भारत में 65 वर्ष बाद हुआ सम्मेलन, प्रधानमंत्री ने 120 मिलियन किसानों, 30 मिलियन से अधिक महिला किसानों, 30 मिलियन मछुआरों और 80 मिलियन पशुपालकों की ओर से प्रतिनिधियों का स्वागत किया
“भारतीय कृषि परम्‍परा में विज्ञान और तर्क को प्राथमिकता दी गई है”
“भारत के पास अपनी विरासत आधारित कृषि शिक्षा और अनुसंधान की एक मजबूत प्रणाली है”
“भारत आज खाद्य अधिशेष वाला देश है”
“एक समय था जब भारत की खाद्य सुरक्षा वैश्विक चिंता का विषय थी, आज भारत वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए समाधान प्रदान कर रहा है”
“भारत ‘विश्व बंधु’ के रूप में वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है”
“टिकाऊ कृषि और खाद्य प्रणालियों के समक्ष चुनौतियों से ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ के समग्र दृष्टिकोण से ही निपटा जा सकता है”
“छोटे किसान भारत की खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत हैं”

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्रीमान शिवराज सिंह चौहान, इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ एग्रिकल्चर इकोनॉमिक्स के प्रेसिडेंट डॉक्टर मतीन कैम, नीति आयोग के सदस्य श्री रमेश जी , भारत और अन्य देशों के agriculture scientists, Research से जुड़े अलग-अलग यूनिवर्सिटीज़ के हमारे साथी, एग्रीकल्चर सेक्टर से जुड़े experts और stakeholders, देवियों और सज्जनों,

मुझे खुशी है कि 65 साल के बाद ICAE की ये कॉन्फ्रेंस भारत में फिर हो रही है। आप दुनिया के अलग-अलग देशों से भारत आए हैं। भारत के 120 मिलियन किसानों की तरफ से आपका स्वागत है। भारत की 30 मिलियन से ज्यादा महिला किसानों की तरफ से आपका स्वागत है। देश के 30 मिलियन फिशरमेन की तरफ से आपका स्वागत है। देश के 80 मिलियन से ज्यादा पशुपालकों की तरफ से आपका स्वागत है। आप उस देश में हैं, जहां 550 मिलियन पशु हैं। कृषि प्रधान देश भारत में, जीव प्रेमी भारत में आपका स्वागत है, अभिनंदन है।

Friends,

भारत जितना प्राचीन है, उतनी ही प्राचीन agriculture और food को लेकर हमारी मान्यताएं हैं, हमारे अनुभव हैं। और भारतीय कृषि परंपरा में, साइंस को, लॉजिक को प्राथमिकता दी गई है। आज food और nutrition को लेकर इतनी चिंता दुनिया में हो रही है। लेकिन हज़ारों साल पहले हमारे ग्रंथों में कहा गया है- अन्नं हि भूतानां ज्येष्ठम्, तस्मात् सर्वौषधं उच्यते।। अर्थात्, सभी पदार्थों में अन्न श्रेष्ठ है, इसीलिए अन्न को सभी औषधियों का स्वरूप, उनका मूल कहा गया है। हमारे अन्न को औषधीय प्रभावों के साथ इस्तेमाल करने का पूरा आयुर्वेद विज्ञान है। ये पारंपरिक नॉलेज सिस्टम, भारत के समाज जीवन का हिस्सा है।

Friends,

Life और Food को लेकर, ये हज़ारों वर्ष पहले का भारतीय wisdom है। इसी wisdom के आधार पर भारत में एग्रीकल्चर का विकास हुआ है। भारत में करीब 2 हज़ार वर्ष पहले कृषि पराशर नाम से जो ग्रंथ लिखा गया था, वो पूरे मानव इतिहास की धरोहर है। ये वैज्ञानिक खेती का एक comprehensive document है, जिसका अब ट्रांसलेटेड वर्जन भी मौजूद है। इस ग्रंथ में कृषि पर ग्रह नक्षत्रों का प्रभाव... बादलों के प्रकार...Rainfall को नापने का तरीका और forecast, Rainwater harvesting...जैविक खाद...पशुओं की देखभाल, बीज की सुरक्षा कैसे की जाए, स्टोरेज कैसे की जाए... ऐसे अनेक विषयों पर इस ग्रंथ में विस्तार से बताया गया है। इसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए भारत में एग्रीकल्चर से जुड़ी education और रिसर्च का एक मजबूत इकोसिस्टम बना हुआ है। Indian Council of Agriculture Research के ही Hundred से ज्यादा रिसर्च संस्थान हैं। भारत में Agriculture और उससे संबंधित विषयों की पढ़ाई के लिए 500 से ज्यादा कॉलेज हैं। भारत में 700 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं, जो किसानों तक नई टेक्नॉलॉजी पहुंचाने में मदद करते हैं।

