भारत माता की – जय,
भारत माता की – जय।
सिवरी महाराजेरी, इस पवित्तर धरती अपणे, इक हजार सालवे, पुराणे रिवाजां, ते बिराशता जो दिखांदा चम्बा, मैं अप्पू जो, तुस्सा सबनियां-रे बिच्च, आई करी, अज्ज बड़ा, खुश है बुज्झेय करदा।
सबसे पहले तो मैं चम्बावासियों से क्षमा चाहता हूं क्योंकि इस बार मुझे यहां आने में काफी विलंब रहा, कुछ वर्ष बीत गए बीच में। लेकिन मेरा सौभाग्य है कि फिर आज सबके बीच आ करके आप सबके दर्शन करने का, आपके आशीर्वाद प्राप्त करने का मुझे अवसर मिला है।
दो दिन पहले मैं उज्जैन में महाकाल की नगरी में था और आज मणिमहेश के सानिध्य में आया हूं। आज जब इस ऐतिहासिक चौगान पर आया हूं, तो पुरानी बातें याद आना बहुत स्वाभाविक है। यहां के अपने साथियों के साथ बिताए पल और राजमाह का मदरा, सचमुच में एक अद्भुत अनुभव रहता था।
चंबा ने मुझे बहुत स्नेह दिया है, बहुत आशीर्वाद दिए हैं। तभी तो कुछ महीने पहले मिंजर मेले के दौरान यहां के एक शिक्षक साथी ने चिट्ठी लिखकर चंबे से जुड़ी अनेक बातें मुझसे साझा की थीं। जिसे मैंने मन की बात में देश और दुनिया के साथ भी शेयर किया था। इसलिए आज यहां से चंबा सहित, हिमाचल प्रदेश के दुर्गम गांवों के लिए सड़कों और रोज़गार देने वाले बिजली प्रोजेक्ट्स का उपहार देने का मेरे लिए अत्यंत खुशी का अवसर है।
जब मैं यहां आपके बीच रहता था तो कहा करता था कि हमें कभी न कभी उस बात को मिटाना होगा जो कहता है कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती। आज हमने उस बात को बदल दिया है। अब यहां का पानी भी आपको काम आएगा और यहां की जवानी भी जीजान से अपने विकास की यात्रा को आगे बढ़ाएगी। आपका जीवन आसान बनाने वाले इन सारे प्रोजेक्ट्स के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई !
भाइयों और बहनों,
कुछ समय पहले ही भारत ने अपनी आजादी के 75 साल पूरे किए हैं। इस समय हम जिस पड़ाव पर खड़े हैं, ये पड़ाव विकास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यहीं से एक ऐसी छलांग हमें लगानी है जिसकी शायद पहले कोई कल्पना तक नहीं कर सकता था। भारत की आज़ादी का अमृतकाल शुरु हो चुका है, जिसमें हमें विकसित भारत का संकल्प पूरा करना है। एक-एक हिंदुस्तानी का संकल्प अब पूरा करके रहना है। आने वाले कुछ महीनों में हिमाचल की स्थापना के भी 75 वर्ष पूरे होने वाले हैं। यानि जब देश की आजादी के 100 साल होंगे तो हिमाचल भी अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर रहा होगा। इसलिए आने वाले 25 वर्षों का एक-एक दिन, एक-एक पल हम सबके लिए, सभी देशवासियों के लिए और हिमाचल के लोगों के लिए विशेष रूप से लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
साथियों,
