नमस्कार जी!
मंत्रिमंडल के मेरे सभी साथी, फाइनेंस और इकॉनॉमी से जुड़े सभी एक्सपर्ट्स, स्टेकहोल्डर्स, देवियों और सज्जनों!
सबसे पहले तो अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस, आप सबको शुभकामनाएं और ये भी गौरव की बात है कि हम आज जब बजट के संदर्भ में चर्चा कर रहे हैं तो भारत जैसे विशाल देश के वित्त मंत्री भी एक महिला हैं, जिसने इस बार देश का बड़ा प्रगतिशील बजट दिया है।
साथियों,
100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी के बीच, भारत की अर्थव्यवस्था फिर से गति पकड़ रही है। ये हमारे आर्थिक फैसलों और हमारी अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद का प्रतिबिंब है। इस बार के बजट में सरकार ने तेज़ ग्रोथ के इस मोमेंटम को जारी रखने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। Foreign Capital Flows को प्रोत्साहित करके, Infrastructure Investment पर टैक्स कम करके, NIIF, Gift City और नए DFI जैसे संस्थान बनाकर, हमने financial और Economic growth को तेज गति देने का प्रयास किया है। फाइनेंस में डिजिटल टेक्नॉलॉजी के व्यापक उपयोग को लेकर देश की प्रतिबद्धता अब नेक्स्ट लेवल पर पहुंच रही है। 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स हों या फिर Central Bank Digital Currency (CBDCs), ये हमारे विजन को रिफ्लेक्ट करते हैं।
साथियों,
21वीं सदी के भारत की प्रगति को तेज गति देने के लिए हमें अपने सभी Priority Sectors में Financial Viable Models को प्राथमिकता देनी होगी। आज देश की जो Aspirations हैं, देश जिन आकांक्षाओं को लेकर के आगे बढ़ने के लिए उत्साहित है, जिस दिशा में आगे बढ़ना चाहता है, देश की जो प्राथमिकताएं हैं, उसमें हमारे लिए Financial Institutions की भागीदारी अहम है। आज देश आत्मनिर्भर भारत अभियान चला रहा है। हमारे देश की निर्भरता दूसरे देशों पर हों, इससे जुड़े Projects की Financing के क्या Different Models बनाए जा सकते हैं, इस बारे में मंथन बहुत ही आवश्यक है। इसका एक उदाहरण, PM गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान है। इससे जुड़े प्रोजेक्ट्स की सफलता में आपका केंद्रीय रोल है। देश के संतुलित विकास की दिशा में, भारत सरकार की योजनाएं, जैसे Aspirational Districts Program, देश में करीब 100 से अधिक district चुने गए हैं, जो राज्य की एवरेज से भी पीछे हैं। तो हमने ये financial institutions, वहां के कोई भी प्रोजेक्ट हैं तो उसको priority देकर के, ये हमारे aspirational district हैं जो अभी पीछे हैं, इनको आगे लाने के लिए कह सकते हैं। उसी प्रकार से हमारा देश, हम देखें तो पश्चिम हिंदुस्तान, बहुत सी economical activity नजर आती हैं। पुर्वी हिंदुस्तान हैं, जहां सब प्रकार के natural resources हैं, लेकिन आर्थिक विकास की दृष्टि से वहां स्थिति बहुत सुधर सकती है। infrastructure बहुत सुधर सकता है। हम पूर्वी भारत के विकास के लिए, उसी प्रकार से पूरा North East, उसका विकास, ये ऐसी चीजें हैं जिसको geographically हम देखें, तो हमारे लिए प्राथमिकता का विषय है। इन क्षेत्रों में आपकी सहभागिता बढ़ाने की दिशा में भी विचार करना जरूरी है। आज भारत की Aspirations, हमारे MSME's की मजबूती से जुड़ी हैं। MSME's को मजबूत बनाने के लिए हमने बहुत से Fundamental Reforms किए हैं और नई योजनाएं बनाई हैं। इन Reforms की Success, इनकी Financing को Strengthen करने पर निर्भर है।
साथियों,
