"मोरबी में हुई त्रासदी के बाद लोगों की मौत से पूरा देश शोक में"
"आज बनासकांठा विकास के इतिहास में अपना अध्याय लिख रहा है"
"हर काम जो देश और गुजरात के गौरव को बढ़ाता है, डबल इंजन सरकार की प्रतिबद्धता है"

नमस्कार,

भारत माता की जय

भारत माता की जय

भारत माता की जय

आज सरदार साहब की जन्म जयंती है। मैं बोलूंगा सरदार पटेल, आप सभी दो बार बोलना अमर रहे-अमर रहे। बनासकांठा के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, आज गुजरात शोक में डूबा हुआ है। देशवासी भी काफी दुखी हुए हैं। मोरबी में कल शाम को जो भयंकर दुर्घटना हुई। हमारे अनेक स्वजनों ने और छोटे बच्चों ने अपनों को गंवाया है। दु:ख की इस घड़ी में हमारी संवेदनाएं पीड़ित परिवार के साथ है। भूपेंद्र भाई और उनकी सरकार के सभी साथी पूरी शक्ति से हर संभव राहत के कार्य कर रहे हैं। कल रात को केवड़िया से सीधे मोरबी पहुंचे थे और मोरबी में उन्होंने बचाव कार्य का संचालन संभाल लिया है। मैं भी रातभर और आज सुबह भी उनके संपर्क में रहा। वहां भी निरंतर अलग-अलग विभाग, मंत्री और अधिकारियों के साथ ऐसी भयंकर आपदा में लोगों की परेशानी कैसे कम करें, उसके काम पर लगे। कल मोरबी में एनडीआरएफ की टुकड़ी पहुंच गई। सेना और वायुसेना के जवान भी बचाव और राहत के काम में जुड़ गए। और बनासकांठा की धरती, मां अंबे की धरती से गुजरात के लोगों को फिर से विश्वास दिलाना चाहता हूं और आश्वस्त करता हूं कि इस विकट परिस्थिति में सरकार की ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

कल मोरबी में यह भयंकर पीड़ादायक घटना थी, मन काफी व्यथित हो गया था। मैं दुविधा में था कि यह सारे विकास के कार्य हैं और बनासकांठा में पानी का महत्व क्या है। यह मैं जानता हूं कि यहां कार्यक्रम करूं ना करूं। किंतु आपके प्रति मेरा प्यार और आपका मेरे प्रति प्यार और कर्तव्य में बंधे हुए मेरे संस्कार इस कारण मन मजबूत करके आप सभी के बीच आया हूं। बनासकाँठा और पूरा उत्तर गुजरात इसके लिए पानी और केवल एक कार्यक्रम में ही आठ हजार करोड़ रुपए की परियोजनाएं। इन परियोजनाओं से हमारा यह बनासकांठा, पाटन जिला, मेहसाणा करीब छह जिले के एक हजार से ज्यादा गांव और दो लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की सुविधा प्राप्त होने वाली है। हमारे गुजरात के लोग समस्याओं में ही बड़े हुए हैं। दस साल में से सात साल हमने सूखा झेला है और भयंकर भूकंप झेला है, किंतु इस गुजरात के लोगों की कर्तव्यनिष्ठ जनता का स्वभाव जिसकी वजह से उनके पास जो भी संसाधन उपलब्ध हो, उनसे उन्होंने हमेशा मुसीबतों का सामना किया है। कभी भी शांति से नहीं बैठे हैं। अथाह परिश्रम किए और परिणाम प्राप्त करने के सारे प्रयास किए और हमारा यह बनासकांठा तो इसका जीवंत साक्षी है। 20-25 साल पहले की अगर बात करें, तो हमारा यह बनासकाँठा और पूरे पट्टे में जो स्थिति थी, उसके मुकाबले आज यहां जो विकास हुआ है, यह जो परिवर्तन हुआ वह स्पष्ट दिखाई दे रहा है और पहले के दिन भी हम भूल नहीं सकते हैं और हम साथ मिलकर मेहनत करेंगे तो अचूक और स्पष्ट परिणाम मिलता है, यह हम भूल नहीं सकते हैं।

