डिजिटल इंडिया सप्ताह 2022 का विषय है ‘नव भारत प्रौद्योगिकी प्रेरणा’
प्रधानमंत्री ने 'डिजिटल इंडिया भाषिणी', 'डिजिटल इंडिया जेनेसिस' और 'इंडियास्टैक डॉट ग्लोबल' के शुभारंभ के साथ 'माईस्कीम' और 'मेरी पहचान' को भी देश को समर्पित किया
प्रधानमंत्री ने 30 संस्थानों के उस पहले समूह की घोषणा की, जिन्हें चिप्स टू स्टार्टअप प्रोग्राम के तहत सहयोग किया जाएगा
'भारत चौथी औद्योगिक क्रांति, इंडस्ट्री 4.0 में दुनिया को दिशा दे रहा है'
'भारत ने कई सारी लाइनों का समाधान ऑनलाइन होकर कर दिया'
'डिजिटल इंडिया ने सरकार को नागरिकों के दरवाजे और फोन तक पहुंचा दिया है'
'भारत का फिनटेक प्रयास सही मायने में लोगों के द्वारा, लोगों का, लोगों के लिए समाधान है'
'हमारे डिजिटल समाधानों में स्केल, सुरक्षा और लोकतांत्रिक मूल्य हैं'
'आज भारत अगले तीन-चार वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग को 300 अरब डॉलर से भी ऊपर ले जाने के लक्ष्य पर काम कर रहा है'
'भारत चिप टेकर से चिप मेकर बनना चाहता है'

नमस्ते, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल जी, केंद्रीय मंत्री परिषद के मेरे सहयोगी श्री अश्विनी वैष्णव जी, श्री राजीव चंद्रशेखर जी, अलग-अलग राज्यों से जुड़े सभी प्रतिनिधि, डिजिटल इंडिया के सभी लाभार्थी, स्टार्ट अप्स और इंडस्ट्री से जुड़े सभी साथी, एक्सपर्ट्स, अकदमीशियनस, researchers, देवियों और सज्जनों!

आज का ये कार्यक्रम, 21वीं सदी में निरंतर आधुनिक होते भारत की एक झलक लेकर आया है। टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल पूरी मानवता के लिए कितना क्रांतिकारी है, इसका उदाहरण भारत ने डिजिटल इंडिया अभियान के तौर पर पूरे विश्व के सामने रखा है।

मुझे खुशी है कि आठ वर्ष पहले शुरू हुआ ये अभियान, बदलते हुए समय के साथ खुद को विस्तार देता रहा है। हर साल डिजिटल इंडिया अभियान में नए आयाम जुड़े हैं, नई टेक्नोलॉजी का समावेश हुआ है। आज के इस कार्यक्रम में जो नए प्लेटफॉर्म, नए प्रोग्राम लॉन्च हुए हैं, वो इसी श्रंखला को आगे बढ़ा रहे हैं। अभी आपने छोटे-छोटे वीडियो में देखा, myScheme हो, भाषिणी-भाषादान हो, Digital India - जेनीसिस हो, Chips to startup program हो, या बाकी सारे प्रॉडक्ट्स, ये सारे Ease of living और Ease of doing business को मजबूती देने वाले हैं। विशेषतौर पर इनका बड़ा लाभ भारत के स्टार्ट अप इकोसिस्टम को होगा।

साथियों,

समय के साथ जो देश आधुनिक टेक्नोलॉजी को नहीं अपनाता, समय उसे पीछे छोड़कर आगे निकल जाता है और वो वहीं का वहीं रह जाता है। तीसरी औद्योगिक क्रांति के समय भारत इसका भुक्तभोगी रहा है। लेकिन आज हम ये गर्व से कह सकते हैं कि भारत चौथी औदयोगिक क्रांति, इंडस्ट्री 4.0, आज भारत गर्व से कह सकता है कि हिन्‍दुस्‍तान दुनिया को दिशा दे रहा है। और मुझे इस बात की दोहरी खुशी है कि गुजरात ने इसमें भी एक तरह से पथ-प्रदर्शक की भूमिका निभाई है।

थोड़ी देर पहले यहां डिजिटल गवर्नेंस को लेकर गुजरात के बीते 2 दशकों के अनुभवों को दिखाया गया है। गुजरात देश का पहला राज्य था जहां Gujarat State Data Centre (GSDC), Gujarat Statewide Area Network (GSWAN), e-Gram centers, और ATVT / Jan Seva Kendra जैसे pillars खड़े किए गए।

सुरत, बारडोली के पास जब सुभाष बाबु कोंग्रेस के अध्यक्ष बने थे, वहां सुभाष बाबु कि याद में कार्यक्रम किया और ई विश्वग्राम का उस समय लोन्चिंग किया था।

