Quote"130 करोड़ भारतीयों का यह परिवार मेरा है, आप लोग मेरी जिंदगी में सबकुछ हैं और यह जीवन भी आपके लिए है"
Quote"मैं अपना संकल्प को दोहराता हूं कि मैं सभी के कल्याण के लिए, प्रत्येक भारतीय के सम्मान के लिए, प्रत्येक भारतीय की सुरक्षा के लिए और प्रत्येक भारतीय की समृद्धि के लिए और सबके जीवन में सुख और शांति के लिए जो कुछ भी कर सकता हूं, करूंगा।"
Quote"सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण ने लोगों के लिए सरकार के अर्थ बदल दिए हैं"
Quote"सरकार उन समस्याओं का स्थायी समाधान देने का प्रयास कर रही है जिन्हें पहले स्थायी मान लिया गया था"
Quote"हमारी सरकार ने पहले दिन से ही गरीबों को सशक्त बनाना शुरू किया"
Quote"हम वोट बैंक नहीं एक नया भारत बनाने के लिए काम कर रहे हैं"
Quote“100% सशक्तिकरण का अर्थ है भेदभाव और तुष्टिकरण को समाप्त करना। 100% सशक्तिकरण का मतलब है कि हर गरीब को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिले”
Quote"नए भारत की क्षमता के लिए कोई लक्ष्य असंभव नहीं"

भारत माता की, जय।

भारत माता की, जय।

हिमाचल प्रदेश के गवर्नर श्रीमान राजेंद्र जी, यहां के लोकप्रिय और कर्मठ मुख्यमंत्री मेरे मित्र श्रीमान जय राम ठाकुर जी, प्रदेश के अध्‍यक्ष हमारे पुराने साथी श्रीमान सुरेश जी, केंद्र के मंत्री परिषद के मेरे साथियो, सांसदगण, विधायकगण, हिमाचल के सभी जनप्रतिनिधिगण। आज मेरे जीवन में एक विशेष दिवस भी है और उस विशेष दिवस पर इस देवभूमि को प्रणाम करने का मौका मिले, इससे बड़ा जीवन का सौभाग्‍य क्‍या हो सकता है। आप इतनी बड़ी तदाद में हमें आशीर्वाद देने के लिए आए मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

अभी देश के करोड़ों-करोड़ किसानों को उनके खाते में पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा ट्रांसफर हो गया, पैसा उनको मिल भी गया, और आज मुझे शिमला की धरती से देश के 10 करोड़ से भी ज्‍यादा किसानों के खाते में पैसे पहुंचाने का सौभाग्‍य मिला है। वे किसान भी शिमला को याद करेंगे, हिमाचल को याद करेंगे, इस देवभूमि को याद करेंगे। मैं इन सभी किसान भाइयों-बहनों को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

ये कार्यक्रम शिमला में है, लेकिन एक प्रकार से ये कार्यक्रम आज पूरे हिंदुस्‍तान का है। हमारी यहां चर्चा चल रही थी कि सरकार के आठ साल होने पर कैसा कार्यक्रम किया जाए, कौन सा कार्यक्रम किया जाए। तो हमारे नड्डा जी, जो हिमाचल के ही हैं, हमारे जयराम जी; उनकी तरफ से एक सुझाव आया और दोनों सुझाव मुझे बहुत अच्‍छे लगे। ये आठ वर्ष के निमित्‍त कल मुझे कोरोनाकाल में जिन बच्‍चों ने अपने माता और पिता दोनों खो दिए, ऐसे बच्‍चों का जिम्‍मा संभालने का अवसर कल मुझे मिला। देश के उन हजारों बच्‍चों का देखभाल का निर्णय सरकार ने किया, और कल उनको मैंने कुछ पैसे भी भेज दिए डिजिटली। आठ साल की पूर्ति में ऐसा कार्यक्रम होना मन को बहुत सुकून देता है, आनंद देता है। और फिर मेरे सामने सुझाव आया कि हम एक कार्यक्रम हिमाचल में करें, तो मैंने आंख बंद करके हां कह दिया। क्‍योंकि मेरे जीवन में हिमाचल का स्‍थान इतना बड़ा है, इतना बड़ा है और खुशी के पल अगर हिमाचल में आ करके बिताने का मौका मिले तो फिर तो बात ही क्‍या बनती है जी। आज इसलिए मैंने कहा आठ साल के निमित्‍त देश का ये महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम आज शिमला की धरती पर हो रहा है, जो कभी मेरी कर्मभूमि रही, मेरे लिए जो देवभूमि है, मेरे लिए जो पुण्‍यभूमि है। वहां पर मुझे आज देशवासियों को इस देवभूमि से बात करने का मौका मिले, ये अपने-आप में मेरे लिए खुशी अनेक गुना बढ़ा देने वाला काम है।

