देश के हर हिस्से से एकत्र मिट्टी से तैयार अमृत वाटिका और अमृत महोत्सव स्मारक की आधारशिला रखी 'मेरा युवा भारत' - माय भारत प्लेटफॉर्म की शुरुआत
शीर्ष प्रदर्शन करने वाले 3 राज्यों या केन्‍द्र शासित प्रदेशों को आजादी का अमृत महोत्सव पुरस्कार प्रदान किया - 1. जम्मू और कश्मीर, 2. गुजरात और 3. हरियाणा और राजस्थान
शीर्ष प्रदर्शन करने वाले 3 मंत्रालयों को आज़ादी का अमृत महोत्सव पुरस्कार प्रदान किया - 1. विदेश मंत्रालय, 2. रक्षा मंत्रालय; और संयुक्त रूप से तीसरे स्थान के लिए रेल मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय
"माय भारत 21वीं सदी में राष्ट्र निर्माण में बड़ी भूमिका निभाएगा"
"मेरी माटी मेरा देश अभियान इस बात का जीवंत उदाहरण है कि भारत का युवा संगठित होकर कैसे हर लक्ष्य हासिल कर सकता है"
" बड़ी-बड़ी महान सभ्यताएं समाप्त हो गईं लेकिन भारत की मिट्टी में वो चेतना है जिसने इस राष्ट्र को अनादिकाल से आज तक बचा कर रखा है"
"ये वो माटी है जो देश के कोने-कोने से, आत्‍मीयता और आध्‍यात्‍म, हर प्रकार से हमारी आत्‍मा को जोड़ती है"
"अमृत वाटिका आने वाली पीढ़ी को 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की जानकारी देगी"
"अमृत महोत्सव ने एक प्रकार से इतिहास के छूटे हुए पन्नों को आने वाली पीढ़ियों के लिए जोड़ दिया है"
"आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान देश ने राजपथ से कर्तव्य पथ तक का सफर पूरा किया"
"माय भारत भारत की युवा शक्ति का उद्घोष है"


भारत माता की – जय !

पिछले 75 साल में वो आवाज़ इस कर्तव्‍य पथ पर न गूंजी हो, उससे भी बड़ी तीव्रता के साथ मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी, अमित भाई, किशन रेड्डी, अनुराग ठाकुर, अर्जुन राम मेघवाल, मीनाक्षी लेखी, निशिथ प्रमाणिक, देशभऱ से यहां पधारे मेरे सभी युवा साथियों और मेरे परिवारजनों!

आज लौह पुरुष सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की जयंती पर, कर्तव्य पथ एक ऐतिहासिक महायज्ञ का साक्षी बन रहा है। 12 मार्च 2021 दांडी यात्रा वाला दिन था, 12 मार्च 2021 को गांधी जी की प्रेरणा से साबरमती आश्रम से शुरु हुआ आजादी का अमृत महोत्सव, अब 31 अक्टूबर 2023, आज सरदार साहब की जयंती पर यहां पर उसका समापन है, समापन का पल है। जैसे दांडी यात्रा शुरू होने के बाद देशवासी उससे जुड़ते गए, वैसे ही आजादी के अमृत महोत्सव ने जनभागीदारी का ऐसा हुजूम देखा कि नया इतिहास बन गया।

दांडी यात्रा ने स्‍वतंत्र भारत की लौ को और तेजस्‍वी किया था। 75 साल की ये यात्रा समृद्ध भारत के सपने को साकार करने वाला कालखंड बन रहा है। 2 वर्ष से अधिक चले इस महोत्सव का, मेरी माटी, मेरा देश अभियान के साथ समापन हो रहा है। आज आज़ादी का अमृत महोत्सव एक याद के लिए स्मारक का शिलान्यास भी हुआ है। ये स्मारक आने वाली पीढ़ियों को हमेशा इस ऐतिहासिक आयोजन की याद दिलाएगा। बेहतरीन आयोजनों के लिए यहां कुछ राज्यों, मंत्रालयों और विभागों को पुरस्कार भी दिए गए हैं। मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को भी और उस राज्‍य के सभी नागरिकों को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

मेरे परिवारजनों,

एक तरफ हम आज एक महा-उत्सव को समापन कर रहे हैं, तो साथ ही, एक नए संकल्प का शुभारंभ भी कर रहे हैं। आज मेरा युवा भारत संगठन, यानी MY भारत की नींव रखी गई है। 21वीं सदी में राष्ट्र निर्माण के लिए मेरा युवा भारत संगठन, बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। इसके लिए मैं देश को, देश के युवाओं को विशेष तौर पर बधाई देता हूं।