आज जब हम बीते दशकों की तरफ मुड़कर देखते हैं, तो हमारा अनुभव क्या कह रहा है? हमने यहां शांता जी को, धूमल जी को अपनी जिंदगी खपाते देखा है। उनके मुख्यमंत्री काल के वो दिन थे जब हिमाचल के लिए हर छोटी चीज के लिए, हिमाचल के अधिकार के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को, कार्यकर्ताओं को ले करके दिल्ली में जा करके गुहार लगानी पड़ती थी, आंदोलन करने पड़ते थे। कभी बिजली का हक, कभी पानी का हक तो कभी विकास में हक मिले, भागीदारी मिले, लेकिन तब दिल्ली में सुनवाई नहीं होती थी, हिमाचल की मांगें, हिमाचल की फाइलें भटकती रहती थीं। इसलिए चंबा जैसे प्राकृतिक, सांस्कृतिक और आस्था के इतने समृद्ध क्षेत्र विकास की दौड में पीछे रह गए। 75 साल बाद मुझे एक aspirational district के रूप में उस पर स्पेशल ध्यान केंद्रित करना पड़ा क्योंकि मैं इसके सामर्थ्य ये परिचित था दोस्तो।
सुविधाओं के अभाव में आपके यहां रहने वालों का जीवन मुश्किल था। बाहर से आने वाले पर्यटक भला यहां कैसे पहुंच पाते? और हमारे यहां चंबा का गीत अभी जयराम जी याद कर रहे थे-
जम्मू ए दी राहें, चंबा कितना अक् दूर,
ये उस स्थिति को बताने के लिए काफी है। यानि यहां आने की उत्सुकता तो बहुत थी, लेकिन यहां पहुंचना इतना आसान नहीं था। और जब ये जयराम जी ने बताया केरल की बेटी दिव्या के विषय में, देविका ने कैसे और एक भारत श्रेष्ठ भारत का सपना ऐसे ही पूरा होता है। चंबा का लोकगीत क्रेरल की धरती पर, जिस बच्ची ने कभी हिमाचल नहीं देखा, कभी जिसका हिंदी भाषा से नाता नहीं रहा, वो बच्ची पूरे मनोयोग से जब चंबा के गीत गाती हो, तो चंबा का सामर्थ्य कितना है, उसका हमें सबूत मिल जाता है दोस्तो। और मैं चंबा का आभारी हूं, उन्होंने बेटी देविका की इतनी तारीफ की इतनी वाहवाही की कि पूरे देश में एक भारत, श्रेष्ठ भारत का मैसेज चला गया। एक भारत-श्रेष्ठ भारत के प्रति चंबा के लोगों की ये भावना देखकर, मैं भी अभीभूत हो गया था।
साथियो,
आज हिमाचल के पास डबल इंजन की सरकार की ताकत है। इस डबल इंजन की ताकत ने हिमाचल के विकास को डबल तेजी से आगे बढ़ाया है। पहले सरकारें सुविधाएं वहां देती थीं, जहां काम आसान होता था। जहां मेहनत कम लगती थी और राजनीतिक लाभ ज्यादा मिल जाता था। इसलिए जो दुर्गम क्षेत्र हैं, जनजातीय क्षेत्र हैं, वहां सुविधाएं सबसे अंत में पहुंचती थीं। जबकि सबसे ज्यादा ज़रूरत तो इन्हीं क्षेत्रों को थी। और इससे क्या हुआ ? सड़क हो, बिजली हो, पानी हो, ऐसी हर सुविधा के लिए पहाड़ी क्षेत्रों, जनजातीय क्षेत्रों का नंबर सबसे अंत में आता था। लेकिन डबल इंजन की सरकार का काम, हमारा काम करने का तरीका ही अलग है। हमारी प्राथमिकताएं हैं लोगों के जीवन को आसान बनाना। इसलिए हम जनजातीय क्षेत्रों, पहाड़ी क्षेत्रों पर सबसे अधिक बल दे रहे हैं।
साथियों,
पहले पहाड़ों में गैस कनेक्शन गिने-चुने लोगों के पास ही होता था। मुझे याद है हमारे धूमल जी जब मुख्यमंत्री थे तो घरों में तो बिजली का चूल्हा कैसे पहुंचाऊं इसलिए रात भर सोचते रहते थे। योजनाएं बनाते थे। उन समस्याओं का समाधान हमने आ करके कर दिया दोस्तो। लेकिन डबल इंजन की सरकार ने इसे घर-घर पहुंचा दिया।
पानी के नल जिनके घरों में होते थे, उनके लिए तो ये माना जाता था कि बड़े रईस लोग होंगे, इनकी राजनीतिक पहुंच होगी, पैसे भी बहुत होंगे, इसलिए घर तक नल आया है- वो जमाना था। लेकिन आज देखिए, हर घर जल अभियान के तहत हिमाचल में सबसे पहले चंबा, लाहौल स्पीति और किन्नौर में ही शत-प्रतिशत नल से जल कवरेज हुआ है।
