लगभग 14,850 करोड़ रुपये की लागत से 296 किलोमीटर चार लेन एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया गया है
क्षेत्र में संपर्क सुविधा और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक्सप्रेस-वे
उत्‍तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे परियोजनाएं राज्य के कई उपेक्षित क्षेत्रों को जोड़ रही हैं
उत्तर प्रदेश का हर भाग नए सपनों और नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ने को तैयार है
उत्तर प्रदेश की पहचान देश भर में बदल रही है क्योंकि यह कई उन्नत राज्यों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है
समय से पहले परियोजनाओं को पूरा करके, हम लोगों के जनादेश और उनके विश्वास का सम्मान कर रहे हैं
हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद रखना चाहिए और अगले एक माह में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करके नए संकल्प का वातावरण बनाना चाहिए
देश को नुकसान पहुंचाने वाली, देश के विकास को प्रभावित करने वाली हर बाधा को दूर रखना होगा
डबल इंजन वाली सरकारें नि:शुल्‍क उपहारों और 'रेवड़ी' संस्कृति के शॉर्ट-कट को नहीं अपना रही हैं और कड़ी मेहनत के माध्यम से सेवाओं का वितरण कर रही हैं
देश की राजनीति से मुफ्तखोरी की संस्कृति को हराना और हटाना है
संतुलित विकास सामाजिक न्याय के समान है

भारत माता की – जय, भारत माता की - जय, भारत माता की - जय, बुंदेलखंड की जा वेदव्यास की जन्म स्थली, और हमाई बाईसा महारानी लक्ष्मीबाई की जा धरती पे, हमें बेर बेर बीरा आबे अवसर मिलऔ। हमें भोतई प्रसन्नता है! नमस्कार।

उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, यूपी के उप-मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य जी, उप मुख्मंत्री श्री ब्रजेश पाठक जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी और इसी क्षेत्र के वासी श्री भानूप्रताप सिंह जी, यूपी सरकार के मंत्रिगण, सांसदगण, विधायकगण, अन्य जनप्रतिनिधि, और बुंदेलखंड के मेरे प्यारे बहनों और भाइयों,

यूपी के लोगों को, बुंदेलखंड के सभी बहनों-भाइयों को आधुनिक बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, इसके लिए बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं। ये एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड की गौरवशाली परंपरा को समर्पित है। जिस धरती ने अनगिनत शूरवीर पैदा किए, जहां के खून में भारतभक्ति बहती है, जहां के बेटे-बेटियों के पराक्रम और परिश्रम ने हमेशा देश का नाम रौशन किया है, उस बुंदेलखंड की धरती को आज एक्सप्रेसवे का ये उपहार देते हुए उत्तर प्रदेश के सांसद के नाते, उत्तर प्रदेश के जनप्रतिनिधि के नाते मुझे विशेष खुशी मिल रही है।

