भारत माता की जय!

नमस्कार!

यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे मां भारती की संतानों को आज जर्मनी में आकर के मिलने का अवसर मिला है। आप सभी से मिलकर बहुत अच्छा लग रहा है। आप में से बहुत से लोग जर्मनी के अलग-अलग शहरों से आज यहां बर्लिन पहुंचे हैं। आज सुबह मैं बहुत हैरान था कि ठंडी का समय है यहां, भारत में गर्मी बहुत है इन दिनों लेकिन कई छोटे-छोटे बच्चे भी सुबह चार साढ़े चार बजे आ गए थे आपका यह प्यार, आपका आशीर्वाद यह मेरी बहुत बड़ी ताकत है। मैं जर्मनी पहले भी आया हूं आप में से कई लोगों से पहले भी मिला हूं आप में से कई लोग जब भारत आए हैं तब भी कभी-कभी मिलने का मौका मिला है और मैं देख रहा हूं कि हमारी जो नई पीढ़ी है जो यंग जनरेशन है यह बहुत बड़ी तादाद नजर आ रहे हैं और इसके कारण युवा जोश भी है लेकिन आपने अपने व्यस्त पल समयों में से ये समय निकाला, आप यहां आए, में ह्रदय से आप सबका बहुत आभारी हूं। अभी हमारे राजदूत बता रहे थे कि यहां संख्या की दृष्टि से तो जर्मनी में भारतीयों की संख्या कम है, लेकिन आपके स्नेह में कोई कमी नहीं है। आपके जोश में कोई कमी नहीं है और यह दृश्य आज जब हिंदुस्तान के लोग देखते हैं तो उनका भी मन गर्व से भर जाता है दोस्तों।

साथियों,

आज मैं आपसे ना मैं मेरी बात करने आया हूं ना मोदी सरकार की बात करने आया हूं लेकिन आज मन करता है कि जी भर के आप लोगों को करोड़ों करोड़ों हिंदुस्तानियों के सामर्थ्य की बात करूं, उनका गौरव गान करूं, उनके गीत गाऊँ। और जब मैं कोटि-कोटि हिंदुस्तानियों की बात करता हूं तो सिर्फ वह लोग नहीं जो वहां रहते हैं वे लोग भी जो यहां रहते हैं। मेरी इस बात में दुनिया के हर कोने में बसने वाले मां भारती की संतानों की बात है। मैं सबसे पहले जर्मनी में सफलता के झंडे गाड़ रहे आप सभी भारतीयों को बहुत बहुत बधाई देता हूं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

21वीं सदी का ये समय भारत के लिए हम भारतीयों के लिए और विशेषकर के हमारे नौजवानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय है। आज भारत मन बन चुका है और भारत ने वह मन बना लिया है, भारत आज संकल्प लेकर के आगे बढ़ रहा है। आज भारत को पता है कहां जाना है, कैसे जाना है कब तक जाना है और आप भी जानते हैं कि जब किसी देश का मन बन जाता है तो वह देश नए रास्तों पर भी चलता है और मनचाही मंजिलों को प्राप्त करके भी दिखाता है। आज का आकांक्षी भारत, एस्पिरेशनल इंडिया, आज का युवा भारत देश का तेज विकास चाहता है। वह जानता है कि इसके लिए राजनीतिक स्थिरता और प्रबल इच्छाशक्ति कितनी आवश्यक है कितनी अनिवार्य है वह आज का हिंदुस्तान भली-भांति समझता है और इसलिए भारत के लोगों ने तीन दशकों से चली आ रही राजनीतिक स्थिरता के वातावरण को एक बटन दबा करके खत्म कर दिया है। भारत के मतदाता को पिछले सात आठ साल में उसके वोट की ताकत क्या होती है और वह एक वोट हिंदुस्तान को कैसे बदल सकता है उसका एहसास होने लगा है। सकारात्मक बदलाव और तेज विकास की आकांक्षा ही थी कि जिसके चलते 2014 में भारत की जनता ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनी और 30 साल के बाद ऐसा हुआ है।

यह भारत की महान जनता की दूर दृष्टि है कि साल 2019 में उसने देश की सरकार को पहले से भी ज्यादा मजबूत बना दिया। भारत को चौतरफा आगे बढ़ाने के लिए जिस तरह की निर्णायक सरकार चाहिए वैसे सरकार को ही भारत की जनता ने सत्ता सौंपी है। मैं जानता हूं साथियों की उम्मीदों का कितना बड़ा आसमान हम से जुड़ा हुआ है, मुझसे जुड़ा हुआ है लेकिन मैं यह भी जानता हूं कि मेहनत की पराकाष्ठा करके खुद को खपा कर कोटि-कोटि भारतीयों के सहयोग से उन कोटि-कोटि भारतीयों के नेतृत्व में भारत नई ऊंचाई पर पहुंच सकता है। भारत अब समय नहीं गवाएगा, भारत अब समय नहीं खोएगा। आज वक्त क्या है, इस वक्त का सामर्थ्य क्या है और इसी वक्त में पाना क्या है वह हिंदुस्तान भली भांति जानता है।