Industry 4.0 तब तक हम जो चाहते हैं वो रिजल्ट आने में समय जा सकता है, तो इसको बचने के लिए क्या करना होगा? हम अगर चाहते हैं दुनिया की जब Industry 4.0 की बात करती है, तो हमें उसके जो main pillar हैं Fintech हो, AgriTech हो, Meditech हो, इसके अनुरुप Skill Development हो, यानी 4.0 Skill Development की जरूरत है। जैसे ही ये जो main pillar हैं, उन पिलरों को भी 4.0 की लाईट में हम Develop करने के लिए financial institution कैसे priority दे सकते हैं? ऐसे अनेकों क्षेत्रों को वित्तीय संस्थाओं की मदद, Industry 4.0 में भारत को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।
साथियों,
आपने देखा है कि जब कोई खिलाड़ी गोल्ड मेडल लेकर आता है ओलंपिक में, तो देश का नाम किस तरह दुनिया में रोशन होता है। देश में भी कितना बड़ा confidence पैदा होता है। मेडल तो एक व्यक्ति लाता है लेकिन पूरा माहौल बदल देता है। क्या हम देश में ऐसे अनुभवों से सोच नहीं सकते हैं कि हम कोई 8 या 10 ऐसे सेक्टर identify करें और हम उसमें ताकत लगाएं और भारत उन सेक्टर में पहले तीन में नंबर ले सकता है क्या? ये private sector की भागीदारी से होगा। अब जैसे, भारत में जो, क्या ऐसी कंस्ट्रक्टशन कंपनियां नहीं हो सकती हैं जो दुनिया की टॉप-3 में उनका नाम हो? तो इसी तरह के हमारे स्टार्ट-अप्स, नंबर ऑफ स्टार्ट-अप्स की दिशा में तो हम आगे बढ़ रहे हैं लेकिन उनके जो प्रॉडक्ट्स हैं, उसकी जो क्वालिटी है, उसकी जो uniqueness है, उसका जो technological base है, क्या हमारे स्टार्ट-अप्स individual स्टार्ट-अप्स, टॉप-3 के अंदर हम जगह बना सकते हैं क्या? अभी हमने ड्रोन सेक्टर को Open किया है, Space सेक्टर को Open किया है, Geo-spatial सेक्टर को Open किया है। ये बहुत बड़े नीति विषय निर्णय हुए हैं, जो एक प्रकार से game changer हैं। क्या इसमें भारत के नई पीढ़ी के लोग स्पेस सेक्टर में आ रहे हैं, ड्रोन में आ रहे हैं, क्या इसमें भी हम दुनिया के टॉप 3 में जगह बनाने का सपना नहीं देख सकते हैं क्या? क्या उसके लिए हमारे सारे institutions, इनकी मदद नहीं कर सकते हैं क्या? लेकिन ये सब होने के लिए बहुत जरूरी है कि जो कंपनियां, जो उद्यम, इन क्षेत्रों में आगे हैं, उन्हें हमारे Financial Sector पर और उसकी तरफ से proactive, पूरा साथ मिलना चाहिए। हमारे पास expertise भी होना चाहिए कि इस प्रकार की requirement को fulfil करने के लिए financial institutions के पास capability कैसे build up हो? वरना आगे पता ही नहीं चलेगा, वो ले आया है, वो पता नहीं, हम जो पहले करते थे उसमें तो मेल बैठता ही नहीं है। हमारी कंपनियां, हमारे स्टार्ट-अप्स का विस्तार तभी होगा जब वो आंत्रप्रनेयोरशिप Initiatives को हम बढ़ाएंगे, Innovation पर बल देंगे, नई Technology- नए मार्केट खोजेंगे, नए बिजनेस आइडियाज पर काम करेंगे। और इतना कुछ करने के लिए जो इन्हें फाइनेंस करते हैं, उनमें भी इन Ideas of Future के प्रति एक गहरी समझ होना जरूरी है। हमारे Financing Sector को भी नए Futuristic Ideas और Initiatives की Innovative Financing और Sustainable Risk Management पर हमें विचार करना होगा।
साथियों,
ये आप सभी भली-भांति जानते हैं कि आज देश की प्राथमिकता भारत की requirement में आत्मनिर्भरता और साथ-साथ Export में भी हम ज्यादा से ज्यादा कैसे बढ़े, ये भी है। Exporters की Financial जरूरतें अलग होती हैं। इन जरूरतों के अनुसार, क्या आप अपने Products और Services को डवलप कर सकते हैं ताकि Exporters की जरूरतों को पूरा किया जा सके। आप इन्हें प्राथमिकता देंगे तो इनकी शक्ति बढ़ेगी और जब इनकी शक्ति बढ़ेगी तो देश का एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा। अब जैसे इन दिनों दुनिया में भारत के गेहूं की तरफ आकर्षण बढ़ने की खबरे आ रही हैं। तो गेहूं के जो एक्सपोटर्स होंगे, क्या हमारी financial institutions उनका उनकी तरफ ध्यान है क्या? हमारे इंपोर्ट-एक्सपोर्ट करने वाले डिपार्टमेंट का उस तरफ ध्यान है क्या? हमारे जो shipping industry है, उनके अंदर इसकी priority की चिंता है क्या? यानी एक प्रकार से comprehensive प्रयास होगा। और ये मानों दुनिया में गेहूं का हमारे लिए opportunity आयी है तो उसको समय से पहले उत्तर quality, उत्तम सर्विस के साथ हम प्रोवाइड करें, तो धीरे-धीरे वो permanent बन जाएगा।
