जिस नॉर्थ ईस्ट में हिंसा की वजह से हजारों लोग अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए थे, अब यहां उन लोगों को पूरे सम्मान और मर्यादा के साथ बसने की नई सुविधाएं दी जा रही हैं: प्रधानमंत्री मोदी
हमने नॉर्थ ईस्ट के अलग-अलग क्षेत्रों के भावनात्मक पहलू को समझा, उनकी उम्मीदों को समझा, यहां रह रहे लोगों से बहुत अपनत्व के साथ, उन्हें अपना मानते हुए संवाद कायम किया: पीएम मोदी
विकास के चौतरफा हो रहे कार्यों ने ‘अलगाव’ को ‘लगाव’ में बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय....

भारत माता की जय....

भारत माता की जय....

मंच पर विराजमान असम के राज्‍यपाल, संसद में मेरे साथी, विभिन्‍न बोर्ड और संगठनों से जुड़े नेतागण यहां उपस्थित NDFB के विभिन्‍न गुटों के साथीगण, यहां आए सम्‍मानीय महानुभव और विशाल संख्‍या में हमें आशीर्वाद देने के लिए आए हुए मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनों।

मैं असम बहुत बार आया हूं। यहां पर भी आया हूं। इस पूरे क्षेत्र में मेरा यहां आना-जाना कई वर्षों से रहा, कई दशकों से रहा। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी बार-बार आपके दर्शन के लिए आता रहा हूं। लेकिन आज जो उत्साह, जो उमंग मैं आपके चेहरे पर देख रहा हूं, वो यहां के 'आरोनाई' और 'डोखोना' के रंगारंग माहौल से भी अधिक संतोष देने वाला है।

सार्वजनिक जीवन में, राजनीतिक जीवन में बहुत रैलियां देखी हैं, बहुत रैलियों को संबोधित किया है लेकिन जीवन में कभी भी इतना विशाल जनसागर देखने का सौभाग्‍य नहीं मिला था। जो लोग राजनीतिक जीवन के पंडित हैं, वो जरूर इसके विषय में कभी न कभी कहेंगे कि आजादी के बाद की हिंदुस्‍तान की सबसे बड़ी कोई Political Rally हुई तो आज ये विक्रम आपने प्रस्‍थापित कर दिया है, ये आपके कारण हुआ है। मैं हैलीकाप्‍टर से देख रहा था, हैलीकाप्‍टर से भी कहीं नजर पहुंचाओ लोग ही लोग दिख रहे थे। मैं तो देख रहा था उस ब्रिज पर कितने लोग खड़े हैं कहीं कोई गिर जाएगा तो मुझे दुख होगा इतने लोग खड़े हैं।

भार्इयो और बहनों आप इतनी बड़ी तादाद में जब आशीर्वाद देने आए हैं, इतनी बड़ी तादाद में यहां की माताएं-बहनें आशीर्वाद देने आई हैं। तो मेरा विश्‍वास थोड़ा और बढ़ गया है। कभी-कभी लोग कहते हैं डंडा मारने की बाते करते हैं लेकिन जिस मोदी को इतनी बड़ी मात्रा में माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच मिला हो उस पर कितने ही डंडे गिर जाए उसको कुछ नहीं होता। मैं आप सबको नमन करता हूं। माताओं-बहनों, मेरे भाईयो-बहनों, मेरे नौजवानों, मैं आज दिल की गहराई से आपको गले लगाने आया हूं, असम के मेरे प्‍यारे भाईयो-बहनों को एक नया विश्‍वास देने के लिए आया हूं। कल पूरे देश ने देखा है किस प्रकार से गांव-गांव आपने मोटर साइकिल पर रैलियां निकाली, पूरे क्षेत्र में दीप-दीए जलाकर के दिवाली मनाई। शायद दिवाली के समय भी इतने दीए जलते होंगे कि नहीं जलते होंगे वो मुझे आश्‍चर्य होता है। मैं कल देख रहा था सोशल मीडिया में भी चारों तरफ आपने जो दीए जलाए उसके दृश्‍य टीवी में, सोशल मीडिया में भरपूर नजर आ रहे थे। सारा हिंदुस्‍तान आप ही की चर्चा कर रहा था। भाईयो-बहनों, ये कोई हजारों, लाखों दीए जलाने की घटना नहीं है बल्कि देश के इस महत्‍वपूर्ण भू-भाग में एक नई रोशनी, नए उजाले की शुरुआत हुई है।

