“जिस दौर में दुनिया की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं फंसी हुई थीं, उस दौर में भारत संकट से बाहर भी निकला और तेज गति से आगे भी बढ़ रहा है”
“2014 के बाद हमारी सरकार ने जो भी नीतियां बनाईं, उनमें न केवल शुरुआती लाभों का ध्यान रखा गया, बल्कि दूसरे और तीसरे क्रम के प्रभावों को भी प्राथमिकता दी गई”
“देश में पहली बार गरीबों को सुरक्षा भी मिली है और सम्मान भी”
“देश मिशन मोड में व्यवस्थित कार्य का साक्षी बन रहा है। हमने सत्ता की मानसिकता को सेवा की मानसिकता में बदला, हमने गरीबों के कल्याण को अपना माध्यम बनाया”
“पिछले 9 वर्षों में दलित, वंचित, आदिवासी, महिला, गरीब, महिला, मध्यम वर्ग हर कोई बदलाव का अनुभव कर रहा है”
“पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना देश की एक बहुत बड़ी आबादी के लिए एक सुरक्षा कवच है”
“संकट की घड़ी में, भारत ने आत्मनिर्भरता का रास्ता चुना। भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे सफल टीकाकरण अभियान चलाया”
“बदलाव की यह यात्रा समकालीन होने के साथ-साथ भविष्यवादी भी है”
“भ्रष्टाचार पर प्रहार जारी रहेगा”

अर्णब गोस्वामी जी, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के सभी साथी, देश-विदेश में रिपब्लिक टीवी के सभी दर्शक, देवियों और सज्जनों, अपनी बात बताने से पहले बचपन में एक चुटकुला सुनते थे वो जरा बताना चाहता हूं। एक प्रोफेसर थे और उनकी बेटी ने आत्महत्या की, तो एक चिट छोड़ कर के गई कि मैं जिंदगी में थक गई हूं, मैं जीना नहीं चाहती हूं, तो मैं कांकरिया तालाब में कूद करके मर जाऊंगी। अब सुबह देखा बेटी घर में नहीं है। तो बिस्तर में चिट्ठी मिली तो पिताजी को बड़ा गुस्सा आया। बोले मैं प्रोफेसर, इतने साल मैंने मेहनत की, अभी भी बोला कांकरिया spelling गलत लिखकर जाती है। मुझे खुशी है कि अर्णब बढ़िया हिन्‍दी बोलने लगे हैं। उन्होंने क्या बोला वो तो मैंने सुना नहीं लेकिन हिन्‍दी ठीक है कि नहीं वो मैं बराबर ध्यान से सुन रहा था और शायद मुंबई में रहने के कारण आप हिन्‍दी बराबर सीख लिये।

साथियों,

आप सबके बीच आना, स्वाभाविक है कि आनंद होता है। अगले महीने रिपब्लिक टीवी के 6 साल पूरे हो रहे हैं। मैं आपको बधाई दूंगा आपने नेशन फर्स्ट के अपने मिशन को डिगने नहीं दिया। हर प्रकार के रोड़े, रुकावटों के बावजूद आप डटे रहे। कभी अर्नब का गला खराब हुआ, कभी कुछ लोग अर्नब के गले पड़ गए, लेकिन चैनल ना रुका, ना थका और ना ही थमा।

साथियों,

2019 में जब मैं रिपब्लिक समिट में आया था, तब उस समय की थीम थी ‘India’s Moment’. इस थीम की पृष्ठभूमि में देश की जनता से मिला जनादेश था। अनेक दशकों बाद भारत की जनता ने लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत वाली स्थिर सरकार बनाई थी। देश को ये विश्वास हो गया था कि ‘India’s Moment’ आ गया है। आज 4 वर्ष बाद आपकी समिट की थीम है- Time of Transformation. यानि जिस Transformation का विश्वास था, वो अब ज़मीन पर दिख रहा है।

