नमस्‍कार,

कैसे हैं आप सब?

मुझे बताया गया कि आप में से कई लोग आज बहुत दूर-दूर से लंबा सफर तय करके यहां आए हुए हैं। मैं आप सभी में भारत की संस्‍कृति, एकता और बंधुत्‍व के भाव का दर्शन कर रहा हूं। आपका ये स्‍नेह मैं कभी भूल नहीं सकता। आपके इस प्‍यार के लिए, इस उत्‍साह और उमंग के लिए मुझे पूरा विश्‍वास है, जो लोग हिन्‍दुस्‍तान में इन खबरों को देखते होंगे उनका भी सीना गर्व से भर गया होगा।

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साथियो,

आज का दिन एक और वजह से भी जाना जाता है। आज 26 जून है। जो डेमोक्रेसी हमारा गौरव है, जो डेमोक्रेसी हर भारतीय के डीएनए में है। आज से 47 साल पहले इसी समय उस डेमोक्रेसी को बंधक बनाने, डेमोक्रेसी को कुचलने का प्रयास किया गया था। आपातकाल का कालखंड इमरजेंसी भारत के वाइब्रेंट डेमोक्रेटिक इतिहास में एक काले धब्बे की तरह है। लेकिन इस काले धब्बे पर सदियों से चली आ रही लोकतांत्रिक परंपराओं की श्रेष्ठता भी पूरी शक्ति के साथ विजयी हुई, लोकतांत्रि‍क पंरपराएं इन हरकतों के लिए भारी पड़ी है।

भारत के लोगों ने लोकतंत्र को कुचलने की सारी साजिशों का जवाब लोकतांत्रिक तरीके से ही दिया। हम भारतीय कहीं भी रहें अपनी डेमोक्रेसी पर गर्व करते हैं। हर हिन्‍दुस्‍तानी गर्व से कह सकता है कि भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। लोकतंत्र का हजारों वर्षों का हमारा इतिहास आज भी भारत के कोने-कोने में जीवंत है। इतनी सारी भाषाएं, इतनी सारी बोलियां, इतने अलग-अलग तरह के रहन-सहन के साथ भारत की डेमोक्रेसी वाइब्रेंट है, हर नागरिक का विश्‍वास है, उसकी आशा है और प्रत्‍येक नागरिक के जीवन को सशक्‍त कर रही है।

भारत ने दिखाया है कि इतने विशाल और इतनी विविधता भरे देश में डेमोक्रेसी कितने बेहतर तरीके से डिलिवर कर रही है। जिस तरह करोड़ों भारतीयों ने मिलकर बड़े-बड़े लक्ष्य हासिल किए हैं, वो अभूतपूर्व है। आज भारत का हर गांव open defecation free है। आज भारत के हर गांव तक बिजली पहुंच चुकी है। आज भारत का लगभग हर गांव सड़क मार्ग से जुड़ चुका है। आज भारत के 99 पर्सेंट से ज्‍यादा लोगों के पास clean cooking के लिए गैस कनेक्‍शन है। आज भारत का हर परिवार बैंकिंग व्‍यवस्‍था से जुड़ा हुआ है। आज भारत के हर गरीब को पांच लाख रुपये मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्‍ध है।

कोरोना के इस समय में भारत पिछले दो साल से 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त अनाज सुनिश्चित कर रहा है। इतना ही नहीं, आज भारत में औसतन हर दस दिन में, आज स्‍टार्टअप की दुनिया है ना, हर दस दिन में एक यूनिकॉर्न बन रहा है। आज भारत में हर महीने औसतन 5 हजार पेटेंट फाइल होते हैं। आज भारत ह‍र महीने औसतन 500 से अधिक आधुनिक रेलवे कोच बना रहा है। आज भारत हर महीने औसतन 18 लाख घरों को पाइप वॉटर सप्‍लाई से जोड़ रहा है- नल से जल। भारतीयों के संकल्‍पों की ये सिद्धियों की ये लिस्‍ट बहुत लंबी है। मैं अगर बोलता जाऊंगा तो आपके डिनर का टाइम हो जाएगा।