इन्हीं जिलों के लिए पहले की सरकारें कहती थीं कि ये दुर्गम हैं, इसलिए विकास नहीं हो पाता। ये सिर्फ पानी पहुंचाया, बहनों को सुविधा मिली, इतने तक सीमित नहीं है। बल्कि शुद्ध पेयजल से नवजात बच्चों का जीवन भी बच रहा है। इसी प्रकार गर्भवती बहने हों या छोटे-छोटे बच्चे, इनके टीकाकरण के लिए कितनी मुश्किलें पहले होती थीं। आज गांव के स्वास्थ्य केंद्र में ही हर प्रकार के टीके उपलब्ध हैं। आशा और आंगनबाड़ी से जुड़ी बहनें, घर-घर जाकर सुविधाएं दे रही हैं। गर्भवती माताओं को मातृवंदना योजना के तहत हज़ारों रुपए भी दिए जा रहे हैं।
आज आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपए का मुफ्त इलाज मिल रहा है। इस योजना के सबसे बड़े लाभार्थी भी वही लोग हैं, जो कभी अस्पताल तक नहीं जा पाते थे। और हमारी माताएं-बहनें कितनी भी गंभीर बीमारी हो, कितनी पीड़ा होती हो, घर में पता तक नहीं चलने देती थीं कि मैं बीमार हूं। घर के सब लोगों के लिए जितनी सेवा कर सकती थीं वो निरंतर करती थीं। उसके मन में एक बोझ रहता था कि अगर बच्चों को, परिवार को पता चला जाएगा कि मेरी बीमारी है, तो वो मुझे अस्पताल में ले जाएंगे। अस्पताल महंगे होते हैं, खर्च बहुत होता है, हमारी संतान कर्ज में डूब जाएगी और वो सोचती थी कि मैं पीड़ा तो सहन कर लूंगी लेकिन बच्चों को कर्ज में नहीं डूबने दूंगी और वो सहन करती थी। माताएं-बहनें, आपका ये दर्द, आपकी ये पीड़ा अगर ये आपका बेटा नहीं समझेगा तो कौन समझेगा? और इसलिए आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख रुपये तक परिवारों को मुफ्त में आरोग्य की व्यवस्था मिले, इसका प्रबंध कर दिया भाइयो।
साथियों,
सड़कों के अभाव में तो इस क्षेत्र में पढ़ाई भी मुश्किल थी। अनेक बेटियों को तो स्कूल इसलिए छुड़वा दिया जाता था, क्योंकि दूर पैदल जाना पड़ता था। इसलिए आज एक तरफ हम गांव के पास ही अच्छी डिस्पेंसरियां बना रहे हैं, वेलनेस सेंटर बना रहे हैं, तो वहीं पर जिले में मेडिकल कॉलेज भी खोल रहे हैं, साथियो।
जब हम वैक्सीनेशन का अभियान चला रहे थे तो मेरे दिल में साफ था के हिमाचल में टूरिज्म को कोई रुकावट न आए, इसलिए सबसे पहले हिमाचल का वैक्सीनेशन का काम तेजी से बढ़ाना चाहिए। और राज्यों ने बाद में किया, हिमाचल में वैक्सीनेशन सबसे पहले पूरा किया। और मैं जयराम जी और उनकी सरकार को बधाई देता हूं कि आपकी जिंदगी के लिए उन्होंने रात-दिन मेहनत की भाइयो।
आज डबल इंजन सरकार की कोशिश ये भी है कि हर गांव तक पक्की सड़कें तेज़ी से पहुंचे। आप सोचिए, 2014 से पहले के 8 वर्षों में हिमाचल में 7 हज़ार किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाई गई थीं। आप बताएंगे, मैं बोलूंगा, याद रखोगे। सात हजार किलोमीटर सड़कें, कितनी? सात हजार, और उस समय खर्च कितना किया था 18 सौ करोड़। अब देखिए सात हजार और यहां देखिए हमने 8 वर्ष में, ये मैं आजादी के बाद कहता हूं सात हजार, हमने आठ वर्ष में अब तक 12 हज़ार किलोमीटर लंबी गांव की सड़कें बनाई हैं। और 5 हजार करोड़ रुपए की लागत से आपके जीवन को बदलने के लिए जी-जान से कोशिश की है भाइयो। यानि पहले के मुकाबले करीब-करीब दोगुनी से ज्यादा सड़कें बनी हैं, दोगुने से भी ज्यादा हिमाचल की सड़कों पर निवेश किया गया है।