भाइयों और बहनों,

मैं दशकों से उत्तर प्रदेश आता-जाता रहा हूं। यूपी के आशीर्वाद से पिछले आठ साल से देश का प्रधानसेवक के रूप में कार्य करने का आप सबने जिम्मा दिया है। लेकिन मैंने हमेशा देखा था, अगर उत्तरप्रदेश में दो महत्वपूर्ण चीजें जोड़ दी जाए, उसकी कमी को अगर पूरा कर दिया जाये तो उत्तर प्रदेश चुनौतियों को चुनौती देने की बहुत बड़ी ताकत के साथ खड़ा हो जायेगा। पहला मुद्दा था यहां की खराब कानून व्यवस्था। जब मैं पहले की बात कर रहा हूं। क्या हाल था आप जानते हैं, और दूसरी हालत थी हर प्रकार से खराब कनेक्टिविटी। आज उत्तर प्रदेश के लोगों ने मिलकर योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की पूरी तस्वीर बदल दी है। योगी जी के नेतृत्व वाली सरकार में कानून व्यवस्था भी सुधरी है और कनेक्टिविटी भी तेजी से सुधर रही है। आजादी के बाद के सात दशकों में यूपी में यातायात के आधुनिक साधनों के लिए जितना काम हुआ, उससे ज्यादा काम आज हो रहा है। मैं आपसे पूछ रहा हूं हो रहा है कि नहीं हो रहा है? हो रहा है कि नहीं हो रहा है? आंखों के सामने दिख रहा है कि नहीं दिख रहा है? बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से चित्रकूट से दिल्ली की दूरी करीब-करीब 3-4 घंटे कम हुई ही है, लेकिन इसका लाभ इससे भी कहीं गुणा ज्यादा है। ये एक्सप्रेसवे यहां सिर्फ वाहनों को गति देगा इतना ही नहीं है, बल्कि ये पूरे बुंदेलखंड की औद्योगिक प्रगति को भी गति देने वाला है। इसके दोनों तरफ, इस एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ अनेक उद्योग स्थापित होने वाले हैं, यहां भंडारण की सुविधाएं, कोल्ड स्टोरेज की सुविधाएं बनने वाली हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की वजह से इस क्षेत्र में कृषि आधारित उद्योग लगाने बहुत आसान हो जाएंगे, खेत में पैदा होने वाली उपज को नए बाज़ारों में पहुंचाना आसान होगा। बुंदेलखंड में बन रहे डिफेंस कॉरिडोर को भी इससे बहुत मदद मिलेगी। यानि ये एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड के कोने-कोने को विकास, स्वरोज़गार और नए अवसरों से भी जोड़ने वाला है।

साथियों,

एक समय था जब माना जाता था कि यातायात के आधुनिक साधनों पर पहला अधिकार सिर्फ बड़े – बड़े शहरों का ही है। मुंबई हो, चेन्नई हो, कोलकाता हो, बैंगलुरू हो, हैदराबाद हो, दिल्ली हो सबकुछ उनकों ही मिले। लेकिन अब सरकार की बदली है, मिजाज भी बदला है और ये मोदी है, ये योगी है, अब उस पुरानी सोच को छोड़कर उसे पीछे रखकर हम एक नए तरीके से आगे बढ़ रहे हैं। साल 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में कनेक्टिविटी के जो काम शुरू हुए, उनमें बड़े शहरों के साथ ही छोटे शहरों को भी उतनी ही प्राथमिकता दी गई है। ये बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, महोबा, जालौन, औरैया और इटावा से होकर गुजर रहा है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, लखनऊ के साथ ही बाराबंकी, अमेठी, सुलतानपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर से गुजर रहा है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, अंबेडकरनगर, संत कबीरनगर और आजमगढ़ को जोड़ता है। गंगा एक्सप्रेसवे- मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज को जोड़ने का काम करेगा। दिखता है कितनी बड़ी ताकत पैदा हो रही है। उत्तर प्रदेश का हर कोना नए सपनों को लेकर के, लए संकल्पों को लेकर के अब तेज गति से दौड़ने के लिए तैयार हो चुका है, और यही तो सबका साथ है, सबका विकास है। ना कोई पीछे छूटे, सब मिलकर आगे बढ़ें, इसी दिशा में डबल इंजन की सरकार लगातार काम कर रही है। यूपी के छोटे-छोटे जिले हवाई सेवा से जुड़ें, इसके लिए भी तेजी से काम किया जा रहा है। बीते कुछ समय में प्रयागराज, गाजियाबाद में नए एयरपोर्ट टर्मिनल बनाए गए, कुशीनगर में नए एयरपोर्ट के साथ ही नोएडा के जेवर में एक और इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर काम चल रहा है। भविष्य में यूपी के कई और शहरों को, वहां भी हवाई रूट से जोड़ने की कोशिश हो रही है। ऐसी सुविधाओं से पर्यटन उद्योग को भी बहुत बल मिलता है। और मैं जब आज यहां मंच पर आ रहा था तो उससे पहले मैं इस बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का प्रेजेंटेशन देख रहा था एक मॉडयूल लगाया वो देख रहा था, और मैंने देखा कि इस एक्सप्रेसवे के बगल में जो-जो स्थान हैं वहां पर कई सारे किले हैं, सिर्फ झांसी का एक किला है ऐसा नहीं, कई सारे किले हैं। आपमें से जो विदेश कि दुनिया जानते हैं उनको मालुम होगा, यूरोप के कई देश ऐसे हैं जहां पर किले देखने का एक बहुत बड़ा टूरिज्म उद्योग चलता है और दुनिया के लोग पुराने किले देखने के लिए आते हैं। आज बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे बनने के बाद मैं योगी जी की सरकार को कहुंगा कि आप भी इन किलों को देखने के लिए एक शानदार सर्किट टूरिज्म बनाइये, दुनियाभर के टूरिस्ट यहां आए और मेरे बुंदेलखंड की इस ताकत को देखें। इतना ही नहीं मैं आज योगी जी से आग्रह एक और करुंगा, आप उत्तरप्रदेश के नौजवानों के लिए इस बार जब ठंड की सीजन शुरू हा जाए, मौसम ठंडी का शुरू हो जाए तो किले चढ़ने की स्पर्धा आयोजित किजिए और परंपरागत रास्ते से नहीं कठिन से कठिन रास्ता तय कीजिए और नौजवान को बुलाइये कौन जल्दी से जल्दी चढ़ता है, कौन किले पर सवार होता है। आप देखने उत्तर प्रदेश के हजारों नौजवान इस स्पर्धा में जुड़ने के लिए आ जायेंगे और उसके कारण बुंदेलखंड में लोग आएंगे, रात को मुकाम करेंगे, कुछ खर्चा करेंगे, रोजी-रोटी के लिए बहुत बड़ी ताकत खड़ी हो जाएगी। साथियों, एक एक्सप्रेसवे कितने प्रकार के कामों को अवसर का जन्म दे देता है।