गुजरात के अनुभवों ने 2014 के बाद राष्ट्रीय स्तर पर टेक्नॉलॉजी को गवर्नेंस का व्यापक हिस्सा बनाने में बहुत मदद की है, धन्‍यवाद गुजरात। यही अनुभव डिजिटल इंडिया मिशन का आधार बने। आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो आपको महसूस होता है कि इन 7-8 सालों में डिजिटल इंडिया ने हमारा जीवन कितना आसान बना दिया है। 21वीं सदी में जिनका जन्म हुआ है, जो हमारी युवा पीढ़ी है, जिसका जन्‍म 21वीं सदी में हुआ है, उनके लिए तो आज डिजिटल लाइफ बहुत Cool लगती है, फैशन स्‍टेटमेंट लगता है उनको।

लेकिन सिर्फ 8-10 साल पहले की स्थितियों को याद कीजिए। Birth certificate लेने के लिए लाइन, बिल जमा करना है तो लाइन, राशन के लिए लाइन, एडमिशन के लिए लाइन, रिजल्ट और सर्टिफिकेट के लिए लाइन, बैंकों में लाइन, इतनी सारी लाइनों का समाधान भारत ने Online होकर कर दिया। आज जन्म प्रमाण पत्र से लेकर वरिष्ठ नागरिक की पहचान देने वाले जीवन प्रमाण पत्र तक, सरकार की अधिकतर सेवाएं डिजिटल हैं वरना पहले सीनियर सिटिजन को खास करके पेंशनर्स को जा करके कहना पड़ता था कि मैं जिंदा हूं। जिन कामों के लिए कभी कई-कई दिन लग जाते थे वो आज कुछ पलों में हो जाते हैं।

साथियों,

आज डिजिटल गवर्नेंस का एक बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर भारत में है। जनधन-मोबाइल और आधार, GEM, इसकी जो त्रिशक्ति का देश के गरीब और मिडिल क्लास को सबसे अधिक लाभ हुआ है। इससे जो सुविधा मिली है और जो पारदर्शिता आई है, उससे देश के करोड़ों परिवारों का पैसा बच रहा है। 8 साल पहले इंटरनेट डेटा के लिए जितना पैसा खर्च करना पड़ता था, उससे कई गुना कम यानी एक प्रकार से नगण्‍य, उस कीमत में आज उससे भी बेहतर डेटा सुविधा मिल रही है। पहले बिल भरने के लिए, कहीं एप्लीकेशन देने के लिए, रिज़र्वेशन के लिए, बैंक से जुड़े काम हों, ऐसी हर सेवा के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। रेलवे का आरक्षण करवाना हो और गांव में रहता हो तो बेचारा पूरा दिन खपा करके शहर जाता था, 100-150 रुपया बस का किराया खर्च करताथा, और फिर लाइन में लगता था रेलवे आरक्षण के लिए। आज वो कॉमन सर्विस सेंटर पर जाता है और वहीं से उसको, यह मेरी कॉमर्स सर्विस वाली फ़ौज देखती है। और वहीं से उसका काम हो जाता है, गांव में ही हो जाता है। और गांव वालों को भी पता है कहां ये व्‍यवस्‍था है। इसमें भी किराए-भाड़े, आना-जाना, दिन लगाना, सभी खर्चों में कटौती आई है। गरीब, मेहनत-मज़दूरी करने वालों के लिए तो ये बचत और भी बड़ी है क्योंकि उनका पूरा दिन बच जाता है।

और कभी-कभी हम सुनते थे ना Time is money. सुनने और कहने में तो अच्‍छा लगता है लेकिन जब उसका अनुभव सुनते हैं तो दिल को छू जाता है। मैं अभी काशी गया था, तो काशी में रात को…दिन में तो इधर-उधर जाता हूं तो ट्रैफिक और लोगों को परेशानी तो फिर मैं रात को एक-डेढ़ बजे रेलवे प्‍लेटफॉर्म पर चला गया देखने के लिए कि भई कहां क्‍या हाल है। क्‍योंकि वहां का एमपी हूं तो काम तो करना है। तो मैं वहां पैसेंजरों से बात कर रहा था, स्‍टेशन मास्‍टर से बात कर रहा था। क्‍योंकि मेरा सरप्राइज विजिट था, किसी को बताकर तो गया नहीं था। तो मैंने कहा भई ये जो वंदे भारत ट्रेन चल रही है क्‍या अनुभव है और occupancy कैसी लगी...अरे बोले साहब इतनी उसकी मांग है कि हमें कम पड़ रही हैं। मैंने कहा वो तो ट्रेन थोड़ी महंगी है, इसकी टिकट ज्‍यादा लगती है, इसमें लोग क्‍यों जाते हैं। बोले साहब, इसमें मजदूर लोग सबसे ज्‍यादा जाते हैं, गरीब लोग सबसे ज्‍यादा जाते हैं। मैंने कहा कैसे भई! मेरे लिए सरप्राइज था। बोले वो दो कारणों से जाते हैं। एक- बोले वंदे भारत ट्रेन में स्‍पेस इतनी है‍ कि सामान उठाकर लेकर जाते हैं तो रखने की जगह मिल जाती है। गरीब का अपना एक हिसाब है। और दूसरा- समय जाने में चार घंटे बच जाता है तो वहां तुरंत काम पर लगा जाता हूं तो छह-आठ घंटे में जो कमाई होती है टिकट तो उससे भी कम में पड़ जाती है। Time is money, कैसे गरीब हिसाब लगाता है, बहुत पढ़े-लिखे लोगों को इसकी समझ कम होती है।

