Quote“17वीं लोकसभा कई महत्वपूर्ण निर्णयों की गवाह रही है। ये पांच साल 'सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन' की कहानी के बारे में रहे हैं।''
Quote"सेंगोल भारत की विरासत के पुनरुद्धार और स्वतंत्रता के पहले क्षण की याद का प्रतीक है"
Quote"भारत को इस दौरान जी-20 की अध्यक्षता मिली और हर राज्य ने देश की ताकत और उसकी पहचान को दुनिया के सामने रखा"
Quote"हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि जिन कार्यों की कई पीढ़ियों को सदियों से प्रतीक्षा थी, वे कार्य 17वीं लोकसभा में पूरे हुए"
Quote"आज सामाजिक न्याय के प्रति हमारी प्रतिबद्धता जम्मू-कश्मीर के लोगों तक पहुंच रही है"
Quote"हम गर्व से कह सकते हैं कि यह देश भले ही 75 वर्षों तक दंड संहिता के तहत रहा हो, लेकिन अब हम न्याय संहिता के तहत रहते हैं"
Quote"मुझे विश्वास है कि चुनाव हमारे लोकतंत्र की गरिमा के अनुरूप होंगे"
Quote"श्री राम मंदिर के बारे में आज के भाषणों में 'संवेदना', 'संकल्प' और 'सहानुभूति' के साथ-साथ 'सबका साथ सबका विकास' का मंत्र भी है"

आदरणीय अध्यक्ष जी

आज का ये दिवस लोकतंत्र की एक महान परंपरा का महत्वपूर्ण दिवस है। सत्रहवीं लोकसभा ने पांच वर्ष देश सेवा में जिस प्रकार से अनेक विविध महत्वपूर्ण निर्णय किए। अनेक चुनौतियों को सबने अपने सामर्थ्य से देश को उचित दिशा देने का प्रयास, एक प्रकार से ये आज का दिवस हम सबकी उन पांच वर्ष की वैचारिक यात्रा का, राष्ट्र को समर्पित उस समय का, देश को फिर से एक बार अपने संकल्पों को राष्ट्र के चरणों में समर्पित करने का ये अवसर है। ये पांच वर्ष देश में रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म, ये बहुत rare होता है, कि रिफार्म भी हो, परफॉर्म भी हो और हम ट्रांसफॉर्म होता अपनी आंखों के सामने देख पाते हों, एक नया विश्वास भरता हो। ये अपने आप में सत्रहवीं लोकसभा से आज देश अनुभव कर रहा है। और मुझे पक्का विश्वास है कि देश सत्रहवीं लोकसभा को जरूर आशीर्वाद देता रहेगा। इन सभी प्रक्रियाओं में सदन के सभी माननीय सदस्यों का बहुत महत्वपूर्ण रोल रहा है, महत्वपूर्ण भूमिका रही है। और ये समय है कि मैं सभी माननीय सांसदों का इस ग्रुप के नेता के नाते भी और आप सबको एक साथी के नाते भी आप सबका अभिनंदन करता हूं।

विशेष रूप से आदरणीय अध्यक्ष जी,

मैं आपके प्रति भी हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। पांचों वर्ष कभी-कभी सुमित्रा जी मुक्त हास्य करती थीं। लेकिन आप हर पल आपका चेहरा मुस्कान से भरा रहता था। यहां कुछ भी हो जाए लेकिन कभी भी उस मुस्कान में कोई कमी नहीं आई। अनेक विविध परिस्थितियों में आपने बहुत ही संतुलित भाव से और सच्चे अर्थ में निष्पक्ष भाव से इस सदन का मार्गदर्शन किया, सदन का नेतृत्व किया। मैं इसके लिए भी आपकी भूरी-भूरी प्रशंसा करता हूं। आक्रोश के पल भी आए, आरोप के भी पल आए, लेकिन आपने पूरे धैर्य के साथ इन सभी स्थितियों को संभालते हुए और एक सूझबूझ के साथ आपने सदन को चलाया, हम सबका मार्गदर्शन किया इसके लिए भी मैं आपका आभारी हूं।

आदरणीय सभापति जी,

इस पांच वर्ष में इस सदी का सबसे बड़ा संकट पूरी मानव जाति ने झेला। कौन बचेगा? कौन बच पाएगा? कोई किसी को बचा सकता है कि नहीं बचा सकता? ऐसी वो अवस्था थी। ऐसे में सदन में आना ये भी, अपना घर छोड़कर के निकलना ये भी संकट का काल था। उसके बाद भी जो भी नई व्यवस्थाएं करनी पड़ी, आपने उसको किया, देश के काम को रुकने नहीं दिया। सदन की गरिमा भी बनी रहे और देश के आवश्यक कामों को जो गति देनी चाहिए, वो गति भी बनी रहे और उस काम में सदन की जो भूमिका है, वो रत्ती भर भी पीछे न रहे, इसको आपने बड़ी कुशलता के साथ संभाला और दुनिया के लिए एक उदाहरण के रूप में।

आदरणीय सभापति जी,

मैं माननीय सांसदों का भी इस बात के लिए एक बार आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि उस कालखंड में देश की आवश्यकताओं को देखते हुए सांसद निधि छोड़ने का प्रस्ताव माननीय सांसदों के सामने रखा और एक पल के विलंब के बिना सभी माननीय सांसदों ने सांसद निधि छोड़ दी। इतना ही नहीं एक देशवासियों को पॉजिटिव मैसेज देने के लिए अपने आचरण से समाज को एक विश्वास देने के लिए सांसदों ने अपनी सैलरी में से 30 प्रतिशत कटौती का निर्णय सबने खुद ने किया। ताकि देश को भी विश्वास हुआ कि ये सबसे पहले छोड़ने वाले लोग हैं।

और आदरणीय सभापति जी,

हम सभी सांसद बिना कारण साल में दो बार हिंदुस्तान के मीडिया के किसी न किसी कोने में गाली खाते रहते थे कि ये सांसदों को इतना मिलता है और कैंटीन में इतने में खाते हैं। बाहर इतने में मिलता है, कैंटीन में इतने में मिलता है यानी पता नहीं बाल नोच लिए जाते थे। आपने निर्णय किया सबके लिए समान रेट होंगे कैंटीन में और सांसदों ने कभी भी विरोध नहीं किया, शिकायत भी नहीं की और सभी सांसदों की बिना कारण इतनी फजीहत करने वाले लोग मजे लेते थे। उससे हम सबको आपने बचा लिया, इसके लिए भी मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं।

आदरणीय सभापति जी,

ये बात सही है कि हमारे कई लोकसभा के चाहे सत्रहवीं हो, सोलहवीं हो, पंद्रहवीं हो, संसद का नया भवन होना चाहिए। इसकी चर्चा सबने की सामूहिक रूप से की, एक स्वर से की, लेकिन निर्णय नहीं होता था। ये आपका नेतृत्व है जिसने निर्णय किया, चीजों को आगे बढ़ाया, सरकार के साथ विविध मीटिंगे की, और उसी का परिणाम है कि आज देश को ये नया संसद भवन प्राप्त हुआ है।

