Quoteथिरुक्कुरल, मणिमेकलाई और अन्य उत्कृष्ट तमिल साहित्य का बहुभाषा और ब्रेल अनुवाद जारी किया
Quoteकन्याकुमारी-वाराणसी तमिल संगमम ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया
Quote“काशी तमिल संगमम 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को आगे बढ़ाता है"
Quote'काशी और तमिलनाडु के बीच संबंध भावनात्मक और रचनात्मक दोनों हैं"
Quote"एक राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान आध्यात्मिक विश्वासों में निहित है"
Quote"हमारी साझा विरासत हमें अपने संबंधों की आत्मीयता का अनुभव कराती है"

हर हर महादेव! वणक्कम् काशी। वणक्कम् तमिलनाडु।

Those who are coming from Tamilnadu, I request them to use your earphones for the first time using AI Technology.

मंच पर विराजमान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, केन्द्रीय कैबिनेट के मेरे सहयोगीगण, काशी और तमिलनाडु के विद्वतजन, तमिलनाडु से मेरी काशी पधारे भाइयों एवं बहनों, अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों। आप सब इतनी बड़ी संख्या में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके काशी आए हैं। काशी में आप सब अतिथि से ज्यादा मेरे परिवार के सदस्य के तौर पर यहां आए। मैं आप सभी का काशी-तमिल संगमम में स्वागत करता हूँ।

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मेरे परिवारजनों,

तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है, महादेव के एक घर से उनके दूसरे घर आना! तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है- मदुरई मीनाक्षी के यहाँ से काशी विशालाक्षी के यहाँ आना! इसीलिए, तमिलनाडु और काशीवासियों के बीच हृदय में जो प्रेम है, जो संबंध है, वो अलग भी है और अद्वितीय है। मुझे विश्वास है, काशी के लोग आप सभी की सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ रहे होंगे। आप जब यहाँ से जाएंगे, तो बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद के साथ-साथ काशी का स्वाद, काशी की संस्कृति और काशी की स्मृतियाँ भी ले जाएंगे। आज यहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से टेक्नोलॉजी का नया प्रयोग भी हुआ है। ये एक नई शुरुआत हुई है और उम्मीद है इससे आप तक मेरी बात पहुंचना और आसान हुआ है।

Is it ok? The friends of Tamilnadu, is it ok? You enjoy it? So this was my first experience. In future I will use it. You will have to give me the response. Now as usual I speak in Hindi, he will help me to interpret in Tamil.

मेरे परिवारजनों,

आज यहां से कन्याकुमारी-वाराणसी तमिल संगमम ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई है। मुझे थिरुकुर्रल, मणिमेकलई और कई तमिल ग्रंथों के विभिन्न भाषाओं में अनुवाद के लोकार्पण का भी सौभाग्य मिला है। एक बार काशी के विद्यार्थी रहे सुब्रमण्य भारती जी ने लिखा था- “काशी नगर पुलवर पेसुम उरैताम् कान्चियिल केट्पदर्कु ओर करुवि सेय्वोम्” वो कहना चाहते थे कि काशी में जो मंत्रोच्चार होते हैं, उन्हें तमिलनाडु के कांची शहर में सुनने की व्यवस्था हो जाए तो कितना अच्छा होता। आज सुब्रमण्य भारती जी को उनकी वो इच्छा पूरी होती नजर आ रही है। काशी-तमिल संगमम की आवाज पूरे देश में, पूरी दुनिया में जा रही है। मैं इस आयोजन के लिए सभी संबंधित मंत्रालयों को, यूपी सरकार को और तमिलनाडु के सभी नागरिकों को बधाई देता हूँ।

