"जिन परिस्थितियों में सोमनाथ मंदिर को तबाह किया गया, औऱ फिर जिन परिस्थितियों में सरदार पटेल जी के प्रयासों से मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ, वो दोनों ही हमारे लिए एक बड़ा संदेश हैं"
पर्यटन केन्द्रों का ये विकास आज केवल सरकारी योजना का हिस्सा भर नहीं है, बल्कि जनभागीदारी का एक अभियान है। देश की हेरिटेज साइट्स, हमारी सांस्कृतिक विरासतों का विकास इसका बड़ा उदाहरण है
देश पर्यटन को समग्र रूप से देख रहा है। स्वच्छता, सुविधा, समय और सोच जैसे कारक पर्यटन नियोजन में शामिल किए जा रहे हैं
“हमारी सोच का नवीन और आधुनिक होना आवश्यक है। लेकिन साथ ही, हमें अपनी प्राचीन विरासत पर कितना गर्व है, यह बहुत मायने रखता है"

जय सोमनाथ।

कार्यक्रम में उपस्थित गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र भाई पटेल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और संसद में मेरे साथी श्री सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार में मंत्री पूर्णेश मोदी, अरविंद रयाणी, देवाभाई मालम, जूनागढ़ के सांसद राजेश चूड़ासमा, सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के अन्य सदस्यगण, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

भगवान सोमनाथ की आराधना में हमारे शास्त्रों में कहा गया है-

भक्ति प्रदानाय कृपा अवतीर्णम्, तम् सोमनाथम् शरणम् प्रपद्ये॥

यानी, भगवान सोमनाथ की कृपा अवतीर्ण होती है, कृपा के भंडार खुल जाते हैं। पिछले कुछ समय से जिस तरह यहाँ एक के बाद एक विकास कार्य हो रहे हैं, ये सोमनाथ दादा की ही विशेष कृपा है। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं कि सोमनाथ ट्रस्ट से जुड़ने के बाद मैं इतना कुछ होते हुए देख रहा हूं। कुछ महीने पहले यहाँ एक्जीबिशन गैलरी और promenade समेत कई विकास कार्यों का लोकार्पण हुआ था। पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी गई थी। और आज, सोमनाथ सर्किट हाउस का लोकार्पण भी हो रहा है। मैं इस महत्वपूर्ण अवसर पर गुजरात सरकार को, सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट को, और आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूँ।

साथियों,

ये जो एक सर्किट हाउस की कमी रहती थी, जब ये सर्किट हाउस नहीं था, तो बाहर से आने वालों को ठहराने की व्यवस्था को लेकर मंदिर ट्रस्ट पर काफी दबाव रहता था। अब ये सर्किट हाउस बनने के बाद, एक स्वतंत्र व्यवस्था बनने के बाद, अब वो भी मंदिर से कोई ज्‍यादा दूर नहीं है, और उसके कारण मं‍दिर पर जो दबाव रहता था, वो भी कम हो गया। अब वो अपने मंदिर के काम में और ज्यादा ध्यान दे पाएंगे। मुझे बताया गया है कि इस भवन को इस तरह बनाया गया है कि यहाँ रुकने वाले व्यक्तियों को sea view भी मिलेगा। यानी, लोग जब यहाँ शांति से अपने कमरे में बैठेंगे, तो उन्हें समुद्र की लहरें भी दिखेंगी और सोमनाथ का शिखर भी नजर आएगा! समंदर की लहरों में, सोमनाथ के शिखर में, उन्हें समय के थपेड़ों को चीरकर गौरवान्वित खड़ी भारत की चेतना भी दिखाई देगी। इन बढ़ती हुई सुविधाओं की वजह से भविष्य में दीव हो, गीर हो, द्वारका हो, वेद द्वारका हो, इस पूरे क्षेत्र में जो भी यात्री आएंगे, सोमनाथ एक प्रकार से इस पूरे टूरिज्‍म सैक्‍टर का एक सेंटर प्‍वाइंट बन जाएगा। एक बहुत बड़ा महत्‍वपूर्ण ऊर्जा केंद्र बन जाएगा।

