“कर्तव्य-पथ और उत्तरदायित्व की भावना मुझे यहां लेकर आई है, लेकिन मेरा हृदय मोरबी की दुर्घटना के पीड़ितों के साथ है”
“पूरा देश सरदार पटेल के दृढ़ संकल्प से प्रेरणा ग्रहण कर रहा है”
“सरदार पटेल की जयंती और एकता दिवस हमारे लिए कैलेंडर की तारीखें नहीं हैं, वे भारत की सांस्कृतिक शक्ति का महोत्सव हैं”
“गुलामी की मानसिकता, स्वार्थ भाव, तुष्टिकरण, भाई-भतीजावाद, लालच और भ्रष्टाचार देश को विघटित तथा कमजोर कर सकते हैं”
“हम एकता के अमृत से विघटनकारी जहर का मुकाबला कर सकते हैं”
“बिना भेदभाव के अंतिम व्यक्ति को जोड़ते हुए सरकारी योजनाएं देश के हर कोने में पहुंच रही हैं”
“अवसंरचना में अंतराल जितना कम होगा, एकता उतनी मजबूत होगी”
“देश की एकता के लिए अपने अधिकारों का बलिदान करने वाले शाही परिवारों की कुर्बानियों के प्रति समर्पित एकता नगर में एक संग्रहालय बनाया जायेगा”

देश के विभिन्न कोनों से यहां केवड़िया इस एकता नगर में आए पुलिस बल के साथी, NCC के नौजवान, कला से जुड़े हुए सारे आर्टिस्ट, देश के विभिन्न हिस्सों में एकता दौड़ Run for Unity में शामिल हो रहे नागरिक भाई-बहन, देश के सभी स्कूलों के छात्र-छात्राएं, अन्य महानुभाव और सभी देशवासियों,

मैं एकता नगर में हूं पर मेरा मन मोरबी के पीड़ितों से जुड़ा हुआ है। शायद ही जीवन में बहुत कम ऐसी पीड़ा मैंने अनुभव की होगी। एक तरफ दर्द से भरा पीड़ित दिल है और दूसरी तरफ कर्म और कर्तव्य का पथ है। इस कर्तव्य पथ की जिम्मेवारियों को लेते हुए मैं आपके बीच में हूं। लेकिन करुणा से भरा मन उन पीड़ित परिवारों के बीच में है।

हादसे में जिन लोगों को अपना जीवन गंवाना पड़ा है, मैं उनके परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। दुख की इस घड़ी में, सरकार हर तरह से पीड़ित परिवारों के साथ है। गुजरात सरकार पूरी शक्ति से, कल शाम से ही राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई है। केंद्र सरकार की तरफ से भी राज्य सरकार को पूरी मदद दी जा रही है। बचाव कार्य में NDRF की टीमों को लगाया गया है। सेना और वायुसेना भी राहत के काम में जुटी हुई हैं। जिन लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है, वहां भी पूरी मुस्तैदी बरती जा रही है। लोगों की दिक्कतें कम से कम हों, इसे प्राथमिकता दी जा रही है। हादसे की खबर मिलने के बाद ही गुजरात के मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई रात को ही मोरबी पहुंच गए थे। कल से ही वो राहत और बचाव के कार्यों की कमान संभाले हुए हैं। राज्य सरकार की तरफ से इस हादसे की जांच के लिए एक कमेटी भी बना दी गई है। मैं देश के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि राहत और बचाव के कार्यों में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। आज राष्ट्रीय एकता दिवस का ये अवसर भी हमें एकजुट होकर इस मुश्किल घड़ी का सामना करने, कर्तव्यपथ पर बने रहने की प्रेरणा दे रहा है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में सरदार पटेल का धैर्य, उनकी तत्परता से सीख लेते हुए हम काम करते रहे, आगे भी करते रहे हैं।