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मेरे परिवारजनों,

पिछले वर्ष काशी-तमिल संगमम शुरू होने के बाद से ही इस यात्रा में दिनों-दिन लाखों लोग जुड़ते जा रहे हैं। विभिन्न मठों के धर्मगुरु, स्टूडेंट्स, तमाम कलाकार, साहित्यकार, शिल्पकार, प्रॉफेशनल्स, कितने ही क्षेत्र के लोगों को इस संगमम से आपसी संवाद और संपर्क का एक प्रभावी मंच मिला है। मुझे खुशी है कि इस संगमम को सफल बनाने के लिए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और IIT मद्रास भी साथ आए हैं। IIT मद्रास ने बनारस के हजारों स्टूडेंट्स को साइन्स और मैथ्स में ऑनलाइन सपोर्ट देने के लिए विद्याशक्ति initiative शुरू किया है। एक वर्ष के भीतर हुए अनेक कार्य इस बात के प्रमाण हैं कि काशी और तमिलनाडु के रिश्ते भावनात्मक भी हैं, और रचनात्मक भी हैं।

मेरे परिवारजनों,

‘काशी तमिल संगमम’ ऐसा ही अविरल प्रवाह है, जो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ इस भावना को लगातार मजबूत कर रहा है। इसी सोच के साथ कुछ समय पहले काशी में ही गंगा–पुष्करालु उत्सव, यानी काशी-तेलुगू संगमम भी हुआ था। गुजरात में हमने सौराष्ट्र-तमिल संगमम का भी सफल आयोजन किया था। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के लिए हमारे राजभवनों ने भी बहुत अच्छी पहल की है। अब राजभवनों में दूसरे राज्यों के स्थापना दिवस समारोह धूमधाम से मनाए जाते हैं, दूसरे राज्यों के लोगों को बुलाकर विशेष आयोजन किए जाते हैं। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की ये भावना उस समय भी नजर आई जब हमने संसद के नए भवन में प्रवेश किया। नए संसद भवन में पवित्र सेंगोल की स्थापना की गई है। आदीनम् के संतों के मार्गदर्शन में यही सेंगोल 1947 में सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना का यही प्रवाह है, जो आज हमारे राष्ट्र की आत्मा को सींच रहा है।

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मेरे परिवारजनों,

हम भारतवासी, एक होते हुए भी बोलियों, भाषाओं, वेश-भूषा, खानपान, रहन-सहन, कितनी ही विविधता से भरे हुए हैं। भारत की ये विविधता उस आध्यात्मिक चेतना में रची बसी है, जिसके लिए तमिल में कहा गया है- ‘नीरेल्लाम् गङ्गै, निलमेल्लाम् कासी’। ये वाक्य महान पाण्डिय राजा ‘पराक्रम पाण्डियन्’ का है। इसका अर्थ है- हर जल गंगाजल है, भारत का हर भूभाग काशी है।

जब उत्तर में आक्रांताओं द्वारा हमारी आस्था के केन्द्रों पर, काशी पर आक्रमण हो रहे थे, तब राजा पराक्रम पाण्डियन् ने तेनकाशी और शिवकाशी में ये कहकर मंदिरों का निर्माण कराया कि काशी को मिटाया नहीं जा सकता। आप दुनिया की कोई भी सभ्यता देख लीजिये, विविधता में आत्मीयता का ऐसा सहज और श्रेष्ठ स्वरूप आपको शायद ही कहीं मिलेगा! अभी हाल ही में G-20 समिट के दौरान भी दुनिया भारत की इस विविधता को देखकर चकित थी।