साथियो,

कोई देश जब समय पर सही फैसले लेकर, सही नीयत से, सभी को साथ लेकर चलता है तो उसका तेजी से विकास होना निश्चित है। आप सभी इस बात से परिचित हैं कि पिछली शताब्‍दी में तीसरी औद्योगिक क्रान्ति का जर्मनी और अन्‍य देशों ने कितना लाभ उठाया। भारत उस समय गुलाम था। और इसलिए वो इस दौड़ में बहुत पीछे रह गया। लेकिन आज 21वीं सदी का भारत चौथी औद्योगिक क्रान्ति में industry 4.0 में पीछे रहने वालों में नहीं बल्कि इस औद्योगिक क्रान्ति का नेतृत्‍व करने वालों में से एक है।

Information technology में, digital technology में भारत अपना परचम लहरा रहा है। दुनिया में हो रहे Real Time Digital Payments में से 40 percent transaction भारत में हो रहे हैं। आज भारत Data consumption में नए रिकॉर्ड बना रहा है। भारत उन देशों में है जहां डेटा सबसे सस्‍ता है। 21वीं सदी के नए भारत में लोग जितनी तेजी से नई टेक्‍नोलॉजी अपना रहे हैं वो किसी को भी हैरान कर सकती है।

कोरोना वैक्‍सीन लगवाने के लिए, वेक्‍सीनेशन सर्टिफिकेट पाने के लिए बनाए गए कोविन पोर्टल पर करीब 110 करोड़ रजिस्‍ट्रेशन हुए हैं। कोरोना संक्रमण की tracking के लिए बनाए गए एक विशेष एप आरोग्‍य सेतु से आज करीब 22 करोड़ भारतीय जुड़े हुए हैं। सरकार द्वारा खरीदारी करने के लिए बनाए गए गवर्मेंट ई-मार्केट प्‍लेस यानी GEM से करीब 50 लाख विक्रेता जुड़े हुए हैं। आज 12 से 15 लाख भारतीय ट्रेन से आने-जाने के लिए हर रोज 12 से 15 लाख टिकट ऑनलाइन बुक करा रहे हैं।

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आज भारत में ड्रोन टेक्‍नोलॉजी का जिस तरह इस्‍तेमाल हो रहा है वो अभूतपूर्व है। आप जान करके हैरान रह जाएंगे कि अब देश के अनेक क्षेत्रों में ड्रोन से फर्टिलाइजर का छिड़काव होने लगा है। भारत में सरकार ने एक योजना शुरू की है- स्‍वामित्‍व योजना। इस योजना के तहत देश के लाखों गांवों में जमीन की मैपिंग, घरों की मैपिंग का काम ड्रोन ही कर रहे हैं। इस अभियान के द्वारा करोड़ों नागरिकों को property certificate दिए जा रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं के समय, राहत और बचाव के समय भी ड्रोन टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल भारत में लगातार बढ़ रहा है।

साथियो,

आज का भारत- होता है, चलता है, ऐसे ही चलेगा- उस मानसिकता से बाहर निकल चुका है दोस्‍तों। आज के भारत की पहचान है- करना है, करना ही है और समय पर करना है। इस संकल्‍प के साथ हिन्‍दुस्‍तान चल रहा है। भारत अब तत्‍पर है, तैयार है, अधीर है। भारत अधीर है प्रगति के लिए, विकास के लिए, भारत अधीर है अपने सपनों के लिए, अपने सपनों को संकल्‍प ले करके सिद्धि तक पहुंचाने के लिए अधीर है। भारत आज अपने सामर्थ्‍य में भरोसा करता है, अपने-आप में भरोसा करता है।

इसलिए आज हम पुराने रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं और नए लक्ष्‍य हासिल कर रहे हैं। आप किसी भी क्षेत्र में देखिए, मैं एक उदाहरण देता हूं आपको। भारत ने 2016 में तय किया था कि 2030 तक हमारी कुल बिजली उत्‍पादन क्षमता का 40 प्रतिशत Non fossil fuel से होगा। अभी 2030 से हम आठ साल दूर हैं लेकिन भारत ये लक्ष्‍य हासिल कर चुका है। हमने पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल ब्‍लैंडिंग का टारगेट रखा था। ये लक्ष्‍य भी देश ने डेड लाइन से पांच महीने पहले ही हासिल कर लिया है।