एक ओर कच्छ का रेगिस्तान, दूसरी ओर से हमारे यहां फरवरी महीना खत्म होता तो धूल उड़ना शुरू हो जाती है। बारिश की प्रतीक्षा करते रहते हैं और गर्मी तो काफी असहनीय होती है। बिजली, पानी कैसे-कैसे संकट थे और यदि थोड़ी बहुत बारिश आ जाए, तो एक-दो महीने निकल जाते थे। यह उत्तर गुजरात हजारों गांवों में यदि पानी मिल भी जाए तो फ्लोराइड वाला मिलता है और यदि वह पानी पीते हैं, तो क्या होता है वह आप जानते हैं, हमारे उत्तर गुजरात में आप देखना सभी के दांत पीले हो जाते हैं। जन्म से ही ऐसा लगता है कि इसके दांत पीले हो गए हैं। हड्डियां कमजोर हो जाती है। जवानी में जैसे बुढ़ापा आ गया हो, ऐसा लगता है। यह समस्या, पानी भी ऐसा और इस पानी की मुसीबत ने कृषि का जीवन भी मुश्किल कर दिया था। यहां पर यदि कोई जमीन बेचने के लिए निकले, तो कोई खरीदार भी नहीं मिलता था, ऐसे दिन थे और हम नीचे बोरवेल बना बनाकर पानी को खींचने का प्रयास करते थे। बिजली का इंतजार करते और आंदोलन करते थे और मोदी के पुतले जलाते थे। ये सब हमने किया क्योंकि लोगों ने पुराने समय में उम्मीद ही छोड़ दी थी, लेकिन साथियों जब आपका सेवक बनकर आपका साथी बनकर आपकी मुसीबत को समझकर अच्छे इरादे से पूरी निष्ठा के साथ काम किया, तो कठिन से कठिन से लक्ष्य भी हम प्राप्त कर पाए हैं। 20 साल पहले मुझे मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने के लिए आप सभी ने जिम्मेदारी सौंपी और तब समस्या की जड़ को हमने पकड़ लिया और जल संरक्षण पर हमने ध्यान केंद्रित किया। दूसरी ओर यदि हम जमीन में से पानी खींचते ही रहेंगे और बोरवाल की गहराई बढ़ाते ही रहेंगे, लेकिन मैंने पूरी ताकत पानी पर लगा दी। बरसात का पानी समंदर में ना चला जाएं, इसलिए चेक डेम के माध्यम से तालाब की गहराई बढ़ाई, अपनी सुजलाम सुफलाम योजना।

मुझे याद है कि जब हमारी यह सुजलाम सुफलाम योजना शुरू हुई थी, तब कांग्रेस के नेता भी मुझे कहते थे कि साहब हमने कभी सोचा भी नहीं था हमारी पूरी जिंदगी में यहां पर ऐसे पानी आएगा और हम दो उपज भी ले सकें ऐसे अच्छे दिन हमारे जीवन में आएंगे। ऐसा हमें भी भरोसा नहीं था। ऐसा मुझे कांग्रेस के लोग बोल रहे थे। हमने वासमो योजना बनाई, गांव-गांव में पानी समितियों का गठन किया और उसमें भी मैंने तो महिलाओं को काम सौंपा और इन सभी प्रयासों का परिणाम यह आया कि बनासकाँठा हो या अपना पूरा उत्तर गुजरात हो या फिर कच्छ हो, जिनके लिए हम तरसते थे वह पानी की एक-एक बूंद की तरस से बाहर निकला और टपक सिंचाई योजना से हर बूंद का उपयोग किया, पर ड्रॉप मोर क्रोप, इस मंत्र को ध्यान में रखते हुए कृषि, टूरिज्म आदि क्षेत्रों में कमाल कर दिया है। एक ओर हमारी बनास देवी और दूसरी ओर 100 मेगा वॉट का अलट्रा मेगा सोलर पावर प्लांट। आप देखिए दूसरी ओर नल से जल अभी ऋषिकेश भाई कह रहे थे कि पीने का पानी पाइप से हर घर पहुंचे, बीमारियों से बचने का हड्डियों से बीमारी से बचने का काम हम कर पाए हैं और यह सभी कार्य में बनासकांठा में जो साथ और सहयोग दिया है, आज इस अवसर पर मैं बनासकांठा को सर झुकाकर वंदन करना चाहता हूं।