साथियों,

डबल इंजन की सरकार में आज यूपी, जिस तरह आधुनिक हो रहा है, ये वाकई अभूतपूर्व है। जिस यूपी में जरा याद रखना दोस्तों मैं जो कह रहा हूं। याद रखोगे? याद रखोगे? जरा हाथ ऊपर करके बताओ याद रखोगे? पक्का याद रखोगे? बार-बार लोगों को बताओगे? तो याद रखिये जिस यूपी में सरयू नहर परियोजना को पूरा होने में 40 साल लगे, जिस यूपी में गोरखपुर फर्टिलाइजर प्लांट 30 साल से बंद पड़ा था, जिस यूपी में अर्जुन डैम परियोजना को पूरा होने में 12 साल लगे, जिस यूपी में अमेठी रायफल कारखाना सिर्फ एक बोर्ड लगाकर के पड़ा हुआ था। जिस यूपी में रायबरेली रेल कोच फैक्ट्री डिब्बे नहीं बनाती थी, सिर्फ डिब्बों का रंग-रौगन करके काम चला रही थी, उस यूपी में अब इंफ्रास्ट्रक्चर पर इतनी गंभीरता से काम हो रहा है, कि उसने अच्छे-अच्छे राज्यों को भी पीछे छोड़ दिया है दोस्तो। पूरे देश में अब यूपी की पहचान बदल रही है। आपको गर्व होता है कि नहीं होता है? आज यूपी का नाम रोशन हो रहा है आपको गर्व हो रहा है कि नहीं हो रहा है? अब पूरा हिन्दुस्तान यूपी के प्रति बड़े अच्छे भाव से देख रहा है, आपको आनंद हो रहा है कि नहीं हो रहा है?