भारत में कोविड वैक्‍सीनेशन के स्‍पीड और स्‍केल से भी आप भलीभांति प‍रिचित हैं। आज भारत में 90 पर्सेंट adults को वैक्‍सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं। 95 पर्सेंट adults ऐसे हैं जो कम से कम एक डोज ले चुके हैं। ये वही भारत है जिसके बारे में कुछ लोग कह रहे थे कि सवा अरब आबादी को वैक्‍सीन लगाने में 10-15 साल लग जाएंगे। आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो भारत में वैक्‍सीन डोज का आंकड़ा 196 करोड़ यानी 1.96 बिलियन को पार कर चुका है। मेड इन इंडिया वैक्‍सीन ने भारत के साथ ही दुनिया के करोड़ों लोगों की कोरोना से जान बचाई है।

साथियो,

मुझे याद है कि साल 2015 में जब मैं जर्मनी आया था तो स्‍टार्टअप इंडिया अभियान एक आइडिया के स्‍तर पर था, शब्‍द कान में पड़ते थे। तब स्‍टार्टअप दल में भारत का कोई नामोनिशान नहीं था, कोई जानता ही नहीं था। आज भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्‍टार्टअप इकोसिस्‍टम है। एक समय था जब भारत साधारण से साधारण स्‍मार्टफोन भी बाहर से मंगाता था। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा mobile phone manufacturer है और अब भारत में बने मोबाइल दुनिया भर में जा रहे हैं। सात-आठ साल पहले जब मैं आप जैसे साथियों से चर्चा करता था तो हमारी biotech economy 10 बिलियन डॉलर यानी 75 हजार करोड़ रुपये की हुआ करती थी। आज ये 8 गुना अधिक बढ़कर 80 बिलियन डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपये को पार कर चुकी है।      

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साथियो,

मुश्किल से मुश्किल हालातों में भी भारत के लोगों का हौसला ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। साथियो, पिछले साल हमने अब तक का highest export किया है। ये इस बात का सबूत है कि एक ओर हमारे manufacturers नए अवसरों के लिए तैयार हो चुके हैं, वहीं दुनिया भी हमें उम्‍मीद और विश्‍वास से देख रही है। बीते ही वर्ष भारत ने 111 बिलियन डॉलर्स यानी 8 लाख 30 हजार करोड़ रुपये के इंजीनियरिंग गुड्स का एक्‍सपोर्ट किया है। भारत के कॉटन और हैंडलूम प्रॉडक्‍ट्स के निर्यात में भी 55 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

भारत में manufacturing को बढ़ाने के लिए सरकार ने करीब 2 लाख करोड़ रुपये की production linked incentive पीएलआई स्‍कीम भी शुरू की है। अगले साल हम अपने एक्‍सपोर्ट टारगेट को और भी बढ़ाना चाहते हैं और आप लोग इसमें काफी मदद भी कर सकते हैं। इसी तरह हमारा एफडीआई इनफ्लो, विदेशी निवेश भी साल-दर-साल नए रिकॉर्ड बना रहा है।

सा‍थियो,

जब किसी देश के नागरिक सबका प्रयास की भावना के साथ, जनभागीदारी की भावना के साथ राष्‍ट्रीय संकल्‍पों को सिद्ध करने में जुट जाते हैं तो उन्‍हें दुनिया की बड़ी-बड़ी शक्तियों का भी साथ मिलने लग जाता है। आज हम देख रहे हैं कि किस तरह दुनिया की बड़ी शक्तियां भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहती हैं। अपने देशवासियों की संकल्‍प शक्ति से आज भारत प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है। हमारे लोगों के संकल्‍पों से, उनकी भागीदारी से भारत के प्रयास आज जन-आंदोलन बन रहे हैं। यही है जो मुझे देश के भविष्‍य के लिए आश्‍वस्‍त करता है, भरोसा देता है।

उदाहरण के तौर पर, दुनिया में ऑर्गेनिक फार्मिंग जैसे शब्‍द चर्चा का‍ विषय बने हुए हैं। लेकिन भारत के किसान खुद आगे आकर इसे जमीन पर उतार रहे हैं। इसी तरह क्‍लाइमेट चेंज, आज ये भारत में केवल सरकारी पॉलिसीज का मुद्दा नहीं है। भारत का युवा ईवी और ऐसी ही दूसरी pro-climate technology में invest कर रहा है। Sustainable climate practices आज भारत के सामान्‍य से सामान्‍य मानवी के जीवन का हिस्‍सा बन रही है।

