Quoteआज भारतीय रेलवे पहले से कहीं अधिक स्वच्छ है। मानव रहित फाटकों द्वारा ब्रॉड गेज रेल नेटवर्क को पहले से कहीं अधिक सुरक्षित बनाया गया है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteविपक्षी पार्टियां फेक न्यूज फैला रही हैं कि एमएसपी वापस लिया जाएगा: नये कृषि बिल पर प्रधानमंत्री मोदी
Quoteमैं किसानों को विश्वास दिलाता हूं कि आज की तरह भविष्य में भी एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी। सरकार उनकी उपज की खरीद जारी रखेगी: प्रधानमंत्री मोदी

बिहार के राज्यपाल श्री फागू चौहान जी, बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्री पीयूष गोयल जी, श्री रविशंकर प्रसाद जी, श्री गिरिराज सिंह जी, श्री नित्यानंद राय जी, सुश्री देवाश्री चौधरी जी, बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी जी, अन्य मंत्रीगण, सांसद और विधायक गण और तकनीक के माध्यम से जुड़े बिहार के मेरे भाइयों और बहनों !

साथियों, आज बिहार में रेल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में नया इतिहास रचा गया है। कोसी महासेतु और किउल ब्रिज के साथ ही बिहार में रेल यातायात, रेलवे के बिजलीकरण और रेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने, नए रोज़गार पैदा करने वाले एक दर्जन प्रोजेक्ट्स का आज लोकार्पण और शुभारंभ हुआ है। लगभग 3 हज़ार करोड़ रुपए के इन प्रोजेक्ट्स से बिहार का रेल नेटवर्क तो सशक्त होगा ही, पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत की रेल कनेक्टिविटी भी मज़बूत होगी। बिहार सहित पूर्वी भारत के करोड़ों रेल यात्रियों को मिलने जा रही इन नई और आधुनिक सुविधाओं के लिए मैं आज सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों, बिहार में गंगा जी हों, कोसी हो, सोन हों, नदियों के विस्तार के कारण बिहार के अनेक हिस्से एक-दूसरे से कटे हुए रहे हैं। बिहार के करीब-करीब हर हिस्से के लोगों की एक बड़ी दिक्कत रही है, नदियों की वजह से होने वाला लंबा सफर। जब नीतीश जी रेल मंत्री थे, जब पासवान जी रेल मंत्री थे, तो उन्होंने भी इस समस्या को दूर करने के लिए बहुत प्रयास किया था। लेकिन फिर एक लंबा समय वो आया, जब इस दिशा में ज्यादा काम ही नहीं किया गया। ऐसे में बिहार की, बिहार के करोड़ों लोगों की, इस बड़ी समस्या के समाधान के संकल्प के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। पिछले 5-6 साल में एक के बाद एक, इस समस्या के हल की तरफ तेज़ी से कदम आगे बढ़ाए गए हैं।

साथियों, 4 वर्ष पहले, उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले दो महासेतु, एक पटना में और दूसरा मुंगेर में शुरु किए गए थे। इन दोनों रेल पुलों के चालू हो जाने से उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के बीच, लोगों का आना-जाना और आसान हुआ है। खासकर उत्तर बिहार के क्षेत्र, जो दशकों से विकास से वंचित थे, उन्हें विकास के लिए नई गति मिली है। आज मिथिला और कोसी क्षेत्र को जोड़ने वाला महासेतु और सुपौल-आसनपुर कुपहा रेल रूट भी बिहार वासियों की सेवा में समर्पित है।

साथियों, लगभग साढ़े 8 दशक पहले भूकंप की एक भीषण आपदा ने मिथिला और कोसी क्षेत्र को अलग-थलग कर दिया था। आज ये संयोग ही है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच इन दोनों अंचलों को आपस में जोड़ा जा रहा है। मुझे बताया गया है कि इसके आखिरी चरण के कार्यों में दूसरे राज्यों से आए श्रमिक साथियों ने भी बहुत सहयोग किया है। वैसे ये महासेतु और ये प्रोजेक्ट श्रद्धेय अटल जी और नीतीश बाबू का ड्रीम प्रोजेक्ट भी रहा है। जब 2003 में नीतीश जी रेल मंत्री थे और श्रद्धेय अटल जी प्रधानमंत्री, तब नई कोसी रेल लाइन परियोजना की परिकल्पना की गई थी। इसका उद्देश्य यही था कि मिथिला और कोसी क्षेत्र के लोगों की दिक्कतों को दूर किया जाए। इसी सोच के साथ 2003 में अटल जी द्वारा इस परियोजना का शिलान्यास किया गया था। लेकिन अगले वर्ष अटल जी की सरकार चली गई और उसके बाद कोसी रेल लाइन परियोजना की रफ्तार भी उतनी ही धीमे हो गई।