साथियो,

130 करोड़ भारतीयों के सेवक के तौर पर काम करने का मुझे आप सबने जो अवसर दिया, मुझे जो सौभाग्य मिला है, सभी भारतीयों का जो विश्वास मुझे मिला है, अगर आज मैं कुछ कर पाता हूं, दिन-रात दौड़ पाता हूं, तो ये मत सोचिए कि मोदी करता है, ये मत सोचिए कि मोदी दौड़ता है। ये सब तो 130 करोड़ देशवासियों की कृपा से हो रहा है, आशीर्वाद से हो रहा है, उनकी बदौलत हो रहा है, उनकी ताकत से हो रहा है। परिवार के एक सदस्य के तौर पर मैंने कभी भी अपने-आपको उस पद पर देखा नहीं, कल्‍पना भी नहीं की है, और आज भी नहीं कर रहा हूं कि मैं कोई प्रधानमंत्री हूं। जब फाइल पर साइन करता हूं, एक जिम्‍मेदारी होती है, तब तो प्रधानमंत्री के दायित्‍व के रूप में मुझे काम करना होता है। लेकिन उसके बाद फाइल जैसे ही चली जाती है मैं प्रधानमंत्री नहीं रहता हूं, मैं सिर्फ और सिर्फ 130 करोड़ देशवासियों के परिवार का सदस्‍य बन जाता हूं। आप ही के परिवार के सदस्‍य के रूप में, एक प्रधान सेवक के रूप में जहां भी रहता हूं, काम करता रहता हूं और आगे भी एक परिवार के सदस्‍य के नाते, परिवार की आशा-आकांक्षाओं से जुड़ना, 130 करोड़ देशवासियों का परिवार, यही सब कुछ है मेरी जिंदगी में। आप ही हैं सब कुछ मेरी जिंदगी में और ये जिंदगी भी आप ही के लिए है। और जब हमारी सरकार अपने आठ वर्ष पूरे कर रही है, तो आज मैं फिर से, मैं इस देवभूमि से मेरा संकल्प फिर दोहराउंगा, क्‍योंकि संकल्‍प को बार-बार स्‍मरण करते रहना चाहिए, संकल्‍प की कभी विस्‍मृति नहीं होनी चाहिए, और मेरा संकल्‍प था, आज है, आगे भी रहेगा। जिस संकल्‍प के लिए जिऊंगा, जिस संकल्‍प के लिए जूझता रहूंगा, जिस संकल्‍प के लिए आप सबके साथ चलता रहूंगा, और इसलिए मेरा ये संकल्‍प है भारतवासी के सम्मान के लिए, हर भारतवासी की सुरक्षा, उस हर भारतवासी की समृद्धि कैसे बढ़े, भारतवासी को सुख-शांति की जिंदगी कैसे मिले, उस एक भाव से गरीब से गरीब हो, दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, दूर-सुदूर जंगलों में रहने वाले लोग हों, पहाड़ी की चोटियों पर रहने वाले छुटपुट रहने वाले एकाध-दो परिवार हों, हर किसी का कल्‍याण करने के लिए, जितना ज्‍यादा काम कर सकता हूं, उसको करता रहूं, इसी भाव को ले करके मैं आज फिर से एक बार इस देवभूमि से अपने-आपको संकल्पित करता हूं।

साथियो,

हम सभी मिलकर भारत को उस ऊंचाई तक पहुंचाएंगे, जहां पहुंचने का सपना आजादी के लिए मर-मिट जाने वाले लोगों ने देखा था। आजादी के इस अमृत महोत्सव में, भारत के बहुत उज्जवल भविष्य के विश्वास के साथ, भारत की युवा शक्ति, भारत की नारीशक्ति, उस पर पूरा भरोसा रखते हुए मैं आज आपके बीच आया हूं।

साथियों,

जीवन में जब हम बड़े लक्ष्यों की तरफ आगे बढ़ते हैं, तो कई बार ये देखना भी जरूरी होता है कि हम चले कहां से थे, शुरूआत कहां से की थी। और जब उसको याद करते हैं तभी तो हिसाब-किताब का पता चलता है कि कहां से निकले और कहां पहुंचे, हमारी गति कैसी रही, हमारी प्रगति कैसी रही, हमारी उपलब्धियां क्या रहीं। हम अगर 2014 से पहले के दिनों को याद करें, उन दिनों को भूलना मत साथियो, तब जा करके ही आज के दिवसों का मूल्‍य समझ आएगा। आज की परिस्थितियों को देखें, पता चलेगा साथियो, देश ने बहुत लंबा सफर तय किया है।

2014 से पहले अखबार की सुर्खियों में भरी रहती थी, हैडलाइन बनी रहती थी, टीवी पर चर्चा होती रहती थी। बात क्‍या होती थी, बात होती थी लूट और खसोट की, बात होती थी भ्रष्टाचार की, बात होती थी घोटालों की, बात होती थी भाई-भतीजावाद की, बात होती थी अफसरशाही की, बात होती थी अटकी-लटकी-भटकी योजनाओं की। लेकिन वक्‍त बदल चुका है, आज चर्चा होती है सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ की। सिरमौर से हमारी कोई समादेवी कह देती है कि मुझे ये लाभ मिल गया। आखिरी घर तक पहुंचने का प्रयास होता है। गरीबों के हक का पैसा सीधे उनके खातों में पहुंचने की बात होती थी, आज चर्चा होती है दुनिय में भारत के स्टार्टअप की, आज चर्चा होती है, वर्ल्‍ड बैंक भी चर्चा करता है भारत के Ease of Doing Business की, आज हिंदुस्‍तान के निर्दोष नागरिक चर्चा करते हैं अपराधियों पर नकेल की हमारी ताकत की, भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के साथ आगे बढ़ने की।

2014 से पहले की सरकार ने भ्रष्टाचार को सिस्टम का जरूरी हिस्सा मान लिया था, तब की सरकार भ्रष्टाचार से लड़ने की बजाय उसके आगे घुटने टेक चुकी थी, तब देश देख रहा था कि योजनाओं का पैसा जरूरतमंद तक पहुंचने के पहले ही लुट जाता है। लेकिन आज चर्चा जन-धन खातों से मिलने वाले फायदों की हो रही है, जनधन-आधार और मोबाइल से बनी त्रिशक्ति की हो रही है। पहले रसोई में धुआं सहने की मजबूरी थी, आज उज्ज्वला योजना से सिलेंडर पाने की सहूलियत है। पहले खुले में शौच की बेबसी थी, आज घर में शौचालय बनवाकर सम्मान से जीने की आजादी है। पहले इलाज के लिए पैसे जुटाने की बेबसी थी, आज हर गरीब को आयुष्मान भारत का सहारा है। पहले ट्रिपल तलाक का डर था, अब अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने का हौसला है।

साथियों,

2014 से पहले देश की सुरक्षा को लेकर चिंता थी, आज सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक का गर्व है, हमारी सीमा पहले से ज्यादा सुरक्षित है। पहले देश का नॉर्थ ईस्ट अपने असंतुलित विकास से, भेदभाव से आहत था, दुखी था। आज हमारा नॉर्थ ईस्ट दिल से भी जुड़ा है और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से भी जुड़ रहा है। सेवा, सुशासन और गरीबों के कल्याण के लिए बनी हमारी योजनाओं ने लोगों के लिए सरकार के मायने ही बदल दिए हैं। अब सरकार माई-बाप नहीं है, वो वक्‍त चला गया, अब सरकार सेवक है सेवक, जनता-जनार्दन की सेवक। अब सरकार जीवन में दखल देने के लिए नहीं बल्कि जीवन को आसान बनाने के लिए काम कर रही है। बीते वर्षों में हम विकास की राजनीति को, देश की मुख्यधारा में लाए हैं। विकास की इसी आकांक्षा में लोग स्थिर सरकार चुन रहे हैं, डबल इंजन की सरकार चुन रहे हैं।