साथियों,

इस साल हम अपनी आजादी का 75 वां वर्ष मना रहे हैं, मैं देश का पहला प्रधानमंत्री ऐसा हूं जो आजाद हिंदुस्तान में पैदा हुआ हूं। भारत जब अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा अभी 25 साल हमारे पास है उस समय देश जिस ऊंचाई पर होगा उस लक्ष्य को लेकर के आज हिंदुस्तान मजबूती के साथ एक के बाद एक कदम रखते हुए तेज गति से आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

भारत में ना कभी साधनों की कमी रही और ना ही संसाधनों की कमी रही, आजादी के बाद देश ने एक मार्ग तय किया, एक दिशा तय की। लेकिन समय के साथ जो बहुत सारे परिवर्तन होने चाहिए थे जिस तेजी से होने चाहिए थे जितने व्यापक होने चाहिए थे किसी न किसी कारण से हम कहीं पीछे छूट गए I विदेशी हुकूमत ने भारतीयों का साल दर साल जो आत्म विश्वास कुचला था, उसकी भरपाई का एक ही उपाय था फिर से एक बार भारत की जन जन में आत्मविश्वास भरना, आत्मगौरव भरना, और उसके लिए सरकार के प्रति भरोसा बनना बहुत जरूरी था। अंग्रेजो की परंपरा की बदौलत सरकार और जनता के बीच में एक भरोसे की बहुत बड़ी खाई थी, शक के बादल मंडरा रहे थे क्योंकि अंग्रेजों की हुकूमत में जो देखा था उसमें उसके परिवर्तन नजर आए उसके लिए जो गति चाहिए, उस गति का अभाव था और इसलिए समय की मांग थी के सामान्य मानवीय की जिंदगी में से सरकार कम होती चली जाए, सरकार हटती जाए, Minimum government maximum governance. जहां जरूरत हो वहां सरकार का अभाव नहीं होना चाहिए लेकिन जहां जरूरत ना हो वहां सरकार का प्रभाव भी नहीं होना चाहिए।

साथियों,

देश आगे बढ़ता है जब देश के लोग जनता जनार्दन स्वयं उसके विकास का नेतृत्व करें। देश आगे बढ़ता है जब देश के लोग आगे आ करके उसकी दिशा तय करें। अब आज के भारत में सरकार नहीं, मोदी नहीं बल्कि देश की कोटि कोटि जन ड्राइविंग फोर्स पर बैठे हुए हैं। इसलिए हम देश के लोगों के जीवन से सरकार का दबाव भी हटा रहे हैं और सरकार का बेवजह का दखल भी समाप्त कर रहे हैं। हमारे रिफॉर्म करते हुए देश को ट्रांसफार्म कर रहे हैं। और मैं हमेशा कहता हूं रिफॉर्म के लिए पॉलीटिकल विल चाहिए, परफॉर्म के लिए गवर्नमेंट मशीनरी का एस्टेब्लिशमेंट चाहिए और रिफॉर्म के लिए जनता जनार्दन की भागीदारी चाहिए। और तब जाकर के रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफार्म की गाड़ी आगे बढ़ती है। आज भारत ease of living, quality of life, ease of employment, quality of education, ease of mobility, quality of travel, ease of doing business, quality of services, quality of products, हर क्षेत्र में तेजी से काम कर रहा है, नए आयाम स्थापित कर रहा है। वही देश है आप जिसे छोड़ कर आए थे यहां, देश वही है। ब्यूरोक्रेसी भी वही है, दफ्तर भी वही है, टेबल भी वही है, कलम भी वही है, फाइल भी वही है, वहीं सरकारी मशीन है, लेकिन अब नतीजे बहुत बेहतर मिल रहे हैं।

साथियों,

2014 से पहले जब भी मैं आप जैसे साथियों से बात कर रहा था तो एक बहुत बड़ी शिकायत और आपको भी पुराने दिन याद होंगे या आज कभी जाते होंगे तो देखते होंगे जहां भी देखो लिखा होता था ‘वर्क इन प्रोग्रेस’ मैं किसी की आलोचना नहीं कर रहा लेकिन हमारे यहां होता यही रहा कि पहले कहीं सड़क बनती है फिर बिजली के लिए सड़क खोदी जाती है, फिर पानी वाले पहुंचते हैं, वो पानी फेर देते हैं। फिर टेलीफोन वाले आते हैं, वो कुछ और ही खड़ा कर देते हैं। एक सड़क बजट खर्च हो रहा है काम खत्म नहीं हो रहा है। यह मैंने सिर्फ एक उदाहरण दिया क्योंकि यह मैंने अपनी आंखों से देखा है। और इसलिए होता है के सरकारी विभागों का एक दूसरे के साथ ना तो संवाद होता है और ना ही जानकारियों का कोई तालमेल है। सब अपनी अपनी दुनिया बना कर उसमें बैठे हुए हैं। हर एक के पास रिपोर्ट कार्ड है कि मैंने इतनी सड़क बना दी कोई कहेगा मैंने इतनी तार डाल दी, कोई कहेगा मैंने इतनी पाइप डाल दी, लेकिन परिणाम ‘वर्क इन प्रोग्रेस’ ।