मेरे परिवारजनों,

दुनिया के दूसरे देशों में राष्ट्र एक राजनीतिक परिभाषा रही है, लेकिन भारत एक राष्ट्र के तौर पर आध्यात्मिक आस्थाओं से बना है। भारत को एक बनाया है आदि शंकराचार्य और रामानुजाचार्य जैसे संतों ने, जिन्होंने अपनी यात्राओं से भारत की राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया। तमिलनाडु से आदिनम संत भी सदियों से काशी जैसे शिव स्थानों की यात्रा करते रहे हैं। काशी में कुमारगुरुपरर् ने मठों-मंदिरों की स्थापना की थी। तिरूपनन्दाल आदिनम का तो यहां से इतना लगाव है कि वो आज भी अपने नाम के आगे काशी लिखते हैं। इसी तरह, तमिल आध्यात्मिक साहित्य में ‘पाडल् पेट्र थलम्’ के बारे में लिखा है कि उनके दर्शन करने वाला व्यक्ति केदार या तिरुकेदारम् से तिरुनेलवेली तक भ्रमण कर लेता है। इन यात्राओं और तीर्थयात्राओं के जरिए भारत हजारों वर्षों से एक राष्ट्र के रूप में अडिग रहा है, अमर रहा है।

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मुझे खुशी है कि काशी तमिल संगमम के जरिए देश के युवाओं में अपनी इस प्राचीन परंपरा के प्रति उत्साह बढ़ा है। तमिलनाडु से बड़ी संख्या में लोग, वहां के युवा काशी आ रहे हैं। यहां से प्रयाग, अयोध्या और दूसरे तीर्थों में भी जा रहे हैं। मुझे बताया गया है कि काशी-तमिल संगमम में आने वाले लोगों को अयोध्या दर्शन की भी विशेष व्यवस्था की गई है। महादेव के साथ ही रामेश्वरम की स्थापना करने वाले भगवान राम के दर्शन का सौभाग्य अद्भुत है।

मेरे परिवारजनों,

हमारे यहां कहा जाता है-

जानें बिनु न होइ परतीती। बिनु परतीति होइ नहि प्रीती॥

अर्थात्, जानने से विश्वास बढ़ता है, और विश्वास से प्रेम बढ़ता है। इसलिए, ये जरूरी है कि हम एक- सरे के बारे में, एक दूसरे की परम्पराओं के बारे में, अपनी साझी विरासत के बारे में जानें। दक्षिण और उत्तर में काशी और मदुरई का उदाहरण हमारे सामने है। दोनों महान मंदिरों के शहर हैं। दोनों महान तीर्थस्थल हैं। मदुरई, वईगई के तट पर स्थित है और काशी गंगई के तट पर! तमिल साहित्य में वईगई और गंगई, दोनों के बारे में लिखा गया है। जब हम इस विरासत को जानते हैं, तो हमें अपने रिश्तों की गहराई का भी अहसास होता है।

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मेरे परिवारजनों,

मुझे विश्वास है, काशी-तमिल संगमम का ये संगम, इसी तरह हमारी विरासत को सशक्त करता रहेगा, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत बनाता रहेगा। आप सभी का काशी प्रवास सुखद हो, इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं और साथ-साथ तमिलनाडु से आए हुए प्रसिद्ध गायक भाई श्रीराम को काशी आने पर और हम सबको भाव-विभोर करने के लिए मैं श्रीराम का हृदय से धन्‍यवाद करता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं और काशीवासी भी तमिल सिंगर श्रीराम को जिस भक्ति-भाव से सुन रहे थे, उसमें भी हमारी एकता की ताकत के दर्शन कर रहे थे। मैं फिर एक बार काशी-‍तमिल संगमम की इस यात्रा, अविरत यात्रा को अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। और आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद करता हूं !

  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 21, 2024

    जय श्री राम 🚩 वन्दे मातरम् जय भाजपा विजय भाजपा
  • Devendra Kunwar October 08, 2024

    BJP
  • दिग्विजय सिंह राना September 20, 2024

    हर हर महादेव
  • JBL SRIVASTAVA May 27, 2024

    मोदी जी 400 पार
  • israrul hauqe shah pradhanmantri Jan kalyankari Yojana jagrukta abhiyan jila adhyaksh Gonda March 01, 2024

