इन परियोजनाओं से क्षेत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ स्थानीय किसानों और दुग्ध उत्पादकों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी
"इन एफपीओ के माध्यम से छोटे किसान फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी, एक्सपोर्ट से जुड़ी वैल्यू और सप्लाई चेन से सीधे जुड़ पाएंगे"
"किसानों के लिए आय के वैकल्पिक साधन बनाने की रणनीति के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं"

भारत माता की – जय , भारत माता की – जय

गुजरात के लोकप्रिय, मृदुल एवं मक्‍कम मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, संसद में मेरे वरिष्ठ साथी, गुजरात भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष श्रीमान सी आर पाटिल, गुजरात विधानसभा के डिप्टी स्पीकर श्री जेठाभाई, गुजरात सरकार के सभी मंत्रीगण, सांसदगण और विधायकगण, साबर डेयरी के पदाधिकारी और इससे जुड़े तमाम किसान भाई-बहन, पशुपालक भाई-बहन!

आज साबर डेयरी का विस्तार हुआ है। सैकड़ों रुपए के नए प्रोजेक्ट यहां लग रहे हैं। आधुनिक टेक्नॉलॉजी से लैस मिल्क पाउडर प्लांट और ए-सेप्टिक पैकिंग सेक्शन, उसमें एक और लाइन जुड़ने से साबर डेयरी की क्षमता और अधिक बढ़ जाएगी। आज जिस नए प्लांट का भूमिपूजन हुआ है, वो भी साबर डेयरी के सामर्थ्य को बढ़ाने में मदद करेगा। मैं साबर डेयरी और इस सहकारी आंदोलन से जुड़े सभी किसान भाई-बहनों को, डेयरी के चेयरमैन को, डेयरी के सभी डायरेक्‍टर्स को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

और जब साबर डेरी की बात आती है, और भूराभाई की याद न आयें, तो बात अधुरी रह जाती है। भूराभाई पटेल ने दशकों पहले जो प्रयास शुरू किया था, वो आज लाखों लोगों का जीवन बदलने में मदद कर रहा है। साबरकांठा आए, तो कुछ नया नहीं लगता। परंतु रोज कुछ नया होता जरुर नजर आता है। साबरकांठा का शायद ही कोई भाग होगा, कि जहाँ मेरा जाना ना हुआ हो। और साबरकांठा में आए तो सब याद आता है। बस अड़्डे पर खडे रहे, और खेर, खेर, खेर,- वडाली, वडाली, वडाली। खेर-वडाली, खेर-भिलोडा, चलो चलो। जब भी साबरकांठा आता हुँ तब यही आवाज कान में गूंजती रहती है। यहाँ मेरे अनेक साथी-सहय़ोगी, यहाँ आता हुं तब सबकी याद भी आते है। दुख की बात है,कि कुछ साथी हमें छोडकर परमात्मा को प्यारे हो गये। हमारे श्रीराम सांखला की याद आती है, हमारे जयेन्द्रसिंहभाई राठोड, हमारे एस.एम.खांट, हमारे धीमंत पटेल, मेरे भाई गजानंद प्रजापति, हमारे विनोद खिलजीभाई के। कितने ही पुराने साथीयों, और आज भी कितने लोगों के चहेरे मेरे सामने घूम रहे है। मेरे वालजीभाई हो, मेरे प्रवीणसिंह देवडा हो, मेरे अनेक साथी, मेरे मोडासा के राजाबली याद आते है। अनेक लोगों की याद, अनेक सदर परिवार उनके साथ मेरा गहरा रिश्ता। बहुत ही सम्मानीय नाम हमारे डायाभाई भट्ट, मेरे मूलजीभाई परमार, ऐसे अनेक बुजुर्गो और साथीयों। अनेको के बीच में काम किया। हमारे रमणीकभाई हो, जिनके यहाँ कईबार ईडर आना हो तो जाउँ। और कई परिवारों के साथ मिलना होता था। लेकिन अब आप सबने ऐसी जिम्मेदारी दी है, कि पुराने दिन याद करके ही आनंद लेना होता है।