मेरे परिवारजनों,

भारत के युवा कैसे संगठित होकर हर लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण मेरी माटी मेरा देश अभियान है। मेरी माटी, मेरा देश, इस अभियान में गांव-गांव, गली-गली से कोटि-कोटि देश के युवा जुड़े हैं। देशभर में लाखों आयोजन हुए। अनगिनत भारतीयों ने अपने हाथों से अपने आंगन, अपने खेत की मिट्टी, अमृत कलश में डाली है। देशभर से साढ़े 8 हज़ार अमृत कलश आज यहां पहुंचे हैं। इस अभियान के तहत करोड़ों भारतीयों ने पंच प्रण की प्रतिज्ञा ली है, पंच प्रण की प्रतिज्ञा ली है। करोड़ों भारतीयों ने अपनी Selfies को Campaign Website पर Upload भी किया है।

साथियों,

कई लोगों के मन में ये सवाल उठ सकता है कि आखिर मिट्टी ही क्यों? मिट्टी से भरे कलश ही क्यों? एक कवि ने कहा है –

यह वह मिट्टी जिसके रस से, जीवन पलता आया,

जिसके बल पर आदिम युग से,मानव चलता आया।

यह तेरी सभ्यता संस्कृति, इस पर ही अवलंबित,

युगों-युगों के चरण चिह्न, इसकी छाती पर अंकित।

बड़ी-बड़ी महान सभ्यताएं समाप्त हो गईं लेकिन भारत की मिट्टी में वो चेतना है, भारत की मिट्टी में वो प्राण शक्ति है जिसने इस राष्ट्र को अनादिकाल से आज तक बचा कर रखा है। ये वो माटी है, जो देश के कोने-कोने से, आत्मीयता और अध्यात्म, हर प्रकार से हमारी आत्मा को जोड़ती है। इसी मिट्टी की सौगंध खाकर, हमारे वीरों ने आज़ादी की लड़ाई लड़ी।

कितने ही किस्से इस मिट्टी से जुड़े हुए हैं। इसी माटी में सौ साल पहले एक छोटा सा बच्चा

लकड़ियां बो रहा था। और जब उसके पिता ने पूछा कि क्या बो रहे हो, तो वो बोला कि बंदूकें बो रहा हूं। पिता ने पूछा कि बंदूकों का क्या करोगे, तो उस बालक ने कहा- अपने देश को आजाद कराऊंगा। उसी बालक ने बड़े होकर बलिदान की वो ऊंचाई हासिल की, जिसे आज भी छूना मुश्किल है। वो बालक कोई और नहीं वीर शहीद भगत सिंह थे।

इसी माटी के लिए एक सेनानी ने कहा था-

''दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त,

मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी"

किसान हो, वीर जवान हो, किसका खून-पसीना इसमें नहीं मिला है। इसी माटी के लिए कहा गया है, चन्दन है इस देश की माटी, तपोभूमि हर ग्राम है। माटी स्वरूपा इस चंदन को अपने सिर माथे पर लगाने के लिए हम सब लालायित रहते हैं। हमारे मन-मस्तिष्क में चौबीसों घंटे यही चला करता है-

जो माटी का कर्ज़ चुका दे, वही ज़िन्दगानी है।।

जो माटी का कर्ज़ चुका दे, वही ज़िन्दगानी है।।

इसलिए ये जो अमृत कलश यहां आए हैं, इनके भीतर मिट्टी का हर कण अनमोल है। ये हमारे लिए सुदामा की पोटली में रखे चावलों की तरह हैं। जैसे पोटली के चावल की उस मुट्ठी में एक लोक की संपत्ति समाहित थी, वैसे ही इन हजारों अमृत कलशों में, देश के हर परिवार के सपने, आकांक्षाएं, अनगिनत संकल्प हैं। देश के हर घर-आंगन से जो मिट्टी यहां पहुंची है, वो हमें कर्तव्य भाव की याद दिलाती रहेगी। ये मिट्टी, हमें विकसित भारत के अपने संकल्प की सिद्धि के लिए और अधिक परिश्रम के लिए प्रेरित करती रहेगी।

संकल्प आज हम लेते हैं जन जन को जाके जगाएंगे,

सौगंध मुझे इस मिट्टी की, हम भारत भव्य बनाएंगे।

साथियों,

इस मिट्टी के साथ-साथ देशभर से जो पौधे आए हैं, उनसे मिलकर यहां अमृत वाटिका बनाई जा रही है। इसका शिलान्यास भी अभी यहां हुआ है। ये अमृत वाटिका, आने वाली पीढ़ियों को एक भारत, श्रेष्ठ भारत की प्रेरणा देगी। बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि नए संसद भवन में ‘जन जननी जन्मभूमि’ नाम की एक कलाकृति है। इसे देश के कोने-कोने से 75 महिला कलाकारों ने, देश के हर राज्य की मिट्टी से ही निर्मित किया हुआ है। ये भी हम सभी के लिए बड़ी प्रेरणा है।