साथियों,

ई-संजीवनी जैसी टेलिकंसल्टेशन की जो सेवा शुरू हुई है। मोबाइल फोन से बड़े-बड़े अस्‍पताल, बड़े-बड़े डॉक्‍टरों के साथ प्राइमरी सारी चीजें पूरी हो जाती हैं। और इसके माध्यम से अब तक 3 करोड़ से अधिक लोगों ने घर बैठे ही अपने मोबाइल से अच्‍छे से अच्‍छे अस्‍पताल में, अच्‍छे से अच्‍छे डॉक्टर से कंसल्ट किया है। अगर उनको डॉक्टर के पास जाना पड़ता तो आप कल्‍पना कर सकते हैं कितनी कठिनाइयां होती, कितना खर्चा होता। ये सारी चीजें डिजिटल इंडिया सेवा के कारण जरूरत नहीं पड़ेंगी।

साथियों,

सबसे बड़ी बात, जो पारदर्शिता इससे आई है, उसने गरीब और मध्यम वर्ग को अनेक स्तरों पर चलने वाले भ्रष्टाचार से मुक्ति दी है। हमने वो समय देखा है जब बिना घूस दिए कोई भी सुविधा लेना मुश्किल था। डिजिटल इंडिया ने सामान्य परिवार का ये पैसा भी बचाया है। डिजिटल इंडिया, बिचौलियों के नेटवर्क को भी समाप्त कर रहा है।

और मुझे याद है एकबार विधान सभा में चर्चा हुई थी, आज इस चर्चा को याद करुं तो मुझे लगता है कि विधानसभा में ऐसी चर्चा होती थी। कुछ पत्रकार सब ढूंढ लेंगे। विषय ऐसा था की जो विधवा पेन्शन मिलता है तो उस समय मैंने कहा कि एक काम करो भाई, पोस्ट ओफिस में खातें खुलवा दिजिए और वहां उनकी फोटो हो और यह सब व्यवस्था हो और पोस्ट ओफिस में जाकर जो विधवा बहन हो उसे पेन्शन मिल जाए। हंगामा हो गया, तुफान हो गया, मोदी साहब आप क्या लाए हो विधवा बहन घर के बाहर कैसे निकले? वह बेंक या पोस्ट ओफिस में कैसे जाएं, उसे पैसे मिले कैसे, सब अलग अलग प्रकार से भाषण में आप देखों तो मजा आएं ऐसा बोले थे। मैंने तो कहा कि मुझे तो इस रास्ते पर जाना है आप मदद करें तो अच्छा है। ना की मदद लेकिन पर हम तो गए क्योंकि जनताने मदद की है ना? लेकिन ये हंगाम क्यों कर रहे थे साहब, उन्हें विधवा की चिंता नहीं थी, जब मैं पोस्ट ओफिस में फोटो, पहचान ऐसी सब व्यवस्थाएं की तब डिजिटल कि दुनिया तो इतने आगे बढी नही थी। आपको आश्चर्य होगा की अनेक विधवाएं ऐसी मिली कि जो बेटी का जन्म ही नहीं हुआ था और विधवा हो गई थी और पेन्शन जा रहा था। ये किसके खाते में जाता होगा ये आपको समज आया होगा। तो फिर कोलाहल होगा कि नहीं होगा। ऐसे सब बूच बंद कर दें तो तकलीफ तो होगी ही। आज टेकनोलोजी का उपयोग करके डायरेक्‍ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से बीते 8 साल में 23 लाख करोड़ रुपए से अधिक सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजे गए हैं। इस टेक्नोलॉजी की वजह से देश के 2 लाख 23 हजार करोड़ रुपए यानी करीब-करीब सवा दो लाख करोड़ रुपये जो किसी और के हाथ में, गलत हाथ में जाते थे, वो बच गए हैं, दोस्‍तों।