इन silos को तोड़ने के लिए अब हमने PM Gatishakti National Master Plan बनाया है। चारों तरफ उसकी तारीफ हो रही है। हम हर डिपार्टमेंटल साइलोस को तोड़कर इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े हर प्रोजेक्ट में सभी स्टेकहोल्डर्स को एक ही प्लेटफार्म पर लेकर आए हैं। अब सरकारें सभी विभाग अपने अपने हिस्से का काम एडवांस में प्लान कर रहे हैं। इस नई अप्रोच ने डेवलपमेंट के कार्यों की स्पीड को बढ़ा दिया है और स्केल भी बढ़ा दिया है और भारत की आज अगर जो सबसे बड़ी ताकत है तो वह स्कोप है, स्पीड है और स्केल है। आज भारत में सोशल और फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर उस पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज भारत में नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए सहमति का एक वातावरण बना है तो दूसरी तरफ नई स्वास्थ्य नीति उसको लागू करने पर काम चल रहा है। आज भारत में रिकॉर्ड संख्या में नए एयरपोर्ट्स बनाए जा रहे हैं छोटे-छोटे शहरों को एयर रूट से जोड़ा जा रहा है I भारत में मेट्रो कनेक्टिविटी पर जितना काम आज हो रहा है, उतना पहले कभी नहीं हुआ है। भारत मैं आज रिकॉर्ड संख्या में नए मोबाइल टावर्स लग रहे हैं और भारत में 5G दस्तक दे रहा है भारत में भी। भारत में आज रिकॉर्ड संख्या में गांव को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जा रहा है कल्पना कर सकते हैं कितने लाख गांव में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क पहुंचेगा हिंदुस्तान के गांव दुनिया के साथ किस प्रकार से अपना नाता जोड़ेंगे जिसकी आप कल्पना कर सकते हैं। भारत में और जर्मनी में बैठे हुए आप लोग ज्यादा इस बात को समझ पाएंगे भारत में जितनी फास्ट इंटरनेट कनेक्टिविटी है और इतना ही नहीं, तालिया तो अब बजने वाली है, तालिया इस बात पर बजने वाली है कि जितना सस्ता डाटा है वह बहुत से देशों के लिए अकल्पनीय है। पिछले साल पूरी दुनिया में हुए रियल टाइम डिजिटल पेमेंट्स, कान खोल दो रियल टाइम डिजिटल पेमेंट में से मैं पूरी दुनिया की बात कर रहा हूं अब भारत छोटा नहीं सोचता है। रियल टाइम डिजिटल पेमेंट में से 40% भागीदारी भारत की है।

साथियों,

मैं एक और बात आपको बता दूं जिसे जानकर पता नहीं आप बैठे रहेंगे कि नहीं बैठे रहेंगे लेकिन आपको जरूर अच्छा लगेगा भारत में अब ट्रैवल करते समय, कहीं आते जाते समय जेब में cash लेकर चलने की मजबूरी करीब-करीब खत्म हो चुकी है। दूर से दूर के गांव तक भी अपना मोबाइल फोन पर ही हर तरह के पेमेंट आपके लिए काफी है दोस्तों।

साथियों,

आज भारत में गवर्नेंस में टेक्नोलॉजी का जिस तरह इंक्लूजन किया जा रहा है वह नए भारत की नई पॉलीटिकल विल दिखाता है और डेमोक्रेसी की डिलीवरी क्षमता का भी प्रमाण है। आज केंद्र, राज्य और लोकल सरकारों की लगभग, यह भी आंकड़ा थोड़ा आपके लिए अजूबा होगा केंद्र सरकार, राज्य सरकार और लोकल सेल्फ गवर्नमेंट इनकी करीब करीब 10,000 सेवाएं 10000 सर्विसेज ऑनलाइन उपलब्ध हैं। सरकारी मदद हो, स्कॉलरशिप हो, किसान की फसल की कीमत हो, सब कुछ अब डायरेक्ट बैंक अकाउंट में ट्रांसफर होते हैं। अब किसी प्रधानमंत्री को यह कहना नहीं पड़ेगा कि मैं दिल्ली से एक रुपए भेजता हूं और पंद्रह पैसे पहुंचते हैं। वह कौन सा पंजा था जो 85 पैसा खींच लेता था।