आदरणीय सभापति जी,

संसद के नए भवन में एक विरासत का अंश और जो आजादी का पहला पल था उसको जीवंत रखने का हमेशा-हमेशा हमारे मार्गदर्शक रूप में ये सेंगोल को यहां स्‍थापित करने का काम और अब प्रति वर्ष उसको सेरेमोनियल इवेंट के रूप में उसको हिस्‍सा बनाने का एक बहुत बड़ा काम आपके नेतृत्‍व में हुआ है जो भारत की आने वाली पीढ़ियों को हमेशा-हमेशा हमें आजादी के उस प्रथम पल के साथ जोड़ कर रखेगा। और आजादी का वो पल क्‍यों था, हमें वो याद रहेगा तो देश को आगे ले जाने की वो प्रेरणा भी बनी रहेगी, उस पवित्र काम को आपने किया है।

आदरणीय सभापति जी,

ये भी सही है, इस कालखंड में जी 20 की अध्यक्षता का भार तो मिला, भारत को बहुत सम्मान मिला, देश के हर राज्य ने विश्व के सामने भारत का सामर्थ्य और अपने राज्‍य की पहचान बखूबी प्रस्‍तुत की, जिसका प्रभाव आज भी विश्व के मंच पर है। उसके साथ आपके नेतृत्‍व में जी 20 की तरह पी 20 का जो सम्मेलन हुआ और विश्व के अनेक देशों के स्‍पीकर्स यहां आए और Mother of democracy, भारत की इस महान परंपरा को ले करके, इस democratic values को ले करके सदियों से हम आगे बढ़े हैं। व्‍यवस्‍थाएं बदली होंगी लेकिन democratic मन भारत का हमेशा बना रहा है, उस बात को आपने विश्‍व के स्‍पीकर्स के सामने बखूबी प्रस्तुत किया और भारत को लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में भी एक प्रतिष्ठा प्राप्‍त कराने का काम आपके नेतृत्व में हुआ।

आदरणीय सभापति जी,

मैं एक बात के लिए आपका विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं, शायद हमारे सभी माननीय सांसदों का और मीडिया का भी उस तरफ ध्‍यान नहीं गया है। हम संविधान सदन जिसको कहते हैं, जो पुरानी संसद, जिसमें महापुरुषों के जन्मजयंती के निमित्त उनकी प्रतिमा को पुष्प चढ़ाने के निमित्त हम लोग एकत्र होते हैं। लेकिन वो एक 10 मिनट का ईवेंट होता था और हम लोग चले जाते थे। आपने देशभर में इन महापुरुषों के लिए वक्‍तव्‍य स्पर्धा, निबंध स्पर्धा का एक अभियान चलाया है। उसमें से जो बेस्ट ऑरेटर होते थे और बेस्ट Essays होते थे और राज्‍य से दो-दो बालक उस दिन दिल्‍ली आते थे और उस महापुरुष की जन्म-जयंती के समय पुष्प वर्षा में वो मौजूद रहते थे, देश के नेता भी, और बाद में पूरा दिन रह करके उस पर अपना व्‍याख्‍यान देते थे। वे दिल्‍ली के अन्‍य स्‍थान पर जाते थे, वो सांसद की गतिविधियों को समझते थे यानी आपने जो निरंतर प्रक्रिया चला करके देश के लाखों विद्यार्थियों को भारत की संसदीय परम्परा से जोड़ने का बहुत बड़ा काम किया है। और ये परम्‍परा, ये आपके खाते में रहेगी और आने वाले समय में हर कोई बड़े गर्व के साथ इस परम्परा को आगे बढ़ाएगा। मैं इसके लिए भी आपका अभिनंदन करता हूं।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

संसद की लाइब्रेरी, जिसको उपयोग करना चाहिए वो कितना कर पाते थे, वो तो मैं नहीं कह सकता, लेकिन आपने उसके दरवाजे सामान्‍य व्‍यक्ति के लिए खोल दिए। ज्ञान का ये खजाना, परम्‍पराओं की विरासत, उसको आपने जनसामान्‍य के लिए खोल करके बहुत बड़ी सेवा की है, इसके लिए भी आपका हृदय से अभिनंदन करता हूं। पेपरलेस पार्लियामेंट, डिजिटलाइजेशन, आपने आधुनिक टेक्नोलॉजी हमारी व्यवस्था में कैसे बने, शुरू में कुछ साथियों को दिक्‍कत रही लेकिन अब सब इसके आदी हो गए हैं। जब मैं देखता हूं जब यहां बैठे हैं तो कुछ न कुछ करते रहते हैं, अपने-आप में एक बहुत बड़ा काम आपने किया है, ये एक स्थायी व्‍यवस्‍थाएं आपने निर्माण की हैं। मैं इसके लिए बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आपकी कुशलता और इन माननीय सांसदों की जागरूकता, उन सबका संयुक्त प्रयास मैं कह सकता हूं कि जिसके कारण 17वीं लोकसभा की productivity करीब-करीब 97 परसेंट रही है। 97 परसेंट productivity अपने-आप में प्रसन्‍नता का विषय है लेकिन मुझे विश्‍वास है कि आज जब हम 17वीं लोकसभा की समाप्ति की तरफ हम बढ़ रहे हैं तब एक संकल्‍प ले करके 18वीं लोकसभा प्रारंभ होगी कि हम हमेशा शत-प्रतिशत से ज्‍यादा productivity वाली हमारी कार्यवाही रहेगी। और इसमें भी सात सत्र 100 प्रतिशत से भी ज्‍यादा productivity वाले रहे, ये भी। और मैंने देखा आपने रात-रात भर बैठ-बैठ करके हर सांसदों के मन की बात को आपने सरकार के ध्‍यान में लाने का भरपूर प्रयास किया। मैं इन सफलताओं के लिए सभी माननीय सांसदों का और सभी फ्लोर लीडर्स का भी हृदय से आभार और अभिनंदन व्‍यक्‍त करता हूं। पहले सत्र में, 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में दोनों सदन ने 30 विधेयक पारित किए थे, ये अपने-आप में रिकॉर्ड है। और एक नए-नए बेंचमार्क 17वीं लोकसभा में बनाए हैं।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

आजादी के 75 वर्ष पूरा होने का उत्‍सव, हम सबको कितना बड़ा सौभाग्य मिला है कि ऐसे अवसर पर हमारे सदन ने अत्यंत महत्वपूर्ण कामों का नेतृत्व किया है, हर स्‍थान पर हुआ। शायद ही कोई सांसद ऐसा होगा कि जिसने आजादी के 75 वर्ष को लोकोत्सव बनाने में अपने-अपने क्षेत्र में भूमिका अदा न की हो। यानी सचमुच में आजादी के 75 वर्ष को देश ने जी भर करके उत्सव से मनाया और उसमें हमारे माननीय सांसदों की और इस सदन की बहुत बड़ी भूमिका रही है। हमारे संविधान लागू होने के 75 वर्ष, ये भी अवसर इसी समय इसी सदन को मिला है, इसी सभी माननीय सांसदों को मिला है और संविधान की जो भी जिम्मेदारियां हैं उनकी शुरुआत यहां से होती है और उनके साथ ही जुड़ना, ये अपने-आप में बहुत बड़ी प्रेरक है।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

