"देश नागरिक-केंद्रित शासन की दिशा में बढ़ रहा है"
"डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की नीतियां, उनके निर्णय, उनके संकल्प, उनके संकल्पों की सिद्धि, स्वतंत्र भारत को दिशा देने में बहुत अहम रहे"
"सरकार और उसकी सुविधाओं के लिए आसान पहुंच सुनिश्चित करना एक बड़ी प्राथमिकता है"
"सरकार के प्रोजेक्ट्स बरसों तक लटके नहीं, समय पर पूरे हों, सरकार की योजनाएं अपने लक्ष्यों तक पहुंचे, तभी देश के टैक्सपेयर का सम्मान है"
"वाणिज्य भवन के शिलान्यास के कालखंड से लेकर इसके उद्घाटन तक देश में परिवर्तनकारी प्रगति हुई है"
"किसी देश को विकासशील से बदल कर विकसित देश के दर्जे तक पहुंचाने में निर्यात की महत्वपूर्ण भूमिका है"

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री पीयूष गोयल जी, श्री सोमप्रकाश जी, श्रीमती अनुप्रिया पटेल जी, इंडस्ट्री और एक्सपोर्ट से जुड़े सभी साथी, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

नए भारत में Citizen Centric Governance के जिस सफर पर देश बीते 8 वर्षों से चल रहा है, आज उस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। देश को आज नया और आधुनिक वाणिज्य भवन और साथ ही निर्यात पोर्टल, ये दोनों एक नई भेंट मिल रही है। इन दोनों में से एक फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रतीक है। ये दोनों, ट्रेड और कॉमर्स से जुड़ी हमारी गवर्नेंस में सकारात्मक बदलाव और आत्मनिर्भर भारत की हमारी aspirations को represent करते हैं। आप सभी को, ट्रेड और कॉमर्स से जुड़ी, एक्सपोर्ट से जुड़ी पूरी कम्युनिटी को और विशेष रूप से हमारे MSMEs को भी आज के इस अवसर पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज देश के पहले उद्योग मंत्री डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि है। उनकी नीतियां, उनके निर्णय, उनके संकल्प, उनके संकल्पों की सिद्धि, स्वतंत्र भारत को दिशा देने में बहुत अहम रहे हैं। आज देश उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि दे रहा है।

साथियों,

मुझे विश्वास है कि नए वाणिज्य भवन में आप एक नई प्रेरणा, एक नए संकल्प के साथ प्रवेश कर रहे हैं। ये संकल्प Ease of Doing Business का है और Ease of Doing Business के माध्यम से Ease of Living का है। और इस दोनों के बीच की जो कड़ी है, वो है Ease of Access. सरकार के साथ संवाद और सरकारी सुविधाओं के लिए access में किसी को भी असुविधा ना हो, ऐसा ease of access, देश की प्राथमिकता है। देश के नागरिकों को बेसिक सुविधाओं का एक्सेस हो, बैंकिंग में एक्सेस हो, सरकारी नीति-निर्माण में एक्सेस हो, ये बीते 8 वर्षों के गवर्नेंस मॉडल का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष रहा है। भारत ने अपने Economic Development के लिए जो नीतियां बनाई हैं, जो निर्णय लिए हैं, उसमें भी इसी विजन की झलक है। गांवों में, छोटे-छोटे शहरों में, मुद्रा योजना से बने करोड़ों entrepreneurs हो, लाखों MSMEs पॉलिसी को और बैंक क्रेडिट के रूप में प्रोत्साहन हो, लाखों स्ट्रीट वेंडर्स को बैंक क्रेडिट की सुविधा हो, हज़ारों स्टार्ट अप्स की ग्रोथ के लिए निरंतर प्रयास हों, इन सभी के पीछे जो मूल भावना रही है, वो है Ease of Access. सरकार की योजनाओं का लाभ सभी तक पहुंचे, बिना भेदभाव पहुंचे, तभी सबका विकास संभव है। मुझे खुशी है कि Ease of Access और सबका विकास की ये भावना इस नए वाणिज्य भवन में भी दिखती है।