साथियों,

हम लोग अक्सर सुनते हैं कि सरकारें आती हैं, जाती हैं, लेकिन सिस्टम वही रहता है। हमारी सरकार ने इस सिस्टम को ही गरीबों के लिए ज्यादा संवेदनशील बनाया, उसमें निरंतर सुधार किए। पीएम आवास योजना हो, स्कॉलरशिप देना हो या फिर पेंशन योजनाएं, टेक्नोलॉजी की मदद से हमने भ्रष्टाचार का स्कोप कम से कम कर दिया है। जिन समस्याओं को पहले Permanent मान लिया गया था, हम उसके Permanent Solution देने का प्रयास कर रहे हैं। जब सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण का लक्ष्य हो, तो कैसे काम होता है, इसका एक उदाहरण है Direct Benefit Transfer स्कीम, अभी मैं जो कह रहा था, DBT के माध्‍यम से, Direct Benefit Scheme के माध्‍यम से, 10 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधे 21 हज़ार करोड़ रुपए ट्रांसफर हो गए हैं। ये हमारे छोटे किसानों की सेवा के लिए हैं, उनके सम्मान की निधि हैं। बीते 8 साल में ऐसे ही DBT के जरिए हमने 22 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा सीधे देशवासियों के अकाउंट में ट्रांसफर किए हैं। और ऐसा नहीं हुआ कि 100 पैसा भेजा तो पहले 85 पैसा लापता हो जाता था। जितने पैसे भेजे, वो पूरे के पूरे सही पते पर, सही लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजे गए हैं।

साथियों,

आज इस योजना की वजह से सवा दो लाख करोड़ रुपए की लीकेज रुकी है। पहले यही सवा दो लाख करोड़ रुपए बिचौलियों के हाथों में चले जाते थे, दलालों के हाथों में चले जाते थे। इसी DBT की वजह से देश में सरकारी योजनाओं का गलत लाभ उठाने वाले 9 करोड़ से ज्यादा फर्जी नामों को हमने लिस्ट से हटाया है। आप सोचिए, फर्जी नाम कागजों में चढ़ाकर गैस सब्सिडी, बच्चों की पढ़ाई के लिए भेजी गई फीस, कुपोषण से मुक्ति के लिए भेजा गया पैसा, सब कुछ लूटने का देश में खुला खेल चल रहा था। ये क्या देश के गरीब के साथ अन्याय नहीं था, जो बच्‍चे उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की आशा करते हैं, उन बच्‍चों के साथ अन्‍याय नहीं था, क्‍या ये पाप नहीं था? अगर कोरोना के समय यही 9 करोड़ फर्जी नाम कागजों में रहते तो क्या गरीब को सरकार के प्रयासों का लाभ मिल पाता क्‍या?

साथियों,

गरीब का जब रोजमर्रा का संघर्ष कम होता है, जब वो सशक्त होता है, तब वो अपनी गरीबी दूर करने के लिए नई ऊर्जा के साथ जुट जाता है। इसी सोच के साथ हमारी सरकार पहले दिन से गरीब को सशक्त करने में जुटी है। हमने उसके जीवन की एक-एक चिंता को कम करने का प्रयास किया है। आज देश के 3 करोड़ गरीबों के पास उनके पक्के और नए घर भी, जहां आज वो रहने लगे हैं। आज देश के 50 करोड़ से ज्यादा गरीबों के पास 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा है। आज देश के 25 करोड़ से अधिक गरीबों के पास 2-2 लाख रुपए का एक्सीडेंट इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस है, बीमा है। आज देश के लगभग 45 करोड़ गरीबों के पास जनधन बैंक खाता है। मैं आज बहुत गर्व से कह सकता हूं कि देश में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जो सरकार की किसी न किसी योजना से जुड़ा न हो, योजना उसे लाभ न देती हो। हमने दूर-सुदूर पहुंचकर लोगों को वैक्सीन लगाई है, देश करीब 200 करोड़ वैक्सीन डोज के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रहा है और मैं जयराम जी को बधाई दूंगा, कोरोना काल में जिस प्रकार से उनकी सरकार ने काम किया है, और उन्‍होंने ये टूरिस्‍ट डेस्टिनेशन होने के कारण टूरिज्‍म के लिए तकलीफ न हो, इसलिए उन्‍होंने वैक्‍सीनेशन को इतना तेजी से चलाया, हिंदुस्‍तान में सबसे पहले वैक्‍सीनेशन का काम पूरा करने वालों में जयराम जी की सरकार अग्रिम पंक्ति में रही। सा‍थियो, हमने गांव में रहने वाले 6 करोड़ परिवारों को साफ पानी के कनेक्शन से जोड़ा है, नल से जल।

सा‍थियो,

हमने 35 करोड़ मुद्रा लोन देकर गांवों और छोटे शहरों में करोड़ों युवाओं को स्वरोजगार का अवसर दिया है। मुद्रा लोन लेकर कोई टैक्सी चला रहा है, कोई टेलरिंग की दुकान खोल रहा है, कोई बिटिया अपना स्‍वयं का कारोबार शुरू कर रही है। रेहड़ी-ठेले-पटरी पर काम करने वाले लगभग 35 लाख साथियों को भी पहली बार बैंकों से ऋण मिला है, अपने काम को बढ़ाने का रास्ता मिला है। और जो प्रधानमंत्री मुद्रा योजना है ना, मेरे लिए संतोष की बात है। उसमें 70 प्रतिशत, बैंक से पैसा प्राप्‍त करने वालों में 70 प्रतिशत हमारी माताएं-बहनें हैं जो entrepreneur बन करके आज लोगों को रोजगार दे रही हैं।

साथियों,

यहां हिमाचल प्रदेश के तो हर घर से, शायद ही कोई परिवार ऐसा होगा जिस परिवार से कोई सैनिक न निकला हो। ये वीरों की भूमि है जी। ये वीर माताओं की भूमि है जो अपनी गोद से वीरों को जन्‍म देती हैं। जो वीर मातृभूमि की रक्षा के लिए चौबीसों घंटे अपने-आपको खपाते रहते हैं।