अगर मिथिलांचल की फिक्र होती, बिहार के लोगों की दिक्कतों की फिक्र होती, तो कोसी रेल लाइन परियोजना पर तेजी से काम हुआ होता। इस दौरान रेल मंत्रालय किसके पास था, किसकी सरकार थी, इसके विस्तार में, मैं नहीं जाना चाहता। लेकिन सच्चाई यही है कि जिस रफ्तार से पहले काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से 2004 के बाद भी काम हुआ होता, तो आज का ये दिन पता नहीं कब आता, कितने साल लग जाते, कितने दशक लग जाते, हो सकता पीढि़यां बीत जाती। लेकिन दृढ़ निश्चय हो, नीतीश जी जैसा सहयोगी हो, तो क्या कुछ संभव नहीं है। मिट्टी रोकने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए सुपौल-आसनपुर कुपहा रूट पर काम पूरा किया गया है। साल 2017 में जो भीषण बाढ़ आई थी, उस दौरान हुए नुकसान की भरपाई भी इस दौरान की गई है। आखिरकार कोसी महासेतु और सुपौल-आसनपुर कुपहा रूट, बिहार के लोगों की सेवा के लिए तैयार है।

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साथियों, आज कोसी महासेतु होते हुए सुपौल-आसनपुर कुपहा के बीच ट्रेन सेवा शुरु होने से सुपौल, अररिया और सहरसा जिले के लोगों को बहुत लाभ होगा। यही नहीं, इससे नॉर्थ ईस्ट के साथियों के लिए एक वैकल्पिक रेलमार्ग भी उपलब्ध हो जाएगा। कोसी और मिथिला क्षेत्र के लिए ये महासेतु सुविधा का साधन तो है ही, ये इस पूरे क्षेत्र में व्यापार-कारोबार, उद्योग-रोज़गार को भी बढ़ावा देने वाला है।

साथियों, बिहार के लोग तो इसे भली-भांति जानते हैं कि वर्तमान में निर्मली से सरायगढ़ का रेल सफर करीब-करीब 300 किलोमीटर का होता है। इसके लिए दरभंगा-समस्तीपुर-खगड़िया-मानसी-सहरसा, ये सारे रास्‍तों से होकर होते हुए जाना पड़ता है। अब वो दिन ज्यादा दूर नहीं जब बिहार के लोगों को 300 किलोमीटर की ये यात्रा नहीं करनी पड़ेगी। 300 किलोमीटर की ये दूरी सिर्फ 22 किलोमीटर में सिमट जाएगी। 8 घंटे की रेल यात्रा सिर्फ आधे घंटे में ही पूरी हो जाया करेगी। यानि सफर भी कम, समय की भी बचत और बिहार के लोगों के धन की भी बचत होगी।

साथियों, कोसी महासेतु की ही तरह किउल नदी पर नई रेल Electronic Inter-locking की सुविधा शुरु होने से इस पूरे रूट पर सुविधा और रफ्तार दोनों बढ़ने वाली हैं। इस नए रेल पुल के निर्माण से झाझा से पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन तक मेन लाइन पर, सौ-सवा सौ किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से अब ट्रेनें चल पाएंगी। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के चालू होने से हावड़ा-दिल्ली मेन लाइन पर ट्रेनों के आने-जाने में आसानी होगी, अनावश्यक देरी से राहत मिलेगी और रेल यात्रा अधिक सुरक्षित होगी।