यह पर जो बड़े लोग उपस्थित हैं, वे अच्छी तरह से जानते होंगे, जब मैं 17-18 साल पहले, सीएम बना था, तब यहां के अग्रणियों के साथ बैठता और पानी पर चर्चा करता था। और उनको कहता था कि यह सारे खेत तालाब की तरह भर जाते हैं, यह सब बंद करवाइए, उसके बदले टपक सिंचाई योजना अपनाइए। तब वे लोग मेरी बातें सुनकर सोचते थे कि इसको भला खेती में क्या पता चलेगा। यह चाय बेचने वाला खेती के बारे में क्या जानेगा, ऐसा बोलते थे, लेकिन मैं उनके पीछे लगा रहा और पूरी तरह उनके पीछे पड़ा और मेरे लिए संतोष की बात है कि बुजुर्गों ने मेरी बात मानी और आज बनासकांठ में टपक यानी बूंद सिंचाई,सूक्ष्म सिंचाई के मामले में पूरे देश में नाम कमाया है और यह काम करके बताया है कि पूरा देश आकर्षित हुआ है। सत्य का मार्ग कितना विशाल है, उसका यह उदाहरण है। हमारे इन प्रयासों को विश्व के कई संस्थाओं ने पुरस्कृत किया है और आज देखो यह क्षेत्र विकास की नई कहानी लिख रहा है। आज बनासकांठा की चार लाख हेक्टेयेर भूमि पर टपक सिंचाई योजना पर काम हो रहा है और उसकी वजह से हमारे यहां और पानी का स्तर और नीचे जाने से बच गया और हमने हमारा जीवन बचाया है, ऐसा नहीं है, जो बच्चे भविष्य में जन्म लेंगे, उनका जीवन बचाने का पुण्य काम भी किया है और इसीलिए मेरा बनासकाँठा हो, पाटन हो, या मेहसाणा हो, उन सभी को सहज रूप से नमन करने का मेरा मन होता है। और आप सभी ने यह सारे काम करके उस समय राजस्थान के जो मुख्यमंत्री थे और जो इस वक्त भी राजस्थान के सीएम है और जो अभी कुछ समय पहले आपके यहां आकर निवेदन कर रहे थे, उन्होने मुझे लिखित पत्र देकर यह सुजलाम सुफलाम का विरोध किया था, तब मैंने उनको कहा था बनासकांठा पानी की समस्या से परेशान है मेरे भाई। आपको मेरे विरुद्ध जो करना है, वो करना, मैं तो सुजलाम सुफलाम योजना करके ही रहूंगा, और मैंने किया। 19-20 साल में सुजलाम सुफलाम योजना के पीछे सैंकड़ों किमी रिचार्ज कैनाल का निर्माण हुआ और जमीन में पानी का स्तर ऊपर आया और पानी भी बचाना था, इसलिए पाइपलाइन का उपयोग किया। तालाब भरने के लिए पाइप से पानी ले जाते थे। और अब तो दो पाइप लाइन ऐसी बनेगी, कि इसकी मदद से 1000 से ज्यादा गांव के तालाबों को भरा जाएगा। हमारा मुक्तेश्वर डेम, कड़मावा तलाब दोनों को पाइपलाइन से जोड़कर पानी पूरा दिया जाएगा, मेरे भाइयों। जहां पर ऊंचाई वाले क्षेत्र हैं, वहां भी पानी की जरूरत है, तो हम बिजली के बड़े पंप लगाकर पानी को लिफ्ट करके पानी को ले जाएंगे और बाद में सभी को वहां वितरित करेंगे मेरे भाइयों। यह हमारे कांग्रिज, दिओधर तहसील, उनकी समस्याओं को भी हम मुसीबत से बाहर निकालेंगे। हमारा वाऊ, सुमिश्री गांव और तहसील ये सब पर ऊंचाई पर है, नहरों का नेटवर्क वहां पर पहुंचना मुश्किल है। अब सुई गांव की समस्या भी दूर होगी और माता नर्मदा का पानी मुख्य कैनाल और डिस्ट्रीब्यूशन कैनाल के नेटवर्क का भी निर्माण होगा, इसकी वजह गांव, सुई गांव तहसील सहित दर्जनों गांव पानी से भरपूर बनने वाले हैं। हमारा कथरा, दंतेवाड़ा पाइप लाइन, पाटन और बनासकांठा की छह तहसील उनको भी काफी फायदा होगा, मेरे भाइयों।