मेरे परिवारजनों,

आज़ादी का अमृत महोत्सव करीब-करीब एक हजार दिन चला। और इन एक हजार दिनों ने सबसे बड़ा और सकारात्मक प्रभाव भारत की युवा पीढ़ी पर डाला है। इसने युवा पीढ़ी को आज़ादी के मूल्य का एहसास कराया है।

साथियों,

आप की तरह मैंने भी, आज की पीढ़ी ने गुलामी नहीं देखी। आज़ादी के लिए वो तड़प, वो तप और त्याग भी नहीं देखा। हम में से अनेक लोग तो आज़ादी के बाद ही पैदा हुए हैं। मैं देश का पहला प्रधानमंत्री हूं जिसका जन्म आजादी के बाद हुआ। मुझे भी अमृत महोत्सव के दौरान बहुत सी नई जानकारियां मिलीं। कितने ही आदिवासी योद्धाओं के नाम इस दौरान सामने आए।

पूरे देश को पता चला कि गुलामी के लंबे कालखंड में एक पल भी ऐसा नहीं था जब आजादी के लिए आंदोलन ना हुआ हो। कोई क्षेत्र, कोई वर्ग इन आंदोलनों से अछूता नहीं था। दूरदर्शन पर जब मैं स्वराज सीरीज़ देख रहा था, तब मेरे जो भाव थे, वही भाव मैं देश के युवाओं में भी देख रहा हूं। आज़ादी के आंदोलन की अनेक गाथाओं को इस महोत्सव ने उजागर किया है।

साथियों,

अमृत महोत्सव को पूरे देश ने जन-जन का उत्सव बना दिय़ा था। हर घर तिरंगा अभियान की सफलता, हर भारतीय की सफलता है। देश के करोड़ों परिवारों को पहली बार ये एहसास भी हुआ है कि उनके परिवार का, उनके गांव का भी आज़ादी में सक्रिय योगदान था। उसका जिक्र भले ही इतिहास की किताबों में नहीं हुआ, लेकिन अब वो गांव-गांव में बने स्मारकों में, शिलालेखों में हमेशा के लिए अंकित हो चुका है। अमृत महोत्सव ने एक प्रकार से इतिहास के छूटे हुए पृष्ठ को भविष्य की पीढ़ियों के लिए जोड़ दिया है।

आजादी के आंदोलन में सक्रिय रहे सेनानियों का जिलावार एक बहुत बड़ा डेटाबेस भी तैयार हुआ है। अल्लूरी सीताराम राजू हों, वरीकुटी चेन्नइया हों, टांट्या भील हों, तिरोत सिंह हों ऐसे अनेक योद्धाओं के बारे में पूरे देश को जानने का अवसर मिला है। कित्तूर की रानी चेनम्मा, रानी गाइदिन्ल्यू, रानी वेलु नचियार, मतंगिनी हाजरा, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई तक, देश की नारीशक्ति को भी अमृत महोत्सव के दौरान हमने नमन किया।

मेरे परिवारजनों,

जब नीयत नेक हो, राष्ट्र प्रथम की भावना सर्वोपरि हो, तो नतीजे भी उत्‍तम से उत्‍तम मिलते हैं। आज़ादी के इसी अमृत महोत्सव के दौरान, भारत ने ऐतिहासिक उपलब्धियां भी हासिल की हैं। हमने सदी के सबसे बड़े संकट, कोरोना काल का सफलतापूर्वक मुकाबला किया। इसी दौरान हमने विकसित भारत के निर्माण का रोडमैप बनाया। अमृत महोत्सव के दौरान ही, भारत, दुनिया की 5वीं बड़ी आर्थिक ताकत बना। अमृत महोत्सव के दरम्यान ही दुनिया में बड़े-बड़े संकटों के बावजूद, सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी इकॉनॉमी बना। भारत ने चंद्रमा पर अपना चंद्रयान उतारा। भारत ने ऐतिहासिक G-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। भारत ने एशियाई खेलों और एशियन पैरा गेम्स में 100 पदकों का रिकॉर्ड बनाया।