2014 तक भारत में खुले में शौच एक बड़ी समस्‍या थी लेकिन हमने देश में 10 करोड़ से ज्‍यादा शौचालय बनवाए। आज स्‍वच्‍छता भारत में जीवन-शैली बन रही है। भारत के लोग, भारत के युवा देश को स्वच्‍छ रखना अपना कर्तव्‍य समझ रहे हैं। आज भारत के लोगों को भरोसा कि उनका पैसा ईमानदारी से देश के लिए लग रहा है, भ्रष्‍टाचार की भेंट नहीं चढ़ रहा है। और इसलिए देश में कैश कम्‍पलॉयन्‍स तेजी से बढ़ रही है। ये किसी कानूनी प्रक्रिया के कारण नहीं है बल्कि स्‍वत: स्‍फूर्त जागरण से हो रहा है दोस्‍तों।

सा‍थियो,

हम सभी भारतीय इस साल अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहे हैं, अमृत महोत्‍सव मना रहे हैं। आजादी के 75वें वर्ष में भारत अभूतपूर्व inclusiveness और इससे प्रभावित होने वाले करोड़ों aspirations का गवाह बन रहा है। भारत आज अभूतपूर्व संभावनाओं से भरा है। भारत एक मजबूत सरकार के नेतृत्‍व में, एक स्थिर सरकार के नेतृत्‍व में, एक निर्णायक सरकार के नेतृत्‍व में नए सपने भी देख रहा है, नए संकल्‍प भी ले रहा है और संकल्‍पों को सिद्धि में परिवर्तित करने के लिए जी-जान से जुटा हुआ भी है। हमारी पॉलिसी स्‍पष्‍ट है और reforms के लिए भरपूर commitment है। पांच साल बाद हमें कहां पहुंचना है ये भी तय है और आने वाले 25 साल के लिए जब देश आजादी की शताब्‍दी मनाएगा, 25 साल के बाद हमें कहां पहुंचना है, 25 साल के लिए आत्‍मनिर्भरता का रोडमैप भी तैयार है।

सा‍थियो,

वो दिन चले गए ज‍ब दुनिया में कुछ होता था तो हम रोना रोते थे। भारत आज वैश्विक चुनौतियों का रोना रोने वाला देश नहीं है बल्कि भारत आज आगे बढ़कर इन चुनौतियों का समाधान दे रहा है। Coalition for Disaster Resilient Infrastructure (CDRI) के माध्‍यम से हम पूरी दुनिया को आपदाओं से लड़ने में सक्षम बनाना चाहते हैं। आज हम International Solar Alliance के जरिए दुनियाभर के देशों को एक मंच पर ला रहे हैं ताकि सस्‍ती और एनवायरमेंट फ्रेंडली एनर्जी का लाभ दुनिया को दे सकें। One Sun- One World- One Grid का सपना हमने दुनिया के सामने रखा है। इसके लाभ भारत ने बीते आठ वर्षों में खुद अनुभव भी किए हैं। भारत में सोलर पॉवर की रिकॉर्ड कैपिसिटी तो बिल्‍ड हुई ही है ये दो-ढाई रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से उपलब्‍ध है।

ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर भी जिस स्‍केल पर भारत काम कर रहा है, जर्मनी जैसे मित्र देशों के साथ साझेदारी कर रहा है तो उसमें भी मानवता का ही हित है। भारत में WHO Center for traditional medicine स्‍थापित होने से भारत दुनिया की प्राचीन चिकित्‍सा पद्धतियों का ग्‍लोबल सेंटर भी बन रहा है।

साथियो,

योग की ताकत क्‍या है ये तो आप भलीभांति जानते हैं। पूरी दुनिया को नाक पकड़वा दिया है।

साथियो,

आने वाली पीढ़ियों के लिए आज का नया भारत नई विरासत बनाने पर काम कर रहा है। नई विरासत बनाने के इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत हमारे नौजवान हैं, हमारे youth हैं। भारत के युवाओं को सशक्‍त करने के लिए 21वीं सदी की पहली एजुकेशन पॉलिसी लेकर हम आए हैं। पहली बार भारत में मातृभाषा में डॉक्‍टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई तक का विकल्‍प दिया गया है।

जर्मनी में रहने वाले आप सब लोग तो जानते हैं कि मातृभाषा में डॉक्‍टरी-इंजीनि‍यरिंग पढ़ने का कितना लाभ होता है। अब यही लाभ भारत के युवाओं को भी मिलेगा। नई एजुकेशन पॉलिसी में हायर एजुकेशन और रिसर्च के लिए ग्‍लोबल पार्टनरशिप पर भी बहुत अधिक फोकस है। इसका जिक्र आज मैं इसलिए भी कर रहा हूं क्‍योंकि इसमें जर्मनी के संस्‍थानों के लिए भी बहुत सारे अवसर बन रहे हैं।

