"बजट में आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान हैं"
"युवा और प्रतिभाशाली आबादी के जनसांख्यिकीय लाभांश, लोकतांत्रिक व्यवस्था, प्राकृतिक संसाधनों जैसे सकारात्मक कारकों के बल परस हमें दृढ़ संकल्प के साथ मेक इन इंडिया की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित होना चाहिए"
"यदि हम राष्ट्रीय सुरक्षा के परिदृश्य में देखें तो आत्मनिर्भरता अधिक महत्वपूर्ण है"
"पूरी दुनिया भारत को मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस के रूप में देख रही है"
"अपनी कंपनी के उत्पादों पर गर्व करें और अपने भारतीय ग्राहकों में भी गर्व की भावना पैदा करें"
"आपको वैश्विक मानकों को बनाए रखना होगा और आपको विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा में आगे निकलना होगा"

नमस्कार!

इस बजट में 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' को लेकर जो निर्णय लिए गए हैं, वो हमारी इंडस्ट्री और इकोनॉमी, दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। मेक इन इंडिया अभियान आज 21वीं सदी के भारत की आवश्यकता भी है और ये हमें दुनिया में अपना सामर्थ्य दिखाने का भी अवसर देता है। अगर किसी देश से Raw Material बाहर जाए और वो उसी से बने Manufactured Goods को import करे, ये स्थिति किसी भी देश के लिए घाटे का सौदा होगा।

दूसरी तरफ, भारत जैसा विशाल देश, सिर्फ एक बाजार बनकर रह जाए तो भारत कभी भी न प्रगति कर पाएगा, न हमारी युवा पीढ़ी को अवसर दे पाएगा। ये वैश्विक महामारी के दौर में हम देख रहे हैं, कि किस तरह विश्व में सप्लाई-चेन तहस-नहस हुई है।

और इन दिनों तो हम विशेष तौर पर देख रहे हैं कि सप्लाई चेन के विषय ने कैसे पूरी दुनिया की इकोनॉमी को भी हिला के रख दिया है। जब हम ये सारी Negative बातों को सामने देखते हैं, तो जरा इसके दूसरे पहलू देखें, इसके प्रकाश में भी हमें लगेगा कि इतने बड़ा संकट जब सामने होता है, और कभी भी स्थि‍तियां बदलती हैं तो Make In India की जरूरत, पहले से ज्यादा हो जाती है। दूसरी तरफ अगर हम देखें, क्या कोई Positive बातें हैं जो हमें Make in India के लिए प्रेरित करती हैं। अवसर को हम ढूंढ पाते हैं क्या? आप देखि‍ए, जिस देश के पास इतनी बड़ी मात्रा में युवा पीढ़ी हो, नौजवान हो, जिस देश के लोगों के टैलेंट के विषय में दुनिया में कोई question mark न हो, आवश्यकता के अनुसार Skilled manpower को develop करना, Demographic Dividend और दुनिया आज democratic values की तरफ बहुत आग्रह और आशा भरी नज़र से देख रही है। यानी अपने आप में ये ऐसा संपुट है, एक ऐसी चीजें हमारे पास हैं, जिसको लेकर के हम एक बड़े सपने देख सकते हैं। इसके साथ-साथ, अथाह प्राकृतिक संपदा के हम धनी हैं। हमें इसका भरपूर इस्तेमाल Make in India के लिए करना ही चाहिए।

 

Friends,

आज दुनिया भारत को manufacturing power-house के रूप में देख रही है। हमारा manufacturing sector हमारी GDP का 15 परसेंट है, लेकिन, 'मेक इन इंडिया' के सामने infinite possibilities हैं। हमें भारत में एक robust manufacturing base build करने के लिए पूरी ताकत से काम करना चाहिए। चाहे केंद्र सरकार हो, राज्य सरकार हो, स्थानीय राज्य सरकार के नियम हों, private partnership हो, corporate house हो, हम सब देश के लिए मिलकर के कैसे काम करें। देश में आज जिसकी जरूरत है, जिसकी आवश्यकता बढ़ रही है, उसमें हमें Make In India को बढ़ावा देना है।