    Jai ho
  • Shaikh Mohammed Zahid February 22, 2024

    Jai ho modi ji
  • Dhajendra Khari February 19, 2024

    विश्व के सबसे लोकप्रिय राजनेता, राष्ट्र उत्थान के लिए दिन-रात परिश्रम कर रहे भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का हार्दिक स्वागत, वंदन एवं अभिनंदन।
  • ज्योती चंद्रकांत मारकडे February 11, 2024

    जय हो
  • Dhajendra Khari February 10, 2024

    Modi sarkar fir ek baar
  • Dipak Dwebedi February 10, 2024

    धरा मेरी है ज्ञान की, विज्ञान की धरा, संस्कृति के मान की सम्मान की धरा, मैं सिर्फ एक देश नहीं एक सोच हूं, सभ्यतायों में श्रेष्ठ सभ्यता की खोज हूं, मैं जोड़ने की सोच के ही संग चलूंगा, अखंड था, अखंड हूं ,अखंड रहूंगा ।।
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ये दशक उत्तराखंड का दशक बन रहा है: हर्षिल में पीएम मोदी
March 06, 2025
Quoteएक बार फिर देवभूमि उत्तराखंड में आकर धन्य हो गया: प्रधानमंत्री
Quoteयह दशक उत्तराखंड का दशक बन रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteहमारे पर्यटन क्षेत्र में विविधता लाना, इसे बारहमासी बनाना, उत्तराखंड के लिए बहुत महत्वपूर्ण है: प्रधानमंत्री
Quoteउत्तराखंड में कोई ऑफ सीजन नहीं होना चाहिए, हर मौसम में पर्यटन चालू रहना चाहिए: प्रधानमंत्री
Quoteकेंद्र और राज्य की हमारी सरकारें उत्तराखंड को एक विकसित राज्य बनाने के लिए मिलकर काम कर रही हैं: प्रधानमंत्री

गंगा मैया की जय।

गंगा मैया की जय।

गंगा मैया की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय!

उत्तराखंड का म्यारा प्यारा भै-वैण्यों, आप सबी तैं मेरी सेवा-सौंली, नमस्कार!

यहां के ऊर्जावान मुख्यमंत्री, मेरे छोटे भाई पुष्कर सिंह धामी जी, केंद्रीय मंत्री श्री अजय टम्टा जी, राज्य के मंत्री सतपाल महाराज जी, संसद में मेरे साथी और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट जी, संसद में मेरे साथी माला राज्य लक्ष्मी जी, विधायक सुरेश चौहान जी, सभी गणमान्य लोग, भाइयों और बहनों।

सबसे पहले मैं माणा गांव में कुछ दिन पहले जो हादसा हुआ है, उस पर अपना दु:ख व्यक्त करता हूं। मैं हादसे में जान गंवाने वाले साथियों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं। संकट की घड़ी में देश के लोगों ने जो एकजुटता दिखाई है, उससे पीड़ित परिवारों को बहुत हौसला मिला है।

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साथियों,

उत्तराखंड की ये भूमि, हमारी ये देवभूमि, आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत है। चार धाम और अनंत तीर्थों का आशीर्वाद, जीवनदायिनी मां गंगा का ये शीतकालीन गद्दी स्थल, आज एक बार फिर यहाँ आकर, आप सब अपने परिवारजनों से मिलकर, मैं धन्य हो गया हूं। माँ गंगा की कृपा से ही मुझे दशकों तक उत्तराखंड की सेवा का सौभाग्य मिला है। मैं मानता हूँ, उन्हीं के आशीर्वाद से मैं काशी तक पहुंचा, और अब सांसद के रूप में काशी की सेवा कर रहा हूँ। और इसलिए, मैंने काशी में कहा भी था- मुझे माँ गंगा ने बुलाया है। और कुछ महीने पहले मुझे ये भी अनुभूति हुई कि जैसे मां गंगा ने मुझे अब गोद ले लिया है। ये माँ गंगा की ही दुलार है। अपने इस बच्चे के प्रति उनका स्नेह है कि आज मैं उनके मायके मुखवा गांव आया हूँ। यहाँ मुझे मुखीमठ-मुखवा में दर्शन पूजन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