साथियों,

आप सभी लोगों में एक Term बड़ा प्रचलित है - SOP…यानि Standard Operating Procedure. यानि काम करने का एक तय तरीका। पहले सरकारों का SOP समझा जाता था कि सरकार कोई प्रोजेक्ट शुरू करती थी, लेकिन वो तैयार कब होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं होती थी। राजनीति स्वार्थ के लिए घोषणाएं कर दी जाती थीं, वो पूरी कब और कैसे होंगी, इसको लेकर गंभीरता नहीं होती थी। इस धारणा को हमने कैसे बदला है, उसका भी ये भवन एक और उदाहरण है और जैसा अभी बताया गया, आज ये संयोग है कि 22 जून, 2018 को मुझे इस भवन का शिलान्यास हुआ था और आज 23 जून 2022, लोकार्पण हो रहा है। इस बीच में कोरोना के कारण काफी अड़चने भी आईं। लेकिन इन सबके बावजूद भी जो संकल्‍प लिया था वो आज सिद्धि के रूप में हमारे सामने प्रस्तुत है। यानि ये नए भारत का नया SOP है - जिसका शिलान्यास होगा उसी दिन उसके उद्घाटन की टाइमलाइन पर ईमानदारी से काम शुरु हो जाता है। यहां दिल्ली में ही बीते सालों में ऐसे अनेक उदाहरण आपको मिल जाएंगे। अभी कुछ दिनों पहले भी ये प्रगति मैदान के पास इंटीग्रेटेड ट्रांजिट कॉरिडोर के लोकार्पण का अवसर मिला है। सरकार के प्रोजेक्ट्स बरसों तक लटके नहीं, समय पर पूरे हों, सरकार की योजनाएं अपने लक्ष्यों तक पहुंचे, तभी देश के टैक्सपेयर का सम्मान है। और अब तो पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान के रूप में हमारे पास एक आधुनिक प्लेटफॉर्म भी है। नए भारत की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए इस नए वाणिज्य भवन को भी हर संबंधित क्षेत्र में देश को गतिशक्ति देनी है।

साथियों,

शिलान्यास से लेकर लोकार्पण तक, वाणिज्य भवन इस कालखंड में कॉमर्स के क्षेत्र में हमारी उपलब्धियों का भी symbol हैं। मुझे याद है, शिलान्यास के समय मैंने innovation और Global Innovation Index के सुधार की जरूरत पर बल दिया था। आज हम Global Innovation Index में 46 स्थान पर है और लगातार सुधार कर रहे हैं। शिलान्यास के दिन हमने ease of doing business में सुधार की ज़रूरत को लेकर चर्चा की थी। आज जब इस बिल्डिंग का, इस भवन का लोकार्पण हो रहा है, तब तक 32 हज़ार से अधिक अनावश्यक compliances को हटाया जा चुका है, 32 thousand, can you imagine? शिलान्यास के समय GST लागू हुए कुछ ही महीने बीते थे, हर प्रकार की शंकाएं-आशंकाएं जोरों पर थीं। आज हर महीने 1 लाख करोड़ रुपए GST collection सामान्य बात हो गयी है। वाणिज्य भवन के शिलान्यास के समय हमने GeM portal पर करीब 9 हज़ार करोड़ रुपए के ऑर्डर की चर्चा की थी। आज इस पोर्टल पर हमारे 45 लाख छोटे उद्यमी रजिस्टर हैं और GeM पर सवा दो लाख करोड़ रुपए से अधिक का ऑर्डर दिया जा चुका है।