साथियों, बीते 6 साल से भारतीय रेल को नए भारत की आकांक्षाओं और आत्मनिर्भर भारत की अपेक्षाओं के अनुरूप ढालने का प्रयास किया जा रहा है। आज भारतीय रेल, पहले से कहीं अधिक स्वच्छ है। आज भारतीय रेल के ब्रॉडगेज रेल नेटवर्क को मानवरहित फाटकों से मुक्त कर, पहले से कहीं अधिक सुरक्षित बनाया जा चुका है। आज भारतीय रेल की रफ्तार तेज़ हुई है। आज आत्मनिर्भरता औऱ आधुनिकता की प्रतीक, वंदे भारत जैसी भारत में बनी ट्रेनें रेल नेटवर्क का हिस्सा होती जा रही हैं। आज देश के अनछुए हिस्सों को रेल नेटवर्क के साथ जोड़ने की, रेलमार्गों के चौड़ीकरण और बिजलीकरण की व्यवस्था का तेजी से विस्तार हो रहा है।

साथियों, रेलवे के आधुनिकीकरण के इस व्यापक प्रयास का बहुत बड़ा लाभ बिहार को और पूरे, पूर्वी भारत को मिल रहा है। बीते कुछ सालों में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए मधेपुरा में इलेक्ट्रिक लोको फैक्ट्री और मढ़ौरा में डीज़ल लोको फ़ैक्ट्री स्थापित की गई हैं। इन दोनों परियोजनाओं से बिहार में लगभग 44 हजार करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। ये सुनकर हर बिहारवासी को गौरव होगा कि आज बिहार में 12 हज़ार हॉर्सपावर के सबसे शक्तिशाली विद्युत इंजन बन रहे हैं। बरौनी में बिजली के इंजनों के रख-रखाव के लिए बिहार का पहला लोको शेड भी काम करना शुरु कर चुका है। बिहार के लिए एक और बड़ी बात ये है कि आज बिहार में रेल नेटवर्क के लगभग 90 प्रतिशत हिस्से का बिजलीकरण पूरा हो चुका है। बीते 6 साल में ही बिहार में 3 हज़ार किलोमीटर से अधिक के रेलमार्ग का बिजलीकरण हुआ है। आज इसमें 5 और प्रोजेक्ट जुड़ गए हैं।

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साथियों, बिहार में जिस तरह की परिस्थितियां रहीं हैं, उसमें रेलवे, लोगों के आने-जाने का बहुत बड़ा साधन रही है। ऐसे में बिहार में रेलवे की स्थिति को सुधारना, केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रहा है। आज बिहार में किस तेज गति से रेलवे नेटवर्क पर काम चल रहा है, इसके लिए मैं एक तथ्य देना चाहता हूं। 2014 से पहले के 5 सालों में लगभग सवा 3 सौ किलोमीटर रेल लाइन कमीशन हुई थी। आसान शब्दों में कहें तो 2014 के पहले के 5 सालों में बिहार में सिर्फ सवा तीन सौ किलोमीटर नई रेल लाइन शुरु थी। जबकि 2014 के बाद के 5 सालों में बिहार में लगभग 700 किलोमीटर रेल लाइन कमीशन हो चुकी हैं। यानि करीब-करीब दोगुने से भी नई रेल लाइन शुरू हुई। अभी करीब 1000 किलोमीटर नई रेल लाइनों का निर्माण तेज़ी से चल रहा है। आज हाजीपुर-घोसवर-वैशाली नई रेल लाइन के शुरु होने से वैशाली नगर, दिल्ली और पटना से भी सीधी रेल सेवा से जुड़ जाएगा। इस सेवा से वैशाली में पर्यटन को बहुत बल मिलेगा और युवा साथियों को नए रोजगार उपलब्ध होंगे। इस तरह इस्लामपुर-नटेसर नई रेल लाइन से भी लोगों को बहुत फायदा होगा। विशेषकर बौद्ध मत को मानने वालों को ये नई सुविधा मिलने में काफी आसानी होगी।

साथियों, आज देश में मालगाड़ी और यात्रीगाड़ी, दोनों के लिए अलग-अलग ट्रैक बनाने की व्यापक व्यवस्था यानि Dedicated फ्रेट Corridors पर भी तेज़ी से काम चल रहा है। इसमें से बिहार में करीब ढाई सौ किलोमीटर लंबा Dedicated फ्रेट Corridor बन रहा है, जो बहुत जल्द पूरा होने वाला है। इस व्यवस्था से ट्रेनों में होने वाली देरी की समस्या भी कम होगी और सामान की ढुलाई में होने वाली देरी भी बहुत कम हो जाएगी।