साथियो,

बीते दशकों में आपने मेहनत से, अपने काम से भारत की सशक्‍त छवि यहां बनाई है। आजादी के अमृतकाल में यानी आने वाले 25 साल में आपसे अपेक्षाएं और बढ़ गई हैं। आप इंडिया की success story भी हैं और भारत की सफलताओं के brand ambassador भी हैं। और इसलिए मैं आप सब साथियों को, विश्‍वभर में फैले हुए मेरे भारतीय भाइयों-बहनों को हमेशा कहता हूं कि आप राष्‍ट्रदूत हैं। सरकारी व्‍यवस्‍था में एक-दो राजदूत होते हैं, मेरे तो करोड़ों राष्‍ट्रदूत हैं जो मेरे देश को आगे बढ़ा रहे हैं।

साथियो,

आप सबने जो प्‍यार दिया, जो आशीर्वाद दिए, जो उत्‍साह और उमंग के साथ इतना बड़ा शानदार कार्यक्रम बनाया, आप सबको मिलने का मुझे मौका‍ मिला। इसलिए मैं एक बार फिर आप सभी का बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। आप सब स्‍वस्‍थ रहिए, खुश-खुशहाल रहिए।

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

बहुत-बहुत धन्‍यवाद !

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भारत अपने किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा: पीएम मोदी
August 07, 2025
Quoteडॉ. स्वामीनाथन ने भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया: प्रधानमंत्री
Quoteडॉ. स्वामीनाथन ने जैव विविधता से आगे बढ़कर जैव-सुख की दूरदर्शी अवधारणा दी: प्रधानमंत्री
Quoteभारत अपने किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा: प्रधानमंत्री
Quoteहमारी सरकार ने किसानों की शक्ति को देश की प्रगति की आधारशिला के रूप में मान्यता दी है: प्रधानमंत्री
Quoteखाद्य सुरक्षा की विरासत पर निर्माण करते हुए, हमारे कृषि वैज्ञानिकों के लिए अगला लक्ष्य सभी के लिए पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है: प्रधानमंत्री

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी शिवराज सिंह चौहान जी, एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. सौम्या स्वामीनाथन जी, नीति आयोग के सदस्य डॉ. रमेश चंद जी, मैं देख रहा हूं स्वामीनाथन जी के परिवार से भी सभी जन यहां मौजूद हैं, मैं उनको भी प्रणाम करता हूं। सभी साइंटिस्ट्स, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनका योगदान किसी एक कालखंड तक सीमित नहीं रहता, किसी एक भू-भाग तक सीमित नहीं रहता। प्रोफेसर एम. एस. स्वामीनाथन ऐसे ही महान वैज्ञानिक थे, मां भारती के सपूत थे। उन्होंने विज्ञान को जनसेवा का माध्यम बनाया। देश की खाद्य सुरक्षा को, फूड सेक्योरिटी को उन्होंने अपने जीवन का ध्येय बना लिया। उन्होंने वो चेतना जागृत की, जो आने वाली कई सदियों तक भारत की नीतियां और प्राथमिकताओं को दिशा देती रहेगी। मैं आप सभी को स्वामीनाथन जन्मशताब्दी समारोह की शुभकामनाएं देता हूं।

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साथियों,

आज 7 अगस्त, नेशनल हैंडलूम डे भी है। पिछले 10 सालों में हैंडलूम सेक्टर को देशभर में नई पहचान और ताकत मिली है। मैं आप सभी को, हैंडलूम सेक्टर से जुड़े लोगों को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की बधाई देता हूं।

