 3 लाख रुपए तक का कर्ज मिलेगा, ऋण मिलेगा। और ये भी सुनिश्चित किया गया है कि इस ऋण का ब्याज बहुत ही कम रहे। सरकार ने प्रावधान ये किया है कि पहली बार में अगर आपकी ट्रेनिंग हो गई, आपने नए टूल ले लिए तो पहली बार आपको 1 लाख रुपए तक ऋण मिलेगा। और जब आप ये चुका देंगे ताकि पता चलेगा कि काम हो रहा है तो फिर आपको 2 लाख रुपए का ऋण और उपलब्ध होगा।

मेरे परिवारजनों,

आज देश में वो सरकार है, जो वंचितों को वरीयता देती है। ये हमारी सरकार ही है जो वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के जरिए, हर जिले के विशेष उत्पादों को बढ़ावा दे रही है। हमारी सरकार ने ही पहली बार रेहड़ी-पटरी-ठेले वालों को पीएम स्वनिधि के तहत मदद की है, बैंक के दरवाजे उनके लिए खोल दिए हैं। ये हमारी ही सरकार है जिसने आजादी के बाद पहली बार बंजारा और घुमंतू जनजातियों की परवाह की। ये हमारी ही सरकार है जिसने आजादी के बाद पहली बार दिव्यांगजनों के लिए हर स्तर, हर स्थान पर विशेष सुविधाएं विकसित की हैं। जिसे कोई नहीं पूछता, उसके लिए गरीब का ये बेटा मोदी, उसका सेवक बनकर आया है। सबको सम्मान का जीवन देना, सभी तक सुविधा पहुंचाना, ये मोदी की गारंटी है।

मेरे परिवारजनों,

जब Technology और Tradition मिलते हैं, तो क्या कमाल होता है, ये पूरी दुनिया ने G20 क्राफ्ट बाजार में भी देखा है। G20 में हिस्सा लेने के लिए जो विदेशी मेहमान आए थे, उनको भी गिफ्ट में हमने विश्वकर्मा साथियों के बनाए सामान ही भेंट में दिए। 'लोकल के लिए वोकल' का ये समर्पण हम सभी का, पूरे देश का दायित्व है। क्यों इसमें ठंडे पड़ गए, मैं करूं तो ताली बजाते हो, आपको करने की बात आए तो रूक जाते हो। आप मुझे बताइए हमारे देश में जो चीजें हमारे कारीगर बनाते हैं, हमारे लोग बनाते हैं वो दुनिया के बाजार में पहुंचनी चाहिए कि नहीं पहुंचनी चाहिए? दुनिया के बाजार में बिकनी चाहिए कि नहीं बिकनी चाहिए? तो ये काम पहले लोकल के लिए वोकल बनना पड़ेगा और फिर लोकल को ग्लोबल करना होगा।

साथियों,

अब गणेश चतुर्थी, धनतेरस, दीपावली सहित अनेक त्योहार आने वाले हैं। मैं सभी देशवासियों से लोकल खरीदने का आग्रह करुंगा। और जब मैं लोकल खरीदने की बात करता हूं तो कुछ लोगों को इतना ही लगता है कि दिवाली के दिये ले ले बस और कुछ नहीं। हर छोटी-मोटी चीज, कोई भी बड़ा सामान खरीदें जिसमें हमारे विश्वकर्मा साथियों की छाप हो, भारत की मिट्टी और पसीने की महक हो।

मेरे परिवारजनों,

आज का विकसित होता हुआ भारत, हर क्षेत्र में अपनी नई पहचान बना रहा है। कुछ दिन पहले हमने देखा है कि कैसे भारत मंडपम को लेकर दुनिया भर में चर्चा हुई है। ये इंटरनेशनल एक्जीबिशन सेंटर-यशोभूमि इसी परंपरा को और भव्यता से आगे बढ़ाता है। और यशोभूमि का सीधा-सीधा संदेश है इस भूमि पर जो भी होगा यश ही यश प्राप्त होने वाला है। ये भविष्य के भारत को शोकेस करने का एक शानदार सेंटर बनेगा।

साथियों,

भारत के बड़े आर्थिक सामर्थ्य, बड़ी व्यापारिक शक्ति को शोकेस करने के लिए, भारत की राजधानी में जैसा सेंटर होना चाहिए, ये वो सेंटर है। इसमें मल्टीमोडल कनेक्टिविटी और पीएम गतिशक्ति के दर्शन एक साथ होते हैं। अब देखिए, ये एयरपोर्ट के पास में है। इसको एयरपोर्ट से कनेक्ट करने के लिए मेट्रो की सुविधा दी गई है। आज यहां मेट्रो स्टेशन का भी उद्घाटन हुआ है। ये मेट्रो स्टेशन सीधा इस कॉम्पलेक्स से जुड़ा हुआ है। इस मेट्रो सुविधा के चलते दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों से लोगों का समय, बहुत आसानी से कम समय में ये यहां पहुंच पाएंगे। यहां जो लोग आएंगे, उनके लिए ठहरने का, मनोरंजन का, शॉपिंग का, टूरिज्म का, पूरा इंतज़ाम यहीं इस पूरे इकोसिस्टम में बनाया हुआ है, पूरी व्यवस्था में बना हुआ है।