अमृत महोत्सव के दौरान ही, भारत को 21वीं सदी का नया संसद भवन मिला। महिलाओं को सशक्त करने वाला ऐतिहासिक नारीशक्ति वंदन अधिनियम मिला। भारत ने निर्यात के नए रिकॉर्ड बनाए। कृषि उत्पादन में नया रिकॉर्ड बनाया। इसी दौरान वंदे भारत ट्रेनों का भी अभूतपूर्व विस्तार हुआ। रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प करने वाला, अमृत भारत स्टेशन अभियान शुरू हुआ। देश को पहली रीजनल रैपिड ट्रेन, नमो भारत, मिली। देशभर में 65 हज़ार से अधिक अमृत सरोवर बनाए गए। भारत में मेड इन इंडिया 5G लॉन्च हुआ और सबसे तेज़ी से विस्तार भी हुआ। इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान भी इसी दौरान लॉन्च हुआ। अनगिनत बातें में आपके सामने रख सकता हूं।

मेरे परिवारजनों,

आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान देश ने राजपथ से कर्तव्य पथ तक का सफर भी पूरा कर लिया है। हमने गुलामी के भी अनेक प्रतीकों को हटाया। अब कर्तव्य पथ के एक छोर पर आज़ाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा है। अब हमारी नौसेना के पास छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की प्रेरणा से नया ध्वज है। अब अंडमान और निकोबार के द्वीपों को स्वदेशी नाम मिला है।

इसी अमृत महोत्सव के दौरान जनजातीय गौरव दिवस की घोषणा हुई। इसी अमृत महोत्सव के दौरान साहेबज़ादों की याद में वीर बाल दिवस की घोषणा हुई। अमृत महोत्सव के दौरान ही, 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस के रूप में देश को याद कराया गया।

मेरे परिवारजनों,

हमारे यहां कहा जाता है- अंत: अस्ति प्रारंभ: यानी जहां से अंत होता है, वहीं से कुछ नए की शुरुआत भी होती है। अमृत महोत्सव के समापन के साथ ही आज मेरा युवा भारत संगठन, MY भारत इसका शुभारंभ हो रहा है। मेरा युवा भारत संगठन, MY भारत संगठन, भारत की युवा शक्ति का उद्घोष है। ये देश के हर युवा को, एक मंच, एक प्लेटफॉर्म पर लाने का बहुत बड़ा माध्यम बनेगा। ये देश के युवाओं की राष्ट्रनिर्माण में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करेगा। युवाओँ के लिए जो अलग-अलग प्रोग्राम चलते हैं, वे सभी इसमें समाहित होंगे। आज MY Bharat की वेबसाइट भी शुरू हो गई है। मैं आज के नौजवानों से कहूंगा, आप ज्यादा से ज्यादा इससे जुड़िए। भारत को नई ऊर्जा से भरिए, भारत को आगे ले जाने का संकल्‍प कीजिए, पुरुषार्थ कीजिए, पराक्रम कीजिए और सिद्धि को हासिल करके रहिए।

साथियों,

भारत की आज़ादी, हमारे साझा संकल्पों की सिद्धि है। हमें मिलकर इसकी निरंतर रक्षा करनी है। हमें 2047 तक जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, तब तक भारत को विकसित देश बनाना है। आजादी के 100 साल पूरे होने पर देश आज के इस विशेष दिवस को याद करेगा। हमने जो संकल्प लिया, हमने आने वाली पीढ़ी से जो वादे किए, उसे हमें पूरा करना ही होगा। इसलिए हमें अपने प्रयास तेज करने हैं। विकसित देश का लक्ष्य हासिल करने के लिए हर भारतीय का योगदान अत्‍यंत महत्वपूर्ण है।

आइए, हम मिलकर अमृत महोत्सव के इस समापन से विकसित भारत के अमृतकाल की एक नई यात्रा का आरंभ करें। सपनों को संकल्‍प बनाएं, संकल्‍प को परिश्रम का विषय करें, सिद्धि 2047 में प्राप्‍त करके ही रुकेंगे। आइए नौजवान, इसी संकल्‍प के साथ चल पड़ें।

मेरे साथ बोलिए, और आज ये My भारत संगठन के प्रारंभ के आनंद में मैं आप सबसे कहता हूं अपना मोबाइल फोन निकालिए, उसकी फ्लैश चालू कीजिए। चारों तरफ आजादी के अमृत महोत्‍सव का ये नया रंग भी, ये नई उमंग भी, ये नया अवसर भी, मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

वंदे – मातरम !

वंदे – मातरम !

वंदे – मातरम !

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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PM Modi highlights extensive work done in boosting metro connectivity, strengthening urban transport
January 05, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has highlighted the remarkable progress in expanding Metro connectivity across India and its pivotal role in transforming urban transport and improving the ‘Ease of Living’ for millions of citizens.

MyGov posted on X threads about India’s Metro revolution on which PM Modi replied and said;

“Over the last decade, extensive work has been done in boosting metro connectivity, thus strengthening urban transport and enhancing ‘Ease of Living.’ #MetroRevolutionInIndia”