Quoteप्रधानमंत्री ने अल्लूरी सीताराम राजू की 30 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का भी अनावरण किया
Quote"आजादी का संग्राम केवल कुछ वर्षों का, कुछ क्षेत्रों का या कुछ लोगों का इतिहास नहीं है”
Quote“अल्लूरी सीताराम राजू भारत की संस्कृति, जनजातीय पहचान, वीरता, आदर्श और मूल्यों के प्रतीक हैं”
Quote“हमारा नया भारत हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत होना चाहिए। एक ऐसा भारत जिसमें गरीब, किसान, मजदूर, पिछड़े, आदिवासी सबके लिए समान अवसर हों”
Quote“आज नए भारत में नए अवसर, रास्ते, विचार प्रक्रियाएं एवं संभावनाएं मौजूद हैं और हमारे युवा इन संभावनाओं को साकार करने का दायित्‍व उठा रहे हैं”
Quote“आंध्र प्रदेश वीरों और देशभक्तों की भूमि है”
Quote“130 करोड़ भारतीय हर चुनौती को कह रहे हैं- 'दम है तो हमें रोक लो' – रोक सको तो रोक लो”

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

मण्यम वीरुडु, तेलेगु जाति युगपुरुषुडु, "तेलुगु वीर लेवारा, दीक्ष बूनी सागरा" स्वतंत्र संग्राममलो, यावत भारता-वनिके, स्पूर्तिधाय-कंगा, निलिचिन-अ, मना नायकुडु, अल्लूरी सीताराम राजू, पुट्टी-न, ई नेल मीदा, मन मंदरम, कलुसुकोवडम्, मन अद्रुष्टम।

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में हमारे साथ उपस्थित आंध्र प्रदेश के गवर्नर श्री बिस्वा भूषण हरिचंदन जी, मुख्यमंत्री श्री जगन मोहन रेड्डी जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगीगण, मंच पर उपस्थित अन्य सभी महानुभाव और आंध्र प्रदेश के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

आप सभी को नमस्कारम।

जिस धरती की विरासत इतनी महान हो मैं आज उस धरती को नमन करके अपने आप को भाग्यशाली मानता हूं। आज एक ओर देश आज़ादी के 75 साल का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो साथ ही अल्लूरी सीताराम राजू गारू की 125वीं जयंती का अवसर भी है। संयोग से, इसी समय देश की आज़ादी के लिए हुई "रम्पा क्रांति" के 100 साल भी पूरे हो रहे हैं। मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर "मण्यम वीरुडु" अल्लूरी सीताराम राजू के चरणों में नमन करते हुये पूरे देश की तरफ से उन्हें आदरपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। आज उनके परिजन भी हमें आशीर्वाद देने के लिए आये, यह हमारा सौभाग्य है। उस महान परंपरा के परिवार के चरणरज लेने का हम सबको सौभाग्य मिला है। मैं आंध्र की इस धरती की महान आदिवासी परंपरा को, इस परंपरा से जन्मे सभी महान क्रांतिकारियों और बलिदानियों को भी आदरपूर्वक नमन करता हूँ।

साथियों,

अल्लूरी सीताराम राजू गारू की 125वीं जन्म-जयंती और रम्पा क्रांति की 100वीं वर्षगांठ को पूरे वर्ष celebrate किया जाएगा। पंडरंगी में उनके जन्मस्थान का जीर्णोद्धार, चिंतापल्ली थाने का जीर्णोद्धार, मोगल्लू में अल्लूरी ध्यान मंदिर का निर्माण, ये कार्य हमारी अमृत भावना के प्रतीक हैं। मैं इन सभी प्रयासों के लिए और इस वार्षिक उत्सव के लिए आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूँ। विशेष रूप से मैं उन सभी साथियों का अभिनंदन करता हूँ, जो हमारे महान गौरव को जन-जन तक पहुंचाने के लिए कार्य कर रहे हैं। आजादी के अमृत महोत्सव में हम सभी ने संकल्प लिया है कि देश अपने स्वाधीनता संग्राम के इतिहास और उसकी प्रेरणाओं से परिचित हो। आज का ये कार्यक्रम उसका भी प्रतिबिंब है।