साथियों,

तब मैंने बताया था कि 2014 के बाद Mobile manufacturing units कैसे, 2 से बढ़कर 120 हुई हैं। आज ये संख्या 200 से अधिक है और हम importer से आगे निकलते हुए दुनिया के बड़े mobile phone exporters के रूप में आज हम एक शक्ति बनकर के उभरे हैं। 4 साल पहले भारत में 500 से भी कम रजिस्टर्ड फिनटेक स्टार्ट-अप्स थे। आज इनकी संख्या करीब-करीब 2300 से पार कर चुकी है। तब हर वर्ष हम 8 हज़ार startups recognize करते थे, आज ये संख्या 15,000 से ऊपर जा रही है। लक्ष्य तय करके, ईमानदार प्रयासों से, 100 साल की वैश्विक महामारी के बावजूद हमने इतना कुछ हासिल किया है।

साथियों,

संकल्प से सिद्धि की जो सोच आज नए भारत में बनी है, उसका बेहतरीन उदाहरण हमारा export eco-system है। शिलान्यास कार्यक्रम में हमने global exports को बढ़ाने के लिए, एक्‍सपोर्ट को बढ़ाने के लिए भारत को manufacturing का एक preferred destination बनाने के लिए साझा संकल्प लिया था। पिछले साल ऐतिहासिक global disruptions के बावजूद सारे सप्लाई चैन तहस-नहस हो गए, उसके बावजूद भारत ने 670 बिलियन डॉलर, यानि कि 50 लाख करोड़ रुपए का टोटल एक्सपोर्ट किया। आप भी जानते हैं कि ये आंकड़ा कितना अभूतपूर्व है। पिछले साल देश ने तय किया था कि हर चुनौती के बावजूद 400 बिलियन डॉलर यानि 30 लाख करोड़ रुपए के merchandise export का पड़ाव पार करना है। लेकिन हमने इसको भी पार करते हुए 418 बिलियन डॉलर यानि 31 लाख करोड़ रुपए के export का रिकॉर्ड बना दिया।

साथियों,

बीते सालों की इसी सफलता से उत्साहित होकर हमने अब export के लक्ष्य भी बढ़ा दिए हैं, उनकी प्राप्ति के लिए अपने प्रयास भी दोगुने कर दिए हैं। ये जो नए टारगेट्स हैं, उन्हें प्राप्त करने के लिए सभी का Collective Effort बहुत आवश्यक है। यहां Industry, exporters और export promotion councils के सदस्य भी मौजूद हैं। मेरा आपसे भी आग्रह है कि आप अपने स्तर पर भी export के short term ही नहीं बल्कि long term targets set करें। टारगेट ही नहीं, बल्कि वहां पहुंचने का रास्ता क्या हो, सरकार कैसे मदद कर सकती है, इस पर भी हम मिलकर के काम करेंगे, ये बहुत आवश्यक है।

साथियों,

National Import-Export for Yearly Analysis of Trade यानि NIRYAT प्लेटफॉर्म इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है। इसमें exporters, सरकार के अलग-अलग डिपार्टमेंट्स, राज्य सरकारें, सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए ज़रूरी real time data तक सभी की पहुंच होगी। इससे कई silos को तोड़ने में मदद मिलेगी, जो हमारी इंडस्ट्री है, हमारे निर्यातक हैं उनको ज़रूरी फैसले लेने में मदद मिलेगी। इस पोर्टल से दुनिया के 200 से अधिक देशों में निर्यात होने वाले 30 से अधिक Commodity groups से जुड़ी ज़रूरी जानकारी आप सबको उपलब्ध होगी। इस पर आने वाले समय में जिलावार export से जुड़ी जानकारियां भी मिलेंगी। और one district, one product का जो मिशन मोड में काम हो रहा है वो ultimately यहां भी जुड़ने वाला है। इससे जिलों को exports के अहम सेंटर बनाने के प्रयासों को भी बल मिलेगा। मुझे विश्वास है, ये पोर्टल देश के राज्यों में export के क्षेत्र में स्वस्थ स्पर्धा को प्रमोट करने में भी मदद करेगा। हम राज्यों के बीच में एक हेल्दी कॉम्पिटिशन चाहते हैं। कौन राज्य कितना ज्यादा एक्सपोर्ट करता है, कितने ज्यादा डेस्‍टिनेशन को कवर करता है, कितनी ज्यादा विविधताओं को एक्सपोर्ट करता है।