इस कार्यकाल में बहुत ही Reforms हुए हैं और game-changer है। 21वीं सदी के भारत की मजबूत नींव उन सारी बातों में नजर आती है। एक बड़े बदलाव की तरफ तेज गति से देश आगे बढ़ा है और इसमें भी सदन के सभी साथियों ने बहुत ही उत्तम मार्गदर्शन किया है, अपनी हिस्‍सेदारी जताई है और देश...हम संतोष से कह सकते हैं कि हमारी अनेक पीढ़ियां जिन बातों का इंतजार करती थीं, ऐसे बहुत से काम इस 17वीं लोकसभा के माध्यम से पूरे हुए, पीढ़ियों का इंतजार खत्म हुआ। अनेक पीढ़ियों ने एक संविधान, इसके लिए सपना देखा था। लेकिन हर पल वो संविधान में एक दरार दिखाई देती थी, एक खाई नजर आती थी। एक रुकावट चुभती थी। लेकिन इसी सदन ने धारा 370, आर्टिकल 310 हटा करके संविधान के पूर्ण रूप को इसके पूर्ण प्रकाश के साथ उसका प्रकटीकरण हुआ। और मैं मानता हूं जब संविधान के 75 वर्ष हुए हैं…जिन-जिन महापुरुषों ने संविधान को बनाया है उनकी आत्मा जहां भी होगी, जरूर हमें आशीर्वाद देते होंगे, ये काम हमने पूरा किया है। कश्मीर के भी जम्मू-कश्मीर के लोगों को सामाजिक न्याय से वंचित रखा गया था। आज हमें संतोष है कि सामाजिक न्‍याय का हमारा जो कमिटमेंट है, वो हमारे जम्मू-कश्‍मीर के भाई-बहनों को भी पहुंचा करके हम आज एक संतोष की अनुभूति कर रहे हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आतंकवाद नासूर बनकर देश के सीने पर गोलियां चलाता रहता था। मां भारती की धरा आए दिन रक्तरंजित हो जाती थी। देश के अनेक वीर होनहार लोग, आतंकवाद के कारण बलि चढ़ जाते थे। हमने आतंकवाद के विरुद्ध सख्त कानून बनाए, इसी सदन ने बनाए। मुझे पक्का विश्वास है कि उसके कारण, जो लोग ऐसी समस्याओं के लिए जूझते हैं उनको एक बल मिला है। मानसिक रूप के अनुसार Confidence बढ़ा है। और भारत को पूर्ण रूप से आतंकवाद से मुक्ति का उसमें एक एहसास हो रहा है। और वो सपना भी सिद्ध हो कर रहेगा। हम 75 साल तक अंग्रेजों की दी हुई दंड संहिता में जीते रहे हैं। हम गर्व से कहेंगे देश को, नई पीढ़ी को कहेंगे, आप अपने पोती-पोती को कह सकेंगे गर्व से कि देश 75 साल भले ही दंड संहिता में जिया है लेकिन अब आने वाले पीढ़ी न्याय संहिता में जियेगी। और यही सच्चा लोकतंत्र है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मैं आपको एक बात के लिए और अभिनंदन करना चाहूंगा कि नया सदन, इसकी भव्यता वगैरह तो है ही लेकिन उसका प्रारंभ एक ऐसे काम से हुआ है जो भारत को मूलभूत मान्यताओं को बल देता है और वो नारी शक्ति वंदन अधिनियम है। जब भी इस नए सदन की चर्चा होगी तो नारी शक्‍ति वंदन अधिनियम इसका जिक्र, यानि एक और भले जी वो छोटा सत्र था लेकिन दूरगामी निर्णय करने वाला सत्र था। इस नए सदन की पवित्रता का एहसास उसी पल शुरू हो गया था जो हम लोगों को एक नई शक्ति देने वाला है और उसी का परिणाम है कि आने वाले समय जब बहुत बड़ी मात्रा में यहां हमारी माताएं-बहनें बैठी होंगी, देश गौरव की अनुभूति करेगा। तीन तलाक कितने उतार-चढ़ाव से हमारी मुस्लिम बहनें इंतजार कर रही थीं। अदालत ने उनके पक्ष में निर्णय किए थे, लेकिन वो हक उनको प्राप्त नहीं हो रहा था। मजबूरियों से गुजारा करना पड़ा रहा था। कोई प्रकट रूप से कहे, कोई अप्रकट रूप से कहे। लेकिन तीन तलाक से मुक्ति का बहुत महत्वपूर्ण और नारी शक्ति के सम्मान का काम 17वीं लोकसभा ने किया है। सभी माननीय सांसद उनके विचार कुछ भी रहे हों, उनका निर्णय कुछ भी रहा हो, लेकिन कभी न कभी तो वो कहेंगे कि हां इन बेटियों का न्याय देने का काम भी करने में हम यहां प्रस्तुत रहे। पीढ़ियों से होता ये अन्याय हमने पूरा किया है और वो बहने हमें आशीर्वाद दे रही हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आने वाले 25 वर्ष हमारे देश के लिए हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। राजनीति की गहमागहमी अपनी जगह पर है। राजनीति क्षेत्र के लोगों की आशा-आकांक्षा अपनी जगह पर है। लेकिन देश की अपेक्षा, देश की आशंका, देश की सपना, देश का संकल्प, ये बन चुका है… 25 साल हो गए हैं तो देश इच्छित परिणाम प्राप्त करके रहेगा। 1930 में जब महात्मा गांधी जी ने दांडी की यात्रा की थी, जब नमक का सत्याग्रह था। घोषणा होने के पहले लोगों को सामर्थ्‍य नजर नहीं आया था। चाहे स्वदेशी आंदोलन हो, चाहे सत्याग्रह की परंपरा हो, चाहे नमक का सत्याग्रह हो। उस समय तो घटनाएं छोटी लगती थी लेकिन 1947, वो 25 साल का कालखण्ड, उसने देश के अंदर वो जज्बा पैदा कर दिया था। हर व्यक्ति के दिल में वो जज्बा पैदा कर दिया था कि अब तो आजाद होकर रहना है। मैं आज देख रहा हूँ कि देश में वो जज्बा पैदा हो रहा है। हर गली-मोहल्ले में हर बच्चे के मुंह से निकला है कि 25 साल में हम विकसित भारत बना के रहेंगे। इसलिए ये 25 साल मेरी देश की युवा शक्ति के अत्यंत महत्वपूर्ण कालखंड हैं। और हम में से कोई ऐसा नहीं होगा जो नहीं चाहता होगा कि 25 साल में देश विकसित भारत न बने। हर किसी का सपना है, कुछ लोगों ने सपने को संकल्प बना लिया है, कुछ लोगों को शायद संकल्प बनाते देर हो जाएगी, लेकिन जुड़ना तो हरेक को होगा और जो जुड़ भी नहीं पाएंगे और जीवित होंगे तो फल तो जरूर खाएंगे, ये मेरा विश्‍वास है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

ये 5 वर्ष युवाओं के लिए बहुत ही ऐतिहासिक कानून के भी बने हैं। व्यवस्था में पारदर्शिता लाकर युवाओं को नए मौके दिए गए हैं। पेपर लीक जैसी समस्या जो हमारे युवाओं को चिंतित करती थी। हमने बहुत ही कठोर बनाया है ताकि उनके मन में जो सवाल या निशान है और उनको व्यवस्था के प्रति उनका गुस्सा था उसको एड्रेस करने का सभी माननीय सांसदों ने देश के युवाओं के मन के भाव को समझ करके बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय किया है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