साथियों,

दो दशक पहले यहां क्या स्थितियां थीं, ये आप भी जानते हैं मैंने भी भलीभांति देखा है। आजकल हम गुजरात के कई हिस्सों में अतिवर्षा की चुनौती से जूझ रहे हैं। लेकिन गुजराती को बारिश आना यही अपने-आप में इतना बड़ा सुख और संतोष होता है जिसका अंदाज बाहर के लोगों को नहीं हैं। क्योंकि अपने यहाँ तो 10 वर्ष, 5 वर्ष अकाल पडता है, बारिश के लिए तडपते है। और जब भरपुर बारिश होती है, तब मन भई भर जाता है। और अकाल की ये स्थिति का परिणाम क्या आता है, खेती में बारिश हो, तो शायद ही एकाद फसल हो। पशुपालन, उसमें भी घासचारा मिलने में परेशानी, और बच्चों को यहाँ नहीं रखना, बच्चों को शहर में भेजो। हम यहाँ गांव में जिंदगी बिता लेंगे। ये दिन हमने देखे है। और उस समय मैंने संकल्‍प किया था आप लोगों के भरोसे संकल्‍प किया था, आप लोगों के साथ सहयोग पर अटूट विश्‍वास ले करके संकल्‍प किया था कि स्थिति को बदलना है, और इसलिए जैसे-जैसे सिंचाई की सुविधाएं, इसका गुजरात में विस्तार हुआ, वैसे-वैसे कृषि के क्षेत्र में, पशुपालन के क्षेत्र में हमने बहुत विकास किया, वृद्धि की और डेयरी ने उसे बहुत बड़ी ताकत दी। अर्थव्‍यवस्‍था को डेयरी ने स्थिरता भी दी, डेयरी ने सुरक्षा भी दी और डेयरी ने प्रति के नए अवसर भी दिए। अभी, मैं जरा बहनों के साथ बैठा था, जरा हालचाल पुछ रहा था। मैंने कहा कैसा चल रहा है ? नफा कितना मिलता है। फिर मैंने पुछा नफा का क्या करते हो ? साहब नफा मिलता है तो हम सोना खरीदते है। पहला काम सोना खरीदने का करते है।

साथियो,

गुजरात देश का वो राज्य है जहां हमने कई साल पहले पशुओं के लिए हेल्थ कार्ड जारी किए थे, पशु आरोग्य मेलों की शुरुआत की थी। हमने पशुओं के मोतियाबिंद और दांतों के डेंटल ट्रीटमेंट तक की चिंता की थी। और आपको तो पता है पशु आरोग्‍य मेले में कुछ गायें जब उनके पेट को काटते थे तो 15-15, 20-20 किलो प्‍लास्टिक का वेस्‍ट निकलता था और देखने वालों की आंख में पानी आ जाता था। और इसलिए हमने प्लास्टिक के उपयोग को बंद करने का अभियान चलाया है भाई। यह प्लास्टिक हमारे पशुओं के लिए दुश्मन के समान है। दूसरी तरफ पशुओ की चिंता, पशुओ को अच्छा आहार मिले, और आज मुझे बहनों ने आनंद की बात की है।

शायद इसका प्रचार बहुत कम हुआ है। उन्‍होंने कहा कि हम, पशु अगर बीमार होते हैं तो आजकल आयुर्वेदिक दवाई से भी पशुओं को ठीक करते हैं। यानी पशुओं के लिए जो हमारी परंपरागत आदिमआदि परंपराएं घरों में रहती थीं, वे पुनर्जीवित हुई हैं। आयुर्वेदिक दवाओं से पशुओं की देखभाल, मैं गुजरात के डेयरी क्षेत्र के लोगों का, साबर डेयरी का हृदय से अभिनंदन करता हूं कि उन्‍होंने अपने पशुपालकों को आयुर्वेद दवा के सहारे पशुओं की चिकित्‍सा का रास्‍ता और उसमें मदद की है। हमें पता है जब मैं 2001 में आया तब लोग कहते थे कि, साहब शाम को खाना खाते वक्त तो बिजली दो। शाम को गुजरात में बिजली नहीं मिलती थी गुजरात में। हमने ज्योतिग्राम योजना का अभियान चलाया। आज 20-22 वर्ष के लडके-लडकीयों को तो पता भी नहीं होगा कि अंधेरा किसे कहते है। और गुजरात में ज्योतिग्राम योजना लाये। और ज्योतिग्राम योजना ने मात्र गुजरात के घरों में उजाला किया, टीवी चालु किया इतना ही नहीं। हमारे गाँव में डेयरी ने मिल्क चिल्ड युनिट खडे करने में इस बिजली ने बहुत बडी मदद की। जिसके कारण दुध का कलेक्शन बढा, और दुध बिगडना बंद हुआ। गाडी आए तब तक चिलींग सेन्टर में दुध सुरक्षित रहता था। और उसके कारण नुकसान भी कम होने लगा। और यह बिजली के कारण हो सका है। गुजरात में बीते 2 दशकों में जो व्यवस्थाएं तैयार हुई हैं, आज उसके बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। आज गुजरात का डेयरी मार्केट 1 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।