साथियों,

अलग-अलग देशों की विकास यात्रा का अध्ययन करें तो ये बात कॉमन दिखती है कि उन देशों की प्रगति तभी हुई, जब उनका एक्सपोर्ट बढ़ा। यानि विकासशील से विकसित देश बनने में एक्सपोर्ट की बहुत बड़ी भूमिका होती है। इससे रोजगार के भी अवसर बढ़ते हैं, स्वरोजगार के भी अवसर बढ़ते हैं। पिछले आठ वर्षों में भारत भी अपना एक्सपोर्ट लगातार बढ़ा रहा है, एक्सपोर्ट से जुड़े लक्ष्यों को प्राप्त कर रहा है। एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए बेहतर पॉलिसीज हों, प्रोसेस को आसान करना हो, प्रॉडक्ट्स को नए बाजार में ले जाना हो, इन सबने, इसमें बहुत मदद की है। और अब हम logistics support पर उतना ही फोकस कर रहे हैं ताकि हमारे एक्‍सपोर्ट्स को हर काम cost effective बने। आप भी जानते हैं कि PLI स्कीम कैसे मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने में मदद कर रही है। हमारे एक्सपोर्टस साथियों के फीडबैक के आधार पर जो नीतिगत बदलाव हुए हैं, उनसे भी बहुत सहायता हुई है। आज सरकार का हर मंत्रालय, हर विभाग, ‘whole of government’ अप्रोच के साथ एक्सपोर्ट बढ़ाने को प्राथमिकता दे रहा है। MSME मंत्रालय हो या फिर विदेश मंत्रालय, कृषि हो या कॉमर्स, सभी एक साझा लक्ष्य के लिए, साझा प्रयास कर रहे हैं। हम देख रहे हैं कि हमारे एक्सपोर्ट में बहुत बड़ी संख्या engineering goods की होती है। इसका एक्सपोर्ट बढ़ाने में विशेषकर MSME सेक्टर की अहम भूमिका रही है। हम ये भी देख रहे हैं कि कैसे देश के नए-नए क्षेत्रों से एक्सपोर्ट बढ़ रहा है। कितने ही Aspirational Districts से भी अब निर्यात कई गुना बढ़ गया है। कॉटन और हैंडलूम प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट 55 प्रतिशत तक बढ़ना ये दिखाता है कि Grassroot लेवल पर किस तरह काम हो रहा है। सरकार वोकल फॉर लोकल अभियान, ‘One district, one product’ योजना के जरिए जो स्थानीय उत्पादों पर बल दे रही है, उसने भी एक्सपोर्ट बढ़ाने में मदद की है। अब दुनिया के नए-नए देशों, नए-नए डेस्‍टिनेशन में हमारे अनेक प्रोडक्ट्स पहली बार निर्यात किए जा रहे हैं। अब हमारा लोकल सही अर्थ में, ग्लोबल बनने की दिशा में तेज गति से आगे बढ़ रहा है। अब देखिए, सीताभोग मिठाई और नारकेल नारु यानि नारियल और गुड़ से बने लड्डू का पहला consignment बहरीन एक्सपोर्ट किया गया है। नागालैंड की Fresh King Chilli लंदन के बाजार में जा रही है, तो असम के Fresh Burmese grapes (बरमीज ग्रेप्स) दुबई के लिए एक्सपोर्ट किए गए हैं। छत्तीसगढ़ के हमारे आदिवासी भाई-बहनों की वन-उपज महुआ फूलों के उत्पाद फ्रांस, तो करगिल की खुमानी दुबई एक्सपोर्ट हुई है। अर्बुआ, बेलाइज़, बरमूडा, ग्रेनाडा और स्विट्ज़रलैंड जैसे नए बाज़ारों में हैंडलूम से जुड़े उत्पाद भेजे गए हैं। अपने किसानों, अपने बुनकरों, अपने पारंपरिक उत्पादों को एक्सपोर्ट इकोसिस्टम से जोड़ने के लिए हम मदद भी दे रहे हैं और GI tagging पर भी बल दे रहे हैं। पिछले साल हमने UAE और ऑस्ट्रेलिया के साथ trade deals को finalize किया है, बाकी देशों के साथ भी बहुत प्रगति हुई है। विदेशों में जो हमारे डिप्लोमेटिक संस्थान हैं, उनकी भी मैं विशेष प्रशंसा करना चाहूंगा। बहुत ही चुनौतीपूर्ण माहौल को जिस प्रकार वो भारत के लिए अवसरों में बदलने का काम कर रहे हैं, हमारे सारे missions इसके लिए अभिनंदन के अधिकारी हैं, उनके कार्य की सराहना जितने करें उतनी कम है।