हिमाचल के सैकड़ों गांव पहली बार सड़कों से जुड़े हैं। आज जो योजना शुरु हुई है, इससे भी 3 हज़ार किलोमीटर की सड़कें गांवों में नई बनेंगी। इसका सबसे अधिक लाभ चंबा और दूसरे जनजातीय क्षेत्रों के गांवों को होगा। चंबा के अनेक क्षेत्रों को अटल टनल का भी बहुत अधिक लाभ मिल रहा है। इससे ये क्षेत्र सालभर बाकी देश से जुड़े रहे हैं। इसी प्रकार केंद्र सरकार की विशेष पर्वतमाला योजना, आपने बजट में घोषित किया था, देखा होगा। इसके तहत चंबा सहित, कांगड़ा, बिलासपुर, सिरमौर, कुल्लू जिलों में रोपवे का नेटवर्क भी बनाया जा रहा है। इससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों, दोनों को बहुत लाभ मिलेगा, बहुत सुविधा होगी।
भाइयों और बहनों,
बीते आठ वर्षों में आपने मुझे जो सेवा करने का मौका दिया है, आपके एक सेवक के रूप में हिमाचल को बहुत सी परियोजनाएं देने का मुझे सौभाग्य मिला और मेरे जीवन में एक संतोष की अनुभूति होती है। अब जयराम जी, दिल्ली आते हैं, पहले जाते थे लोग तो क्यों जाते थे, अर्जी लेकर जाते थे, जरा कुछ करो, कुछ दे दो, भगवान तुम्हारा भला करेगा, वो हाल कर दिया था दिल्लीवालों ने। आज, आज अगर हिमाचल के मुख्यमंत्री मेरे पास आते हैं तो साथ में बड़ी खुशी के साथ कभी चंबा का रुमाल ले आते हैं, कभी चंबा थाल का उपहार लेकर आते हैं। और साथ-साथ ये जानकारी देते हैं कि मोदीजी आज तो मैं खुशखबरी लेकर आया हूं, फलाना प्रोजेक्ट हमने पूरा कर दिया। नए फलाने प्रोजेक्ट पर हमने काम शुरू कर दिया।
अब हिमाचल वाले हक मांगने के लिए गिड़गिड़ाते नहीं हैं, अब दिल्ली में वो हक जताते हैं और हमें आदेश भी देते हैं। और आप सभी जनता-जनार्दन का आदेश, आपका आदेश और आप ही मेरे हाईकमांड हैं। आपका आदेश मैं अपना सौभाग्य समझता हूं भाइयो-बहनों। इसलिए आप लोगों की सेवा करने का आनंद भी कुछ और होता है, ऊर्जा भी कुछ और होती है।
साथियों,
आज जितने विकास कार्यों का उपहार हिमाचल को एक दौर में मिलता है, उतना पहले की सरकारों के समय कोई सोच भी नहीं सकता था। पिछले 8 वर्षों में पूरे देश के पहाड़ी क्षेत्रों में, दुर्गम इलाकों में, जनजातीय क्षेत्रों में तेज विकास का एक महायज्ञ चल रहा है। इसका लाभ हिमाचल के चंबा को मिल रहा है, पांगी-भरमौर को मिल रहा है, छोटा-बड़ा भंगाल, गिरिपार, किन्नौर और लाहौल स्पीति जैसे क्षेत्रों को मिल रहा है।