साथियों,

आज हर्षिल की इस धरती पर आया हूं तो मैं अपनी दीदी-भुलियों के स्नेह को भी याद कर रहा हूं। वो मुझे हर्षिल का राजमा और दूसरे लोकल प्रोडक्ट्स भेजती रहती हैं। आपके इस लगाव और उपहार के लिए मैं आपका आभारी हूं।

साथियों,

कुछ साल पहले जब मैं बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए, बाबा के चरणों में गया था, तो बाबा के दर्शन-अर्चन के बाद मेरे मुंह से अचानक कुछ भाव प्रकट हुए थे, और मैं बोल पड़ा था- ये दशक उत्तराखंड का दशक होगा। वो शब्द मेरे थे, भाव मेरे थे, लेकिन उनके पीछे सामर्थ्य देने की शक्ति स्वयं बाबा केदारनाथ ने दी थी। मैं देख रहा हूँ, बाबा केदार के आशीर्वाद से धीरे-धीरे वो शब्द, वो भाव सच्चाई में, हकीकत में बदल रहे हैं। ये दशक उत्तराखंड का बन रहा है। यहां उत्तराखंड की प्रगति के लिए नए-नए रास्ते खुल रहे हैं। जिन आकांक्षाओं को लेकर उत्तराखंड का जन्म हुआ था, उत्तराखंड के विकास के लिए जो संकल्प हमने लिए थे, नित नई सफलताओं और नए लक्ष्यों की ओर बढ़ते हुए वो संकल्प आज पूरे हो रहे हैं। इसी दिशा में, शीतकालीन पर्यटन एक और बड़ा महत्वपूर्ण कदम है। इसके माध्यम से उत्तराखंड के आर्थिक सामर्थ्य को साकार करने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी। मैं इस अभिनव प्रयास के लिए धामी जी को, उत्तराखंड सरकार को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ, और उत्तराखंड की प्रगति के लिए कामना करता हूँ।

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साथियों,

अपने टूरिज्म सेक्टर को diversify करना, बारहमासी बनाना, 365 दिन, ये उत्तराखंड के लिए बहुत जरूरी है। मैं चाहता हूं कि उत्तराखंड में कोई भी सीजन हो, कोई भी सीजन ऑफ सीजन ना हो, हर सीजन में टूरिज्म ऑन रहे। अब ऑफ नहीं ऑन का जमाना। अभी पहाड़ों पर पर्यटन सीजन के हिसाब से चलता है। आप सब जानते हैं, मार्च, अप्रैल, मई, जून के महीने में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं, लेकिन इसके बाद उनकी गिनती बहुत कम हो जाती है। सर्दियों में अधिकतर होटल्स, resorts और होमस्टे खाली पड़े रहते हैं। ये असंतुलन उत्तराखंड में, साल के एक बड़े हिस्से में आर्थिक सुस्ती ला देता है, इससे पर्यावरण के लिए भी चुनौती पैदा होती है।

साथियों,

सच्चाई ये है कि अगर देश-विदेश के लोग सर्दियों के मौसम में यहाँ आएं, तो उन्हें सच्चे अर्थ में देवभूमि की आभा का वास्तविक परिचय मिलेगा। विंटर टूरिज्म में यहां लोगों को ट्रैकिंग, स्कीइंग जैसी Activities का रोमांच, सचमुच में रोमांचित कर देगा। धार्मिक यात्रा के लिए भी उत्तराखंड में सर्दियों का समय बेहद खास होता है। कई तीर्थ स्थलों पर इसी समय विशेष अनुष्ठान भी होते हैं। यहां मुखवा गांव में ही देखिए, यहाँ जो धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है, वो हमारी प्राचीन और अद्भुत परंपरा का हिस्सा है। इसलिए, उत्तराखंड सरकार का बारहमासी पर्यटन का विजन, 365 दिन के पर्यटन का विजन लोगों को दिव्य अनुभूतियों से जुड़ने का अवसर देगा। इससे यहां साल भर उपलब्ध रहने वाले रोजगार के अवसर विकसित होंगे, इसका बड़ा फायदा उत्तराखंड के स्थानीय लोगों को होगा, यहां के युवाओं को होगा।