साथियों,

व्यापार के लिए, कारोबार के लिए नए बाज़ारों की पहचान करना और वहां की जरूरतों की पहचान कर उत्पादों का निर्माण करना, ये देश की प्रगति के लिए बहुत जरूरी है। अतीत में हमारे व्यापारियों ने दिखाया है कि mutual partnership और trust आधारित व्यापार कैसे फल-फूल सकता है। वैल्यू और सप्लाई चेन की इस सीख को हमें आज़ादी के अमृतकाल में सशक्त करना है। ऐसी ही values के आधार पर हमने UAE और Australia के साथ trade deals को पूरा किया है। अनेक देशों और क्षेत्रों के साथ भी तेज़ी से हम ऐसी deals की तरफ आगे बढ़ रहे हैं।

साथियों,

बीते 8 वर्ष में देश की उपलब्धियां हर भारतीय को गर्व से भर देती है। इसी भावना से काम करते हुए आज़ादी के इस अमृतकाल में, आने वाले 25 साल के लिए हमने जो संकल्प लिए हैं, हमें उनके लिए काम करना है। आज नया भवन भी बन गया, नया पोर्टल भी लॉन्च हो गया। लेकिन यहां हमारी जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई है, एक प्रकार से नए संकल्पों के साथ, नई ऊर्जा के साथ, नए अचीवमेंट के लिए तेज गति से चलने का काम आरंभ हो रहा है। मैं हर डिपार्टमेंट से भी आग्रह करूंगा कि अभी तक जो पोर्टल और जो प्लेटफॉर्म्स हमने बनाए हैं, उनकी परफॉर्मेंस का समय-समय पर आकलन होना चाहिए। जिन लक्ष्यों के साथ हमने ये टूल्स विकसित किए हैं, वो कितने पूरे हो पा रहे हैं और अगर कहीं समस्या है तो उसका समाधान हो, इसके लिए प्रयास होना चाहिए। मेरा इंडस्ट्री के साथियों से, निर्यातकों से भी आग्रह है कि आप खुलकर के अपनी बात सरकार के सामने रखें, इनोवेटिव सुझाव लेकर के आए, सॉल्यूशंस लेकर के आए, हम मिलकर के समाधान को खोजना चाहते हैं। आप निर्यातक पोर्टल पर जाएं और बताएं कि इसमें क्या जोड़ा जा सकता है, क्या हटाया जा सकता है। जिला स्तर पर निर्यात को बढ़ाने के लिए क्या प्रावधान किए जा सकते हैं? हमें डिस्ट्रिक्ट लेवल पर हेल्दी कॉम्पिटिशन एक्‍सपोर्ट की दुनिया में लानी है। हमारे मैन्‍युफैक्‍चरर्स के बीच में भी zero defect zero effect on the world class packaging, ये कॉम्पिटिशन हम को लानी है। मैं चाहूंगा कि सबके इनपुट्स से, सभी के सुझावों से, यानि सबका प्रयास से ही हम अपने विराट संकल्पों को सिद्ध कर सकते हैं। एक बार फिर आप सभी को नए भवन की बधाई और इस शुभ कार्य में मुझे शरीक होने के लिए निमंत्रित किया इसके लिए भी मैं विभाग का बहुत-बहुत आभारी हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद! बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।