आपको ये जानकर भी अच्छा लगेगा की बीते सात आठ साल में भारत सरकार ने, आंकड़े याद रहेंगे मैं इतना सारा बता रहा हूं, डरो मत, ये आप ही का पुरुषार्थ है, आप ही का कमाल है। पिछले साथ आठ साल में भारत सरकार ने DBT (direct benefit transfer) सीधा एक क्लिक किया,जो हकदार है उसके खाते में पैसे चले गए।डायरेक्ट जो DBT के द्वारा हमने पैसे भेजे वो अमाउंट है 22 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक ,यानी अब आप Germany में हैं तो आपको बता दूं 300 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा, beneficiaries के खाते में पैसे पहुंचे हैं। बीच में कोई बिचौलिया नहीं, कोई cut की कंपनी नहीं, कहीं कट मनी नहीं I इस वजह से सिस्टम में कितनी बड़ी ट्रांसपेरेंसी आई है और उसके कारण जो भरोसे की खाई थी, उस खाई को भरने का बहुत बड़ा काम इन नीतियों के कारण इस नियत के कारण और उस टेक्नोलॉजी के माध्यम से हो पाया है।

साथियों,

ऐसे टूल्स जब हाथ में आते हैं जब नागरिक empower होता है तो बहुत स्वाभाविक है वह आत्मविश्वास से भर जाता है, वह खुद संकल्प लेना शुरू करता है और वह स्वयं संकल्प को सिद्धि में परिवर्तित करने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करके देखता है और तब जाकर के देश दोस्तों आगे बढ़ता है। और इसलिए दोस्तों नया भारत आप सिर्फ सिक्योर फ्यूचर कि नहीं सोचता बल्कि भारत रिस्क लेता है, इनोवेट करता है, इनक्यूबेट करता है। मुझे याद है 2014 के आसपास हमारे देश में इतना बड़ा देश सिर्फ 200-400 स्टार्टअप्स हुआ करते थे कितने, जरा याद रख के बोलो ना यार और आज, आठ साल पहले 200, 300 या 400 स्टार्टअप्स आज 68000 से भी ज्यादा स्टार्टअप्स I दोस्तों मुझे बताइए, आपने सुनने के बाद कहां 400 कहां 68000। 200, 400 से 68000 आप का सीना गर्व से भर गया कि नहीं भर गया। आपका माथा ऊँचा हुआ कि नहीं हुआ। और साथियों इतना ही नहीं सिर्फ स्टार्टअप्स किस संख्या एक बात है आज दुनिया के सारे पैरामीटर्स कह रहे हैं इसमें दर्जनों स्टार्टअप्स यूनिकॉर्न बन चुके हैं। और अब मामला यूनिकॉर्न पर अटका नहीं है दोस्तों आज मैं गर्व से कहता हूं मेरे देश में बहुत सारे यूनिकार्न्स देखते ही देखते डिकाकॉर्न भी बन रहे हैं यानी 10 billion डॉलर्स का लेवल भी पार कर रहे हैं। मुझे याद है मैं जब गुजरात में सीएम वाली नौकरी करता था और किसी भी हमारे साथी बाबू को पूछता है बच्चे क्या करते हैं तो बोले आईएएस की तैयारी करता है, ज्यादातर यही कहते थे। आज भारत सरकार में बाबुओं से पूछता हूं कि भाई क्या करते हैं बेटे, बेटी क्या कर रही है, बोले साहब वो तो स्टार्टअप में लग गए हैं। ये परिवर्तन छोटा नहीं है दोस्तों।

साथियों,

मूल बात क्या है, मूल बात यही है आज सरकार इनोवेटर्स के पांव में जंजीर डालकर नहीं उनमें जोश भर कर के उन्हें आगे बढ़ा रही है। अगर आपको जिओ स्पेशल क्षेत्र में इनोवेशन करना हो, नए तरह के ड्रोन बनाना हो या space के क्षेत्र में कोई नई सेटेलाइट या रॉकेट बनाना हो इसके लिए सबसे पहला सबसे नर्चरिंग वातावरण आज हिंदुस्तान में उपलब्ध है दोस्तों। एक समय में भारत में कोई नई कंपनी रजिस्टर कराना चाहता था तो उसे रजिस्ट्री में कागज डालने के बाद वह भूल जाता था, तब तक रजिस्ट्री नहीं होती थी, महीने लग जाते थे। जब भरोसा बढ़ जाता है सरकार का नागरिकों पर भरोसा बढ़ता है नागरिकों का सरकार पर भरोसा बढ़ता है अविश्वास की खाई खत्म होती है नतीजा यह आता है कि आज अगर कंपनी रजिस्टर करनी है, तो 24 घंटे लगते हैं दोस्तों 24 घंटे। बीते कुछ वर्षों में सरकार की एक आदत थी एक चेंबर हो ऑफिस का, 6 टेबल हो, नंबर 1 ने जनवरी में आपसे कुछ चीजें मांगी, नंबर 2 की टेबल वाला फरवरी में फिर वही मांगेगा, फिर नंबर पांच वाला टेबल फरवरी end में कहेगा यार वो कागज लाओ जरा मुझे जरूरत है। यानी नागरिकों को लगातार हजारों की तादाद में दोस्तों compliance, ये लाओ वो लाओ और वह लेकर के क्या करते थे यह वह जाने और आप जाने।