मेरे परिवारजनों,

बदलते हुए समय के साथ विकास के, रोजगार के नए-नए सेक्टर्स भी बनते हैं। आज से 50-60 साल पहले कोई इतनी बड़ी IT इंडस्ट्री के बारे में सोच भी नहीं सकता था। आज से 30-35 साल पहले सोशल मीडिया भी एक कल्पना भर ही था। अब दुनिया में एक और बड़ा सेक्टर बन रहा है, जिसमें भारत के लिए असीम संभावनाए हैं। ये सेक्टर है- कॉन्फ्रेंस टूरिज्म का। पूरी दुनिया में कॉन्फ्रेंस टूरिज्म इंडस्ट्री 25 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। हर साल दुनिया में 32 हजार से भी ज्यादा बड़ी एक्जीबिशन लगती हैं, एक्सपो होते हैं। आप कल्पना कर सकते हैं जिस देश की आबादी दो-पांच करोड़ होगी लोग वहां भी कर देते हैं, यहां तो 140 करोड़ की आबादी है, जो आएगा वो मालामाल हो जाएगा। बहुत बड़ा मार्केट है। Conference Tourism के लिए आने वाले लोग एक सामान्य टूरिस्ट की अपेक्षा, कई गुना ज्यादा पैसा खर्च करते हैं। इतनी बड़ी इंडस्ट्री में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ एक परसेंट है, सिर्फ एक परसेंट। भारत की ही अनेकों बड़ी कंपनियां हर साल अपने इवेंट्स बाहर कराने के लिए मजबूर हो जाती हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि देश और दुनिया का इतना बड़ा मार्केट हमारे सामने है। अब आज का नया भारत, खुद को Conference Tourism के लिए भी तैयार कर रहा है।

और साथियों आप सब जानते हैं, Adventure Tourism वहीं होगा जहां एडवेंचर के साधन-संसाधन हों। Medical Tourism वहीं होगा जहां आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं हों। Spirititual Tourism वहीं होगा, जहां ऐतिहासिक, धार्मिक, स्पीरिचुअल एक्टिविटी हों। Heritage Tourism भी वहीं होगा, जहां हिस्ट्री और हेरिटेज का बाहुल्य हो। इसी तरह, Conference Tourism भी वहीं होगा, जहां Events के लिए, Meetings के लिए, Exhibition के लिए, जरूरी साधन-संसाधन हों। इसलिए भारत मंडपम और यशोभूमि ये ऐसे सेंटर हैं, वो अब दिल्ली को कॉन्फ्रेंस टूरिज्म का सबसे बड़ा हब बनाने जा रहे हैं। अकेले यशोभूमि सेंटर से ही लाखों युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना है। यशोभूमि भविष्य में एक ऐसा स्थान बनेगा जहां दुनिया भर के देशों से लोग International Conference, Meeting, Exhibition इन सबके लिए queue लगने वाली है।

आज मैं दुनिया भर के देशों में Exhibition और Event Industry से जुड़े लोगों को हिन्दुस्तान में, दिल्ली में, यशोभूमि में विशेष रूप से आमंत्रित करता हूं। मैं देश की, पूरब-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण, हर क्षेत्र की Film Industry, Tv Industry को आमंत्रित करूंगा। आप अपने Award समारोह, Film Festival यहां आयोजित करिए, Film के पहले Show यहां आयोजित करिए। मैं International Event Companies, Exhibition Sector से जुड़े लोगों को भी भारत मंडपम और यशोभूमि से जुड़ने को आमंत्रित करता हूं।

मेरे परिवारजनों,

मुझे विश्वास है, भारत मंडपम हो या यशोभूमि, ये भारत के आतिथ्य, भारत की श्रेष्ठता और भारत की भव्यता के प्रतीक बनेंगे। भारत मंडपम और ये यशोभूमि, दोनों में ही भारतीय संस्कृति और अत्याधुनिक सुविधाओ, इन दोनों का संगम है। आज ये दोनों भव्य प्रतिष्ठान, नए भारत की यशगाथा, देश और दुनिया के सामने गा रहे हैं। इनमें नए भारत की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब भी है, जो अपने लिए सबसे बेहतरीन सुविधाएं चाहता है।

साथियों मेरे शब्द लिखकर रखिए भारत अब रुकने वाला नहीं है। हमें चलते रहना है, नए लक्ष्य बनाते रहना है और उन नए लक्ष्यों को पाकर के ही चैन से बैठना है। और ये हम सभी के परिश्रम और परिश्रम की पराकाष्ठा देश को 2047 में दुनिया के सामने डंके की चोट पर विकसित भारत के रूप में खड़ा कर देंगे ये संकल्प लेकर के चलना है। ये समय हम सभी के लिए जुट जाने का समय है। हमारे विश्वकर्मा साथी, 'मेक इन इंडिया' की शान हैं और ये इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर की इस शान को दुनिया के सामने शोकेस करने का माध्यम बनेगा। एक बार फिर सभी विश्वकर्मा साथियों को ये बहुत बड़ी आशावादी योजनाओं के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। ये नया सेंटर, यशोभूमि, भारत के यश का प्रतीक बने, दिल्ली की शान को और बढ़ाए इसी मंगलकामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

नमस्कार।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।