ये बात सही है कि कोई भी मानव जाति अनुसंधान के बिना आगे नहीं बढ़ सकती है। उसको नित्य परिवर्तन के लिए अनुसंधान अनिवार्य होते हैं। और मानव जाति का लाखों साल का इतिहास गवाह है कि हर कालखंड में अनुसंधान होते रहे हैं, जीवन बढ़ता चला गया है, जीवन का विस्तार होता गया है। इस सदन ने विधिवत रूप से कानूनी व्यवस्था खड़ी करके अनुसंधान को प्रोत्साहन देने का बहुत बड़ा कार्य किया है। National Research Foundation, ये कानून आम तौर पर रोजमर्रा की राजनीति की चर्चा का विषय बन नही पाता, लेकिन इसके परिणाम बहुत दूरगामी होने वाले हैं और इतना बड़ा महत्वपूर्ण काम इस 17वीं लोकसभा ने किया है। मुझे पक्का विश्वास है देश की युवा शक्ति में… इस व्यवस्था के कारण दुनिया का रिसर्च का एक हब हमारा देश बन सकता है। हमारे देश के युवा के talent ऐसी है, आज भी दुनिया की बहुत कंपनियां ऐसी हैं जिनकी innovation के काम आज भी भारत में हो रहे हैं। लेकिन ये बहुत बड़ा हब बनेगा, ये मेरा पूरा विश्‍वास है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

21वी सदी में हमारी basic needs पूरी तरह बदल रही हैं। कल तक जिसका कोई मूल्य नहीं था, कोई ध्यान नहीं था वो आने वाले समय में बहुत अमूल्य बन चुका है जैसे डेटा… पूरी दुनिया में चर्चा है डेटा का सामर्थ्य क्या होता है। हमने Data Protection Bill लाकर के पूरी भावी पीढ़ी को सुरक्षित कर दिया है। पूरी भावी पीढ़ी को एक नया शस्त्र हमने उसके हाथ मे दिया है जिसके आधार पर वो अपने भविष्य को बनाने के लिए इसका सही इस्तेमाल भी करेंगे। और Digital Personal Data Protection Act, ये हमारी 21वी सदी की पीढ़ी को और दुनिया के लोगों को भी भारत के इस एक्ट के प्रति रुचि बनी हुई है। दुनिया के देश उसका अध्ययन करते हैं। अपने-अपने नई-नई व्यवस्था अनुकूल करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। और डेटा का उपयोग कैसे हो, उसकी भी उसमें गाइडलाइंस हैं। यानि एक प्रकार से प्रोटेक्‍शन का पूरा प्रबंध करते हुए इसका सामर्थ्य कैसे आए, जिस डेटा को लोग गोल्ड माइन कहते हैं, new oil कहते हैं। मैं समझता हूँ वो सामर्थ्य भारत को प्राप्त है और भारत इस शक्ति का इसलिए विशेष है, क्योंकि विविधताओं से भरा हुआ देश है। हमारे पास जिस प्रकार की जानकारियां और हमारे साथ जुड़ा हुआ डेटा जो जनरेट होता है, सिर्फ हमारे रेलवे पेसेंजर्स का डेटा कोई देख लें, दुनिया के लिए बहुत बड़ा शोध का विषय बन सकता है। उसकी ताकत को हमनें पहचान करके इस कानूनी व्यवस्था को दिया है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

जल थल नभ ये सदियों से इन क्षेत्रों की चर्चा चली है। लेकिन अब समुद्री शक्ति और स्पेस की शक्ति और साइबर की शक्ति, ये ऐसी त्रिविध शक्तियों का मुकाबला करने की आवश्यकता खड़ी हुई है, और विश्व जिस प्रकार के संकटों से गुजर रहा है। और विश्व जिस प्रकार की विचारीय प्रभाव पैदा करने का प्रयास कर रहे है तब इन क्षेत्रों में हमें सकारात्मक सामर्थ्य भी पैदा करना है और नकारात्मक शक्तियों से अपने आप को हर चुनौतियों से चुनौती लेने का सामर्थ्य भी बनाना है। और उसके लिए आवश्यक स्पेस से जुड़े रिफॉर्म्स बहुत अनिवार्य थे और बहुत दूरगामी दृष्टि के साथ स्पेस के रिफार्म का काम हमारे यहां हुआ है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

देश ने जो आर्थिक रिफॉर्म किए हैं उसमें सत्रहवीं के लोकसभा के सभी माननीय सांसदों की बहुत बड़ी भूमिका रही है। बीते वर्षों में हजारों compliances ने बेवजह हम जनता जनार्दन को ऐसी चीजों में उलझाए रखा। ये गर्वनेंस की ऐसी विकृत व्यवस्थाएं विकसित हो गई उसमें से मुक्ति दिलाने का बहुत बड़ा काम हमारे यहां हुआ है और इसके लिए भी इस सदन का मैं आभारी हूं। यानी इस प्रकार के compliances के बोझ में सामान्य व्यक्ति तो दब जाता है। और मैंने तो एक बार लाल किले से भी कहा था। हम जब minimum government, maximum governance कहते हैं। मैं दिल से मानता हूं कि लोगों की जिंदगी में से जितना जल्द सरकार निकल जाए, उतना ही लोकतंत्र का सामर्थ्य बढ़े़गा। रोजमर्रा की जिंदगी में हर डगर पर सरकार टांग क्यों अड़ा रही है? हां जो अभाव में है उसके लिए सरकार हर पल मौजूद होगी। लेकिन सरकार का प्रभाव उसकी जिंदगी को ही रुकावट बना दे ऐसी लोकतंत्र नहीं हो सकता है। और इसलिए हमारा मकसद है सामान्य मानवीय की जिंदगी से सरकार जितनी हट जाए, कम से कम उसकी जिंदगी में सरकार का नाता रहे वैसा समृद्ध लोकतंत्र दुनिया के सामने हमने आगे बढ़ाना चाहिए। उस सपने को पूरा करेंगे।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

Companies Act, Limited Liability Partnership Act, साठ से अधिक गैर जरूरी कानूनों को हमनें हटाया है। Ease of doing business इसके लिए ये बहुत बड़ी आवश्यकता थी क्योंकि अब देश को आगे बढ़ना है तो बहुत सारी रूकावटों से बाहर आने पड़ेगा। हमारे कई कानून तो ऐसे थे छोटे-छोटे कारणों से जेल में भर दो बस। यहां तक की फैक्ट्री है और उसके शौचलय को छह महीने में एक बार अगर व्हाइट पोस्ट नहीं किया तो उसके लिए जेल थी। वो कितनी बड़ी कंपनी का मालिक क्यों न हो। अब ये जो एक प्रकार की जो अपने आप को बड़े लेफ्ट लिबरल कहते हैं उन लोगों की ideology और देश में ये कुमार शाही का जमाना, उन सारों से मुक्ति दिलाने का हमें भरोसा होना चाहिए भई। वो करेगा लोगों के घरो में लीप पोत के। वो सोसाइयटी फ्लैट वाले लोग अपनी लिफ्ट नीचे ऊपर करते ही हैं जी। हर चीज कर लेते हैं। तो ये जो समाज पर नागरिक पर भरोसा करने का काम, बहुत तेजी से बढ़ाने का काम सत्रहवीं लोकसभा ने किया है। और भी चलिए- जन विश्वास एक्ट। मैं समझता हूं 180 से ज्यादा प्रावधान decriminalize करने का काम किया है। जो मैंने कहा छोटी-छोटी बात के लिए जेल में डाल देना। ये decriminalize करके हमनें नागरिक को ताकत दी है। वो इसी सदन ने किया है, यही माननीय सांसदों ने किया है। कोर्ट के चक्कर से जिंदगी बचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण काम कोर्ट के बाहर विवादों से मुक्ति उस दिशा में महत्वपूर्ण काम मध्यस्थता का कानून उस दिशा में भी इसी माननीय सांसदों ने बहुत बड़ी भूमिका अदा की है। जो हमेशा हाशिये पर थे, किनारे पर थे, जिनको कोई पूछता नहीं था। सरकार होने का उनको एहसास हुआ है। हां सरकार अहम है जब कोविड में मुफ्त इंजेक्शन मिलता था ना, उसको भरोसा होता था चलिए जान बच गई। सरकार होने का उसको एहसास होता था और यही तो सामान्य मानवीय की जिंदगी में बहुत आवश्यक है। वो असहायता का अनुभव अब क्या होगा, ये स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए।