साथियों,

जब हम अपनी सभ्यता की चुनौतियों से भरी यात्रा पर नज़र डालते हैं, तो अंदाजा होता है कि भारत सैकड़ों वर्षों की गुलामी में किन हालातों से गुजरा है। जिन परिस्थितियों में सोमनाथ मंदिर को तबाह किया गया, औऱ फिर जिन परिस्थितियों में सरदार वल्‍लभ पटेल के प्रयासों से मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ, वो दोनों ही हमारे लिए एक बड़ा संदेश हैं। आज आज़ादी के अमृत महोत्सव में हम देश के अतीत से जो सीखना चाहते हैं, सोमनाथ जैसे आस्था और संस्कृति के स्थल, उसके अहम केंद्र हैं।

साथियों,

अलग-अलग राज्यों से, देश और दुनिया के अलग-अलग कोनों से, सोमनाथ मंदिर में दर्शन करने हर साल करीब-करीब एक करोड़ श्रद्धालु आते हैं। ये श्रद्धालु जब यहाँ से वापस जाते हैं तो अपने साथ कई नए अनुभव, कई नए विचार, एक नई सोच ले करके जाते हैं। इसलिए, एक यात्रा जितनी महत्वपूर्ण होती है, उतना ही महत्वपूर्ण उसका अनुभव भी होता है। तीर्थयात्रा में तो खासकर, हमारी इच्छा होती है कि हमारा मन भगवान में ही लगा रहे, यात्रा से जुड़ी अन्य परेशानियों में जूझना न पड़े, उलझना न पड़े। सरकार और संस्थाओं के प्रयासों ने कैसे कई तीर्थों को संवारा है, सोमनाथ मंदिर इसका भी जीवंत उदाहरण है। आज यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रुकने की अच्छी व्यवस्था हो रही है, सड़कों और ट्रांसपोर्ट की सुविधा बढ़ रही है। यहाँ बेहतर प्रोमेनाड विकसित किया गया है, पार्किंग सुविधा बनाई गई है, टूरिस्ट फेसिलिटेशन सेंटर बनाया गया है, साफ-सफाई के लिए वेस्ट मैनेजमेंट की आधुनिक व्यवस्था भी की गई है। एक शानदार पिलिग्रिम प्लाज़ा और कॉम्प्लेक्स का प्रस्ताव भी अपने अंतिम चरणों में है। हम जानते हैं, अभी हमारे पूर्णेश भाई इसका वर्णन भी कर रहे थे। माँ अंबाजी मंदिर में भी इसी तरह के विकास और यात्री सुविधाओं के निर्माण के लिए विचार चल रहा है। द्वारिकाधीश मंदिर, रुक्मणी मंदिर और गोमतीघाट समेत और भी ऐसे कितने ही विकास कार्यों को already हमने पूरा कर लिया है। ये यात्रियों को सुविधा भी दे रहे हैं, और गुजरात की सांस्कृतिक पहचान भी मजबूत कर रहे हैं।

मैं इन उपलब्धियों के बीच, गुजरात के सभी धार्मिक और सामाजिक संगठनों को भी इस अवसर पर जरूर साधुवाद देता हूं, उनको बधाई देता हूं। आपके द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर भी जिस तरह विकास और सेवा के काम सतत किए जा रहे हैं, वो सब कुछ मेरी दृष्टि से तो सबका प्रयास की भावना के उत्‍तम उदाहरण हैं। सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट ने कोरोना की मुश्किलों के बीच जिस तरह यात्रियों की देखभाल की, समाज की ज़िम्मेदारी उठाई, उसमें जीव ही शिव के हमारे विचार के दर्शन होते हैं।