साथियों, जिस तरह से कोरोना के इस संकटकाल में रेलवे ने काम किया है, रेलवे काम कर रही है, उसके लिए मैं भारतीय रेल के लाखों कर्मचारियों को, उनके साथियों की विशेष प्रशंसा करता हूं। देश के लाखों श्रमिकों को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए रेलवे ने दिन-रात एक कर दिया था। स्थानीय स्तर पर श्रमिकों को रोज़गार देने में भी रेलवे बड़ी भूमिका निभा रही है। कोरोना काल में भारतीय रेल की यात्री सेवा भले ही कुछ समय के लिए रुक गई थी लेकिन रेल को सुरक्षित और आधुनिक बनाने का काम तेज़ गति से चलता रहा। देश की पहली किसान रेल, यानि पटरी पर चलता हुआ कोल्ड स्टोरेज भी बिहार और महाराष्ट्र के बीच कोरोना काल में ही शुरु किया गया।

साथियों, ये कार्यक्रम भले रेलवे का है लेकिन रेलवे के साथ ही, ये लोगों के जीवन को आसान बनाने, और बेहतर बनाने के प्रयास का भी आयोजन है। इसलिए मैं एक और विषय की चर्चा भरी आज आपके बीच करना चाहता हूं, जो बिहार के लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा है। नीतीश जी की सरकार बनने से पहले तक बिहार में इक्का-दुक्का मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे। इससे बिहार में मरीज़ों को तो भारी दिक्कत थी ही बिहार के मेधावी युवाओं को भी मेडिकल की पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता था। आज बिहार में 15 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज हैं, जिसमें से अनेक बीते कुछ वर्षों में ही बनाए गए हैं। कुछ दिन पहले ही बिहार में एक नए AIIMS की भी स्वीकृति दे दी गई है। ये नया AIIMS, दरभंगा में बनाया जाएगा। इस नए एम्स में 750 बेड का नया अस्पताल तो बनेगा ही, इसमें MBBS की 100 और नर्सिंग की 60 सीटें भी होंगी। दरभंगा में बनने वाले इस एम्स से हज़ारों नए रोज़गार भी सृजित होंगे।

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साथियों, देश के किसानों के कल्याण की दिशा में, कृषि सुधारों की दिशा में, कल देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन था। कल विश्वकर्मा जयंती के दिन, लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयक पारित किए गए हैं। इन विधेयकों ने हमारे अन्नदाता किसानों को अनेक बंधनों से मुक्ति दिलाई है, आज़ादी के बाद किसानों को किसानी में एक नई आज़ादी देने का काम हुआ है। उन्हें आजाद किया है। इन सुधारों से किसानों को अपनी उपज बेचने में और ज्यादा विकल्प मिलेंगे, और ज्यादा अवसर मिलेंगे। मैं देशभर के किसानों को, इन विधेयकों के पारित होने पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं। किसान और ग्राहक के बीच जो बिचौलिए होते हैं, जो किसानों की कमाई का बड़ा हिस्सा खुद ले लेते हैं, उनसे बचाने के लिए ये विधेयक लाए जाने बहुत आवश्यक थे। ये विधेयक किसानों के लिए रक्षा कवच बनकर आए हैं। लेकिन कुछ लोग जो दशकों तक सत्ता में रहे हैं, देश पर राज किया है, वो लोग किसानों को इस विषय पर भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं, किसानों से झूठ बोल रहे हैं।

साथियों, चुनाव के समय किसानों को लुभाने के लिए ये बड़ी-बड़ी बातें करते थे, लिखित में करते थे, अपने घोषणापत्र में डालते थे और चुनाव के बाद भूल जाते थे। और आज जब वही चीजें, जारे इतने दशकों तक देश में राज करने वाले लोग, उनके मेनिफेस्‍टो में है, वहीं चीजें एनडीए सरकार कर रही है, किसानों को समर्पित हमारी सरकार कर रही है, तो ये भांति-भांति के भ्रम फैला रहे हैं। जिस APMC एक्ट को लेकर अब ये लोग राजनीति कर रहे हैं, एग्रीकल्चर मार्केट के प्रावधानों में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, उसी बदलाव की बात इन लोगों ने अपने घोषणापत्र में भी लिखी थी। लेकिन अब जब एनडीए सरकार ने ये बदलाव कर दिया है, तो ये लोग इसका विरोध करने पर, झूठ फैलाने पर, भ्रम फैलाने पर उतर आए हैं। सिर्फ विरोध के लिए विरोध करने का ये एक के बाद एक उदाहरण सामने आ रहे हैं। लेकिन ये लोग, ये भूल रहे हैं कि देश का किसान कितना जागृत है। वो ये देख रहा है कि कुछ लोगों को किसानों को मिल रहे नए अवसर उनको पसंद नहीं आ रहे। देश का किसान ये देख रहा है कि वो कौन से लोग हैं, जो बिचौलियों के साथ खड़े हैं।

