प्रधानमंत्री ने NEIGRIHMS, शिलॉन्ग में 7,500वें जनऔषधि केंद्र को राष्ट्र को समर्पित किया।
जन औषधि योजना सेवा और रोजगार दोनों का माध्यम बन रही है : प्रधानमंत्री मोदी
आज दुनिया हमारी Traditional Medicine का लोहा मानने लगी है : प्रधानमंत्री मोदी
आप मेरे परिवार हैं और आपकी बीमारी मेरे परिवार के सदस्यों की बीमारी है, इसीलिए मैं चाहता हूं कि मेरे सभी देशवासी स्वस्थ रहें : प्रधानमंत्री

इस कार्यक्रम में मेरे साथ जुड़े केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्री डी.वी.सदानंद गौड़ा जी, श्री मनसुख मांडविया जी, श्री अनुराग ठाकुर जी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी, मेघालय के मुख्यमंत्री श्री कोर्नाड के. संगमा जी, डिप्टी सीएम श्री प्रेस्टोन तिन्सॉन्ग जी, गुजरात के डिप्टी सीएम भाई नितिन पटेल जी, देशभर से जुड़े जनऔषधि केंद्र संचालक, लाभार्थी महोदय, चिकित्सक और मेरे भाइयों और बहनों!

जनऔषधि चिकित्सक, जनऔषधि ज्योति, और जनऔषधि सारथी, ये तीन प्रकार के महत्‍वपूर्ण award प्राप्‍त करने वाले, सम्मान पाने वाले सभी साथियों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं!!

साथियों,

जनऔषधि योजना को देश के कोने-कोने में चलाने वाले और इसके कुछ लाभार्थियों से आज मुझे बातचीत करने का अवसर मिला। और जो चर्चा हुई है, उससे स्पष्ट है कि ये योजना गरीब और विशेष करके मध्यम वर्गीय परिवारों की बहुत बड़ी साथी बन रही है। ये योजना सेवा और रोज़गार दोनों का माध्यम बन रही है। जनऔषधि केंद्रों में सस्ती दवाई के साथ-साथ युवाओं को आय के साधन भी मिल रहे हैं।

विशेषरूप से हमारी बहनों को, हमारी बेटियों को जब सिर्फ ढाई रुपए में सेनिटेरी पैड्स उपलब्ध कराए जाते हैं, तो इससे उनके स्वास्थ्य पर एक सकारात्मक असर पड़ता है। अब तक 11 करोड़ से ज्यादा सैनिटरी नैपकिन्स इन केन्द्रो पर बिक चुके हैं। इसी तरह 'जनऔषधि जननी' इस अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी पोषण और सप्लिमेंट्स भी अब जनऔषधि केन्द्रों पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, एक हजार से ज्यादा जनऔषधि केंद्र तो ऐसे हैं जिन्हें महिलाएं ही चला रही हैं। यानि जनऔषधि योजना बेटियों की आत्मनिर्भरता को भी बल दे रही है।

भाइयों और बहनों,

इस योजना से पहाड़ी क्षेत्रों में, नॉर्थ ईस्ट में, जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले देशवासियों तक सस्ती दवा देने में भी मदद मिल रही है। आज भी जब 7500वें केंद्र का लोकार्पण किया गया है तो वो शिलॉन्ग में हुआ है। इससे स्पष्ट है कि नॉर्थ ईस्ट में जनऔषधि केंद्रों का कितना विस्तार हो रहा है।

साथियों,

7500 के पड़ाव तक पहुंचना इसलिए भी अहम है क्योंकि 6 साल पहले तक देश में ऐसे 100 केंद्र भी नहीं थे। और हम हो सके उतना जल्‍दी, तेज़ी से 10 हज़ार का टारगेट पार करना चाहते हैं। मैं आज राज्‍य सरकारों से, विभाग के लोगों से एक आग्रह करूंगा। आजादी के 75 साल, हमारे सामने महत्‍वपूर्ण अवसर है। क्‍या हम ये तय कर सकते हैं कि देश के कम से कम 75 जिले ऐसे होंगे जहां पर 75 से ज्‍यादा जनऔषधि केन्‍द्र होंगे और वे आने वाले कुछ ही समय में हम कर देंगे। आप देखिए कितना बड़ा फैलाव बढ़ता जाएगा।