साथियों,

आज देश में जो बदलाव आ रहा है, उसकी दिशा क्या है, इसको मापने का एक तरीका है, अर्थव्यवस्था के विकास और विस्तार की गति। भारत को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में लगभग 60 साल लगे, 60 years। 2014 तक हम लोग किसी तरह दो ट्रिलियन डॉलर के मार्क तक पहुंच पाए थे। यानी सात दशक में 2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था। लेकिन आज हमारी सरकार के 9 वर्ष बाद भारत आज लगभग साढ़े 3 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी वाला देश है। बीते 9 वर्षों में हमने 10वें नंबर की अर्थव्यवस्था से 5वें नंबर तक की लंबी छलांग लगाई। और ये सब 100 साल के सबसे बड़े संकट के बीच हुआ है। जिस दौर में दुनिया की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं फंसी हुई थी, उस दौर में भारत संकट से बाहर भी निकला और तेज़ गति से आगे भी बढ़ रहा है।

साथियों,

पॉलिसी मेकर्स से आपने एक बात अक्सर सुनी होगी- First order impact यानि किसी भी नीति का पहला और स्वाभाविक परिणाम। First order impact ही पॉलिसी का पहला लक्ष्य होता है, और ये कम समय में दिखने लगता है। लेकिन हर पॉलिसी का Second और Third order impact भी होता है। इनका प्रभाव गहरा होता है, दूरगामी होता है लेकिन ये सामने आने में समय लगता है। इसकी Comparative Study करने के लिए, विस्तार से समझने के लिए, हमें कई दशक पीछे जाना पड़ेगा। आप लोग TV की दुनिया वाले Two Window चलाते हैं ना, पहले और अब वाली, Before and After वाली, तो मैं भी वैसा ही कुछ आज करने वाला हूं। तो पहले जरा Before की बात कर लेते हैं।

साथियों,

आजादी मिलने के बाद लाइसेंस राज वाली जो इकोनॉमिक पॉलिसी अपनाई गई थी, उसमें सरकार ही Controller बन गई। Competition खत्म कर दिया गया, Private industry को, MSME’s को आगे नहीं बढ़ने दिया गया। इसका पहला नकारात्मक प्रभाव तो यही हुआ कि दूसरे देशों के मुकाबले हम पिछड़ते चले गए, हम और गरीब होते गए। उन नीतियों का second order impact और भी बुरा हुआ। भारत की consumption growth दुनिया के मुकाबले बहुत कम रह गई। इसकी वजह से Manufacturing सेक्टर कमजोर हुआ और हमने Investment के मौके गंवा दिए। इसका तीसरा प्रभाव ये हुआ कि भारत में innovation का माहौल ही नहीं बन सका। ऐसे में ना ज्यादा innovative enterprise बने, औऱ ना ही ज्यादा private jobs create हुई। युवा सिर्फ और सिर्फ सरकारी नौकरी के भरोसे रहने लगे। देश की कई प्रतिभाओं ने तब काम का माहौल ना देखकर देश छोड़ने तक फैसला कर लिया। ये सब उन्हीं सरकारी नीतियों का Third order impact था। उन नीतियों के Impact ने देश के innovation, hard work और enterprise की क्षमता को कुचल दिया।

साथियों,

अब जो मैं बताने जा रहा हूं, वो जानकर रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को भी जरूर अच्छा लगेगा। 2014 के बाद हमारी सरकार ने जो भी पॉलिसी बनाई है, उसमें ना केवल Initial Benefits का ध्यान रखा गया, बल्कि second और third order effects को भी प्राथमिकता दी गई। आपको याद होगा, 2019 में इसी रिपब्लिक समिट में मैंने कहा था कि पीएम आवास योजना के तहत हमने 5 साल में डेढ़ करोड़ परिवारों को घर दिया है। अब ये आंकड़ा बढ़कर पौने चार करोड़ से ज्यादा हो चुका है। इनमें से ज्यादातर घर, उसका मालिकाना हक हमारी माताओं-बहनों के नाम पर है और आप जानते हैं आज एक-एक घर लाखों की कीमत का बनता है। यानि करोड़ों गरीब बहनें, मैं आज बड़े संतोष से कहता हूं लखपति दीदी बनी हैं। शायद इससे बड़ा कोई रक्षाबंधन नहीं हो सकता है। ये हुआ पहला इंपैक्ट। इसका दूसरा परिणाम ये सामने आया कि इस योजना से गांव-गांव में रोजगार के लाखों अवसर तैयार हुए। और आप जानते हैं कि जब किसी के पास अपना घर होता है, पक्का घर होता है, तो उसका आत्मविश्वास कितना बढ़ जाता है, उसकी Risk Taking Capacity कितनी बढ़ जाती है। उसके सपने आसमान को छूने लग जाते हैं। पीएम आवास योजना ने देश के गरीब का आत्मविश्वास नई ऊंचाई पर पहुंचाया।