साथियों, ये लोग MSP को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते थे। लेकिन कभी अपना वायदा पूरा नहीं किया। किसानों से किया ये वायदा अगर पूरा किसी ने किया है तो एनडीए की वर्तमान सरकार ने पूरा किया। अब ये दुष्प्रचार किया जा रहा है कि सरकार के द्वारा किसानों को MSP का लाभ नहीं दिया जाएगा। ये भी मनगढ़ंत बातें कही जा रही हैं कि किसानों से धान-गेहूं इत्यादि की खरीद सरकार द्वारा नहीं की जाएगी। ये सरासर झूठ है, गलत है, किसानों के साथ धोखा है। हमारी सरकार किसानों को MSP के माध्यम से उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। पहले भी थे, आज भी हैं, आगे भी रहेंगे। सरकारी खरीद भी पहले की तरह जारी रहेगी। कोई भी व्यक्ति अपना उत्पाद, जो भी वो पैदा करता है, दुनिया में कहीं भी बेच सकता है, जहां चाहे वहां बेच सकता है। अगर वो कपड़ा बनाता है, जहां चाहे बेच सकता है। वो बर्तन बनाता है, कहीं पर भी बेच सकता है। वो जूते बनाता है, कहीं पर भी बेच सकता है। लेकिन केवल मेरे किसान भाई-बहनों को इस अधिकार से वंचित रखा गया था, मजबूर किया गया था। अब नए प्रावधान लागू होने के कारण, किसान अपनी फसल को देश के किसी भी बाजार में, अपनी मनचाही कीमत पर बेच सकेगा। ये हमारे कॉपरेटिव्स, कृषि उत्पादक संघ-FPO's और बिहार में चलने वाले जीविका जैसे महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आया है।

साथियों, नीतीश जी भी इस कार्यक्रम में मौजूद हैं। वो भली-भांति समझते हैं कि APMC एक्ट से किसानों का क्या-क्‍या नुकसान होता रहा है। यही वजह है कि बिहार का मुख्यमंत्री बनने के बाद, अपने शुरुआती वर्षों में ही नीतीश जी ने बिहार में इस कानून को हटा दिया था। जो काम कभी बिहार ने करके दिखाया था, आज देश उस रास्‍ते पर चल पड़ा है।

साथियों, किसानों के लिए जितना एनडीए शासन में पिछले 6 वर्षों में किया गया है, उतना पहले कभी नहीं किया गया। किसानों को होने वाली एक एक परेशानी को समझते हुए, एक-एक दिक्कत को दूर करने के लिए हमारी सरकार ने निरंतर प्रयास किया है। देश के किसानों को बीज खरीदने में, खाद खरीदने में, अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी से कर्ज न लेना पड़े, इसके लिए ही प्रधानमंत्री किसान कल्याण योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत अब तक देश के 10 करोड़ किसानों के खाते में करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपए सीधे ट्रांसफर किए जा चुके हैं, कोई बिचौलिया नहीं। किसानों को पानी की दिक्कत न हो, दशकों से अटकी पड़ी सिंचाई परियोजनाएं पूरी हों, इसके लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर करीब एक लाख करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। वो यूरिया, जिसके लिए लंबी-लंबी लाइनें लगती थीं, जो किसानों के खेत में कम और फैक्ट्रियों में ज्यादा आसानी से पहुंचता था, अब उसकी 100 प्रतिशत नीम कोटिंग की जा रही है। आज देश में बड़े स्तर पर कोल्ड स्टोरेज का नेटवर्क तैयार किया जा रहा है, फूड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्योगों पर भारी निवेश किया जा रहा है, एक लाख करोड़ रुपए का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया जा रहा है। किसानों के पशुधन को बीमारियों से बचाने के लिए देशव्यापी अभियान भी चलाया जा रहा है। मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए, मुर्गी पालन को प्रोत्साहन के लिए, शहद उत्पादन बढ़ाने के लिए, दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए, किसानों को आय बढ़ाने के अतिरिक्त विकल्प देने के लिए केंद्र सरकार निरंतर कार्य कर रही है।