साथियों,

आप हैरान हो जाएंगे अब यह काम भी मुझे ही करना पड़ रहा है, 25000 से ज्यादा कंप्लायंस खत्म किया हमने। इतना ही नहीं, मैं 2013 में चुनाव के लिए तैयारी कर रहा था क्योंकि मेरी पार्टी ने घोषित कर दिया था कि इसको प्रधानमंत्री बनाने वाले हैं। तो मैं ज्यादातर ऐसे भाषण करता था लोगों से तो एक दिन दिल्ली में सब व्यापारियों ने मुझे बुलाया तो व्यापारियों का बहुत बड़ा सम्मेलन था और उसमें जो मेरे आगे सज्जन बोल रहे थे वह कह रहे थे देखिए वह कानून बना है यह कानून बना है, ढेर सारे कानून बता रहे थे वो। अब चुनाव के समय तो सब लोग यही कहते हैं कि ठीक है मैं यह कर दूंगा लेकिन दोस्तों मैं जरा दूसरी मिट्टी का इंसान हूं। मैं भाषण देने के लिए खड़ा हुआ, वह 2013 की बात है मैं भाषण देने के लिए खड़ा हुआ मैंने कहा भाई आप लोग कानून बनाने की बात करते हैं I मेरा तो इरादा ही अलग है मुझे पता नहीं मैं आपको बताऊंगा आप मुझे वोट दोगे कि नहीं दोगे मेरी तो छुट्टी कर दोगे आप लोग। मैंने कहा मैं आपको वादा करता हूं मैं हर दिन एक कानून खत्म करूंगा आकर के। बहुत लोगों को आश्चर्य हुआ था कि यह इंसान को कुछ समझ नहीं है सरकार क्या होती है, ऐसा ही माना होगा और क्या। लेकिन आज दोस्तों मैं आपको अपना हिसाब दे रहा हूं पहले 5 साल में 1500 कानून खत्म कर दिए दोस्तों। ये सब क्यों? ये नागरिकों पर यह कानूनों के जंजाल का बोझ क्यों?

यह भारत देश आजाद हो चुका है ना देश मोदी का नहीं है देश 130 करोड़ नागरिकों का है। अब देखिए देश में, पहले तो हमारी देश की विशेषता देखिए साहब, देश एक, संविधान दो थे। क्यों इतनी देर लगी? पुराने जमाने में कहते थे ट्यूबलाइट! मालूम है ना दो संविधान थे? 7 दशक हो गए दोस्तों 7 दशक हो गए एक देश एक संविधान लागू करते करते, अब लागू हुआ है दोस्तों। गरीब को राशन कार्ड दोस्तों अगर वह जबलपुर में रहता है राशन कार्ड वहां का है और अगर मजबूरन उसको जयपुर में जाना पड़ा जिंदगी गुजारने के लिए तो वह राशन कार्ड काम नहीं आता था, देश एक ही था लेकिन राशन कार्ड अलग से आज वन नेशन वन राशन कार्ड हो गया। पहले कोई देश में इन्वेस्टमेंट करने आता था गुजरात में जाता था तो एक टैक्सेशन, महाराष्ट्र में जाता था तो दूसरा टैक्सेशन, बंगाल में जाता था तो तीसरा टैक्सेशन। अगर उसकी तीन चार कंपनियां, एक कंपनी गुजरात में, दूसरी कंपनी महाराष्ट्र में, तीसरी कंपनी बंगाल में, तो तीनों जगह पर अलग अलग चार्टर्ड अकाउंटेंट को अलग अलग कानूनों से काम चलता था, दोस्तों आज टैक्स व्यवस्था एक जैसी लागू हो गई कि नहीं हो गई। और हमारी वित्त मंत्री यहां बैठी हैं निर्मला जी, अप्रैल महीने में क्या हुआ मालूम है ना जीएसटी का रिकॉर्ड कलेक्शन हो गया है 1 लाख 68 हजार करोड़ रुपए। वन नेशन वन टैक्स की दिशा में यह मजबूती के साथ हुआ कि नहीं हुआ दोस्तों।