साथियों,

भारतीय कृषि की एक और विशेषता है। भारत में हम आज भी Six seasons को ध्यान में रखते हुए सबकुछ प्लान करते हैं। हमारे यहां Fifteen agro climatic zones की अपनी खासियत है। भारत में अगर आप कुछ सौ किलोमीटर ट्रैवल करें, तो खेती बदल जाती है। मैदानों की खेती अलग है.. हिमालय की खेती अलग है...डेजर्ट...ड्राई डेजर्ट की खेती अलग है...जहां पानी कम होता है, वहां की खेती अलग है....औऱ कोस्टल बेल्ट की खेती अलग है। ये जो diversity है, यही Global food की security के लिए भारत को उम्मीद की किरण बनाती है।

Friends

पिछली बार जब ICAE की कॉन्फ्रेंस यहां हुई थी, तो भारत को उस समय नई-नई आज़ादी मिली थी। वो भारत की फूड सिक्योरिटी को लेकर, भारत की Agriculture को लेकर एक Challenging Time था। आज भारत, एक Food Surplus देश है। आज भारत, दूध, दाल और मसालों का सबसे बड़ा producer है। भारत food grain, fruits, vegetable, cotton, sugar, tea, farmed fish... इनका दूसरा सबसे बड़ा producer है। एक वो समय था, जब भारत की Food Security, दुनिया की चिंता का विषय था। एक आज का समय है, जब भारत Global Food Security, Global Nutrition Security, इसके Solutions देने में जुटा है। इसलिए, ‘फूड सिस्टम ट्रांसफॉर्मेशन’ जैसे विषय को डिस्कस करने के लिए भारत के अनुभव बहुमूल्य हैं। इसका बहुत बड़ा लाभ विशेषकर ग्लोबल साउथ को मिलना तय है।

साथियों,

विश्व बंधु के तौर पर भारत, मानवता के कल्याण को सर्वोपरि रखता है। जी-20 के दौरान भारत ने ‘One Earth, One Family, और One Future’ का विजन सामने रखा था। भारत ने Environment को बचाने वाले Lifestyle यानि मिशन LiFE का भी मंत्र दिया। भारत ने 'One Earth-One Health’ Initiative भी शुरु किया। हम Human, Animals और Plants की हेल्थ को अलग-अलग नहीं देख सकते। Sustainable Agriculture और Food Systems के सामने आज जो भी Challenges हैं...इनको ‘One Earth, One Family, और One Future’ की Holistic Approach के साथ ही निपटा जा सकता है।

साथियों,

Agriculture हमारी इकॉनॉमिक पॉलिसी के सेंटर में है। हमारे यहां, करीब Ninety Percent परिवार ऐसे हैं, जिनके पास बहुत कम जमीन है। ये छोटे किसान ही भारत की Food Security की सबसे बड़ी ताकत हैं। यही स्थिति एशिया के कई विकासशील देशों में है। इसलिए, भारत का Model कई देशों के काम आ सकता है। जैसे एक उदाहरण है sustainable farming का। भारत में हम बड़े पैमाने पर कैमिकल फ्री-नेचुरल फार्मिंग को प्रमोट कर रहे हैं। इसके काफी अच्छे Results देखने को मिले हैं। इस साल के बजट में भी बहुत बड़ा फोकस sustainable farming और Climate Resilient Farming पर है। हम अपने किसानों को सपोर्ट करने के लिए एक पूरा इकोसिस्टम डवलप कर रहे हैं। भारत का बहुत जोर Climate Resilient Crops से जुड़ी Research And Development पर है। बीते 10 सालों में हमने करीब Nineteen Hundred नई Climate Resilient Varieties अपने किसानों को दी हैं। इसका लाभ भारत के किसानों को भी मिल रहा है। हमारे यहाँ Rice की कुछ varieties ऐसी भी हैं, जिनको Traditional varieties के मुकाबले, Twenty Five परसेंट कम पानी चाहिए। हाल के वर्षों मे हमारे यहाँ Black rice सुपरफ़ूड के रूप मे उभरा है। हमारे यहाँ मणिपुर, असम और मेघालय की ब्लैक राइस को इसकी medicinal value के कारण पसंद किया जा रहा है।भारत इनसे जुड़े अनुभव विश्व समुदाय के साथ शेयर करने के लिए उतना ही उत्सुक है।

Friends,

आज के समय में पानी की कमी और क्लाइमेट चेंज के साथ ही Nutrition भी एक बड़ा चैलेंज है। इसका Solution भी भारत के पास है। भारत, Millets का दुनिया का सबसे बड़ा Producer है। जिन्हें दुनिया Superfood कहती है और उसे हमने श्री अन्न की पहचान दी है। ये Minimum Water, Maximum Production के सिद्धांत पर चलते हैं। भारत के अलग-अलग Superfoods, Global Nutrition Problem को Address करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। भारत, अपने Superfood की इस बास्केट को, दुनिया के साथ साझा करना चाहता है। साथ ही भारत की पहल पर पिछले साल पूरे विश्व ने इंटरनेशनल मिलेट ईयर मनाया है।

