'भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष-कपड़ा और शिल्प का भंडार' का शुभारंभ किया गया
"आज का भारत सिर्फ 'वोकल फ़ॉर लोकल' ही नहीं बल्कि इसे दुनिया भर में ले जाने के लिए वैश्विक मंच भी प्रदान कर रहा है"
" देश में स्वदेशी को लेकर नई क्रांति का सूत्रपात हुआ है "
"वोकल फॉर लोकल की भावना के साथ देशवासी स्वदेशी उत्पादों को हाथों हाथ खरीद रहे हैं और यह एक जन आंदोलन बन गया है"
"मुफ़्त राशन, पक्का मकान, 5 लाख रुपये तक का मुफ़्त इलाज- यह मोदी की गारंटी है"
“सरकार बुनकरों के काम को आसान बनाने, उनकी उत्पादकता बढ़ाने तथा गुणवत्ता और डिजाइन में सुधार लाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है”
"प्रत्येक राज्य और जिले के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों को एक छत के नीचे बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा सभी राज्यों की राजधानियों में एकता मॉल बनाए जा रहे हैं"
"सरकार अपने बुनकरों को दुनिया का सबसे बड़ा बाजार उपलब्ध कराने की स्पष्ट रणनीति के साथ काम कर रही है"
"आत्मनिर्भर भारत का सपना बुनने और 'मेक इन इंडिया' को बल प्रदान करने वाले लोग खादी को मात्र कपड़ा ही नहीं, बल्कि हथियार समझते हैं"
"तिरंगा जब छतों पर फहराया जाता है, तो वह हमारे भीतर भी लहराता है"

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान पीयूष गोयल जी, नारायण राणे जी, बहन दर्शना जरदोश जी, उद्योग और फैशन जगत के सभी साथी, हथकरघा और खादी की विशाल परंपरा से जुड़े सभी उद्यमी और मेरे बुनकर भाई-बहनों, यहां उपस्थित सभी विशेष महानुभाव, देवियों और सज्जनों,

कुछ ही दिन पहले भारत मंडपम का भव्य लोकार्पण किया गया है। आप में से बहुत लोग हैं पहले भी यहां आते थे और टेंट में अपनी दुनिया खड़ी करते थे। अब आज आपने बदला हुआ देश देखा होगा यहां। और आज हम इस भारत मंडपम में National Handloom Day- राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मना रहे हैं। भारत मंडपम की इस भव्यता में भी, भारत के हथकरघा उद्योग की अहम भूमिका है। पुरातन का नूतन से यही संगम आज के भारत को परिभाषित करता है। आज का भारत, लोकल के प्रति वोकल ही नहीं है, बल्कि उसे ग्लोबल बनाने के लिए वैश्विक मंच भी दे रहा है। थोड़ी देर पहले ही मुझे कुछ बुनकर साथियों से बातचीत करने का अवसर मिला है। देशभर के अनेकों Handloom Clusters में भी हमारे बुनकर भाई-बहन दूर-दूर से यहां आए हैं हमारे साथ जुड़े हैं। मैं आप सभी का इस विशाल समारोह में हृदय से स्वागत करता हूं, मैं आपका अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

अगस्त का ये महीना क्रांति का महीना है। ये समय आज़ादी के लिए दिए गए हर बलिदान को याद करने का है। आज के दिन स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। स्वदेशी का ये भाव सिर्फ विदेशी कपड़े के बहिष्कार तक सीमित नहीं था। बल्कि ये हमारी आर्थिक आज़ादी का भी बहुत बड़ा प्रेरक था। ये भारत के लोगों को अपने बुनकरों से जोड़ने का भी अभियान था। ये एक बड़ी वजह थी कि हमारी सरकार ने आज के दिन को नेशनल हैंडलूम डे के रूप में मनाने का फैसला लिया था। बीते वर्षों में भारत के बुनकरों के लिए, भारत के हैंडलूम सेक्टर के विस्तार के लिए अभूतपूर्व काम किया गया है। स्वदेशी को लेकर देश में एक नई क्रांति आई है। स्वभाविक है कि इस क्रांति के बारे में लाल किले से चर्चा करने का मन होता है और जब 15 अगस्त बहुत पास में हो तो स्वाभाविक मन करता है कि ऐसे विषयों की वहां चर्चा करूं। लेकिन आज देशभर के इतने बुनकर साथी जुड़े हैं तो उनके समक्ष, उनके परिश्रम से, भारत को मिली इस सफलता का बखान करते हुए और सारी बात यहीं बताने से मुझे और अधिक गर्व हो रहा है।

