इन– स्पेस का लॉन्च भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के लिए ‘इस अंतरिक्ष को देखें’ वाला एक क्षण है
“इन– स्पेस अंतरिक्ष के लिए, इन– स्पेस गति के लिए, इन-स्पेस सर्वोच्चता के लिए है"
"निजी क्षेत्र मात्र एक विक्रेता नहीं रहेगा बल्कि वह अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़े विजेता की भूमिका निभाएगा"
"आज हम अपने युवाओं के सामने उनकी योजनाओं को पूरा करने के लिए केवल सरकारी मार्ग की शर्त नहीं रख सकते"
"हमारा अंतरिक्ष मिशन सभी मतभेदों को पार कर देश के सभी लोगों का मिशन बन जाता है"
"इसरो महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए बधाई का पात्र है"
"भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम आत्मनिर्भर भारत अभियान की सबसे बड़ी पहचान रहा है"
"भारत को वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की जरूरत है और निजी क्षेत्र इसमें बड़ी भूमिका निभाएगा"
"भारत एक नई भारतीय अंतरिक्ष नीति और अंतरिक्ष क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी के लिए नीति पर काम कर रहा है"
"गुजरात तेजी से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के बड़े संस्थानों का केंद्र बनता जा रहा है"

नमस्‍कार! केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे साथी और इसी क्षेत्र के सांसद केंद्र, के गृह मंत्री श्री अमित शाह, गुजरात के लोकप्रिय मृदु एवं मक्‍कम, मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल जी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजित डोवाल जी, संसद में मेरे साथी श्री सी. आर. पाटिल, IN-SPACE के चेयरमैन पवन गोयनका जी, स्पेस विभाग के सचिव श्री एस. सोमनाथ जी, भारत की स्पेस इंडस्ट्री के सभी प्रतिनिधि, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों ।

आज 21वीं सदी के आधुनिक भारत की विकास यात्रा में एक शानदार अध्याय जुड़ा है। Indian National Space Promotion and Authorization Center यानि INSPACE के हेडक्वार्टर के लिए सभी देशवासियों को और विशेष कर के Scientific Community को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आजकल हम देखते हैं कि सोशल मीडिया पर युवाओं को कुछ exciting या interesting पोस्ट करना होता है, तो उससे पहले वो अलर्ट करते हैं और अलर्ट में messaging करते हैं- ‘Watch this space’ भारत की स्पेस इंडस्ट्री के लिए, INSPACE का लॉन्च होना, ‘Watch this space’ moment की तरह ही है। INSPACE, भारत के युवाओं को, भारत के best scientific minds को अपना टेलेंट दिखाने का एक अभूतपूर्व अवसर है। चाहे वो सरकार में काम कर रहे हों या प्राइवेट सेक्टर में, INSPACE सभी के लिए बेहतरीन अवसर लेकर के आया है। INSPACE में भारत की स्पेस इंडस्ट्री में क्रांति लाने की बहुत क्षमता है और इसलिए मैं आज जरूर इस बात को कहूंगा कि ‘Watch this space’ INSPACE is For स्पेस, INSPACE is For पेस, INSPACE is For एस।

साथियों,

दशकों तक भारत में स्पेस सेक्टर से जुड़ी प्राइवेट इंडस्ट्री को सिर्फ vendor के तौर पर ही देखा गया। सरकार ही सारे Space missions और projects पर काम करती थी। हमारे प्राइवेट सेक्टर वाले लोगों से जरूरत के हिसाब से बस कुछ parts और equipments ले लिए जाते थे। प्राइवेट सेक्टर को सिर्फ वेंडर बना देने की वजह से उसके सामने आगे बढ़ने के रास्ते हमेशा अवरुद्ध रहे, एक दीवार खड़ी रही। जो सरकारी व्यवस्था में नहीं है, भले ही वो कोई वैज्ञानिक हो या फिर कोई युवा, वो स्पेस सेक्टर से जुड़े अपने Ideas पर काम ही नहीं कर पाते थे। और इन सबमें नुकसान किसका हो रहा था? नुकसान देश का हो रहा था। और इस बात गवाह है कि आखिर big ideas ही तो winners बनाते हैं। स्पेस सेक्टर में reform करके, उसे सारी बंदिशों से आजाद करके, INSPACE के माध्यम से प्राइवेट इंडस्ट्री को भी सपोर्ट करके देश आज winners बनाने का अभियान शुरू कर रहा है। आज प्राइवेट सेक्टर सिर्फ vendor बनकर नहीं रहेगा बल्कि स्पेस सेक्टर में big winners की भूमिका निभाएगा। भारत के सरकारी स्पेस संस्थानों का सामर्थ्य और भारत के प्राइवेट सेक्टर का पैशन जब एक साथ जुड़ेगा तो उसके लिए आसमान भी कम पड़ेगा। ‘Even sky is not the limit’! जैसे भारत के IT सेक्टर का सामर्थ्य आज दुनिया देख रही है, वैसे ही आने वाले दिनों में भारत के स्पेस सेक्टर की ताकत नई ऊंचाई पर होगी। INSPACE, स्पेस इंडस्ट्री, स्टार्टअप्स और इसरो के बीच transfer of technology को भी facilitate करने का काम करेगा। प्राइवेट सेक्टर, ISRO के resources का इस्तेमाल भी कर सके, ISRO के साथ मिलकर काम कर सके, ये भी सुनिश्चित किया जा रहा है।