आने वाले समय में मुक्तेश्वर डेम और कड़मावा तलाब इसमें मां नर्मदा का पानी आने वाला है। उसकी वजह से बनासकांठा, वड़गाम, खेरालू, पाटन, सिद्धपुर, मेहसाणा यह सभी क्षेत्रों में पानी की समस्या कम करने में काफी मदद मिलने लगेगी। हम गुजरात के लोग जानते हैं कि पानी का महत्व क्या है। हमारे गुजरात और राजस्थान के लोग जानते हैं। हमारे यहां पानी कोई पिलाता है, तो उसे भी पुण्य मानते हैं। यदि कोई पानी की प्याऊ बनवाता है, तो पूरा गांव उसको सेवाभावी मानते हैं। यदि किसी ने गांव के द्वार पर पेड़ के नीचे किसी ने मटका रखा हो और कोई मटका रोज भरता है, तो गांव वाले गर्व से कहते हैं कि ये सेवाभावी है कि ये पानी का प्याऊ चलाता है। हमने तो रुद्रधाम की बातें सुनी हुई हैं और पानी की बात आई, तो उसकी चर्चा आती ही है। अरे दूर जाने की जरूरत ही कहां है हमारा लाखा वणजारा उसको कौन भूल सकता है और उसी वजह से आज जहां भी पानी के कार्य हुए हैं वहां पर किसी ने लाखा वणजारा का चेहरा देखा है और ना ही गांव का पता है। लाखा वणजारा का केवल नाम सुना है, फिर भी छोटी सी पानी की बावड़ी बनाई है, तो सैंकड़ों साल के बाद भी लोग लाखा वणजारा को भूलने को तैयार नहीं है। जो पानी देता है, उसके उस भाव को पुण्य दृष्टि से देखा जाता है। और मुझे लगता है कि यह लाखा वणजारा यदि आज इलेक्शन में खड़ा हो जाएं, दुनिया की कोई ताकत उसको नहीं हरा सकती है। पानी की यह ताकत है, जो पानी लाता है वह अमृत लाता है। जो अमृत लाता है, वह पूरे समाज को अजेय बना देता है। और पानी के, जल शक्ति के आशीर्वाद काम लगते हैं।