और साथियों,

बात सिर्फ हाईवे या एयरवे की नहीं है। शिक्षा का क्षेत्र हो, मैन्यूफैक्चरिंग का क्षेत्र हो, खेती-किसानी हो, यूपी हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। पहले की सरकार के समय यूपी में हर साल ये भी याद रखना, रखोगे? रखोगे? जरा हाथ ऊपर करके बताओ रखोगे? पहले की सरकार के समय यूपी में हर साल औसतन 50 किलोमीटर रेल लाइन का दोहरीकरण होता था। कितना? कितना किलोमीटर? कितने किलोमीटर? – पचास। पहले हमारे आने से पहले रेलवे का दोहरीकरण 50 किलोमीटर। मेरे उत्तर प्रदेश के नौजवानों भविष्य कैसे गढ़ता है देखिए, आज औसतन 200 किलोमीटर का काम हो रहा है। 200 किलोमीटर रेल लाइन का दोहरीकरण हो रहा है। 2014 से पहले यूपी में सिर्फ 11 हजार कॉमन सर्विस सेंटर्स थे। जरा आंकड़ा याद रखिए कितने? कितने? 11 हजार। आज यूपी में एक लाख 30 हजार से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर्स काम कर रहे हैं। ये आंकड़ा याद रखोगे? एक समय में यूपी में सिर्फ 12 मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे। आंकड़ा याद रहा कितने मेडिकल कॉलेज? जरा जोर से बताइये कितने? 12 मेडिकल कॉलेज। आज यूपी में 35 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज हैं और 14 नए मेडिकल कॉलेजों पर काम चल रहा है। मतलब कहां 14 और कहां 50.

भाइयों और बहनों,

विकास की जिस धारा पर आज देश चल रहा है, उसके मूल में दो प्रमुख पहलू हैं। एक है इरादा और दूसरा है मर्यादा। हम देश के वर्तमान के लिए नई सुविधाएं ही नहीं गढ़ रहे बल्कि देश का भविष्य भी गढ़ रहे हैं। पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान के जरिए, हम 21वीं सदी के इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में जुटे हैं।

और साथियों,

विकास के लिए हमारा सेवाभाव ऐसा है कि हम समय की मर्यादा को टूटने नहीं देते। हम समय की मर्यादा का पालन कैसे करते हैं, इसके अनगिनत उदाहरण हमारे इसी उत्तर प्रदेश में हैं। काशी में विश्वनाथ धाम के सुंदरीकरण का काम हमारी सरकार ने शुरू किया और हमारी ही सरकार ने इसे पूरा करके दिखाया। गोरखपुर एम्स का शिलान्यास भी हमारी सरकार ने किया और उसका लोकार्पण भी इसी सरकार में हुआ। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का शिलान्यास भी हमारी सरकार ने किया और उसका लोकार्पण भी हमारी सरकार में हुआ। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे भी इसी का उदाहरण है। इसका काम अगले साल फरवरी में पूरा होना था लेकिन ये 7-8 महीने पहले ही सेवा के लिए तैयार है मेरे दोस्तों। और कोरोना की परिस्थितियों के बावजूद कितनी कठिनाईयां हैं हर परिवार जानता है। इन कठिनाईयों के बीच को ही हमने इस काम को समय से पहले किया है। ऐसे ही काम से हर देशवासी को ऐहसास होता है कि जिस भावना से उसने अपना वोट दिया, उसका सही मायने में सम्मान हो रहा है, सदुपयोग हो रहा है। मैं इसके लिए योगी जी और उनकी टीम को बधाई देता हूं।

साथियों,

जब मैं कोई रोड का उद्धघाटन करता हूं, कोई अस्पताल का उद्घाटन करता हूं कोई कारखाने का उद्घाटन करता हूं तो मेरे दिल में एक ही भाव होता है कि मैं जिन मतदाताओं ने ये सरकार बनाई है उनको सम्मान देता हूं और देश के सभी मतदाताओं को सुविधा देता हूं।