साथियों,

डॉ. स्वामीनाथन के साथ मेरा जुड़ाव कई वर्षों पुराना था। गुजरात की पहले की स्थितियां बहुत लोगों को पता हैं, पहले वहां सूखे और चक्रवात की वजह से कृषि पर काफी संकट रहता था, कच्छ का रेगिस्तान बढ़ता चला जा रहा था। जब मैं मुख्यमंत्री था, तो उसी दौरान हमने सॉयल हेल्थ कार्ड योजना पर काम शुरू किया। मुझे याद है, प्रोफेसर स्वामीनाथन ने उसमें बहुत ज्यादा इंटरेस्ट दिखाया था। उन्होंने खुले दिल से हमें सुझाव दिया, हमारा मार्गदर्शन किया। उनके योगदान से इस पहल को जबरदस्त सफलता भी मिली। करीब 20 साल हुए, जब मैं तमिलनाडु में उनके रिसर्च फाउंडेशन के सेंटर पर गया था। साल 2017 में मुझे उनकी लिखी किताब ‘द क्वेस्ट फॉर अ वर्ल्ड विदआउट हंगर’ उसको रिलीज करने का मौका मिला था। साल 2018 में जब वाराणसी में International Rice Research Institute के Regional Centre का उद्घाटन हुआ, तो भी उनका मार्गदर्शन हमें मिला। उनसे हुई हर मुलाकात मेरे लिए एक लर्निंग एक्सपीरियंस होती थी, उन्होंने एक बार कहा था, science is not just about discovery, but delivery. और उन्होंने इसे अपने कार्यों से सिद्ध किया। वो केवल रिसर्च नहीं करते थे, बल्कि खेती के तौर-तरीके बदलने के लिए किसानों को प्रेरित भी करते थे। आज भी भारत के एग्रीकल्चर सेक्टर में उनकी अप्रोच, उनके विचार हर तरफ नजर आते हैं। वो सही मायने में मां भारती के रत्न थे। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं कि डॉ. स्वामीनाथन को हमारी सरकार में भारत रत्न से सम्मानित करने का सौभाग्य मिला।

साथियों,

डॉ. स्वामीनाथन ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने का अभियान चलाया। लेकिन उनकी पहचान हरित क्रांति से भी आगे बढ़कर थी। वो खेती में chemical के बढ़ते प्रयोग और monoculture farming के खतरों से किसानों को लगातार जागरूक करते रहे। यानी एक तरफ वो ग्रेन प्रोडक्शन बढ़ाने का प्रयास कर रहे थे, और साथ ही उन्हें environment की, धरती मां की भी चिंता थी। दोनों के बीच संतुलन साधने और चुनौतियों का समाधान करने के लिए उन्होंने एवरग्रीन रेवोल्यूशन का कॉन्सेप्ट दिया। उन्होंने बायो-विलेज का कॉन्सेप्ट दिया, जिसके जरिए गांव के लोगों और किसानों का सशक्तिकरण हो सकता है। उन्होंने कम्युनिटी सीड बैंक, और अपॉरचुनिटी क्रॉप्स जैसे आइडियाज को बढ़ावा दिया।

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साथियों,

डॉ. स्वामीनाथन मानते थे कि क्लाइमेट चेंज और न्यूट्रीशन की चुनौती का हल उन्हीं फसलों में छुपा है, जिन्हें हमने भुला दिया है। ड्राउट- टॉलरेन्स और सॉल्ट टॉलरेन्स पर उनका फोकस था। उन्होंने मिलेट्स-श्रीअन्न पर उस समय काम किया, जब मिलेट्स को कोई पूछता नहीं था। डॉ. स्वामीनाथन ने वर्षों पहले ये सुझाव दिया था कि मैंग्रोव की जेनेटिक क्वालिटी को धान में ट्रांसफर किया जाना चाहिए। इससे फसलें भी जलवायु के अनुकूल बनेंगी। आज जब हम climate adaptation की बात करते हैं, तो महसूस होता है कि वो कितना आगे की सोचते थे।

साथियों,

आज दुनियाभर में बायोडायवर्सिटी को लेकर चर्चा होती है, इसे सुरक्षित रखने के लिए सरकारें अनेक कदम उठा रही हैं। लेकिन डॉ. स्वामीनाथन ने एक कदम आगे बढ़ते हुए बायोहैप्पीनेस का आइडिया दिया। आज हम यहां इसी आइडिया को सेलीब्रेट कर रहे हैं। डॉ. स्वामीनाथन कहते थे कि बायोडायवर्सिटी की ताकत से हम स्थानीय लोगों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं, local resources के इस्तेमाल से लोगों के लिए आजीविका के नए साधन बना सकते हैं। और जैसा उनका व्यक्तित्व था, अपने आइडियाज को वो जमीन पर उतारने में माहिर थे। अपने रिसर्च फाउंडेशन के द्वारा उन्होंने नई खोजों का लाभ किसानों तक पहुंचाने का निरंतर प्रयास किया। हमारे छोटे किसान, हमारे मछुआरे भाई-बहन, हमारे ट्राइबल कम्यूनिटी, इन सबको उनके प्रयासों से बहुत लाभ हुआ है।