ट्रांसजेंडर समुदाय अपमानित महसूस करता था। और जब बार-बार वो अपमानित होता था तो उसके अंदर भी विकृतियों की संभावना बढ़ती रहती थी...और ऐसे विषयों से हम लोग दूर भागते थे। 17वीं लोकसभा के सभी माननीय सांसदों ने ट्रांसजेंडर्स के प्रति भी संवेदना जताई और उनके जीवन में भी बेहतरीन जिंदगी बने। और आज दुनिया के अंदर जब भारत ने ट्रांसजेंडर के लिए किए हुए काम और जो निर्णय किए हैं, इनकी चर्चा है। दुनिया को बड़ा, दुनिया को बड़ा, जब हम कहते हैं ना हमारे यहां...ईवन हमारी माता-बहनों के लिए प्रेगनेंसी के लिए 26 वीक की डिलीवरी के समय की छुट्टी...दुनिया के समृद्ध देशों को भी आश्चर्य होता है, अच्‍छा ! यानी ये progressive निर्णय यहीं पर हुए हैं, इसी 17वीं लोकसभा में हुए हैं। हमने ट्रांसजेंडर को एक पहचान दी है। अब तक करीब 16-17 हजार ट्रांसजेंडर को उनका identity card दिया गया है ताकि उनके जीवन को, और मैंने देखा है अब तो मुद्रा योजना से पैसे ले करके छोटा-मोटा वो बिजनेस करने लगी हैं, कमाने लगी हैं। पदमा अवार्ड हमने ट्रांसजेंडर्स को दिया है, एक सम्‍मान की जिंदगी जीने के लिए। सरकार से जुड़ी अनेक योजनाओं का लाभ उन्‍हें जब तक मिलता रहेगा, मिलना प्रारंभ हुआ है वो सम्‍मान की जिंदगी जीने लगे हैं।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

बहुत विकट काल में हमारा समय गया क्‍योंकि डेढ़-दो साल कोविड ने हमारे ऊपर बहुत बड़ा दबाव किया था, लेकिन उसके बावजूद भी 17वीं लोकसभा देश के लिए बहुत उपकारक रही है, बहुत अच्‍छे काम किए हैं। लेकिन इस समय हमने कई साथियों को भी खो दिया है। हो सकता है अगर आज वो हमारे बीच होते तो आज इस विदाई समारोह में मौजूद होते। लेकिन बीच में ही कोविड के कारण हमें बहुत होनहार साथियों को खोना पड़ा है। उसका दुख हमेशा-हमेशा हमें रहेगा।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

17वीं लोकसभा का ये अंतिम सत्र और अंतिम hour ही समझ लीजिए, है। लोकतंत्र और भारत की यात्रा अनंत है। अनेक और ये देश किसी purpose के लिए है, उसका कोई लक्ष्‍य है वो पूरी मानव जाति के लिए है। ऐसे ही अरविंद ने देखा हो, चाहे स्‍वामी विवेकानंद जी ने देखा हो। लेकिन आज उन शब्‍दों में, उस विज़न में सामर्थ्‍य था वो हम आंखों के सामने देख पा रहे हैं। दुनिया जिस प्रकार से भारत के महात्‍मय को स्‍वीकार कर रही है, भारत के सामर्थ्‍य को स्‍वीकारने लगी है, और इसको, इस यात्रा को हमें और शक्ति के साथ आगे बढ़ाना है।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

चुनाव बहुत दूर नहीं हैं। कुछ लोगों को थोड़ी घबराहट रहती होगी, लेकिन ये लोकतंत्र का सहज, आवश्‍यक पहलू है। हम सब उसको गर्व से स्‍वीकार करते हैं। और मुझे विश्‍वास है कि हमारे चुनाव भी देश की शान बढ़ाने वाले, लोकतंत्र की हमारी जो परंपरा है, पूरे विश्‍व को अचंभित करने वाले अवश्‍य रहेंगे, ये मेरा पक्‍का विश्‍वास है।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

मैं सभी माननीय सांसदों का जो सहयोग मिला है, जो निर्णय हम कर पाए हैं, और कभी-कभी हमले भी इतने मजेदार हुए हैं कि हमारे भीतर की शक्ति भी खिल करके निकली है। और मेरा तो परमात्‍मा की कृपा रही कि जब चुनौती आती है तो जरा और आनंद आता है। हर चुनौती का हम सामना कर पाए हैं, बड़े आत्‍मविश्‍वास और विश्‍वास के साथ हम चले हैं। आज राम मंदिर को ले करके इस सदन ने जो प्रस्‍ताव पारित किया है, वो देश की भावी पीढ़ी को, इस देश की मूल्‍य पर गर्व करने की संवैधानिक शक्ति देगा। ये सही है कि हर किसी में ये सामर्थ्‍य नहीं होता है कि ऐसी चीजों में कोई हिम्‍मत दिखाते हैं, कुछ लोग मैदान छोड़कर भाग जाते हैं। लेकिन फिर भी भविष्‍य के रिकॉर्ड को देखेंगे तो आज जो व्‍याख्‍यान हुए हैं, जो बातें रखी गई हैं, उसमें संवेदना भी है, संकल्‍प भी है, सहानुभूति भी है और सबका साथ-सबका विकास के मंत्र को आगे बढ़ाने का उसमें तत्‍व भी है। ये देश, बुरे दिन कितने ही क्‍यों न गए हों, हम भावी पीढ़ी के लिए कुछ न कुछ अच्‍छा करते रहेंगे। ये सदन हमें वो प्रेरणा देता रहेगा और हम सामूहिक संकल्‍प से, सामूहिक शक्ति से उत्तम से उत्तम परिणाम, भारत की नौजवान पीढ़ी की आशा-आकांक्षा के अनुसार करते रहेंगे।

इसी विश्‍वास के साथ फिर एक बार आपका आभार प्रकट करता हूं, सभी माननीय सांसदों का आभार प्रकट करता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद !

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आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है: TV9 समिट में पीएम मोदी
March 28, 2025
QuoteToday, the world's eyes are on India: PM
QuoteIndia's youth is rapidly becoming skilled and driving innovation forward: PM
Quote"India First" has become the mantra of India's foreign policy: PM
QuoteToday, India is not just participating in the world order but also contributing to shaping and securing the future: PM
QuoteIndia has given Priority to humanity over monopoly: PM
QuoteToday, India is not just a Nation of Dreams but also a Nation That Delivers: PM

श्रीमान रामेश्वर गारु जी, रामू जी, बरुन दास जी, TV9 की पूरी टीम, मैं आपके नेटवर्क के सभी दर्शकों का, यहां उपस्थित सभी महानुभावों का अभिनंदन करता हूं, इस समिट के लिए बधाई देता हूं।

TV9 नेटवर्क का विशाल रीजनल ऑडियंस है। और अब तो TV9 का एक ग्लोबल ऑडियंस भी तैयार हो रहा है। इस समिट में अनेक देशों से इंडियन डायस्पोरा के लोग विशेष तौर पर लाइव जुड़े हुए हैं। कई देशों के लोगों को मैं यहां से देख भी रहा हूं, वे लोग वहां से वेव कर रहे हैं, हो सकता है, मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मैं यहां नीचे स्क्रीन पर हिंदुस्तान के अनेक शहरों में बैठे हुए सब दर्शकों को भी उतने ही उत्साह, उमंग से देख रहा हूं, मेरी तरफ से उनका भी स्वागत है।

साथियों,

आज विश्व की दृष्टि भारत पर है, हमारे देश पर है। दुनिया में आप किसी भी देश में जाएं, वहां के लोग भारत को लेकर एक नई जिज्ञासा से भरे हुए हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो देश 70 साल में ग्यारहवें नंबर की इकोनॉमी बना, वो महज 7-8 साल में पांचवे नंबर की इकोनॉमी बन गया? अभी IMF के नए आंकड़े सामने आए हैं। वो आंकड़े कहते हैं कि भारत, दुनिया की एकमात्र मेजर इकोनॉमी है, जिसने 10 वर्षों में अपने GDP को डबल किया है। बीते दशक में भारत ने दो लाख करोड़ डॉलर, अपनी इकोनॉमी में जोड़े हैं। GDP का डबल होना सिर्फ आंकड़ों का बदलना मात्र नहीं है। इसका impact देखिए, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, और ये 25 करोड़ लोग एक नियो मिडिल क्लास का हिस्सा बने हैं। ये नियो मिडिल क्लास, एक प्रकार से नई ज़िंदगी शुरु कर रहा है। ये नए सपनों के साथ आगे बढ़ रहा है, हमारी इकोनॉमी में कंट्रीब्यूट कर रहा है, और उसको वाइब्रेंट बना रहा है। आज दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी हमारे भारत में है। ये युवा, तेज़ी से स्किल्ड हो रहा है, इनोवेशन को गति दे रहा है। और इन सबके बीच, भारत की फॉरेन पॉलिसी का मंत्र बन गया है- India First, एक जमाने में भारत की पॉलिसी थी, सबसे समान रूप से दूरी बनाकर चलो, Equi-Distance की पॉलिसी, आज के भारत की पॉलिसी है, सबके समान रूप से करीब होकर चलो, Equi-Closeness की पॉलिसी। दुनिया के देश भारत की ओपिनियन को, भारत के इनोवेशन को, भारत के एफर्ट्स को, जैसा महत्व आज दे रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। आज दुनिया की नजर भारत पर है, आज दुनिया जानना चाहती है, What India Thinks Today.

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साथियों,

भारत आज, वर्ल्ड ऑर्डर में सिर्फ पार्टिसिपेट ही नहीं कर रहा, बल्कि फ्यूचर को शेप और सेक्योर करने में योगदान दे रहा है। दुनिया ने ये कोरोना काल में अच्छे से अनुभव किया है। दुनिया को लगता था कि हर भारतीय तक वैक्सीन पहुंचने में ही, कई-कई साल लग जाएंगे। लेकिन भारत ने हर आशंका को गलत साबित किया। हमने अपनी वैक्सीन बनाई, हमने अपने नागरिकों का तेज़ी से वैक्सीनेशन कराया, और दुनिया के 150 से अधिक देशों तक दवाएं और वैक्सीन्स भी पहुंचाईं। आज दुनिया, और जब दुनिया संकट में थी, तब भारत की ये भावना दुनिया के कोने-कोने तक पहुंची कि हमारे संस्कार क्या हैं, हमारा तौर-तरीका क्या है।

साथियों,

अतीत में दुनिया ने देखा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब भी कोई वैश्विक संगठन बना, उसमें कुछ देशों की ही मोनोपोली रही। भारत ने मोनोपोली नहीं बल्कि मानवता को सर्वोपरि रखा। भारत ने, 21वीं सदी के ग्लोबल इंस्टीट्यूशन्स के गठन का रास्ता बनाया, और हमने ये ध्यान रखा कि सबकी भागीदारी हो, सबका योगदान हो। जैसे प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती है। देश कोई भी हो, इन आपदाओं से इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान होता है। आज ही म्यांमार में जो भूकंप आया है, आप टीवी पर देखें तो बहुत बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वस्त हो रही हैं, ब्रिज टूट रहे हैं। और इसलिए भारत ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure - CDRI नाम से एक वैश्विक नया संगठन बनाने की पहल की। ये सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार करने का संकल्प है। भारत का प्रयास है, प्राकृतिक आपदा से, पुल, सड़कें, बिल्डिंग्स, पावर ग्रिड, ऐसा हर इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित रहे, सुरक्षित निर्माण हो।

साथियों,

भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हर देश का मिलकर काम करना बहुत जरूरी है। ऐसी ही एक चुनौती है, हमारे एनर्जी रिसोर्सेस की। इसलिए पूरी दुनिया की चिंता करते हुए भारत ने International Solar Alliance (ISA) का समाधान दिया है। ताकि छोटे से छोटा देश भी सस्टेनबल एनर्जी का लाभ उठा सके। इससे क्लाइमेट पर तो पॉजिटिव असर होगा ही, ये ग्लोबल साउथ के देशों की एनर्जी नीड्स को भी सिक्योर करेगा। और आप सबको ये जानकर गर्व होगा कि भारत के इस प्रयास के साथ, आज दुनिया के सौ से अधिक देश जुड़ चुके हैं।

साथियों,

बीते कुछ समय से दुनिया, ग्लोबल ट्रेड में असंतुलन और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी challenges का सामना कर रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत ने दुनिया के साथ मिलकर नए प्रयास शुरु किए हैं। India–Middle East–Europe Economic Corridor (IMEC), ऐसा ही एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। ये प्रोजेक्ट, कॉमर्स और कनेक्टिविटी के माध्यम से एशिया, यूरोप और मिडिल ईस्ट को जोड़ेगा। इससे आर्थिक संभावनाएं तो बढ़ेंगी ही, दुनिया को अल्टरनेटिव ट्रेड रूट्स भी मिलेंगे। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन भी और मजबूत होगी।

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साथियों,

ग्लोबल सिस्टम्स को, अधिक पार्टिसिपेटिव, अधिक डेमोक्रेटिक बनाने के लिए भी भारत ने अनेक कदम उठाए हैं। और यहीं, यहीं पर ही भारत मंडपम में जी-20 समिट हुई थी। उसमें अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का परमानेंट मेंबर बनाया गया है। ये बहुत बड़ा ऐतिहासिक कदम था। इसकी मांग लंबे समय से हो रही थी, जो भारत की प्रेसीडेंसी में पूरी हुई। आज ग्लोबल डिसीजन मेकिंग इंस्टीट्यूशन्स में भारत, ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज़ बन रहा है। International Yoga Day, WHO का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क, ऐसे कितने ही क्षेत्रों में भारत के प्रयासों ने नए वर्ल्ड ऑर्डर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, और ये तो अभी शुरूआत है, ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर भारत का सामर्थ्य नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है।