साथियों,

Make in India, आज आत्मनिर्भर भारत का ड्राइविंग फोर्स बन रही है। आत्मविश्वास से भरा भारत आज प्रोसेस ही आसान नहीं कर रहा बल्कि प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव से इन्वेस्टमेंट को सपोर्ट भी कर रहा है। इसका बड़ा प्रभाव भारत से होने वाले एक्सपोर्ट पर भी दिख रहा है I अभी कुछ दिन पहले हमने 400 बिलियन डॉलर एक्सपोर्ट का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अगर हम गुड्स एंड सर्विसेज को देखें तो पिछले साल भारत से 670 बिलियन डॉलर यानी करीब करीब 50 लाख करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट हुआ है। आंकड़ा देख कर के तालियों के लिए हाथ जम गए क्या? भारत के अनेक नए जिले नए-नए देशों में मैंने डेस्टिनेशन पर एक्सपोर्ट के लिए अपना दायरा बढ़ा रहे हैं और तेजी से एक्सपोर्ट हो रहा है और उसका एक मजा भी है जो आज देश में बन रहा है ना ‘जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट’ के मंत्र से लेकर के चल रहा है कि प्रोडक्शन की क्वालिटी में डिफेक्ट नहीं है और प्रोडक्शन में एनवायरनमेंट पर कोई इफेक्ट नहीं है।

साथियों,

21वें सदी के इस तीसरे दशक की सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि आज इंडिया इज गोइंग ग्लोबल। कोरोना के इसी काल में भारत ने 150 से ज्यादा देशों को जरूरी दवाइयां भेजकर अनेकों जिंदगियां बचाने में मदद की। जब भारत को कोविड के वैक्सीन बनाने में सफलता मिली तो हमने अपनी वैक्सीन से करीब 100 देशों की मदद करी है दोस्तों।

साथियों,

आज का ताजा खबर, रुकावट के लिए खेद है। आज विश्व में गेहूं की कमी का सामना दुनिया कर रही है। फूड सिक्योरिटी को लेकर के दुनिया में बड़े बड़े देश चिंतित हैं। उस समय हिंदुस्तान का किसान दुनिया का पेट भरने के लिए आगे आ रहा है दोस्तों।

साथियों,

जब भी मानवता के सामने कोई संकट आता है तो भारत सलूशन के साथ सामने आता है, जो संकट लेकर आते हैं संकट उनको मुबारक, सलूशन ले कर के हम आते हैं, दुनिया का जय जयकार दिखता है दोस्तों। यही दोस्तों यही नया भारत है यही नए भारत की ताकत है। आप में से जो लोग वर्षों से भारत नहीं गए हैं, शर्मिंदगी मत महसूस करो। लेकिन उनको जरूर लगता होगा आखिरी ये हुआ कैसे, इतना बड़ा परिवर्तन आया कैसे। जी नहीं साथियों, आपका आंसर गलत है, मोदी ने कुछ नहीं किया है 130 करोड़ देशवासियों ने किया है।

साथियों,

ग्लोबल होते भारत में आपका योगदान भी बहुत होने वाला है,अहम होने वाला है। आज भारत में लोकल के प्रति जो क्रेज पैदा हुआ है वैसा ही है जब आजादी के आंदोलन के समय स्वदेशी वस्तुओं के लिए पैदा हुआ था। अरसे तक हमने देखा कि लोग ये बताया करते थे कि ये चीज हमने उस देश से खरीदी है, ये चीज उस देश की है। लेकिन आज भारत के लोगों में अपने स्थानीय उत्पादों को लेकर के गर्व की नई अनुभूति आई है। आपको भी पता होगा आज से 20 साल 10 साल पहले जब आप घर चिट्ठी लिखते थे कि मैं फलानी तारीख को आ रहा हूं तो फिर घर से चिट्ठी आती थी कि आते समय ये ले आना। आज जब जाते हो तो घर से चिट्ठी आती है कि यहां सब मिलता है, मत लाना। मैं सही बता रहा हूं कि नहीं बता रहा हूं यही है ना। दोस्तों यही ताकत है और इसलिए मैं कहता हूं vocal for local, लेकिन आपका लोकल यहां वाला नहीं, दोस्तों यह जो दम पैदा हुआ ना, ये चीज को बनाने में किसी भारतीय की मेहनत लगी है। उस हर प्रोडक्ट के किसी भारतीय की पसीने की महक है दोस्तों, उस मिट्टी की सुगंध है दोस्तों। और इसलिए जो हिंदुस्तान में बना हुआ हूं हिंदुस्तान की मिट्टी की जिसमें सुगंध हूं हिंदुस्तान के युवा का जिसमें पसीना लगा हो वह हमारे लिए फैशन स्टेटमेंट होना चाहिए दोस्तों। आप देखिए एक बार यह फीलिंग अनुभव करेंगे ना तो वाइब्रेशन अगल बगल में पहुंचते देर नहीं लगी। और फिर देखना कब जाओगे आप अभी मैं हिंदुस्तान जा रहा हूं 10 दिन के लिए तो यहां से लोग चिट्ठी देंगे कि वापस आते समय हिंदुस्तान से ये ले आना। ऐसा होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए। यह काम आपको करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए।