साथियों,

मुझे याद है मैं 2007 में भी यहां आया, 2011 में भी आया। उस समय मैंने प्रोसेसिंग प्लांट करने का एक कार्यक्रम किया था। और उस दिन मैंने हमारे डेयरी के साथियों के साथ बात की थी। मैंने कहा, देखिए जी अब आप महिलाओं की भागीदारी बढ़ाइए। और मुझे आज खुशी है कि दुग्‍ध समितियों में महिलाओं को पहले न के बराबर काम था, आज कम से कम तीन महिलाएं आज मंडली के उस कार्यकारी के रूप में रहती हैं, वो मंडली को चलाती हैं और कुछ जगह पर तो पुरुषों से ज्‍यादा महिलाएं काम संभालती हैं। गुजरात में हमने ये भी नियम बनाया था और मैंने आज सब बहनें मिलीं तो पूछा, उस समय मैंने नियम बनाया था, कि दूध भरने के लिए कोई भी आए लेकिन दूध का पैसा किसी भी पुरुष को नहीं देना, दूध का पैसा महिलाओं को ही मिलना चाहिए। और अगर महिलाओं के पास पैसे जाएंगे, पाई-पाई का सही उपयोग होगा, परिवार की भलाई के लिए होगा, पशुओं के कल्‍याण के लिए होगा। और आज गुजरात में दूध का पेमेंट सिर्फ और सिर्फ महिलाओं को मिलता है और उसके कारण मेरी महिलाओं, बहनों की, माताओं की ता‍कत भी बहुत बढ़ गई है। गुजरात में सहकारिता की एक समृद्ध परंपरा रही है और संस्‍कार भी हैं, तभी तो सहकार है और सहकार है तभी तो समृद्धि है। दूध से जुड़े सहकारी आंदोलन की जो सफलता है, उसका विस्तार अब हम खेती से जुड़े बाकी क्षेत्रों में भी कर रहे हैं। देश में आज 10 हज़ार किसान उत्पादक संघ–FPOs, इसके निर्माण का काम तेज़ी से चल रहा है। इन FPOs के माध्यम से छोटे किसान फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी, एक्सपोर्ट से जुड़ी वैल्यू और सप्लाई चेन से सीधे जुड़ पाएंगे। इसका बहुत अधिक लाभ मेरे गुजरात के किसानों भाई-बहनों को होने वाला है।

भाइयों और बहनों,

किसानों की आय बढ़ाने के लिए जो प्रयास बीते 8 वर्षों में केंद्र सरकार ने किए हैं, उसकी वजह से गुजरात समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों की आय में बढ़ोतरी देखी जा रही है। किसानों की आय में बागवानी, पशुपालन, मछलीपालन इसकी वजह से भी काफी वृद्धि हुई है और इसमें भी सबसे बड़ी बात ये निकलकर सामने आ रही है कि जो भूमिहीन किसान हैं, जो सबसे गरीब होते हैं, उनकी आय में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसी तरह, बहुत छोटी जमीन वाले किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है। यानि फसलों के अलावा आय के वैकल्पिक माध्यमों पर काम करने की रणनीति आज काम आ रही है।