साथियों,

21वीं सदी के 25 साल बीत चुके हैं। इन 25 सालों में 11 साल हमारी सरकार ने देश की सेवा की है। और जब हम What India Thinks Today उससे जुड़ा सवाल उठाते हैं, तो हमें ये भी देखना होगा कि Past में क्या सवाल थे, क्या जवाब थे। इससे TV9 के विशाल दर्शक समूह को भी अंदाजा होगा कि कैसे हम, निर्भरता से आत्मनिर्भरता तक, Aspirations से Achievement तक, Desperation से Development तक पहुंचे हैं। आप याद करिए, एक दशक पहले, गांव में जब टॉयलेट का सवाल आता था, तो माताओं-बहनों के पास रात ढलने के बाद और भोर होने से पहले का ही जवाब होता था। आज उसी सवाल का जवाब स्वच्छ भारत मिशन से मिलता है। 2013 में जब कोई इलाज की बात करता था, तो महंगे इलाज की चर्चा होती थी। आज उसी सवाल का समाधान आयुष्मान भारत में नजर आता है। 2013 में किसी गरीब की रसोई की बात होती थी, तो धुएं की तस्वीर सामने आती थी। आज उसी समस्या का समाधान उज्ज्वला योजना में दिखता है। 2013 में महिलाओं से बैंक खाते के बारे में पूछा जाता था, तो वो चुप्पी साध लेती थीं। आज जनधन योजना के कारण, 30 करोड़ से ज्यादा बहनों का अपना बैंक अकाउंट है। 2013 में पीने के पानी के लिए कुएं और तालाबों तक जाने की मजबूरी थी। आज उसी मजबूरी का हल हर घर नल से जल योजना में मिल रहा है। यानि सिर्फ दशक नहीं बदला, बल्कि लोगों की ज़िंदगी बदली है। और दुनिया भी इस बात को नोट कर रही है, भारत के डेवलपमेंट मॉडल को स्वीकार रही है। आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है।

साथियों,

जब कोई देश, अपने नागरिकों की सुविधा और समय को महत्व देता है, तब उस देश का समय भी बदलता है। यही आज हम भारत में अनुभव कर रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। पहले पासपोर्ट बनवाना कितना बड़ा काम था, ये आप जानते हैं। लंबी वेटिंग, बहुत सारे कॉम्प्लेक्स डॉक्यूमेंटेशन का प्रोसेस, अक्सर राज्यों की राजधानी में ही पासपोर्ट केंद्र होते थे, छोटे शहरों के लोगों को पासपोर्ट बनवाना होता था, तो वो एक-दो दिन कहीं ठहरने का इंतजाम करके चलते थे, अब वो हालात पूरी तरह बदल गया है, एक आंकड़े पर आप ध्यान दीजिए, पहले देश में सिर्फ 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र थे, आज इनकी संख्या 550 से ज्यादा हो गई है। पहले पासपोर्ट बनवाने में, और मैं 2013 के पहले की बात कर रहा हूं, मैं पिछले शताब्दी की बात नहीं कर रहा हूं, पासपोर्ट बनवाने में जो वेटिंग टाइम 50 दिन तक होता था, वो अब 5-6 दिन तक सिमट गया है।

साथियों,

ऐसा ही ट्रांसफॉर्मेशन हमने बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी देखा है। हमारे देश में 50-60 साल पहले बैंकों का नेशनलाइजेशन किया गया, ये कहकर कि इससे लोगों को बैंकिंग सुविधा सुलभ होगी। इस दावे की सच्चाई हम जानते हैं। हालत ये थी कि लाखों गांवों में बैंकिंग की कोई सुविधा ही नहीं थी। हमने इस स्थिति को भी बदला है। ऑनलाइन बैंकिंग तो हर घर में पहुंचाई है, आज देश के हर 5 किलोमीटर के दायरे में कोई न कोई बैंकिंग टच प्वाइंट जरूर है। और हमने सिर्फ बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का ही दायरा नहीं बढ़ाया, बल्कि बैंकिंग सिस्टम को भी मजबूत किया। आज बैंकों का NPA बहुत कम हो गया है। आज बैंकों का प्रॉफिट, एक लाख 40 हज़ार करोड़ रुपए के नए रिकॉर्ड को पार कर चुका है। और इतना ही नहीं, जिन लोगों ने जनता को लूटा है, उनको भी अब लूटा हुआ धन लौटाना पड़ रहा है। जिस ED को दिन-रात गालियां दी जा रही है, ED ने 22 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक वसूले हैं। ये पैसा, कानूनी तरीके से उन पीड़ितों तक वापिस पहुंचाया जा रहा है, जिनसे ये पैसा लूटा गया था।

साथियों,

Efficiency से गवर्नमेंट Effective होती है। कम समय में ज्यादा काम हो, कम रिसोर्सेज़ में अधिक काम हो, फिजूलखर्ची ना हो, रेड टेप के बजाय रेड कार्पेट पर बल हो, जब कोई सरकार ये करती है, तो समझिए कि वो देश के संसाधनों को रिस्पेक्ट दे रही है। और पिछले 11 साल से ये हमारी सरकार की बड़ी प्राथमिकता रहा है। मैं कुछ उदाहरणों के साथ अपनी बात बताऊंगा।

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साथियों,

अतीत में हमने देखा है कि सरकारें कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिनिस्ट्रीज में accommodate करने की कोशिश करती थीं। लेकिन हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई मंत्रालयों का विलय कर दिया। आप सोचिए, Urban Development अलग मंत्रालय था और Housing and Urban Poverty Alleviation अलग मंत्रालय था, हमने दोनों को मर्ज करके Housing and Urban Affairs मंत्रालय बना दिया। इसी तरह, मिनिस्ट्री ऑफ ओवरसीज़ अफेयर्स अलग था, विदेश मंत्रालय अलग था, हमने इन दोनों को भी एक साथ जोड़ दिया, पहले जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय अलग था, और पेयजल मंत्रालय अलग था, हमने इन्हें भी जोड़कर जलशक्ति मंत्रालय बना दिया। हमने राजनीतिक मजबूरी के बजाय, देश की priorities और देश के resources को आगे रखा।

साथियों,

हमारी सरकार ने रूल्स और रेगुलेशन्स को भी कम किया, उन्हें आसान बनाया। करीब 1500 ऐसे कानून थे, जो समय के साथ अपना महत्व खो चुके थे। उनको हमारी सरकार ने खत्म किया। करीब 40 हज़ार, compliances को हटाया गया। ऐसे कदमों से दो फायदे हुए, एक तो जनता को harassment से मुक्ति मिली, और दूसरा, सरकारी मशीनरी की एनर्जी भी बची। एक और Example GST का है। 30 से ज्यादा टैक्सेज़ को मिलाकर एक टैक्स बना दिया गया है। इसको process के, documentation के हिसाब से देखें तो कितनी बड़ी बचत हुई है।