दोस्तों में एक शानदार उदहारण बताता हूं आपको, बड़ा सिंपल सा उदाहरण और मैं उदहारण देना चाहता हूं खादी, आप में से सब खादी को जानते हैं। खादी और नेता चोली दामन का नाता था। नेता और खादी अलग नहीं होते थे, खादी आते ही नेता दिखता था, नेता आते ही खादी दिखती थी। जिस खादी को महात्मा गांधी ने जिया, जिस खादी ने भारत में आजादी के आंदोलन को ताकत दी, लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद उस खादी का भी वही हाल हुआ जो आजादी के दीवानों के सपनों का हुआ था। क्या देश का दायित्व नहीं था जिस खादी से गरीब मां को रोजी मिलती है, जिस खादी से विधवा मां को अपने बच्चों को बड़ा बनाने के लिए सहारा मिलता था, लेकिन धीरे-धीरे उसको उसके नसीब पर छोड़ दिया गया और एक प्रकार से वह मृत्यु के कगार पर आकर खड़ा था। मैं मुख्यमंत्री बना तो मैंने बीड़ा उठाया। मैंने कहा भाई आप बड़े गर्व से कहते हैं घर में किसी को कि मेरे पास यह फैब्रिक है, यह फैब्रिक है, यहां की साड़ी है यहां का कुर्ता है कहते हैं ना, हां बोलो तो सही? अरे सच बोलने में क्या जाता है यार? तो मैं कहता था यार एक खादी भी तो रख लो। मेरे पास यह फैब्रिक है, खादी भी तो रख लो।

साथियों,

बात बहुत छोटी थी लेकिन मैं आज देश के सामने सर झुकाता हूं मेरे देश में इस बात को भी गले लगाया और आपको भी जान करके आनंद होगा आजादी के 75 साल के बाद आज पहली बार जब देश आजादी का अमृत महोत्सव को मना रहा है, इस वर्ष खादी का कारोबार 1 लाख करोड रुपए को पार कर गया, पहली बार हुआ। कितने गरीब विधवा माताओं को रोजी रोटी मिली होगी दोस्तों। बीते 8 साल में खादी के उत्पादन में जो लगभग पौने दो सौ प्रतिशत की वृद्धि हुई और आप दायरा देखिए दोस्तों मैं जिस मिजाज से स्टार्टअप की बात करता हूं ना उसी मिजाज से खादी की भी बात करता हूं। जिस मिजाज से मैं सेटेलाइट की बात करता हूं उसी मिजाज से में soil की भी बात करता हूं।

साथियों,

आज मैं आप सभी से यह आग्रह करूंगा अभी कि भारत के लोकल को ग्लोबल बनाने में आप भी मेरा साथ दीजिए। यहां के लोगों को भारत के लोकल की विविधता, भारत के लोकल की ताकत, भारत के लोकल की खूबसूरती से परिचित आप बहुत आसानी से करवा सकते हैं। सोचिए, दुनिया में इतना बड़ा इंडियन डायसपोरा हर देश में फैला इंडियन डायसपोरा और इंडियन डायसपोरा की विशेषता ये है जैसे दूध में शक्कर मिल जाती है ना वैसा ही मिल जाता है ये। और पता ही नहीं चलता वैल्यू एडिशन करते टाइम, दूध को मीठा बना देता है। जिसके पास ये सामर्थ्य हैं वह आसानी से हिंदुस्तान के लोकल को अपने प्रयासों से जर्मनी की धरती पर global बना सकता है। करोगे? कैसी आवाज दब गई, करोगे? कहने में क्या जाता है, मोदी जी कहा अब दुबारा आयेंगे। दोस्तों मैं आप पर भरोसा करता हूं आप करेंगे मुझे विश्वास है दोस्तों।

क्या आपको और एक बात याद दिलाना चाहता हूं हमारा योग हो, हमारा आयुर्वेद हो, हमारी ट्रेडिशनल मेडिसिंस के प्रोडक्ट हों, आप कल्पना नहीं कर सकते, आज इसका इतना पोटेंशियल है। आप हिंदुस्तान से है ऐसा कहते कि सामने वाला आपसे पूछता होगा योग जानते हो पूछता है कि नहीं पूछता है और आप कुछ भी नहीं जानते सिर्फ नाक पकड़ना बता दोगे तो भी मानेगा हां यार ये मास्टर है। भारत के ऋषि मुनियों की तपस्या की आबरू इतनी है कि आप एक छोटा सा बोर्ड लगा दो, या कोई ऑनलाइन प्लेटफार्म खड़ा कर दो और नाक पकड़ना सीखा दो, डॉलर देकर के fee देने आएगा कि नहीं आयेगा। क्या ब्रांड वैल्यू बनाई होगी आपने ऋषि-मुनियों के साथ। हजारों वर्ष पहले जो ऋषि-मुनियों ने जो तब करके छोड़ दिया वो रास्ता, आज दुनिया वो लेकर के आया है लेकिन क्या आप उसके साथ जुड़े हैं क्या? मैं आपसे आग्रह करूंगा 21 जून को इंटरनेशनल योगा डे बहुत दूर नहीं है अभी से टोलिया बनाकर के चारों तरफ छा जाइए दोस्तों हर किसी को नाक पकड़ना सिखा दो दोस्तों। नाक काटना नहीं सिखाना है।