पिछले वर्ष तो चंबा ने विकास में सुधार के मामले में देश के 100 से अधिक आकांक्षी जिलों में दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया। मैं चंबा को विशेष बधाई देता हूं, यहां के सरकारी मुलाजिम को भी बहुत बहुत बधाई देता हूं, उन्होंने देश के सामने इतना बड़ा काम करके दिखाया है। कुछ समय पहले ही हमारी सरकार ने एक और अहम फैसला लिया है। सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने का फैसला ये दिखाता है कि हमारी सरकार जनजातीय लोगों के विकास के लिए उनको कितनी प्राथमिकता देती है।
साथियों,
लंबे समय तक जिन्होंने दिल्ली और हिमाचल में सरकारें चलाईं, उनको हमारे इन दुर्गम क्षेत्रों की याद तभी आती थी, जब चुनाव आते थे। लेकिन डबल इंजन सरकार दिन-रात, 24 घंटे, सातों दिन, आपकी सेवा में जुटी हुई है। कोरोना का मुश्किल समय आया, तो आपको परेशानी ना हो इसके लिए पूरी कोशिश की।
आज ग्रामीण परिवारों, गरीब परिवारों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। दुनिया के लोग जब सुनते हैं तो उनको अजूबा लगता है कि 80 करोड़ लोग डेढ-दो साल से, भारत सरकार किसी के घर का चूल्हा नहीं बुझने देती, हर घर का चूल्हा जलता है, मुफ्त में अनाज पहुंचाया जाता है ताकि मेरा कोई गरीब परिवार भूखा न सो जाये।
भाइयो-बहनों,
सबको समय पर टीका लगे, इसकी भी तेज़ी से व्यवस्था की। हिमाचल प्रदेश को प्राथमिकता भी दी गई है। और इसके लिए मैं आंगनबाड़ी बहनों, आशा बहनों, स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों का भी अभिनंदन करता हूं। जयराम जी के नेतृत्व में आपने हिमाचल को कोविड टीकाकरण में, उस मामले में देश में अग्रणी रखा।
साथियों,
विकास के ऐसे काम तभी होते हैं, जब सेवाभाव स्वभाव बन जाता है, जब सेवाभाव संकल्प बन जाता है, जब सेवाभाव साधना बन जाती है, तब जा करके सारे काम होते हैं। पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्रों में रोज़गार एक और बड़ी चुनौती होती है। इसलिए यहां की जो ताकत है, उसी को जनता की ताकत बनाने का प्रयास हम कर रहे हैं। जनजातीय क्षेत्रों में जल और जंगल की संपदा अनमोल है। चंबा तो देश के उन क्षेत्रों में है जहां जल-विद्युत के निर्माण की शुरुआत हुई थी।
आज जिन प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास हुआ है, इससे बिजली उत्पादन के क्षेत्र में चंबा की, हिमाचल की हिस्सेदारी और बढ़ने वाली है। यहां जो बिजली पैदा होगी, उससे चंबा को, हिमाचल को सैकड़ों करोड़ रुपए की कमाई होगी। यहां के नौजवानों को रोज़गार के अवसर मिलेंगे। पिछले साल भी 4 बड़े जल-विद्युत प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास करने का अवसर मुझे मिला था। कुछ दिन पहले बिलासपुर में जो हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज शुरु हुआ है, उससे भी हिमाचल के युवाओं को लाभ होने वाला है।
साथियों,