साथियों,

डिजिटल इंडिया अभियान ने जो एक बहुत बड़ा काम किया है, वो है शहर और गांवों को बीच की खाई को कम करना। हमें याद होगा, शहरों में तो फिर भी कुछ सुविधा थी, गांवों के लोगों के लिए तो हालात और भी मुश्किल भरे थे। गांव और शहर की खाई भरेगी, इसकी भी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। गांव में छोटी सी छोटी सुविधा के लिए भी आपको ब्लॉक, तहसील या जिला हैडक्वार्टर के दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। ऐसी सारी मुश्किलों को भी डिजिटल इंडिया अभियान ने आसान बनाया है और सरकार को नागरिक के द्वार पर, उसके गांव, घर और उसकी हथेली में फोन पर लाकर खड़ा कर दिया है।

गांव में सैकड़ों सरकारी सेवाएं डिजिटली देने के लिए पिछले 8 वर्ष में 4 लाख से अधिक नए कॉमन सर्विस सेंटर जोड़े जा चुके हैं। आज गांव के लोग, इन केंद्रों से डिजिटल इंडिया का लाभ ले रहे हैं।

मैं वहां दाहोद आया था तो दाहोद में मेरे आदिवासी भाईओ-बहनों से मिलना हुआ। वहां एक दिव्यांग कपल था। 30-32 साल कि आयु होगी, उन्होंने मुद्रा योजना में से पैसे लिए, कम्प्युटर का थोडा बहुत सिखे, और पति पत्नीने कोमन सर्विस सेन्टर शुरु किया, दाहोद के आदिवासी जिले के एक छोटे से गांव में। वह भाई और उनके पत्नी मुझे मिले तो उन्होंने मुझे कहा की साहब, एवरेज मेरी प्रति मास 28000 रुपए की आय है, गांव में लोग अब मेरे यहां ही सेवा ले रहे है। डिजिटल ईन्डिया की ताकत देखों भाई

सवा लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर ग्रामीण स्टोर, अब e-commerce को भी ग्रामीण भारत तक ले जा रहे हैं।

एक दुसरा अनुभव, व्यवस्थाओँ का किस तरह लाभ लिया जा सकता है। मुझे याद है जब मैं यहां गुजरात में था तो किसानों को बीजली का बिल चूकाने के लिए समस्या होती थी, पैसे लेने के स्थान 800-900 थे। देरी हो तो नियम के अनुसार बीजली का कनेक्शन कट जाता था, कट जाएं तो फिर से नया कनेक्शन लेना पडे तो फिर से पैसे देने पडते थे। हमने भारत सरकार को उस समय बिनती की, अटलजी की सरकार थी, अनुरोध किया कि ये पोस्ट ओफिस में चालु कर दिजिएना, बीजली का बिल हमारे पोस्ट ओफिस वालें लेना शुरु करे ऐसा कर दिजिए, अटलजीने मेरीबात मानी और गुजरात में किसानों को समस्या से मुक्ति मिल गई, व्यवस्थाओं का उपयोग किस तरह किया जा सकता है ऐसा एक प्रयोग मैंने दिल्ही में जाकर किया, आदत जाएगी नहीं, क्योंकी हम लोग अहमदाबादी, सिंगल फेर डबल जर्नी की आदत पडी है, इसलिए रेलवे को खुद का वाईफाई, बहुत स्ट्रोंग नेटवर्क है, तो उस समय हमारे रेलवे के मित्रो को मैंने कहा , ये 2019 के चुनाव से पहले कि बात है। मैंने उनसे कहा कि रेलवे के जो प्लेटफोर्म है उनके उपर वाईफाई मुफ्त कर दिजिए। और आसपास के गांवों के बच्चों को वहां आकर पढना हो तो आएं और उन्हें कनेक्टिविटी मिल जाएं और उन्हें जो पढना लिखना हो करें, आपको आश्चर्य होगा कि मैं एकबार वर्च्युअली कुछ विद्यार्थीओ के साथ बात कर रहा था। बहुत सारे लोग रेलवे प्लेटफोर्म पर मुफ्त वाईफाई कि मदद से कोम्पिटिटिव परीक्षा की तैयारी करते थे और पास होते थे, कोचिंग क्लास में जाना नहीं, खर्च करना नहीं, घर छोडना नहीं, बस हमें बा के हाथ का रोटला मिले और पढने का, रेलवे के प्लेटफोर्म का उपयोग डिजिटल ईन्डिया की ताकत देखें दोस्तो