साथियों,

आज मुझे इस बात की विशेष खुशी है कि प्रोफेसर स्वामीनाथन की विरासत को सम्मान देने के लिए एम. एस. स्वामीनाथन अवॉर्ड फॉर फूड एंड पीस शुरू हुआ है। ये इंटरनेशनल अवॉर्ड विकासशील देशों के उन व्यक्तियों को दिया जाएगा, जिन्होंने फूड सिक्योरिटी की दिशा में बड़ा काम किया है। फूड एंड पीस, भोजन और शांति का रिश्ता जितना दार्शनिक है, उतना ही प्रैक्टिकल भी है। हमारे यहां, उपनिषदों में कहा गया है- अन्नम् न निन्द्यात्, तद् व्रतम्। प्राणो वा अन्नम्। शरीरम् अन्नादम्। प्राणे शरीरम् प्रतिष्ठितम्। अर्थात्, हमें अन्न की, अनाज की अवहेलना या उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। प्राण अर्थात् जीवन, अन्न ही है।

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इसलिए साथियों,

अगर अन्न का संकट पैदा होता है, तो जीवन का संकट पैदा होता है। और जब हजारों लाखों लोगों के जीवन का संकट बढ़ता है, तो वैश्विक अशांति भी स्वभाविक है। इसलिए एम. एस. स्वामीनाथन अवॉर्ड फॉर फूड एंड पीस बहुत ही अहम है। मैं यह पहला अवार्ड पाने वाले नाइजीरिया के टैलेंटेड साइंटिस्ट प्रोफेसर आडेनले, उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

आज भारतीय कृषि जिस ऊंचाई पर है, वो देखकर डॉ. स्वामीनाथन जहां भी होंगे, उन्हें गर्व होता होगा। आज भारत दूध, दाल और जूट के प्रॉडक्शन में नंबर वन है। आज भारत चावल, गेहूं, कपास, फल और सब्ज़ी के उत्पादन में नंबर टू पर है। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फिश प्रोड्यूसर भी है। पिछले साल भारत ने अब तक का सबसे ज़्यादा food grain production किया है। ऑयल सीड्स में भी हम रिकॉर्ड बना रहे हैं। सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, सभी का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है।

साथियों,

हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों के, पशुपालकों के, और मछुवारे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा। और मैं जानता हूं व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। मेरे देश के किसानों के लिए, मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशुपालकों के लिए आज भारत तैयार है। किसानों की आय बढ़ाना, खेती पर खर्च कम करना, आय के नए स्रोत बनाना, इन लक्ष्यों पर हम लगातार काम कर रहे हैं।

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साथियों,

हमारी सरकार ने किसानों की ताकत को देश की प्रगति का आधार माना है। इसलिए बीते वर्षों में जो नीतियां बनीं, उनमें सिर्फ मदद नहीं थी, किसानों में भरोसा बढ़ाने का प्रयास भी था। पीएम किसान सम्मान निधि से मिलने वाली सीधी सहायता ने छोटे किसानों को आत्मबल दिया है। पीएम फसल बीमा योजना ने किसानों को जोखिम से सुरक्षा दी है। सिंचाई से जुड़ी समस्याओं को पीएम कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से दूर किया गया है। 10 हजार FPOs के निर्माण ने छोटे किसानों की संगठित शक्ति बढ़ाई है, Co-operatives, और self-help groups को आर्थिक मदद ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति दी है। e-NAM की वजह से किसानों को अपनी उपज बेचने की आसानी हुई है। PM किसान संपदा योजना ने नई फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, भंडारण के अभियान को भी गति दी है। हाल ही में पीएम धन धान्य योजना को भी मंजूरी दी गई है। इसके तहत उन 100 डिस्ट्रिक्ट को चुना गया है, जहां खेती पिछड़ी रही। यहां सुविधाएं पहुंचाकर, किसानों को आर्थिक मदद देकर खेती में नया भरोसा पैदा किया जा रहा है।