साथियो,

ये सैनिकों की भूमि है, ये सैन्‍य परिवारों की भूमि है। यहां के लोग कभी भूल नहीं सकते कि पहले की सरकारों ने उनके साथ किस तरह का बर्ताव किया, वन-रैंक वन-पेंशन के नाम पर कैसे उन्हें धोखा दिया। अभी हम लद्दाख के एक पूर्व सैनिक से बात कर रहे थे। उनहोंने जीवन सेना में बिताया था, उनको पक्‍का घर हमारे आने के बाद मिल रहा है साथियो। उनको निवृत्‍त हुए भी 30-40 साल हो गए।

साथियो,

सैन्‍य परिवार हमारी संवेदनशीलता को भली प्रकार समझता है। ये हमारी ही सरकार है जिसने चार दशकों के इंतजार के बाद वन-रैंक वन-पेंशन को लागू किया, हमारे पूर्व सैनिकों को एरियर का पैसा दिया। इसका बहुत बड़ा लाभ हिमाचल के हर परिवार को हुआ है।

साथियों,

हमारे देश में दशकों तक वोटबैंक की राजनीति हुई है। अपना-अपना वोटबैंक बनाने की राजनीति ने देश का बहुत नुकसान किया है। हम वोटबैंक बनाने के लिए नहीं, हम नए भारत को बनाने के लिए काम कर रहे हैं। जब ध्येय राष्ट्र के नवनिर्माण का हो, जब लक्ष्य आत्मनिर्भर भारत का हो, जब इरादा 130 करोड़ देशवासियों की सेवा और उनका कल्‍याण करने का हो तो वोटबैंक नहीं बनाए जाते, सभी देशवासियों का विश्वास जीता जाता है। इसलिए हम सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना से आगे बढ़ रहे हैं। सरकार की योजनाओं का लाभ सबको मिले, हर गरीब को मिले, कोई गरीब छूटे नहीं, अब यही सरकार की सोच है और इसी अप्रोच से हम काम कर रहे हैं। हमने शत प्रतिशत लाभ, शत प्रतिशत लाभार्थी तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है, लाभार्थियों के सैचुरेशन का प्रण लिया है। शत प्रतिशत सशक्तिकरण यानि भेदभाव खत्म, सिफारिशें खत्म, तुष्टिकरण खत्म। शत प्रतिशत सशक्तिकरण यानि हर गरीब को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि जयराम जी के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश इस दिशा में बहुत अच्छा काम कर रहा है। हर घर जल योजना में भी हिमाचल 90 प्रतिशत घरों को कवर कर चुका है। किन्नौर, लाहौल-स्पिति, चंबा, हमीरपुर जैसे जिलों में तो शत प्रतिशत कवरेज हासिल की जा चुकी है।

साथियों,

मुझे याद है, 2014 से पहले जब मैं आपके बीच आता था तो कहता था कि भारत दुनिया से आंख झुकाकर नहीं, आंख मिलाकर बात करेगा। आज भारत, मजबूरी में दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाता है, और जब मजबूरी में दोस्‍ती का हाथ बढ़ता है ना तो ऐसे बढ़ाता है, बल्कि मदद करने के लिए हाथ बढ़ाता है और हाथ ऐसे करके ले जाता है। कोरोना काल में भी हमने 150 से ज्यादा देशों को दवाइयां भेजी हैं, वैक्सीन भेजी हैं। और इसमें हिमाचल प्रदेश के फार्मा हब- बद्दी की भी बड़ी भूमिका रही है। भारत ने सिद्ध किया है कि हमारे पास Potential भी है और हम Performer भी हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी मान रही हैं कि भारत में गरीबी कम हो रही है, लोगों के पास सुविधाएं बढ़ रही हैं। इसलिए अब भारत को सिर्फ अपने लोगों की आवश्यकताएं ही पूरी नहीं करनी हैं बल्कि लोगों की जागी हुई आकांक्षाओं को भी हमें पूरा करना है। हमें 21वीं सदी के बुलंद भारत के लिए, आने वाली पीढ़ियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपने-आपको खपाना है। एक ऐसा भारत जिसकी पहचान अभाव नहीं बल्कि आधुनिकता हो। एक ऐसा भारत जिसमें लोकल manufacturer, लोकल डिमांड को भी पूरा करे और दुनिया के बाजारों में भी अपना सामान बेचे। एक ऐसा भारत जो आत्मनिर्भर हो, जो अपने लोकल के लिए वोकल हो, जिसे अपने स्थानीय उत्पादों पर गर्व हो।

हमारे हिमाचल का तो हस्तशिल्प, यहां की वास्तुकला, वैसे ही इतनी मशहूर है। चंबा का मेटल वर्क, सोलन की पाइन आर्ट, कांगड़ा की मिनिएचर पेंटिग्स के लोग, और इसे देखने आएं तो टूरिस्‍ट लोग दीवाने हो जाते हैं। ऐसे उत्पाद, देश के कोने-कोने में पहुंचें, अंतरराष्ट्रीय बाजारों की रौनक बढ़ाएं इसके लिए हम काम कर रहे हैं।

वैसे भाइयों और बहनों, हिमाचल के स्थानीय उत्पादों की चमक तो अब काशी में बाबा विश्वनाथ के मंदिर तक पहुंच गई है। कुल्लू में बनीं, हमारी माताएं-बहने बनाती हैं, कुल्‍लू में बनी पूहलें सर्दी के मौसम में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों और सुरक्षा कर्मियों की मददगार बन रही हैं। बनारस का सांसद होने के नाते मैं इस उपहार के लिए हिमाचल प्रदेश के लोगों का विशेष आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