साथियों,

हमारे परिधान, हमारा पहनावा हमारी पहचान से जुड़ा रहा है। यहां भी देखिए भांति-भांति के पहनावे और देखते ही पता चलता है कि ये वहां से होंगे, वो यहां से होंगे, वो इस इलाके से आए होंगे। यानि हमारी एक विविधता हमानी पहचान है, और एक प्रकार से ये हमारी विविधता को सेलिब्रेट करने का भी ये अवसर है, और ये विविधता सबसे पहले हमारे कपड़ों में नजर आती है। देखते ही पता चलता है कुछ नया है, कुछ अलग है। देश के दूर-सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले हमारे आदिवासी भाई-बहन से लेकर बर्फ से ढके पहाड़ों तक विस्तार हुआ है वो लोग तो दूसरी तरफ समुद्री तट से जिंदगी गुजारने वाले लोग, वहां से लेकर के मरूस्थल तक और भारत के मैदानों तक, परिधानों का एक खूबसूरत इंद्रधनुष हमारे पास है। और मैंने एक बार आग्रह किया था कि कपड़ों की जो हमारी ये विविधता है, उसको सूचीबद्ध किया जाए, इसका संकलन किया जाए। आज, भारतीय वस्त्र शिल्प कोष के रूप में ये आज मेरा वो आग्रह यहां फलीभूत हुआ देखकर के मुझे विशेष आनंद हो रहा है।

साथियों,

ये भी दुर्भाग्य रहा कि जो वस्त्र उद्योग पिछली शताब्दियों में इतना ताकतवर था, उसे आजादी के बाद फिर से सशक्त करने पर उतना जोर नहीं दिया गया। हालत तो ये थी कि खादी को भी मरणासन्न स्थिति में छोड़ दिया गया था। लोग खादी पहनने वालों को हीनभावना से देखने लगे थे। 2014 के बाद से हमारी सरकार, इस स्थिति और इस सोच को बदलने में जुटी है। मुझे याद है, मन की बात कार्यक्रम के शुरुआती दिनों में मैंने देश से खादी का कोई ना कोई सामान खरीदने का निवेदन किया था। उसका क्या नतीजा निकला, इसके हम सभी आज साक्षी हैं। पिछले 9 वर्षों में खादी के उत्पादन में 3 गुणा से अधिक की वृद्धि हुई है। खादी के कपड़ों की बिक्री भी 5 गुना से अधिक बढ़ गई है। देश-विदेश में खादी के कपड़ों की डिमांड बढ़ रही है। मैं कुछ दिनों पहले ही पेरिस में, वहां एक बहुत बड़े फैशन ब्रैंड की CEO से मिला था। उन्होंने भी मुझे बताया कि किस तरह विदेश में खादी और भारतीय हैंडलूम का आकर्षण बढ़ रहा है।