साथियों,

स्पेस सेक्टर में ये Reform करते समय, मेरे मन में हमेशा भारत के युवाओं का असीम सामर्थ्य रहा और अभी जिन स्‍टार्टअप्‍स में जा कर के मैं आया हूं, बहुत छोटी आयु के नौजवान और बहुत बुलंद हौसले के साथ वो कदम आगे रख रहे हैं, उनको देखकर के, उनको सुन करके मेरा मन बड़ा प्रसन्न हो गया। मैं इन सभी नौजवानों को बधाई देता हूं। स्पेस सेक्टर में पहले की जो व्यवस्थाएं थीं, उसमें भारत के युवाओं को उतने मौके नहीं मिल रहे थे। देश के नौजवान, अपने साथ innovation, energy और spirit of exploration को लेकर आते हैं। उनकी risk taking capacity भी बहुत होती है। ये किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। लेकिन अगर कोई युवा कोई इमारत बनाना चाहे तो क्या हम उसे कह सकते हैं कि सिर्फ PWD से बनवाओ। अगर कोई युवा कुछ Innovate करना चाहता है तो क्या उसे हम बोल सकते हैं कि ये काम सिर्फ government facility से ही होगा। ये सुनने में ही अजीब लगता है लेकिन हमारे देश में अलग-अलग सेक्टर्स में यही हालत थी। ये देश का दुर्भाग्य रहा कि समय के साथ Regulations और Restrictions इसके बीच में जो अंतर होता है, उसे भुला दिया गया। आज जब भारत का युवा, राष्ट्र निर्माण में ज्यादा से ज्यादा भागीदार बनना चाहता है तो हम उसके सामने ये शर्त नहीं रख सकते कि जो करना है, सरकारी रास्ते से ही करो। ऐसी शर्त का जमाना चला गया। हमारी सरकार भारत के युवाओं के सामने से हर अवरोध को हटा रही है, लगातार Reforms कर रही है। डिफेंस सेक्टर को प्राइवेट इंडस्ट्री के लिए खोल देना, आधुनिक ड्रोन पॉलिसी बनाना हो, geospatial data गाइडलाइंस बनानी हो, टेलीकॉम-आईटी सेक्टर में Work from Anywhere की सहूलियत देनी हो, सरकार हर दिशा में काम कर रही है। हमारी कोशिश है कि हम भारत के प्राइवेट सेक्टर के लिए ज्यादा से ज्यादा Ease of Doing Business का माहौल बनाएं, ताकि देश का प्राइवेट सेक्टर, देशवासियों की Ease of Living में उतनी ही मदद करे।