खादी और ग्रामोद्योग भी इसका एक उत्तम उदाहरण है। खादी और ग्रामोद्योग का टर्नओवर पहली बार 1 लाख करोड़ रुपए से ऊपर गया है। यही कारण है कि बीते 8 वर्षों में इसी क्षेत्र से डेढ़ करोड़ से ज्‍यादा नए रोज़गार गांव में बने हैं। 2014 से पहले के 7-8 सालों की तुलना में बीते 8 सालों में मधुमक्खी का पालन, मधु का उत्पादन और मुझे तो साबर डेयरी ने कहा, कि अब हम भी पूरे साबरकांठा में मधु के उत्पादन के लिए किसानों को तैयार कर रहे है। उन्हें बोक्स दे रहे है। और इतने कम समय में मधु का उत्पादन दोगुना होने जा रहा है, लगभग दोगुना । यह एक अन्य लाभ, और खेत में मधुमक्खी हो तो वह भी आपके साथी की तरह काम करती है। खेत मजदूर की तरह आपकी मदद करे। मधमक्खी खेती में पूरक होती है। इतना ही नहीं, पेट्रोल में इथेनोल ब्लेडिंग बनाकर 10 प्रतिशत से ज्य़ादा, आज हम पेट्रोल में इथोनोल को मिलाते है। यह ईथोनोल कैसे बनता है, गन्ने के लकडी में से, गन्ने में से, मकई में से, यानि कि अभी तक खाडी से तेल आता था। अब उसमें झाडी का तेल भी मिलने लगा है। और झाडी और खाडी का तेल मिलने से आज हमारे साधन चल रहे है, और पर्यावरण का भी रक्षण हो रहा है। 2014 तक देश में 40 करोड़ लीटर से भी कम इथेनॉल की ब्लेंडिंग होती थी। आज ये करीब 400 करोड़ लीटर तक पहुंच रहा है। हमारी सरकार ने बीते 2 वर्षों में विशेष अभियान चलाकर 3 करोड़ से अधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड भी दिए हैं। पहली बार पशुपालकों और मछुआरों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी गई है।

भाइयों और बहनों,

खेती की लागत कम करने पर भी हम लगातार काम कर रहे हैं। नीम कोटेड यूरिया, खाद के बंद पड़े कारखाने, उनको फिर से शुरू करना, नैनो फर्टिलाइज़र पर काम करना, और नेनो फर्टिलाईजर तो ऐसा है कि ऐक थेला भरकर फर्टिलाईजर लाते हो, उतना अब एक बोटल में आ जाता है। और उतना ही लाभ मिले। मेहनत कम, लाभ उतने का उतना ही। आज नेनो फर्टीलाईजर पर काम चल रहा है। बीते कुछ महीनों में पूरी दुनिया में यूरिया के दाम में कई गुणा बढ़ोतरी हुई है, लेकिन देश के किसानों पर हमने इसका बोझ नहीं पड़ने दिया। दुनिया में से फर्टीलाईजर बाहर से लाना पडता है। कई गुना भाव बढ गये अचानक। लेकिन दिल्ली में बैठी हुई आपकी इस सरकार ने इतने सारे युरिया के भाव बढे, परंतु उसका बोझ हमारे किसानों के उपर नहीं आने दिया। उसका बोझ आज भारत सरकार वहन कर रही है। युरिया की 50 किलो की बेग सरकार को साढ़े तीन हजार रुपिये में पडती है। जरा बोलेंगे आप कितने में? साढ़े तीन हजार रुपिये की एक थेली । साढ़े तीन हजार रुपिया, कितना ? और सरकार किसानों को कितने रुपिये में देती है ? 300 रुपिये में। 350 हजार की थेली मेरे किसान भाईयों को बोझ न लगे, इसलिए पूरे देश में मात्र 300 रुपिये में दी जाती है। एक प्रकार से DAP के 50 किलो के बैग पर पहले सरकार 500 रुपए का बोझ वहन करती थी, सरकार पर 500 रुपए का बोझ आता था। आज वो दुनिया में महंगाई बढ़ने के कारण आज सरकार को 2500 रुपए का बोझ वहन करना पड़ता है लेकिन किसानों के सिर पर हम बोझ जाने नहीं देते।