साथियों,

कुछ दिन पहले ही मुद्रा योजना के 8 वर्ष पूरे हुए हैं। ये योजना micro और small entrepreneurs को financial support देने के लिए शुरू की गई थी। मुद्रा योजना के तहत 40 करोड़ से अधिक लोन बांटे गए, जिनमें करीब 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस योजना का पहला प्रभाव तो स्वरोजगार में बढ़ोतरी के रूप में हमारे सामने है। मुद्रा योजना हो, महिलाओं के जन धन अकाउंट खोलना हो या फिर सेल्फ हेल्प ग्रुप को प्रोत्साहन, आज इन योजनाओं से देश में एक बड़ा सामाजिक बदलाव होते हुए हम देख सकते हैं। इन योजनाओं ने आज परिवार के decision-making process में महिलाओं की मजबूत भूमिका स्थापित कर दी है। अब ज्यादा से ज्यादा महिलाएं job creator की भूमिका में आ रही हैं, देश की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही हैं।

साथियों,

पीएम स्वामित्व योजना में भी आप First, Second और Third order impact अलग-अलग देख सकते हैं। इसके तहत latest technology का उपयोग करके गरीबों को प्रॉपर्टी कार्ड दिए गए, जिससे उन्हें संपत्ति की सुरक्षा का भरोसा मिला। इस योजना का एक असर ड्रोन सेक्टर पर देखा जा सकता है। जिसमें मांग और विस्तार की संभावनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पीएम स्वामित्व योजना को शुरू करने में करीब-करीब दो-ढाई साल हुए हैं, बहुत समय नहीं हुआ है लेकिन इसका भी Social Impact दिखने लगा है। संपत्ति कार्ड मिलने पर आपसी विवाद की आशंका कम हो गई है। इससे हमारी पुलिस और न्यायिक व्यवस्था पर लगातार बढ़ रहा दबाव कम होगा। इसके साथ ही, गांव में जिसे प्रॉपर्टी के कागज मिल गए हैं, उन्हें अब बैंकों से मदद मिलना और भी आसान हो गया है। गांव की इन प्रॉपर्टी की कीमत भी बढ़ गई है।

साथियों,

First order, Second order और third order impact की मेरे पास इतनी केस स्टडीज हैं कि आपका रनडाउन ही Out of Order हो जाएगा, बहुत सारा समय इसी में निकल जाएगा। DBT हो, बिजली, पानी, टॉयलेट जैसी सुविधाएं गरीब व्यक्ति तक पहुंचाने की योजनाएं हों, इन सभी ने Ground Level पर एक क्रांति ला दी है। इन योजनाओं ने देश के गरीब से गरीब व्यक्ति को भी सम्मान और सुरक्षा के भाव से भर दिया है। देश में गरीब को पहली बार Security भी मिली है, Dignity भी मिली है। जिन्हें दशकों तक यही एहसास दिलाया गया था कि वो देश के विकास पर बोझ हैं, वो आज देश के विकास को गति दे रहे हैं। जब सरकार ये योजनाएं शुरू कर रही थीं, तो कुछ लोग हमारा मजाक उड़ाया करते थे। लेकिन आज इन्हीं योजनाओं ने भारत के तेज विकास को गति दी है, ये योजनाएं विकसित भारत के निर्माण का आधार बनी हैं।