साथियों,

हम दुनिया के कई देशों के बारे में सुनते हैं कि उनकी अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान कितना बड़ा है, इसको बहुत प्रमुखता से दर्शाया जाता है। हमारे यहाँ तो हर राज्य में, हर क्षेत्र में, दुनिया के देशों में एक-एक देश में जितनी ताकत है उतनी हमारे एक-एक राज्‍य में है। ऐसी ही अनंत संभावनाएं हैं। आप किसी भी राज्य का नाम लीजिये, सबसे पहले मन में क्या आता है? गुजरात का नाम लेंगे तो सोमनाथ, द्वारिका, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी,धोलावीरा,कच्छ का रण, ऐसे अद्भुत स्थान मन में उभर जाते हैं। यूपी का नाम लेंगे तो अयोध्या, मथुरा, काशी, प्रयाग, कुशीनगर, विंध्यांचल जैसे अनेकों नाम एक प्रकार से अपनी मानस छवि पर छा जाते हैं। सामान्य जन का हमेशा मन करता है कि इन सब जगहों पर जाने को मिले। उत्तराखंड तो देवभूमि ही है। बद्रीनाथ जी, केदारनाथ जी, वहीं पर हैं। हिमाचल प्रदेश की बात करे तो, माँ ज्वालादेवी वही है, माँ नयनादेवी वही है, पूरा पूर्वोत्तर दैवीय और प्राकृतिक आभा से परिपूर्ण है। इसी तरह, रामेश्वरम् जाने के लिए तमिलनाडु, पुरी जाने के लिए ओडिशा, तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए आंध्र प्रदेश, सिद्धिविनायक जी के लिए महाराष्ट्र, शबरीमाला के लिए केरला का नाम आता है। आप जिस किसी भी राज्य का नाम लेंगे, तीर्थाटन और पर्यटन के एक साथ कई केंद्र हमारे मन में आ जाएंगे। ये स्थान हमारी राष्ट्रीय एकता का, एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन स्थलों की यात्रा, राष्ट्रीय एकता को बढ़ाती है, आज देश इन जगहों को समृद्धि के एक मजबूत स्रोत के रूप में भी देख रहा है। इनके विकास से हम एक बड़े क्षेत्र के विकास को गति दे सकते हैं।

साथियों,

पिछले 7 सालों में देश ने पर्यटन की संभावनाओं को साकार करने के लिए लगातार काम किया है। पर्यटन केन्द्रों का ये विकास आज केवल सरकारी योजना का हिस्सा भर नहीं है, बल्कि जनभागीदारी का एक अभियान है। देश की हेरिटेज साइट्स, हमारी सांस्कृतिक विरासतों का विकास इसका बड़ा उदाहरण है। पहले जो हेरिटेज साइट्स उपेक्षित पड़ी रहती थीं, उन्हें अब सबके प्रयास से विकसित किया जा रहा है। प्राइवेट सेक्टर भी इसमें सहयोग के लिए आगे आया है। Incredible इंडिया और देखो अपना देश जैसे अभियान आज देश के गौरव को दुनिया के सामने रख रहे हैं, पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं।

स्वदेश दर्शन योजना के तहत देश में 15 थीम बेस्ड टूरिस्ट सर्किट्स भी विकसित किए जा रहे हैं। ये सर्किट न केवल देश के अलग-अलग हिस्सों को आपस में जोड़ते हैं, बल्कि पर्यटन को नई पहचान देकर सुगम भी बनाते हैं। रामायण सर्किट के लिए जरिए आप भगवान राम से जुड़े जितने भी स्‍थान हैं, भगवान राम के साथ जिन-जिन चीजों का उल्‍लेख आता है, उन सभी स्‍थानों का एक के बाद एक दर्शन कर सकते हैं। इसके लिए रेलवे द्वारा विशेष रेल भी शुरू की गई है, और मुझे बताया गया कि बहुत पॉपुलर हो रही है।