भाइयों बहनों,

पानी से आज कृषि से लेकर पशुपालन सभी क्षेत्रों में संभावना बढ़ गई है। फल सब्जियां उसमें से फूड प्रोसेसिंग यह सभी बड़े पैमाने पर फैल रहा है। थोड़े समय पहले मैं आपके बनास डेयरी में आया था, वहां पर आलू की प्रोसेसिंग का काफी बड़ा काम शुरू हुआ है। अब भारत सरकार भी फूड प्रोसेसिंग के लिए काफी मदद कर रही है। सखी मंडल, किसान उद्योग संघ और उसमें भी जो लोग इस मूल्यवर्धन में आते हैं, फूड प्रोसेसिंग में आते हैं, उनको हम सहायता करते हैं। चाहे कोल्ड स्टोरेज बनाना हो या फूड प्रोसेसिंग का प्लांट लगाना है, तो भारत सरकार छोटे-छोटे संगठनों को भी मदद करके मेरे किसानों की शक्ति बढ़ाने का काम कर रही है। आज जिस प्रकार से डेयरी के माध्यम से जिस प्रकार से छोटे छोटे पशुपालक की हिस्सेदारी बढ़ रही है, उसी प्रकार से फल आदि और सब्जी उगाने वाले किसानों की शक्ति बढ़ाने की भी हम मदद कर रहे हैं। अनार, आप देखिए उसके जूस की फैक्ट्रियां और उसमें भी किसान की हिस्सेदारी रहती है। सखी मंडली काम करते हैं, तो उनको भी लाभ मिलता है। फल सब्जियां, अचार, मुरब्बा, चटनी कई सारे उत्पादन घर घर में बनने लगे हैं, और उसका लेबलिंग करके बाजार में बिकने लगे हैं। एक उद्योग के रूप में विकसित हों, इसलिए सरकार ने उसमें भी गांव-गांव बहनों की मंडलियों को जो लोन मिलता है, उसकी सीमा दोगुनी कर दी है। मेरी ये बहनें काम करेंगी और उनके हाथ में पैसे आएंगे तो वह दोगुना काम करेंगी। उतना ही नहीं, हमारे आदिवासी क्षेत्र, जनजाति क्षेत्र वहां पर हमने वनधन केंद्र खोले जो वन में पैदावर होती है और वह धन और उसमें भी बहनों को काम पर लगाकर वन की उपज मिलती है, उसको अच्छे से अच्छा दाम मिलें, चाहे वह आयुर्वेद की दुकान या मार्केट में जाता हो, उससे उसका फायदा हो, ऐसा काम किया है।

मुझे काफी किसान भाइयों ने उनके लाभों के बारे में पत्र लिखा है। मुझे याद है कि पीएम सम्मान किसान निधि और हमारे उत्तर गुजरात में तो किसान का मतलब होता है कि दो बीघा या ढाई बीघा की जमीन होती है, यानी कि छोटे किसान होते हैं और उन्होंने बैंक से लोन भी नहीं लिया हो, उनको पीएम सम्मान किसान निधि में साल में तीन बार 2-2 हजार मिलते हैं, तो उनको तो खेती के काम में काफी बढ़ी गति मिल जाती है। इस काम में एक रुपए का भी भ्रष्टाचार नहीं होता है और इस काम में दिल्ली से बटन दबाओ तो आपके खाते में पैसा आ जाता है। अभी हमने एक बड़ा काम हाथ में लिया है वह भी हमारे किसान भाइयों के लिए। फर्टिलाइजर का हमारे किसानों को लाभ हो, उसकी दिशा में हमने महत्वपूर्ण काम किया है और अब यूरिया या अन्य फर्टिलाइजर अलग-अलग नाम की वजह से और दाम कम ज्यादा होने के कारण कई बार किसानों को परेशानी होती थी और वह सब दूर कर दिया है और अब केवल एक नाम से ही फर्टिलाइजर मिलेगा। और उसका नाम भारत रखा है। भारत के नाम का फर्टिलाइजर यानी कि सारी बेइमानी और ठगाई सब बंद। विदेश में से सरकार जो यूरिया आयात करती है, उसमें से एक बोरी यूरिया 2 हजार रुपए से भी ज्यादा आता है। कोरोना और युद्ध की वजह से दो हजार रुपए में जो थैली बाहर से मंगाई जाती है, वह मेरे किसान भाइयों को समस्या ना हो, इसलिए 260 में दे रहे हैं। दो हजार की थैली लाकर 260 में दे रहे हैं, क्योंकि मेरे किसान की फसल पीली ना हो जाए, उसकी हमें फिक्र रहती है।