साथियों,

यहाँ आने से पहले अभी मैं INSPACE की Technical Lab और Clean Room भी देख रहा था। यहाँ सैटेलाइट्स के डिजाइन, फैब्रिकेशन, असेंबली, इंटीग्रेशन और टेस्टिंग के लिए आधुनिक उपकरण भारतीय कंपनियों के लिए उपलब्ध होंगे। यहां और भी कई आधुनिक facilities और infrastructure तैयार किए जाएंगे जो स्पेस इंडस्ट्री का सामर्थ्य बढ़ाने में मदद करेगा। आज मुझे प्रदर्शनी एरिया को भी देखने, स्पेस इंडस्ट्री और स्पेस स्टार्ट-अप्स के लोगों से बात करने का भी मौका मिला। मुझे याद है जब हम स्पेस सेक्टर में reforms कर रहे थे तो कुछ लोग आशंका जता रहे थे कि स्पेस इंडस्ट्री में कौन प्राइवेट प्लेयर आएगा? लेकिन आज स्पेस सेक्टर में आईं, 60 से ज्यादा भारतीय प्राइवेट कंपनियां, आज already उसमें lead कर रही हैं और उनको देखकर के मुझे और प्रसन्नता हुई है आज। मुझे गर्व है कि हमारे प्राइवेट इंडस्ट्री के साथियों ने Launch vehicle, satellite, ground segment और space application के क्षेत्रों में तेजी से काम शुरू कर दिया है। PSLV रॉकेट के निर्माण के लिए भी भारत के प्राइवेट प्लेयर्स आगे आए हैं। इतना ही नहीं, कई प्राइवेट कंपनियों ने तो अपने खुद के रॉकेट की डिजाइन भी तैयार कर ली है। ये भारत के स्पेस सेक्टर की असीमित संभावनाओं की एक झलक है। इसके लिए मैं अपने Scientists, industrialists, युवा उद्यमियों और सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई देता हूँ और इस पूरी यात्रा में ये जो नया मोड़ आया है, एक नई ऊंचाई का रास्ता चुना है उसके लिए अगर मुझे किसी को सबसे ज्यादा बधाई देनी है, किसी को सबसे ज्यादा धन्यवाद देना है तो मेरे ISRO के लोगों को धन्यवाद देना है। हमारे ISRO के पुराने सचिव यहां बैठे हैं जिन्‍होंने इस बात को lead किया और अब हमारे सोमनाथ जी इसको आगे बढ़ा रहे हैं और इसलिए मैं इसकी पूरी credit मेरे इन ISRO के साथियों को दे रहा हूं। इन साइंटिस्टों को दे रहा हूं। ये छोटा निर्णय नहीं है दोस्‍तों और ये स्‍टार्टअप वालों को पता है कि इतने महत्वपूर्ण निर्णय के कारण वो हिन्‍दुस्‍तान को और दुनिया को क्या कुछ देने के लिए बुलंद हौसला रखते हैं और इसलिए इसकी पूरी credit ISRO को जाती है। उन्होंने इस काम में बढ़-चढ़कर के कदम उठाए हैं, चीजों को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने कोशिश की है और जहां अपनी ही मालिकी थी, वो कह रहे हैं नहीं आइए देश के नौजवान, ये आपका है, आप आगे बढ़िए। ये अपने आप में बहुत बड़ा क्रांतिकारी decision है।

साथियों,

इस समय हम अपनी आज़ादी के 75 साल का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज़ाद भारत में हमारी जिन सफलताओं ने करोड़ों देशवासियों को प्रेरणा दी, उन्हें आत्मविश्वास दिया, उनमें हमारी स्पेस उपलब्धियों का विशेष योगदान है। ISRO जब कोई रॉकेट लॉंच करता है, कोई अभियान अंतरिक्ष में भेजता है, तो पूरा देश उससे जुड़ जाता है, गर्व महसूस करता है। देश उसके लिए प्रार्थनाएँ करता है, और जब वो सफल होता है तो हर देशवासी आनंद, उमंग और गर्व से उसकी अभिव्यक्ति करता है और उस सफलता को हिन्‍दुस्‍तान का हर नागरिक खुद की सफलता मानता है। और अगर कहीं कुछ अन्होनी हो जाए, कुछ अकल्पनीय हो गया, तो भी देश अपने वैज्ञानिकों के साथ खड़े होकर उनका हौसला बढ़ाता है। कोई साइंटिस्ट है या किसान-मजदूर है, विज्ञान की तकनीकियों को समझता है या नहीं समझता है, इन सबसे ऊपर हमारा स्पेस मिशन देश के जन गण के मन का मिशन बन जाता है। मिशन चंद्रयान के दौरान हमने भारत की इस भावनात्मक एकजुटता को देखा था। भारत का अन्तरिक्ष अभियान एक तरह से ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सबसे बड़ी पहचान रहा हैं। अब जब इस अभियान को, भारत के प्राइवेट सेक्टर की ताकत मिलेगी, तो उसकी शक्ति कितनी ज्यादा बढ़ जाएगी, आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं।