साथियों,

वर्ष 2022 में राष्ट्रीय एकता दिवस का बहुत विशेष अवसर के रूप में मैं इसे देख रहा हूं। ये वो वर्ष है जब हमने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। हम नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। आज एकता नगर में ये जो परेड हुई है, हमें इस बात का अहसास भी दिला रही है कि जब सब एक साथ चलते हैं, एक साथ आगे बढ़ते हैं, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। आज यहां देशभर से आए हुए कुछ कालकार सांस्कृतिक कार्यक्रम भी करने वाले थे। भारत के विविध नृत्यों को भी प्रदर्शित करने वाले थे। लेकिन कल की घटना इतनी दुख:द थी कि आज के इस कार्यक्रम में से उस कार्यक्रम को हटा दिया गया। मैं उन सभी कलाकारों से उनका यहां तक आना, उन्होंने जो पिछले दिनों मेहनत की है लेकिन आज उनको मौका नहीं मिला। मैं उनके दुख को समझ सकता हूं लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी हैं।

साथियों,

ये एकजुटता, ये अनुशासन, परिवार, समाज, गाँव, राज्य और देश, हर स्तर पर आवश्यक है। और इसके दर्शन आज हम देश के कोने-कोने में कर भी रहे हैं। आज देश भर में 75 हजार एकता दौड़ Run for Unity हो रही हैं, लाखों लोग जुड़ रहे हैं। देश का जन-जन लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की संकल्पशक्ति से प्रेरणा ले रहा है। आज देश का जन-जन अमृतकाल के ‘पंच प्राणों’को जागृत करने के लिए राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए संकल्प ले रहा है।

साथियों,

राष्ट्रीय एकता दिवस, ये अवसर केवड़िया-एकतानगर की ये धरती, और स्टेचू ऑफ यूनिटी, हमें निरंतर ये अहसास दिलाते हैं कि आज़ादी के समय अगर भारत के पास सरदार पटेल जैसा नेतृत्व न होता, तो क्या होता? क्या होता अगर साढ़े पांच सौ से ज्यादा रियासतें एकजुट नहीं हुई होतीं ? क्या होता अगर हमारे ज्यादातर राजे-रजवाड़े त्याग की पराकाष्ठा नहीं दिखाते, मां भारती में आस्था नहीं दिखाते ? आज हम जैसा भारत देख रहे हैं, हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे। ये कठिन कार्य, ये असंभव कार्य, सिर्फ और सिर्फ सरदार पटेल ने ही सिद्ध किया।

साथियों,

सरदार साहब की जन्मजयंती और ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ ये हमारे लिए केवल तारीख भर नहीं हैं। ये भारत के सांस्कृतिक सामर्थ्य का एक महापर्व भी है। भारत के लिए एकता कभी भी विवशता नहीं रही है। भारत के लिए एकता सदा-सर्वदा विशेषता रही है। एकता हमारी विशिष्टता रही है। एकता की भावना भारत के मानस में, हमारे अन्तर्मन में कितनी रची बसी है, हमें अपनी इस खूबी का अक्सर अहसास नहीं होता है, कभी-कभी ओझल हो जाती है। लेकिन आप देखिए, जब भी देश पर कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो पूरा देश एक साथ खड़ा हो जाता है। आपदा उत्तर में हो या दक्षिण में, पूरब में या पश्चिमी हिस्से में, ये मायने नहीं रखती है। पूरा भारत एकजुट होकर सेवा, सहयोग और संवेदना के साथ खड़ा हो जाता है। कल ही देख लीजिए ना मोरबी में हादसा हुआ, उसके बाद हर एक देशवासी, हादसे का शिकार हुए लोगों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहा है। स्थानीय लोग हादसे की जगह पर, अस्पतालों में, हर संभव मदद के लिए खुद आगे आ रहे थे। यही तो एकजुटता की ताकत है। कोरोना का इतना बड़ा उदाहरण भी हमारे सामने है। ताली-थाली की भावनात्मक एकजुटता से लेकर राशन, दवाई और वैक्सीन के सहयोग तक, देश एक परिवार की तरह आगे बढ़ा। सीमा पर या सीमा के पार, जब भारत की सेना शौर्य दिखाती है, तो पूरे देश में एक जैसे जज़्बात होते हैं, एक जैसा जज़्बा होता है। जब ओलंपिक्स में भारत के युवा तिरंगे की शान बढ़ाते हैं, तो पूरे देश में एक जैसा जश्न मनता है। जब देश क्रिकेट का मैच जीतता है, तो देश में एक जैसा जुनून होता है। हमारे जश्न के सांस्कृतिक तौर-तरीके अलग-अलग होते हैं, लेकिन भावना एक जैसी ही होती है। देश की ये एकता, ये एकजुटता, एक-दूसरे के लिए ये अपनापन, ये बताता है कि एक राष्ट्र के रूप में भारत की जड़ें कितनी गहरी हैं।