यहां की एक और ताकत, बागवानी है, कला है, शिल्प है। चंबा के फूल, चम्बा का चुख, राजमाह का मदरा, चम्बा चप्पल, चम्बा थाल और पांगी की ठांगी, ऐसे अनेक उत्पाद, ये हमारी धरोहर हैं। मैं स्वयं सहायता समूह की बहनों की भी सराहना करुंगा। क्योंकि वे वोकल फॉर लोकल, यानि इन उत्पादों को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों को बल दे रही हैं। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत भी ऐसे उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। मेरा खुद भी प्रयास रहता है कि विदेशी मेहमानों को ये चीज़ें भेंट करुं, ताकि पूरी दुनिया में हिमाचल का नाम बढ़े, दुनिया में ज्यादा से ज्यादा देश के लोग हिमाचल के उत्पादों के बारे में जानें। मैं ऐसी चीजें ले जाता हूं किसी को स्मृति चिह्न देना है तो मैं मेरे हिमाचल के गांव से बनी हुई चीजें देता हूं।
भाइयों और बहनों,
डबल इंजन सरकार अपनी संस्कृति, विरासत और आस्था को सम्मान देने वाली सरकार है। चंबा सहित, पूरा हिमाचल आस्था और धरोहरों की धरती है, ये तो देवभूमि है। एक ओर जहां पवित्र मणिमहेश धाम है, वहीं चौरासी मंदिर स्थल भरमौर में है। मणिमहेश यात्रा हो या फिर शिमला, किन्नौर, कुल्लू से गुज़रने वाली श्रीखंड महादेव की यात्रा हो, दुनियाभर में भोलेनाथ के भक्तों के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण हैं। अभी जयराम जी कह रहे थे, अभी दशहरा के दिन मुझे कुल्लू में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में शरीक होने का अवसर मिला। कुछ दिन पहले दशहरा के मेले में था और आज मिंजर मेले की धरती पर आने का सौभाग्य मिला।
एक तरफ ये धरोहरें हैं, दूसरी तरफ डलहौज़ी, खजियार जैसे अनेक दर्शनीय पर्यटन स्थल हैं। ये विकसित हिमाचल की ताकत बनने वाले हैं। इस ताकत को सिर्फ और सिर्फ डबल इंजन की सरकार ही पहचानती है। इसलिए इस बार हिमाचल मन बना चुका है। हिमाचल इस बार पुराना रिवाज बदलेगा, हिमाचल इस बार नई परंपरा बनाएगा।
साथियो,
मैं जब यहां मैदान में पहुंचा, मैं सब देख रहा था। मैं जानता हूं हिमाचल में इतना, हर गली-मोहल्ले को जानता हूं। पूरे राज्य की कोई रैली करें ना पूरे राज्य की तो भी हिमाचल में इतनी बड़ी रैली करनी है तो आंखों में पानी आ जाता था। तो मैंने पूछा मुख्यमंत्री जी को कि पूरे राज्य की रैली है क्या, देख करके ही। उन्होंने कहा, नहीं ये तो चंबा जिले के लोग आए हैं।
साथियो,
ये रैली नहीं है, ये हिमाचल के उज्ज्वल भविष्य का संकल्प मैं देख रहा हूं। मैं आज यहां पर एक रैली नहीं, हिमाचल के उज्ज्वल भविष्य का सामर्थ्य देख रहा हूं और मैं आपके इस सामर्थ्य का पुजारी हूं। मैं आपके इस संकल्प के पीछे दीवार की तरह खड़ा रहूंगा, ये मैं विश्वास देने आया हूं दोस्तों। शक्ति बन करके साथ रहूंगा, ये भरोसा देने आया हूं। इतना विशाल कार्यक्रम करने के लिए और शानदार-जानदार कार्यक्रम करने के लिए और त्योहारों के दिन हैं। ऐसे त्योहार के दिनों में माताओं-बहनों का निकलना कठिन होता है। फिर भी इतनी माताएं-बहनें मुझे आशीर्वाद देने आईं, हम सबको आशीर्वाद देने आईं, इससे बड़ा जीवन का सौभाग्य क्या हो सकता है?
मैं फिर एक बार आप सबको ये अनेक विकास के प्रकल्प और अब तो वंदे भारत ट्रेन में दिल्ली तक की गति तेज हो रही है, तब आपको बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
दोनों हाथ ऊपर करके मेरे साथ बोलिए-
भारत माता की जय !
भारत माता की जय !
भारत माता की जय !
बहुत-बहुत धन्यवाद।