साथियों,

आजादी का संग्राम केवल कुछ वर्षों का, कुछ इलाकों का, या कुछ लोगों का इतिहास सिर्फ नहीं है। ये इतिहास, भारत के कोने-कोने और कण-कण के त्याग, तप और बलिदानों का इतिहास है। हमारे स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास, हमारी विविधता की शक्ति का, हमारी सांस्कृतिक शक्ति का, एक राष्ट्र के रूप में हमारी एकजुटता का प्रतीक है। अल्लूरी सीताराम राजू गारू भारत की सांस्कृतिक और आदिवासी पहचान, भारत के शौर्य, भारत के आदर्शों और मूल्यों के प्रतीक हैं। सीताराम राजू गारू एक भारत, श्रेष्ठ भारत की उस विचारधारा के प्रतीक हैं जो हजारों साल से इस देश को एक सूत्र में जोड़ती आई है। सीताराम राजू गारू के जन्म से लेकर उनके बलिदान तक, उनकी जीवन यात्रा हम सभी के लिए प्रेरणा है। उन्होंने अपना जीवन आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए, उनके सुख-दुःख के लिए और देश की आज़ादी के लिए अर्पित कर दिया। सीताराम राजू गारू ने जब क्रांति का बिगुल फूंका था, तो उनका जयघोष था- मनदे राज्यम यानि हमारा राज्य। वंदे मातरम की भावना से ओतप्रोत एक राष्ट्र के रूप में हमारे प्रयासों का ये बहुत बड़ा उदाहरण है।

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भारत के आध्यात्म ने सीताराम राजू गारू को करुणा और सत्य का बोध दिया, आदिवासी समाज के लिए समभाव और ममभाव दिया, त्याग और साहस दिया। सीताराम राजू गारू ने जब विदेशी हकूमत के अत्याचारों के खिलाफ जंग शुरू की थी, तब उनकी उम्र केवल 24-25 साल थी। 27 साल की छोटी उम्र में वो इस भारत माता के लिए शहीद हो गए। रम्पा क्रांति में भाग लेने वाले भी कितने ही नौजवानों ने ऐसी ही आयु में देश की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। स्वाधीनता संग्राम के ये युवा वीर-वीरांगनाएँ आज अमृतकाल में हमारे देश के लिए ऊर्जा और प्रेरणा के स्रोत हैं। स्वतंत्रता आंदोलन में देश की आज़ादी के लिए युवाओं ने आगे आकर नेतृत्व किया था। आज नए भारत के सपने को पूरा करने के लिए आज के युवाओं को आगे आने का ये सबसे उत्तम अवसर है। आज देश में नए अवसर हैं, नए-नए आयाम खुल रहे हैं। नई सोच है, नई संभावनाएं जन्म ले रही हैं। इन संभावनाओं को साकार करने के लिए बड़ी संख्या में हमारे युवा ही इन जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठाकर के देश को आगे बढ़ा रहे हैं। आंध्र प्रदेश वीरों और देशभक्तों की धरती है। यहाँ पिंगली वेंकैया जैसे स्वाधीनता नायक हुये, जिन्होंने देश का झण्डा तैयार किया। ये कन्नेगंटी हनुमंतु, कन्दुकूरी वीरेसलिंगम पंतुलु और पोट्टी श्रीरामूलु जैसे नायकों की धरती है। यहाँ उय्या-लावाडा नरसिम्हा रेड्डी जैसे सेनानियों ने अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। आज अमृतकाल में इन सेनानियों के सपनों को पूरा करने की ज़िम्मेदारी हम सभी देशवासियों की है। 130 करोड़ देशवासियों की है। हमारा नया भारत इनके सपनों का भारत होना चाहिए। एक ऐसा भारत- जिसमें गरीब, किसान, मजदूर, पिछड़ा, आदिवासी सबके लिए समान अवसर हों। पिछले आठ सालों में देश ने इसी संकल्प को पूरा करने के लिए नीतियाँ भी बनाईं, और पूरी निष्ठा से काम भी किया है। विशेष रूप से, देश ने श्री अल्लूरी और दूसरे सेनानियों के आदर्शों पर चलते हुये आदिवासी भाई-बहनों के लिए, उनके कल्याण के लिए, उनके विकास के लिए, दिन-रात काम किया है।

आज़ादी की लड़ाई में आदिवासी समाज के अप्रतिम योगदान को हर घर तक पहुंचाने के लिए अमृत महोत्सव में अनगिनत प्रयास किए जा रहे हैं। आज़ादी के बाद पहली बार, देश में आदिवासी गौरव और विरासत को प्रदर्शित करने के लिए आदिवासी संग्रहालय बनाए जा रहे हैं। आंध्र प्रदेश के लंबसिंगी में "अल्लूरी सीताराम राजू मेमोरियल जन-जातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय" भी बनाया जा रहा है। पिछले साल ही देश ने 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा जयंती को "राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस" के रूप में मनाने की शुरुआत भी की है। विदेशी हुकूमत ने हमारे आदिवासियों पर सबसे ज्यादा अत्याचार किए, उनकी संस्कृति को नष्ट करने के प्रयास किए। ये प्रयास उस बलिदानी अतीत को जीवंत करेंगे। आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे। सीताराम राजू गारू के आदर्शों पर चलते हुए आज देश आदिवासी युवाओं के लिए नए अवसर तैयार कर रहा है। हमारी वन सम्पदा आदिवासी समाज के युवाओं के लिए रोजगार और अवसरों का माध्यम बने, इसके लिए अनेक प्रयास हो रहे हैं।