साथियों,

आज आपके बीच एक विषय की चर्चा करना चाहता हूं वह क्लाइमेट एक्शन भारत में क्लाइमेट चैलेंज से निपटने के लिए हम पीपल पावर से टेक पावर तक हर समाधान पर काम कर रहे हैं। बीते आठ साल में हमने भारत में एलपीजी की कवरेज को पच्चास प्रतिशत बढ़ाकर करीब सौ प्रतिशत कर दिया है। भारत का एलईडी बल्ब, अब जर्मनी वाले हैं तो जरा बल्ब वाली बात जल्दी समझोगे, भारत का लगभग हर घर अब एलईडी बल्ब उपयोग कर रहा है। उजाला योजना के तहत हमने देश में करीब करीब 37 करोड़ एलईडी बल्ब बांटें हैं और एलईडी बल्ब का उपयोग ऊर्जा बचत के लिए होता है, एनर्जी सेविंग के लिए होता है और आप जर्मनी में सीना ठोक कर लोगों को कह सकते हैं कि भारत में एक छोटा सा परिवर्तन ला करके क्या किया है और इसके कारण लगभग 48 हजार मिलीयन किलो वॉट अवर बिजली बची है। और प्रति वर्ष करीब करीब 4 करोड़ टन कार्बन एमिशन काम हुआ है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इस एक योजना ने एनवायरमेंट की कितनी बड़ी रक्षा की है I

 

साथियों, ऐसे ही प्रयासों की वजह से आज भारत अभूतपूर्व स्तर पर ग्रीन जॉब्स के क्षेत्र में एक नया क्षेत्र खोल रहा है आगे बढ़ रहा है। मुझे खुशी है कि भारत और जर्मनी ने भी लेकिन एनर्जी को लेकर एक बहुत बड़ी पार्टनरशिप की तरफ एक कदम उठाया है साथियों आजादी के अमृत महोत्सव में हमने क्लाइमेट रिस्पांसिबिलिटी को नेक्स्ट लेवल पर भी ले जाने का फैसला लिया है। मैं उदाहरण देता हूं भारतीयों ने देश के हर जिले में हर डिस्टिक यानी आप अंदाज कर सकते हैं मैं क्या बता रहा हूं हर डिस्ट्रिक्ट में 75 नए अमृत सरोवर बनाने का संकल्प लिया है तालाब बनाने का। चांदी देश में करीब करीब आने वाले 500 दिवस में 50,000 नए वाटर बॉडीज बनेंगे, पॉन्ड्स बनेंगे या तो पुराने पॉन्ड्स को पुनर्जीवित किया जाएगा। जल ही जीवन है, जल है तो कल है लेकिन जल के लिए भी तो पसीना बहाना पड़ता है दोस्तों। क्या आप इस अभियान से जुड़ सकते हैं? आप जिस गांव से आए हैं उस गांव में तालाब बने उस तालाब बनाने में आपका भी सहयोग हो आप भी उनको प्रेरित करें। और आजादी के अमृत महोत्सव में अमृत सरोवर बनाने में दुनिया में फैले हुए हर हिंदुस्तान का योगदान था, आप कल्पना कर सकते हैं आपको कितना आनंद होगा।

साथियों,

भारत की बेहतरीन समझ रखने वाले मशहूर जर्मन विद्वान मैक्स मूलर ने Indo-European वर्ल्ड के shared future की बात की थी। आप में से सब लोग यहां दिन में 10 बार उसका उल्लेख करते होंगे। 21वीं सदी में उस को जमीन पर उतारने का ये बेहतरीन समय है। भारत और यूरोप की मजबूत साझेदारी दुनिया में peace और prosperity सुनिश्चित कर सकती है। ये साझेदारी निरंतर बढ़ती रहे आप भी इसी उत्साह और उमंग के साथ मानव कल्याण के लिए भारत के कल्याण में कुछ न कुछ योगदान देते रहें क्योंकि हम तो वसुदेव कुटुंबकम वाले लोग हैं। साथियों आप जहां हो बहुत आगे बढ़ो, फलो -फूलो आपके सारे सपने पूरे हो, यह मेरी आपके लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं और 130 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं आपके साथ हैं। आप खुश रहें स्वस्थ रहें!

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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