एक स्पेशल ट्रेन कल से दिव्य काशी यात्रा के लिए भी दिल्ली से शुरू होने जा रही है। बुद्ध सर्किट देश विदेश के पर्यटकों के लिए भगवान बुद्ध के सभी स्थानों तक पहुँचना आसान बना रहा है। विदेशी पर्यटकों के लिए वीज़ा नियमों को भी आसान बनाया गया है, जिसका लाभ भी देश को मिलेगा। अभी कोविड की वजह से कुछ दिक्कतें जरूर हैं लेकिन मेरा विश्वास है, संक्रमण कम होते ही, पर्यटकों की संख्या फिर तेजी से बढ़ेगी। सरकार ने जो वैक्सीनेशन अभियान चलाया है, उसमें भी इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि हमारे टूरिस्ट स्टेट्स में प्राथमिकता के आधार पर सबको वैक्सीन लगे। गोवा, उतराखंड जैसे राज्‍यों ने तो इसमें बहुत तेजी से काम किया है।

साथियों,

आज देश पर्यटन को समग्र रूप में, holistic way में देख रहा है। आज के समय में पर्यटन बढ़ाने के लिए चार बातें आवश्यक हैं। पहला स्वच्छता- पहले हमारे पर्यटन स्थल, पवित्र तीर्थस्थल भी अस्वच्छ रहते थे। आज स्वच्छ भारत अभियान ने ये तस्वीर बदली है। जैसे जैसे स्वच्छता आ रही है, पर्यटन में भी इजाफ़ा हो रहा है। पर्यटन बढ़ाने के लिए दूसरा अहम तत्व है सुविधा। लेकिन सुविधाओं का दायरा केवल पर्यटन स्थल तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। सुविधा परिवहन की, इंटरनेट की, सही जानकारी की, मेडिकल व्यवस्था की, हर तरह की होनी चाहिए। और इस दिशा में भी देश में चौतरफा काम हो रहा है।

साथियों,

पर्यटन बढ़ाने का तीसरा महत्वपूर्ण पहलू है समय। आजकल ट्वेन्टी-ट्वेन्टी का दौर है। लोग कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा स्थान कवर करना चाहते हैं। आज जो देश में हाइवेज़, एक्सप्रेसवेज़ बन रहे हैं, आधुनिक ट्रेन्स चल रही हैं, नए एयरपोर्ट्स शुरू हो रहे हैं, उनसे इसमें बहुत मदद मिल रही है। उड़ान योजना की वजह से हवाई किराए में भी काफी कमी आई है। यानि जितना यात्रा का समय घट रहा है, खर्च कम हो रहा है, उतना ही पर्यटन बढ़ रहा है। अगर हम गुजरात को ही देखें तो हमारे यहां बनासकांठा में अंबाजी के दर्शन के लिए, पावागढ़ में कालिका माता के दर्शन के लिए, गिरनार में अब तो रोप-वे भी हो गया है, सतपूड़ा में कुल मिलाकर चार रोप-वे काम कर रहे हैं। इन रोप-वे के शुरू होने के बाद पर्यटकों की सुविधा में वृद्धि हुई है और पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अभी कोरोना के प्रभाव में काफी कुछ रुका हुआ है लेकिन हमने देखा है कि जब स्कूल-कॉलेज के जो विद्यार्थी एजुकेशन टूर पर जाते हैं, उन्हें भी ये ऐतिहासिक स्थान बहुत कुछ सिखाते हैं। जब देशभर में ऐसे स्थानों पर सुविधाएं बढ़ रही हैं, तो विद्यार्थियों को भी सीखने-समझने में आसानी होगी, उनका देश की विरासत से जुड़ाव भी बढ़ेगा।