और साथियों,

भारत की यही एकता हमारे दुश्मनों को खटकती है। आज से नहीं बल्कि सैकड़ों वर्षों पहले गुलामी के लंबे कालखंड में भी भारत की एकता हमारे दुश्मनों को चुभती रही है। इसलिए गुलामी के सैकड़ों वर्षों में हमारे देश में जितने भी विदेशी आक्रांता आए, उन्होंने भारत में विभेद पैदा करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। उन्होंने भारत को बांटने के लिए, भारत को तोड़ने के लिए सब कुछ किया। हम फिर भी उसका मुक़ाबला कर सके, क्योंकि एकता का अमृत हमारे भीतर जीवंत था, जीवंत धारा के रूप में बह रहा था। लेकिन, वो कालखंड लंबा था। जो जहर उस दौर में घोला गया, उसका नुकसान देश आज भी भुगत रहा है। इसलिए ही हमने बंटवारा भी देखा, और भारत के दुश्मनों को उसका फायदा उठाते भी देखा। इसलिए हमें आज बहुत सावधान भी रहना है! अतीत की तरह ही, भारत के उत्कर्ष और उत्थान से परेशान होने वाली ताक़तें आज भी मौजूद हैं। वो आज भी हमें तोड़ने की, हमें बांटने की हर कोशिश करती हैं। हमें जातियों के नाम पर लड़ाने के लिए तरह-तरह के नैरेटिव गढ़े जाते हैं। प्रान्तों के नाम पर हमें बांटने की कोशिश होती है। कभी एक भारतीय भाषा को दूसरी भारतीय भाषा का दुश्मन बताने के लिए कैम्पेन चलाए जाते हैं। इतिहास को भी इस तरह पेश किया जाता है ताकि देश के लोग जुड़ें नहीं, बल्कि एक दूसरे से दूर हों!

और भाइयों बहनों,

एक और बात हमारे लिए ध्यान रखनी आवश्यक है। ये जरूरी नहीं है कि देश को कमजोर करने वाली ताकत हमेशा हमारे खुले दुश्मन के रूप में ही आए। कई बार ये ताकत गुलामी की मानसिकता के रूप में हमारे भीतर घर कर जाती है। कई बार ये ताकत हमारे व्यक्तिगत स्वार्थों के जरिए सेंधमारी करती है। कई बार ये तुष्टीकरण के रूप में, कभी परिवारवाद के रूप में, कभी लालच और भ्रष्टाचार के रूप में दरवाजे तक दस्तक दे देती है, जो देश को बांटती और कमजोर करती है। लेकिन, हमें उन्हें जवाब देना होगा। हमें जवाब देना होगा- भारत माँ की एक संतान के रूप में। हमें जवाब देना होगा- एक हिंदुस्तानी के रूप में। हमें एकजुट रहना होगा, एक साथ रहना होगा। विभेद के जहर का जवाब हमें एकता के इसी अमृत से देना है। यही नए भारत की ताकत है।