साथियों,

21वी सदी के इस समय में आपकी-हमारी जिंदगी में हर रोज स्पेस टेक्नोल़ॉजी की भूमिका बढ़ती जा रही है। जितनी ज्यादा भूमिका, जितने ज्यादा Application, उतनी ही ज्यादा संभावनाएं। 21वीं सदी में स्पेस-टेक एक बड़े revolution का आधार बनने वाला है। स्पेस-टेक अब केवल दूर स्पेस की नहीं, बल्कि हमारे पर्सनल स्पेस की टेक्नालजी बनने जा रही है। सामान्य मानवी के जीवन में Space Technology की जो भूमिका है, रोजमर्रा की जिंदगी में जिस तरह Space Technology शामिल है, उसकी तरफ अक्सर ध्यान नहीं जाता। हम टीवी खोलते हैं, इतने सारे चैनल्स हमें उपलब्ध हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि ये सैटेलाइट की मदद से हो रहा है। कहीं आना-जाना हो, ये देखना हो कि ट्रैफिक है या नहीं है, Shortest रास्ता कौन सा है, ये सब किसकी मदद से हो रहा है? सैटेलाइट की मदद से हो रहा है। Urban Planning के इतने काम हैं, कहीं रोड बन रही है, कहीं ब्रिज बन रहा है, कहीं स्कूल, कहीं अस्पताल बन रहे हैं, कहीं ग्राउंड वॉटर टेबल चेक करना है, इंफ्रा प्रोजेक्ट्स की मॉनीटरिंग करनी है, ये सारे काम सैटेलाइट की मदद से हो रहे हैं। हमारे जो Coastal Areas हैं, उनकी Planning के लिए, उनके Development में भी Space Technology की बड़ी भूमिका है। समुद्र में जाने वाले मछुआरों को भी सैटेलाइट के जरिए फिशिंग और समुद्री तूफानों की जानकारी पहले से ही मिल जाती है। आज बारिश के जो अनुमान आ रहे हैं और करीब-करीब सही निकल रहे हैं। उसी प्रकार से जब cyclone आता है, exact उसका fall point क्‍या होगा, किस दिशा में जाएगा, कितने घंटे, कितने मिनट पर वो fall करेगा, ये सारी बारिकियां सैटेलाइट की मदद से मिल रही हैं। इतना ही नहीं, एग्रीकल्चर सेक्टर में चाहे फसल बीमा योजना हो, सॉयल हेल्थ कार्ड्स का अभियान हो, सभी में स्पेस टेक्नालजी का इस्तेमाल हो रहा है। बिना Space Technology के हम आज के आधुनिक एविएशन सेक्टर की कल्पना भी नहीं कर सकते। ये सब सामान्य मानवी के जीवन से जुड़े हुए विषय हैं। भविष्य में और आपको मालूम होगा इस बार बजट में हमने टीवी के माध्‍यम से बच्‍चों को ट्यूशन देने का, पढ़ाने का एक बड़ा अभियान करने की योजना बजट में बताई है। इतना ही नहीं, जो competitive exam में जा रहे हैं और जिन बच्‍चों को गांव छोड़कर के बड़े शहरों में बहुत महंगी फीस देकर के ट्यूशन लेना पड़ता है, उसको भी हम ये सैटेलाइट के माध्‍यम से उसके घर तक उसके requirement के अनुसार syllabus तैयार करवा रहे हैं ताकि बच्‍चे उनको extra खर्चा न करना पड़े और गरीब का गरीब बच्‍चा भी अच्‍छे से अच्‍छे ट्यूशन सैटेलाइट के माध्‍यम से अपनी टीवी स्‍क्रीन पर, अपने लैपटॉप की स्‍क्रीन पर, अपने मोबाइल पर आसानी से प्राप्‍त कर सके, उस दिशा में हम जा रहे हैं।