साथियों,

इन तमाम योजनाओं का लाभ गुजरात के किसानों को भी मिल रहा है। बीते वर्षों में अरवल्ली के 50 हज़ार से अधिक किसानों के खेत माइक्रो इरीगेशन की सुविधा से जुड़ चुके हैं। और में विशेषकर अरवल्ली जिला के किसान भाईयों को बधाई देना चाहता हुँ। यह काम लेने के लिए। आज अरवल्ली के अनेक गांव ऐसे हैं जहां किसान शत-प्रतिशत ड्रिप इरीगेशन से सिंचाई कर रहा है। सुजलाम-सुफलाम योजना से साबरकांठा की अनेक ऐसी तहसीलों में पानी पहुंचा है, जहां पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। हाथमती नहर उसका सुंदरीकरण प्रोजेक्ट पूरा होने से पूरे क्षेत्र की सुंदरता बढ़ी है। शहर में पानी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हर घर जल अभियान के तहत भी करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।

साथियों,

आज साबरकांठा और आसपास के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी का अभूतपूर्व इंफ्रास्ट्रक्चर बन चुका है। रेलवे लाईनों चौडाई, रेलवे के ब्रिज बनाना, हाई-वे को चौडा करना, हाई-वे को दूर तक आगे लेकर जाना, अपना यह शामलाजी-मोडासा 150 किलोमीटर लंबी फोरलेन रोड आगे जाकर दक्षिण गुजरात के साथ सीधा जुड जाता है। दक्षिण गुजरात मध्य गुजरात के साथ यह मेरा साबरकांठा जुड जाएगा। और इसके कारण खेडब्रह्मा हो, मेघरज हो, मालपुर हो, भिलोडा हो यह मेरा पूरा आदिवासी पट्टा विकास के अंदर तेजी से जुड रहा है। हिंमतनगर से खेडब्रह्मा ब्रोडगेज लाईन उस प्रोजेक्ट पर तेजगति से काम चल रहा है। भाईयो-बहनों आपको याद होगा कि, अपने यहाँ हिंमतनगर से महेसाणा जाना हो तो सात बार सोचेंगे कि इस रोड पर कैसे जाउंगा, कब पहुंचुगा। घंटो लग जाते थे, लेकिन अब नये रोड बनने कारण तीन साढे घंटे में फटाफट पहुंच जाते है। हिंमतनगर, महेसाणा, विजापुर फट फट पहुंच जाते है। हिंमतनगर से अंबाजी चार लेन सडक बनी, और मां अंबा के दर्शन के लिए आने वाले लोग, अब सबको उत्तर गुजरात से जाना हो, दक्षिण गुजरात-मध्य गुजरात के लोग यहीं रास्ता पकडते है। यानि की आसपास के लोगों को भी रोजी-रोटी मिलती रहे। और अब शामलाजी से अहमदाबाद 6 लाईन का हाई-वे यह बनाने का काम तेजी से चल रहा है। 1300 करोड रुपिये इस पर खर्च किए जा रहे है। हिंमतनगर में मेडिकल कोलेज, और हमें कोरोना की लडाई में यह मेडीकल कोलेज कितनी काम में आई, कितना आर्शिवाद मिला यह आप लोग भी जानते है मैं भी जानता हुँ।

साथियों,

जब कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होता है तो इसका बहुत बड़ा लाभ पर्यटन को होता है, हमारे युवा नौजवानों को रोजगार में होता है। और अपना तो साबरकांठा, बनासकांठा यह दो आस्था, जनजातिय परंपरा, प्राकृतिक वातावरण से भरा हुआ है। और मेरा तो सौभाग्य रहा कि शामलाजी मंदिर का जीर्णोध्दार करने का अवसर मुझे मिला है। आज कोई भी जाता है उसे पता नहीं होगा कि शामलाजी का क्या हाल था। और इस क्षेत्र में जो विकास हो रहा है उसके कारण यात्रियों की संख्या बढ रही है, रोजी-रोटी के अवसर बढ रहे है।