साथियों, मैं आज देश के किसानों को बड़ी नम्रतापूर्वक अपनी बात बताना चाहता हूं, स्पष्ट संदेश देना चाहता हूं। आप किसी भी तरह के भ्रम में मत पड़िए। इन लोगों से देश के किसानों को सतर्क रहना है। ऐसे लोगों से सावधान रहें जिन्होंने दशकों तक देश पर राज किया और जो आज किसानों से झूठ बोल रहे हैं। वो लोग किसानों की रक्षा का ढिंढोरा पीट रहे हैं लेकिन दरअसल वे किसानों को अनेक बंधनों में जकड़कर रखना चाहते हैं। वो लोग बिचौलियों का साथ दे रहे हैं, वो लोग किसानों की कमाई को बीच में लूटने वालों का साथ दे रहे हैं। किसानों को अपनी उपज देश में कहीं पर भी, किसी को भी बेचने की आजादी देना, बहुत ऐतिहासिक कदम है। 21वीं सदी में भारत का किसान, बंधनों में नहीं, भारत का किसान खुलकर खेती करेगा, जहां मन आएगा अपनी उपज बेचेगा, जहां ज्‍यादा पैसा मिलेगा, वहां बेचेगा, किसी बिचौलिए का मोहताज नहीं रहेगा और अपनी उपज, अपनी आय भी बढ़ाएगा। ये देश की जरूरत है और समय की मांग भी है।

साथियों, किसान हों, महिलाएं हों, नौजवान हों, राष्ट्र के विकास में सभी को सशक्त करना हम सभी का दायित्व है। आज जितने भी प्रोजेक्ट्स को समर्पित किया गया है, वो इसी दायित्व का एक हिस्सा है। मुझे विश्वास है कि आज जिन परियोजनाओं का लोकार्पण और शुभारंभ हुआ है, इनसे बिहार के लोगों, यहां के नौजवानों, यहां की महिलाओं को बहुत लाभ होगा।

साथियों, कोरोना के इस संकट काल में, हम सभी को बहुत संभलकर भी रहना है। थोड़ी सी भी लापरवाही, आपका और आपके अपनों का बहुत ज्यादा नुकसान कर सकती है। इसलिए मैं बिहार के लोगों से, देश के लोगों से अपने आग्रह को फिर दोहराना चाहता हूं। मास्क जरूर पहनें और ठीक से पहनें, दो गज की दूरी का हमेशा ध्यान रखें, इसका पालन करें, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें, भीड़ लगाने से बचें, अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता, अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए, काढ़ा पीते रहें, गुनगुना पानी पीते रहें, निरंतर अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें। आप सतर्क रहिए, सुरक्षित रहिए, स्वस्थ रहिए !!

आपका परिवार स्‍वस्‍थ रहे, इसी कामना के साथ, आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !

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Prime Minister lauds Andhra Pradesh’s Yogandhra 2025 Initiative
June 03, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi today appreciated the vibrant participation of yoga enthusiasts at the Yogandhra 2025 event held near Chittoor, Andhra Pradesh. The event, organized amid the breathtaking Puligundu Twin Hills where over 2,000 yoga enthusiasts gathered to kickoff to Andhra Pradesh’s month-long lead-up to International Day of Yoga (IDY) 2025.

Quoting a post shared by Union Minister, Shri Prataprao Jadhav on social media platform X, the Prime Minister said;

"Gladdening to see enthusiasm building up towards Yoga Day 2025. #Yogandhra2025 is a commendable effort by the people of AP to make Yoga popular. I look forward to marking Yoga Day in AP on the 21st.

I call upon all of you to mark Yoga Day and also make Yoga a regular part of your lives.

@ncbn"