साथियों,

आज पूरी दुनिया भारत को बहुत आशा से देख रही है। हम अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहे हैं, अगले 25 वर्षों में भारत जिस ऊंचाई पर होगा, उसका रोडमैप बना रहे हैं। और आज जब मैं बुंदेलखड़ की धरती पर आया हूं, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के इलाके में आया हूं। यहां से इस वीर भूमि से मैं हिन्दुस्तान के छह लाख से भी ज्यादा गांव के लोगों को करबद्ध् प्रार्थना करता हूं। कि आज जो हम आजादी का पर्व मना रहे हैं। इसके लिए सैंकड़ों वर्षों तक हमारे पूवर्जों ने लड़ाई लड़ी है, बलिदान दिए हैं, यातनाएं झेली हैं, जब 5 वर्ष है, हमारा दायित्व बनता है अभी से योजना बनाए, आने वाला एक महीना 15 अगस्त तक हर गांव में अनेक कार्यक्रम हों, गांव मिलकर के कार्यक्रम करे, आजादी का अमृत महोत्सव मनाने की योजना बनाए। वीरों को याद करें, बलिदानियों याद करें, स्वतंत्र सैनानियों को याद करें, हर गांव में नया संकल्प लेने का एक वातावरण बने। ये मैं सब देशवासियों को आज इस वीरों की भूमि से प्रार्थना करता हूं।

साथियों,

आज भारत में ऐसा कोई भी काम नहीं होना चाहिए, जिसका आधार वर्तमान की आकांक्षा और भारत के बेहतर भविष्य से जुड़ा हुआ ना हो। हम कोई भी फैसला लें, कोई भी निर्णय लें, कोई भी नीति बनाएं, इसके पीछे सबसे बड़ी सोच यही होनी चाहिए कि इससे देश का विकास और तेज होगा। हर वो बात, जिससे देश को नुकसान होता है, देश का विकास प्रभावित होता है, उससे हमें हमेशा हमेशा दूर रखना है। आजादी के 75 वर्षों बाद भारत को विकास का ये सबसे बेहतरीन मौका मिला है। हमें इस मौके को गंवाना नहीं है। हमें इस कालखंड में देश का ज्यादा से ज्यादा विकास करके उसे नई ऊंचाई पर पहुंचाना है, नया भारत बनाना है।

साथियों,

नए भारत के सामने एक ऐसी चुनौती भी है, जिस पर अगर अभी ध्यान नहीं दिया गया, तो भारत के युवाओं का, आज की पीढ़ी का बहुत नुकसान हो सकता है। आपका आज गुमराह हो जाएगा और आपकी आने वाली कल अंधेरे में सिमट जाएगी दोस्तों। इसलिए अभी से जागना जरूरी है। आजकल हमारे देश में मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की भरसक कोशिश हो रही है। ये रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है। इस रेवड़ी कल्चर से देश के लोगों को और खासकर के मेरे युवाओं को बहुत सावधान रहने की जरूरत है। रेवड़ी कल्चर वाले कभी आपके लिए नए एक्सप्रेसवे नहीं बनाएंगे, नए एयरपोर्ट या डिफेंस कॉरिडोर नहीं बनवाएंगे। रेवड़ी कल्चर वालों को लगता है कि जनता जनार्दन को मुफ्त की रेवड़ी बांटकर, उन्हें खरीद लेंगे। हमें मिलकर उनकी इस सोच को हराना है, रेवड़ी कल्चर को देश की राजनीति से हटाना है।

साथियों,

रेवड़ी कल्चर से अलग, हम देश में रोड बनाकर, नए रेल रूट बनाकर, लोगों की आकांक्षों को पूरा करने का काम कर रहे हैं। हम गरीबों के लिए करोड़ों पक्के घर बना रहे हैं, दशकों से अधूरी सिंचाई परियोजनाएं पूरी कर रहे हैं, छोटे-बड़े अनेक डैम बना रहे हैं, नए-नए बिजली के कारखाने लगवा रहे हैं, ताकि गरीब का, किसान का जीवन आसान बने और मेरे देश के नौजवानों का आने वाला भविष्य अंधकार में डूब न जाये।

साथियों,

इस काम में मेहनत लगती है, दिन रात खटना पड़ता है, खुद को जनता की सेवा के लिए समर्पित करना होता है। मुझे खुशी है कि देश में जहां भी हमारी डबल इंजन की सरकार हैं, वो विकास के लिए इतनी मेहनत कर रही हैं। डबल इंजन की सरकार मुफ्त की रेवड़ी बांटने का शॉर्टकट नहीं अपना रही, डबल इंजन की सरकार, मेहनत करके राज्य के भविष्य को बेहतर बनाने में जुटी हैं।