अब दो चीजें हैं, एक export को ध्यान में रखकर के सोचना, दूसरा भारत की requirement को पूरा करने के लिए सोचना। चलिए मान लीजिए, हम दुनिया में competitive नहीं बन पा रहे हैं, लेकिन भारत की आवश्यकताओं में हम वैसा quality material दें, ताकि भारत को लोगों को बाहर देखना न पड़े। ये तो हम कर ही सकते हैं। दूसरी बात है, एक बार मैंने लाल किले से कहा था, zero defect, zero effect, हमारा प्रोडक्ट रत्ती भर भी डिफेक्ट वाला नहीं होना चाहिए, competitive world में quality matter करती है।

और दूसरा, आज दुनिया environment conscious है, तो zero effect environment पे zero effect, ये दो ऐसे मंत्र हैं, जिसे हमें दुनिया में quality के कारण और ग्लोबल वार्मिंग के सामने चुनौतियों को निपटने के रास्ते के कारण स्वीकार कर सकते हैं। उसी प्रकार से आज जिस प्रकार से technology बदली है, जिस प्रकार से communication world में जबरदस्त revolution आया है। अब जैसे सेमीकंडक्टर, अब सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में अब हमारे लिए आत्मनिर्भर बने बिना कोई चारा ही नहीं है।

Make In India के लिए मैं मानता हूं, एक नया क्षेत्र, नई संभावनाएं लेकर के आया है। हमें ये दूर का देखना चाहिए। साथ-साथ हमारी जरूरत भी है। देश की सुरक्षा के लिहाज से सोचें, तो इस पर हमारा ध्यान होना और ज्यादा जरूरी है। हम देख रहे हैं कि कैसे EV, Electric Vehicles के क्षेत्र में लोगों का आकर्षण भी बन रहा है, environment के उद्देश्य से भी बन रहा है और इसकी डिमांड भी बढ़ रही है। क्या भारत इसमें innovation नहीं कर सकता? Make In India के तहत manufacture नहीं कर सकता है? क्या भारत के manufactures इसमें अपना लीड रोल नहीं निभा सकते हैं? मैं समझता हूं कि Make In India की भावना के साथ हमें आगे बढ़ना चाहिए। कुछ विशेष प्रकार की स्टील के लिए भी भारत आयात पर निर्भर है। हमारा iron अब विदेश जाए और हम उन्हीं देशों से एक quality steel के लिए हम फिर से import करें, अब ये स्थिति कैसी स्थि‍ति है कि भई हम उस iron ore से उस स्टील को न बनाएं जो हमारे देश की जरूरत है। मैं समझता हूं कि ये हमारा कर्तव्य भी बनता है और मैं उद्योग जगत के लोगों से आग्रह करूंगा कि आईए ये कच्चा माल iron ore को बाहर बेच-बेच करके हम क्या देश का देंगे?

साथि‍यों,

भारतीय मैन्यूफैक्चरर्स को ये देखना चाहिए कि देश की निर्भरता बाहर पर कम से कम हो। इसलिए इस क्षेत्र में भी Make In India आज समय की मांग है। एक और सेक्टर मेडिकल Equipment's का है। बहुत सारे जरूरी मेडिकल Equipments हम बाहर से मंगाते हैं। अब क्या हम मेडिकल Equipments नहीं बना सकते हैं? मैं नहीं मानता हूं, कोई इतना कठिन काम है। हमारे लोगों में इतना सामर्थ्य हैं, कर सकते हैं। हम उस पर जोर दे सकते हैं क्या? हमें ये समझना ही होगा कि कोई चीज मार्केट में उपलब्ध होना, मतलब हम संतुष्ट हो जाएं कि भई लोगों की requirement पर हो रही है।

बाजार में चीजें मिल रही हैं, लेकिन वो बाहर से आई हुई चीजें हैं। और Made In India Product जब ये उपलब्ध हों और वो जब वो देखें और उसका मन करना चाहिए कि भई बाहर वाले से तो हमारा अच्छा है, हमें ये लेना है। ये स्थिति हमें पैदा करनी चाहिए, और ये फर्क नजर आना चाहिए। अब देखि‍ए, हमारे यहां इतने त्योहार होते हैं। होली है, गणेशोत्सव है, दीपावली है। इतनी सारी चीजें इन त्योहारों में बहुत ही बड़े स्केल पर उसका एक मार्केट होता है, स्केल बहुत बड़ा होता है और वो छोटे-छोटे लोगों को रोजी-रोटी का अवसर देता है।