पीएम स्वामित्व योजना, शायद शहर के लोगों का बहुत कम इस पर ध्‍यान गया है। पहली बार शहरों की तरह ही गांव के घरों की मैपिंग और डिजिटल लीगल डॉक्यूमेंट ग्रामीणों को देने का काम चल रहा है। ड्रोन गांव के अंदर जा करके हर घर की ऊपर से मैपिंग कर रहा है, मैप बनाता है, वो convince होता है, उसको सर्टिफिकेट मिलता है, अब उसके कोर्ट-कचहरी के सारे झंझट बंद, ये है डिजिटल इंडिया के कारण। डिजिटल इंडिया अभियान ने देश में बड़ी संख्या में रोज़गार और स्वरोज़गार के अवसर भी बनाए हैं।

साथियों,

डिजिटल इंडिया का एक बहुत ही संवेदनशील पहलू भी है, जिसकी उतनी चर्चा शायद बहुत ज्‍यादा होती नहीं। डिजिटल इंडिया ने खोए हुए अनेक बच्चों को कैसे अपने परिवार तक वापस पहुंचाया ये जान करके आपके हृदय को छू जाएगा। अभी मैं, और मेरा तो आपसे आग्रह है जो यहां digital का exhibition लगा है आप जरूर देखिए। आप तो देखिए, अपने बच्‍चों को ले करके दोबारा आइए। कैसे दुनिया बदल रही है, वहां जा करके देखोगे तो पता चलेगा। मुझे वहां अभी एक बिटिया से मिलना हुआ। वो बेटी 6 साल की थी, तो अपने परिवार से बिछुड़ गई थी। रेलवे प्‍लेटफार्म पर मां का हाथ छूट गया, वो किसी और ट्रेन में बैठ गई।, माता-पिता के बारे में बहुत कुछ बता नहीं पा रही थी। उसके परिवार को खोजने की बहुत कोशिश हुई लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली। फिर आधार डेटा की मदद से उसके परिवार को खोजने का प्रयास हुआ। उस बच्ची का आधार बायोमीट्रिक लिया तो वो रिजेक्ट हो गया। पता चला कि बच्ची का पहले ही आधार कार्ड बन चुका है। उस आधार डिटेल के आधार पर उस बिटिया का परिवार खोज निकाला गया।

आपको जानकर अच्छा लगेगा कि आज वो बच्‍ची अपने परिवार के साथ अपनी जिंदगी जी रही है। अपने सपनों को साकार करने के लिए अपने गांव में कोशिश कर रही है। आपको भी ये जान करके अच्‍छा लगेगा और मेरी जानकारी है ऐसे अनेक सालों से 500 से अधिक बच्‍चों को इस टेक्‍नोलॉजी की मदद अपने परिवार से मिलाया जा चुका है।

साथियों,

बीते आठ वर्षों में डिजिटल इंडिया ने देश में जो सामर्थ्य पैदा किया है, उसने कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला करने में भारत की बहुत मदद की है। आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर डिजिटल इंडिया अभियान नहीं होता तो 100 साल आए से सबसे बड़े संकट में देश में हम क्‍या कर पाते? हमने देश की करोड़ों महिलाओं, किसानों, मज़दूरों, के बैंक अकाउंट में एक क्लिक पर हज़ारों करोड़ रुपए उनको पहुंचा दिए, पहुंचाए। वन नेशन-वन राशन कार्ड की मदद से हमने 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन सुनिश्चित किया है, ये टेक्‍नोलॉजी का कमाल है।

हमने दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे efficient covid vaccination और covid relief program चलाया। Arogya setu और Co-win, ये ऐसे प्‍लेटफॉर्म हैं कि उसके माध्यम से अब तक करीब-करीब 200 करोड़ वैक्सीन डोज़...उसका पूरा रिकॉर्ड उपलब्‍ध है, कौन रह गया, कहां रह गया, उसकी जानकारी उसके माध्‍यम से प्राप्‍त होती है, और हम टारगेटेड व्‍यक्ति को वैक्‍सीनेशन का काम कर पा रहे हैं। दुनिया मेंमें आज भी चर्चा है कि वैक्‍सीन सर्टिफिकेट कैसे लेना है, कई दिन निकल जाते हैं। हिन्‍दुस्‍तान में वो वैक्‍सीन लगा करके बाहर निकलता है, उसके मोबाइल साइट पर सर्टिफिकेट मौजूद होता है। दुनिया कोविन के द्वारा वैक्‍सीनेशन के डिटेल सर्टिफिकेट की जानकारी की चर्चा कर रही है, हिन्‍दुस्‍तान में कुछ लोग उनका कांटा इसी बात पर अटक गया, इस पर मोदी की फोटो क्‍यों है। इतना बड़ा काम, उनका दिमाग वहीं अटक गया था।