और साथियों,

आज मैं आपको एक और बात भी कहूंगा। देश का संतुलित विकास, छोटे शहरों और गांवों में भी आधुनिक सुविधाओं का पहुंचना, ये काम भी एक प्रकार से सच्चे अर्थ में सामाजिक न्याय का काम है। जिस पूर्वी भारत के लोगों को, जिस बुंदेलखंड के लोगों को दशकों तक सुविधाओं से वंचित रखा गया, आज जब वहां आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है, तो सामाजिक न्याय भी हो रहा है। यूपी के जिन जिलों को पिछड़ा मानकर उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया गया था, वहां जब विकास हो रहा है, तो ये भी एक तरह का सामाजिक न्याय है। गांव-गांव को सड़कों से जोड़ने के लिए तेजी से काम करना, घर-घर तक रसोई गैस का कनेक्शन पहुंचाना, गरीब को पक्के घर की सुविधा देना, घर-घर में शौचालय बनाना, ये सारे काम भी सामाजिक न्याय को ही मजबूत करने वाले कदम हैं। बुंदेलखंड के लोगों को भी हमारी सरकार के सामाजिक न्याय भरे कार्यों से बहुत लाभ हो रहा है।

भाइयों और बहनों,

बुंदेलखंड की एक और चुनौती को कम करने के लिए हमारी सरकार निरंतर काम कर रही है। हर घर तक पाइप से पानी पहुंचाने के लिए हम जल जीवन मिशन पर काम कर रहे हैं। इस मिशन के तहत बुंदेलखंड के लाखों परिवारों को पानी का कनेक्शन दिया जा चुका है। इसका बहुत बड़ा लाभ हमारी माताओं, हमारी बहनों को हुआ है, उनके जीवन से मुश्किलें कम हुई हैं। हम बुंदेलखंड में नदियों के पानी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। रतौली बांध परियोजना, भावनी बांध परियोजना और मझगांव-चिल्ली स्प्रिंकलर सिंचाई परियोजना, ऐसे ही प्रयासों का परिणाम हैं। केन-बेतबा लिंक प्रोजेक्ट के लिए हज़ारों करोड़ रुपए स्वीकृत किए जा चुके हैं। इससे बुंदेलखंड के बहुत बड़े हिस्से का जीवन बदलने वाला है।

साथियों,

मेरा बुंदेलखंड के साथियों से एक और आग्रह भी है। आज़ादी के 75 वर्ष के अवसर पर देश ने अमृत सरोवरों के निर्माण का संकल्प लिया है। बुंदेलखंड के हर जिले में भी 75 अमृत सरोवर बनाए जाएंगे। ये जल सुरक्षा के लिए, आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत बड़ा काम हो रहा है। मैं आज आप सभी से कहूंगा कि इस नेक काम में मदद के लिए ज्यादा से ज्यादा संख्या में आगे आएं। अमृत सरोवर के लिए गांव-गांव तार सेवा का अभियान चलना चाहिए।

भाइयों और बहनों,

बुंदेलखंड के विकास में बहुत बड़ी ताकत यहां के कुटीर उद्योगों की भी है। आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी सरकार द्वारा इस कुटीर परंपरा पर भी बल दिया जा रहा है। मेक इन इंडिया, भारत की इसी कुटीर परंपरा से सशक्त होने वाला है। छोटे प्रयासों से कैसे बड़ा प्रभाव पड़ रहा है, इसका एक उदाहरण मैं आज आपको भी और देशवासियों को देना चाहता हूं।