उसी प्रकार से उसका लाभ लेने वालों की संख्‍या का भी लक्ष्‍य तय करना चाहिए। अब एक भी जनऔषधि केन्‍द्र ऐसा न हो कि जिसमें आज जितने लोग आते हैं, उसकी संख्‍या दो गुनी-तीन गुनी न हो। इन दो चीजों को ले करके हमें काम करना चाहिए। ये काम जितना जल्दी होगा, देश के गरीब को उतना ही लाभ होगा। ये जनऔषधि केंद्र हर साल गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के लगभग 36 सौ करोड़ रुपए बचा रहे हैं, और ये रकम छोटी नहीं है जो पहले महंगी दवाओं में खर्च हो जाते थे। यानी अब इन परिवारों के 35 सौ करोड़ रुपये परिवार के अच्‍छे कामों के लिए और अधिक उपयोगी होने लगे हैं।

साथियों,

जनऔषधि योजना का तेज़ी से प्रसार हो इसके लिए इन केन्द्रों का incentive भी ढाई लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया गया है। इसके अलावा दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और पूर्वोत्तर के लोगों के लिए 2 लाख रुपए का incentive अलग से दिया जा रहा है। ये पैसा उन्हें अपना स्टोर बनाने, उसके लिए जरूरी फ़र्नीचर वगैरह लाने में मदद करता है। इन अवसरों के साथ ही इस योजना से फार्मा सेक्टर में संभावनाओं का एक नया आयाम भी खुला है।

भाइयों और बहनों,

आज made in India दवाइयों और सर्जिकल्स की मांग बढ़ी है। मांग बढ़ने से production भी बढ़ रहा है। इससे भी बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं। मुझे खुशी है कि अब 75 आयुष दवाएं जिसमें होम्‍योपेथी होती हैं, आयुर्वेद होता है, उसको भी जनऔषधि केन्द्रों में उपलब्ध कराये जाने का फैसला लिया गया है। आयुष दवाएं सस्ते में मिलने से मरीजों का फायदा तो होगा ही, साथ ही इससे आयुर्वेद और आयुष मेडिसिन के क्षेत्र को भी बहुत बड़ा लाभ होगा।

साथियों,

लंबे समय तक देश की सरकारी सोच में स्वास्थ्य को सिर्फ बीमारी और इलाज का ही विषय माना गया। लेकिन स्वास्थ्य का विषय सिर्फ बीमारी से मुक्ति, इतना नहीं है और इलाज तक भी सीमित नहीं है, बल्कि ये देश के पूरे आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करता है। जिस देश की आबादी, जिस देश के लोग- पुरुष हो, स्‍त्री हो, शहर के हों, गांव के हों, बुजुर्ग हों, छोटे हों, नौजवान हों, बच्‍चे हों- वो जितने ज्‍यादा स्‍वस्‍थ होते हैं, उतना वो राष्‍ट्र भी समर्थ होता है। उनकी ताकत बहुत उपयोगी होती है। देश को आगे बढ़ाने में, ऊर्जा बढ़ाने में काम आती है।

इसलिए हमने इलाज की सुविधा बढ़ाने के साथ ही उन बातों पर भी जोर दिया जो बीमारी की वजह बनती हैं। जब देश में स्वच्छ भारत अभियान चलाते हैं, जब देश में करोड़ों शौचालयों का निर्माण होता है, जब देश में मुफ्त गैस कनेक्शन देने का अभियान चलता है, जब देश में आयुष्मान भारत योजना घर-घर पहुंच रही है, मिशन इंद्रधनुष हो, पोषण अभियान चला, तो इसके पीछे यही सोच थी। हमने हेल्थ को लेकर टुकड़ों-टुकड़ों में नहीं बल्कि एक संपूर्णता की सोच के साथ, एक holistic तरीके से काम किया।

 

हमने योग को दुनिया में नई पहचान दिलाने के लिए प्रयास किए। आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पूरी दुनिया मना रही है और बड़े चाव से मना रही है, जी-जान से मना रही है। आप देखिए कितने बड़े गर्व की बात होती है जब हमारे काढ़े, हमारे मसालों, हमारे आयुष के समाधानों की चर्चा करने से पहले जो कभी हिचकते थे वो आज गर्व के साथ एक-दूसरे को कहते हैं ये लीजिए। आजकल हमारी हल्‍दी का export इतना बढ़ गया है कि कोरोना के बाद दुनिया को लगा कि भारत के पास बहुत कुछ है।