साथियों,

भारत का Digital fintech solution, और आज U-fintech का है, इसके विषय में भी मैं कहूंगा। कभी पार्लियामेंट के अंदर एक बार चर्चा हुई है उसमें देख लेना। जिसमें देश के भूतपूर्व वित्‍त मंत्रीजी भाषण कर रहे हैं कि उन लोगों के पास मोबाइल फोन नहीं हैं, लोग डिजिटल कैसे करेंगे। पता नहीं क्‍या-क्‍या वो बोले हैं, आप सुनोगे तो आपको आश्‍चर्य होगा। बहुत पढ़े-लिखे लोगों का यही तो हाल होता है जी। Fintech UPI यानि Unified Payment Interface, आज पूरी दुनिया इस पर आकर्षित हो रही है। वर्ल्‍ड बैंक समेत सबने ये उत्‍तम से उत्‍तम प्‍लेटफार्म के रूप में उसकी सराहना की है। और मैं आपसे कहूंगा कि यहां प्रदर्शन में पूरा फिनटेक डिविजन है। ये कैसे काम करते हैं उसका वहां देखने को मिलेगा। किस प्रकार से मोबाइल फोन पर पेमेंट होते हैं, कैसे पैसे आते हैं, जाते हैं, सारा वैसे आपको यहां देखने को मिलेगा। और मैं कहता हूं ये फिनटेक का जो प्रयास हुआ है, ये सही मायने में by the people, of the people, for the people इसका उत्‍तम से उत्‍तम समाधान है। इसमें जो टेक्नॉलॉजी है वो भारत की अपनी है, यानि by the people. देशवासियों ने इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया यानि of the people. इसने देशवासियों के लेनदेन को आसान बनाया यानि for the people.

इसी वर्ष मई के महीने में भारत में हर मिनट...गर्व करेंगे दोस्‍तों आप, भारत में हर मिनट में 1 लाख 30 हज़ार से अधिक UPI transactions हुए हैं। हर सेकंड औसतन 2200 ट्रांजेक्शन कंप्लीट हुए हैं। यानि अभी जो मैं आपसे भाषण कर रहा हूं जब तक मैं Unified Payment interface इतने शब्‍द बोलता हूं, इतने समय में UPI से 7000 ट्रांजेक्शन कंप्लीट हो चुके हैं...मैं जो दो शब्‍द बोल रहा हूं, उतने समय में। ये काम आज डिजिटल इंडिया के माध्‍यम से हो रहा है।

और साथियो, आपको गर्व होगा भारत में कोई कहता है अनपढ़ है, ढिकना है, फलाना है, ये है, वो है, वो देश की ताकत देखिए, मेरे देशवासियों की ताकत देखिए, दुनिया के समृद्ध देश, उनके सामने मेरा देश, जो डेव‍लपिंग कंट्री की दुनिया में है, दुनिया का 40 प्रतिशत डिजिटल लेनदेन हमारे हिन्‍दुस्‍तान में होता है, दोस्‍तों।

इसमें भी BHIM-UPI आज सरल डिजिटल ट्रांजेक्शन का सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। और सबसे बड़ी बात, आज किसी मॉल के भीतर बड़े-बड़े ब्रांड्स बेचने वाले के पास ट्रांजेक्शन की जो टेक्नॉलॉजी है, वही टेक्नॉलॉजी आज उसके सामने रेहड़ी- पटरी और ठेला वाले बैठे हुए हैं ना फुटपाथ पर, 700-800 रुपए कमाते हैं, ऐसे मजदूर के पास भी वो ही व्‍यवस्‍था है, जो बड़े-बड़े मॉल में अमीरों के पास है। वरना वो दिन भी हमने देखे हैं जब बड़ी-बड़ी दुकानों में क्रेडिट और डेबिट कार्ड चलते थे, और रेहड़ी-ठेले वाला साथी, ग्राहक के लिए छुट्टे पैसे की तलाश में ही रहता था। और अभी तो मैं देख रहा था एक दिन, बिहार का कोई, प्‍लेटफार्म पर कोई भिक्षा मांग रहा था तो वो डिजिटल पैसे लेता था। अब देखिए न अब दोनों के पास समान शक्ति है, डिजिटल इंडिया की ताकत है।