साथियों,

नौ साल पहले खादी और ग्रामोद्योग का कारोबार 25 हजार, 30 हजार करोड़ रुपए के आसपास ही था। आज ये एक लाख तीस हजार करोड़ रुपए से अधिक तक पहुंच चुका है। पिछले 9 वर्षों में ये जो अतिरिक्त 1 लाख करोड़ रुपए इस सेक्टर में आए हैं, ये पैसा कहां पहुंचा है? ये पैसा मेरे हथकरघा सेक्टर से जुड़े गरीब भाई-बहनों के पास गया है, ये पैसा गांवों में गया है, ये पैसा आदिवासियों के पास गया है। और आज जब नीति आयोग कहता है ना कि पिछले 5 साल में साढ़े तेरह करोड़ लोग भारत में गरीबी से बाहर निकले हैं। वो बाहर निकालने के काम में इसने भी अपनी भूमिका अदा की है। आज वोकल फॉर लोकल की भावना के साथ देशवासी स्वदेशी उत्पादों को हाथों-हाथ खरीद रहे हैं, ये एक जनआंदोलन बन गया है। और मैं सभी देशवासियों से एक बार फिर कहूंगा। आने वाले दिनों में रक्षाबंधन का पर्व आने वाला है, गणेश उत्सव आ रहा है, दशहरा, दीपावली, दुर्गापूजा। इन पर्वों पर हमें अपने स्वदेशी के संकल्प को दोहराना ही है। और ऐसा करके हम अपने जो हस्तशिलपी हैं, अपने बुनकर भाई-बहन हैं, हतकरघा की दुनिया से जुड़े लोग हैं उनकी बहुत बड़ी मदद करते हैं, और जब राखी के त्योहार में रक्षा के उस पर्व में मेरी बहन जो मुझे राखी बांधती है तो मैं तो रक्षा की बात करता हूं लेकिन मैं अगर उसको उपहार में किसी गरीब मां से हाथ से बनी हुई चीज देता हूं तो उस मां की रक्षा भी मैं करता हूं।

साथियों,

मुझे इस बात का संतोष है कि टेक्सटाइल सेक्टर के लिए जो योजनाएं हमने चलाई हैं, वो सामाजिक न्याय का भी बड़ा माध्यम बन रही हैं। आज देशभर के गांवों और कस्बों में लाखों लोग हथकरघे के काम से जुड़े हैं। इनमें ज्यादातर लोग दलित, पिछड़े-पसमांदा और आदिवासी समाज से आते हैं। बीते 9 वर्षों में सरकार के प्रयासों ने ना सिर्फ इन्हें बड़ी संख्या में रोजगार दिया है बल्कि इनकी आय भी बढ़ी है। बिजली, पानी, गैस कनेक्शन, स्वच्छ भारत जैसे अभियानों का भी लाभ सबसे ज्यादा वहां पहुंचा है। और मोदी ने उन्हें गारंटी दी है- मुफ्त राशन की। और जब मोदी गारंटी देता है तो उसका चूल्हा 365 दिन चलता ही चलता है। मोदी ने उन्हें गारंटी दी है - पक्के घर की। मोदी ने इन्हें गारंटी दी है 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की। हमने मूल सुविधाओं के लिए अपने बुनकर भाइयों और बहनों का दशकों का इंतजार खत्म किया है।

साथियों,

सरकार का प्रयास है कि टेक्सटाइल सेक्टर से जुड़ी जो परंपराएं हैं, वे ना सिर्फ ज़िंदा रहें, बल्कि नए अवतार में दुनिया को आकर्षित करें। इसलिए हम इस काम से जुड़े साथियों को और उनकी पढ़ाई, प्रशिक्षण और कमाई पर बल दे रहे हैं। हम बुनकरों और हस्तशिल्पियों के बच्चों की आकांक्षा को उड़ान देना चाहते हैं। बुनकरों के बच्चों की स्किल ट्रेनिंग के लिए उन्हें टेक्सटाइल इंस्टीट्यूट्स में 2 लाख रुपए तक की स्कॉलरशिप मिल रही है। पिछले 9 वर्षों में 600 से अधिक हैंडलूम क्लस्टर विकसित किए गए हैं। इनमें भी हज़ारों बुनकरों की ट्रेनिंग दी गई है। हमारी लगातार कोशिश है कि बुनकरों का काम आसान हो, उत्पादकता अधिक हो, क्वालिटी बेहतर हो, डिज़ायन नित्य-नूतन हों। इसलिए उन्हें कंप्यूटर से चलने वाली पंचिंग मशीनें भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे नए-नए डिज़ायन तेज़ी से बनाए जा सकते हैं। मोटर से चलने वाली मशीनों से ताना बनाना भी आसान हो रहा है। ऐसे अनेक उपकरण, ऐसी अनेक मशीनें बुनकरों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। सरकार, हथकरघा बुनकरों को रियायती दरों पर कच्चा माल यानि धागा भी दे रही है। कच्चे माल को लाने का खर्च भी सरकार वहन करती है। मुद्रा योजना के माध्यम से भी बुनकरों को बिना गारंटी का ऋण मिलना संभव हुआ है।