बीते 8 वर्षों के प्रयासों के जो नतीजे मिले हैं, उनसे मैं बहुत विश्वास से भरा हुआ हूं, आत्‍मविश्‍वास से भरा हुआ हूं। हम भारतवासियों के सामर्थ्य के आगे कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। आज भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक है। आज भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश हो रहा है, आज भारत रिकॉर्ड एक्सपोर्ट कर रहा है। 8 साल पहले स्टार्ट अप्स के मामले में हम कहीं नहीं थे, आज हम दुनिया के तीसरे बड़े स्टार्ट अप इकोसिस्टम हैं, तीसरे बड़े। करीब-करीब हर हफ्ते हज़ारों करोड़ रुपए की कंपनी हमारे युवा तैयार कर रहे हैं। आने वाले 25 साल के विराट संकल्पों की सिद्धि के लिए देश नई अर्थव्यवस्था के नए इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी तेजी से कर रहा है। हम एक दूसरे को सपोर्ट करने वाली मल्टीमोडल कनेक्टिविटी पर फोकस कर रहे हैं। इस बजट में हमने जो पर्बतमाला योजना की घोषणा की है, वो हिमाचल जैसे पहाड़ी प्रदेश में कनेक्टिविटी को और मजबूत करेगी। इतना ही नहीं, हमने वाइब्रंट बॉर्डर विलेज, इसकी जो योजना बजट में रखी है, उसके कारण सीमा पर बसे हुए जो गांव हैं, ये गांव वाइब्रंट बने, टूरिस्‍ट डेस्टिनेशन बनें, एक्टिविटी के सेंटर बनें। सीमा पर सटे हुए गांव, उनके विकास के लिए भारत सरकार ने एक विशेष योजना बनाई है। ये वाइब्रंट बॉर्डर विलेज की योजना का लाभ मेरे हिमाचल के सीमावर्ती गांवों को स्‍वाभाविक रूप से मिलने वाला है।

साथियों,

आज जब हम दुनिया का सर्वश्रेष्ठ डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर फोकस कर रहे हैं। हम देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं के आधुनिकीकरण पर काम कर रहे हैं। आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत जिला और ब्लॉक स्तर पर क्रिटिकल हेल्थ केयर सुविधाएं हम तैयार कर रहे हैं। हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज हो, इस दिशा में काम चल रहा है। और इतना ही नहीं, गरीब मां का बेटा-बेटी भी अब डॉक्‍टर बनने का सपना पूरा कर सकता है। पहले तो हाल ये था कि अगर उसको स्‍कूली शिक्षा अंग्रेजी में नहीं हुई तो डॉक्‍टर होने के सपने अधूरे रह जाते थे। अब हमने तय किया है मेडिकल और टैक्‍नीकल एजुकेशन हम मातृभाषा में करने को प्रमोट करेंगे ताकि गरीब से गरीब का बच्‍चा, गांव का बच्‍चा भी डॉक्‍टर बन सके और इसलिए उसे अंग्रेजी का गुलाम होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

साथियो,

देश में एम्स जैसे बेहतरीन संस्थानों का दायरा देश के दूर-सुदूर के राज्यों तक बढ़ाया जा रहा है। बिलासपुर में बन रहा एम्स इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। अब हिमाचल वासियों को चंडीगढ़ या दिल्ली जाने की मजबूरी नहीं रहेगी।

साथियों,

ये सारे प्रयास हिमाचल प्रदेश के विकास को भी गति देने का काम कर रहे हैं। जब अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, रोड कनेक्टिविटी, इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ती है, स्वास्थ्य सेवाएं सुधरती हैं, तो ये टूरिज्म को भी बढ़ाता है। भारत अपने यहां जिस तरह ड्रोन की मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ा रहा है, ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ा रहा है, उससे हमारे दूर-दराज के जो क्षेत्र हैं, हिंदुस्‍तान के दूर-दराज के जो भी इलाके हैं, चाहे पहाड़ी हों, जंगल के इलाके हों, जैसे हिमाचल के भी दूर-दराज के इलाके हैं, वहां पर इन ड्रोन सेवाओं का बहुत बड़ा लाभ मिलने वाला है।

भाइयों और बहनों,

बीते आठ वर्षों में आज़ादी के 100वें वर्ष के लिए यानि 2047 के लिए मज़बूत आधार तैयार हुआ है। इस अमृतकाल में सिद्धियों के लिए एक ही मंत्र है- सबका प्रयास। सब जुड़ें, सब जुटें और सब बढ़ें- इसी भाव के साथ हमें काम करना है। कितनी सदियों के बाद, और कितनी पीढ़ियों के बाद ये सौभाग्य हमें मिला है, हमारी आपकी पीढ़ी को मिला है। इसलिए आइये, हम संकल्प लें, हम सब ‘हम सबका प्रयास’ के इस आह्वान में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाएंगे, अपना हर कर्तव्य निभाएंगे।

इसी विश्वास के साथ, आज जो हिमाचल ने आशीर्वाद दिए हैं और देश के हर ब्‍लॉक में आज इस कार्यक्रम से लोग जुड़े हुए हैं। आज पूरा हिंदुस्‍तान शिमला से जुड़ा हुआ है। करोड़ों-करोड़ों लोग आज जुड़े हुए हैं। और आज मैं आज शिमला की धरती से उन करोड़ों देशवासियों से बात कर रहा हूं। मैं उन करोड़ों-करोड़ों देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं और आपके आशीर्वाद बने रहें, हम और ज्‍यादा काम करते रहें, दिन-रात काम करते रहें, जी-जान से जुटे रहें। इसी एक भावना को आगे लेते हुए आप सबके आशीर्वाद के साथ मैं फिर एक बार आप सबका हृदय से धन्‍यवाद करता हूं। मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

बहुत बहुत धन्यवाद !

 

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स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप से निकलने वाले लीडर, हर क्षेत्र में अपना परचम लहराएंगे: पीएम
February 21, 2025
QuoteThe School of Ultimate Leadership (SOUL) will shape leaders who excel nationally and globally: PM
QuoteToday, India is emerging as a global powerhouse: PM
QuoteLeaders must set trends: PM
QuoteIn future leadership, SOUL's objective should be to instill both the Steel and Spirit in every sector to build Viksit Bharat: PM
QuoteIndia needs leaders who can develop new institutions of global excellence: PM
QuoteThe bond forged by a shared purpose is stronger than blood: PM

His Excellency,

भूटान के प्रधानमंत्री, मेरे Brother दाशो शेरिंग तोबगे जी, सोल बोर्ड के चेयरमैन सुधीर मेहता, वाइस चेयरमैन हंसमुख अढ़िया, उद्योग जगत के दिग्गज, जो अपने जीवन में, अपने-अपने क्षेत्र में लीडरशिप देने में सफल रहे हैं, ऐसे अनेक महानुभावों को मैं यहां देख रहा हूं, और भविष्य जिनका इंतजार कर रहा है, ऐसे मेरे युवा साथियों को भी यहां देख रहा हूं।