साथियों,

आज राष्ट्रीय एकता दिवस पर, मैं सरदार साहब द्वारा हमें सौपे दायित्व को फिर दोहराना चाहता हूं। उन्होंने हमें ये ज़िम्मेदारी भी दी थी कि हम देश की एकता को मजबूत करें, एक राष्ट्र के तौर पर देश को मजबूत करें। ये एकता तब मजबूत होगी, जब हर नागरिक एक जैसे कर्तव्य बोध से ये ज़िम्मेदारी संभालेगा। आज देश इसी कर्तव्य बोध से सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ इस मंत्र को लेकर विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। आज देश में हर कोने में, हर गाँव में, हर वर्ग के लिए और हर व्यक्ति के लिए बिना भेदभाव के एक जैसी नीतियाँ पहुँच रही हैं। आज अगर गुजरात के सूरत में सामान्य मानवी को मुफ्त वैक्सीन लग रही है, तो अरुणाचल के सियांग में भी उतनी ही आसानी से मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध है। आज अगर एम्स गोरखपुर में है, तो बिलासपुर, दरभंगा और गुवाहाटी और राजकोट समेत देश के दूसरे शहरों में भी है। आज एक ओर तमिलनाडू में डिफेंस कॉरिडॉर बन रहा है, तो उत्तर प्रदेश में भी डिफेंस कॉरिडॉर का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज नॉर्थ ईस्ट की किसी रसोई में खाना बन रहा हो या तमिलनाडु की किसी समयल-अरई” में खाना बन रहा हो, भाषा भले अलग हो, भोजन भले अलग हो लेकिन माताओं-बहनों को धुएँ से मुक्ति दिलाने वाला उज्ज्वला सिलिंडर हर जगह है। हमारी जो भी नीतियाँ हैं, सबकी नीयत एक ही है- आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुँचना, उसे विकास की मुख्यधारा से जोड़ना।

साथियों,

हमारे देश के करोड़ों लोगों ने दशकों तक अपनी मौलिक जरूरतों के लिए भी लंबा इंतजार किया है। बुनियादी सुविधाओं के बीच की खाई, जितनी कम होगी, उतनी ही एकता भी मजबूत होगी। इसलिए आज देश में सैचुरेशन के सिद्धांत पर काम हो रहा है। लक्ष्य ये कि हर योजना का लाभ, हर लाभार्थी तक पहुंचे। इसलिए आज Housing for All, Digital Connectivity for All, Clean Cooking for All, Electricity for All, ऐसे अनेक अभियान चलाए जा रहे हैं। आज शत प्रतिशत नागरिकों तक पहुँचने का ये मिशन केवल एक जैसी सुविधाओं का ही मिशन नहीं है। ये मिशन एकजुट लक्ष्य, एकजुट विकास और एकजुट प्रयास का भी मिशन है। आज जीवन की मौलिक जरूरतों के लिए शत प्रतिशत कवरेज देश और संविधान में सामान्य मानवी के विश्वास का माध्यम बन रहा है। ये सामान्य मानवी के आत्मविश्वास का माध्यम बन रहा है। यही सरदार पटेल के भारत का विज़न है- जिसमें हर भारतवासी के लिए समान अवसर होंगे, समानता की भावना होगी। आज देश उस विज़न को साकार होते देख रहा है।

साथियों,

बीते 8 वर्षों में देश ने हर उस समाज को प्राथमिकता दी है, जिसे दशकों तक उपेक्षा का शिकार होना पड़ा था। इसीलिए, देश ने आदिवासी के गौरव को याद करने के लिए जन-जातीय गौरव दिवस मनाने की परंपरा शुरू की है। देश के कई राज्यों में आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका उसको लेकर के म्यूज़ियम भी बनाए जा रहे हैं। कल मैं मानगढ़ जाने वाला हूं उसके बाद मैं जांबूघोड़ा भी जाऊंगा। मेरा देशवासियों से आग्रह है कि मानगढ़ धाम और जांबूघोड़ा के इतिहास को भी जरूर जानें। विदेशी आक्रांतों द्वारा किए गए कितने ही नरसंहारों का सामना करते हुए हमें आजादी मिली है, आज की युवा पीढ़ी को ये भी सब जानना बहुत आवश्यक है। तभी हम आजादी की कीमत भी समझ पाएंगे, एकजुटता की कीमत भी जान पाएंगे।

साथियों,

हमारे यहाँ कहा भी गया है-

ऐक्यं बलं समाजस्य तद्भावे स दुर्बलः। तस्मात् ऐक्यं प्रशंसन्ति दृढं राष्ट्र हितैषिणः॥