मुझे देखकर आनंद हो रहा है, आज बनास डेयरी गुजरात ही नहीं, उप्र, राजस्थान, हरियाणा और आंध्रप्रदेश और झारखंड तक अपना फैलाव किया है। आज बनास डेयरी चारे की व्यवस्था भी करती है। दूध के अलावा दूध में से जो विभिन्न चीजें बनती है, उसका भी बाजार खड़ा किया है। हमारी सरकार डेयरी क्षेत्र को मजबूत करने के लिए, पशुपालन को मजबूत बनाने के लिए अनेक काम कर रही है। पशुओं का सम्मान हो और जीवन भर उनकी संभाल हो, उसके लिए भी हम निरंतर, उनकी चिंता करते हैं। किंतु अब केवल पशुओं के दूध से कमाई हो, ऐसा नहीं है, उसके गोबर से भी कमाई हो, दूध देने वाले पशु को आपको छोड़ना ना पड़े इसलिए भारत सरकार ने अब गोवर्धन योजना पर काम शुरू कर दिया है। हमारे यहां राज्यपाल साहब ने इसके लिए अलख जगाया है और किसान भाई हमारे यहां प्राकृतिक खेती की ओर बढ़े हैं। यूरिया और कैमिकल से मुक्त खेती और उसकी वजह से हमारे पशु और उसका गोबर भी उपयोग में आने लगा है। हमारे यहां बनासकांठा में तो गोबर में से कचरे में से बायो गैस, बायो सीएनजी अनेक बड़ी योजनाओं पर काम किया है और अब इससे गाड़ियां भी चलती हैं और बिजली भी पैदा होती है और विदेशी मुद्रा की बचत हों, उस दिशा में हजारों प्लांट लग रहे हैं। हमारी डेयरी, हमारे गोबर, उसमें से गैस यह सारी चीजें आर्थिक विकास और सामान्य जनता के भलाई के लिए उपयोग में ले रहे हैं। इतना ही नहीं, जैविक खाद इन किसानों को कैसे मिले, क्योंकि अब किसान भी धरती माता को कैमिकल डाल डालकर धरती माता खत्म नहीं करना चाहता है। यह मेरा किसान भी धरती माता की फिक्र करने लगा है। वह सोचता है कि भले ही उपज कम हो, यह कैमिकल मेरी धरती माता को नहीं पिलाना है, इसलिए उसे सात्विक खाद मिलना जरूरी है, इसलिए गोर्वधन के द्वारा, गोबर फैक्ट्रियों के जरिए उनको जैविक खाद मिले उनकी जमीन मिले, उस दिशा में काम कर रहे हैं।

भाइयों बहनों,

दशकों से दूर्दशा की स्थिति में रहा हमारा यह क्षेत्र आज देश का सुरक्षा का कवच बन रहा है। अभी देखिए आपके साथ मुझे वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए डीसा में एक कार्यक्रम करने का मौका मिला था। डीसा में वायुसेना में सेना का बहुत बड़ा केंद्र रहा है। उसका शिलान्यास हो गया है, हजारों करोड़ रुपए का निवेश आने वाला है और यह पूरा क्षेत्र सुरक्षा का बहुत बड़ा केंद्र होगा, उसकी वजह से बहुत से नए रोजगार का विकास होगा। आप देखिए नड़ाबेट में सीमा दर्शन का काम किया और पूरे हिन्दुस्तान को ऐसा लगे कि सरहद के किसी गांव का कैसे विकास किया जाता है, उसका अगर उदाहरण देखना है, तो वह नड़ाबेट में आकर देख सकते हैं। हमने दूर दराज के गांव में एनसीसी, सीमावर्ती गांव में वाइब्रेट विलेज की योजना लाए हैं। सीमावर्ती गांव के लिए भारत सरकार विशेष बजट दे रही है।