भाईयो-बहनों, आज का दिन उन हज़ारों शहीदों को याद करने का है, जिन्होंने देश के लिए अपने कर्तव्य पथ पर जीवन बलिदान किया। आज का दिन बोडोफा उपेंद्रनाथ ब्रह्मा जी, रूपनाथ ब्रह्मा जी, जैसे यहां के सक्षम नेतृत्‍व के योगदान को याद करने का है, उनको नमन करने का है। आज का दिन, इस समझौते के लिए बहुत सकारात्मक भूमिका निभाने वाले All Bodo Students Union (ABSU), National Democratic Front of Bodoland (NDFB) से जुड़े तमाम युवा साथियों, BTC के चीफ श्री हगरामा माहीलारे और असम सरकार की प्रतिबद्धता आप सब न सिर्फ मेरी त‍रफ से अभिनंदन के अधिकारी हैं लेकिन पूरे हिंदुस्‍तान की तरफ से अभिनंदन के अधिकारी हैं। आज 130 करोड़ हिंदुस्‍तानी आपको बधाई दे रहे हैं। आपका  अभिनंदन कर रहे हैं, आपका धन्‍यवाद कर रहे हैं।

साथियों, आज का दिन आप सभी बोडो साथियों का इस पूरे क्षेत्र, हर समाज और यहां के गुरुओं, बौद्धिकजनों, कला, साहित्‍यकारों के प्रयासों को celebrate करने का ये अवसर है। गौरवगान करने का अवसर है। आप सभी के सहयोग से ही स्‍थायी शांति का, permanent peace का ये रास्‍ता निकल पाया है। आज का दिन असम सहित पूरे नॉर्थ-ईस्ट के लिए 21वीं सदी में एक नई शुरुआत, एक नए सवेरे का, एक नई प्रेरणा को Welcome करने का अवसर है। आज का दिन संकल्‍प लेने का है कि विकास और विश्‍वास की मुख्‍यधारा को मजबूत करना है। अब हिंसा के अंधकार को इस धरती पर लौटने नहीं देना है। अब इस धरती पर किसी भी मां के बेटे का, किसी भी मां के बेटी का, किसी भी बहन के भाई का, किसी भी भाई की बहन का खून नहीं गिरेगा, हिंसा नहीं होगी। आज मुझे वो माताएं भी आशीर्वाद दे रही हैं। वो बहनें भी मुझे आशीर्वाद दे रही हैं जिनका बेटा जंगलों में कंधे में बंदूक उठाकर भटकता रहता था। कभी मौत के साए में जीता था। आज वो अपनी मां की गोद में अपना सर रखकर के चैन की नींद सो पा रहा है। मुझे उस मां के आशीर्वाद मिल रहे हैं, उस बहन के आशीर्वाद मिल रहे हैं। कल्‍पना कीजिए इतने दशकों तक दिन रात गोलियां चलती रही थी। आज उस जिंदगी से मुक्ति का रास्‍ता खुल गया है। मैं न्यू इंडिया के नए संकल्पों में आप सभी का, शांतिप्रिय असम का, शांति और विकास प्रिय नॉर्थ-ईस्ट का दिल की गहराइयों से स्वागत करता हूं, अभिनंदन करता हूं।

साथियों, नॉर्थ-ईस्ट में शांति और विकास का नया अध्‍याय जुड़ना बहुत ऐतिहासिक है। ऐसे समय में और ये बहुत ही सुखद संयोग है कि जब देश महात्‍मा गांधी जी का 150वां जयंती वर्ष मना रहा हो तब इस ऐतिहासिक घटना की घटना की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। और ये सिर्फ हिंदुस्‍तान की नहीं दुनिया के लिए हिंसा का रास्‍ता छोड़ करके अंहिसा का रास्‍ता चुनने के लिए  एक प्रेरणा स्‍थल आज बनी है। महात्‍मा गांधी कहते थे कि अहिंसा के मार्ग पर चलकर हमें जो भी प्राप्‍त होता है वो सभी को स्वीकार होता है। अब असम में अनेक साथियों ने शांति और अहिंसा का मार्ग स्वीकार करने के साथ ही, लोकतंत्र को स्वीकार किया है, भारत के संविधान को सर आखों पर बिठाया है।

साथियों, मुझे बताया गया है कि आज जब कोकराझार में इस ऐतिहासिक शांति समझौते को सेलिब्रेट करने के लिए हम जुटे हैं, तब गोलाघाट में श्रीमंत शंकरदेव संघ का वार्षिक सम्मेलन भी चल रहा है।

मोई मोहापुरुख श्रीमंतो होंकोर देवोलोई गोभीर प्रोनिपात जासिसु।

मोई लोगोत ओधिबेखोन खोनोरु होफोलता कामना कोरिलों !!