लेकिन आज वहां पर भी विदेशी चीजों ने अपनी जगह बना ली है। अब ये पहले इन सारी चीजों की डिमांड को हमारे लोकल मैन्युफैक्चरर्स पूरा करते थे और बहुत अच्छे ढंग से करते थे। अब समय बदलते हुए उसकी चीजों को बदलना चाहिए, पुराने ढर्रे में हम नहीं रह सकते हैं। और मैं चाहता हूं कि उसमें आपको लीड लेनी चाहिए और जब मैं बहुत वोकल फॉर लोकल के लिए बोलता रहता हूं तो मैं देख रहा हूं कि कुछ लोगों को लगता है कि दीवाली के दीये, ये खरीदना मतलब वोकल फॉर लोकल हो गया।

नहीं भाई, ये मैं दीवाली के दीयों के लिये नहीं कह रहा हूं। ऐसी बहुत सी चीजें हैं, थोड़ा नजर दौड़ाए। मैंने एक छोटा सा विषय एक दिन रखा था, आप भी जो मेरे सेमीनार में हैं न, एक काम कीजिए, आप अपने बच्चों के साथ बैठिए, अपने घर में सुबह से शाम तक जिन चीजों का उपयोग करते हैं, उसमें कितनी चीजें हैं जो आप भारत की उपयोग नहीं करते हैं और अनिवार्य रूप से विदेशी लेनी ही पड़ेंगी, उसको अलग कीजिए। और फिर देखि‍ए, आपको भी चौंक जाएंगे कि हम क्या कर रहे हैं। और इसलिए मैं जो मैन्युफैक्चरर्स हैं, उनको भी मैं onboard लाना चाहता हूं।

साथि‍यों,

एक और विषय है भारत में बने प्रॉडक्ट्स की ब्रैंडिंग का। अब मैं तो देख रहा हूं, हमारी कंपनियां अपने प्रॉडक्ट की बहुत सारी advertisement देते हैं, किसी एक advertisement में दबाव से वोकल फॉर लोकल की बात नहीं बोलते हैं। Make In India की बात नहीं बोलते हैं। आप अपनी advertisement करते हैं, तो साथ-साथ इसको भी बोलिये न, क्या जाता है आपका? आपका तो माल बिकने वाला है और इसे देश में आज भी देश के प्रति भावना रखने वाला एक बहुत बड़ा समुदाय है, जो इस विषय में consciously प्रयत्न करता है।

लेकिन आप उसको encourage करने के लिए एक व्यापारिक रणनीति के नाते तो सोचिए। आप आपकी कंपनी जो प्रॉडक्ट बनाती है, उसको लेकर आप खुद भी गर्व कीजिए और लोगों को भी गर्व करने के लिए प्रेरित कीजिए। आपकी मेहनत निकम्मी नहीं है, आपकी बहुत अच्छी चीजें हैं। लेकिन हिम्मत के साथ आप आइए, लोगों को बताइए कि हमारे देश, हमारी मि‍ट्टी की चीज है। हमारे लोगों के पसीने की मेहक है, उनको भावात्मक रूप से जो‍ड़िए। और मैं चाहता हूं इसके लिए एक common ब्रैंडिंग पर भी सोचा जा सकता है। सरकार और प्राइवेट पार्टी मिलकर के हम एक अच्छी सी चीज develop कर सकते हैं।

साथियों,

हमारे प्राइवेट सेक्टर को अपने Products के लिए destinations भी खोजने होंगे। हमें R&D पर अपना इंवेस्टमेंट बढ़ाना है और product portfolio को diversify करने के लिए upgradation पर भी जोर देना होगा। अब जैसे आपको ये पता है कि साल 2023 को विश्व भर में International Year of Millets के तौर पर मनाया जाएगा। अब स्वाभाविक है लोगों का आकर्षण Millets की तरफ बढ़ने वाला है। क्या भारत के Millets दुनिया के dining table पर थोड़ा बहुत पहुंचे, ये सपना हिंदुस्तानी का नहीं होना चाहिए? हमारा छोटा किसान हमें कितना आशीर्वाद देगा।