साथियों,

भविष्य में ऐसे ही अनेक क्षेत्रों में स्पेस-टेक का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा बढ़ने वाला है। हम कैसे स्पेस टेक्नालजी को सामान्य मानवी के लिए ज्यादा से ज्यादा सुलभ बना सकें, कैसे स्पेस-टेक ease of living को बढ़ाने का माध्यम बने, और, कैसे हम इस टेक्नालजी का इस्तेमाल देश के विकास और सामर्थ्य के लिए कर सकते हैं, इस दिशा में INSPACE और प्राइवेट प्लेयर्स को लगातार काम करने की जरूरत है। Geo spatial mapping से भी जुड़ी कितनी ही संभावनाएं हमारे सामने हैं। प्राइवेट सेक्टर की इनमें बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है। हमारे पास आज सरकारी satellites का बड़ा data available है। अब आने वाले समय में प्राइवेट सेक्टर के पास भी अपना काफी डेटा होगा। डेटा की ये पूंजी आपको दुनिया में आपको बहुत बड़ी ताकत देने वाली है। इस समय दुनिया में स्पेस इंडस्ट्री का साइज़ करीब 400 billion डॉलर का है। 2040 तक इसके one trillion dollar industry बनने की संभावना पड़ी हुई है। आज हमारे पास talent भी है, experience भी है, लेकिन आज इस इंडस्ट्री में हमारा participation केवल जनभागीदारी यानी private partnership सिर्फ 2 per-cent है। हमें global space industry में अपना share बढ़ाना होगा, और इसमें हमारे प्राइवेट सेक्टर की बड़ी भूमिका है। मैं आने वाले समय में space tourism और space diplomacy के क्षेत्र में भी भारत की मजबूत भूमिका देख रहा हूँ। भारत की स्पेस कंपनियाँ ग्लोबल बनें, हमारे पास ग्लोबल स्पेस कंपनी हो, ये पूरे देश के लिए गौरव की बात होगी।

साथियों,

हमारे देश में अनंत संभावनाएं हैं, लेकिन अनंत संभावनाएं कभी भी सीमित प्रयासों से साकार नहीं हो सकतीं। मैं आपको आश्वस्त करता हूँ, देश के जवानों को आश्वस्त करता हूँ, scientific temperament वाले, risk taking capacity वाले नौजवानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि स्पेस सेक्टर में reforms का ये सिलसिला आगे भी अनवरत जारी रहेगा। प्राइवेट सेक्टर की जरूरतों को सुना जाए, समझा जाए, व्यापार की संभावनाओं का आंकलन किया जाए, इसके लिए एक मजबूत mechanism बनाया गया है। INSPACE इस दिशा में प्राइवेट सेक्टर की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक single window independent nodal agency के रूप में काम करेगा। सरकारी कंपनियों, स्पेस इंडस्ट्री, स्टार्टअप्स और institutes के बीच सामंजस्य के साथ आगे बढ़ने के लिए भारत, नई भारतीय अंतरिक्ष नीति पर भी काम कर रहा है। हम स्पेस सेक्टर में ease of doing business को बढ़ावा देने के लिए भी जल्द ही एक पॉलिसी लेकर आने वाले हैं।