(मैं महापुरुष शंकरदेव की जी को नमन करता हूं। मैं अधिवेशन की सफलता की कामना करता हूं।)

भाईयो और बहनों श्रीमंत शंकरदेव जी ने असम की भाषा और साहित्य को समृद्ध करने के साथ-साथ पूरे भारत को, पूरे भारत को, पूरे विश्व को आदर्श जीवन जीने का मार्ग दिखाया।

ये शंकरदेव जी ही थे, जिन्होंने असम सहित पूरे विश्व को कहा कि-

सत्य शौच अहिंसा शिखिबे समदम।

सुख दुख शीत उष्ण आत हैब सम ।।

यानि सत्य, शौच, अहिंसा, शम, दम आदि की शिक्षा प्राप्त करो। सुख, दुख, गर्मी, सर्दी को सहने के लिए खुद को तैयार करो। उनके इन विचारों में व्यक्ति के खुद के विकास के साथ ही समाज के विकास का भी संदेश निहित है। आज दशकों बाद इस पूरे क्षेत्र में व्यक्ति के विकास का, समाज के विकास का यही मार्ग सशक्त हुआ है।

भाईयो और बहनों मैं बोडो लैंड मूवमेंट का हिस्सा रहे सभी लोगों का राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होने पर बहुत-बहुत स्वागत करता हूं। पाँच दशक बाद पूरे सौहार्द के साथ बोडो लैंड मूवमेंट से जुड़े हर साथी की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को सम्मान मिला है। हर पक्ष ने मिलकर स्‍थायी शांति के लिए समृद्धि और विकास के लिए हिंसा के सिलसिले पर पूर्णविराम लगाया है। मैं देश को ये भी जानकारी देना चाहता हूं क्‍योंकि मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनों ये पूरा हिंदुस्‍तान इस अवसर को देख रहा है। सारे टीवी चैनल आज अपने कैमरा आप पर लगाए बैठे हैं। क्‍योंकि आपने एक नया इतिहास रचा है। हिंदुस्‍तान में एक नया विश्‍वास पैदा किया है। शांति के रास्‍ते को एक ताकत दी है आप लोगों ने।

भाईयो और बहनो, मैं आप सबको अभिनंदन देना चाहता हूं कि अब इस आंदोलन से जुड़ी प्रत्येक मांग समाप्त हो गई है। अब उसे पूर्णविराम मिल चुका है। 1993 में जो समझौता हुआ था, 2003 में जो समझौता हुआ था, उसके बाद पूरी तरह शांति स्थापित नहीं हो पाई थी। अब केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो आंदोलन से जुड़े संगठनों ने जिस ऐतिहासिक अकॉर्ड पर सहमति जताई है, जिस पर साइन किया है, उसके बाद अब कोई मांग नहीं बची है और अब विकास ही पहली प्राथमिकता है और आखिरी भी वही है।

साथियों, मुझ पर भरोसा करना मैं आपका, आपके दुख-दर्द, आपके आशा-अरमान, आपकी आंकाक्षाएं, आपके बच्‍चों का उज्‍ज्‍वल भविष्‍य मुझसे जो सकेगा उसको करने में, मैं कभी पीछे नहीं हटूंगा। क्‍योंकि मैं जानता हूं बंदूक छोड़ करके, बम और पिस्‍तौल का रास्‍ता छोड़ करके जब आप लौट कर आए हैं, कैसी परिस्थितियों में आप आए होंगे ये मैं जानता हूं। अंदाज लगा सकता हूं और इसलिए इस शांति के रास्‍ते पर एक कांटा भी अगर आपको चुभ न जाए इसकी चिंता मैं करूंगा। क्‍योंकि ये शांति का रास्‍ता एक प्रेम का आदर का रास्‍ता, ये अहिंसा का रास्‍ता आप देखना पूरा आसाम आपके दिलों को जीत लेगा। पूरा हिंदुस्‍तान आपके दिलों को जीत लेगा। क्‍योंकि आपने रास्‍ता सही चुना है।

साथियों, इस अकॉर्ड का लाभ बोडो जनजाति के साथियों के साथ ही दूसरे समाज के लोगों को भी होगा। क्योंकि इस समझौते के तहत बोडो टैरिटोरियल काउंसिल के अधिकारों का दायरा बढ़ाया गया है, अधिक सशक्त किया गया है। इस समझौते में सभी की जीत हुई है और सबसे बड़ी बात है शांति की जीत हुई है, मानवता की जीत हुई है। अभी आपने खड़े होकर के, ताली बजा करके मेरा सम्‍मान किया, मैं चाहता हूं कि आप खड़े होकर के एक बार फिर ताली बजाएं, मेरे लिए नहीं, शांति के लिए मेरे लिए नहीं, शांति के लिए मैं आप सबका बहुत आभारी हूं।       