आज दुनिया भारत का लोहा मान रही है। हमारी परंपरागत का traditional medicine का लोहा मानने लगी है। हमारे यहां खाने में जो चीजें कभी बहुत उपयोगी होती थीं जैसे रागी, कोर्रा, कोदा, जवार, बाजरा, ऐसे दर्जनों मोटे अनाजों की हमारे देश में समृद्ध परंपरा है। जब पिछली बार मैं कर्नाटक का मेरा प्रवास था तो हमारे वहां के मुख्‍यमंत्री येदुरप्‍पा जी ने मोटे अनाज का एक बहुत बड़ा शो रखा था। और इतने प्रकार के मोटे अनाज जो छोटे-छोटे किसान पैदा करते हैं, उसकी इतनी पोष्टिकता है, बड़े अच्‍छे से उसको उन्‍होंने प्रदर्शित किया था। लेकिन हम जानते हैं इन पौष्टिक अनाजों को देश में उतना प्रोत्साहित नहीं किया गया। एक प्रकार से ये तो गरीबों का है, ये तो जिसके पास पैसे नहीं वो खाता है, ये मानसिकता बन गई थी।

लेकिन आज अचानक स्थिति बदल गई है। और स्थिति बदलने के लिए हमने लगातार प्रयास किया है। आज मोटे अनाजों को ना सिर्फ प्रोत्साहित किया जा रहा है, बल्कि अब भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को International Year of Millets भी घोषित किया है। ये मोटा अनाज Millets पर फोकस से देश को पौष्टिक अन्न भी मिलेगा और हमारे किसानों की आय भी बढ़ेगी। और अब तो फाइव स्‍टार होटल में भी लोग ऑर्डर करते समय कहते हैं कि हमें वो मोटे अनाज की फलानी चीज खानी है। धीरे-धीरे क्‍योंकि सबको लगने लगा है कि मोटा अनाज शरीर के लिए बहुत उपयोगी है।

और अब तो यूएन ने माना है, दुनिया ने माना है, 2023 में पूरी दुनिया एक वर्ष के रूप में उसको मनाने वाली है। और इसका सबसे बड़ा लाभ हमारे छोटे किसानों को होने वाला है क्‍योंकि मोटा अनाज वहीं पैदा होता है। वही लोग मेहनत करके निकालते हैं।

 

साथियों,

बीते वर्षों में इलाज में आने वाले हर तरह के भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया गया है, इलाज को हर गरीब तक पहुंचाया गया है। ज़रूरी दवाओं को, चाहे हार्ट स्टेंट्स की बात हो, knee सर्जरी से जुड़े उपकरणों की बात हो, उसकी कीमतों को कई गुना कम कर दिया गया है। इससे लोगों को सालाना करीब साढ़े 12 हजार करोड़ रुपए की बचत हो रही है।

आयुष्मान योजना ने देश के 50 करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया है। इसका लाभ अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग ले चुके हैं। अनुमान है कि इससे भी लोगों को करीब 30 हजार करोड़ रुपए की बचत हुई है। यानि जनऔषधि, आयुष्मान, स्टेंट औऱ अन्य उपकरणों की कीमत घटने से हो रही बचत को अगर हम जोड़ें, सिर्फ स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी हुई बातों की मैं बात कर रहा हूं...तो आज मध्‍यम वर्ग का सामान्‍य परिवार का करीब-करीब 50 हज़ार करोड़ रुपया हर साल बच रहा है।

साथियों,

भारत दुनिया की फार्मेसी है, ये सिद्ध हो चुका हे। दुनिया हमारी Generic दवाएं लेती है, लेकिन हमारे यहां ही उनके प्रति एक प्रकार से उदासीनता रही, प्रोत्साहित नहीं किया गया। अब हमने उस पर बल दिया है। हमने Generic दवाओं पर जितना जोर लगा सकते हैं लगाया ताकि सामान्‍य मानवी का पैसा बचना चाहिए और बीमारी भी जानी चाहिए।

कोरोना काल में दुनिया ने भी भारत की दवाओं की शक्ति को अनुभव किया है। यही स्थिति हमारी वैक्सीन इंडस्ट्री की थी। भारत के पास अनेक बीमारियों की वैक्सीन बनाने की क्षमता थी लेकिन ज़रूरी प्रोत्साहन की कमी थी। हमने इंडस्ट्री को प्रोत्साहित किया और आज भारत में बने टीके हमारे बच्चों को बचाने के काम आ रहे हैं।

 

साथियों,

देश को आज अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है कि हमारे पास मेड इन इंडिया वैक्सीन अपने लिए भी है और दुनिया की मदद करने के लिए भी है। हमारी सरकार ने यहां भी देश के गरीबों का, मध्यम वर्ग का विशेष ध्यान रखा है। आज सरकारी अस्पतालों में कोरोना का फ्री टीका लगाया जा रहा है। प्राइवेट अस्पतालों में दुनिया में सबसे सस्ता यानि सिर्फ 250 रुपए का टीका लगाया जा रहा है। हर दिन लाखों साथियों को भारत का अपना टीका लग रहा है। नंबर आने पर मैं भी अपनी पहली डोज लगवा चुका हूं।