साथियों,
भारत की अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार इसलिए मैं कहता हूं Rural Economy को हम नकार नहीं सकते, इनकार नहीं कर सकते और Rural Economy इतना बड़ा व्यापक बेस होता है जो थोड़ा-थोड़ा करके जब उसका compile करते हैं तो बहुत बड़ा हो जाता है। Rural Economy को मजबूत करने के लिए छोटे प्रयास होते हैं लेकिन परिणाम बहुत बड़े होते हैं। जैसे Self Help Groups को बढ़ावा देना, क्या हम proactive होकर के Self Help Groups हो, finance हो, technology हो, माक्रिटिंग हो, एक बड़ा comprehensive help कर सकते हैं, अब जैसे किसान क्रेडिट कार्ड्स का काम है, क्या हम मिशन मोड पे किसान क्रेडिट कार्ड हर किसान को कैसे मिले fisherman को कैसे मिले, पशुपालक को कैसे मिले, ये हमारा आग्रह है क्या? देश में हजारों Farmer Producer Organisations आज बन रहे हैं और बड़े initiative भी ले रहे हैं। कुछ राज्यों में तो अच्छे परिणाम भी नजर आ रहे हैं। क्या हमने उस दिशा में काम... अब जैसे agriculture में, पहले हमारी तरफ honey पर ध्यान नहीं दिया जाता था, अब हमारे यहां शहद पर बहुत अच्छा काम चल रहा है। लेकिन अब उसका ग्लोबल माक्रिट, उसके लिए, उसका ब्रांडिंग, माक्रेटिंग, उसको financial help, इन सारी चीजों में हम कैसे काम कर सकते हैं? उसी प्रकार से आज देश के लाखों गांवों में Common Service Centers बनाए जा रहे हैं। इन्हें भी आप अपनी Policies की प्राथमिकता में रखोगे तो देश की रूरल इकोनॉमी को बहुत ताकत मिलेगी। एक प्रकार से सर्विस सेंटर, उसका सबसे ज्यादा लाभ आज गांव के, जैसे रेलवे रिजर्वेशन करना है, गांव से किसी को शहर नहीं जाना पड़ता। वो जाता है, सर्विस सेंटर पर जाता है, अपना आरक्षण करवा देता है। और आपको पता है कि आज हम ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाकर गांव-गांव तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचा रहे हैं। सरकार ने एक तरह से डिजिटल हाईवे और मैं तो सादी भाषा में कहूंगा कि मैं कहूंगा डिजिटल सड़क, डिजिटल सड़क में इसलिए कह रहा हूं कि गांव में मुझे डिजिटल ले जाना है। और इसलिए डिजिटल सड़क बना रहे हैं। हम बड़े-बड़े डिजिटल हाईवे की बात तो करते हैं, हमें नीचे की तरफ जाना है, गांव तक जाना है, सामान्य मानवीय तक पहुंचना है और इसलिए डिजिटल सड़क, इस अभियान को हम बल दे सकते हैं। Financial Inclusion के विभिन्न Products को हम गांव-गांव तक ले जा सकते हैं क्या? इसी तरह, एग्रीकल्चर सेक्टर से फूड प्रोसेसिंग जुड़ा है, वेयरहाउसिंग है, एग्री-लॉजिस्टिक्स भी अहम है। भारत की Aspirations, Natural Farming से, Organic Farming से जुड़ी है। अगर कोई इनमें नया काम करने के लिए आगे आ रहा है, तो हमारे Financial Institutions उसे कैसे मदद करें, इसके बारे में सोचा जाना बहुत आवश्यक है।
साथियों,
आजकल हेल्थ सेक्टर में भी बहुत काम हो रहा है। Health Infrastructure पर सरकार इतना Invest कर रही है। हमारे यहां Medical Education से जुड़े Challenges को दूर करने के लिए ज्यादा से ज्यादा मेडिकल Institutions का होना बहुत जरूरी है। क्या हमारे जो Financial Institutions हैं, जो Banks हैं, वो भी अपनी बिजनेस प्लानिंग में इन क्षेत्रों को Prioritize कर सकते हैं क्या?