अकॉर्ड के तहत BTAD में आने वाले क्षेत्र की सीमा तय करने के लिए कमीशन भी बनाया जाएगा। इस क्षेत्र को 1500 करोड़ रुपए का स्पेशल डेवलपमेंट पैकेज मिलेगा, जिसका बहुत बड़ा लाभ कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदालगुड़ि जैसे जिलों को भी मिलेगा। इसका सीधा मतलब कि है बोडो जनजाति के हर अधिकार का बोडो संस्‍कृति का विकास सुनिश्चित होगा, संरक्षण सुनिश्चित होगा। इस समझौते के बाद इस क्षेत्र में राजनीतिक, आर्थिक, शै‍क्षणिक हर प्रकार की प्रगति होने वाली है।

मेरे भाईयो और बहनों, अब सरकार का प्रयास है कि असम अकॉर्ड की धारा-6 को भी जल्द से जल्द लागू किया जाए। मैं असम के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि इस मामले से जुड़ी कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद केंद्र सरकार और त्वरित गति से कार्रवाई करेगी। हम लटकाने-भटकाने वाले लोग नहीं हैं। हम जिम्‍मेवारी लेने वाले स्‍वभाव के लोग हैं। इसलिए अनेक सालों से आसाम की जो बात लटकी पड़ी थी, अटकी पड़ी थी, भटका दी गई थी उसको भी हम पूरा करके रहेंगे।    

साथियों, आज जब बोडो क्षेत्र में, नई उम्मीदों, नए सपनों, नए हौसले का संचार हुआ है, तो आप सभी की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। मुझे पूरा विश्वास है कि Bodo Territorial Council अब यहां के हर समाज को साथ लेकर, कोई भेदभाव नहीं, सबको साथ लेकर विकास का एक नया मॉडल विकसित करेगी। मुझे ये जानकर भी प्रसन्‍नता हुई है कि असम सरकार ने बोडो भाषा और संस्‍कृति को लेकर कुछ बड़े फैसले लिए हैं और बड़ी योजनाएं भी बनाई हैं। मैं राज्‍य सरकार को हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन देता हूं। बोडो टेरिटोरियल काउंसिल, असम सरकार और केंद्र सरकार, अब तीनों साथ मिलकर, सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास को एक नया आयाम देंगे। भाईयो-बहनों इससे असम भी सशक्त होगा और एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना भी और मजबूत होगी।

साथियों, 21वीं सदी का भारत अब ये दृढ़ निश्चय कर चुका है कि अब हमें अतीत की समस्याओं में उलझकर नहीं रहना है। आज देश मुश्किल से मुश्किल चुनौतियों का समाधान चाहता है। देश के सामने कितनी ही चुनौतियां रही हैं जिन्हें कभी राजनीतिक वजहों से, कभी सामाजिक वजहों से, नजरअंदाज किया जाता रहा है। इन चुनौतियों ने देश के भीतर अलग-अलग क्षेत्रों में हिंसा, अस्थिरता, अविश्‍वास को बढ़ावा दिया है।

दशकों से देश में ऐसे ही चल रहा था।  नॉर्थ ईस्ट का विषय तो ऐसा माना जाता था जिसे कोई हाथ लगाने के लिए भी तैयार नहीं था। आंदोलन हो रहे हैं, होने दो, ब्लॉकेड हो रहे हैं, होने दो, हिंसा हो रही है, किसी तरह काबू में कर लो, बस यही अप्रोच नॉर्थ ईस्ट के विषय में था। मैं मानता हूं कि इस अप्रोच ने उत्‍तर-पूर्व के हमारे कुछ भाई-बहनों को इतना दूर कर दिया था, .... इतना दूर कर दिया था कि उनका संविधान और लोकतंत्र में विश्‍वास खोने लगा था। बीते दशकों में नॉर्थ ईस्ट में हजारों निर्दोष मारे गए, हजारों सुरक्षाकर्मी शहीद हुए, लाखों बेघर हुए, लाखों कभी ये देख ही नहीं पाए कि विकास का मतलब क्या होता है। ये सच्चाई, पहले की सरकारें भी जानती थीं, समझती थीं, स्वीकार भी करती थीं लेकिन इस स्थिति में बदलाव कैसे हो, इस बारे में बहुत मेहनत कभी नहीं की गई। इतने बड़े झंझट में कौन हाथ लगाए, जैसे चल रहा है चलने दो, यही सोचकर लोग रह जाते थे।

भाइयों और बहनों, जब राष्ट्रहित ही सर्वोपरि हो तो फिर परिस्थितियों को ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता था। नॉर्थ ईस्ट का पूरा विषय संवेदनशील था इसलिए हमने नई अप्रोच के साथ काम करना शुरू किया। हमनें नॉर्थ ईस्ट के अलग-अलग क्षेत्रों के भावनात्‍मक पहलू को समझा, उनकी उम्‍मीदों को समझा। यहां रह  रहे लोगों से बहुत अपनत्‍व के साथ, उन्‍हें अपना मानते हुए संवाद कायम किया। हमने विश्‍वास पैदा किया। उन्‍हें पराया नहीं माना, न आपको पराया माना, न आपके नेताओं को पराया माना, अपना माना। आज इसी का नतीजा है कि जिस नॉर्थ ईस्ट में औसतन हर साल एक हजार से ज्यादा लोग उग्रवाद की वजह से अपनी जान गंवाते थे, अब यहां लगभग पूरी तरह शांति है और उग्रवाद समाप्ति की ओर है।