साथियों,

मानवता का भविष्य, उसका विकास, आने वाले दिनों में दो ऐसे क्षेत्र हैं जो सबसे ज्‍यादा प्रभावी होने वाले हैं, हम जितना जल्दी उसको explore करेंगे, दुनिया की इस स्पर्धा में हम देरी किये बिना जितने आगे बढ़ेंगे, हम परिस्थितियों को lead भी कर पा सकते हैं, control भी कर सकते हैं और वो दो क्षेत्र हैं- एक है Space, दूसरा है Sea समंदर, ये बहुत बड़ी ताकत बनने वाले हैं और आज हम नीतियों के द्वारा उन सबको address करने का प्रयास कर रहे हैं और देश के नौजवानों को इसके साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। Space के लिए हमारे युवाओं में, खास करके स्टूडेंट्स में जो क्यूरोसिटी है वो भारत की स्पेस इंडस्ट्री के विकास के लिए बड़ी ताकत होती है। इसलिए हमारा प्रयास है कि देश में बनी हजारों अटल टिंकरिंग लैब्स में स्टूडेंट्स को स्पेस से जुड़े विषयों से निरंतर परिचित कराया जाए, उन्हें अपडेट रखा जाए। मैं देश के स्कूलों और कॉलेजों को भी आग्रह करूंगा कि वो अपने विद्यार्थियों को Space से जुड़ी भारतीय संस्थाओं और कंपनियों के बारे में बताएं, उनकी Labs की विजिट कराएं। इस सेक्टर में जिस तरह लगातार भारतीय प्राइवेट कंपनियों की संख्या बढ़ रही है, उससे भी उन्हें मदद मिलने वाली है। आपको ध्यान होगा कि भारत में पहले, मुझे मालूम नहीं है कि ऐसा क्यों था लेकिन था, मुझे ये दायित्व मिला उसके पहले की स्थिति ये थी कि जब सैटेलाइट लॉन्‍च होता था तो उस पूरे क्षेत्र में किसी को एंट्री नहीं होती थी और हम जैसे जो नेता लोग होते हैं उनको VIP की तरह वहां 12-15 लोगों को invite करके दिखाया जाता था कि सैटेलाइट लॉन्च हो रहा है और हम भी बड़े उत्साह के साथ देख रहे थे। लेकिन मेरी सोच अलग है मेरा काम करने का तरीका अलग है तो मैं पहली बार वहां प्रधानमंत्री के रूप में गया तो हमने एक निर्णय किया था, हमने देखा है कि देश के छात्रों में दिलचस्पी है, curiosity है और उस बात को ध्यान में रखते हुए जहां से हमारे सैटेलाइट लॉन्च होते हैं वो श्रीहरिकोटा में हमने एक बहुत बड़ी लॉन्च देखने की, जब सैटेलाइट जाता है उसको देखने के लिए व्यू गैलरी का निर्माण किया है और कोई भी नागरिक कोई भी स्कूल का विद्यार्थी भी इस कार्यक्रम को देख सकता है और बैठने की व्यवस्था भी छोटी नहीं है। 10 हजार लोग बैठकर के इस सैटेलाइट लॉन्च को देख सकें, इसका प्रबंध किया है। चीजें छोटी लगती हैं लेकिन भारत के जीवन पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव हो रहा है।

साथियों,

INSPACE हेडक्वार्टर का लोकार्पण आज हो रहा है, एक प्रकार से गतिविधि का केंद्र बनता जा रहा है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि गुजरात अलग-अलग सेक्टर्स में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के बड़े संस्थानों का सेंटर बनता जा रहा है। मैं भूपेंद्र भाई और उनकी पूरी टीम को, गुजरात सरकार के हमारे सभी साथियों को उनके इस initiative के लिए proactive हर नीतियों को सपोर्ट करने के लिए मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, अभिनंदन करता हूं। और आपको मालूम है अभी कुछ सप्ताह पहले ही जामनगर में WHO के Global Centre for Traditional Medicine का काम शुरू हुआ है। राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी हो, National Law University हो, पंडित दीनदयाल एनर्जी यूनिवर्सिटी हो, नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी हो, National Innovation Foundation हो, Children’s University हो, कितने ही National Institutes यहां आसपास में ही हैं। Bhaskaracharya Institute for Space Applications and Geoinformatics - यानी BISAG इसकी स्थापना ने देश के अन्य राज्यों की भी प्रेरणा बन गई है। इन बड़े संस्थानों के बीच अब IN-SPACE भी इस जगह की पहचान बढ़ाएगा। मेरा देश के युवाओं से, विशेष कर गुजरात के युवाओं से आग्रह है कि वो इन बेहतरीन भारतीय संस्थाओं का पूरा लाभ उठाएं। मुझे पूरा भरोसा है, आपकी सक्रिय भूमिका से भारत स्पेस सेक्टर में नई ऊंचाई हासिल करेगा। और आज के इस शुभ अवसर पर मैं खासकर के जो प्राइवेट सेक्टर ने उत्साह के साथ भाग लिया है, जो नौजवान नए हौसले, नए संकल्पों के साथ आगे आए, उनको बधाई भी देता हूं और बहुत-बहुत शुभकामनाएं भी देता हूं। मैं ISRO के सभी वैज्ञानिकों को भी और ISRO की पूरी टीम को भी अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। और मुझे विश्वास है Goenka private sector में बहुत सफल व्यक्तित्व रहा है, उनके नेतृत्व में INSPACE सच्चे अर्थ में जो सपना हमारा है उस सपने को पूरा करने का सामर्थ्य ले के आगे बढ़ेगा। इन्हीं अपेक्षाओं के साथ अनेक-अनेक शुभकामनाओं के साथ, मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं!

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!