साथियों,

सरकारी खरीद में पहले कितनी फिजूलखर्ची होती थी, कितना करप्शन होता था, ये मीडिया के आप लोग आए दिन रिपोर्ट करते थे। हमने, GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म बनाया। अब सरकारी डिपार्टमेंट, इस प्लेटफॉर्म पर अपनी जरूरतें बताते हैं, इसी पर वेंडर बोली लगाते हैं और फिर ऑर्डर दिया जाता है। इसके कारण, भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हुई है, और सरकार को एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की बचत भी हुई है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर- DBT की जो व्यवस्था भारत ने बनाई है, उसकी तो दुनिया में चर्चा है। DBT की वजह से टैक्स पेयर्स के 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, गलत हाथों में जाने से बचे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा फर्ज़ी लाभार्थी, जिनका जन्म भी नहीं हुआ था, जो सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे, ऐसे फर्जी नामों को भी हमने कागजों से हटाया है।

साथियों,

 

हमारी सरकार टैक्स की पाई-पाई का ईमानदारी से उपयोग करती है, और टैक्सपेयर का भी सम्मान करती है, सरकार ने टैक्स सिस्टम को टैक्सपेयर फ्रेंडली बनाया है। आज ITR फाइलिंग का प्रोसेस पहले से कहीं ज्यादा सरल और तेज़ है। पहले सीए की मदद के बिना, ITR फाइल करना मुश्किल होता था। आज आप कुछ ही समय के भीतर खुद ही ऑनलाइन ITR फाइल कर पा रहे हैं। और रिटर्न फाइल करने के कुछ ही दिनों में रिफंड आपके अकाउंट में भी आ जाता है। फेसलेस असेसमेंट स्कीम भी टैक्सपेयर्स को परेशानियों से बचा रही है। गवर्नेंस में efficiency से जुड़े ऐसे अनेक रिफॉर्म्स ने दुनिया को एक नया गवर्नेंस मॉडल दिया है।

साथियों,

पिछले 10-11 साल में भारत हर सेक्टर में बदला है, हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है। और एक बड़ा बदलाव सोच का आया है। आज़ादी के बाद के अनेक दशकों तक, भारत में ऐसी सोच को बढ़ावा दिया गया, जिसमें सिर्फ विदेशी को ही बेहतर माना गया। दुकान में भी कुछ खरीदने जाओ, तो दुकानदार के पहले बोल यही होते थे – भाई साहब लीजिए ना, ये तो इंपोर्टेड है ! आज स्थिति बदल गई है। आज लोग सामने से पूछते हैं- भाई, मेड इन इंडिया है या नहीं है?

साथियों,

आज हम भारत की मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस का एक नया रूप देख रहे हैं। अभी 3-4 दिन पहले ही एक न्यूज आई है कि भारत ने अपनी पहली MRI मशीन बना ली है। अब सोचिए, इतने दशकों तक हमारे यहां स्वदेशी MRI मशीन ही नहीं थी। अब मेड इन इंडिया MRI मशीन होगी तो जांच की कीमत भी बहुत कम हो जाएगी।

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साथियों,

आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान ने, देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को एक नई ऊर्जा दी है। पहले दुनिया भारत को ग्लोबल मार्केट कहती थी, आज वही दुनिया, भारत को एक बड़े Manufacturing Hub के रूप में देख रही है। ये सक्सेस कितनी बड़ी है, इसके उदाहरण आपको हर सेक्टर में मिलेंगे। जैसे हमारी मोबाइल फोन इंडस्ट्री है। 2014-15 में हमारा एक्सपोर्ट, वन बिलियन डॉलर तक भी नहीं था। लेकिन एक दशक में, हम ट्वेंटी बिलियन डॉलर के फिगर से भी आगे निकल चुके हैं। आज भारत ग्लोबल टेलिकॉम और नेटवर्किंग इंडस्ट्री का एक पावर सेंटर बनता जा रहा है। Automotive Sector की Success से भी आप अच्छी तरह परिचित हैं। इससे जुड़े Components के एक्सपोर्ट में भी भारत एक नई पहचान बना रहा है। पहले हम बहुत बड़ी मात्रा में मोटर-साइकल पार्ट्स इंपोर्ट करते थे। लेकिन आज भारत में बने पार्ट्स UAE और जर्मनी जैसे अनेक देशों तक पहुंच रहे हैं। सोलर एनर्जी सेक्टर ने भी सफलता के नए आयाम गढ़े हैं। हमारे सोलर सेल्स, सोलर मॉड्यूल का इंपोर्ट कम हो रहा है और एक्सपोर्ट्स 23 गुना तक बढ़ गए हैं। बीते एक दशक में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट भी 21 गुना बढ़ा है। ये सारी अचीवमेंट्स, देश की मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी की ताकत को दिखाती है। ये दिखाती है कि भारत में कैसे हर सेक्टर में नई जॉब्स भी क्रिएट हो रही हैं।

साथियों,

TV9 की इस समिट में, विस्तार से चर्चा होगी, अनेक विषयों पर मंथन होगा। आज हम जो भी सोचेंगे, जिस भी विजन पर आगे बढ़ेंगे, वो हमारे आने वाले कल को, देश के भविष्य को डिजाइन करेगा। पिछली शताब्दी के इसी दशक में, भारत ने एक नई ऊर्जा के साथ आजादी के लिए नई यात्रा शुरू की थी। और हमने 1947 में आजादी हासिल करके भी दिखाई। अब इस दशक में हम विकसित भारत के लक्ष्य के लिए चल रहे हैं। और हमें 2047 तक विकसित भारत का सपना जरूर पूरा करना है। और जैसा मैंने लाल किले से कहा है, इसमें सबका प्रयास आवश्यक है। इस समिट का आयोजन कर, TV9 ने भी अपनी तरफ से एक positive initiative लिया है। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की सफलता के लिए मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं हैं।

मैं TV9 को विशेष रूप से बधाई दूंगा, क्योंकि पहले भी मीडिया हाउस समिट करते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर एक छोटे से फाइव स्टार होटल के कमरे में, वो समिट होती थी और बोलने वाले भी वही, सुनने वाले भी वही, कमरा भी वही। TV9 ने इस परंपरा को तोड़ा और ये जो मॉडल प्लेस किया है, 2 साल के भीतर-भीतर देख लेना, सभी मीडिया हाउस को यही करना पड़ेगा। यानी TV9 Thinks Today वो बाकियों के लिए रास्ता खोल देगा। मैं इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, आपकी पूरी टीम को, और सबसे बड़ी खुशी की बात है कि आपने इस इवेंट को एक मीडिया हाउस की भलाई के लिए नहीं, देश की भलाई के लिए आपने उसकी रचना की। 50,000 से ज्यादा नौजवानों के साथ एक मिशन मोड में बातचीत करना, उनको जोड़ना, उनको मिशन के साथ जोड़ना और उसमें से जो बच्चे सिलेक्ट होकर के आए, उनकी आगे की ट्रेनिंग की चिंता करना, ये अपने आप में बहुत अद्भुत काम है। मैं आपको बहुत बधाई देता हूं। जिन नौजवानों से मुझे यहां फोटो निकलवाने का मौका मिला है, मुझे भी खुशी हुई कि देश के होनहार लोगों के साथ, मैं अपनी फोटो निकलवा पाया। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं दोस्तों कि आपके साथ मेरी फोटो आज निकली है। और मुझे पक्का विश्वास है कि सारी युवा पीढ़ी, जो मुझे दिख रही है, 2047 में जब देश विकसित भारत बनेगा, सबसे ज्यादा बेनिफिशियरी आप लोग हैं, क्योंकि आप उम्र के उस पड़ाव पर होंगे, जब भारत विकसित होगा, आपके लिए मौज ही मौज है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।