और उसके लिए उस देश के जो test हैं, उस प्रकार से हमारे Millets को दिखना, किस प्रकार से हमारे Millets को वहां पहुंचाना, ये काम हम कर सकते हैं और मुझे लगता है कि इसको हमें करना चाहिए। आप जरूर इसमें सफल हो सकते हैं। दुनिया के बाजारों को स्टडी करके, ज्यादा से ज्यादा प्रॉडक्शन और पैकेजिंग के लिए हमें अपनी मिलों को अभी से ही तैयार करना चाहिए। माइनिंग, कोल, डिफेंस ये ऐसे सेक्टरों के खुलने से भी काफी नई संभावनाएं बढ़ी हैं। क्या हम अभी से इन सेक्टर्स के द्वारा होने वाले एक्सपोर्ट के लिए कोई रणनीति बना सकते हैं। आपको ग्लोबल standards भी maintain करने होंगे, और globally compete भी करना होगा।

साथियों,

इस बजट में credit facilitation and technology upgradation के जरिए MSMEs को मजबूत करने पर खास ध्यान दिया गया है। सरकार ने MSMEs के लिए 6 हजार करोड़ रुपए का RAMP program भी announce किया है। बजट में लार्ज इंडस्ट्री और MSMEs के लिए, किसानों के लिए, नए रेलवे लॉजिस्टिक्स प्रॉडक्ट्स develop करने पर भी ध्यान दिया गया है। पोस्टल और रेलवे नेटवर्क के इंटिग्रेशन से small enterprises और remote areas में connectivity की दिक्कतों का समाधान होगा।

हमें इस क्षेत्र में innovative products विकसित करने हैं और इसमें भी आपका सक्रिय योगदान आवश्यक होगा। Regional manufacturing ecosystem को promote करने के लिए PM-डिवाइन scheme बजट का एक हिस्सा भी है जो विशेषकर के नॉर्थ-ईस्ट के लिए है। लेकिन इस कल्पना को हम देश के अलग-अलग region में अलग-अलग तरीके से इसका भी एक मॉडल develop कर सकते हैं। Special Economic Zone Act में reform से हमारे export को काफी बूस्ट मिलेगा, और मेक इन इंडिया की ताकत बढ़ेगी। एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए हम अपने वर्तमान SEZ की कार्यप्रणाली में किस तरह के परिवर्तन कर सकते हैं, इस बारे में आपके सुझाव अहम होंगे।

Friends,

इंडस्ट्री को साथ लेकर एक के बाद एक जो लगातार reforms हुए हैं, उसका प्रभाव भी दिखाई दे रहा है। उदाहरण के तौर पर, Large scale electronics manufacturing के लिए PLI को लीजिए, दिसम्बर 2021 तक इस टार्गेट सेगमेंट में हम 1 लाख करोड़ रुपए के प्रॉडक्शन को भी पार कर चुके हैं। हमारी कई PLI स्कीम्स इस समय implementation के बहुत अहम चरण में हैं। आपके सुझाव implementation को गति देने में सहायक होंगे।

साथियों,

भारत की manufacturing journey में Compliance burden बहुत बड़े स्पीड ब्रेकर रहे हैं। पिछले साल ही हमने 25 हजार से ज्यादा compliances को खत्म किया है, licences के auto renewal की व्यवस्था शुरू की है। इसी तरह, digitization से भी आज regulatory framework में स्पीड और ट्रांसपरेंसी आ रही है। कंपनी सेटअप करने के लिए कॉमन Spice फॉर्म से लेकर National Single Window System तक, अब हर स्टेप पर आप हमारी Development Friendly approach को महसूस कर रहे हैं।

Friends,

हमें आपका ज्यादा से ज्यादा collaboration चाहिए, इनोवेशन चाहिए, और research based futuristic approach चाहिए। मुझे पूरा भरोसा है, हम इस वेबिनार में जो मंथन होगा, उससे मेक इन इंडिया के मिशन को और ज्यादा मजबूती मिलेगी। मैं आप सबके सामने ये आग्रह करूंगा। देखि‍ए ये वेबिनार एक लोकतंत्र का एक वो रूप है, जो शायद ही बहुत कम लोगों का ध्यान इसकी तरफ गया है। जन प्रतिनिधि‍ बजट की चर्चा करें और बजट को आगे बढ़ाएं। सरकारी बाबू और पॉलिटिकल लीडरशि‍प बजट के आधार पर कार्यक्रम बनाएं।