भाइयों बहनों, डबल इंजन की सरकार यह सभी सरहदी गांव है उसके विकास पर विशेष ध्यान देने का काम कर रही है और इसलिए वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज आपको हमने बजट में इसकी घोषणा की है और इस योजना से गांवों को जोड़ा है। बनासकांठा के लगभग सभी क्षेत्रों को इन कार्यक्रमों से लाभ होगा। एक बात मुझे और कहनी है कि आप सभी को खबर है कि थोड़े समय पहले मैं भुज आया था। भुज में हमने भूकंप के दौरान जो लोग मारे गए थे, उनकी याद में कच्छ के भुजिया डूंगरी पर स्मृति वन बनाया था। पूरे गुजरात में 13 हजार लोगों की मौत हुई थी। उसमें बनासकांठा और पाटन के लोग भी थे। उनके नाम वहां अंकित किए हैं। उन सभी के नाम से वहां एक एक पौधा लगाया है और दुनियाभर के लोग वहां देखने आए वहां एक स्मारक बनाया है। मेरा बनासकांठा और पाटन जिले के लोगों से अनुरोध है जिन लोगों ने अपने परिजनों को खोया है, आप एक बार वहां उन लोगों को ले जाएं। बनास डेयरी यह काम अच्छे से कर सकती है और वहां पर आप फूल चढ़ाएं उनके हाथ से उनको संतोष होगा कि सरकार उनको भूल नहीं गई है। 20 साल के बाद भी उन्हें याद करके काम कर रही है। ऐसे अनेक काम राष्ट्र का गौरव बढ़ा रहे हैं, आम जनता का विश्वास बढ़ाएं उसके लिए डबल इंजन की सरकार काम कर रही है।

हमारा एक ही नारा है सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास सबका प्रयास। गरीब हो, पीड़ित हो, दलित हो, वंचित हो या फिर आदिवासी हो सबके विकास के लिए हमें काम करना है। गुजरात शुरुआत से यह एक मंत्र लेकर आगे बढ़ रहा है। भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास। भारत को विकसित बनाने के लिए गुजरात को भी विकसित बनाना ही होगा। डेवलप्ड स्टेट बनकर हमें आगे बढ़ना होगा। यह काम हम कर रहे हैं। आपने देखा होगा कि कल बड़ौदा में हमने विमान बनाने की शुरुआत हम कर रहे हैं। एक समय था जब साइकिल नहीं बनती थी। आज विमान बन रहे हैं, खुशी की बात है या नहीं। गौरव होता है या नहीं। आपके बच्चों का भला होगा या नहीं, ऐसा लगता है या नहीं और इसलिए इस विकास की यात्रा को रूकने मत देना और कुछ लोगों को ऐसी समस्या होती है, मैंने सारे अखबार तो नहीं देखे, किंतु आज दो अखबार देखे, उसमें दो अखबार में कांग्रेस का विज्ञापन है, अब आप विचार करो सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्म जयंती है और अखबार में कांग्रेस का विज्ञापन और सरदार साहब का उन्होंने ‘स’ तक नहीं लिखा है। यह आपके सरदार साहब, जो नेहरू साहब की सरकार में गृह प्रधान थे, भारत के इतने बड़े नेता थे, कांग्रेस के इतने बड़े नेता थे, उनकी जयंती को आप गुजरात में विज्ञापन देते हैं, उसमें सरदार साहब की कोई तस्वीर नहीं, कोई नाम नहीं, ऊपर से बोलते हैं कि हम सभी को जोड़ेंगे। पहले एक सरदार साहब को तो जोडिए, इतना अपमान। कांग्रेस को सरदार वल्लभ भाई पटेल से क्या परेशानी है। गुजरात सरदार साहब के अपमान को कभी सहन नहीं करेगा दोस्तों, किंतु उनको कोई परवाह नहीं है। कितना द्वेष भरा होगा, कि वो लोग ऐसे काम कर रहे हैं।

भाइयों और बहनों,

हमें गुजरात को आगे बढ़ाना है, सरदार साहब के मार्ग और आशीर्वाद से आगे बढ़ाना है और गुजरात पूरे जोश से आगे बढ़े और मेरी आने वाली पीढ़ियां भी मजबूत हो ऐसा समय बनाना है, उसके लिए हमें काम करना है। मेरे साथ बोलिए -

भारत माता की जय

भारत माता की जय

भारत माता की जय

खूब खूब आभार।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।