जिस नॉर्थ ईस्ट में लगभग हर क्षेत्र में Armed Forces Special Power Act लगा हुआ था, अब हमारे आने के बाद यहां त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश का ज्यादातर हिस्सा AFSPA से मुक्त हो चुका है। जिस नॉर्थ ईस्ट में उद्यमी निवेश के लिए तैयार नहीं होता था, Investment के लिए नहीं होता था। अब यहां निवेश होना शुरू हुआ है, नये उद्यम शुरू हुए हैं।

जिस नॉर्थ ईस्ट में उद्यमी निवेश के लिए तैयार नहीं होते थे, अब यहां निवेश होना शुरू हुआ है, नए उद्यम शुरू हुए हैं। जिस नॉर्थ ईस्ट में अपने-अपने होमलैंड को लेकर लड़ाइयां होती थीं, अब यहां एक भारत-श्रेष्ट भारत की भावना मजबूत हुई है। जिस नॉर्थ ईस्ट में हिंसा की वजह से हजारों लोग अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए थे, अब यहां उन लोगों को पूरे सम्मान और मर्यादा के साथ बसने की नई सुविधाएं दी जा रही हैं। जिस नॉर्थ ईस्ट में देश के बाकी हिस्से के लोग जाने से डरते थे, अब उसी को अपना Next Tourist Destination बनाने लगे हैं।

साथियों,ये परिवर्तन कैसे आया? क्या सिर्फ एक दिन में आया? जी नहीं। ये पाँच साल के अथक परिश्रम का नतीजा है। पहले नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को Recipient के तौर पर देखा जाता था। आज उनको विकास के ग्रोथ इंजन के रूप में देखा जा रहा है। पहले नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को दिल्‍ली से बहुत दूर समझा जाता था। पहले नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को दिल्ली से बहुत दूर समझा जाता था, आज दिल्ली आपके दरवाजे पर आकर के आपके सुख दुख को ढूंढ रही है। और मुझे ही देखिए..... मुझे अपने बोडो साथियों से, असम के लोगों से बात करनी थी तो मैंने दिल्‍ली से बैठ कर संदेश नहीं भेजा बल्कि आपके बीच आकर आपकी आंखों में आंखे मिलाकर के, आपके आशीर्वाद लेकर के आज मैं आपसे जुड़ रहा हूं। अपनी सरकार के मंत्रियों के लिए तो बाकायदा मैंने रोस्टर बनाकर हमने ये सुनिश्चित किया है कि हर 10-15 दिन में केंद्र सरकार का कोई न कोई मंत्री नॉर्थ ईस्ट अवश्य जाए। रात को रूकेगा, लोगो को मिलेगा, समस्‍याओं का समाधान करेगा। यहां आकर कर करेगा ये हमनें करके दिखाया। हमारे साथियों ने प्रयास किया कि वो ज्यादा से ज्यादा समय यहां बिताएं, ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलें, उनकी समस्याएं समझें, सुलझाएं। मैं और मेरी सरकार निरंतर आपके बीच आकर, आपकी समस्याओं को जान रहे हैं, सीधे आपसे फीडबैक लेकर केंद्र सरकार की जरूरी नीतियां बना रहे हैं।

साथियों, 13वें वित्त आयोग के दौरान नॉर्थ ईस्ट के 8 राज्यों को मिलाकर 90 हजार करोड़ रुपए से भी कम मिलते थे। चौदहवें वित्त आयोग में हमारे आने के बाद ये बढ़कर लगभग 3 लाख करोड़ रुपए मिलना तय हुआ है। कहां 90 हजार और कहां 3 लाख करोड़ रुपया।

पिछले तीन-चार वर्षों में नॉर्थ ईस्ट में 3000 किलोमीटर से ज्यादा सड़कें बनाई गई हैं। नए नेशनल हाईवे स्वीकृत किए गए हैं। नॉर्थ ईस्ट के पूरे रेल नेटवर्क को ब्रॉडगेज में बदला जा चुका है। पूर्वोत्तर में नए एयरपोर्ट्स का निर्माण और पुराने एयरपोर्ट्स के मॉर्डनाइजेशन का काम भी तेजी से चल रहा है।