साथियों,

उत्तराखंड को विकसित राज्य बनाने के लिए हमारी डबल इंजन सरकार मिलकर काम कर रही हैं। चारधाम-ऑल वेदर रोड, आधुनिक एक्सप्रेस-वे, राज्य में रेलवे, विमान औऱ हेलीकॉप्टर सेवाओं का विस्तार, 10 वर्षों में उत्तराखंड में तेजी से विकास हुआ है। अभी कल ही उत्तराखंड के लिए केंद्र सरकार ने बहुत बड़े निर्णय लिए हैं। कल केंद्रीय कैबिनेट ने केदारनाथ रोपवे प्रोजेक्ट और हेमकुंड रोपवे प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। केदारनाथ रोपवे बनने के बाद जो यात्रा 8 से 9 घंटे में पूरी होती है, अब उसे लगभग 30 मिनट में पूरा किया जाएगा। इससे बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं के लिए केदारनाथ यात्रा और सुगम हो जाएगी। इन रोप-वे प्रोजेक्ट्स पर हजारों करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। मैं उत्तराखंड समेत पूरे देश को इन प्रोजेक्ट्स की बधाई देता हूं।

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साथियों,

आज पहाड़ों पर इको लॉग हट्स, कन्वेंशन सेंटर, हेलीपैड इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस भी किया जा रहा है। उत्तराखंड के टिम्मर-सैण महादेव, माणा गांव, जादुंग गांव में टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर नए सिरे से विकसित हो रहा है, और देशवासियों को पता होगा, शायद नहीं होगा, 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया, तब ये हमारा जादुंग गांव को खाली करवा दिया गया था, ये हमारे दो गांव खाली कर दिए गए थे। 60-70 साल हो गए, लोग भूल गए, हम नहीं भूल सकते, हमने उन दो गांवों को फिर से बसाने का अभियान चलाया है, और बहुत बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। और इसी का परिणाम है कि उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या इस एक दशक में तेजी से बढ़ी है। 2014 से पहले चारधाम यात्रा पर हर साल औसतन 18 लाख यात्री आते थे। अब हर साल लगभग 50 लाख तीर्थयात्री आने लगे हैं। इस साल के बजट में 50 Tourist destinations को विकसित करने का प्रावधान किया गया है। इन destinations पर होटलों को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिया जाएगा। इससे पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी और स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

हमारा प्रयास है, उत्तराखंड के बॉर्डर वाले इलाकों को भी पर्यटन का विशेष लाभ मिले। पहले सीमावर्ती गांवों को आखिरी गाँव कहा जाता था। हमने ये सोच बदल दी, हमने कहा ये आखिरी गांव नहीं है, ये हमारे प्रथम गाँव कहा। उनके विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम शुरू किया। इस क्षेत्र के भी 10 गांव इस योजना में शमिल किए गए हैं, और मुझे बताया गया, उस गांव से भी कुछ बंधु आज यहां हमारे सामने मौजूद हैं। नेलांग और जादुंग गांव, जिसका मैंने वर्णन किया, 1962 में क्या हुआ था, फिर से बसाने का काम शुरू किया गया है। आज यहां से जादुंग के लिए मैंने अभी-अभी बाइक रैली को रवाना किया। हमने होमस्टे बनाने वालों को मुद्रा योजना का लाभ देने का ऐलान किया है। उत्तराखंड सरकार भी राज्य में होमस्टे को बढ़ावा देने में जुटी है। जो गांव इतने दशकों तक इंफ्रास्ट्रक्चर से वंचित रहें, वहाँ नए होमस्टे खुलने से पर्यटन बढ़ रहा है, लोगों की आय बढ़ रही है।