Friends,

बीते एक दशक में हमने Farming को आधुनिक टेक्नॉलॉजी से जोड़ने के लिए अनेक प्रयास किए हैं। आज, एक किसान Soil Health Cards की मदद से ये जान सकता है कि उसे क्या उगाना है। वो सोलर पावर की मदद से पंप चलाता है और Wasteland में Solar Farming से भी कमाता है। वो E-Nam यानी भारत के Digital Agriculture Market के द्वारा अपनी पैदावार को बेच सकता है, वो किसान क्रेडिट कार्ड का उपयोग करता है। वो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से अपनी फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। किसानों से लेकर Agritech Startups तक, नैचुरल फार्मिंग से लेकर Farmstay और Farm-To-Table की व्यवस्था तक, भारत में कृषि और उससे जुड़े सेक्टर्स लगातार Formalise हो रहे हैं। पिछले दस वर्षों में ही Ninety Lakh hectare खेती को हमने माइक्रो इरिगेशन से जोड़ा है। हमारे ethanol blending प्रोग्राम से भी खेती और environment दोनों को लाभ हो रहा है। हम पेट्रोल में Twenty परसेंट ethanol blending के टार्गेट की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं।

साथियों,

भारत में हम एग्रीकल्चर सेक्टर में डिजिटल टेक्नॉलॉजी का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से, एक क्लिक पर 10 करोड़ किसानों के बैंक खाते में 30 second में पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं। हम डिजिटल क्रॉप सर्वे के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहे हैं। हमारे किसानों को Real-Time Information मिलेगी और वो Data-Driven Decision ले सकेंगे। हमारी इस पहल से करोड़ों किसानों को फायदा होगा, उनकी आर्थिक स्थिति और बेहतर होगी। सरकार, Land के Digitalisation का भी बहुत बड़ा अभियान चला रही है। किसानों को उनकी Land का एक Digital Identification Number भी दिया जाएगा। Drone का उपयोग भी खेती में बहुत तेजी से प्रमोट हम कर रहे हैं। Drones से होने वाली खेती की कमान महिलाओं को, हमारी ड्रोन दीदियों को दी जा रही है। ये जो भी कदम हैं, इनसे भारत के किसानों का तो फायदा होगा ही, इससे Global Food Security को भी ताकत मिलेगी।

Friends,

आने वाले 5 दिनों में आप सभी यहां खुलकर चर्चा करने वाले हैं। यहां मैं बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी, युवाओं की भागीदारी देखकर अधिक प्रसन्न हो रहा हूं। आपके Ideas पर सबकी नज़र रहेगी। मैं आशा करता हूं कि इस कॉन्फ्रेंस से हम दुनिया को Sustainable Agri-Food Systems से जोड़ने के रास्ते खोज सकेंगे। हम एक दूसरे से सीखेंगे भी...और एक दूसरे को सिखाएंगे भी।

साथियों,

आप कृषि जगत से जुड़े हुए लोग हैं तो एक और जानकारी आपके सामने रखना मुझे, मेरा मन करता है। मुझे पता नहीं है दुनिया में कहीं किसी किसान का स्टैच्यू हो। हमनें दुनिया में सबसे ऊंचे स्टैच्यू के रूप में Statue of liberty की चर्चा सुनी है। लेकिन मेरे सारे कृषि जगत के लोगों को जानकर खुशी होगी कि भारत में आजादी का आंदोलन में जिस महापुरुष ने किसान शक्ति को जागृत किया है, किसानों को आजादी के आदोलंन की मुख्य धारा में जोड़ा, वे सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा भारत में है। State of Liberty से double उसकी ऊंचाई है। और एक किसान नेता की है। और दूसरी विशेषता है कि ये जो स्टैच्यू बनाया गया है तो भारत के Six Hundred Thousand, छह लाख गांवों से, हर गाव में किसानों को कहा गया कि आप खेत में जिस लोहे के औजार का उपयोग करते हैं, वैसा अपने खेत में किए हुए औजार का टुकड़ा हमें दीजिए । छह लाख गांवों से खेतों में उपयोग किया गया लोहे का औजार लाया गया, उसको melt किया गया और दुनिया के सबसे ऊंचे किसान नेता के स्टैच्यू के अंदर उस खेत में उपयोग किए औजार का melt करके लोहा उपयोग किया गया। मैं जरूर मानता हूं कि इस देश के किसान पुत्र को इतना बड़ा सम्मान जो मिला है शायद विश्व में ऐसा कहीं नहीं हुआ होगा। मुझे पक्का विश्वास है आज यहां आप आए हैं तो जरूर Statue of Unity विश्व का सबसे ऊंचा ये स्टैच्यू देखने के लिए आप आकर्षित होंगे। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं!

धन्यवाद !

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।