साथियों,

देश में सस्ता और प्रभावी इलाज होने के साथ-साथ पर्याप्त मेडिकल स्टाफ की उपलब्धता भी उतनी ही आवश्यक है। इसलिए हमने गांव के अस्पतालों से लेकर मेडिकल कॉलेज और AIIMS जैसे संस्थानों तक, एक integrated approach के साथ काम शुरु किया है। गांवों में डेढ़ लाख Health and Wellness Centre बनाए जा रहे हैं, जिनमें से 50 हज़ार से ज्यादा सेवा देना शुरु भी कर चुके हैं। ये सिर्फ खांसी-बुखार के सेंटर नहीं हैं, बल्कि यहां गंभीर बीमारियों के परीक्षण की सुविधाएं देने का भी प्रयास है। पहले जिन छोटे-छोटे टेस्ट को कराने के लिए शहरों तक पहुंचना पड़ता था, वो टेस्ट अब इन Health and Wellness Centre पर उपलब्ध हो रहे हैं।

साथियों,

 

इस वर्ष के बजट में स्वास्थ्य के लिए अभूतपूर्व बढ़ोतरी की गई है और स्वास्थ्य के संपूर्ण समाधानों के लिए प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना की घोषणा की गई है। हर जिले में जांच केंद्र, 600 से ज्यादा जिलों में क्रिटिकल केयर अस्पताल जैसे अनेक प्रावधान किए गए हैं। आने वाले समय में कोरोना जैसी महामारी हमें इतना परेशान ना करे, इसके लिए देश के Health Infrastructure में सुधार के अभियान को गति दी जा रही है।

हर तीन लोकसभा केंद्रों के बीच एक मेडिकल कॉलेज बनाने पर काम चल रहा है। बीते 6 सालों में करीब 180 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए हैं। 2014 से पहले जहां देश में लगभग 55 हज़ार MBBS सीटें थीं, वहीं 6 साल के दौरान इसमें 30 हज़ार से ज्यादा की वृद्धि की जा चुकी है। इसी तरह PG सीटें भी जो 30 हज़ार हुआ करती थीं, उनमें 24 हज़ार से ज्यादा नई सीटें जोड़ी जा चुकी हैं।

साथियों,

 

हमारे शास्त्रों में कहा गया है-

'नात्मार्थम् नापि कामार्थम्, अतभूत दयाम् प्रति'

अर्थात, औषधियों का, चिकित्सा का ये विज्ञान जीव मात्र के प्रति करुणा के लिए है। इसी भाव के साथ, आज सरकार की कोशिश ये है कि मेडिकल साइंस के लाभ से कोई भी वंचित ना रहे। इलाज सस्ता हो, इलाज सुलभ हो, इलाज सर्वजन के लिए हो, इसी सोच के साथ आज नीतियां और कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं।

 

प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना का नेटवर्क तेज़ी से फैले, ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे, इसी कामना के साथ मैं आप सभी का बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं और जिन परिवारों में बीमारी है, जिन्‍होंने जनऔषिध का लाभ लिया है, उनसे मैं कहूंगा कि आप अभी अधिकतम लोगों को जनऔषिध का लाभ लेने के लिए प्रेरित करें। हर दिन लोगों को समझाइए। आप भी इस बात को फैलाकर उसकी मदद कीजिए, उसकी सेवा कीजिए। और आप स्‍वस्‍थ रहें, दवाई के साथ-साथ जीवन में कुछ अनुशासन का पालन भी बीमारी में बहुत जरूरी होता है उस पर पूरा ध्‍यान दीजिए।

मेरी आपके स्वास्थ्य लिए हमेशा ये कामना रहेगी, मैं चाहूंगा कि मेरे देश का हर नागरिक, क्‍योंकि आप मेरे परिवार के सदस्‍य हैं, आप ही मेरा परिवार हैं। आपकी बीमारी यानी मेरे परिवार की बीमारी है। और इसलिए मैं चाहता हूं मेरे देश के सभी नागरिक स्‍वस्‍थ रहें। उसके लिए स्‍वच्‍छता की जरूरत है वहां स्‍वच्‍छता रखें, भोजन में नियमों का पालन करना है- भोजन में नियमों का पालन करें। जहां योग की आवश्‍यकता है योग करें। थोड़ा-बहुत एक्‍सरसाइज करें, कोई Fit India Movement से जुड़ें। कुछ न कुछ हम शरीर के लिए करते रहें, जरूर बीमारी से बचेंगे और बीमारी आ गई तो जनऔषिध हमें बीमारी से लड़ने की ताकत देगी।

इसी एक अपेक्षा के साथ मैं फिर से एक बार आप सभी का बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं और सभी को बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद !

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।