नॉर्थ ईस्ट में इतनी नदियां है, इतना व्‍यापक जल संसाधन है, नॉर्थ ईस्ट में इतनी नदियां हैं, इतना व्यापक जल संसाधन है, लेकिन 2014 तक यहां केवल एक वॉटर-वे था... एक। पानी से भरी हुई 365 दिन बहने वाली नदिया कोई देखने वाला नहीं था। अब यहां एक दर्जन से ज्यादा वॉटर-वे पर काम हो रहा है। पूर्वोत्‍तर के यूथ ऑफ एजूकेशन, स्किल और स्पोर्ट्स के नए संस्थानों से मजबूत करने पर भी ध्यान दिया गया है। इसके अलावा, नॉर्थ ईस्ट के students के लिए दिल्ली और बेंगलुरू में नए हॉस्टल्स बनाने का भी काम हुआ है।

साथियों, रेलवे स्‍टेशन हों, नए रेलवे रूट हों, नए एयरपोर्ट हों, नए वाटर-वे हों, या फिर Internet connectivity आज जितना काम नॉर्थ ईस्ट में हो रहा है। उतना पहले कभी नहीं हुआ। हम दशकों पुराने लटके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के साथ ही, नए प्रोजेक्ट्स को भी तेज गति से पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। तेजी से पूरे होते ये प्रोजेक्ट्स नॉर्थ ईस्ट में कनेक्टिविटी सुधारेंगे, टूरिज्म सेक्टर मजबूत करेंगे और रोजगार के लाखों नए अवसर भी बनाएंगे। अभी पिछले ही महीने, नॉर्थ ईस्ट के आठ राज्यों में चलने वाली गैस ग्रिड परियोजना के लिए करीब-करीब 9 हजार करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं।

साथियों, इन्फ्रास्ट्रक्चर सिर्फ सीमेंट और कंक्रीट का जंगल नहीं होता। इसका मानवीय प्रभाव है और इससे लोगों को ऐसा लगता है कि कोई उनकी परवाह करता है। जब बोगीबील पुल जैसे दशकों से लटके अनेक प्रोजेक्ट पूरे होने से लाखों लोगों को कनेक्टिविटी मिलती है, तब उनका सरकार पर विश्वास बढ़ता है। भरोसा बढ़ता है, यही वजह है कि विकास के चौतरफा हो रहे कार्यों ने अलगाव को लगाव में बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है अब अलगाव नहीं, सिर्फ लगाव और जब लगाव होता है। जब लगाव होता है, जब प्रगति सभी के लिए समान रूप से पहुंचने लगती है, तो लोग एक साथ काम करने के लिए भी तैयार हो जाते हैं। जब लोग एक साथ काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं, तो बड़े से बड़े मुद्दे भी हल हो जाते हैं।

साथियों, ऐसा ही एक मुद्दा है ब्रू-रियांग जनजातियों के पुनर्वास का। कुछ दिन पहले ही त्रिपुरा और मिज़ोरम के बीच अधर में जीने के लिए मजबूर ब्रू-रियांग जनजातियों के पुनर्वास का ऐतिहासिक समझौता हुआ है। करीब ढाई दशक बाद हुए इस समझौते से हज़ारों परिवारों को अब अपना स्थाई घर, स्थाई पता मिलना निश्चित हुआ है। ब्रू-रियांग जनजातीय समाज के इन साथियों को ठीक से बसाने के लिए सरकार द्वारा एक विशेष पैकेज दिया जाएगा।

साथियों, आज देश में हमारी सरकार की ईमानदार कोशिशों की वजह से ये भावना विकसित हुई है कि सबके साथ में ही देश का हित है। इसी भावना से, कुछ दिन पहले ही गुवाहाटी में 8 अलग-अलग गुटों के लगभग साढ़े 6 सौ कैडर्स उन्‍होंने हिंसा का रास्‍ता छोड़ करके शांति का रास्ता चुना है। इन कैडर्स ने आधुनिक हथियार, बड़ी मात्रा में विस्फोटक और गोलियों के साथ अपने आपको सरेंडर कर दिया। अहिंसा को सरेंडर कर दिया। अब इन्हें केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत rehabilitate किया जा रहा है।

साथियों, पिछले साल ही नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा और सरकार के बीच एक समझौता हुआ और मैं समझता हूं कि समझौता भी बहुत महत्वपूर्ण कदम था। NLFT पर 1997 से ही प्रतिबंध लगा हुआ था। बरसों तक ये संगठन हिंसा का मार्ग अपनाता रहा था। हमारी सरकार ने वर्ष 2015 में NLFT से बातचीत करना शुरू की थी। उनको विश्‍वास में लेने का प्रयास किया। बीच में कुछ लोगों को रखकर के मदद ली। इसके कुछ समय बाद ये लोग भी जो बम-बंदूक, पिस्‍तौल में ही विश्‍वास रखते थे... सब कुछ छोड़ दिया और हिंसा फैलानी बंद कर दी थी। निरंतर प्रयास के बाद पिछले साल 10 अगस्त को हुए समझौते के बाद ये संगठन हथियार छोड़ने और भारत के संविधान का पालन करने के लिए तैयार हो गया, मुख्‍यधारा में आ गए। इस समझौते के बाद NLFT के दर्जनों कैडर्स ने आत्मसमर्पण कर दिया था।