साथियों,

मैंने गुजरात में रहते हुए बरसों, मेरे बुनकर साथियों के साथ समय बिताया है। आज मैं जहां से सांसद हूं, काशी, उस पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में भी हैंडलूम का बहुत बड़ा योगदान है। मेरी अक्सर उनसे मुलाकात भी होती है, बातचीत होती है। इसलिए मुझे धरती की जानकारी भी रहती है। हमारे बुनकर समाज के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती रहा है कि वो प्रॉडक्ट तो बना लेता हैं, लेकिन उसे बेचने के लिए उन्हें सप्लाई चेन की दिक्कत आती है, मार्केटिंग की दिक्कत आती है। हमारी सरकार उन्हें इस समस्या से भी बाहर निकाल रही है। सरकार, हाथ से बने उत्पादों की मार्केटिंग पर भी जोर दे रही है। देश के किसी ना किसी कोने में हर रोज एक मार्केटिंग एक्जीबिशन लगाई जा रही है। भारत मंडपम की तरह ही, देश के अनेक शहरों में प्रदर्शनी स्थल आज निर्माण किए जा रहे हैं। इसमें दैनिक भत्ते के साथ ही निशुल्क स्टॉल भी मुहैया कराया जाता है। और आज खुशी की बात है कि हमारी नई पीढ़ी के जो नौजवान हैं, जो नए-नए स्टार्टअप्स आ रहे हैं। स्टार्टअप की दुनिया के लोग भी मेरे होनहार भारत के युवा हतकरघा से बनी चीजें, हस्तशिल्प से बनीं चीजें, हमारे कॉटेज इंडस्ट्री से बनी चीजें उसके लिए अनेक नई-नई टेक्निक, नए-नए पैटर्नस, उसकी मार्किटिंग की नई-नई व्यवस्थाएं, अनेक स्टार्टअप्स आजकल इस दुनिया में आए हैं। और इसलिए मैं उसके भविष्य को एक नयापन मिलता हुआ देख रहा हूं।

आज वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत हर जिले में वहां के खास उत्पादों को प्रमोट किया जा रहा है। देश के रेलवे स्टेशनों पर भी ऐसे उत्पादों की बिक्री के लिए विशेष स्टॉल बनाए जा रहे हैं। हर जिले के, हर राज्य के हस्तशिल्प, हथकरघे से बनी चीज़ों को प्रमोट करने के लिए सरकार एकता मॉल भी बनवा रही है। एकता मॉल में उस राज्य के हस्तकला उत्पाद एक छत के नीचे होंगे। इसका भी बहुत बड़ा फायदा हमारे हैंडलूम सेक्टर से जुड़े भाई-बहनों को होगा। आपमें से किसी को अगर गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने का अवसर मिला होगा तो वहां एक एकता मॉल बना हुआ है। हिन्दुस्तान के हस्तशिल्पियों द्वारा बनी हुई देश के हर कोने की चीज वहां उपलब्ध होती है। तो टूरिस्ट वहां जो आता है तो एकता का अनुभव भी करता है और उसको हिन्दुस्तान के जिस कोने की चीज चाहिए वहां से मिल जाती है। ऐसे एकता मॉल देश की सभी राजधानियों में बनें इस दिशा में एक प्रयास चल रहा है। हमारी इन चीजों का महत्व कितना है। मैं प्रधानमंत्री कार्यकाल में विदेश जाता हूं तो दुनिया के महानुभावों के लिए कुछ न कुछ भेंट सौगात ले जाना होता है। मेरा बड़ा आग्रह रहता है कि आप सब साथी जो बनाते हैं उन्हीं चीजों को मैं दुनिया के लोगों को देता हूं। उनको प्रसन्न तो करते ही हैं। जब उनको मैं बताता हूं ये मेरे फलाने इलाके के फलाने गांव के लोगों ने बनाई तो बहुत प्रभावित भी हो जाते हैं।