साथियों,

कुछ आयोजन ऐसे होते हैं, जो हृदय के बहुत करीब होते हैं, और आज का ये कार्यक्रम भी ऐसा ही है। नेशन बिल्डिंग के लिए, बेहतर सिटिजन्स का डेवलपमेंट ज़रूरी है। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, जन से जगत, जन से जग, ये किसी भी ऊंचाई को प्राप्त करना है, विशालता को पाना है, तो आरंभ जन से ही शुरू होता है। हर क्षेत्र में बेहतरीन लीडर्स का डेवलपमेंट बहुत जरूरी है, और समय की मांग है। और इसलिए The School of Ultimate Leadership की स्थापना, विकसित भारत की विकास यात्रा में एक बहुत महत्वपूर्ण और बहुत बड़ा कदम है। इस संस्थान के नाम में ही ‘सोल’ है, ऐसा नहीं है, ये भारत की सोशल लाइफ की soul बनने वाला है, और हम लोग जिससे भली-भांति परिचित हैं, बार-बार सुनने को मिलता है- आत्मा, अगर इस सोल को उस भाव से देखें, तो ये आत्मा की अनुभूति कराता है। मैं इस मिशन से जुड़े सभी साथियों का, इस संस्थान से जुड़े सभी महानुभावों का हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। बहुत जल्द ही गिफ्ट सिटी के पास The School of Ultimate Leadership का एक विशाल कैंपस भी बनकर तैयार होने वाला है। और अभी जब मैं आपके बीच आ रहा था, तो चेयरमैन श्री ने मुझे उसका पूरा मॉडल दिखाया, प्लान दिखाया, वाकई मुझे लगता है कि आर्किटेक्चर की दृष्टि से भी ये लीडरशिप लेगा।

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साथियों,

आज जब The School of Ultimate Leadership- सोल, अपने सफर का पहला बड़ा कदम उठा रहा है, तब आपको ये याद रखना है कि आपकी दिशा क्या है, आपका लक्ष्य क्या है? स्वामी विवेकानंद ने कहा था- “Give me a hundred energetic young men and women and I shall transform India.” स्वामी विवेकानंद जी, भारत को गुलामी से बाहर निकालकर भारत को ट्रांसफॉर्म करना चाहते थे। और उनका विश्वास था कि अगर 100 लीडर्स उनके पास हों, तो वो भारत को आज़ाद ही नहीं बल्कि दुनिया का नंबर वन देश बना सकते हैं। इसी इच्छा-शक्ति के साथ, इसी मंत्र को लेकर हम सबको और विशेषकर आपको आगे बढ़ना है। आज हर भारतीय 21वीं सदी के विकसित भारत के लिए दिन-रात काम कर रहा है। ऐसे में 140 करोड़ के देश में भी हर सेक्टर में, हर वर्टिकल में, जीवन के हर पहलू में, हमें उत्तम से उत्तम लीडरशिप की जरूरत है। सिर्फ पॉलीटिकल लीडरशिप नहीं, जीवन के हर क्षेत्र में School of Ultimate Leadership के पास भी 21st सेंचुरी की लीडरशिप तैयार करने का बहुत बड़ा स्कोप है। मुझे विश्वास है, School of Ultimate Leadership से ऐसे लीडर निकलेंगे, जो देश ही नहीं बल्कि दुनिया की संस्थाओं में, हर क्षेत्र में अपना परचम लहराएंगे। और हो सकता है, यहां से ट्रेनिंग लेकर निकला कोई युवा, शायद पॉलिटिक्स में नया मुकाम हासिल करे।

साथियों,

कोई भी देश जब तरक्की करता है, तो नेचुरल रिसोर्सेज की अपनी भूमिका होती ही है, लेकिन उससे भी ज्यादा ह्यूमेन रिसोर्स की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे याद है, जब महाराष्ट्र और गुजरात के अलग होने का आंदोलन चल रहा था, तब तो हम बहुत बच्चे थे, लेकिन उस समय एक चर्चा ये भी होती थी, कि गुजरात अलग होकर के क्या करेगा? उसके पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं है, कोई खदान नहीं है, ना कोयला है, कुछ नहीं है, ये करेगा क्या? पानी भी नहीं है, रेगिस्तान है और उधर पाकिस्तान है, ये करेगा क्या? और ज्यादा से ज्यादा इन गुजरात वालों के पास नमक है, और है क्या? लेकिन लीडरशिप की ताकत देखिए, आज वही गुजरात सब कुछ है। वहां के जन सामान्य में ये जो सामर्थ्य था, रोते नहीं बैठें, कि ये नहीं है, वो नहीं है, ढ़िकना नहीं, फलाना नहीं, अरे जो है सो वो। गुजरात में डायमंड की एक भी खदान नहीं है, लेकिन दुनिया में 10 में से 9 डायमंड वो है, जो किसी न किसी गुजराती का हाथ लगा हुआ होता है। मेरे कहने का तात्पर्य ये है कि सिर्फ संसाधन ही नहीं, सबसे बड़ा सामर्थ्य होता है- ह्यूमन रिसोर्स में, मानवीय सामर्थ्य में, जनशक्ति में और जिसको आपकी भाषा में लीडरशिप कहा जाता है।

21st सेंचुरी में तो ऐसे रिसोर्स की ज़रूरत है, जो इनोवेशन को लीड कर सकें, जो स्किल को चैनेलाइज कर सकें। आज हम देखते हैं कि हर क्षेत्र में स्किल का कितना बड़ा महत्व है। इसलिए जो लीडरशिप डेवलपमेंट का क्षेत्र है, उसे भी नई स्किल्स चाहिए। हमें बहुत साइंटिफिक तरीके से लीडरशिप डेवलपमेंट के इस काम को तेज गति से आगे बढ़ाना है। इस दिशा में सोल की, आपके संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि आपने इसके लिए काम भी शुरु कर दिया है। विधिवत भले आज आपका ये पहला कार्यक्रम दिखता हो, मुझे बताया गया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के effective implementation के लिए, State Education Secretaries, State Project Directors और अन्य अधिकारियों के लिए वर्क-शॉप्स हुई हैं। गुजरात के चीफ मिनिस्टर ऑफिस के स्टाफ में लीडरशिप डेवलपमेंट के लिए चिंतन शिविर लगाया गया है। और मैं कह सकता हूं, ये तो अभी शुरुआत है। अभी तो सोल को दुनिया का सबसे बेहतरीन लीडरशिप डेवलपमेंट संस्थान बनते देखना है। और इसके लिए परिश्रम करके दिखाना भी है।