अर्थात्, किसी भी समाज की ताकत उसकी एकता होती है। इसीलिए, मजबूत राष्ट्र के हितैषी एकता की इस भावना की प्रशंसा करते हैं, उसके लिए प्रयास करते हैं। इसलिए, देश की एकता और एकजुटता हम सबका सामूहिक दायित्व है। ये एकता नगर, भारत का एक ऐसा मॉडल शहर विकसित हो रहा है, जो देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अभूतपूर्व होगा। लोगों की एकता से, जनभागीदारी की शक्ति से विकसित होता एकता नगर, आज भव्य भी हो रहा है और दिव्य भी हो रहा है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रूप में दुनिया की सबसे विशाल प्रतिमा की प्रेरणा हमारे बीच है। भविष्य में, एकता नगर, भारत का एक ऐसा शहर बनने जा रहा है जो अभूतपूर्व भी होगा, और अविश्वसनीय भी होगा। जब देश में पर्यावरण की रक्षा के लिए किसी मॉडल शहर की बात होगी, एकता नगर का नाम आएगा। जब देश में बिजली बचाने वाले LED प्रकाशित किसी मॉडल शहर की बात होगी, सबसे पहले एकता नगर का नाम आएगा। जब देश में सोलर पावर से चलने वाले क्लीन ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बात आएगी, तो सबसे पहले एकता नगर का नाम आएगा। जब देश में पशु-पक्षियों के संरक्षण की बात होगी, विभिन्न प्रजातियों के जीव-जंतुओं के संरक्षण की बात होगी, तो सबसे पहले एकता नगर का नाम आएगा। कल ही मुझे यहां मियावाकी फॉरेस्ट और मेज गार्डेन का लोकार्पण करने का अवसर मिला है। यहां का एकता मॉल, एकता नर्सरी, विविधता में एकता को प्रदर्शित करने वाला विश्व वन, एकता फेरी, एकता रेलवे स्टेशन, ये सारे उपक्रम, राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की प्रेरणा हैं। अब तो एकता नगर में एक और नया सितारा भी जुड़ने जा रहा है। आज मैं इस बारे में भी आपको बताना चाहता हूं। और अभी जब हम सरदार साहब को सुन रहे थे। उन्होंने जिस भावना को व्यक्त किया, उस भावना को उसमें प्रतिबिंब में हम कर रहे हैं। आज़ादी के बाद देश की एकता में सरदार साहब ने जो भूमिका निभाई थी, उसमें बहुत बड़ा सहयोग देश के राजा-रजवाड़ों ने भी किया था। जिन राज-परिवारों ने सदियों तक सत्ता संभाली, देश की एकता के लिए एक नई व्यवस्था में उन्होंने अपने अधिकारों को कर्तव्यभाव से समर्पित कर दिया। उनके इस योगदान की आजादी के बाद दशकों तक उपेक्षा हुई है। अब एकता नगर में उन राजपरिवारों के, उन राजव्यवस्थाओं के त्याग को समर्पित एक म्यूज़ियम बनाया जाएगा। ये देश की एकता के लिए त्याग की परंपरा को नई पीढ़ियों तक पहुंचाएगा, और मैं गुजरात सरकार का भी आभारी हूं। कि उन्होंने इस दिशा में काफी ground work पूरा किया है। मुझे विश्वास है, सरदार साहब की प्रेरणा राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए निरंतर हम सबका मार्गदर्शन करेगी। हम सब मिलकर सशक्त भारत का सपना पूरा करेंगे। इसी विश्वास के साथ, मैं आप सबसे आग्रह करुंगा मैं जब कहूंगा सरदार पटेल - आप दो बार बोलेंगे अमर रहे, अमर रहे,।

सरदार पटेल – अमर रहे, अमर रहे।

सरदार पटेल – अमर रहे, अमर रहें।

सरदार पटेल – अमर रहे, अमर रहे।

भारत माता की – जय,

भारत माता की – जय,

भारत माता की – जय,

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।