साथियों,

हमारे हैंडलूम सेक्टर के भाई-बहनों को डिजिटल इंडिया का भी लाभ मिले, इसका भी पूरा प्रयास है। आप जानते हैं सरकार ने खरीद-बिक्री के लिए एक पोर्टल बनाया है- गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस यानि GeM। GeM पर छोटे से छोटा कारीगर, शिल्पी, बुनकर अपना सामान सीधे सरकार को बेच सकता है। बहुत बड़ी संख्या में बुनकरों ने इसका लाभ उठाया है। आज हथकरघा और हस्तशिल्प से जुड़ी पौने 2 लाख संस्थाएं GeM पोर्टल से जुड़ी हुई हैं।

साथियों,

हमारी सरकार, अपने बुनकरों को दुनिया का बड़ा बाज़ार उपलब्ध कराने पर भी स्पष्ट रणनीति के साथ काम कर रही है। आज दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत के MSMEs, हमारे बुनकरों, कारीगरों, किसानों के उत्पादों को दुनियाभर के बाजारों तक ले जाने के लिए आगे आ रही हैं। मेरी ऐसी अनेक कंपनियों के नेतृत्व से सीधी चर्चा हुई हैं। दुनियाभर में इनके बड़े-बड़े स्टोर्स हैं, रीटेल सप्लाई चेन हैं, बड़े-बड़े मॉल्स हैं, दुकानें हैं। ऑनलाइन की दुनिया में भी इनका सामर्थ्य बहुत बड़ा है। ऐसी कंपनियों ने अब भारत के स्थानीय उत्पादों को विदेश के कोने-कोने में ले जाने का संकल्प लिया है। हमारे मिलेट्स जिसको हम अब श्रीअन्न के रूप में पहचानते हैं। ये श्रीअन्न हों, हमारे हैंडलूम के प्रॉडक्ट्स हों, अब ये बड़ी इंटरनेशनल कंपनियां उन्हें दुनिया भर के बाजारों में लेकर जाएंगी। यानि प्रॉडक्ट भारत का होगा, भारत में बना होगा, भारत के लोगों के पसीने की उसमे महक होगी और सप्लाई चेन इन मल्टी नेशनल कंपनियों की इस्तेमाल होगी। और इसका भी बहुत बड़ा फायदा हमारे देश के इस क्षेत्र से जुड़े हुए हर छोटे व्यक्ति को मिलने वाला है।

साथियों,

सरकार के इन प्रयासों के बीच, आज मैं टेक्सटाइल इंडस्ट्री और फैशन जगत के साथियों से भी एक बात कहूंगा। आज जब हम दुनिया की टॉप-3 इकॉनॉमीज़ में आने के लिए कदम बढ़ा चुके हैं, तब हमें अपनी सोच और काम का दायरा भी बढ़ाना होगा। हम अपने हैंडलूम, अपने खादी, अपने टेक्सटाइल सेक्टर को वर्ल्ड चैंपियन बनाना चाहते हैं। लेकिन इसके लिए सबका प्रयास ज़रुरी है। श्रमिक हो, बुनकर हो, डिजायनर हो या इंडस्ट्री, सबको एकनिष्ठ प्रयास करने होंगे। आप भारत के बुनकरों की स्किल को, स्केल से जोड़िए। आप भारत के बुनकरों की स्किल को, टेक्नोलॉजी से जोड़िए। आज हम भारत में एक निओ मिडिल क्लास का उदय होता देख रहे हैं। हर प्रोडक्ट के लिए एक बहुत बड़ा युवा कंज्यूमर वर्ग भारत में बन रहा है। ये निश्चित रूप से भारत की टेक्सटाइल कंपनियों के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है। इसलिए इन कंपनियों का भी दायित्व है कि वो स्थानीय सप्लाई चेन को सशक्त करे, उस पर इन्वेस्ट करे। बाहर बना-बनाया उपलब्ध है, तो उसे इंपोर्ट करो, ये अप्रोच आज जब हम महात्मा गांधी के कामों का स्मरण करते हुए बैठे हैं तो फिर से एक बार मन को हिलाना होगा, मन को संकल्पित करना होगा कि बाहर से ला लाकर के गुजारा करना, ये रास्ता उचित नहीं है। इस सेक्टर के महारथी ये बहाने नहीं बना सकते कि इतनी जल्दी कैसे होगा, इतनी तेज़ी से लोकल सप्लाई चेन कैसे तैयार होगी। हमें भविष्य में लाभ लेना है तो आज लोकल सप्लाई चेन पर निवेश करना ही होगा। यही विकसित भारत के निर्माण का रास्ता है, और यही रास्ता विकसित भारत के हमारे सपने को पूरा करेगा। 5 ट्रिलियन इकनॉमी के सपने को पूरा करेगा, दुनिया के पहले तीन मे भारत को जगह दिलाने का सपना पूरा होके रहेगा। और भावात्मक पहलु की और देखें तो इसी रास्ते पर चलकर हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा कर पाएंगे, स्वदेशी के सपने को साकार कर पाएंगे।