साथियों,

बीते 9 वर्षों से गरीब, दलित, वंचित, पिछड़ा, आदिवासी, सामान्य वर्ग, मध्यम वर्ग, हर कोई अपने जीवन में स्पष्ट बदलाव अनुभव कर रहा है। आज देश में बहुत systematic approach के साथ काम हो रहा है, मिशन मोड पर काम हो रहा है। हमने सत्ता के माइंडसेट को भी बदला है। हम सेवा का माइंडसेट लेकर आए हैं। हमने गरीब कल्याण को अपना माध्यम बनाया है। हमने तुष्टिकरण नहीं बल्कि संतुष्टिकरण को अपना आधार बनाया है। इस अप्रोच ने, देश के गरीब और मध्यम वर्ग के लिए एक defensive shield- सुरक्षा का कवच का निर्माण कर दिया है। इस सुरक्षा कवच ने देश के गरीब को और गरीब होने से रोक दिया है। आपमें से बहुत कम लोगों को पता होगा कि आय़ुष्मान योजना ने देश के गरीबों के 80 हजार करोड़ रुपए खर्च होने से बचाए हैं। जो गरीब की जेब से जाने वाला था, अगर ये योजना नहीं होती इतने ही पैसे गरीब को अपनी जेब से खर्च करने पड़ते। सोचिए, हमने कितने ही गरीबों को और गरीब होने से बचा लिया है। संकट के समय काम आने वाली ये अकेली योजना नहीं है। बल्कि सस्ती दवाओं, मुफ्त टीकाकरण, मुफ्त डायलिसिस, एक्सीडेंट इंश्योरेंस, लाइफ इंश्योरेंस की सुविधा भी पहली बार करोड़ों परिवारों को मिली है। पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना, देश की एक बहुत बड़ी आबादी के लिए एक और protective shield है। इस योजना ने कोरोना के संकट काल में किसी गरीब को भूखे नहीं सोने दिया। आज सरकार 4 लाख करोड़ रुपए सरकार इसी अन्न योजना पर खर्च कर रही है। चाहे वो वन नेशन वन राशन कार्ड हो या फिर हमारी JAM Trinity, ये सभी protective shield का ही हिस्सा है। आज गरीब से गरीब को भरोसा मिला है, कि जो उसके हक का है, वो उसे जरूर मिलेगा। और मैं मानता हूं यही सच्चे अर्थ में सामाजिक न्याय है। ऐसी कितनी ही योजनाएं हैं, इनका बहुत बड़ा असर भारत से गरीबी को कम करने में हुआ है। आपने कुछ समय पहले IMF का एक रिपोर्ट आया था, एक वर्किंग पेपर शायद आपने जरूर देखा होगा। ये रिपोर्ट बताती है कि ऐसी योजनाओं के कारण, महामारी के बावजूद भारत में extreme poverty खत्म होने की कगार पर है और यही तो है Transformation, Transformation और क्या होता है?.

साथियों,

आप याद होगा, मैंने संसद में मनरेगा को कांग्रेस सरकार की विफलताओं के स्‍मारक के रूप में पहचान दी थी उसकी। 2014 से पहले मनरेगा को लेकर कितनी शिकायतें रहती थीं। तब सरकार ने एक स्टडी कराई थी। स्टडी में सामने आया कई जगहों पर तो एक दिन के काम के बदले 30 दिन तक की हाजिरी दिखाई जा रही है। यानि पैसा कोई और हज़म कर रहा था। इसमें किसका नुकसान हो रहा था? गरीब का, मजदूर का। आज भी अगर आप गांवों में जाएंगे और पूछेंगे कि 2014 से पहले मनरेगा में कौन सा प्रोजेक्ट बना है, जो आज काम आ रहा है, तो आपको ज्यादा कुछ हाथ नहीं लगेगा। पहले मनरेगा पर जो धनराशि खर्च हो भी रही थी, उससे Permanent Asset Development का काम बहुत ही कम होता था। हमने स्थिति को भी बदला। हमने मनरेगा का बजट बढ़ाया, ट्रांसपेरेंसी भी बढ़ाई। हमने पैसा सीधे बैंक अकाउंट में भेजना शुरू किया और गांव के लिए रिसोर्स भी बनाए। 2014 के बाद मनरेगा के तहत गरीबों के पक्के घर भी बने, कुएं-बावड़ियां-नहरें, पशुओं के शेड, ऐसे लाखों काम हुए हैं। आज अधिकतर मनरेगा पेमेंट्स 15 दिन में ही क्लीयर हो जाती है। अब करीब 90 प्रतिशत से अधिक मनरेगा मज़दूरों के आधार कार्ड लिंक हो चुके हैं। इससे जॉब कार्ड में फर्ज़ीवाड़ा कम हुआ है। और मैं आपको एक और आंकड़ा दूंगा। मनरेगा में फर्जीवाड़ा रुकने की वजह से 40 हजार करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बचे हैं। अब मनरेगा का पैसा उस गरीब मजदूर के पास जा रहा है, जो मेहनत करता है, जो अपना पसीना बहाता है। गरीब के साथ हो रहे उस अन्याय को भी हमारी सरकार ने समाप्त कर दिया है।