साथियों,

21वीं सदी का भारत विकसित होने के लिए पूरे जी-जान से जुटा है। और ये लक्ष्य, हर वर्ग, हर प्रोफेशन के योगदान से ही हासिल होगा। डॉ. स्वामीनाथन से प्रेरणा लेते हुए, अब देश के वैज्ञानिकों के पास एक बार फिर इतिहास रचने का मौका है। पिछली पीढ़ी के वैज्ञानिकों ने food security सुनिश्चित की। अब nutritional security पर फोकस करने की आवश्यकता है। हमें बायो-फोर्टिफाइड और न्यूट्रीशन से भरपूर फसलों को व्यापक स्तर पर बढ़ाना होगा, ताकि लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो। केमिकल का उपयोग कम हो, नैचुरल फार्मिंग को बढ़ावा मिले, इसके लिए हमें अधिक तत्परता दिखानी होगी।

साथियों,

क्लाइमेट चेंज से जुड़ी चुनौतियों से आप भली-भांति परिचित हैं। हमें climate-resilient crops की ज्यादा से ज्यादा वैरायटीज को विकसित करना होगा। ड्राउट-tolerant, heat-resistant और flood-adaptive फसलों पर फोकस करना होगा। फसल चक्र कैसे बदला जाए, किस मिट्टी के लिए क्या उपयुक्त है, उस पर अधिक रिसर्च होनी चाहिए। इसके साथ ही, हमें सस्ते सॉइल टेस्टिंग टूल्स और nutrient management के तरीके, उसको भी विकसित करने की आवश्यकता है।

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साथियों,

हमें solar-powered micro-irrigation की दिशा में और ज्यादा काम करने की आवश्कता है। ड्रिप सिस्टम और प्रिसिशन इरिगेशन को हमें ज्यादा व्यापक और असरदार बनाना होगा। क्या हम सैटेलाइट डेटा, AI और मशीन लर्निंग को जोड़ सकते हैं? क्या हम ऐसा सिस्टम बना सकते हैं, जो उपज का पूर्वानुमान दे सके, कीटों की निगरानी कर सके, और बुवाई के लिए गाइड कर सके? क्या हर जिले में ऐसा real-time decision support system पहुंचाया जा सकता है? आप सभी एग्री-टेक startups को भी निरंतर गाइड करते रहिए। आज बड़ी संख्या में innovative युवा खेती की समस्याओं का समाधान निकालने में जुटे हैं। अगर आप, जो अनुभवी लोग हैं, आप अगर लोग उन्हें गाइड करेंगे, तो उनके बनाए प्रोडक्ट ज्यादा प्रभावशाली होंगे, और यूजर फ्रेंडली होंगे।

साथियों,

हमारे किसान और हमारे किसान समुदायों के पास पारंपरिक ज्ञान का खजाना है। Traditional Indian agricultural practices, और modern science को जोड़कर एक holistic knowledge base तैयार किया जा सकता है। Crop diversification भी आज एक national priority है। हमें अपने किसानों को बताना होगा कि इसका क्या महत्व है। हमें समझाना होगा कि इससे क्या फायदे होंगे, साथ ही ये भी बताना होगा कि ऐसा ना करने पर क्या नुकसान होंगे। और इसके लिए आप बहुत बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं।

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साथियों,

पिछले साल जब मैं 11 अगस्त को यहां पूसा कैंपस में आया था, तो कहा था कि एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी को लैब से लैंड तक पहुंचाने के लिए प्रयास बढ़ाएं। मुझे खुशी है कि मई-जून के महीने में “विकसित कृषि संकल्प अभियान” चलाया गया। पहली बार देश के 700 से ज्यादा जिलों में वैज्ञानिकों की करीब 2200 टीमों ने भाग लिया, 60 हजार से ज्यादा कार्यक्रम किए, इतना ही नहीं, करीब-करीब सवा करोड़ जागरूक किसानों के साथ सीधा संवाद किया। हमारे वैज्ञानिकों का ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचने का ये प्रयास बहुत ही सराहनीय है।

साथियों,

डॉ.एम. एस. स्वामीनाथन ने हमें सिखाया था कि खेती सिर्फ फसल की नहीं होती, खेती लोगों की जिंदगी होती है। खेत से जुड़े हर इंसान की गरिमा, हर समुदाय की खुशहाली और प्रकृति की सुरक्षा, यही हमारी सरकार की कृषि नीति की ताकत है। हमें विज्ञान और समाज को एक धागे में जोड़ना है, छोटे किसान के हितों को सर्वोपरि रखना है, और खेतों में काम करने वाली महिलाओं को सशक्त करना है, Empower करना है। हम इसी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ें, डॉ. स्वामीनाथन की प्रेरणा हम सभी के साथ है। मैं एक बार फिर आप सभी को इस समारोह की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।