साथियों,

और मैं साफ मानता हूं जो स्वाभिमानी होगा, जिसको स्वंय पर अभिमान होगा, स्वदेश पर अभिमान होगा उसके लिए खादी वस्त्र है। लेकिन साथ–साथ जो आत्मनिर्भर भारत के सपने बुनता है, जो मेक इन इंडिया को बल देता है उसके लिए ये खादी सिर्फ वस्त्र नहीं, अस्त्र भी है और सस्त्र भी है।

साथियों,

आज से एक दिन बाद ही 9 अगस्त है। अगर आज का दिन स्वदेशी आंदोलन से जुड़ा हुआ है तो 9 अगस्त की तारीख, भारत के सबसे बड़े आंदोलनों की साक्षी रही है। 9 अगस्त को ही पूज्य बापू के नेतृत्व में क्विट इंडिया मूवमेंट यानि इंडिया छोड़ो आंदोलन शुरु हुआ था। पूज्य बापू ने अंग्रेज़ों को साफ-साफ कह दिया था- क्विट इंडिया। इसके कुछ ही समय बाद ही देश में ऐसा एक जागरण का माहौल बन गया, एक चेतना जग गई आखिरकार अंग्रेजों को इंडिया छोड़ना ही पड़ा था। आज हमें पूज्य बापू के आशीर्वाद से उसी इच्छाशक्ति को समय की मांग है हमें आगे बढ़ाना ही है। जो मंत्र अंग्रेजों को खदेड़ सकता था। वो मंत्र हमारे यहां भी ऐसे तत्वों को खदेड़ने का कारण बन सकता है। आज हमारे सामने विकसित भारत निर्माण का स्वपन है, संकल्प है। इस संकल्प के सामने कुछ बुराइयां रोड़ा बनी हुई हैं। इसलिए आज भारत एक सुर में इन बुराइयों को कह रहा है- क्विट इंडिया। आज भारत कह रहा है- करप्शन, quit India यानि भ्रष्टाचार इंडिया छोड़ो। आज भारत कह रहा है, Dynasty, quit India, यानि परिवारवाद इंडिया छोड़ो। आज भारत कह रहा है, Appeasement, Quit India यानि तुष्टिकरण इंडिया छोड़ो। इंडिया में समाई ये बुराइयां, देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है। देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती भी है। मुझे विश्वास है, हम सभी अपने प्रयास से इन बुराइयों को समाप्त करेंगे, परास्त करेंगे। औऱ फिर भारत की विजय होगी, देश की विजय होगी, हर देशवासी की विजय होगी।

साथियों,

15 अगस्त, हर घर तिरंगा और यहां तो मुझे आज उन बहनों से भी मिलने का भी मौका मिला जो देश में तिरंगा ध्वज बनाने के काम में सालों से लगे हुए हैं। उनसे भी मुझे नमस्ते करने का, बातचीत करने का मौका मिला, हम इस 15 अगस्त को भी पिछली बार की तरह और आने वाले हर वर्ष हर घर तिरंगा इस बात को आगे ले जाना है, और जब छत पर तिरंगा लहराता है ना, तो सिर्फ वो छत पर भी नहीं लहराता है, मन में भी लहराता है। एक बार फिर आप सभी को नेशनल हैंडलूम डे की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।