साथियों,

Transformation की ये यात्रा, जितनी समकालीन है, उतनी ही futuristic भी है। हम आने वाले अनेक दशकों की तैयारी आज कर रहे हैं। अतीत में जो भी टेक्नॉलॉजी आई, वो कई-कई दशकों या सालों के बाद भारत पहुंचीं। पिछले 9 वर्षों में भारत ने इस ट्रेंड को भी बदल दिया है। भारत ने तीन काम एक साथ शुरू किए। एक तो हमने टेक्नोलॉजी से जुड़े सेकटर्स को सरकार के कंट्रोल से मुक्त कर दिया। दूसरा, हमने भारत की ज़रूरत के मुताबिक, भारत में ही टेक्नोलॉजी विकसित करने पर जोर दिया। तीसरा, हमने फ्यूचर की टेक्नोलॉजी के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर मिशन मोड अप्रोच अपनाई। आज आप देख रहे हैं कि देश में किस तरह और कितनी तेजी से 5 जी का रोलआउट हुआ है। हम दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़े हैं। 5 जी को लेकर भारत ने जो तेजी दिखाई है, जिस तरह अपनी खुद की टेक्नोलॉजी विकसित की है, उसकी पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है।

साथियों,

कोरोना काल में वैक्सीन का विषय भी कोई भूल नहीं सकता। जो पुरानी सोच और अप्रोच वाले लोग थे, वो कह रहे थे कि मेड इन इंडिया वैक्सीन की जरूरत क्या है? दूसरे देश बना ही रहे हैं, वो एक ना एक दिन हमें भी वैक्सीन दे ही देंगे। लेकिन संकट की घड़ी में भी भारत ने आत्मनिर्भरता का रास्ता चुना और परिणाम हमारे सामने हैं। और साथियों, आप कल्पना करो जिस बात को लेकर के आपको इतनी खुशी होती है, उस हालात में जब निर्णय करने की स्थिति आई होगी, आप अपने आप को उस जगह पर रखो कि दुनिया कह रही है कि वैक्सीन हमारी लेलो, लोग कह रहे हैं बिना वैक्सीन मुसीबत आ रही है, मर जाएंगे। Editorial, TV, सब भरे पड़े हैं। वैक्सीन लाओ, वैक्सीन लाओ और मोदी डट कर के खड़ा है। बहुत बड़ा पोलिटिकल कैपिटल मैंने रिस्क पर लगाया था दोस्तों। सिर्फ और सिर्फ मेरे देश के लिए वर्ना मैं भी अरे खजाना है, खाली करो, हां ले आओ। एक बार लगा दो, अखबार में advertisement दे दो, काम चल जाएगा। लेकिन हमने वो रास्ता नहीं चुना दोस्तों। हमने बहुत ही कम समय में दुनिया की श्रेष्ठ और प्रभावी वैक्सीन तैयार की। हमने तेज़ गति से दुनिया का सबसे बड़ा, सबसे सफल वैक्सीन अभियान चलाया। और आपको याद होगा, अभी तो जनवरी, फरवरी में कोविड की शुरुआत भारत में शुरू अभी तो हुई थी और भारत ने मई महीने में वैक्सीन के लिए टास्क फोर्स बना दिया था। इतना एडवांस में सोच करके काम किया है। और यही वो भी समय था जब कुछ लोग मेड इन इंडिया वैक्सीन्स को नकारने में जुटे थे। न जाने कैसे-कैसे शब्‍द प्रयोग किये थे। पता नहीं किसका दबाव था, जाने क्या स्वार्थ था कि ये लोग विदेशी वैक्सीन्स के इंपोर्ट की पैरवी कर रहे थे।