स्किल इंडिया मिशन के जरिए आज आदिवासी कला-कौशल को नई पहचान मिल रही है। "वोकल फॉर लोकल" आदिवासी कला कौशल को आय का साधन बना रहा है। दशकों पुराने क़ानून जो आदिवासी लोगों को बांस जैसी बम्बू जैसी वन-उपज को काटने से रोकते थे, हमने उन्हें बदलकर वन-उपज पर अधिकार दिये। आज वन उत्पादों को प्रमोट करने के लिए सरकार अनेक नए प्रयास कर रही है। आठ साल पहले तक केवल 12 फॉरेस्ट प्रॉडक्ट्स की MSP पर खरीदी होती थी, लेकिन आज MSP की खरीद लिस्ट में करीब-करीब 90 प्रॉडक्ट्स, वन-उपज के रूप में शामिल किया गया हैं। देश ने वन धन योजना के जरिए वन सम्पदा को आधुनिक अवसरों से जोड़ने का काम भी शुरू किया है। देश में 3 हजार से अधिक वन-धन विकास केंद्रों के साथ ही 50 हजार से ज्यादा वन-धन सेल्फ हेल्प ग्रुप भी काम कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश के ही विशाखापट्टनम में ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट की भी स्थापना की गई है। Aspirational Districts- आकांक्षी जिलों के विकास के लिए जो अभियान देश चला रहा है, उसका भी बड़ा लाभ आदिवासी इलाकों को हो रहा है। आदिवासी युवाओं की शिक्षा के लिए 750 एकलव्य मॉडल स्कूलों को भी स्थापित किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा पर जो जोर दिया गया है, उससे भी आदिवासी बच्चों को पढ़ाई में बहुत मदद मिलेगी।

"मण्यम वीरुड" अल्लूरी सीताराम राजू ने, अंग्रेजों से अपने संघर्ष के दौरान दिखाया था - "दम है तो मुझे रोक लो"। आज देश भी अपने सामने खड़ी चुनौतियों से, कठिनाइयों से इसी साहस के साथ 130 करोड़ देशवासी एकता के साथ, सामर्थ्य के साथ हर चुनौती को कह रहे हैं। "दम है तो हमें रोक लो"। देश का नेतृत्व जब हमारे युवा, हमारे आदिवासी, हमारी महिलाएं, दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित करेंगे तो एक नया भारत बनने से कोई नहीं रोक सकता। मुझे पूरा विश्वास है, सीताराम राजू गारू की प्रेरणा हमें एक राष्ट्र के रूप में अनंत ऊंचाइयों तक ले जाएगी। इसी भाव के साथ, आंध्र की धरती से महान स्वतन्त्रता सेनानियों के चरणों में एक बार फिर मैं नमन करता हूं, और आज का ये दृश्य ये उमंग, ये उत्साह, ये जनसैलाब दुनिया को बता रहा है, देशवासियों को बता रहा है कि हम हमारे आजादी के नायकों को न भूलेंगे, न भूले हैं, उन्हीं से प्रेरणा लेकर के हम आगे बढ़ेंगे। मैं फिर एक बार इतनी बड़ी तादाद में वीर सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए आए हुए आप सबका अभिनंदन करता हूं। आप सबको हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं।

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वन्दे-मातरम!

वन्दे-मातरम!

वन्दे-मातरम!

धन्यवाद!

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PM Modi congratulates H.E. Mr. Christian Stocker on being sworn in as the Federal Chancellor of Austria
March 04, 2025

The Prime Minister Shri Narendra Modi today congratulated H.E. Mr. Christian Stocker on being sworn in as the Federal Chancellor of Austria. He added that the India-Austria Enhanced Partnership was poised to make steady progress in the years to come.

Shri Modi in a post on X wrote:

"Warmly congratulate H.E. Christian Stocker on being sworn in as the Federal Chancellor of Austria. The India-Austria Enhanced Partnership is poised to make steady progress in the years to come. I look forward to working with you to take our mutually beneficial cooperation to unprecedented heights. @_CStocker"