भाइयों और बहनों, वोट के लिए, राजनीतिक हित के लिए मुद्दों को, मुश्किलों को बनाए रखने और उनको टालते रहने का एक बड़ा नुकसान असम और नॉर्थ ईस्ट को हुआ है, देश को हुआ है।

साथियों, रोडे अटकाने की, रूकावट डालने की असुविधा पैदा करने की इस राजनीति के माध्‍यम से देश के विरूद्ध काम करने वाली एक मानसिकता पैदा की जा रही है। जो विचार, जो प्रवत्ति, जो राजनीति ऐसी मानसिकता को प्रोत्‍साहित करती है। ऐसे लोग न तो भारत को जानते हैं, और न ही असम को समझते हैं। असम का भारत से जुड़ाव दिल से है, आत्मा से है। असम श्रीमंत शंकरदेव जी की संस्‍कारों को जीता है। श्रीमंत शंकरदेव जी जी कहते हैं-

कोटि-कोटि जन्मांतरे जाहार, कोटि-कोटि जन्मांतरे जाहार

आसे महा पुण्य राशि, सि सि कदाचित मनुष्य होवय, भारत वरिषे आसि !!

यानि जिस व्यक्ति ने अनेक जन्मों से निरंतर पुण्य कमाया है, वही व्यक्ति इस भारत देश में जन्म लेता है। ये भावना असम के कोने-कोने में, असम के कण-कण में, असम के जन-जन में है। इसी भावना के चलते भारत के स्वतंत्रता संघर्ष से लेकर भारत के नवनिर्माण में असम ने अपना खून और पसीना बहाया है। ये भूमि आज़ादी के लिए त्याग-तपस्या करने वालों की भूमि है। मैं आज असम के हर साथी को ये आश्वस्त करने आया हूं, कि असम विरोधी, देश विरोधी हर मानसिकता को, इसके समर्थकों को, देश न बर्दाश्त करेगा, न कभी देश माफ करेगा।

साथियों, यही ताकतें हैं जो पूरी ताकत से असम और नॉर्थ ईस्ट में भी अफवाहें फैला रही हैं कि सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट - CAA से यहां, बाहर के लोग आ जाएंगे, बाहर से लोग आकर बस जाएंगे। मैं असम के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि ऐसा भी कुछ भी नहीं होगा।

भाइयों और बहनों, मैंने असम में लंबे समय तक यहां के लोगों के बीच में एक सामान्य भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में काम किया है। छोटे-छोटे इलाकों में मैंने दौरा किया हुआ हैं और अपने प्रवास के दौरान जब अपने साथियों के साथ बैठता था, चलते जाते, तो हमेशा भारत रत्न भूपेन हज़ारिका जी के लोकप्रिय गीत की पंक्तियां मैं यहां के साथियों से अक्सर सुनता था। और भूपेन हज़ारिका मेरा कुछ विशेष लगाव भी है उनके साथ। उसका कारण है कि मेरा जन्‍म गुजरात में हुआ। और भूपेन हज़ारिका भारत रत्‍न भूपेन हज़ारिका मेरे गुजरात के दामाद हैं। इसका भी हमें गर्व है। और उनके बेटे, उनके बच्‍चे आज भी गुजराती बोलते हैं और इसलिए गर्व होता है। और जब मैं सुनता था कि.... 

गोटई जीबोन बिसारिलेउ, अलेख दिवख राती,

अहम देहर दरे नेपाऊं, इमान रहाल माटी ।।

असम जैसा प्रदेश, असम जैसी माटी, यहां के लोगों जितना अपनापन मिलना वाकई अपने आप में बड़े भाग्य की बात है। मुझे पता है कि यहां के अलग-अलग समाज के लोग, संस्कृति, भाषा-भूषा, खान-पान कितने समृद्ध हैं। आपकी Aspirations, आपके सुख-दुख, हर बात की भी मुझे पूरी जानकारी है। जिस प्रकार आपने सारे भ्रम समाप्त कर, सारी मांगे समाप्त कर, बोडो समाज से जुड़े साथी साथ आए हैं, मुझे उम्मीद है कि अन्य लोगों के भी सारे भ्रम बहुत जल्द खत्म हो जाएंगे।