साथियों,

आज भारत एक ग्लोबल पावर हाउस के रूप में Emerge हो रहा है। ये Momentum, ये Speed और तेज हो, हर क्षेत्र में हो, इसके लिए हमें वर्ल्ड क्लास लीडर्स की, इंटरनेशनल लीडरशिप की जरूरत है। SOUL जैसे Leadership Institutions, इसमें Game Changer साबित हो सकते हैं। ऐसे International Institutions हमारी Choice ही नहीं, हमारी Necessity हैं। आज भारत को हर सेक्टर में Energetic Leaders की भी जरूरत है, जो Global Complexities का, Global Needs का Solution ढूंढ पाएं। जो Problems को Solve करते समय, देश के Interest को Global Stage पर सबसे आगे रखें। जिनकी अप्रोच ग्लोबल हो, लेकिन सोच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा Local भी हो। हमें ऐसे Individuals तैयार करने होंगे, जो Indian Mind के साथ, International Mind-set को समझते हुए आगे बढ़ें। जो Strategic Decision Making, Crisis Management और Futuristic Thinking के लिए हर पल तैयार हों। अगर हमें International Markets में, Global Institutions में Compete करना है, तो हमें ऐसे Leaders चाहिए जो International Business Dynamics की समझ रखते हों। SOUL का काम यही है, आपकी स्केल बड़ी है, स्कोप बड़ा है, और आपसे उम्मीद भी उतनी ही ज्यादा हैं।

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साथियों,

आप सभी को एक बात हमेशा- हमेशा उपयोगी होगी, आने वाले समय में Leadership सिर्फ Power तक सीमित नहीं होगी। Leadership के Roles में वही होगा, जिसमें Innovation और Impact की Capabilities हों। देश के Individuals को इस Need के हिसाब से Emerge होना पड़ेगा। SOUL इन Individuals में Critical Thinking, Risk Taking और Solution Driven Mindset develop करने वाला Institution होगा। आने वाले समय में, इस संस्थान से ऐसे लीडर्स निकलेंगे, जो Disruptive Changes के बीच काम करने को तैयार होंगे।

साथियों,

हमें ऐसे लीडर्स बनाने होंगे, जो ट्रेंड बनाने में नहीं, ट्रेंड सेट करने के लिए काम करने वाले हों। आने वाले समय में जब हम Diplomacy से Tech Innovation तक, एक नई लीडरशिप को आगे बढ़ाएंगे। तो इन सारे Sectors में भारत का Influence और impact, दोनों कई गुणा बढ़ेंगे। यानि एक तरह से भारत का पूरा विजन, पूरा फ्यूचर एक Strong Leadership Generation पर निर्भर होगा। इसलिए हमें Global Thinking और Local Upbringing के साथ आगे बढ़ना है। हमारी Governance को, हमारी Policy Making को हमने World Class बनाना होगा। ये तभी हो पाएगा, जब हमारे Policy Makers, Bureaucrats, Entrepreneurs, अपनी पॉलिसीज़ को Global Best Practices के साथ जोड़कर Frame कर पाएंगे। और इसमें सोल जैसे संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका होगी।

साथियों,

मैंने पहले भी कहा कि अगर हमें विकसित भारत बनाना है, तो हमें हर क्षेत्र में तेज गति से आगे बढ़ना होगा। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-

यत् यत् आचरति श्रेष्ठः, तत् तत् एव इतरः जनः।।

यानि श्रेष्ठ मनुष्य जैसा आचरण करता है, सामान्य लोग उसे ही फॉलो करते हैं। इसलिए, ऐसी लीडरशिप ज़रूरी है, जो हर aspect में वैसी हो, जो भारत के नेशनल विजन को रिफ्लेक्ट करे, उसके हिसाब से conduct करे। फ्यूचर लीडरशिप में, विकसित भारत के निर्माण के लिए ज़रूरी स्टील और ज़रूरी स्पिरिट, दोनों पैदा करना है, SOUL का उद्देश्य वही होना चाहिए। उसके बाद जरूरी change और रिफॉर्म अपने आप आते रहेंगे।

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साथियों,

ये स्टील और स्पिरिट, हमें पब्लिक पॉलिसी और सोशल सेक्टर्स में भी पैदा करनी है। हमें Deep-Tech, Space, Biotech, Renewable Energy जैसे अनेक Emerging Sectors के लिए लीडरशिप तैयार करनी है। Sports, Agriculture, Manufacturing और Social Service जैसे Conventional Sectors के लिए भी नेतृत्व बनाना है। हमें हर सेक्टर्स में excellence को aspire ही नहीं, अचीव भी करना है। इसलिए, भारत को ऐसे लीडर्स की जरूरत होगी, जो Global Excellence के नए Institutions को डेवलप करें। हमारा इतिहास तो ऐसे Institutions की Glorious Stories से भरा पड़ा है। हमें उस Spirit को revive करना है और ये मुश्किल भी नहीं है। दुनिया में ऐसे अनेक देशों के उदाहरण हैं, जिन्होंने ये करके दिखाया है। मैं समझता हूं, यहां इस हॉल में बैठे साथी और बाहर जो हमें सुन रहे हैं, देख रहे हैं, ऐसे लाखों-लाख साथी हैं, सब के सब सामर्थ्यवान हैं। ये इंस्टीट्यूट, आपके सपनों, आपके विजन की भी प्रयोगशाला होनी चाहिए। ताकि आज से 25-50 साल बाद की पीढ़ी आपको गर्व के साथ याद करें। आप आज जो ये नींव रख रहे हैं, उसका गौरवगान कर सके।