साथियों,

हमारा डिजिटल इंडिया अभियान की भी आज विश्व भर में चर्चा है। मैं पिछले दिनों जी-20 समिट में बाली गया था। शायद ही कोई देश ऐसा होगा जिसने मुझे डिजिटल इंडिया की डिटेल जानने की कोशिश न की हो, इतनी बड़ी चर्चा है। डिजिटल इंडिया को भी एक समय में डीरेल करने की कोशिश हुई थी। पहले देश को डाटा बनाम आटा की डिबेट में उलझाया गया। और ये टीवी वालों को तो बड़ा मजा आता है, दो शब्‍द डाल देते हैं- डाटा चाहिए कि आटा चाहिए। जनधन-आधार-मोबाइल की trinity को रोकने के लिए इन्होंने संसद से लेकर कोर्ट तक क्या-क्या प्रपंच नहीं किए। 2016 में जब मैं देशवासियों से कहता था कि आपके बैंक को आपकी उंगली पर लाकर खड़ा कर दूंगा। आपकी उंगली पर आपकी बैंक होगी। तो ये लोग मेरा मज़ाक उड़ाते थे। कुछ छद्म बुद्धिजीवी तब पूछते थे, मोदी जी बताइए, गरीब, आलू-टमाटर डिजिटली कैसे खरीदेगा? और ये ही लोग बाद में क्‍या बोलते हैं अरे गरीब के नसीब में आलू-टमाटर होता कहां हैं? ये ऐसे ही लोग हैं जी। यहां तक कहते हैं कि गांव में मेले लगते हैं, मेलों में लोग कैसे डिजिटल पेमेंट करेंगे? आज आप देखिए, आपकी फिल्म सिटी में भी चाय की दुकान से लेकर लिट्टी-चोखे के ठेले तक डिजिटल पेमेंट्स हो रहा है या नहीं? आज भारत उन देशों में है जहां डिजिटल पेमेंट्स सबसे ज्यादा हो रहा है, दुनिया की तुलना में।

साथियों,

आप लोग सोचते होंगे कि आखिर ऐसा क्यों है कि सरकार इतना काम कर रही है, जमीन पर लोगों को उसका लाभ भी मिल रहा है, फिर भी कुछ लोग, कुछ लोग, कुछ लोगों को मोदी से इतनी परेशानी क्यों है? अब इसके बाद मीडिया वालों का समय शुरू होता है और आज इसकी वजह भी मैं रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को बताना चाहता हूं। ये जो नाराजगी दिख रही है, ये जो बवाल हो रहा है वो इसलिए है क्योंकि कुछ लोगों की काली कमाई के रास्ते मोदी ने हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर दिए हैं। अब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में आधी अधूरी, isolated अप्रोच नहीं है। अब एक integrated, institutionalised अप्रोच है। ये हमारा कमिटमेंट है। अब आप बताइए, जिसकी काली कमाई रुकेगी, वो मुझे पानी पी पी कर गाली देगा कि नहीं देगा? वो कलम में भी जहर भर देता है।

आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि JAM ट्रिनिटी की वजह से सरकारी स्कीम्स के करीब 10 करोड़, आंकड़ा कम नहीं है साहब, 10 करोड़ फर्जी लाभार्थी बाहर हो गए हैं। 10 करोड़ फर्जी लाभार्थी बाहर हो गए हैं। ये 10 करोड़, वो लोग थे, जो सरकार का बेनिफिट लेते थे, लेकिन ये 10 करोड़ वो थे जिनका कभी जन्म भी नहीं हुआ था लेकिन इनके नाम सरकारी पैसा भेजा जा रहा था। आप सोचिए, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा की जितनी कुल आबादी है, उससे भी ज्यादा फर्जी नामों को कांग्रेस की सरकार पैसा भेज रही थी। अगर ये फर्जी 10 करोड़ नाम हमारी सरकार सिस्टम से नहीं हटाती, तो स्थिति बहुत भयावह हो सकती थी। इतना बड़ा काम ऐसे ही नहीं हुआ है दोस्‍तों। इसके लिए पहले आधार को संवैधानिक दर्जा दिया गया। 45 करोड़ से अधिक जनधन बैंक खाते मिशन मोड पर खोले गए। अभी तक 28 लाख करोड़ रुपए डीबीटी से करोड़ों लाभार्थियों तक पहुंचाए गए। Direct Benefit Transfer, कोई बिचौलिया नहीं, कोई कट की कंपनी नहीं, कोई काली कमाई करने वाले लोग नहीं और डीबीटी का सीधा-सीधा मतलब है डीबीटी यानि कमीशन बंद, लीकेज बंद। इस एक व्यवस्था से ही दर्जनों योजनाओं-कार्यक्रमों में ट्रांसपेरेंसी आ गई।