साथियों,

पर्यटन बढ़ाने के लिए चौथी और बहुत महत्वपूर्ण बात है - हमारी सोच। हमारी सोच का innovative और आधुनिक होना जरूरी है। लेकिन साथ ही साथ हमें अपनी प्राचीन विरासत पर कितना गर्व है, ये बहुत मायने रखता है। हम में ये गौरव भाव है इसलिए हम भारत से चोरी की गई मूर्तियों को, पुरानी धरोहरों को दुनियाभर में से वापस ला रहे हैं। हमारे लिए हमारे पूर्वजों ने इतना कुछ छोड़ा है। लेकिन एक समय था जब हमारी धार्मिक सांस्कृतिक पहचान पर बात करने में संकोच किया जाता था। आजादी के बाद दिल्ली में कुछ गिने-चुने परिवारों के लिए ही नव-निर्माण हुआ। लेकिन आज देश उस संकीर्ण सोच को पीछे छोड़कर, नए गौरव स्थलों का निर्माण कर रहा है, उन्हें भव्यता दे रहा है। ये हमारी ही सरकार है जिसने दिल्ली में बाबा साहेब मेमोरियल का निर्माण किया। ये हमारी ही सरकार है जिसने रामेश्वरम में एपीजे अब्दुल कलाम स्मारक को बनवाया। इसी तरह, नेताजी सुभाषचंद्र बोस और श्यामजी कृष्ण वर्मा से महापुरुषों के साथ जुड़े स्थानों को भव्यता दी गई है। हमारे आदिवासी समाज के गौरवशाली इतिहास को सामने लाने के लिए देशभर में आदिवासी म्यूज़ियम्स भी बनाए जा रहे हैं। आज केवड़िया में बनी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पूरे देश का गौरव है। कोरोना काल शुरू होने से पहले बहुत ही कम समय में 45 लाख से ज्यादा लोग स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने जा चुके थे। कोरोना काल के बावजूद अब तक 75 लाख से ज्यादा लोग स्टेचू ऑफ़ यूनिटी को देखने आ चुके हैं। हमारे नव-निर्मित स्थलों का ये सामर्थ्य है, ये आकर्षण है। आने वाले समय में ये प्रयास पर्यटन के साथ हमारी पहचान को भी नई ऊंचाई देंगे।

और साथियों,

जब मैं वोकल फॉर लोकल की बात करता हूं, तो मैंने देखा है कुछ लोगों को यही लगता है कि मोदी का वोकल फॉर लोकल का मतलब दिवाली के समय दीये कहां से खरीदना है। इतना सीमित अर्थ मत करना भाई। जब मैं वोकल फॉर लोकल कहता हूं तो मेरी दृष्टि से टूरिज्‍म भी इसमें आ जाता है। मेरा तो हमेशा आग्रह रहता है कि जो भी, अगर परिवार में बच्‍चों की चाह है विदेश जाना है, दुबई जाना है, सिंगापुर जाना है, मन कर रहा है, लेकिन विदेश जाने का प्‍लान करने से पहले परिवार में तय करें, पहले हिंदुस्‍तान में 15-20 मशहूर स्‍थान पर जाएंगे। पहले हिंदुस्‍तान को अनुभव करेंगे, देखेंगे, बाद में दुनिया की किसी और जगह पर जाएंगे।

साथियों,

वोकल फॉर लोकल जीवन के हर क्षेत्र में अंगीकार करना ही होगा। देश को समृद्ध बनाना है, देश के नौजवानों के लिए अवसर तैयार करने हैं तो इस रास्‍ते पर चलना होगा। आज आज़ादी के अमृत महोत्सव में हम एक ऐसे भारत के लिए संकल्प ले रहे हैं, जो जितना आधुनिक होगा उतना ही अपनी परम्पराओं से जुड़ा होगा। हमारे तीर्थ स्थान, हमारे पर्यटन स्थल इस नए भारत में रंग भरने का काम करेंगे। ये हमारी विरासत और विकास दोनों के प्रतीक बनेंगे। मुझे पूरा विश्वास है, सोमनाथ दादा के आशीर्वाद से देश के विकास की ये यात्रा इसी तरह अनवरत जारी रहेगी।

एक बार फिर नए सर्किट हाउस के लिए आप सभी को बधाई देता हूं।

बहुत बहुत धन्यवाद।

जय सोमनाथ।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
Modi blends diplomacy with India’s cultural showcase

Media Coverage

Modi blends diplomacy with India’s cultural showcase
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।