साथियों,
आज की तारीख में ग्लोबल वॉर्मिंग बहुत ही एक बड़ा महत्वपूर्ण विषय बना है और भारत ने 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य रखा है। देश में इसके लिए काम शुरू हो चुका है। इन कार्यों को गति देने के लिए Environment Friendly Projects को गति देना आवश्यक है। Green Financing और ऐसे नए Aspects की Study और Implementation आज समय की मांग है। जैसे सोलर पावर के क्षेत्र में भारत बहुत कुछ कर रहा है, भारत अपने यहां Disaster Resilient Infrastructure बना रहा है। हम जो देश में हाउसिंग सेक्टर के 6 Light House Projects चला रहे हैं, उनमें भी Disaster Resilient Infrastructure को प्राथमिकता दे रहे हैं। इन क्षेत्रों में होने वाले कार्यों को आपका सपोर्ट, वो तो अभी एक Light House Projects मॉडल के रूप में है लेकिन इस प्रकार के क्षेत्र में काम करने वालों को financial help मिलेगा, तो इस मॉडल को वो replica करेगा और छोटे-मोटे शहरों में लेकर जाएंगे। तो हमारी technology बहुत तेजी से फैलनी शुरू हो जाएगी, काम की गति बढ़ जाएगी और मैं समझता हूं कि इस प्रकार का सपोर्ट बहुत मायने रखता है।
साथियों,
मुझे विश्वास है कि आप सभी इन विषयों पर गंभीर मंथन करेंगे और इस वेबिनार से actionable solutions, ideas नहीं, बहुत बड़ी-बड़ी विजन और 2023 का बजट आज हमने तय नहीं करना है। आज तो मुझे 2022-2023 मार्च महीने तक जो बजट है उसको कैसे implement करूं, जल्दी implement कैसे करूं, outcome कैसे मिले और सरकार को एक आप के जो रोजमर्रा के अनुभव हैं, उसका लाभ मिले ताकि हम फाइलों में full stop, comma इधर-उधर हमारा न हो जाए जिसके कारण 6-6 महीने तक ये निर्णय लटकता रहे, ये अगर हम करने से पहले चर्चा करते हैं तो फायदा होगा। एक नया हमने initiative लिया है। और ये जो मैं सबका प्रयास कहता हूं न, उस सबका प्रयास का ही एक उदाहरण है कि भारत में बजट आना, उसके पूर्व आप सबसे चर्चा, बजट प्रस्तुत होने के बाद चर्चा वो चर्चा, implementation के लिए चर्चा, ये अपने आप में लोकतंत्र का एक अद्भुत प्रयोग है। financial world में इस प्रकार का लोकतांत्रिक प्रयास सभी स्टेकहोल्डर्स से मिलकर के काम करना, ये कोई हम बजट की जो भी विशेषताएं हैं, जो भी ताकत है, उसकी भरपूर तारीफ हो चुकी है। लेकिन वाह-वाही करके मुझे रूकना नहीं है। इस बार बजट की चारों तरफ वाह-वाही हुई है। लेकिन मुझे उससे रूकना नहीं है। मुझे तो आपकी मदद चाहिए। आपका proactive role चाहिए। मैं तो राज्य सरकारों को भी कहूंगा कि इसके लिए वो अपने नीतिगत जो चीजें हैं, निर्णय करने हैं, पोलिसीज बनानी है, उसको भी क्या एक अप्रैल के पहले बना सकते हैं क्या? आप जितना जल्दी बाजार में आएंगे, ज्यादा लोग आपके राज्य में आएंगे, तो आपके राज्य को benefit होगा। राज्यों के बीच में भी एक बहुत बड़ी स्पर्धा होनी चाहिए कि इस बजट का maximum लाभ कौन राज्य ले जाता है? कौन राज्य ऐसी प्रोग्रेसिव पोलिसीज लेकर के आता है ताकि सारी financial institutions में वो वहां invest करने वालों का मदद करने का मन कर जाए। एक बड़ा प्रगतिशील ecosystem हम develop करें। कुछ नया करने के मिजाज से हम पहल करें। मुझे पक्का विश्वास है, आप अनुभवी लोग हैं, रोजमर्रा की कठिनाइयों को आप जानते हैं, रोजमर्रा के मुसीबतों के solutions को आप जानते हैं। हम उस समाधान के लिए आपके साथ बैठे हैं। इसलिए मैं चाहता हूं कि ये बजट की चर्चा से ज्यादा पोस्ट-बजट की चर्चा ज्यादा है और implementation के लिए है ये चर्चा। हमें आपसे implementation के लिए सुझाव चाहिए। मुझे पक्का विश्वास है, आप का योगदान बहुत लाभ करेगा। बहुत-बहुत धन्यवाद !
बहुत-बहुत शुभकामनाएं!