पहली बार मैं बजट प्रस्तुत करने के बाद एक अप्रैल से पहले दो महीने का समय मिल रहा है, उसमें बजट के हर प्रावधान की चर्चा स्टेकहोल्डर से कर रहा हूं। आपसे मैं सुझाव ले रहा हूं, आपकी भागीदारी चाहता हूं और मैं चाहता हूं कि implement करते समय full stop, comma इधर-उधर हो जाता है जो फाईलें 6-6 महीने घूमती रहती हैं। मैं उस समय को बचाना चाहता हूं। आपको पता है क्योंकि आप उस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। आपको पता है कि बजट है। कुछ बजट की लाइट में ऐसा करेंगे तो इतना फायदा होगा, ऐसा करेंगे उतना फायदा होगा। आप अच्छे alternate practical सुझाव दे सकते हैं। आज हम बजट कैसा हो, इसकी चर्चा नहीं कर रहे हैं।

आज हम बजट को कैसे लागू करें, इसकी चर्चा कर रहे हैं। ज्यादा से ज्यादा सरलता हो, ज्यादा से ज्यादा outcome हो, ज्यादा से ज्यादा effective हो, इस लक्ष्य को लेकर हमारी ये चर्चा केंद्रित रहेगी। सरकार की तरफ से हम आपको ज्ञान देने के लिए ये वेबिनार नहीं है। ये वेबिनार आपसे सीखने के लिए है। आपसे समझने के लिए है और इसलिए सरकार की पूरी व्यवस्था आपको सुनने के लिए बैठी हुई है। और उसी आधार पर हम एक अप्रैल से हमारे बजट को कैसे अच्छे तरीके से लागू करें, ये हमें सोचना है। मैं कुछ उद्योग जगत के लोगों से आग्रह करूंगा, आप क्या चुनौती ले सकते हैं क्या कि हमारे देश में फलानी चीज इम्पोर्ट होती है। मैं एक साल के भीतर-भीतर ऐसी स्थि‍ति पैदा करूंगा कि इस देश को फलानी चीज कभी भी इम्पोर्ट नहीं करनी पड़ेगी।

मैं देश के 100 आइटम इम्पोर्ट होते हैं, तो 2 आइटम कम करने का काम मैं करूंगा। कोई कहेगा, तीन आइटम मैं कर दूंगा। इस तरह पूरी तरह भारत के Make In India को मैं कर दूंगा। हमारा सपना होना चाहिए। मैं एक किसान को जानता हूं, उस किसान ने तय किया कि 5 स्टार होटल में जो सब्जी आती है। उसने तय किया कि वह उस सब्जी को 5 स्टार होटल में जिसे छोटा टमाटर चाहिए, छोटी प्याज चाहिए, छोटे कॉर्न चाहिए, बोला मैं इसको बनाऊंगा, लेकिन ये मेरे देश में बना हो। मैंने ये देखा कि वो पढ़ा-लिखा किसान नहीं था, उसने मेहनत की, उसने लोगों की मदद ली और उसने वो चीजें दीं कि हिंदुस्तान के 5 स्टार के होटलों ने उससे लेना शुरू किया।

उनको भी पैसों में फायदा हुआ, देश को भी फायदा हुआ। तो ये काम मेरे उद्योग जगत के लोग नहीं कर सकते हैं क्या? मैं आपसे आग्रह करूंगा ये और इस देश का आप पर हक है। और इसलिए मैं कहता हूं कि भारत का मजबूत बनाने के लिए आपका उद्योग मजबूत हो, ये हम चाहते हैं। आपके प्रॉडक्ट दुनिया भर में इज्जत कमाएं, ये हम चाहते हैं। और इसलिए हम मिलकर तय करें, मिल बैठकर के आगे बढ़े। इसलिए मैंने आपको निमंत्रित किया है। आपने समय दिया है, दिन भर ये समय ज्यादा fruitful हो, यही मेरी अपेक्षा रहेगी। मेरी आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं!

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।