इसलिए आज दुनिया के विकसित देश हों, या फिर वो देश जो इस प्रकार की टेक्नॉलॉजी में इन्वेस्टमेंट नहीं कर सकते, उनके लिए UPI जैसे भारत के डिजिटल प्रोडक्ट आज आकर्षण का केंद्र हैं। हमारे digital solutions में scale भी है, ये secure भी हैं और democratic values भी हैं। हमारा ये जो गिफ्ट सिटी का काम है ना, मेरे शब्‍द लिखकर रखिएगा उसको, और मेरा 2005 या 2006 का भाषण है वो भी सुन लीजिएगा। उस समय जो मैंने कहा था, कि गिफ्ट सिटी में क्‍या–क्‍या होने वाला है, आज वो धरती पर उतर होता हुआ दिखाई दे रहा है। और आने वाले दिनों में फिनटेक की दुनिया में डेटा सिक्‍योरिटी के विषय में, फाइनेंस की दुनिया में गिफ्ट सिटी बहुत बड़ी ताकत बन करके उभर रहा है। ये सिर्फ गुजरात नहीं, पूरे हिन्‍दुस्‍तान की आन-बान-शान बन रहा है।

साथियों,

डिजिटिल इंडिया भविष्य में भी भारत की नई अर्थव्यवस्था का ठोस आधार बने, इंडस्ट्री 4.0 में भारत को अग्रणी रखे, इसके लिए भी आज अनेक प्रकार के initiative लिए जा रहे हैं, प्रयास किए जा रहे हैं। आज AI, block-chain, AR-VR, 3D printing, Drones, robotics, green energy ऐसी अनेक New Age industries के लिए 100 से अधिक स्किल डेवलपमेंट के कोर्सेज चलाए जा रहे हैं देशभर में। हमारा प्रयास है कि विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर, आने वाले 4-5 सालों में 14-15 लाख युवाओं को future skills के लिए reskill और upskill किया जाए, उस दिशा में हमारा प्रयास है।

इंडस्ट्री 4.0 के लिए ज़रूरी स्किल्स तैयार करने के लिए आज स्कूल के स्तर पर भी फोकस है। करीब 10 हज़ार अटल टिंकरिंग लैब्स में आज 75 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं Innovative Ideas पर काम कर रहे हैं, आधुनिक टेक्नॉलॉजी से रूबरू हो रहे हैं। अभी मैं यहां प्रदर्शनी देखने गया था। मेरे मन को इतना आनंद हुआ कि दूर-सुदूर उड़ीसा की बेटी है, कोई त्रिपुरा की बेटी है, कोई उत्‍तर प्रदेश के किसी गांव की बेटी है, वो अपने प्रॉडक्‍ट ले करके आई है। 15 साल, 16 साल, 18 साल की बच्चियां दुनिया की समस्‍याओं का समाधान ले करके आई हैं। आप जब उन बच्चियों से बात करोगे तो आपको लगेगा ये मेरे देश की ताकत है दोस्‍तो। अटल टिंकरिंग लैब्स के कारण स्‍कूल के अंदर ही जो वातावरण बना है उसी का ये नतीजा है कि बच्‍चे बड़ी बात ले करके, बड़ी समस्‍याओं के समाधान ले करके आते हैं। वो 17 साल का होगा, मैंने उसको अपना परिचय पूछा, वो कहता है मैं तो ब्रांड एम्‍बेसेडर हूं। यानी डिजिटल इंडिया के क्षेत्र में हम जो equipment को लेकर काम कर रहे हैं, मैं उसका ब्रांड एमबेसेडर हूं। इतने confidence से वो बात कर रहा था। यानी ये सामर्थ्‍य जब देखते हैं तो विश्‍वास और मजबूत हो जाता है। ये देश सपने साकार करके रहेगा, संकल्‍प पूरे करके रहेगा।

साथियो,

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी टेक्नॉलॉजी के लिए ज़रूरी माइंडसेट तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है। अटल इंक्यूबेशन सेंटर्स का एक बहुत बड़ा नेटवर्क देश में तैयार किया जा रहा है। इसी प्रकार, पीएम ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान यानि PM-दिशा देश में डिजिटल सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने का एक अभियान चला रहा है। अभी तक इसके 40 हज़ार से अधिक सेंटर देशभर में बन चुके हैं और 5 करोड़ से अधिक लोगों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है।