साथियों,

भारत, हर साल करोड़ों रुपए के खिलौने, दुनिया के दूसरे देशों से मंगाता रहा है। अब बताइए छोटे-छोटे बच्चों के लिए छोटे-छोटे खिलोने ये भी बाहर से लाए जाते थे। जबकि भारत में खिलौने बनाना तो पारिवारिक और पारंपरिक उद्योग रहा है, पारिवारिक व्यवसाय रहा है। उसे देखते हुए मैंने भारत में खिलौना उद्योग को नए सिरे से काम करने का आग्रह किया था। लोगों से भी भारतीय खिलौनों को खरीदने की अपील की थी। इतने कम समय में सरकार के स्तर पर जो काम करने जरूरी था, वो भी हमने किया। इन सबका नतीजा ये निकला कि आज और हर हिन्दुसतानी को गर्व होगा, मेरे देश के लोग सच्ची बात को कैसे दिल से ले लेते हैं इसका ये उदाहरण है। इस सबका नतीजा ये निकला कि आज विदेश से आने वाले खिलौनों की संख्या बहुत बड़ी मात्रा में कम हो आई है। मैं देशवासियों का आभार व्यक्त करता हूं। इतना ही नहीं, भारत से अब बड़ी संख्या में खिलौने, विदेश भी जाने लगे हैं। इसका लाभ किसे मिला है? खिलौने बनाने वाले हमारे ज्यादातर साथी गरीब परिवार हैं, दलित परिवार हैं, पिछड़े परिवार हैं, आदिवासी परिवार हैं। हमारी महिलाएं खिलौने बनाने के काम में जुड़ी रहती हैं। इस उद्योग से हमारे इन सब लोगों को लाभ हुआ है। झांसी, चित्रकूट, बुंदेलखंड में तो खिलौनों की बड़ी समृद्ध परंपरा रही है। इन्हें भी डबल इंजन की सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है।

साथियों,

शूरवीरों की धरती बुंदेलखंड के वीरों ने खेल के मैदान पर भी विजय पताका फहराई है। देश के सबसे बड़े खेल सम्मान का नाम अब बुंदेलखंड के सपूत मेजर ध्यानचंद के नाम पर ही है। ध्यानचंद जी ने जिस मेरठ में काफी समय गुजारा था, वहां पर उनके नाम से एक स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी भी बनाई जा रही है। कुछ समय पहले हमारी झांसी की ही एक बिटिया, शैली सिंह ने भी कमाल करके दिखाया। हमारे ही बुंदेलखंड़ की बेटी शैली सिंह ने लंबी कूद में नए-नए रिकॉर्ड बनाने वाली शैली सिंह पिछले साल अंडर-ट्वेंटी वर्ल्ड एथलीटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल भी जीता है। बुंलेदखंड ऐसी युवा प्रतिभाओं से भरा हुआ है। यहां के युवाओं को आगे बढ़ने का खूब अवसर मिले, यहां से पलायन रुके, यहां आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बने, इसी दिशा में हमारी सरकार काम कर रही है। यूपी ऐसे ही सुशासन की नई पहचान को मजबूत करता रहे, इसी कामना के साथ आप सभी को बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के लिए फिर से बहुत-बहुत बधाई, और फिर से याद कराता हूं 15 अगस्त तक पूरा महीना हिन्दुस्तान के हर घर में, हर गांव में आजादी का महोत्सव मनना चाहिए, शानदार मनना चाहिए, आप सबको बहुत शुभकामनाएं, बहुत बहुत धन्यवाद। पूरी ताकत से बोलिये भारत माता की – जय, भारत माता की – जय, भारत माता की – जय, बहुत-बहुत धन्यवाद।

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PM Modi extends greetings to Sashastra Seema Bal personnel on Raising Day
December 20, 2025

The Prime Minister, Narendra Modi, has extended his greetings to all personnel associated with the Sashastra Seema Bal on their Raising Day.

The Prime Minister said that the SSB’s unwavering dedication reflects the highest traditions of service and that their sense of duty remains a strong pillar of the nation’s safety. He noted that from challenging terrains to demanding operational conditions, the SSB stands ever vigilant.

The Prime Minister wrote on X;

“On the Raising Day of the Sashastra Seema Bal, I extend my greetings to all personnel associated with this force. SSB’s unwavering dedication reflects the highest traditions of service. Their sense of duty remains a strong pillar of our nation’s safety. From challenging terrains to demanding operational conditions, the SSB stands ever vigilant. Wishing them the very best in their endeavours ahead.

@SSB_INDIA”