साथियों,

आज मैं देवभूमि से, देश के पूरब-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण, और मध्य भी, हर कोने के लोगों से, खासकर युवा पीढ़ी से, और मां गंगा के मायके से, इस पवित्र भूमि से, देश की नौज़वान पीढ़ी को विशेष रूप से आह्वान कर रहा हूं, आग्रह कर रहा हूं।

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साथियों,

सर्दियों में देश के बड़े हिस्से में जब कोहरा होता है, सूर्यदेव के दर्शन नहीं होते, तब पहाड़ों पर धूप का आनंद मिल रहा होता है। ये एक स्पेशल इवेंट बन सकता है। और गढ़वाली में इसे क्या कहेंगे? 'घाम तापो पर्यटन', सही है ना? 'घाम तापो पर्यटन'। इसके लिए देश के कोने-कोने से लोग उत्तराखंड जरूर आयें। खासकर, हमारे कॉरपोरेट वर्ल्ड के साथी, वे विंटर टूरिज्म का हिस्सा बनें। Meetings करनी हों, conferences करनी हों, exhibitions करने हों, तो विंटर का समय और देवभूमि, इससे होनहार कोई जगह नहीं हो सकती है। मैं कॉरपोरेट वर्ल्ड के बड़े महानुभावों से भी आग्रह करूंगा, वो अपने बड़े-बड़े सेमिनार्स के लिए उत्तराखंड आएं, माइस सेक्टर को explore करें। यहाँ आकर लोग योग और आयुर्वेद के जरिए recharge और re-energise भी हो सकते हैं। देश की यूनिवर्सिटीज, प्राइवेट स्कूल्स और कॉलेज में, मैं उन सब नौज़वान साथियों से भी कहूंगा कि students के विंटर ट्रिप्स के लिए आप उत्तराखंड को पसंद कीजिए।

साथियों,

हमारे यहाँ हजारों करोड़ की इकोनॉमी, वेडिंग इकोनॉमी है, शादियों में हजारों करोड़ रूपये का खर्च होता है, बहुत बड़ी इकोनॉमी है। आपको याद होगा, मैंने देश के लोगों से आग्रह किया था- Wed in India, हिन्दुस्तान में शादी करों, आजकल लोग दुनिया के देशों में चले जाते हैं, यहां क्या कमी है भई? पैसे यहां खर्च करो ना, और उत्तराखंड से बढ़िया क्या हो सकता है। मैं चाहूँगा कि सर्दियों में destination वेडिंग के लिए भी उत्तराखंड को देशवासी प्राथमिकता दें। इसी तरह भारत की फिल्म इंडस्ट्री से भी मेरी अपेक्षाएं हैं। उत्तराखंड को मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का पुरस्कार मिला हुआ है। यहां तेजी के साथ आधुनिक सुविधाएं डेवलप हो रही हैं। इसलिए सर्दियों के दिनों में फिल्म की शूटिंग्स के लिए भी उत्तराखंड, पूरे भारत का फेवरेट डेस्टिनेशन बन सकता है।