साथियों,

डिजिटल स्किल्स और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ टेक्नॉलॉजी के सेक्टर में युवाओं को ज्यादा से ज्यादा अवसर देने के लिए अनेक विविध दिशाओं में रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं। स्पेस हो, मैपिंग हो, ड्रोन हो, गेमिंग और एनीमेशन हो, ऐसे अनेक सेक्टर जो future digital tech को विस्तार देने वाले हैं, उनको इनोवेशन के लिए खोल दिया गया है। In-space…अब In-space हेडक्‍वार्टर अहमदाबाद में बना है। In-space और नई ड्रोन पॉलिसी जैसे प्रावधान आने वाले वर्षों में भारत के tech potential को इस दशक में नई ऊर्जा देंगे। मैं जब यहां In-space के हेडक्‍वार्टर के उद्घाटन के लिए आया था पिछले महीने तो कुछ बच्‍चों से मेरी बातचीत हुई, स्‍कूल के बच्‍चे थे। वे सेटेलाइट छोड़ने की तैयारी कर रहे थे..अंतरिक्ष में सेटेलाइट छोड़ने की तैयारी कर रहे थे। तो मुझे वहां बताया गया कि हम आजादी के अमृत महोत्‍सव के निमित्‍त स्‍कूल के बच्‍चों द्वारा बनाए 75 सेटेलाइट आसमान में छोड़ने वाले हैं, अंतरिक्ष में छोड़ने वाले हैं। ये मेरे देश की स्‍कूल की शिक्षा में हो रहा है दोस्‍तो।

साथियों,

आज भारत, अगले तीन-चार साल में इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग को 300 बिलियन डॉलर से भी ऊपर ले जाने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। भारत Chip Taker से Chip Maker बनना चाहता है। सेमीकंडक्टर्स का उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत में तेजी से निवेश बढ़ रहा है। PLI स्कीम से भी इसमें मदद मिल रही है। यानि मेक इन इंडिया की शक्ति और डिजिटल इंडिया की ताकत की डबल डोज, भारत में इंडस्ट्री 4.0 को नई ऊंचाई पर ले जाने वाली है।

आज का भारत उस दिशा की तरफ बढ़ रहा है जिसमें नागरिकों को, योजनाओं के लाभ के लिए, दस्तावेजों के लिए सरकार के पास Physical रूप में आने की जरूरत नहीं होगी। हर घर में पहुंचता इंटरनेट और भारत की क्षेत्रीय भाषाओं की विविधता, भारत के डिजिटल इंडिया अभियान को नई गति देगी। डिजिटल इंडिया अभियान, ऐसे ही नए-नए आयाम खुद में जोड़ता चलेगा, Digital space में global leadership को दिशा देगा। और मैं आज समय मेरे पास कम था, मैं हर चीज़ें को नहीं देख पाया। लेकिन शायद दो दिन भी कम पड़ जाएं इतनी सारी चीजें हैं वहां। और मैं गुजरात के लोगों से कहूंगा मौका मत छोडि़ए। आप जरूर अपने स्‍कूल-कॉलेज के बच्‍चों को वहां ले जाइए। आप भी समय निकाल कर जाइए। एक नया हिन्‍दुस्‍तान आपकी आंखों के सामने दिखाई देगा। और सामान्‍य मानवी के जीवन की जरूरतों से जुड़ा हुआ हिन्‍दुस्‍तान दिखेगा। एक नया विश्‍वास पैदा होगा, नए संकल्‍प भरे जाएंगे। और आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति का विश्‍वास ले करके डिजिटल इंडिया के माध्‍यम से भी देश भविष्‍य का भारत, आधुनिक भारत, समृद्ध और सशक्‍त भारत, उस दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी की त‍रफ तेज गति से बढ़ रहा है। इतने कम समय में जो प्राप्‍त किया है, भारत के पास टेलेंट है, भारत नौजवानों का सामर्थ्‍य है, उन्‍हें अवसर चाहिए। और आज देश में एक ऐसी सरकार है जो देश की जनता पर भरोसा करती है, देश के नौजवान पर भरोसा करती है और उसको नए प्रयोग करने के लिए अवसर दे रही है और उसी का परिणाम है कि देश अनेक दिशाओं में अभूतपूर्व ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है।

इस डिजिटल इंडिया वीक के लिए मैं आपको बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आने वाले दो-तीन दिन तो ये शायद प्रदर्शनी चालू रहेगी। उसका लाभ आप लोग लेंगे। फिर से एक बार मैं भारत सरकार के विभाग का भी अभिनंदन करता हूं कि उन्‍होंने इतने बढ़िया कार्यक्रम की रचना की। मुझे, आज मैं सुबह तो तेलंगाना था, फिर आंध्र चला गया और फिर यहां आपके बीच आने का मुझे मौका मिला, और अच्‍छा लगता है। आप सबका उत्‍साह देखता हूं, उमंग देखता हूं तो और आनंद आता है। इस कार्यक्रम को गुजरात में करने के लिए मैं डिपार्टमेंट को बधाई देता हूं और इतना शानदार कार्यक्रम करने के लिए अभिनंदन करता हूं। और देशभर के नौजवानों के लिए ये प्रेरणा बनकर रहेगा, इसी विश्‍वास के साथ आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद !

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।