साथियों,

सरकारी खरीद भी हमारे देश में भ्रष्टाचार का एक बड़ा जरिया हुआ करती थी। लेकिन अब इसमें भी Transformation आ चुका है। सरकारी खरीद अब पूरी तरह GeM-यानि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस पोर्टल पर होती है। टैक्स से जुड़ी व्यवस्थाओं से कितनी परेशानी थी, क्या-क्या परेशानी थी, इसको लेकर अखबार भरे रहते थे। हमने क्या तरीका निकाला? हमने सिस्टम को ही फेसलेस कर दिया। टैक्स अधिकारी और टैक्सपेयर का आमना-सामना ही ना हो, ये व्यवस्था की। अब जो GST जैसी व्यवस्था बनी है, उससे भी काली कमाई के रास्ते बंद हुए हैं। जब ऐसे ईमानदारी से काम होता है तो कुछ लोगों को दिक्कत होनी स्वाभाविक है और जिसको दिक्कत होगी वो कोई गली-मोहल्ले के लोगों को गाली थोड़ी देगा? साथियों, इसलिए भ्रष्टाचार के ये प्रतिनिधि डिस्टर्ब हैं, कुछ भी करके ये देश की ईमानदार व्यवस्था को फिर से ध्वस्त कर देना चाहते हैं।

साथियों,

इनकी लड़ाई अगर सिर्फ एक व्यक्ति मोदी से होती, तो ये बहुत पहले सफल हो जाते। लेकिन ये अपनी साजिशों में इसलिए सफल नहीं हो पा रहे हैं, क्योंकि इन्हें पता ही नहीं कि ये सामान्य भारतीय के विरुद्ध लड़ रहे हैं, उनके खिलाफ खड़े हुए हैं। ये भ्रष्टाचारियों का कितना भी बड़ा गठजोड़ क्यों ना बना लें, सारे भ्रष्‍टाचारी एक ही मंच पर आ जाएं, सारे परिवारवादी एक ही जगह पर आ जाएं लेकिन मोदी अपने रास्ते से लौटने वाला नहीं है। भ्रष्टाचार और परिवारवाद के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी मेरे दोस्तों और मैं देश को इन चीजों से मुक्त कराने के लिए प्रण लेकर के निकला हुआ इंसान हूं, मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए।

साथियों,

आजादी का ये अमृतकाल हम सभी के प्रयासों का है। जब हर एक भारतीय की शक्ति लगेगी, हर एक भारतीय का परिश्रम लगेगा, तो विकसित भारत का सपना भी हम जल्द से जल्द पूरा कर पाएंगे। मुझे विश्वास है कि इसी भावना को रिपब्लिक नेटवर्क भी निरंतर सशक्त करता रहेगा और अब तो अर्णव ने बता भी दिया है वो ग्‍लोबली जा रहे हैं, तो भारत की आवाज को एक नई ताकत मिलेगी। मेरी उनको भी बहुत शुभकामना है और ईमानदारी के साथ चलने वाले देशवासियों की संख्या बढ़ती चली जा रही है, बढ़ती ही चली जा रही है और वही, वही भव्य भारत की गारंटी है दोस्तों। मेरे देशवासी ही भव्य भारत की गारंटी हैं, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, उसी में मेरा विश्वास है। फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।