साथियों, बीते 5 वर्ष में भारत के इतिहास और वर्तमान में असम के योगदान को पूरे देश में पहुंचाने का काम हुआ है। पहली बार राष्ट्रीय मीडिया में असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट की कला-संस्कृति, यहां के युवा टैलेंट, यहां के Sporting Culture को पूरे देश और दुनिया में प्रमोट किया गया है। आपका स्नेह, आपका आशीर्वाद, मुझे निरंतर आपके हित में काम के लिए प्रेरित करता रहेगा। ये आशीर्वाद कभी बेकार नहीं जाएंगे क्‍योंकि आपके आशीर्वाद की ताकत तो बहुत बड़ी है। आप अपने सामर्थ्य पर विश्वास रखें, अपने इस साथी पर विश्वास रखें और मां कामाख्या की कृपा पर विश्वास रखें। मां कामाख्या की आस्था और आशीर्वाद हमें विकास की नई ऊंचाइयों की ले जाएगा।

साथियों, गीता में भगवान कृष्ण ने, पांडवों से कहा था और बहुत बड़ी महत्‍वपूर्ण बात और वो भी युद्ध की भूमि में कहा था, हाथ में शस्‍त्र थे, शस्‍त्र और अस्‍त्र चल रहे थे। उस युद्ध की भूमि से भगवान श्री कृष्ण ने कहा था, गीता में कहा है कि-

निर्वैरः सर्वभूतेषु यः स मामेति पाण्डव।।

यानि किसी भी प्राणी से वैर न रखने वाला व्यक्ति ही मेरा है।

सोचिए, महाभारत के उस ऐतिहासिक युद्ध में भी भगवान कृष्ण का यही संदेश था- किसी से बैर मत करो, किसी से दुश्मनी मत करो।

देश में बैर-भाव की थोड़ी सी भी भावना लिए व्यक्ति से मैं यही कहूंगा कि बैर की भावना छोड़िए, दुश्मनी की भावना छोड़िए।

आप विकास की मुख्यधारा में आइए, सबके साथ से, सबका विकास करिए। हिंसा से न कभी कुछ हासिल हुआ है, न कभी आगे भी हासिल होने की संभावना है।

साथियों, एक बार फिर बोडो साथियों को, असम और नॉर्थ ईस्ट को मैं आज बहुत बहुत बधाई देता हूं। और शुभकामनाओं के साथ फिर एक बार ये विशाल जन सागर, ये दृश्य जीवन में मैं नहीं जानता हूं की देखने को मिलेगा या नहीं मिलेगा, ये संभव ही नहीं लगता है। शायद हिंदुस्तान के किसी राजनेता को ऐसा आशीर्वाद प्राप्‍त करने का सौभाग्‍य न पहले मिलेगा न भविष्‍य में मिलेगा कि नहीं मिलेगा मैं कह नहीं सकता। मैं अपने आपको बहुत बड़ा भाग्‍यवान मानता हूँ। आप इतना प्यार इतना आशीर्वाद बरसा रहे है।

यही आशीर्वाद यही प्रेम मेरी प्रेरणा है। यही मुझे देश के लिए आपके लिए दिन रात कुछ न कुछ करते रहने की ताकत देता है। मैं आप लोगो का जितना आभार व्‍यक्‍त करूं, आप लोगो का जितना अभिनन्दन करू, उतना कम है। अब फिर एक बार अहिंसा का रास्ता चुनने के लिए शस्‍त्रों को छोड़ने के लिए, ये जो नौजवान आगे आएं हैं। आप विश्वास रखें आपके नए जीवन की शुरुआत हो चुकी है। पूरे देश के आशीर्वाद आप पर है। 130 करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद आप पर है। और मैं North East  में, नक्सल इलाके में, जम्मू कश्मीर  में अभी भी जिनका बंदूक में, गन में पिस्तौल में अभी भी भरोसा है, उनको मैं कहता हूँ आइये मेरे बोड़ो के नौजवानो से कुछ सीखिए। मेरे बोड़ो के नौजवानो से प्रेरणा लीजिये लौट आइये, वापिस लौट आइये, मुख्य धारा में आइए, जीवन जी कर के जिंदगी का जश्न मनाइए इसी एक अपेक्षा के साथ फिर एक बार इस धरती को प्रणाम करते हुए, इस धरती के लिए जीने वाले ऐसे महापुरुषों को प्रणाम करते हुए आप सबको वंदन करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं, मैं अपनी बात को समाप्त करता हूं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!!

भारत माता की जय....

पूरी ताकत से बोलिए, 130 करोड़ देशवासियों के दिलों को छू जाए ऐसी आवाज निकालिए.... 

भारत माता की जय....

भारत माता की जय....

भारत माता की जय....

भारत माता की जय....

भारत माता की जय....

महात्‍मा गांधी अमर रहे, अमर रहे

महात्‍मा गांधी अमर रहे, अमर रहे

महात्‍मा गांधी अमर रहे, अमर रहे

बहुत-बहुत धन्‍यवाद आपका।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।