साथियों,

दुनिया के कई देशों में विंटर टूरिज़्म काफी पॉपुलर है। उत्तराखंड में विंटर टूरिज़्म को बढ़ावा देने के, और इसके लिए हम ऐसे देशों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। मैं चाहूँगा, उत्तराखंड के टूरिज़्म सेक्टर से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स, होटल और resorts उन देशों की जरूर स्टडी करें। अभी मैं यहां, एक छोटी सी प्रदर्शनी लगी है, उसको मैंने देखा, बहुत प्रभावित करने वाला मुझे लगा, जो कल्पना की गई है, जो लोकेशंस तय किए गए हैं, जो आधुनिक रचनाएं खड़ी की जा रही हैं, एक-एक लोकेशन का, एक-एक चित्र इतना प्रभावित करने वाला था, जैसे मन कर रहा था, मेरे 50 साल पुरानी वो जिंदगी के दिन, मैं फिर एक बार यहां आपके बीच आकर के बिताऊ, और हर डेस्टिनेशन पर कभी जाने का मौका तलाशू, इतने बढ़िया बना रहे हैं। मैं उत्तराखंड सरकार से कहूंगा कि जो विदशों से स्टडी हो, और स्टडी से निकले एक्शनेबल प्वाइंट्स पर सक्रिय रूप से काम करे। हमें स्थानीय परंपराओं, म्यूजिक, डांस और कुजीन को बढ़ावा देना होगा। यहां कई हॉट स्प्रिंग्स हैं, सिर्फ बद्रीनाथ जी में ही है, ऐसा नहीं है, और भी है, उन क्षेत्रों को वेलनेस स्पा के रूप में भी विकसित किया जा सकता है। शांत और बर्फीले क्षेत्रों में विंटर योगा रिट्रीट का आयोजन किया जा सकता है। मैं सभी बड़े-बड़े साधु-महात्माओं को, मठ-मंदिर के मठाधिपतियों को, सभी योगाचार्यों को, उनसे भी आग्रह करूंगा कि वे साल में एक योगा कैंप अपने शिष्यों का, विंटर में उत्तराखंड में लगाए। विंटर सीजन के लिए स्पेशल वाइल्ड लाइफ सफारी का आकर्षण उत्तराखंड की विशेष पहचान बन सकता है। यानि हमें 360 डिग्री अप्रोच के साथ आगे बढ़ना होगा, हर स्तर पर काम करना होगा।

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साथियों,

सुविधाओं के विकास के अलावा, लोगों तक जानकारी पहुंचाना भी उतना ही अहम होता है। इसके लिए मैं देश के युवा content creators, आजकल सोशल मीडिया में, बहुत बड़ी संख्या में influencers हैं, content creators हैं, वे अपने यहाँ बैठे-बैठे भी मेरे उत्तराखंड की, मेरी देवभूमि की सेवा कर सकते हैं, वे भी पुण्य कमा सकते हैं। आप देश के पर्यटन सेक्टर को गति देने में, लोगों तक जानकारी पहुंचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, जो भूमिका निभाई है, उसका और विस्तार करने की जरूरत है। आप उत्तराखंड की विंटर टूरिज़्म की इस मुहिम का भी हिस्सा बनिए, और मैं तो चाहूंगा कि उत्तराखंड सरकार एक बड़ा कंपटीशन आयोजित करें, ये जो content creators हैं, influencers हैं, वे 5 मिनट की, विंटर टूरिज्म की प्रमोशन की फिल्म बनाएं, उनकी कंपटीशन हो और जो अच्छी से अच्छी बनाएं, उसको बढ़िया से बढ़िया इनाम दिया जाए, देशभर के लोगों को कहा जाए, आइए मैदान में, बहुत बड़ा प्रचार-प्रसार होना शुरू हो जाएगा। और मुझे विश्वास है जब ऐसे कंपटीशन करेंगे, तो नई-नई जगहों को एक्सप्लोर करके, नई-नई फिल्में बनाएंगे, लोगों को बताएंगे।

साथियों,

मुझे विश्वास है, आने वाले वर्षों में हम इस सेक्टर में तेज गति से विकास के साक्षी बनेंगे। एक बार फिर 365 दिन का, बारहमासी टूरिज्म अभियान, इसके लिए मैं उत्तराखंड के सभी भाई-बहनों को शुभकामनाएं देता हूं, बधाई देता हूं और राज्य सरकार का अभिनदंन करता हूं। आप सब मेरे साथ बोलिए-

गंगा मैया की जय।

गंगा मैया की जय।

गंगा मैया की जय।

बहुत-बहुत धन्यवाद।