साथियों,

एक institute के रूप में आपके सामने करोड़ों भारतीयों का संकल्प और सपना, दोनों एकदम स्पष्ट होना चाहिए। आपके सामने वो सेक्टर्स और फैक्टर्स भी स्पष्ट होने चाहिए, जो हमारे लिए चैलेंज भी हैं और opportunity भी हैं। जब हम एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हैं, मिलकर प्रयास करते हैं, तो नतीजे भी अद्भुत मिलते हैं। The bond forged by a shared purpose is stronger than blood. ये माइंड्स को unite करता है, ये passion को fuel करता है और ये समय की कसौटी पर खरा उतरता है। जब Common goal बड़ा होता है, जब आपका purpose बड़ा होता है, ऐसे में leadership भी विकसित होती है, Team spirit भी विकसित होती है, लोग खुद को अपने Goals के लिए dedicate कर देते हैं। जब Common goal होता है, एक shared purpose होता है, तो हर individual की best capacity भी बाहर आती है। और इतना ही नहीं, वो बड़े संकल्प के अनुसार अपनी capabilities बढ़ाता भी है। और इस process में एक लीडर डेवलप होता है। उसमें जो क्षमता नहीं है, उसे वो acquire करने की कोशिश करता है, ताकि औऱ ऊपर पहुंच सकें।

साथियों,

जब shared purpose होता है तो team spirit की अभूतपूर्व भावना हमें गाइड करती है। जब सारे लोग एक shared purpose के co-traveller के तौर पर एक साथ चलते हैं, तो एक bonding विकसित होती है। ये team building का प्रोसेस भी leadership को जन्म देता है। हमारी आज़ादी की लड़ाई से बेहतर Shared purpose का क्या उदाहरण हो सकता है? हमारे freedom struggle से सिर्फ पॉलिटिक्स ही नहीं, दूसरे सेक्टर्स में भी लीडर्स बने। आज हमें आज़ादी के आंदोलन के उसी भाव को वापस जीना है। उसी से प्रेरणा लेते हुए, आगे बढ़ना है।

साथियों,

संस्कृत में एक बहुत ही सुंदर सुभाषित है:

अमन्त्रं अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधम्। अयोग्यः पुरुषो नास्ति, योजकाः तत्र दुर्लभः।।

यानि ऐसा कोई शब्द नहीं, जिसमें मंत्र ना बन सके। ऐसी कोई जड़ी-बूटी नहीं, जिससे औषधि ना बन सके। कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं, जो अयोग्य हो। लेकिन सभी को जरूरत सिर्फ ऐसे योजनाकार की है, जो उनका सही जगह इस्तेमाल करे, उन्हें सही दिशा दे। SOUL का रोल भी उस योजनाकार का ही है। आपको भी शब्दों को मंत्र में बदलना है, जड़ी-बूटी को औषधि में बदलना है। यहां भी कई लीडर्स बैठे हैं। आपने लीडरशिप के ये गुर सीखे हैं, तराशे हैं। मैंने कहीं पढ़ा था- If you develop yourself, you can experience personal success. If you develop a team, your organization can experience growth. If you develop leaders, your organization can achieve explosive growth. इन तीन वाक्यों से हमें हमेशा याद रहेगा कि हमें करना क्या है, हमें contribute करना है।

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साथियों,

आज देश में एक नई सामाजिक व्यवस्था बन रही है, जिसको वो युवा पीढी गढ़ रही है, जो 21वीं सदी में पैदा हुई है, जो बीते दशक में पैदा हुई है। ये सही मायने में विकसित भारत की पहली पीढ़ी होने जा रही है, अमृत पीढ़ी होने जा रही है। मुझे विश्वास है कि ये नया संस्थान, ऐसी इस अमृत पीढ़ी की लीडरशिप तैयार करने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एक बार फिर से आप सभी को मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

भूटान के राजा का आज जन्मदिन होना, और हमारे यहां यह अवसर होना, ये अपने आप में बहुत ही सुखद संयोग है। और भूटान के प्रधानमंत्री जी का इतने महत्वपूर्ण दिवस में यहां आना और भूटान के राजा का उनको यहां भेजने में बहुत बड़ा रोल है, तो मैं उनका भी हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

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साथियों,

ये दो दिन, अगर मेरे पास समय होता तो मैं ये दो दिन यहीं रह जाता, क्योंकि मैं कुछ समय पहले विकसित भारत का एक कार्यक्रम था आप में से कई नौजवान थे उसमें, तो लगभग पूरा दिन यहां रहा था, सबसे मिला, गप्पे मार रहा था, मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला, बहुत कुछ जानने को मिला, और आज तो मेरा सौभाग्य है, मैं देख रहा हूं कि फर्स्ट रो में सारे लीडर्स वो बैठे हैं जो अपने जीवन में सफलता की नई-नई ऊंचाइयां प्राप्त कर चुके हैं। ये आपके लिए बड़ा अवसर है, इन सबके साथ मिलना, बैठना, बातें करना। मुझे ये सौभाग्य नहीं मिलता है, क्योंकि मुझे जब ये मिलते हैं तब वो कुछ ना कुछ काम लेकर आते हैं। लेकिन आपको उनके अनुभवों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, जानने को मिलेगा। ये स्वयं में, अपने-अपने क्षेत्र में, बड़े अचीवर्स हैं। और उन्होंने इतना समय आप लोगों के लिए दिया है, इसी में मन लगता है कि इस सोल नाम की इंस्टीट्यूशन का मैं एक बहुत उज्ज्वल भविष्य देख रहा हूं, जब ऐसे सफल लोग बीज बोते हैं तो वो वट वृक्ष भी सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने वाले लीडर्स को पैदा करके रहेगा, ये पूरे विश्वास के साथ मैं फिर एक बार इस समय देने वाले, सामर्थ्य बढ़ाने वाले, शक्ति देने वाले हर किसी का आभार व्यक्त करते हुए, मेरे नौजवानों के लिए मेरे बहुत सपने हैं, मेरी बहुत उम्मीदें हैं और मैं हर पल, मैं मेरे देश के नौजवानों के लिए कुछ ना कुछ करता रहूं, ये भाव मेरे भीतर हमेशा पड़ा रहता है, मौका ढूंढता रहता हूँ और आज फिर एक बार वो अवसर मिला है, मेरी तरफ से नौजवानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।