भाइयों और बहनों,

मैं साबरकांठा ऐसे समय में आया हूं, जब देश आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करने वाला है और आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसी वर्ष आजादी के अमृत वर्ष के दरमियान आदिवासी नरसंहार, बाल चितरीया की यह घटना उसे भी 100 साल पूरा हो रहा है। आदिवासी नायक मोतीलाल तेजावत जी उनके नेतृत्व में आदिवासीय़ों ने अंग्रेजो के सामने जंग छेडा। और उन्होनें अंग्रेजो को हिला दिया था, यह मेरा साबरकाँठा । और अंग्रेजो ने आदिवासीयों का नरसंहार किया, मोत के घाट उतारा। पंरतु दुर्भाग्य आजादी के बाद यह घटना भूला दी गई। य़ह मेरा सौभाग्य था कि, जनजातिय समुदाय का त्याग और बलिदान यह आनेवाली पीढी को पता चलना चाहिए। और इसलिए हमने बालचितरीया के अंदर शहीदों के स्मारक को फिर से दुनिया के सामने लाने में हम सफल हुए। आज शहीद स्मृति वन, उन अमर बलिदानियों से की प्रेरणा से नई पीढ़ी को राष्ट्रभक्ति का रास्ता दिखा रहा है। मेरा ये भी सौभाग्य है कि मुझे प्रधानमंत्री के रूप में, आज़ादी के लिए आदिवासी समाज के योगदान को राष्ट्रीय पहचान दिलाने का भी अवसर मिला है। 15 नवम्बर भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को जनजातिय गौरव दिन के रुप में पूरा देश मनायें। यह हमने निर्णय किया है। हमारी सरकार देशभर में आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद में विशेष संग्रहालय भी बनवा रही है।

साथियों,

आज़ादी के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर एक और बड़ा संयोग हुआ है। पहली बार जनजातीय समाज से आने वाली देश की बेटी भारत के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर पहुंची हैं। देश ने श्रीमती द्रोपदी मुर्मू जी को राष्ट्रपति बनाया है। ये 130 करोड़ से अधिक भारतवासियों के लिए बहुत गौरव का क्षण है। जिस समावेशी लोकतंत्र का सपना आजादी के लिए अपना बलिदान देने वाले हमारे पूर्वजों ने देखा था, वो आज साकार हो रहा है।

साथियों,

आज मैं साबरकांठा की इस पवित्र धरती से गुजरात के सभी लोगों से एक आग्रह करता हूं, देशवासियों से भी आग्रह करता हूं और अभी हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने भी बताया, आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने पर हर घर तिरंगा अभियान शुरू किया जा रहा है। इस अभियान में 13 अगस्त से ही देश का हर घर अपने यहां तिरंगा लहराएगा, तिरंगा फहराएगा। साबरकांठा, अरवल्ली के साथ-साथ पूरे गुजरात और पूरे देश में ये तिरंगा फहराकर एक भारत, श्रेष्ठ भारत का अमृत संकल्प लेना है। जिन लोगों ने देश की आजादी के लिए बलिदान दिया, उनकी आत्‍मा जहां भी होगी वो आपके घर पर तिरंगा लहराता देख करके उनकी आत्‍मा आपके परिवार को भी आशीर्वाद देने वाली है। आज साबरकांठा ने जो मान-सम्मान, और विराट जनसागर, इतनी बडी संख्या में मेरी माताओं-बहनों, आपका आर्शिवाद वहीं मेरी शक्ति है, वहीं मेरी उर्जा है, वहीं मेरी प्रेरणा है। आपके आर्शिवाद से पुरुषार्थ के मार्ग पर आगे बढकर जन-जन का कल्याण हो, जो संस्कार गुजरात ने दिया है। जो हिन्दुस्तान के गांव-गांव तक पहुंचाना यहीं आर्शिवाद मेरी बहुत बडी पूंजी है। मैं आपका दिल से आभारी हुँ और साबर डेयरी की पूरी टीम को सतत विस्तार और विकास के अभियान को बहुत बधाई देता हुँ। बहुत-बहुत धन्यवाद। दोनों हाथ उपरकर मेर साथ जोर से बोलिए,

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

धन्यवाद !

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।